Friday, 28 June 2024

*बे गुनाह लोगो की हत्या इस्लाम में हराम फरहत अली खान*

*बे गुनाह लोगो की हत्या इस्लाम में हराम फरहत अली खान* 

हाल ही में मानवता के विरुद्ध एक दिल दहला देने वाली घटना देखने को मिली, जब जम्मू-कश्मीर के रियासी में आतंकवादियों ने शिव खोरी मंदिर से तीर्थयात्रियों को लेकर कटरा जा रही एक पर्यटक बस पर हिंसक हमला किया, जिसमें कम से कम 10 लोग मारे गए। हमले में घायल हुए 41 लोगों में से 10 को गोली लगी है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के निर्दोष लोग कटरा में माता वैष्णो देवी मंदिर में प्रार्थना करने के लिए यात्रा कर रहे थे। भक्त अक्सर आध्यात्मिक रूप से खुद को शुद्ध करने के लिए अपने घरों की सुख-सुविधाओं को छोड़कर ऐसी कठिन यात्रा करते हैं। ऐसी पवित्र आत्माओं की हत्या करना मानवता के विरुद्ध कार्य है। चल रहे हज सीजन में, 1.5 मिलियन से अधिक मुस्लिम तीर्थयात्रियों ने हज करने के लिए सऊदी अरब की यात्रा करने का कठिन कार्य किया है। कोई भी धर्मनिष्ठ मुसलमान रियासी में मारे गए लोगों के परिवारों द्वारा वर्तमान में झेले जा रहे दर्द को समझ सकता है। उनके धार्मिक संप्रदाय से परे, एक तीर्थयात्री के साथ सर्वोच्च संभव सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए क्योंकि वे एक पवित्र यात्रा पर हैं। ऐसे जघन्य कृत्यों की विशेष रूप से मुसलमानों द्वारा कड़ी निंदा की जानी चाहिए, क्योंकि हिंसा का कोई भी रूप इस्लामी शिक्षाओं के विरुद्ध है, चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसे कृत्यों में कोई भी शामिल हो। इस्लाम शब्द का अर्थ शांति है। जब भी कोई ऐसा कार्य करता है जिससे लोगों को सुरक्षित महसूस हो और शांति स्थापित हो, तो वह वास्तव में इस्लामी शिक्षाओं का पालन कर रहा होता है। अल्लाह ने मुसलमानों को इस सांसारिक जीवन में मार्गदर्शन करने के लिए कुरान भेजा। हम खुद को मुसलमान तभी कह सकते हैं जब हम कुरान की आज्ञाओं का पालन करें। अल्लाह समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखना पसंद करता है; कुरान (7:56) में इसका स्पष्ट उल्लेख है "और पृथ्वी पर उत्पात न फैलाओ, जब वह व्यवस्थित हो जाए..." इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि उत्पात फैलाने वाले निश्चित रूप से मुसलमानों में से नहीं हैं। अल्लाह नम्रता, शांति और विनम्रता पसंद करता है जो हर मुसलमान के लिए अनिवार्य है। इस्लाम कभी भी निर्दोष लोगों को चोट पहुँचाने, घायल करने या मारने का समर्थन नहीं करता है। पवित्र कुरान में अल्लाह कहता है, "जो कोई किसी व्यक्ति (निर्दोष व्यक्ति) को मारता है, वह ऐसा है जैसे उसने सभी मनुष्यों को मार डाला। और जो कोई किसी की जान बचाता है, वह ऐसा है जैसे उसने सभी मनुष्यों को बचा लिया।" (5:32)। कोई भी व्यक्ति पूरी मानवता की हत्या का बोझ कैसे उठा सकता है? वह अल्लाह के सामने मानवता के खिलाफ ऐसे कृत्य करने का क्या औचित्य देगा? कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि ऐसे अपराधियों को उनके जीवन में पीड़ित किया गया है, इसलिए वे बदला लेने के लिए यह सब कर रहे हैं। शायद पवित्र कुरान (22:39) की सबसे गलत समझी जाने वाली और दुरुपयोग की जाने वाली आयत है: "लड़ाई करने वालों को 'लड़ाई करने' की अनुमति दी जाती है, 
विदेशी प्रायोजित आतंकवाद अक्सर धार्मिक शिक्षाओं को गलत तरीके से उद्धृत/तोड़-मरोड़ कर और मौजूदा असंतोष को हवा देकर हमारे देश के युवाओं को निशाना बनाने की कोशिश करता है। हालांकि, किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले युवाओं, खासकर भारत के मुस्लिम युवाओं को इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं के बारे में विद्वानों से सलाह लेनी चाहिए। इस्लाम या कोई भी दूसरा धर्म कभी भी धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा नहीं देता। हमें, मुसलमानों के रूप में यह समझना चाहिए कि अगर हम दूसरे धर्मों का सम्मान नहीं कर सकते, तो हम अपने धर्म का भी सम्मान नहीं कर सकते। जो मानवता की सेवा करेगा, वह समृद्ध होगा। अल्लाह ने हमें एक ही जीवन दिया है, हमें इसे खूबसूरती और शांति से जीना चाहिए और खुद को शांति और सद्भाव के दूत के रूप में पेश करना चाहिए। आइए इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने की कोशिश करें, चाहे हमारा योगदान कितना भी छोटा क्यों न हो ।
फरहत अली खान 
अधयक्ष मुस्लिम महासंघ

Wednesday, 26 June 2024

तस्वीर में आप एक टमाटर के पौधे को देख रहे होंगे, शायद किसी यात्री ने टमाटर खाकर उसके बीज को ट्रेन से फेंक दिया होगा... ये पौधा मिट्टी की छाती फाड़कर नही बल्कि पत्थरों को चीरकर बाहर आया है।

तस्वीर में आप एक टमाटर के पौधे को देख रहे होंगे, शायद किसी यात्री ने टमाटर खाकर उसके बीज को ट्रेन से फेंक दिया होगा... ये पौधा मिट्टी की छाती फाड़कर नही बल्कि पत्थरों को चीरकर बाहर आया है।
जब ये और भी नन्हा सा होगा, तब शताब्दी ओर राजधानी जैसे तूफान से भी तेज दौड़ती ट्रेनों के बिल्कुल पास से गुजरते हुए भी इसने सिर्फ बढ़ना सीखा ओर बढ़ते बढ़ते आखिर कार इसने एक टमाटर को जन्म दे ही दिया।

 न हाथ है, न पांव है, न ही दिमाग है, और तो और इसको जीवित रहने के लिए कम से कम मिट्टी और पानी तो मिलना चाहिए ही था, जो इसका हक भी था लेकिन इस पौधे ने बिना जल, बिना मिट्टी के, बिना सुविधा के अपने आपको बड़ा किया... फला फूला और जीवन का उद्देश्य  इसने पूरा किया।

जिन लोगो को लगता है कि जीवन मे हम तो असफल हो गए हम तो जीवन मे कुछ कर ही नही सकते, हम तो बस अब बरबाद हो ही चुके है, तो उन्हें इस टमाटर के पौधे से कुछ सीख लेनी चाहिए। 
असली जीवन का नाम ही लगातार संघर्षों की कहानी है ।

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य..... ????

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य..... ????

बड़े ही शर्म की बात है कि #महाराजा_विक्रमादित्य  के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था
उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य

बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली।

आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है

अशोक मौर्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और बौद्ध बनकर 25 साल राज किया था
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे।रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया।

विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया,विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है।अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे।हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे।उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है।

महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है।विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे। भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे।

हिन्दू कैलंडर भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है,आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे।विक्रमादित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था।विक्रमादित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी।पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में अंग्रेजी मानसिकता के गुलाम शासको के शासनकाल में लिखित इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है।जब कि कुतुबमीनार-राजा विक्रमादित्य द्वारा बनवाया गया “”हिन्दू नक्षत्र निरीक्षण केंद्र”” है।
#bharat 
#hindustan 
#jaishreeram

आपातकाल_के_काले_दिन (1)25-26 जून, 1975 की काली रात

● #आपातकाल_के_काले_दिन (1)

25-26 जून, 1975 की काली रात   

12 जून, 1975 को इंदिरा गाँधी उनके चुनाव प्रचार में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुक़दमा हार गयी थी। वहाँ के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जगमोहन सिन्हा ने उन्हें 6 वर्ष के लिये लोक सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। तब सारे देश में इंदिरा गांधी के विरुद्ध प्रचण्ड लहर खड़ी हो गयी थी। एक-एक नगर और गाँव में प्रदर्शन करके उनसे प्रधान मन्त्री के पद से त्याग-पत्र माँगा जा रहा था। तब आज ही के दिन इंदिरा गांधी ने केवल और केवल अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए पूरे देश पर आपातकाल थोप दिया था और सारे देश को एक विशाल जेल में बदल दिया था। प्रस्तुत है उस आपातकाल के कुछ संस्मरणों की श्रृंखला की पहली कड़ी:

आपातकाल के दौरान पूरे देश में 2 लाख के लगभग स्वयंसेवकों/राजनीतिक कार्यकर्ताओं को या तो गिरफ्तार किया गया था या फिर उन्हों ने सत्याग्रह कर खुद अपनी गिरफ्तारी दी थी। उनमें से अनेक स्वयंसेवकों को थानों और जेलों में भीषण यातनाएं दी गई थीं। 

15-16 साल तक के बाल स्वयंसेवक भी जेलों में बंद कर दिये गये थे। उस समय बिरले ही किसी घर में टी. वी. होता था। तब उन अनेक बच्चों के माता पिता उन्हें जेल में जा कर कहते थे:

'देखो हम तुम्हारे लिए घर में नया टी वी खरीद कर लाए हैं। तुम बस इस (काग़ज़) माफीनाामे पर दस्तखत कर दो और जेल से रिहा हो कर घर चलो और वहां जी भर कर टीवी देखना।' 

उस समय किसी घर में टेलीविजन का आना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। उस घर पर 60 फुट ऊँचा लगा एंटीना दूर-दूर तक दिखायी देता था तो उस घर की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ जाती थी। तब हम फर्श पर बैठने के लिये अपने साथ बोरियें लेकर किसी पड़ौसी के यहाँ टेलीविजन देखने जाते थे। मगर वे वीर बालक फिर भी किसी लालच में नहीं आये थे।

तब उन बच्चों का जवाब होता था: 

'मुझे टी वी पर तानाशाह इंदिरा गांधी की शक्ल नहीं देखनी है। जब तक देश से आपातकाल नहीं हटाया जाता है तब तक मैं जेल में ही रहूंगा।'

धन्य हैं वे वीर बालक 🙏

■ ऐसी 10 कड़ियाँ और डाली जायेंगी।

✍️ अनिल कौशिश

आपातकाल_के_काले_दिन (1)25-26 जून, 1975 की काली रात

● #आपातकाल_के_काले_दिन (1)

