Tuesday, 29 April 2025

अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम -डॉ दिलीप कुमार सिंह

अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम -डॉ दिलीप कुमार सिंह 
अक्षय तृतीया एक ऐतिहासिक दिन है जो इस वर्ष 30 अप्रैल को मनाया जाएगा यह पर्व विशेष रूप से इस समय भगवान परशुराम से जुड़ गया है जो भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार थे लेकिन अक्षय तृतीया कई महत्वपूर्ण महापुरुषों और कथाओं से ही जुड़ा हुआ है अक्षय तृतीया प्रति वर्ष वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन पड़ता है और इस वर्ष तिथि 30 अप्रैल को पड़ रही है 

सबसे पहले तो अक्षय तृतीया पवित्र दिन है और यह आदि देव ऋषभदेव के साथ जुड़ा हुआ है जिन्होंने घनघोर तपस्या करके तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था और पूरे 400 दिन के बाद गन्ने के रस से अपना व्रत पूरा किया था इसलिए जैन पंथ के लोग इसे बहुत ही उत्साह से मनाया करते हैं इसके अलावा किसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार भागवत परशुराम जी का जन्म धरती पर महर्षि जामदानी और माता रेणुका के यहां हुआ था जिनकी तपोस्थली जमदग्निपुरम जमैथा गांव में है उन्हीं के नाम से जौनपुर का नाम पहले जमदग्नि पुरम रखा गया था जो कालांतर में जौनपुर हो गया।

अक्षय तृतीया के दिन ही द्रौपदी को भगवान सूर्य के द्वारा उनके कासन को देखते हुए अक्षय पत्र दिया गया था जो तब तक खाली नहीं होता था जब तक भोजन बनाने वाला उसको खा नहीं लेता था दुर्योधन के कहने पर जब दुर्वासा ऋषि गए तब उनको अक्षय पात्र द्वारा ही तृप्ति किया गया था एक अन्य घटनाक्रम में सदा नीरा सरस्वती नदी के किनारे आज के दिन ही ब्रह्म ऋषि वेद व्यास ने महाभारत की कथा भगवान गणेश जी को बोलकर लिखाना शुरू किया था भगवान वेदव्यास के श्राप के कारण ही सरस्वती जमीन के अंदर चली गई 

एक अन्य घटनाक्रम में किसी दिन परम पवित्र देव नदी गंगा मां का "धरती पर हुआ था जिससे समस्त भारत और सगर पुत्रों का कल्याण हुआ था और लाने वाले भागीरथ के नाम पर गंगा मां का नाम भागीरथी पड़ा सागर पुत्रों के नाम पर ही समुद्र का नाम सागर पड़ा। आज के दिन ही विप्र सुदामा अपने बाल सखा भगवान श्री कृष्ण से मिलने द्वारका गए थे और भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के पूरे गांव को ही द्वारका जैसा बना दिया था।

इस वर्ष वैसे तो अक्षय तृतीया रात में 11:46 पर 29 अप्रैल को ही लग जाएगी जो 30 अप्रैल को 9:37 तक रहेगी लेकिन उदय तिथि के अनुसार 30 अप्रैल के दिन ही भगवान परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया मनाया जाएगी 

30 अप्रैल को सुबह 5:40 से दोपहर 12:18 तक अक्षय तृतीया का पूजा पाठ व्रत अनुष्ठान करने का सर्वश्रेष्ठ समय है इस दिन भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को प्रतिमा रखकर उसे लाल वस्त्र से ढक कर लाल या पीले रंग के कपड़े बिस हुए चौकी पर रखा जाता है और उनको सत्तू खीर चैन मौसमी फल और मिठाई कब भोग लगाया जाता है और पूजा करने के पहले प्रतिमा को गंगाजल से धोया जाता है 

भगवान परशुराम किसी धर्म और जाति विशेष के नहीं थे यह संपूर्ण पृथ्वी पर फैले हुए पाप और अत्याचार और निरंकुश राजाओं को सही मार्ग पर लाने के लिए कटिबद्ध थे इसी क्रम में उन्हें अनेकों महायुद्ध करने पड़े इसलिए उन्होंने भयंकर तपस्या करके भगवान शिव से अद्वितीय फरसा और धनुष बाण प्राप्त किया जिसके सामने बड़े से बड़ा महान योद्धा भी पराजित हो जाता था 

भगवान परशुराम अद्वितीय पितृ भक्त थे पिता के कहने पर उन्होंने माता रेणुका का गर्दन काट लिया लेकिन जब पिता ने वर मांगने को कहा तो उन्होंने वर मांग कर माता को जीवित कर दिया जिससे परम प्रसन्न हुए परशुराम जी को उनके पूज्य पिता जमदग्नि ऋषि ने इच्छा मृत्यु का वरदान दिया और परशुराम आज भी धरती पर विभीषण ब्रह्म ऋषि मार्कंडेय हनुमान जी आल्हा कृपाचार्य अश्वत्थामा और हनुमान जी के साथ अमर हैं 

अक्षय तृतीया पर बहुत से दुष्प्रचार किया जाते हैं जैसे कि इस दिन आभूषण खरीदना वाहन खरीदना मकान खरीदना बहुत शुभ माना जाता है लेकिन मैं बहुत प्रामाणिक रूप से बता दूं किसका भगवान परशुराम या अक्षय तृतीया पर खरीदारी से कोई संबंध ही नहीं यह बड़े-बड़े धन कुबेर सेठ महाजन की मीडिया वालों से चाल है की इसी दिन नई चीजों को खरीदना चाहिए जबकि ऐसा कुछ नहीं है ऐसा ही जनप्रतवाद और झूठा समाचार धनतेरस के दिन फैलाया जाता है जहां वैद्यनाथ धनवंतरी से खरीदारी से कोई संबंध ही नहीं है इसलिए आप चाहे जो भी खरीदारी करें या निर्माण करें उसका क्षेत्र दिया से कुछ भी लेना देना नहीं है विज्ञापन और टीवी तथा रेडियो के चक्कर में पढ़कर अपने पैसे बर्बाद करने का कोई अर्थ नहीं है 

