एक बार एक औरत मेरे कार्यो से बहुत प्रभावित हुई और उसने मुझे घर पर भोजन करने का निमंत्रण दिया | प्रथम और द्वितीय बार तो मैने बहाने कर मना कर दिया, लेकिन तीसरी बार मना न कर पाया |
मैंने उस औरत का निमंत्रण स्वीकार करते हुए उसके घर जाने का फैसला किया और उस औरत के घर भोजन के लिए चल पड़ा |
अब वो औरत मुझे अपने साथ अपने गांव ले जाने लगी तो रास्ते में जब लोगों ने उस औरत के साथ मुझे देखा तो, तो सब आश्चर्यजनक तरीके से मुझे देखने लगे |
तभी एक आदमी मेरे पास आया और धीरे से मेरे कान में बोला कि आप इस औरत के साथ कैसे ? और इसके साथ कहा जा रहे है ?
कुछ पता भी है आपको इस औरत के बारे में ?
तब मैने बताया कि मैं इस औरत के बार-बार आग्रह निमंत्रण पर इसके घर भोजन के लिए जा रहा हूँ !
यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने मुझसे कहा कि आप इस औरत के घर न जाए,
इसमें आपकी अत्यंत बदनामी होगी , क्योंकि यह औरत चरित्रहीन है |
यह सुनने के बाद मैं कुछ देर शांत रहा और नहीं रुका और उस औरत के घर की तरफ चल पड़ा,
कुछ ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गयी | आनन फानन में उस गांव का मुखिया दौडता हुआ मेरे पास आ गया और उस औरत के यहां न जाने का अनुरोध करने लगा |
विवाद की स्थिति उतपन्न होता देख मैंने सबको शांत रहने को कहा-
फिर मैंने मुखिया का एक हाथ अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और बोला क्या अब आप ताली बजा सकते हो ?
मुखिया बोला एक हाथ से भला कैसे ताली बजेगी ?
इस पर मैंने मुस्कुराते हुए बोला जैसे एक हाथ से ताली नहीं बज सकती तो अकेली औरत कैसे चरित्रहीन हो सकती है ?
मुखिया ! क्या तुम जानते हो असली चरित्रहीन कौन है ?
सुनों और आप सभी सुनों !
जब तक कि एक पुरुष एक स्त्री को चरित्रहीन बनने पर बाध्य न करे वो स्त्री कभी चरित्रहीन हो ही नही सकती,
एक चरित्रहीन पुरुष ही एक स्त्री को चरित्रहीन बनाने में पूर्ण जिम्मेदार होता है |
अजीब विडम्बना है कि इस कथित " पुरुष प्रधान समाज के अभिमान में ये पुरुष अपनी झूठी शान के लिए स्त्री को केवल अपने उपभोग की वस्तु भर समझता है और यह भूल जाता है कि जिस औरत को वह चरित्रहीन कह रहा है उसका जिम्मेदार वह स्वयं है |
इसी पुरुष प्रधान ने ही अपनी माँ, अपनी बहन और अपनी बेटी को छोड़कर दुनिया की समस्त स्त्रियों को चरित्रहीन कहा, यहाँ तक कि अगर पत्नी से अनबन हो गयी तो उसे भी चरित्रहीन कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी |
क्या किसी पुरुष ने अपनी माँ को चरित्रहीन कहाँ , नहीं
क्या किसी पुरुष ने अपनी बहन को चरित्रहीन कहाँ , नहीं
क्या किसी पुरुष ने अपनी बेटी को चरित्रहीन कहाँ , नहीं
पता है क्यों ?
क्योंकि स्त्री चरित्रहीन हुई ही नहीं है ! इस पुरुष ने जब-जब अपने को स्त्री से हारता हुआ पाया, तब-तब उसने पहला वार स्त्री के चरित्र पर ही किया है |
अब आप बताए ?
चरित्रहीन कौन ?
स्त्री या पुरुष ?
अगर आप पुरुष है और इस पोस्ट को पढ़ चुके है तो आपका जवाब निश्चित रूप से आपकी सोच को भी परिभाषित करेगा और हाँ एक स्त्री को चरित्रहीन कहने से पहले अपनी माँ, बहन और बेटी के याद जरूर करियेगा |
अगर आप स्त्री है और इस पोस्ट को पढ़ चुकी है तो इस पोस्ट को #SharePost अवश्य कर दीजियेगा ताकि यह सन्देश हर भाई-बहन तक पहुँच जाए |
"देश की सभी स्त्री पुरूषों को नवरात्रि की शुभकामनाएं"
Jai Hind.
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