25-26 जून, 1975 की काली रात   

12 जून, 1975 को इंदिरा गाँधी उनके चुनाव प्रचार में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुक़दमा हार गयी थी। वहाँ के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जगमोहन सिन्हा ने उन्हें 6 वर्ष के लिये लोक सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। तब सारे देश में इंदिरा गांधी के विरुद्ध प्रचण्ड लहर खड़ी हो गयी थी। एक-एक नगर और गाँव में प्रदर्शन करके उनसे प्रधान मन्त्री के पद से त्याग-पत्र माँगा जा रहा था। तब आज ही के दिन इंदिरा गांधी ने केवल और केवल अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए पूरे देश पर आपातकाल थोप दिया था और सारे देश को एक विशाल जेल में बदल दिया था। प्रस्तुत है उस आपातकाल के कुछ संस्मरणों की श्रृंखला की पहली कड़ी:

आपातकाल के दौरान पूरे देश में 2 लाख के लगभग स्वयंसेवकों/राजनीतिक कार्यकर्ताओं को या तो गिरफ्तार किया गया था या फिर उन्हों ने सत्याग्रह कर खुद अपनी गिरफ्तारी दी थी। उनमें से अनेक स्वयंसेवकों को थानों और जेलों में भीषण यातनाएं दी गई थीं। 

15-16 साल तक के बाल स्वयंसेवक भी जेलों में बंद कर दिये गये थे। उस समय बिरले ही किसी घर में टी. वी. होता था। तब उन अनेक बच्चों के माता पिता उन्हें जेल में जा कर कहते थे:

'देखो हम तुम्हारे लिए घर में नया टी वी खरीद कर लाए हैं। तुम बस इस (काग़ज़) माफीनाामे पर दस्तखत कर दो और जेल से रिहा हो कर घर चलो और वहां जी भर कर टीवी देखना।' 

उस समय किसी घर में टेलीविजन का आना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। उस घर पर 60 फुट ऊँचा लगा एंटीना दूर-दूर तक दिखायी देता था तो उस घर की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ जाती थी। तब हम फर्श पर बैठने के लिये अपने साथ बोरियें लेकर किसी पड़ौसी के यहाँ टेलीविजन देखने जाते थे। मगर वे वीर बालक फिर भी किसी लालच में नहीं आये थे।

तब उन बच्चों का जवाब होता था: 

'मुझे टी वी पर तानाशाह इंदिरा गांधी की शक्ल नहीं देखनी है। जब तक देश से आपातकाल नहीं हटाया जाता है तब तक मैं जेल में ही रहूंगा।'

धन्य हैं वे वीर बालक 🙏

■ ऐसी 10 कड़ियाँ और डाली जायेंगी।

✍️ अनिल कौशिश

सन 1757 तुर्क लुटेरा अहमद शाह अब्दाली लूटपाट करता पंजाब में घुसा। आम बाजारों को लूटना, सामान्य जन का सामूहिक कत्लेआम, स्त्रियों बच्चों को गुलाम बनाना तो सामान्य बात थी, पर इसके अतिरिक्त एक और काम हुआ। अमृतसर स्वर्ण मंदिर को अपवित्र कर दिया गया। तालाब में गाय काट कर डाली गई, और मन्दिर पर अब्दाली का कब्जा हो गया। अब्दाली लौटा तो अपने बेटे को पंजाब का सूबेदार बना गया।

सन 1757
     तुर्क लुटेरा अहमद शाह अब्दाली लूटपाट करता पंजाब में घुसा। आम बाजारों को लूटना, सामान्य जन का सामूहिक कत्लेआम, स्त्रियों बच्चों को गुलाम बनाना तो सामान्य बात थी, पर इसके अतिरिक्त एक और काम हुआ। अमृतसर स्वर्ण मंदिर को अपवित्र कर दिया गया। तालाब में गाय काट कर डाली गई, और मन्दिर पर अब्दाली का कब्जा हो गया। अब्दाली लौटा तो अपने बेटे को पंजाब का सूबेदार बना गया।
   सिख समुदाय के पास तब इतना बल नहीं था कि वे अपने स्वर्ण मंदिर को मुक्त करा सकें। ऐसे विकट समय मे समूचे भारतवर्ष में एक ही व्यक्ति था, जिसपर उनकी उम्मीद टिक गई। और फिर मदद के लिए एक करुण चिट्ठी पहुँची पुणे। मराठा साम्राज्य के तात्कालिक पेशवा बालाजी बाजीराव के पास...
     वे शिवाजी के सैनिक थे, हिंदुत्व के लिए अपना सबकुछ बलिदान कर देने वाले योद्धा! महान पेशवा बाजीराव बल्लाळ की महान शौर्य परम्परा के वाहक! वे भला कैसे न आगे आते? 
      तो पेशवा ने आदेशित किया अपने छोटे भाई, सेनापति पण्डित रघुनाथ राव राघोबा को। रघुनाथ राव के लिए यह सत्ता का कार्य नहीं, धर्म का कार्य था। वे अपनी सेना के साथ पहुँचे सरहिंद, और एक झटके के साथ समूचा पंजाब मुगलों और अफगानों के अत्याचार से मुक्त हो गया।
      स्वर्ण मंदिर पुनः पवित्र हुआ। वहाँ की पवित्र पूजा परम्परा पुनः स्थापित हुई। धर्म का ध्वज पुनः लहराने लगा।
      पर रुकिये। क्या कथा यहीं पूर्ण होती है? नहीं। कथा तो अब प्रारम्भ होती है। सन 1761 में अहमद शाह अब्दाली पुनः लौटा। पानीपत के मैदान में वही मराठे भारत का ध्वज लिए अब्दाली का सामना करने के लिए खड़े थे। देश की अधिकांश हिन्दू रियासतें अपनी सेना लेकर उनके साथ खड़ी थीं। पर सिक्ख? नहीं। वे नहीं आये। यहाँ तक कि मराठा सेना के भोजन के लिए अन्न देने तक से मना कर दिया।
      युद्ध मे मराठों की पराजय हुई। सदाशिव राव, विश्वास राव और असंख्य मराठा सरदारों को वीरगति प्राप्त हुई। उधर पुत्र और भाई की मृत्यु से टूट गए पेशवा बालाजी की भी मृत्यु हो गयी। कहते हैं, तब समूचे महाराष्ट्र में एक भी घर ऐसा नहीं था जिसके एक दो सदस्य वीरगति न प्राप्त किये हों। अब्दाली की सेना में भी केवल एक चौथाई सैनिक बचे थे।
      रुकिये तो। पानीपत युद्ध जीतने के बाद अपनी बची खुची सेना और हजारों भारतीय स्त्रियों बच्चों को गुलाम बना कर लौटता अब्दाली उसी पंजाब क

Monday, 24 June 2024

बाड़मेर के एक शिक्षक भेराराम भाखर पिछले 24 सालों से बंजर इलाके को हरा-भरा बनाने की कोशिश में लगे हैं। अपनी इसी पहल के तहत उन्होंने राजस्थान के कई इलाकों में अब तक चार लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह काम भेराराम अपने खुद के खर्चे से करते हैं। इसलिए आज वह अपने इलाके में पौधे वाले मास्टर के नाम से मशहूर भी हो चुके हैं।

बाड़मेर के एक शिक्षक भेराराम भाखर पिछले 24 सालों से  बंजर इलाके को हरा-भरा बनाने की कोशिश में लगे हैं। अपनी इसी पहल के तहत उन्होंने राजस्थान के कई इलाकों में अब तक चार लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं।  सबसे अच्छी बात है कि यह काम भेराराम अपने खुद के खर्चे से करते हैं। इसलिए आज वह अपने इलाके में पौधे वाले मास्टर के नाम से मशहूर भी हो चुके हैं।  

दरअसल, साल 1999 में अपने कॉलेज के दिनों में भेराराम ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांव के मंदिर में करीब 50 पौधे लगाए थे। इस घटना के बाद उन्हें इतना सुकून मिला कि उन्होंने फैसला किया कि वह यह काम आजीवन जारी रखेंगे। इसके बाद भेराराम ने साल 2002 में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया।  

 उस समय भेराराम ने अपनी पहली तनख्वाह पर्यावरण के लिए खर्च की और ठान लिया कि हर साल अपने एक महीने की तनख्वाह पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च करेंगे। उन्होंने देसी पेड़ों को खरीदकर अपने स्कूल और गांव के सार्वजनिक इलाके में लगाना शुरू किया।  

समय के साथ उन्हें अपने जैसे दूसरे पर्यावरण प्रेमियों का साथ मिला और उनके अभियान को भी रफ़्तार मिली। भेराराम ने फिर प्लास्टिक के खिलाफ और पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू किया। इस तरह आज वह 500 से अधिक वन्य पशु को भी बचा चुके हैं। इन्हीं प्रयासों के कारण, आज उनको लोग पौधे वाले टीचर कहकर बुलाते हैं।  

अपना पूरा जीवन पर्यावरण के लिए समर्पित करने वाले भेराराम, समाज के सच्चे हीरो हैं और हम सबके लिए प्रेरणा भी।

करनाल के मैदानों से जब सब भाग खड़े हुए तब नादिरशाह के सामने सीना तान कर जो खड़ा था वो था राव बालकिशन और उनकी 5000 अहीरों की फौज

करनाल के मैदानों से जब सब भाग खड़े हुए तब नादिरशाह के सामने सीना तान कर जो खड़ा था वो था राव बालकिशन और उनकी 5000 अहीरों की फौज
 #राव_बालकिशन 

ईरानी लूटेरा और शासक #नादिरशाह हिंदुस्तान पर चढ़ आया तो अहीरवाल की तलवारे फिर जोश में चमक उठी ! रेवाड़ी के पांच हज़ार मर्द कौम अहीर अपने शेर सरदार राव बालकिशन के साथ करनाल के मोर्चे पर डट गयी !ईरानी और हिन्दुस्तानी सेनाये आमने-सामने अपनी-अपनी तलवारों के जोर को तोलने लगी , मैदाने जंग में यलगार हुई और कायर मुगलिया फौज दिल्ली की मैदान से भाग कड़ी हुई ,मुग़ल बादशाह और उसके सिपहसालारो के हाथ से हथियार छूट गए! पर सुनो नस्ल-ए -हिन्द ये कायरता का इलज़ाम मेरे  वीर अहिर यसुवंशीयो
पर न लगा क्योंकि मर्द अहीर विजय या वीरगति के लिए वचनबद्ध थे ।।
परम वीर सपूत,तलवार और जबान का धनी शेर बच्चा  बहादुर राव बालकिशन अपने 5000 अहीर जानिसारों के साथ करनाल के रण-खेतो में अड़ के खड़ा हुआ था ! नादिरशाह को तब तक फ़तेह नसीब नहीं हो सकती थी जब तक अहीर योद्धा  शमशीर लिए पहाड़ बन कर खड़े थे !  तलवारों और हथियारों से करनाल के रणखेत पट गए थे पर फिर भी रण -बांके रेवाड़ी के- नाम "वीर अहीर" को अमर कर रहे थे ! और अंत क्या - एक विशाल फौज के सामने लड़ते हुए  गौरवशाली ,बलशाली और तेग का धनी -  वीर पुत्र राव बालकिशन अपने भाइयो के साथ सहीद हो गए ! युद्ध का अंत तमाम मर्द अहीरो के सहीद होने के बाद हो गया ! 
युद्ध के बाद नादिरशाह मुग़ल बादशाह से मिला तो राव बालकिशन और उसके मर्द अहीरों की दिलावरी की तारीफ़ करते हुए ब्यान किया -"अगर फौजशाही उस बहादुर सरदार का तहेदिल से साथ देती और जंगे-मैदान से फरार नहीं होती तो आज हम को दिल्ली देखना नसीब नहीं होता, बल्कि वापस ईरान लोटना मुश्किल हो जाता अगर वोह दिलावर मर्द मैदाने जंग में शहीद न हो गया होता ". मुग़ल बादशाह सन्न रह गया अहीर यदुबंशी  वीर पुत्र की तारीफ़ नादिर शाह के मुह से सुनकर ।।जय हो राव बालकिशन धन्य है भारत माता जहा आप जैसे वीर पैदा होते है