भगवान परशुराम का बड़े-बड़े परम वीरों से युद्ध हुआ जिसमें सहस्त्रार्जुन को उन्होंने मार कर  21 बार उसके वंश का विनाश किया लेकिन सनातन धर्म को तोड़ने वाले लोगों ने इसे यह कह कर प्रसारित किया कि उन्होंने 21 बार धरती से सभी क्षत्रियों का विनाश कर दिया था जो की बिल्कुल झूठ है नहीं तो उन्हीं के समय में राम लक्ष्मण और राजा दशरथ और अन्य लोग कहां से होते । उन्होंने रावण को भी मुक्त कराया था और भगवान श्री राम से उनका आखिरी युद्ध हुआ था जिसमें उनके पराजित होना पड़ा और उनके तेज का भगवान श्री राम ने हरण कर लिया जिसका अर्थ यह भी है कि जब एक अवतार आ गया तो पीछे के अवतार की प्रासंगिकता समाप्त हो गई भगवान परशुराम ने अनंत गति से चलने का अपना वरदान सुरक्षित रखा और आज भारत की धरती को ऐसे ही परम बुद्धिमान महा तेजस्वी परशुराम जी की आवश्यकता है जो शैतान राक्षस और विधर्मी लोगों का संघर्ष करके देश में राम राज्य का मार्ग प्रशस्त करें

Saturday, 26 April 2025

प्री-मानसून बारिश से गर्मी में मिलेगी राहत, जानें किन-किन राज्यों में होगी बारिश*

*प्री-मानसून बारिश से गर्मी में मिलेगी राहत, जानें किन-किन राज्यों में होगी बारिश*
Apr 25, 2025,credit :Skymet Weather Team

देशभर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है और लू जैसे हालात बन गए हैं। लेकिन अब राहत की उम्मीद है क्योंकि उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कई हिस्सों में प्री-मानसून गतिविधियाँ शुरू होने वाली हैं। इससे कुछ समय के लिए गर्मी से राहत मिल सकती है। गर्मी का सबसे बुरा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जिनके पास कूलर, पंखा या छत जैसे साधन नहीं हैं। इसके साथ-साथ बाहर काम करने वाले मजदूरों की सेहत और काम करने की क्षमता पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

*अगले 48 घंटे में मौसम में बदलाव*

अगले दो दिनों में मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। कई इलाकों में आंधी, धूल भरी हवा और हल्की बारिश हो सकती है। इससे तापमान में गिरावट आएगी और हवा की गुणवत्ता कुछ हद तक सुधरेगी। प्री-मानसून गतिविधियाँ सबसे पहले राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ और उत्तर प्रदेश में दिखेंगी। यहाँ धूल भरी आंधी और गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना है।

*25-26 अप्रैल का पूर्वानुमान*

राजस्थान के जयपुर, अजमेर, चूरू, झुंझुनूं, सीकर, अलवर और भरतपुर में 25 और 26 अप्रैल को धूल भरी आंधी चल सकती है। हरियाणा के जिंद, रोहतक, चरखी दादरी, मेवात, नूंह, पलवल, फरीदाबाद और झज्जर में 26 अप्रैल को गरज के साथ बारिश की उम्मीद है। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के आगरा, हाथरस, अलीगढ़, झांसी, महोबा, बांदा, प्रयागराज, वाराणसी, चित्रकूट जैसे शहरों में भी 26 अप्रैल को आँधी और बारिश हो सकती है। इसी के साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के जिले ग्वालियर, दतिया, टीकमगढ़, जबलपुर, सीधी (म.प्र.) और राजनांदगांव, दुर्ग, रायगढ़, रायपुर, बलौद बाजार (छ.ग.) में भी प्री-मानसून बारिश और आँधी के आसार हैं।

*27 अप्रैल से आगे का पूर्वानुमान*

27 अप्रैल के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा में भी मौसम में बदलाव आएगा। यहाँ तेज आँधी, बारिश, गरज-चमक और कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हो सकती है। हालांकि ये प्री-मानसून गतिविधियाँ गर्मी का स्थायी इलाज नहीं हैं, फिर भी कुछ दिनों के लिए राहत जरूर मिल सकती है। तापमान थोड़ा घटेगा और मौसम कुछ हद तक सुहाना होगा।

*क्या करें?*

लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम से जुड़ी ताजा जानकारी पर नजार रखें, खासकर जब आँधी या बारिश की संभावना हो। जब तक मानसून पूरी तरह नहीं आता, तब तक लू से बचे, पानी पिएँ और मौसम की गतिविधियों का ध्यान रखें।

अब जैसे कि हम कहेंगे कि आज बीमारियों का इलाजहो गया है। पुराने लोगों ने इन बीमारियों के इलाजक्यों न बता दिये। लेकिन आप हैरान होंगे जानकरकि आयुर्वेद में या युनानी में

