Sunday, 14 April 2024

एक स्त्री ऐसी भी है-जो भाग जाती है..पचास साल की उम्र में,अपने किसी अज्ञात-प्रेमी के साथ..

एक स्त्री ऐसी भी है-
जो भाग जाती है..
पचास साल की उम्र में,
अपने किसी 
अज्ञात-प्रेमी के साथ..

पति ढूँढ़ता रहता है, 
उसका ठिकाना-
शहर-दर-शहर..
इस स्टेशन..उस स्टेशन..
भटकते हुए..लाचार होकर..!

बीस-बीस..
पच्चीस-पच्चीस साल के
हो गए,बेटे... 
अब 
उसका परिचय देते हुए 
पी लेते हैं- 
ख़ून के घूँट..
किसी के कुछ पूछने पर..!

चुप हो जाते हैं ..
या
फिर कह देते हैं-
"चली गयी..
अच्छा ही हुआ..!
घर नरक हो गया था..!"

क्या कहें-
"हाँ..!
मेरी माँ(?) ही थीं?"

एक स्त्री ऐसी भी है-
जो
ब्याह के 
आठ-नौ साल बाद
ग़ायब होकर... 
आकर बैठ गयी है
सामने के ही घर में..,
कुछ दिन बाद..
पूरी निर्लज्जता.. 
पूरे स्वाभिमान के साथ..!

उस 
क्रूर-हृदया को देखकर
छोटे-छोटे..अबोध बच्चे.. 
आज भी कहते हैं,आपस में..
रोते हुए-
"अम्मा 
अभी दिखीं थीं-छत पर
फिर चलीं गयीं..!"

बाप
नाक पोंछता है..!
टट्टी-पेशाब करवाता है..!
कपड़े धुलता है..!
जानवरों को खिलाता है..!

फिर 
बैठा ले जाता है,सबको-
साइकिल के कैरियर पर..! 
तपती-धूप में
भट्ठे पर ईंट पाथने..!

एक स्त्री ऐसी भी है- 
जो पति से 
तनिक 
कोई बात होने पर 
देने लगती है,धमकी..
पूरे घर को- 
"ऐसा सबक़ सिखाऊँगी
 ज़िन्दगी-भर 
 याद रखोगे,सब लोग..!"
 
एक स्त्री ऐसी भी है-
जो गाली देती है,फ़ोन पर..!

मन का कुछ न होने पर
मारती है,थप्पड़..
अपने पति-परमेश्वर को..!

एक स्त्री ऐसी भी है-
जो ससुर के साथ 
मायके से 
ससुराल लौटते समय 
उतर जाती है..
पानी लेने के लिये
ट्रेन से..स्टेशन पर..!

दस साल बाद 
पता चलता है- 
वह चली गयी थी..
गाँव के ही 
एक आदमी के साथ..
जो बाहर रहकर कमाता है..!

एक स्त्री ऐसी भी होती है-
जो ब्याह कर घर आते ही  
भाई-भाई को तोड़ने...

आँगन में 
दीवार खड़ी करने में देती है,
अपना पूरा योगदान..
हरसम्भव..
सबसे पहले..!

एक स्त्री ऐसी भी होती है..
सास-बहू के रूप में-
जिनके 
दो पाटों के बीच पिसकर 
धूल हो जाता है... 
अपने मन को पत्थर करके
सब कुछ सहता 
मूक-बधिर पुरुष-

"हमारे एक भी शब्द 
बीच में बोल देने से
कुछ भी हो सकता है..!"

एक स्त्री ऐसी भी होती है-
जिसके 
दहेज़ के झूठे 
मुकदमे के कारण 
हो जाता है-
पुरुष के जीवन में...
गहरा अँधेरा..,
सलाख़ों के पीछे..
नारकीय-यन्त्रणा में 
अभिशप्त होकर...!

एक स्त्री ऐसी भी है-
जो 
पुरुषों की नक़ल में
उड़ाती है..,
चौराहे पर खड़ी होकर..
सिगरेट के धुएँ के छल्ले..!

लटकी रहती है...
अपनी बारी के इंतज़ार में..
बियर-शॉप के काउण्टर पर..!

एक स्त्री ऐसी भी है
जो लेती है..
अपने 
दुधमुँहे-शिशु के साथ-सेल्फ़ी..
फिर दबा देती है-गला..
पूरी नृशंसता से..! #photography

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