जय अहीरवाल 🚩
#raobalkishan #ahir #history #viralpost #trendingpost

गूगल इतना ताकतवर है कि वो दूसरे सर्च सिस्टम को हमसे "छुपा" लेता है। हम उनमें से अधिकांश के अस्तित्व को नहीं जानते हैं,

गूगल इतना ताकतवर है कि वो दूसरे सर्च सिस्टम को हमसे "छुपा" लेता है। हम उनमें से अधिकांश के अस्तित्व को नहीं जानते हैं,
इस बीच, दुनिया में अभी भी बड़ी संख्या में उत्कृष्ट खोजकर्ता हैं जो किताबों, विज्ञान, अन्य स्मार्ट जानकारी में विशेषज्ञ हैं

उन साइटों की एक सूची रखें जिनके बारे में आपने कभी नहीं सुना है,

www.refseek.com - शैक्षणिक संसाधन खोज, एक अरब से अधिक स्रोत: एन्साइक्लोपीडिया, मोनोग्राफियां, पत्रिकाएं,

www.worldcat.org - 20 हजार विश्वव्यापी पुस्तकालयों की सामग्री के लिए एक खोज, पता लगाएं कि आपको सबसे नजदीकी दुर्लभ पुस्तक कहाँ है,

https://link.springer.com - 10 मिलियन से अधिक वैज्ञानिक दस्तावेजों तक पहुंच: किताबें, लेख, अनुसंधान प्रोटोकॉल,

www.bioline.org.br विकासशील देशों में प्रकाशित वैज्ञानिक जैव विज्ञान पत्रिकाओं का एक पुस्तकालय है

http://repec.org - 102 देशों के स्वयंसेवकों ने अर्थशास्त्र और संबंधित विज्ञान पर लगभग 40 लाख प्रकाशन एकत्र किए हैं,

www.science.gov 2200+ वैज्ञानिक साइटों पर एक अमेरिकी राज्य खोज इंजन है, 200 मिलियन से अधिक लेख इंडेक्स किए गए हैं,

www.base-search.net शैक्षणिक अध्ययन ग्रंथों पर सबसे शक्तिशाली शोधों में से एक है, 100 करोड़ से अधिक वैज्ञानिक दस्तावेज, उनमें से 70% मुफ्त हैं.

वाया: तसीन आजाद

टिशू पेपर का बेवजह इस्तेमाल बंद करें: पेड़ों की रक्षा के लिए हमारी जिम्मेदारी

टिशू पेपर का बेवजह इस्तेमाल बंद करें: पेड़ों की रक्षा के लिए हमारी जिम्मेदारी

हमारे दैनिक जीवन में टिशू पेपर का उपयोग इतना आम हो गया है कि हम इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। क्या आप जानते हैं कि केवल एक व्यक्ति के लिए जीवन भर का टॉयलेट पेपर बनाने के लिए 384 पेड़ों को काटने की जरूरत होती है? यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है और हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारा आराम और सुविधा पेड़ों की बलि चढ़ा सकते हैं?

पेड़ हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे न केवल हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि हमारी पृथ्वी के तापमान को भी नियंत्रित करते हैं और वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करते हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से न केवल हमारे पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि यह हमारे आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी खतरे में डालती है।

हमें अपने टिशू पेपर के उपयोग को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। हम अपने दैनिक जीवन में कई सरल विकल्प अपना सकते हैं। उदाहरण के लिए, कपड़े के नैपकिन का उपयोग, जो पुन: प्रयोज्य होते हैं और पर्यावरण के लिए नुकसानदेह नहीं होते। हम इलेक्ट्रॉनिक ड्रायर्स का भी उपयोग कर सकते हैं, जो पेपर टॉवेल की तुलना में अधिक पर्यावरण-मैत्री हैं।

आइए, हम सब मिलकर इस बदलाव की शुरुआत करें और अपने परिवार, दोस्तों और समाज को भी इसके लिए प्रेरित करें। हर छोटा कदम बड़ा परिवर्तन ला सकता है। हमें यह समझना होगा कि हमारे छोटे-छोटे प्रयास ही एक बड़ा अंतर ला सकते हैं।

#पेड़ोंकीरक्षा #टिशूपेपरबंद #पर्यावरणसंरक्षण #हराभरा #स्वच्छधरती #savenature #viralchallenge #viralpost 

आज ही संकल्प लें कि हम टिशू पेपर का बेवजह इस्तेमाल बंद करेंगे और एक पर्यावरण-मैत्री जीवन शैली अपनाएंगे। अपने आस-पास के लोगों को भी इस दिशा में जागरूक करें और हमारे ग्रह को हरा-भरा और स्वस्थ बनाए रखने में योगदान दें। पेड़ों की रक्षा करें, पर्यावरण की रक्षा करें, और एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।  Lets join our hands together.....

कभी भी गिलास में पानी ना पियें,जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है,

🏺कभी भी गिलास में पानी ना पियें,

जानिए लोटे और गिलास के पानी में अंतर

⚱भारत में हजारों साल की पानी पीने की जो सभ्यता है वो गिलास नही है,

 ये गिलास जो है विदेशी है. गिलास भारत का नही है.

 गिलास यूरोप से आया. और यूरोप में पुर्तगाल से आया था. 

ये पुर्तगाली जबसे भारत देश में घुसे थे तब से गिलास में हम फंस गये. गिलास अपना (भारत का) नहीं हैं।

अपना लोटा है. और लोटा कभी भी एकरेखीय नही होता.

  वागभट्ट जी कहते हैं कि जो बर्तन एकरेखीय हैं उनका त्याग कीजिये. वो काम के नही हैं. 
इसलिए गिलास का पानी पीना अच्छा नही माना जाता.

 लोटे का पानी पीना अच्छा माना जाता है. 

इस पोस्ट में हम गिलास और लोटे के पानी पर चर्चा करेंगे और दोनों में अंतर बताएँगे.
फर्क सीधा सा ये है कि आपको तो सबको पता ही है कि पानी को जहाँ धारण किया जाए, उसमे वैसे ही गुण उसमें आते है.

 पानी के अपने कोई गुण नहीं हैं. जिसमें डाल दो उसी के गुण आ जाते हैं.

 दही में मिला दो तो छाछ बन गया, तो वो दही के गुण ले लेगा. दूध में मिलाया तो दूध का गुण.
लोटे में पानी अगर रखा तो बर्तन का गुण आयेगा. अब लौटा गोल है तो वो उसी का गुण धारण कर लेगा. 

और अगर थोडा भी गणित आप समझते हैं तो हर गोल चीज का सरफेस टेंशन कम रहता है.

 क्योंकि सरफेस एरिया कम होता है तो सरफेस टेंशन कम होगा. तो सरफेस टेंशन कम हैं तो हर उस चीज का सरफेस टेंशन कम होगा. 

और स्वास्थ्य की दष्टि से कम सरफेस टेंशन वाली चीज ही आपके लिए लाभदायक है.

अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाली चीज आप पियेंगे तो बहुत तकलीफ देने वाला है. क्योंकि उसमें शरीर को तकलीफ देने वाला एक्स्ट्रा प्रेशर आता है.

🏺
गिलास और लोटे के पानी में अंतर
---+---+---+---+---+---+---+---+---+---
गिलास के पानी और लोटे के पानी में जमीं आसमान का अंतर है. इसी तरह कुंए का पानी, कुंआ गोल है इसलिए सबसे अच्छा है. 

आपने थोड़े समय पहले देखा होगा कि सभी साधू संत कुए का ही पानी पीते है. न मिले तो प्यास सहन कर जाते हैं, 

जहाँ मिलेगा वहीं पीयेंगे. वो कुंए का पानी इसीलिए पीते है क्यूंकि कुआ गोल है, और उसका सरफेस एरिया कम है. 

सरफेस टेंशन कम है. और साधू संत अपने साथ जो केतली की तरह पानी पीने के लिए रखते है वो भी लोटे की तरह ही आकार वाली होती है. 
🏺
सरफेस टेंशन कम होने से पानी का एक गुण लम्बे समय तक जीवित रहता है. 

"पानी का सबसे बड़ा गुण है सफाई करना".

अब वो गुण कैसे काम करता है वो आपको बताते है. आपकी बड़ी आंत है और छोटी आंत है, 
आप जानते हैं कि उसमें मेम्ब्रेन है और कचरा उसी में जाके फंसता है. पेट की सफाई के लिए इसको बाहर लाना पड़ता है. 

ये तभी संभव है जब कम सरफेस टेंशन वाला पानी आप पी रहे हो. अगर ज्यादा सरफेस टेंशन वाला पानी है तो ये कचरा बाहर नही आएगा, मेम्ब्रेन में ही फंसा रह जाता है.

🏺
दुसरे तरीके से समझें, आप एक एक्सपेरिमेंट कीजिये. थोडा सा दूध ले और उसे चेहरे पे लगाइए, 5 मिनट बाद रुई से पोंछिये. तो वो रुई काली हो जाएगी. 

स्किन के अन्दर का कचरा और गन्दगी बाहर आ जाएगी. इसे दूध बाहर लेकर आया. 

अब आप पूछेंगे कि दूध कैसे बाहर लाया तो आप को बता दें कि दूध का सरफेस टेंशन सभी वस्तुओं से कम है. 
तो जैसे ही दूध चेहरे पर लगाया,
 दूध ने चेहरे के सरफेस टेंशन को कम कर दिया .

क्योंकि जब किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के सम्पर्क में लाते है तो वो दूसरी वस्तु के गुण ले लेता है.
🏺
इस एक्सपेरिमेंट में दूध ने स्किन का सरफेस टेंशन कम किया और त्वचा थोड़ी सी खुल गयी. 

और त्वचा खुली तो अंदर का कचरा बाहर निकल गया. यही क्रिया लोटे का पानी पेट में करता है.

 आपने पेट में पानी डाला तो बड़ी आंत और छोटी आंत का सरफेस टेंशन कम हुआ और वो खुल गयी और खुली तो सारा कचरा उसमें से बाहर आ गया.

 जिससे आपकी आंत बिल्कुल साफ़ हो गई. 