अब जैसे कि हम कहेंगे कि आज बीमारियों का इलाज
हो गया है। पुराने लोगों ने इन बीमारियों के इलाज
क्यों न बता दिये। लेकिन आप हैरान होंगे जानकर
कि आयुर्वेद में या युनानी में
इतनी जड़ी बूटियों का हिसाब है और
इतना हैरानी का है कि जिनके पास कोई प्रयोग
शालाएं न थे वे कैसे जाने सके कि यह जड़ी-
बूटी फलां बीमारी पर इस मात्रा में काम करेंगी।
तो लुकमान के बाबत कहानी है , क्योंकि कोई
प्रयोगशाला तो थी नहीं, पर यह काम केवल चौथे
शरीर से हो सकता था।
लुकमान के बाबत कहानी है कि वह एक-एक पौधे के
पास जाकर पुछता था कि बता किस-किस बीमार में
तू काम आ सकता है। अब यह कहानी बिलकुल
फिजूल हो गयी आज….कोई पौधे से…क्या मतलब
इस बात का। लेकिन अभी पचास साल पहले तक हम
नहीं मानते थे कि पौधे में प्राण है—इधर पचास
साल में विज्ञान ने स्वीकार किया—पौधे में प्राण
है। इधर तीस साल पहले तक हम नहीं मानते थे
कि पौधा श्वास लेता है। इधर तीस साल से हमने
स्वीकार किया है कि पौधा श्वास लेता है।
अभी पिछले पंद्रह साल तक हम नहीं मानते थे
कि पौधा फील(अनुभव) करता है। अभी पंद्रह साल
में हमने स्वीकार किया है
कि पौधा अनुभूति भी करता है। और जब आप क्रोध
से पौधे के पास जाते है, तब पौधे की मनोदशा बदल
जाती है। और जब आप प्रेम से पौधे के पास जाते है
तो वह प्रेम पूर्ण मनोदशा को महसूस करता है।
कोई आश्चर्य नहीं की आने वाले पचास सालों में,
हम मान ले कि पौधे से बोला भी जा सकता है। यह
तो क्रमिक विकास है। और लुकमान सिद्ध
हो सही कि उसने पूछा हो पौधों से कि किस काम
आते हो। ये मुझे बताओ। लेकिन यह ऐसी बात
नहीं है। कि हम सामने बोल सकें, यह चौथे शरीर पर
संभव है। यह चौथे शरीर पर जाकर पौधे
को आत्मसात किया जा सकता है। उसी से
पूछा जा सकता है।
और मैं भी मानता हूं क्योंकि कोई
लेबोरेटरी (प्रयोगशाला) इतनी बड़ी नहीं मालूम
पड़ती कि लुकमान लाख-लाख जड़ी-
बूटियों का पता बता सके, यह इसका कोई उपाय
नही; क्योंकि एक-एक जड़ी-बूटी की खोज करने में
एक-एक लुकमान की जिंदगी लग जायेगी। वह एक
लाख, करोड़ जड़ी-बूटियों के बाबत कह रहा है
कि यह इस-इस काम में आयेगी अरे अब विज्ञान
उसको कहता है कि हां, वह इस काम में आती है। वे
आ रही है इसी काम में।
यह जो सारी की सारी खोज बीन अतीत की है।
वह सारी की सारी खोजबीन चौथे शरीर में
उपलब्ध लोगों की ही है। और उन्होंने बहुत पहले
खोजी थी, जिनका हमें कोई ख्याल नहीं है।
अब जैसे की हम हजारों बीमारियों का इलाज कर
रहे है। जो बिलकुल अवैज्ञानिक है। चौथे शरीर
वाला आदमी कहेगा; ये तो बीमारियां ही नहीं है।
इनका तुम इलाज क्यों कर रहे हो। लेकिन अब
वैज्ञानिक समझ रहे है। अभी एलोपैथी नये प्रयोग
कर रही है। अभी अमरीका के कुछ हास्पिटलस
(चिकित्सालय) में उन्होंने…..दस मरीज है एक
ही बीमारी के, तो पाँच मरीज को वे
पानी का इंजेक्शन दे रहे है, पाँच को दवा दे रहे है।
बड़ी हैरानी की बात है कि दवा लेने वाले
भी उसी अनुपात में ठीक होते है। और पानी वाले
भी उसी अनुपात से ठीक होते है। इसका अर्थ यह
हुआ कि पानी से ठीक होनेवाले
रोगियों को वास्तव में कोई बिमारी नहीं है।
बल्कि उन्हें शायद बीमार होने का भ्रम था।
अब लुकमान ने जो पौधों की बाबत बताया है आज
भी उन सब
पौधों को पूरी दुनिया की प्रयोगशालाओं में टेस्ट
करे तो हजार साल में भी वो इतने प्रणाम नहीं दे
सकती। उस जमाने कैसे किया होगा ये सब काम
लुकमान ने। तब
तो इतनी प्रयोगशाला भी नहीं थी। ये सब उन्होंने
चौथे शरीर से जाना था। आज नहीं कल विज्ञान
वहां जा कर कहेगी की लुकमान सही था।
क्योंकि प्रकृति की तरह विज्ञान भी क्रमिक
विकास करता है। और ध्यान जंप है। एक शरीर से
दूसरे शरीर में। 

ओशो
जिन खोजा तीन पाइयां
प्रश्नोत्तर चर्चाएं, बंबई,
प्रवचन—8

स्वीडन की एक न्यूज़ मैगज़ीन ने लिखा है --

स्वीडन की एक न्यूज़ मैगज़ीन ने लिखा है --

F16 के जमीदोज होते ही अमेरिका को पता चल गया था। भारत पर इसके इस्तेमाल से अमेरिका गुस्से में था।
पर उस समय ये भी जरुरी था कि पाक को भारत के गुस्से से बचाना। क्योकि भारत का एक पायलट पाक कब्जे में जाते ही भारत ने बड़ी कार्यवाई के लिये ब्रम्होस मिसाइलें तैयार कर ली थी।

प्लान यही था कि पाकिस्तान एयर फोर्स को रात में ही तहस नहस कर दिया जाये। जिसकी भनक अमेरिका को लग गयी।

पूरी रिपोर्ट पढ़िए...
आंखें फटी की फटी रह जाएंगी... 👇

अमेरिका ने तुरन्त पाकिस्तान को चेता दिया कि कब्जे में रखे भारत के पायलट को कोई नुक्सान नहीं होना चाहिये, नहीं तो भारत को रोकना नामुमकिन होगा, और चेताया कि युद्घ की स्थिति में वो F16 के इंजन को लॉक कर देगा।

भारत की सम्भावित कठोर कार्यवाई से घबराये खुद बाजवा ने UAE से बात की ,और उधर अमेरिका ने अरब और रूस से बात की।

अरब ने भारत से एक रात रुकने की सलाह दी।
अरब ने करीब दोपहर में ही Pmo नयी दिल्ली से सम्पर्क साध लिया था और पाक को फटकार लगायी।
रूस, अमेरिका ने पाक को समझा दिया की कल सुबह तक हर हाल में इंडियन पायलट को छोड़ने की घोषणा करे, वो भी बिना शर्त।

यही नहीं, पाक ने चीन से भारत के आसमान पर निगरानी कर रहे उपग्रह से डायरेक्ट लिंक मांगा, जिसे चीन ने मना कर दिया।

अन्त में पाक ने टर्की से मदद मांगी।

उसने फ़ौरन ही मना कर दिया और पायलट को छोडने को कहा। इधर भारत क्या कर सकता है, इसकी जानकारी के लिये पूरे विश्व के बड़े देशो के उपग्रह भारत पर नजर रख रहे थे।
24 फरवरी से लेकर 28 फरवरी तक रात में, पाक के बड़े फौजी अधिकारी घर में बने बन्करों में रहते थे।

पाक बिलकुल असहाय था,
ऐसा इसलिए था क्योंकि देश का बागडोर किसी जेलेंस्की जैसे पप्पू के हाथों में नहीं बल्कि एक मजबूत हाथ में था।

मोदी जी ने लाचार बना दिया था।

ऐसी है हमारे चौकीदार की ताकत।🇮🇳💪
'मोदी' है तो मुमकिन है....

अभिनंदन...

पहलगाम का वीभत्स शैतानी और दिल दहला देने वाला हत्याकांड-डॉ दिलीप कुमार सिंह

पहलगाम का वीभत्स शैतानी और दिल दहला देने वाला हत्याकांड-डॉ दिलीप कुमार सिंह 
22 अप्रैल 2025 का दिन भारत और विश्व के इतिहास में एक और काली शैतानी दुर्घटना और हत्याकांड के रूप में अंकित हो गया जो पुलवामा कांड के बाद हाल का सबसे बड़ा आतंकी हमला था जब स्थानीय लोगों के सहयोग से पाकिस्तानी कूटनीति और मिली भगत के चलते आतंकवादियों ने बैसरना घाटी पहलगाम में हजारों स्थानीय लोगों और पर्यटकों में से 27 गैर मुसलमानों को चुनकर उनका नाम पता पूछा कलमा पढ़वाया और उसके बाद संदेह होने पर नंगा करके खतना की जांच करके बहुत ही दर्दनाक और शैतानी  वीभत्स ढंग से सबके सिर में उनके साथियों और परिजनों की उपस्थिति में बड़ी क्रूरता से गोली मार कर हत्या कर दिया और फिर आराम से घूमते टहलते निकल गए जिस पर भारत सहित पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है और मारे गए परिजनों की सुधि लेने वाला कोई दिखाई नहीं पड़ रहा है।

इस नृशंस हत्याकांड पर बहुत कुछ कहा गया सुना गया और लिखा गया लेकिन अधिकांश सच्चाई से परे और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर आधारित था और इसको दबाने की हर संभव कोशिश हर प्रकार के तंत्र द्वारा की जा रही है और यह मामला काफी कुछ दब गया है अभी तक मोदी जी या सरकार द्वारा कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी है केवल सिंधु नदी जल समझौता पाकिस्तानी लोगों को भारत देश छोड़ने का आदेश और इस तरह कुछ अन्य कार्यवाही करने की घोषणा की गई है सरकार समर्थक लोग और अधिकांश बड़े मीडिया वाले बहुत कुछ बड़ा घटित होने की भविष्यवाणी कर रहे हैं जो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह घटना क्यों हुई कैसे हुई और इसके पीछे उत्तरदाई कौन-कौन से लोग हैं इसकी गहराई से और निष्पक्ष रूप से समीक्षा किया जाना आवश्यक है।

सबसे पहली बात यह है कि 1990 में जब से लाखों गैर मुसलमान को घाटी से सामूहिक हत्या और सामूहिक बलात्कार करके दंगा फसाद मचाकर डरा धमका कर पाकिस्तान स्थानीय लोगों के सहयोग और आतंकवादियों की प्रत्यक्ष कार्यवाही उनकी सामूहिक हत्या और बलात्कार दंगा फसाद के कारण सनातनी लोगों को कश्मीर के बाहर दिया गया था 1990 के बाद कश्मीर घाटी कभी भी शांत नहीं रही और वहां छोटे-बड़े आतंकी हमले और नरसंहार जारी रहे जिसमें हाल के वर्षों में पुलवामा में हुआ भीषण आतंकी हमला और नरसंहार शामिल है। 1990 से कश्मीर में शांति स्थापित करने के अनगिनत झूठे दावे किए गए लेकिन सच्चाई यही है कि कश्मीर आज भी गैर मुसलमान के लिए नरक से कम नहीं है और इस नर्क में जाने के बाद लोग स्वर्ग पहुंचते हैं तो सीधा स्वर्ग पहुंच जाते हैं

पहलगाम की दुर्घटना और हत्याकांड को लोग अलग-अलग दृष्टिकोण से अपने अनुसार नेता अपने राजनीतिक के अनुसार देख रहे हैं लेकिन इसका एकमात्र निष्पक्ष पक्ष यही है की शैतानों ने मानवता की हत्या उस सनातनी देश में किया है जिसे सनातनी धर्म के लोगों ने पाकिस्तान बांग्लादेश और कश्मीर को मुसलमानों को उनके डायरेक्ट एक्शन प्लान खून खराबा के कारण देकर प्राप्त किया है और इसके बाद भी गांधी नेहरू कांग्रेस और अंग्रेजों की दूरभिसंधि के फल स्वरुप जबरदस्ती भारत में रह रहे मुसलमानों ने पूरे देश में जो मानवता विरुद्ध शैतानी काम किया है कर चुके थे और कर रहे हैं आगे भी करेंगे  वहां कभी शांति होगी इसकी कोई संभावना नहीं है और निकट भविष्य में भी ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है कि कश्मीर के मुसलमान अन्य लोगों के साथ मिलकर सद्भावना पूर्वक रहेंगे