अब इसके विपरीत अगर आप गिलास का हाई सरफेस टेंशन का पानी पीयेंगे तो आंते सिकुडेंगी क्यूंकि तनाव बढेगा. 

तनाव बढते समय चीज सिकुड़ती है और तनाव कम होते समय चीज खुलती है.

 अब तनाव बढेगा तो सारा कचरा अंदर जमा हो जायेगा और वो ही कचरा , मुल्व्याद जैसी सेंकडो पेट की बीमारियाँ उत्पन्न करेगा.
🏺
इसलिए कम सरफेस टेंशन वाला ही पानी पीना चाहिए.

 इसलिए लोटे का पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है, गोल कुए का पानी है तो बहुत अच्छा है.

 गोल तालाब का पानी, पोखर अगर खोल हो तो उसका पानी बहुत अच्छा. नदियों के पानी से कुंए का पानी अधिक अच्छा होता है.

 क्योंकि नदी में गोल कुछ भी नही है वो सिर्फ लम्बी है, उसमे पानी का फ्लो होता रहता है. 

नदी का पानी हाई सरफेस टेंशन वाला होता है और नदी से भी ज्यादा ख़राब पानी समुन्द्र का होता है उसका सरफेस टेंशन सबसे अधिक होता है.
🏺
अगर प्रकृति में देखेंगे तो बारिश का पानी गोल होकर धरती पर आता है.

 मतलब सभी बूंदे गोल होती है क्यूंकि उसका सरफेस टेंशन बहुत कम होता है. 

तो गिलास की बजाय पानी लोटे में पीयें.  लोटे ही घर में लायें. गिलास का प्रयोग बंद कर दें. 

#niteshmzp #नितेश_उत्तर_प्रदेश 
तो वागभट्ट जी की बात मानिये और लोटे वापिस लाइये

Sunday, 23 June 2024

आत्मसम्मान का पूर्ण अभाव कैसा दिखता है?

आत्मसम्मान का पूर्ण अभाव कैसा दिखता है?

हिन्दू, जिसके पास 13 उपनिषद हैं, दो महाकाव्य हैं, बारह ज्योतिर्लिंग, चार धाम और सैंकड़ों प्राचीन मंदिर हैं उसको तब भी कौन सी कमी रह जाती है जो ऐसी जगह जाना ही पड़ता है जहाँ उनपर किसी भी बात पर बेअदबी का आरोप लग सकता है?

2019 से भी बहुत पहले एक परिचित युवती का अनुभव मुझे याद है कि वह अपनी लोकलिटी में ऐसी ही विजिट पर थी, नियमतः उसने सिर को ढंका भी हुआ था पर वस्त्र के जरा आगे-पीछे होने पर बहुत हार्श ढंग से चिल्लाहट का सामना करना पड़ रहा था, वह फिर से वहाँ कभी नहीं गई।
वहीं अगर कन्याएँ आस-पास मंदिर जाएँ तो न सिर ढँकने का कोई ऑब्लिगेशन है, न ऐसा रीस्ट्रिक्शन कि जीन्स नहीं पहनना है या टीशर्ट नहीं पहनना है (नए उगे माॅडेस्टी- obsessed धर्मरक्षकों को इग्नोर करें), ऐट लीस्ट उनपर चिल्लाया नहीं जाएगा, बेअदबी का आरोप नहीं लगेगा। वह लड़की जिसने पाँच सेकेंड योगमुद्राएँ परफाॅर्म की, किसी मंदिर प्रांगण में की होती तो यह उसके लिए घर के जैसा होता।

हिन्दू कब सच में अपनी एथ्निसिटी पर प्राइड लेना शुरु करेंगे? आपके मंदिरों में भी कम भंडारे नहीं होते, बस आप इसके फोटोज वायरल नहीं करते पेज बनाकर। आप सबसे कलरफुल, समृद्ध और उदार संस्कृति के फाॅलोवर हैं, यू लिव इन ए राॅयल पैलेस, डोन्ट बी अनवान्टेड गेस्ट एनिव्हेअर, क्नोव योर वर्थ। सेल्फ-रिस्पेक्ट शुड बी द प्रायरिटी।

Friday, 21 June 2024

योग स्वास्थ्य के साथ साथ विश्व की संस्कृतियों को भी जोड़ता है फरहत अली खान*

*योग स्वास्थ्य के साथ साथ विश्व की संस्कृतियों को भी जोड़ता है फरहत अली खान*

सांस्कृतिक आदान-प्रदान और वैश्विक सौहार्द के शानदार प्रदर्शन में, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) ने हाल ही में मिस्र में एक उल्लेखनीय कार्यक्रम आयोजित किया: #YogaAtIconicPlace. @iccr_egypt और @indembcairo (मिस्र में भारत, काहिरा में भारतीय दूतावास का आधिकारिक पेज) द्वारा समर्थित इस पहल ने न केवल योग के अभ्यास का जश्न मनाया, बल्कि विश्व मंच पर भारत की सॉफ्ट पावर के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में इसके गहन प्रभाव को भी रेखांकित किया। योग, जो कभी भारत के शांत आश्रमों तक सीमित था, भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर एक पोषित वैश्विक घटना बन गया है। इसकी अपील दूर-दूर तक फैली हुई है, जो व्यस्त महानगरों से लेकर शांत परिदृश्यों तक के उत्साही लोगों को आकर्षित करती है। योग का सार, समग्र कल्याण और आध्यात्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में निहित है, सार्वभौमिक रूप से प्रतिध्वनित होता है, जो इसे सांस्कृतिक कूटनीति के लिए एक शक्तिशाली माध्यम बनाता है।
 शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण पर केंद्रित एक धर्मनिरपेक्ष अभ्यास के रूप में योग को बढ़ावा देकर, भारत ने इसके सार का राजनीतिकरण या गलत अर्थ लगाने के किसी भी प्रयास का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया है। प्राचीन अभ्यास से वैश्विक घटना तक योग की यात्रा एक सांस्कृतिक महाशक्ति के रूप में भारत के अपने विकास को दर्शाती है।  जैसे-जैसे योग वैश्विक समाज के ताने-बाने में अपनी जगह बना रहा है, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझ को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका सर्वोपरि बनी हुई है। जैसे-जैसे दुनिया योग की परिवर्तनकारी शक्ति को तेजी से अपना रही है, राष्ट्रों और संस्कृतियों के बीच पुल बनाने की इसकी क्षमता पहले से कहीं अधिक चमक रही है।                                                                    
 फरहत अली खान 
अध्यक्ष मुस्लिम महासंघ

Thursday, 20 June 2024

स्योहारा इंडेन गैस सर्विस राहगीरों को ठंडा मीठा रूह अफजा का शरबत पिलाया राहगीरों ने दुआओं से नवाजा

स्योहारा इंडेन गैस सर्विस राहगीरों को ठंडा मीठा रूह अफजा का शरबत पिलाया राहगीरों ने दुआओं से नवाजा
स्योहारा/डॉ०उस्मान ज़ैदी
     स्योहारा इंडेन गैस सर्विस स्वामी बालेश अग्रवाल क्षेत्र में गैस उपभोक्ताओं को ईमानदारी व जिम्मेदारी के साथ समय पर गैस उपलब्ध करने के लिए जाने जाते हैं! इसके साथ-साथ समय-समय पर समाज सेवाओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना उनके स्वभाव का हिस्सा है!ऐसी चिलचिलाती भीषण गर्मी में स्वामी बलेश अग्रवाल प्रबंधक संदीप शर्मा गोदाम कीपर हर्षित हर्षित विश्नोई विनीत कुमार सांची चौहान   
अशोक सैनी राहुल पाल ऋषिपाल सैनी धीरे सैनी गौरव सैनी तेजवीर सैनी अनिल सैनी छोटू रावत पवन कुमार जागेश सैनी निपेंद्र यादव शाकिर हुसैन आरिफ हुसैन नरदेव उर्फ बंटी सैनी, एवं समस्त  स्टाफ सहित आते जाते राहगीरों के लिए रूह अफजा शरबत की छबील लगाकर, गर्मी का एहसास काम करने के लिए ठंडा मीठा रूह अफजा शरबत पिलाया आते जाते राहगीरों ने पर्याप्त मात्रा में शरबत पीकर गैस एजेंसी स्वामी की जमकर सराहना विदाई दी, ठंडा मीठा शरबत पिलाकर पुण्य के काम करने के साथ-साथ समाज एक मानव सेवा का संदेश दिया!

Friday, 14 June 2024

झरने का दौरा करने का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान जून से सितंबर तक होता है, जब पानी का प्रवाह अपने चरम पर होता है, जिससे एक राजसी, शानदार दृश्य बनता है।

अंबोली झरना भारत में दक्षिण महाराष्ट्र के अंबोली हिल स्टेशन में स्थित है। भारत के पश्चिमी भाग की सह्याद्रि पहाड़ियों में स्थित, अंबोली समुद्र तल से 690 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और इसे दुनिया के इको स्पॉट में से एक माना जाता है, क्योंकि यह वनस्पतियों और जीवों की असामान्य प्रजातियों का घर है। अंबोली झरना सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है, जो अंबोली में पाया जा सकता है, और पूरे वर्ष कई पर्यटकों द्वारा इसका दौरा किया जाता है।

झरने का दौरा करने का सबसे अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान जून से सितंबर तक होता है, जब पानी का प्रवाह अपने चरम पर होता है, जिससे एक राजसी, शानदार दृश्य बनता है।

पर्यटक झरने तक पहुंचने के लिए इत्मीनान से टहल सकते हैं या ट्रैकिंग विकल्पों के साथ अधिक साहसिक मार्ग चुन सकते हैं। पश्चिमी घाट की पृष्ठभूमि में गिरते पानी का दृश्य वास्तव में देखने लायक है और फोटो खींचने के शानदार अवसर प्रदान करता है।

जबकि झरना एक सितारा आकर्षण है, अंबोली देखने के लिए और भी बहुत कुछ प्रदान करता है। यहां कुछ अन्य आकर्षण हैं, जिन्हें आप अपनी अंबोली झरना यात्रा में शामिल कर सकते हैं।

शिरगांवकर प्वाइंट:- यह दृष्टिकोण अंबोली की हरी-भरी घाटियों और घने जंगलों का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।

महादेवगढ़ किला:- एक ऐतिहासिक किला जो आपको समय में पीछे ले जाता है, आसपास के परिदृश्य का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।

हिरण्यकेशी मंदिर:- शांत वातावरण के बीच स्थित भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र मंदिर।

अंबोली वन अभ्यारण्य:- वन्यजीवों की विभिन्न प्रजातियों का घर और पक्षी देखने वालों के लिए स्वर्ग।