 पूरी दुनिया में मुसलमानों का इतिहास यही है और सारी दुनिया इनसे परेशान है  यूरोप और अमेरिका में खून की होली खेल रहे हैं विश्व व्यापार संघ और अमरीकी रक्षा विभाग पेंटागन और यूरोप के मेट्रो रेल सहित स्थान में हमले भारत में संसद पर सीधा हमला और वाराणसी से लेकर सोमनाथ मंदिर गुजरात बांग्लादेश से पाकिस्तान हर जगह या लोग हरकत खून की होली दंगा फसाद मचा कर रखे हैं इजराइल में उनके द्वारा की गई शैतानी और राक्षसी घटना से पूरी दुनिया थहल गई थी जब फिलिस्तीन आतंकवादियों ने मानवता को लज्जित करने वाली सबसे घिनौनी हरकत करते हुए हर लोगों को मार डाला गला काट लिया हाथ पैर काट लिया पेट को फाड़ दिया और सैकड़ो लोगों का अपहरण कर के ले गए और जाते-जाते शौच कर रहे लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी और और सैकड़ो लोगों को साग भाजी गाजर मूली मुर्गा मुर्गी भेड़ बकरी की तरह हलाल कर दिया।

देश कोई भी हो मुसलमानों के साथ रहने वाले कोई भी अगर वह मुसलमान नहीं है तो इनका एक ही लक्ष्य है उसे मुसलमान बनाओ जिस देश में रह रहे हैं उसको मुस्लिम बनाना सर्वोपरि लक्ष्य है किसी भी देश का कानून नियम संविधान न्यायपालिका और रीति रिवाज इनको कांटे की तरह चुभते हैं और जैसे ही थोड़ा सा सक्षम होते हैं उससे खुलेआम बगावत करके अल्लाह पैगंबर शरिया कुरानऔर इस्लामी रंग ढंग से जबरदस्ती उसे रंग देना चाहते हैं और 57 देशों को यह लोग गैर मुस्लिम लोगों से रहित कर चुके हैं बाकी दुनिया को मिटाने का प्रयास लगातार जारी है ऐसे में कहीं भी शांति संभव नहीं है सभी प्रकार के मांस उपलब्ध रहने पर भी भारत में जानबूझकर गाय और बछड़े खाते हैं जिससे लोगों में उत्तेजना और पीड़ा फैल जाए जबकि यह जानते हैं कि भारत के लोग गाय को माता समझते हैं उनकी माता को काटकर खाते कीजिए और दिखाने के लिए भाईचारा और गंगा जमुनी संस्कृति का नारा लगाते हैं इतना ही नहीं सूर्य नमस्कार सरस्वती वंदना योग व्यायाम करना पाप समझते हैं और नकाब हिजाब बुर्का का प्रचार प्रचार दिन रात करते हैं

और सबसे बड़ी बात जहां गैर मुस्लिम नहीं होते वहां पर यह लोग लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं करते वहां पर्दा प्रथा नकाब हिजाब बुर्का का नामोनिशान नहीं रहता है और ना वहां पर यह लोग गंदगी ही करते हैं गैर मुस्लिम देश में नए प्रेम से रहते हैं ना किसी को शांति से रहने देते हैं लव जिहाद सहित छेड़ना शांति भंग करना दंगा प्रसाद करना कमजोर होने पर सींग पूंछ गिरा कर बकरी की तरह रहना और बलवान होने पर भेड़ियों की तरह टूट पड़ना इनका जन्मजात स्वभाव है पंचर छाप से लेकर आई ए एस प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति कुछ भी बन जाएंगे लेकिन स्वभाव और चाल चलन नहीं बदल सकता है। यह अटल और ध्रुव सत्य है इसीलिए इनको  तुर्क यवन म्लेच्छ इत्यादि की संज्ञा दी गई है और इसमें गलत भी नहीं है यह अलग बात है कि इनके आतंक भय के कारण लोग इनके ऊपर कुछ लिखना पढ़ना तो दूर कहना भी नहीं चाहते हैं ।

अब फिर से लौट कर पहलगाम के भयानक शैतानी हत्याकांड पर लौट आते हैं जो वैसरन घाटी में हुआ था यह हत्याकांड बहुत सोची समझी रणनीति थी जिसको पूरा करने में स्थानीय मुस्लिम समाज वहां के दुकानदार पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों का मिला-जुला हाथ था जिसमें यात्रा करने वाले लोगों की लापरवाही सरकारी गुप्तचर तंत्र की विफलता ने और भी भयानक बना दिया इस घाटी की पृष्ठभूमि ऐसी है की कोई भी व्यक्ति पहाड़ों पर जंगल के रास्ते भाग नहीं सकता ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि जहां केवल गधे खच्चर से ही लोग जा सकते हैं जहां सड़क भी नहीं है कोई वाहन भी नहीं आ जा सकते है वहां घंटे तक इस प्रकार का शैतानी हत्याकांड होता रहा जो कि इस्लामी सभ्यता की एक आवश्यक बुराई है और सरकार सरकार की पुलिस सेना किसी को जानकारी नहीं हुई यह अपने आप में सबसे बड़ा संदेहास्पद प्रश्न है अगर केंद्र या राज्य सरकार चाहती तो हेलीकॉप्टर से तत्काल ही शूटर या कमांडो भेज कर उनको मारा जा सकता था कहीं ना कहीं बहुत ही अधिक उलझा हुआ मामला है और सब की पोल पट्टी खुलने का भी डर है।