कवलेसाद प्वाइंट:- शानदार दृश्यों और ठंडी हवा के साथ एक और दृष्टिकोण।

Thursday, 13 June 2024

अल्लाह कुरान और नबी ने पढ़ाई को अहमियत दी मगर मुसलमान नही देता फरहत अली खान*

*अल्लाह कुरान और नबी ने पढ़ाई को अहमियत दी मगर मुसलमान नही देता फरहत अली खान*

इस्लाम ने शिक्षा प्राप्त करने को बहुत महत्व दिया है। यह इस तथ्य से परिलक्षित हो सकता है कि अल्लाह द्वारा पैगंबर मुहम्मद (PBUH) पर उतारा गया पहला शब्द "इकरा..." था, जिसका अर्थ है, पढ़ना, सुनाना, घोषणा करना। गहराई से, शब्द इकरा को समझने, विश्लेषण करने, जांच करने, वितरित करने, अध्ययन करने आदि के लिए अधिक व्यापक रूप से व्याख्या या अनुवाद किया जा सकता है। कुरान पढ़ने, अध्ययन करने, चिंतन करने और जांच करने के महत्व पर जोर देता है, और यह सभी मुसलमानों के लिए निर्धारित एक आदेश है। इसलिए ज्ञान प्राप्त करना एक पवित्र कर्तव्य है। हम, मुसलमानों और कुरान के अनुयायियों के रूप में, जीवन के सभी पहलुओं में शिक्षा प्राप्त करना अपने लिए अनिवार्य बना लेना चाहिए ताकि हम दोनों जहान में सफल हो सकें।
आज के दौर में मुस्लिम महिलाओं को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पडता है। क्यों की वह दूसरो पर निर्भर करती हैं। अब वो समय आ गया है की महिलाओं को अपने पिता, भाई, पति या बेटे को आय के स्रोत के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए। एक करियर महिला के रूप में, मेरा संदेश ज़ोरदार और स्पष्ट है, खुद को शिक्षित करें और एक सभ्य सम्मानजनक जीवन जिएँ। मुसलमान को अल्लाह कुरान और नबी के हुक्म को मानते हुए पांच फर्जो की तरह, छटा फ़र्ज़ शिक्षा को मानते हुए इल्म हासिल करनी की पूरी कोशिश करना चाहिए । इस नेक कार्य में मुस्लिम महिलाओ को अहम भूमिका निभानी पड़ेगी।
 फरहत अली खान 
राष्ट्रीय अध्यक्ष मुस्लिम महासंघ
*****

दिल्ली में पर्दे के पीछे हुई तेजी से बदलती घटनाएँ*

*दिल्ली में पर्दे के पीछे हुई तेजी से बदलती घटनाएँ*

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह स्पष्ट हुआ कि भाजपा को केवल 240 सीटें मिलेंगी। उस समय श्री मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह और नड्डा ने विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया कि हम विपक्ष में बैठेंगे। और गठबंधन के साथियों को फोन कर सूचित किया गया कि आप स्वतंत्र हैं अपना निर्णय लेने के लिए। इंडी अलायंस को शासन करना चाहिए। सबसे पहले चिराग पासवान और शिंदे ने कहा कि हम आपके फैसले में शामिल हैं और हम भी विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं। ध्यान दें कि मोदी पार्टी कार्यालय में दोपहर चार बजे आने वाले थे, लेकिन वे देर शाम आए, इसका कारण यही था।
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में रहने वाले मेरे एक मित्र ने यह रोमांचक और बेहद नाटकीय घटनाक्रम, जो एक आम आदमी की समझ से परे है, मुझे 5 जून को ही बताया था।

मोदी ने दोपहर में नायडू और नीतीश को फोन किया था ताकि उन्हें यह बता सकें कि आप अपना देख लो, हमें कोई आपत्ति नहीं है। मोदी के इस फैसले को सुनकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। दोनों ही ठंडे पड़ गए क्योंकि उन्हें इंडी दलों की स्थिति का पता था। मोदी के इस निर्णय की खबर इंडी दलों को भी पहुंचाई गई।

खडगे, जयराम रमेश को तो झटका ही लगा क्योंकि वे मानसिक रूप से इस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार नहीं थे। फिर भी उन्होंने यह खबर बाहर न आने देते हुए केवल शरद पवार को नीतीश और नायडू से बात करने के लिए कहा। उनकी विनती पर पवार ने नीतीश को फोन किया।
नीतीश ने शरद पवार से पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मोदी विपक्ष में बैठने को तैयार हो गए हैं? शरद पवार ने नीतीश से कहा कि मुझे यह नहीं पता है। मुझे केवल आपके संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। तब नीतीश जी ने शरद पवार को सब कुछ बताया, और यह भी पूछा कि सभी के खाते में 8500 रुपये देने होंगे और संपत्ति का वितरण पिछड़े वर्ग के लोगों को करना होगा, यह दो बड़े वादे कांग्रेस ने लोगों से किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री कौन होगा? यह सुनकर पवार को समझ आया कि उन्हें अंधेरे में रखा गया है। उन्होंने सबसे पहले अखिलेश यादव को फोन किया और बताया कि भाई, ऐसा हुआ है और कांग्रेस हमें अंधेरे में रखकर कुछ साजिश कर रही है। इतने पर पवार ने खडगे को फोन करके नाराजगी जताई कि आपने मुझे क्यों नहीं बताया कि भाजपा विपक्ष में बैठने को तैयार है? खडगे ने पवार से कहा कि यह खबर उड़ते-उड़ते आई थी इसलिए नहीं बताया। पवार ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री तय करें और फिर आगे बढ़ें। इसी बीच अखिलेश यादव ने भी खडगे को फोन करके कहा कि मुझसे पूछे बिना कुछ नहीं करना, नहीं तो मैं अकेला अलग बैठ जाऊंगा। यह खबर इंडी गठबंधन में फैल गई, जबकि नतीजे आ ही रहे थे, लेकिन हर जगह हड़कंप मच गया।
इंडी दलों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि प्रति व्यक्ति 8500 रुपये/माह और अमीर लोगों के पैसे लेकर उनका वितरण पिछड़े वर्ग में कैसे किया जाए, क्योंकि कांग्रेस ने जल्द से जल्द पैसे देने का वादा किया था।
पर्दे के पीछे जबरदस्त उठा-पटक चल रही थी। इंडी दलों को तो छोड़ें, नायडू और नीतीश कुमार को भी उम्मीद नहीं थी कि मोदी और शाह ऐसा फैसला लेंगे।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू ने भाजपा के बड़े नेताओं से फोन पर संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि हम भाजपा के साथ ही रहना चाहते हैं, मोदी को तुरंत सरकार बनानी चाहिए।
भाजपा की 240 सीटें और पासवान, शिंदे सहित अन्य छोटे सहयोगियों को मिलाकर संख्या 264 हो जाती थी। इतना मजबूत विपक्ष होते हुए हम इंडी गठबंधन के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि मोदी और शाह विपक्ष में बैठकर कोई भजन नहीं करने वाले थे, यह निश्चित था।
इधर मोदी और शाह को जयंत चौधरी के माध्यम से इंडी गठबंधन के भीतर के गड़बड़ी का पता चल गया था।
उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा ने मुस्लिम वर्ग में यह अफवाह फैला दी कि कांग्रेस का सरकार बन गई है और बैंक में सभी को 8500 रुपये मिलेंगे। इस वजह से बंगलोर और लखनऊ में बैंकों में मुस्लिम महिलाओं की लंबी कतारें लग गई थीं।

इंडी गठबंधन के नेताओं के बीच सवाल खड़ा हो गया कि अगर हम सरकार बनाते हैं, तो हमें वादे के अनुसार तुरंत 100000 रुपये प्रति वर्ष देने होंगे, भले ही हम समान संपत्ति के वितरण को कुछ समय बाद करने का वादा कर सकते हैं, लेकिन यह 8500 रुपये/प्रति माह कैसे देंगे? इस तरह प्रधानमंत्री बनना मतलब सूली पर चढ़ने जैसा होगा। महिलाओं की आधी जनसंख्या को ही मानें तो प्रति महिला एक लाख रुपये के हिसाब से साठ लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष होते हैं। और इधर तो लोग बैंकों में भी आना शुरू कर चुके हैं। भाजपा ने हवा फैला दी कि बैंक जाओ और पैसे ले लो।
इस पर यह समाधान निकला कि फिर ऐसा करें कि नीतीश और नायडू हमें, मतलब इंडी दलों को समर्थन दें, कांग्रेस भी बाहरी समर्थन दिखाएगी और सरकार में शामिल नहीं होगी। मतलब ये पैसे देने और संपत्ति के समान वितरण करने का सवाल ही नहीं उठेगा। कांग्रेस बता सकेगी कि हमारी सरकार नहीं है, हमारी बात नहीं मानी जाती, इसलिए हम सरकार में शामिल नहीं हुए। इससे कांग्रेस फिर से अपनी जनता के बीच अच्छी छवि बनाए रख सकेगी। कांग्रेस एक बार फिर चित भी मेरी पट भी मेरी का खेल खेल रही थी।
इस पर नीतीश और नायडू ने साफ कहा कि कांग्रेस का बाहरी समर्थन देने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। उन्होंने ऐसे ही चरण सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, गुजराल को बाहरी समर्थन दिया था और फिर अचानक वापस ले लिया था और इन सभी की सरकारें कुछ ही दिनों में गिर गई थीं। हम आपके साथ नहीं आएंगे, और वहां इतनी मजबूत विपक्ष होने पर मोदीजी शांत नहीं बैठेंगे। इतना ही नहीं, बिहार में भाजपा समर्थन वापस लेगी, यह अलग बात है और बिहार में तेजस्वी का मुख्यमंत्री पद का दावा पहले से ही था, जिससे नीतीश कुमार के सामने इधर कुआं उधर खाई जैसी स्थिति थी। सोचिए, नतीजे आने के दौरान कितनी तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम पर्दे के पीछे चल रहा था। इसी वजह से नीतीश कुमार और नायडू ठंडे पड़ गए और उन्होंने मोदी और शाह से सरकार बनाने का अनुरोध किया और समर्थन देने का आश्वासन दिया।

गुज्जुभाई मन ही मन हंस रहे थे। उन्होंने यह सब जानबूझकर नाटक किया था। उन्हें एक तरफ इंडी दलों और सभी हितधारकों को दिखाना था कि 8500 रुपये प्रति माह और संपत्ति का समान वितरण का उनका वादा कितना फर्जी है। साथ ही, यह दिखाना था कि यह आने वाले इंडी गठबंधन सरकार के लिए कैसे गले की फांस है। उसी समय, एनडीए के दो प्रमुख घटक दल नीतीश और नायडू की बार्गेनिंग पॉवर कम करनी थी, इसलिए गुज्जुभाई ने हाथ ऊपर उठाकर देने का नाटक किया।
नीतीश और नायडू का दिमाग दो घंटे में ठिकाने पर लाना पहला काम था, जो सफल रहा। फिर अमित शाह ने दूसरा बम फेंका कि सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी पूरी तरह भाजपा की होगी, मतलब गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय हमारे पास रहेंगे। मरता क्या न करता, दोनों ने तुरंत सहमति दी। उसके बाद रात साढ़े सात बजे नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यालय पहुंचे और उन्होंने सरकार बनाने का ऐलान किया। मोदी का भाषण कितना आत्मविश्वास से भरा था, यह आप याद करें।
इस तरह तेज राजनीतिक घटनाक्रम पर्दे के पीछे चल रहा था, जिसकी वजह से नीतीश कुमार बार-बार एनडीए की बैठक में कहते रहे कि सरकार जल्दी बनाओ और 9 जून की बजाय 8 जून को शपथ लो और हमारा टेंशन दूर करो।
इधर 5 जून और 6 जून को भी लखनऊ और बंगलोर में लोग बैंकों और कांग्रेस कार्यालयों में पैसे लेने आते रहे। भाजपा ने हवा फैला दी थी कि जाओ पैसे मिल रहे हैं।
इसीलिए शाम को इंडी गठबंधन की बैठक में यह निर्णय हुआ कि हम कोई फोड़-फोड़ न करें, नहीं तो हमें लोकक्षोभ का सामना करना पड़ेगा और बदनामी होगी और फिर जनता हम पर विश्वास नहीं करेगी। राहुल गांधी की जल्दी से 8500 रुपये वाली घोषणा ऐसी विपत्ति बन गई।