जब यह भयानक हत्याकांड हो रहा था तब वहां के स्थानीय दुकानदार और स्थानीय लोग और पर्यटकों को ले जाने वाले हजारों की संख्या में थे लेकिन किसी के द्वारा एक भी वीडियो नहीं बनाया गया किसी को पुलिस की सूचना नहीं दी गई न किसी  के द्वारा सेना को सूचित किया गया यह सब अपने आप में चीख चीख कर बता रहा है की क्या और कैसे हुआ सब कुछ कुर्सी की राजनीति के पीछे छुप गया है और सत्य कभी सामने नहीं आएगा क्योंकि सब सामने आने पर हर दलों के नेता बेनकाब हो जाएंगे और सबका प्लान भी खुल जाएगा किस तरह देशवासियों को भय और असुरक्षा के वातावरण में जीना पड़ रहा है और स्वयं यह लोग बहुत आराम से हर सुख सुविधा के साथ भारत की ही नहीं पूरी दुनिया की सैर कर रहे हैं

सबसे गंभीर प्रश्न तो केंद्र और राज्य सरकार पर उठाता है जहां पर आए दिन सैनिक मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं आम जनता भी आतंकवाद की शिकार हो रही थी वहां पर इस तरह खुलेआम पर्यटन को अनुमति क्यों दी गई इसका उत्तर ना तो फारूक अब्दुल्ला के पास है और ना केंद्र सरकार के पास है इसके अलावा देश की सर्वश्रेष्ठ गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रहे थे जिसके कारण 27 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा वैसे तो अनुमान यह है कि वास्तविक रूप से मारे गए लोगों की संख्या इससे बहुत ज्यादा है लेकिन विवशता है कि सरकारी आंकड़ों पर ही विश्वास करना पड़ता है और सबको ज्ञात है कि सरकारी आंकड़े क्या होते हैं?

यहां पर एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि क्या सचमुच सनातनी हिंदू इतने मूर्ख होते हैं कि अपने ही पैसे से अपना ही कत्ल कराते हैं जब आपको अच्छी तरह मालूम है कि कश्मीर की स्थितियां बहुत खराब है आए दिन सेना के साथ पुलिस की मुठभेड़ हो रही है लोग मारे जा रहे हैं तो आप क्या करने के लिए वहां घूमने टहलने जा रहे हैं क्या भारत में जम्मू कश्मीर के अलावा ऐसी कोई जगह नहीं है जहां पर आप घूम सकें । मैं ऐसे लोगों को बताना चाहता हूं कि आप कश्मीर को छोड़ दो कन्याकुमारी रामेश्वरम जाओ मुंबा देवी गुजरात में सोमनाथ द्वारिका तीर्थ पर चले जाओ पुरी भुवनेश्वर पूर्वोत्तर भारत चित्रकूट और मथुरा वृंदावन जैसी एक से बढ़कर एक जगह है और अगर कश्मीर जाना ही चाहते हो तो उससे अच्छा उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में है और उत्तराखंड किसी भी तरह जम्मू कश्मीर से कम नहीं है लेकिन जिस तरह ताजमहल को झूठा प्रचार प्रसार करके बहुत अच्छा दिखाया गया है वही हाल जम्मू और कश्मीर का है और धरती का स्वर्ग जी कश्मीर को आप बोलते हो वह इस समय पाकिस्तान के कब्जे में है जिसका नाम बाल्टिस्तान गिलगित है जिसे आजाद कश्मीर कहा जाता है  मैं तो लोगों से यहां तक कहूंगा कि कुछ वर्ष के लिए माता वैष्णो देवी और अमरनाथ की यात्रा भी छोड़ दो सभी आतंकी और उनको शरण देने वाले स्थानीय लोग भूख से मर जाएंगे और यह सभी पाकिस्तान भाग जाएंगे।

भारत के सनातनी लोगों को यह अच्छी तरह से जान लेना चाहिए कि कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती सांप चाहे प्रेम से काटेगा और चाहे क्रोध से काटेगा वह जहर ही उगलेगा और भेड़िया शेर लकड़बग्घा जैसे जानवर कभी शाकाहारी नहीं होंगे जिसकी जो प्रवृत्ति है वह बदल नहीं सकती है इसके बाद भी अगर मूर्खतावश मारे जा रहे हैं तो उसमें किसी का कोई दोष नहीं है अभी भी बहुत समय बचा है बहुत सावधान होने की आवश्यकता है क्योंकि भारत की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यहां सेना पुलिस प्रशासन सहित किसी भी सरकारी तंत्र पर भरोसा करने वाला बेमौत मारा जाता है यही असली सच है उसके बाद कहने के लिए कुछ नहीं बचा हुआ है जो लोग मारे गए वह तो वापस नहीं आ सकते लेकिन उनसे सबक लेकर बाकी लोग क्रूर और नृशंस हत्या दंगा फसाद बलात्कार और उत्पीड़न से बच सकते हैं।

डेरिनकुयू सिर्फ ज़मीन के नीचे बसा एक शहर नहीं है।

ज़रा सोचिए, आप अपने बेसमेंट की एक दीवार गिराते हैं... और सीधा इतिहास में पहुँच जाते हैं।

कुछ ऐसा ही हुआ तुर्की में, जहाँ एक आदमी ने गलती से एक खोया हुआ शहर खोज निकाला — जो सदियों से उसके पैरों के नीचे छिपा हुआ था।

कोई कमरा नहीं। कोई सुरंग नहीं। बल्कि एक पूरा भूमिगत शहर — जिसमें चर्च, स्कूल, अस्तबल, कुएँ और 20,000 लोगों के रहने, छुपने और बचने की व्यवस्था थी।

न इंटरनेट था, न आसमान। सिर्फ पत्थर, सन्नाटा और रहस्य।

डेरिनकुयू सिर्फ ज़मीन के नीचे बसा एक शहर नहीं है।

यह इस बात का सबूत है कि जब ज़मीन के ऊपर की दुनिया बहुत खतरनाक हो गई, तो इंसान नीचे उतर आया — और अंधेरे में भी ज़िंदगी बसाई।

साभार

आमतौर पर शादी के निमंत्रण कार्ड कागज पर छपते हैं और बाद में कचरे में चले जाते हैं। लेकिन कोटा के एक डॉक्टर दंपति ने पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए अनोखा कदम उठाया है। उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए ऐसा कार्ड छपवाया है, जो दो बार धोने के बाद एक खूबसूरत रुमाल में बदल जाएगा!

आमतौर पर शादी के निमंत्रण कार्ड कागज पर छपते हैं और बाद में कचरे में चले जाते हैं। लेकिन कोटा के एक डॉक्टर दंपति ने पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए अनोखा कदम उठाया है। उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए ऐसा कार्ड छपवाया है, जो दो बार धोने के बाद एक खूबसूरत रुमाल में बदल जाएगा!
कैसे आया यह अनोखा आइडिया
कोटा के रंगबाड़ी योजना में रहने वाले डॉ. गिरीश चंद्र शर्मा और डॉ. रश्मि तिवारी ने अपने बेटे गौरीज गौतम की शादी के लिए पारंपरिक पेपर कार्ड के बजाय इको.फ्रेंडली इनविटेशन कार्ड तैयार करवाने का फैसला किया। इंटरनेट पर सर्च के दौरान उन्हें महाराष्ट्र के पुणे में ऐसी तकनीक के बारे में पता चला, जिसके बाद उन्होंने फर्म से संपर्क किया और अनोखे रुमाल.कार्ड तैयार करवाए।
क्या खास है इस अनोखे शादी कार्ड में
यह कार्ड डेढ़ फीट लंबा और डेढ़ फीट चौड़ा है, जो खूबसूरत कपड़े पर छपा है। इसमें परमानेंट इंक नहीं, बल्कि टेंपरेरी इंक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कार्ड दो बार धोने पर पूरी तरह साफ हो जाएगा। कार्ड का कपड़ा इतना बेहतरीन क्वालिटी का है कि इसे शादी के बाद मेहमान रुमाल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस कार्ड की लागत 37 रुपये प्रति कार्ड है, जो पारंपरिक पेपर कार्ड के लगभग बराबर है।
दम्पत्ति का कहना है कि आमतौर पर शादी के कार्ड में देवी.देवताओं के चित्र या शुभ प्रतीक होते हैं, लेकिन शादी के बाद कई लोग इन्हें कचरे में फेंक देते हैं। इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। इसी वजह से उन्होंने ऐसा कार्ड बनवाया, जो फेंका न जाए और उपयोग में भी आ सके। पर्यावरण और धार्मिक आस्था का ध्यान रखते हुए इस अनोखे कार्ड को पूरे राजस्थान में खूब सराहा जा रहा है। लोग इसे शादी निमंत्रण का भविष्य का ट्रेंड बता रहे हैं। शादी का यह आयोजन आज किया जाना है।
(संदेश कापी पेस्ट है)

लिन मे (Lyn May) एक मैक्सिकन एक्ट्रेस व डांसर हैं पहली तस्वीर १९९० की है जब उनका करियर उफान पर था, हर तरफ़ उनकी कला का डंका बजता था, उन्हें “गॉडेस ऑफ़ लव” टाइटल भी मिला

लिन मे (Lyn May) एक मैक्सिकन एक्ट्रेस व डांसर हैं 
पहली तस्वीर १९९० की है जब उनका करियर उफान पर था, हर तरफ़ उनकी कला का डंका बजता था, उन्हें “गॉडेस ऑफ़ लव” टाइटल भी मिला
अपनी त्वचा को चमकदार रखने और यौवन को बनाये रखने के लिए उनकी महिला मित्र ने बोटोक्स का सुझाव दिया, महिला मित्र को अपना हितैषी मानते हुए उन्होंने चहरे को इंजेक्ट करवा लिया 
बाद में पता चला कि द्वेष और जलन के चलते उनकी महिला मित्र ने इंजेक्शन में फ़ूड आयल, बेबी आयल और अन्य हानिकारक लिक्विड मिलवाये थे. धीरे-धीरे ग़लत पदार्थ ने अपना असर दिखाना शुरू किया और लिन के चहरे ने भयानक रूप ले लिया 
उनकी सबसे अच्छी कहलायी जाने वाली महिला मित्र दुनिया को उनका ख़राब चेहरा दिखाना चाहती थीं, क्यूंकि वो चाहते हुए भी लिन की कला की बराबरी नहीं कर पा रहीं थीं 
जलन होना, द्वेष होना बहुत आम बात है पर प्यार और अपनेपन का ढोंग करना और उसे एक टूल की तरह इस्तेमाल करना अलग बात है 
लिन ने अपनी तथाकथित मित्र पर कोई कार्यवाही, कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं किया, उसने सब ईश्वर पर छोड़ दिया
आपके सफ़र में कई ऐसे लोग मिलेंगे जो इसी तरह दुनिया की नज़रों में आपका चेहरा ख़राब करना चाहते हैं, उन्हें पहचानिये उनसे दूरी बनाइये क्यूंकि नफ़रत तो फिर भी रमणीय हो सकती है पर प्यार का ढोंग घातक 
इस सच्ची कहानी से साहिर लुधियानवी साहब का एक गीत याद आता है - क्या मिलिये ऐसे लोगों से जिनकी फ़ितरत छुपी रहे 
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे 
खुद से भी जो खुद को छुपाए क्या उनसे पहचान करें 
क्या उनके दामन से लिपटें क्या उनका अरमान करें
जिनकी आधी नीयत उभरे आधी नीयत छुपी रहे 
नक़ली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे… 
जीवन में आपको प्यार करने वाले एक दो लोग भी हैं तो जीवन सुंदर है, ईश्वर का धन्यवाद कीजिए कि अच्छे और प्यार का कम से कम दिखावा करने वाले और आपको सचमुच प्यार करने वाले लोग आपके जीवन में हैं♥️
- मणिका दुबे 
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Friday, 25 April 2025

पहलगाम में खच्चर वाला गिरफ्तार, टूरिस्ट से धर्म पूछा थाः यूपी की महिला बोली-आतंकियों के जो स्केच जारी हुए, उनमें दो लोगों से बहस हुई थी