इसलिए खडगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम सही समय आने पर भाजपा सरकार को हराएंगे और हम कोई सरकार नहीं बनाएंगे।
इसे चाणक्य नीति कहते हैं, एक पत्थर से दो पक्षी मारना। एनडीए में नीतीश और नायडू,

 इन दोनों पक्षों को गुज्जुभाई ने ठिकाने लगाया।  10 जून को घोषित मंत्रिमंडल के बंटवारे से पूरी स्थिति पर मोदी और शाह का नियंत्रण साबित होता है।
यह अटल और आडवाणी की भाजपा नहीं है, यह ध्यान में रखते हुए हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
इसे ऑफेंसिव डिफेंस कहते हैं।
मोदी पूरी ताकत के साथ एक्शन में हैं।

सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ " भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??

"सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ " 
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।

आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक  ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
 अगर मेरी पोस्ट अच्छी लगे तो आप भी अपनी राय अवश्य दें ...🤗🤗
आपकी अपनी सोनू चौधरी 💘💘💘

सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका】

सिकंदर को हराने वाली कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका】
राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य  की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा थी। रणनीति और दुश्मनों के युद्ध चक्रव्यूह को तोड़ने में पारंगत थी। राजकुमारी कार्विका ने अपने बचपन की सहेलियों के साथ फ़ौज बनाई थी।
जिस उम्र में लड़कियाँ गुड्डे गुड्डी का शादी रचना खेल खेलते थे उस उम्र में कार्विका को शत्रु सेना का दमन कर के देश को मुक्त करवाना,शिकार करना इत्यादि ऐसे खेल खेलना पसंद थे। राजकुमारी धनुर्विद्या के सारे कलाओं में निपुण थी, दोनो हाथो से तलवारबाजी करते मां कालीका प्रतीत होती थीं।
कुछ साल बाद जब भयंकर तबाही मचाते हुए सिकंदर की सेना नारियों के साथ दुष्कर्म करते हुए हर राज्य को लूटते हुए कठगणराज्य की ओर आगे बढ़ रही थी, तब अपनी महिला सेना जिसका नाम राजकुमारी कार्विका ने चंडी सेना रखी थी जो कि ८००० से ८५०० विदुषी नारियों की सेना थी, के साथ युद्ध करने का ठाना।
३२५(इ.पूर्व) में सिकन्दर  के अचानक आक्रमण से राज्य को थोडा बहुत नुक्सान हुआ पर राजकुमारी कार्विका पहली योद्धा थी जिन्होंने सिकंदर से युद्ध किया था। सिकन्दर की सेना लगभग १,५०,००० थी और कठगणराज्य की महज आठ हज़ार वीरांगनाओं की सेना थी जिसमें कोई पुरुष नहीं जो कि ऐतिहासिक है।
सिकंदर ने पहले सोचा "सिर्फ नारी की फ़ौज है , मुट्ठीभर सैनिक काफी होंगे” पहले २५००० की सेना का दस्ता भेजा गया उनमे से एक भी ज़िन्दा वापस नहीं आ पाया।राजकुमारी की सेना में ५० से भी कम वीरांगनाएँ घायल हुई थी पर मृत्यु किसी को छु भी नहीं पायी थी।
दूसरी युद्धनीति के अनुसार सिकंदर ने ४०,००० का दूसरा दस्ता भेजा उत्तर पूरब पश्चिम तीनों और से घेराबन्दी बना दिया परंतु राजकुमारी सिकंदर जैसे कायर नहीं थी खुद सैन्यसंचालन कर रही थी उनके निर्देशानुसार सेना ने तीन भागो में बंट कर लड़ाई किया और सिकंदर की सेना पस्त हो गई।
तीसरी और अंतिम ८५,०००० दस्ताँ का मोर्चा लिए खुद सिकंदर आया। नंगी तलवार लिये राजकुमारी कार्विका ने अपनी सेना के साथ सिकंदर को अपनी सेना लेकर सिंध के पार भागने पर मजबूर कर दिया। इतनी भयंकर तवाही से पूरी तरह से डर कर सैन्य के साथ पीछे हटने पर सिकंदर मजबूर हो गया।
सिकंदर की १,५०,००० की सेना में से २५,००० के लगभग सेना शेष बची थी , हार मान कर प्राणों की भीख मांग लिया सिकंदर ने और कठगणराज्य में दोबारा आक्रमण नहीं करने का लिखित संधी पत्र दिया राजकुमारी कार्विका को।
इस महाप्रलयंकारी अंतिम युद्ध में कठगणराज्य के ८,५०० में से २७५० साहसी वीरांगनाओं ने भारत माता को अपना रक्ताभिषेक चढ़ा कर वीरगति को प्राप्त कर लिया। जिसमे से इतिहास के दस्ताबेजों में गरिण्या, मृदुला, सौरायमिनि, जया यह कुछ नाम मिलते हैं।
नमन है ऐसी वीरांगनाओं को 🙏🙏
#rajkumarikarvinka #history #bharat #sikandar

Sunday, 9 June 2024

एक सप्ताह तक महा भयंकर कीर्तिमान बनाने वाली गर्मी पड़ेगी*

*एक सप्ताह तक महा भयंकर कीर्तिमान बनाने वाली गर्मी पड़ेगी*

 *दिनांक 7 जून से लेकर आगामी एक सप्ताह तक एक बार फिर जौनपुर और आसपास उत्तर भारत मध्य भारत और पश्चिम उत्तर भारत में पिछले सभी  कीर्तिमान तोड़ने वाली महा भयंकर गर्मी फिर से पड़ेगी और एक बार फिर से तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से बढ़ता हुआ जौनपुर में 48 डिग्री सेल्सियस और आसपास 49 डिग्री सेल्सियस और कई स्थानों में 50 डिग्री सेल्सियस भी पार कर सकता है यह गर्मी इस वर्ष की सबसे भयंकर और अंतिम प्रचंड गर्मी होगी इसके बाद 12 या 13 जून से गर्मी कम होनी शुरू होगी और मानसून पूर्व वर्षा का आरंभ हो जाएगा*

 *इस विकराल गर्मी की विशेषताएं  यह होगी कि इस बार की गर्मी में तेज और सूखी हवा पछुआ होगी इसके प्रभाव से तापमान अचानक बेहद बढ़ जाएगा और एक बार फिर आसमान से अग्निवार्षा होने लगेगी शरीर जलने लगेगा और बाहर निकालना अत्यंत कठिन हो जाएगा और 5 मिनट एक स्थान पर ठहरने पर शरीर में ताप लहर का प्रभाव हो जाएगा यह गर्मी मानसून पूर्व की गर्मी है इसलिए बहुत अधिक खतरनाक और सीधे सिर पर वार करने वाली होगी*


 *इस अल्ट्रावायलेट किरणों की तीव्रता 8 से 12 होने के कारण यह 44 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच की गर्मी और भी भयानक हो जाएगी और जाते-जाते सबको रुला कर जाएगी इस बार मार्च अप्रैल में जून में गर्मी ने सभी कीर्तिमान तोड़े और सबसे कम आंधी तूफान आने का योग बना इस अवधि में वायु गुणवत्ता सूचकांक की बेहद खराब रहेगा जो 200 से 300 के बीच होने से लोगों को वायु संबंधित संचारी रोगों और फेफड़ों की समस्या होगी लगातार यह ऐसी गर्मी होगी जो 4 महीने मार्च अप्रैल मय जून तक चलेगी 12 और 13 जून के बाद से मानसून पूर्व वर्ष के बाद 17 से लेकर 19 जून तक जौनपुर जनपद में और आसपास कभी भी मानसून का प्रवेश हो सकता है*

 *जो लगभग 4 महीने घनघोर वर्षा करके बाढ़ का कारण बनेगा और 1984 85 के बाद एक बार लंबी अवधि के बाद गोमती नदी में बाढ़ आने की पूर्ण संभावना दिख रही है यह इतनी विकराल हो सकती है कि नदी के किनारे पर बसने वाले पूरी तरह नदी की धारा में समाहित हो सकते हैं इस कालखंड में मानसून 7 से 8 जून तक महाराष्ट्र और बंगाल तक 12 से 13 जून तक गुजरात मध्य प्रदेश उड़ीसा और बिहार तक और 15 से 20 तक उत्तर प्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ पहुंच जाएगा और जून के अंत में संपूर्ण भारत को पार कर जाएगा घनघोर वर्षा के बाद भी भारत के 20% विभाग पर सुख और काल की छाया रहेगी 7 जून से 13 जून तक जौनपुर और आसपास इस वर्ष की यह आखिरी गर्मी है जिसमें तापमान चरम पर पहुंच जाएगा और यह 47 से 48 डिग्री ही पार कर सकता है इसके बाद भी गर्मी है अक्टूबर तक पड़ेगी लेकिन फिर तापमान कभी भी 44 डिग्री सेल्सियस के पर नहीं जाएगा डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी**

Wednesday, 5 June 2024

हे राम दुबारा मत आना अब यहाँ लखन हनुमान नही।।सौ करोड़ इन मुर्दों में अब बची किसी में जान नहीं।।

हे राम दुबारा मत आना 
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।

सौ करोड़ इन मुर्दों में 
अब बची किसी में जान नहीं।।

भाईचारे के चक्कर में,
बहनों कि इज्जत का भान नहीं।।

इतिहास थक गया रो-रोकर,
अब भगवा का अभिमान नहीं।।

याद इन्हें बस अकबर है,
उस राणा का बलिदान नही।।

हल्दीघाटी सुनसान हुई,
अब चेतक का तूफान नही।।

हिन्दू भी होने लगे दफन,
अब जलने को शमसान नहीं।।

विदेशी धरम ही सबकुछ है,
सनातन का सम्मान नही।।

हिन्दू बँट गया जातियों में,
अब होगा यूँ कल्याण नहीं।।

खतरे में हैं सिंह सावक,
इसका उनको कुछ ध्यान नहीं।।

चहुँ ओर सनातन लज्जित है,
कुछ मिलता है परिणाम नहीं।।

वीर शिवा की कूटनीति,
और राणा का अभिमान नही।।

जो चुना दिया दीवारों में,
 गुरु पुत्रों का सम्मान नही।।

हे राम दुबारा मत आना,
अब यहाँ लखन हनुमान नही।।
🪷🙏🏻🚩

Tuesday, 4 June 2024

तीसरी बार मोदी सरकार बनने पर हार्दिक बधाई फरहत अली खान*

*तीसरी बार मोदी सरकार बनने पर हार्दिक बधाई फरहत अली खान* अखिल भारतीय मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान तीसरी बार मोदी सरकार बनने पर हार्दिक बधाई दी उन्होंने कहा कि एनडीए गठबंधन  और मोदी सरकार के लिए सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई और मुबारकबाद मोदी जी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ेगा और पूरी विश्व में विश्व गुरु बनेगा ये विश्वास।।।।

भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव परिणाम की निष्पक्ष विवेचना डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

*भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव परिणाम की निष्पक्ष विवेचना डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

 *भारत के लोकसभा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं इसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन हो सकता है लेकिन इस समय जो स्थिति है उसमें बीजेपी गठबंधन ने 297 सीटें और इंडिया गठबंधन ने 226 सीटों पर विजय प्राप्त किया है भाजपा ने अकेले 245 सीटों पर विजय प्राप्त करके सबसे बड़ी सिंगल पार्टी होने का और सरकार बनाने का दावा पेश करने का अधिकार प्राप्त किया है*

 *इसके पहले जितने भी चुनाव सर्वेक्षण और एग्जिट पोल हुए थे सब बुरी तरह से विफल हो गए क्योंकि किसी भी एग्जिट पोल में भाजपा गठबंधन को 325 सीटों से कम नहीं दिखाया गया था इंडिया गठबंधन इसे अपनी जीत मान रही है तो सत्ताधारी पार्टी इसको फिर से शासन करने का जनादेश मान रहे हैं अब उन कारणों की समीक्षा करना आवश्यक है जिसके कारण भाजपा गठबंधन को पिछली बार से 50 से 60 सीटों का नुकसान और इंडिया गठबंधन को 100 सीटों से भी अधिक का फायदा  हुआ है*

 *सर्वप्रथम तो जनादेश बिल्कुल साफ है उन्होंने भाजपा गठबंधन को सरकार चलाने का जनादेश तो दिया है लेकिन इसके साथ ही एक शक्तिशाली विपक्ष को भी उसके सामने खड़ा किया है जिससे कि सत्ताधारी पार्टी एकतरफा और मनमाना निर्णय न ले सके और यह एक लोकतांत्रिक देश के लिए उचित होता है जनता को शायद ऐसा प्रतीत हुआ कि दो बार भाजपा गठबंधन को प्रचंड बहुमत देने के बाद भी भाजपा गठबंधन जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकी इसलिए इस बार उनको अपने अंदर सुधार करने का स्पष्ट संकेत दिया है साथ ही साथ विपक्षी गठबंधन इंडिया को भी यह जनता ने बिल्कुल स्पष्ट बता दिया है कि वह अभी भी देश की सरकार चलाने योग्य नहीं है भले ही वह एक साथ मिलकर आए इसके साथ निर्दलीय प्रत्याशी इस बार बहुत कम जीते हैं केवल 19 प्रत्याशी विजय हुए हैं तो जनता को निधन प्रत्याशियों पर भी भरोसा नहीं रह गया है*

 *अगली महत्वपूर्ण बात जो इस जनादेश से बिल्कुल स्पष्ट है वह यह है कि जो सरकार जनता के प्रति संवेदनशील रहेगी और उनके बीच में उनके सुख-दुख में साथ रहेगी वह कभी भी नहीं हारेगी इस कसौटी पर भाजपा और भाजपा गठबंधन के अधिकांश सांसद खरे नहीं उतरे चुनाव जीतने के बाद 5 वर्ष तो वे क्षेत्र में दिखाई ही नहीं पड़े जौनपुर के दोनों वर्तमान सांसदों का हार जाना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है इसलिए अबकी बार जनता ने लगभग उन सभी को बुरी तरह से पराजित कर दिया इसके साथ ही जनता ने विदेश नीति से अधिक महत्व महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार घूसखोरी शासन प्रशासन पुलिस में व्याप्त भीषण भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता को अत्यंत गंभीरता से लिया इसका खामियाजा भाजपा गठबंधन को भोगना पड़ा और उन्हें 55 सीटों से अधिक सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा*

 *अगला महत्वपूर्ण संदेश इस जनादेश में है कि अगर विपक्ष एक साथ संगठित होकर लड़े तो उसका मत प्रतिशत अपने आप ही बढ़ जाता है और वह जीतने की स्थिति में होती है लेकिन जनता को विपक्षी गठबंधन एक अवसरवादी संगठन से अधिक कुछ नहीं लगा इसीलिए जनता ने उन पर भरोसा नहीं किया और वह सब मिलकर भी भाजपा के अकेले 245 सीटों के पास भी नहीं पहुंच पाए यह जनादेश बिल्कुल साफ है कि विपक्षी इंडिया गठबंधन किसी भी प्रकार से शासन सत्ता करने लायक नहीं है*

*जनादेश का एक महत्वपूर्ण संकेत यह भी है कि सरकार मनमानी ढंग से बिजली पानी खाद तेल गैस सिलेंडर पेट्रोल डीजल का दम नहीं बढ़ा सकती और इसके लिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय कारण जनता की समझ के पड़े होता है यह भी सच है कि जितनी महंगाई इस बार वही उतना महंगाई कभी नहीं रही और अगर यह महंगाई का लाभ किसान और जनता को मिला होता तो बात और इसका अधिकतम लाभ पूंजी परियों के कारण मिला अब भारत जैसे देश में ₹1200 का गैस सिलेंडर दिया जाना ऊपर से भाजपा के दलालों द्वारा उसका समर्थन किया जाना जनता की समझ में नहीं आया क्योंकि सरकारी वर्ग तो सरकार में मानव मल कर रखा है लेकिन जनता के दुख दर्द व भूल गए हैं कि 5 से ₹10000 कमाने वाली देश की 90% जनता इस महंगाई को खेलने में पूरी तरह असमर्थ है इसका बहुत बड़ा खामियाजा मोदी सरकार को भुगतना पड़ा पेट्रोल डीजल का ₹100 होना और मनमानी किराया वृद्धि किया जाना किसी भी प्रकार जनता के गले से नहीं उतरा हालात या हो गई है कि 60 किलोमीटर वाराणसी का भाड़ा ₹100 से अधिक हो चुका है*

 *जनादेश का अगला महत्वपूर्ण संदेश बंगाल राजस्थान उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में देखने को मिला जो भाजपा के गढ़ माने जाते थे लेकिन यहां पर सत्तारूढ पार्टी के द्वारा ज्यादातर खराब अपराधी और घोटाले बाज छवि वाले प्रत्याशियों और बाहर से आए प्रत्याशियों या अन्य पार्टियों से आए हुए लोगों को टिकट दिया गया जिसका जनादेश ने खुलकर विरोध किया और लगभग वे सभी हार गए यह बहुत स्पष्ट रूप से संदेश दिया गया कि अगर मोदी जी खुद को साफ सुथरी छवि का नेता बताते हैं तो वह अन्य दलों से दागी अपराधी और घोटाले बाज लोगों को भाजपा में टिकट क्यों देते हैं भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर संघ और भाजपा के तमाम राजनेताओं में भी इस बात पर गहरा असंतोष था कि उनकी उपेक्षा हो रही है और इतना ही नहीं मोदी जी का तानाशाही पूर्ण रवैया बिना जनता और अपने दल के राजनेताओं को विश्वास में लिए लागू करना किसी को कदापि पसंद नहीं आया*

 *महाराष्ट्र में उठापटक और गठबंधन जनता को रास नहीं आया और इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में योगी जी की उपेक्षा और गलत प्रत्याशियों का चयन जनता बर्दाश्त नहीं कर पाई इसलिए लगभग सभी गलत प्रत्याशी हार गए योगी को महत्वपूर्ण मंचों से अलग रखना उत्तर प्रदेश में यह सब प्रदर्शित किया कि अकेले मोदी का जादू कुछ भी नहीं है मोदी के बिना योगी योगी के बिना मोदी अधूरे हैं और देश की जनता योगी को ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखती है मोदी जी ने बिना अपने कार्यकर्ताओं बड़े राजनेताओं यहां तक की योगी जी की भी अपेक्षा करते हुए जो मनमाना और तन साहब पूर्ण रवैया अपनाया उसी का फल है कि वाराणसी चुनाव बड़ी मुश्किल से डेढ़ लाख वोटो से जीत सके जबकि शिवराज सिंह चौहान 8 लाख 20 हजार और भाजपा के ही महेश शर्मा 5:30 लाख वोटो से अधिक जीते यहां तक की राहुल गांधी भी मोदी से बहुत अधिक ज्यादा वोटो से विजय हुआ*

 *और भाजपा को पंजाब बंगाल उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और राजस्थान में 70 सीटों का नुकसान उठाना पड़ गया जिसकी भरपाई वह दक्षिण भारत और कुछ राज्यों में सभी सिम प्राप्त करके भी नहीं कर सके राजस्थान में तो विजय राजेश सिंधिया को मुख्यमंत्री ने बनाना मोदी जी के अहंकार के कारण एक नए व्यक्ति को शासन सत्ता सौंप देना बहुत ही घातक बन गया* 

*भाजपा को 70 सीटों का नुकसान उठाना पड़ गया जिसकी पूर्ति वह पूरे भारत में नहीं कर पाए बंगाल में प्रधानमंत्री का नरम और लचीला रुख सनातनी जनता को पसंद नहीं आया संदेश खाली पालघर के संतो करना सहित तमाम बिंदु पर मोदी जी का मौन रहना या नरम धोखा अपनाना जनता को पसंद नहीं आया इसी प्रकार जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता लागू न करना जनता की समझ के बाहर रहा जबकि इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय भी सहमत था और कोई भी बहाना नहीं था*

 *भाजपा और मोदी जी के लिए सैकड़ो लोग बलिदान हुए औरतों पर भीषण अत्याचार हुए और अराजकता की स्थिति में भी प्रधानमंत्री लगभग मौन रहे आसानी से राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता था लेकिन ऐसा ना कर पाना भी उन पर भारी पड़ा जिन लोगों ने अपनी जान पर खेल कर भाजपा के लिए बंगाल में संघर्ष किया जल्दी ही वह निराश हो गए बंगाल में पुलिस प्रशासन ने भी भाजपा का साथ नहीं दिया और बाहर से आए हुए बांग्लादेशी लोगों के एक तरफ वोट से भाजपा को यहां 10 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा अलबत्ता बिहार में आश्चर्यजनक चुनाव परिणाम रहे जहां सभी अनुमानों के विपरीत भाजपा गठबंधन को भारी सफलता प्राप्त हुई*

 *जनादेश का अगला महत्वपूर्ण बिंदु भाजपा और भाजपा गठबंधन का पूरे भारत में प्रसार होना है तमिलनाडु और केरल में भाजपा की सफलता तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भारी सफलता यही प्रदर्शित करती है कि भाजपा अब कम से कम दक्षिण भारत में भी स्वीकार की जाने लगी है और उसका मत प्रतिशत भी बढ़ रहा है लेकिन अभी दक्षिण में प्रभावी होने के लिए विशेष कर केरल और Tamil Nadu में उसको लंबा रास्ता तय करना है भाजपा को सीटों की कमी अवश्य हुई है लेकिन एक बहुत बड़ी सफलता भाजपा को अरुणाचल प्रदेश आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में विधानसभा के चुनाव में भी प्राप्त हुई है जहां पर उन्हें उड़ीसा और अरुणाचल में अकेले और आंध्र में चंद्रबाबू नायडू के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है और इन तीन राज्यों में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया है*

 *जनादेश का अगला महत्वपूर्ण संदेश है कि कांग्रेस का 40 सीटों से 100 सीटों के लगभग पहुंच जाना यह चौंकाने वाला तथ्य नहीं है विशेष करके कांग्रेस का उत्थान मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में हुआ है जहां मुस्लिम और इसाई बाहुल्य क्षेत्र थे वहां से अधिकतर सीट कांग्रेस ने जीती है*

 *दिल्ली में भाजपा का सभी सीट जीत जाना एक चमत्कार जैसा है और यह इस बात पर मोहर लगता है कि देश की जनता भाजपा गठबंधन को ही केंद्र में पसंद करती है स्वयं भाजपा और उसके नेताओं को भी सभी सिम जीतने की आशा नहीं थी मध्य प्रदेश में सभी सीटों पर भाजपा का जीतना चमत्कार है इसी तरह से हिमाचल और उत्तराखंड में भी भाजपा ने चमत्कार किया है आंध्र प्रदेश में भी भाजपा गठबंधन में सारी सीट जीत लिया है यह सभी भाजपा के बढ़ते हुए देशव्यापी स्वीकार्यता को दिखाता है पंजाब में अलग बिंदु है जहां अकाली दल गठबंधन समाप्त होने के बाद भाजपा कभी भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए इस चुनाव में मोदी सहित किसी का भी जादू नहीं चल पाया*

 *चुनाव का अगला बहुत बड़ा संदेश यह है कि जो भी पार्टी या नेता जनता के बीच रहेगा और जनता के दुख दर्द में काम आएगा उसको जनता कभी उपेक्षित नहीं करेगी और जो सांसद विधायक और पार्टी चापलूस चालबाज मक्खनबाज दलाल चमचों और 420 से घिरी रहेगी उसे पर जनता कभी प्रसन्न नहीं हो सकती है*

 *इस प्रकार बाहर से ले गए प्रत्याशी भाजपा जैसे दलों को कभी भी सूट नहीं कर सकते हैं जहां तक वोट प्रतिशत की बात है भाजपा को पहले से अधिक वोट प्रतिशत प्राप्त हुए लेकिन विपक्ष के संयुक्त और संगठित हो जाने से उसकी सिम घट गई है एक बात और है कि जनता ने मोदी के द्वारा और भाजपा नेताओं के द्वारा विपक्षी दलों की स्तरहीन आलोचना को पसंद नहीं किया क्योंकि जनता तो उन सबको पहले से ही जानती हैं और चीन पाकिस्तान के प्रति मोदी की अनर्गल बयान बाजी भी जनता को पसंद नहीं आई 1 इंच जमीन भी 10 साल में नहीं ले सके जनादेश में एक और स्पष्ट बात है की बुरे लोग बुरे काम ही करेंगे यह निश्चित है लेकिन अगर भाजपा जैसी अच्छी पार्टी समझौता की राजनीति में दागी चरित्र के और बाहर से आयातित नेताओं का चुनाव करेगी तो जनता उसे कभी भी क्षमा नहीं कर पाएगी गुजरात में भाजपा का एक सीट हार जाना थोड़ा सा आश्चर्यजनक जनादेश है उत्तर पूर्व में भाजपा का प्रदर्शन सुधरा है लेकिन कुछ अन्य राज्यों में भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट आई एक बात जनादेश में और भी स्पष्ट है कि पूरे भारत में लगभग हर जगह मुस्लिम समझने भाजपा और मोदी के विरुद्ध एकजुट होकर मतदान कांग्रेस के पक्ष में किया*

 *इस प्रकार 18वीं लोकसभा के चुनाव में भारत की जनता ने तानाशाही और निरंकुश प्रवृत्ति के शासन की जगह देश हित पर काम करने वाले जनता के बीच रहने वाले पार्टी और प्रत्याशी को वरीयता देकर एक शक्तिशाली विपक्ष को चुना है जिससे विपक्ष शिकायत करने या रोने धोने की स्थिति में ना रहे यह अभी स्पष्ट है कि एक महीने के अंदर ही तमाम छोटी-मोटी पार्टियों भाजपा गठबंधन में शामिल हो जाएंगे और वह फिर से 350 सीटों के आसपास पहुंच जाएगी जनादेश में एक बहुत आश्चर्यजनक परिवर्तन आया है कि भाजपा ने एससी एसटी ओबीसी और मुसलमान के लिए अपनी प्रतिष्ठा और कुर्सी  दांव पर लगा दिया लेकिन ऐन वक्त पर इन लोगों ने भाजपा के साथ विश्वासघात किया जिसके कारण भाजपा को 50 से 60 सीटों की कमी आई है* 

*जो लोग राम मंदिर के प्रभाव को इस चुनाव में प्रभावित नहीं मान रहे हैं उनको यह जानना चाहिए कि भारत में विशेष कर दक्षिण भारत में श्री राम मंदिर का बहुत बड़ा योगदान रहा अगर श्री राम मंदिर नहीं बना होता तो भाजपा गठबंधन 200 के अंदर ही सिमट गया होता कुल मिलाकर चुनाव का जनादेश बिल्कुल स्पष्ट है और जनता ने भाजपा गठबंधन को ही देश प्रशासन करने पर मोहर लगा दिया है संक्षेप में संघ और भाजपा के लोग भी भाजपा की और मोदी की कुछ नीतियों से बेहद नाराज थे मोदी के शासन को तो देश के अधिकांश जनता ने पसंद किया लेकिन उनकी नीतियां जनता को पसंद नहीं आई इस चुनाव का सबसे बड़ा संदेश जनता ने दिया है कि देश के महानायक हम हैं हमारा ही जादू चलता है बाकी ना किसी नेता में कोई जादू है ना वह देश का महानायक हम जिसे चाहेंगे वही धरती से आसमान पर जाएगा और हमारा विश्वास करते ही आसमान से धरती पर धड़ाम हो जाएगा डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*

सबकी भविष्यवाणी सही हुई सारे विश्लेषक और एग्जिट पोल भी सही हुए अबकी बार 300 बार भी सही हुआ अबकी बार 300 पर हमारे केंद्र की भविष्यवाणी थी अबकी बार 400 पर तो एक हवा हवाई सपना था जो कभी भी संभव नहीं था क्योंकि सेट जनता तय करती है नेता प्रधानमंत्री नहीं तय करते हैं अगर जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता लागू हो गई होती तो 10% बढ़ी हुई जनसंख्या का वोट भाजपा के विरुद्ध नहीं पड़ता 90% लाभ लेने वाले अपना विकास तो कर लिए लेकिन एक भी वोट मोदी को नहीं दिए यही अंतर पड़ गया और यही चैनल वाले कच्चा खा गए*

*सबकी भविष्यवाणी सही हुई सारे विश्लेषक और एग्जिट पोल भी सही हुए अबकी बार 300 बार भी सही हुआ अबकी बार 300 पर हमारे केंद्र की भविष्यवाणी थी अबकी बार 400 पर तो एक हवा हवाई सपना था जो कभी भी संभव नहीं था क्योंकि सेट जनता तय करती है नेता प्रधानमंत्री नहीं तय करते हैं अगर जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता लागू हो गई होती तो 10% बढ़ी हुई जनसंख्या का वोट भाजपा के विरुद्ध नहीं पड़ता 90% लाभ लेने वाले अपना विकास तो कर लिए लेकिन एक भी वोट मोदी को नहीं दिए यही अंतर पड़ गया और यही चैनल वाले कच्चा खा गए* 

*सरकार भी भाजपा की बनेगी जनता ने बिल्कुल सही काम किया साधारण बहुमत देकर तानाशाही लोगों को औकात में लाया सब कुछ इस चुनाव में बिल्कुल ठीक-ठाक रहा अगली बार चुनाव के लिए तैयार रहे जनता ने चेतावनी की घंटी बजा दिया है चमचों और चापलूसों से दूर रहने वाले ही आगे सफल होंगे वरना जनता ऐसे लोगों को भी जीतने में परहेज नहीं करेगी जिनका नाम लेना भी पाप है रक्षा तो शैतानी करते ही हैं लेकिन देवता शैतानी कर तो उसको कभी क्षमा नहीं किया जा सकता आप लोग बिल्कुल चिंता ना करें 50 सेट मोदी अपने आप जानबूझकर हारे हैं इसी से सारे परिणाम में थोड़ा सा अंतर पड़ गया है विशेष कर बंगाल उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र जहां पर 170 से अधिक जीते हैं उसमें बीजेपी 80 सीट हार गए तो 3:30 सौ पर कैसे होगा सब लोग प्रसन्न रहे सब कुछ सही हुआ है भाजपा भी सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और 245 से 250 सिम पर आ जाएगी सारा पैसा बिचौलिया दलाल का गए किसी के दरवाजे पर नहीं गए यही थोड़ा सा अंतर पड़ गया जबरदस्ती लड़े गए और बाहर के उम्मीदवारों को जनता ने लात मार कर भगा दिया विपक्षी लोग एक-एक दरवाजे पर पहुंचे और साम दाम दंड भेद से एससी एसटी ओबीसी को पटा लिया ऊपर से खुलेआम क्षत्रियों का अपमान भी बहुत भारी पड़ गया स्वर्ण लोगों ने कुछ ना अपने पर भी भाजपा के विजय में प्रभावशाली भूमिका निभाई सब कुछ ठीक है परेशान होने की आवश्यकता नहीं है अपना सुधार करने की आवश्यकता है विश्व का हवा हवाई नेता बनने के लिए और नेहरू की तरह नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आप भारत की जनता पर महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार घूसखोरी लाल पिता शाही संवेदनहीनता नहीं ला सकते हैं योगी जी को एक किनारे कर देना उत्तर प्रदेश की जनता को बहुत खल गया यहां तक की जौनपुर में भी मोदी ने योगी जी को दूर ही रखा अपने साथ रैली में भी नहीं ले केवल इसलिए कि योगी कहीं प्रधानमंत्री न बन जाए इसका कामयाबूसा उन्हें भुगतना पड़ा एक प्रधानमंत्री को याद करें जिनके राम जी के विरोध करने और जनता से धोखा देने के कारण शरीर में कीड़े पड़ गए थे डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*