पहलगाम में खच्चर वाला गिरफ्तार, टूरिस्ट से धर्म पूछा थाः यूपी की महिला बोली-आतंकियों के जो स्केच जारी हुए, उनमें दो लोगों से बहस हुई थी

पहलगाम अटैक के बाद वॉट्सएप पर एक तस्वीर और चैटिंग का स्क्रीनशॉट वायरल हुआ है। इसमें पहलगाम में खच्चर की सवारी कराने वाले एक शख्स की तस्वीर है। दावा किया गया कि खच्चर चलाने वाले ने उन लोगों से उनका धर्म पूछा था। वे लोग हथियार की बात भी कर रहे थे।

वायरल तस्वीर पर कश्मीर पुलिस ने एक्शन लिया। उसमें नजर आ रहे शख्स की पहचान की। गांदरबल पुलिस ने शुक्रवार को तस्वीर में नजर आ रहे शख्स अयाज अहमद जुंगाल को गिरफ्तार किया। वो गांदरबल के गोहीपोरा रायजान का रहने वाला है। सोनमर्ग के थजवास ग्लेशियर में टट्टू सर्विस (खच्चर की सवारी) देता है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।

दरअसल, जिस महिला से अयाज ने धर्म वाली बात की थी, वह यूपी के जौनपुर की रहने वाली मॉडल एकता तिवारी हैं। उन्होंने कहा था कि 20 अप्रैल को जब हम पहलगाम में थे, तब दो संदिग्धों ने उनसे धर्म पूछा था। उन लोगों से एकता का झगड़ा भी हुआ था। वे हथियारों की भी बातें कर रहे थे। 20 लोगों का हमारा ग्रुप घाटी में ऊपर जाने की जगह वापस लौट आया था।

खच्चर वाला बोला- प्लान A फेल, B पर काम करते हैं, 35 बंदूकें मंगाई

एकता के मुताबिक खच्चर वाले ने फोन पर कहा- प्लान A फेल हो गया है, अब प्लान B शुरू होगा। 35 बंदूकें भेजी हैं, घाटी में रखी हुई हैं। लड़का उन्हें लेने गया है। वो कह रहा था कि बंदूकें घास के बॉक्स में रखी गई हैं। तभी मुझे शक हुआ। मैं उसके खच्चर से कूद गई और कहने लगी कि मुझे वापस जाना है। जब मैं लौटने लगी तो मुझसे बदतमीजी की गई। मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे धक्का दिया गया।

मेरे भाई गले में रुद्राक्ष पहने हुए थे, उनसे भी बदतमीजी की गई। वे लोग हमसे पूछ रहे थे कि तुमने कुरान क्यों नहीं पढ़ी? वे हमें जबर्दस्ती ऊपर ले जाने की कोशिश कर रहे थे, जहां बाद में (22 अप्रैल) हमला हुआ। वे मुझे उसी जगह ले जाना चाहते थे।

हमें लग रहा था कि यह आतंकी हमला 22 तारीख को नहीं, बल्कि 20 तारीख को ही अंजाम देने वाले थे। मैं वहां सबको चिल्लाकर बोल रही थी कि यह जगह सुरक्षित नहीं है, आप सब नीचे चलिए।😢😢😢😢😢

(इनको तो नंगा कर मिर्च पाउडर डालकर फिर मारना चाहिए )

प. रविशंकर ने अपने गुरु की बेटी से विवाह किया। वह तो और भी अपरंपरागत हो गया। इसका मतलब यह है कि वर्षों तक उन्‍होंने इस बात को अपने गुरु से छिपाया। जैसे ही गुरु को इस बात का पता चला वैसे ही उन्‍होंने इसकी अनुमति दे दी। और सिर्फ अनुमति ही नहीं दी, साथ में स्‍वयं इस विवाह का आयोजन भी किया।

प. रविशंकर ने अपने गुरु की बेटी से विवाह किया। वह तो और भी अपरंपरागत हो गया। इसका मतलब यह है कि वर्षों तक उन्‍होंने इस बात को अपने गुरु से छिपाया। जैसे ही गुरु को इस बात का पता चला वैसे ही उन्‍होंने इसकी अनुमति दे दी। और सिर्फ अनुमति ही नहीं दी, साथ में स्‍वयं इस विवाह का आयोजन भी किया। 

उनका नाम अल्‍लाउद्दीन खान था। और ये तो रविशंकर से भी अधिक क्रांतिकारी थे। मैं मस्‍तो के साथ उनसे मिलने गया था। मस्‍तो मुझे अनूठे लोगों से मिलाते थे। अल्‍लाउदीन खान तो उन दुर्लभ लोगों में से अति विशिष्ट थे। मैं कई अनोखे लोगो से मिला हूं, किंतु अल्‍लाउदीन जैसा दूसरा दिखाई नहीं दिया। वे अत्‍यंत वृद्ध थे। सौ वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद ही उनकी मृत्‍यु हुई।

जब मैं उनसे मिला तो वे जमीन की और देख रहे थे। मस्‍तो ने भी कुछ नहीं कहा। मेरी समझ में कुछ नहीं आया। मैंने मस्‍तो को चिकुटी भरी, किंतु मस्‍तो फिर चुप रहे--जैसे कि कुछ भी नहीं हुआ। तब मैंने मस्तो को आरे भी ताकत से चिकुटी काटी। फिर भी उन पर कोई असर नहीं हुआ। तक तो मैंने चिकुटी काटने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। और तब उन्‍होंने कहा : ओह।

उस समय मैंने अल्‍लाउदीन खान की उन आंखों को देखा--उस समय वे बहुत वृद्ध थे। उनके चेहरे की रेखाओं पर अंकित सारे इतिहास को पढ़ा जा सकता था।

उन्‍होंने सन अठारह सौ सत्‍तावन में हुए भारत के प्रथम स्‍वतंत्रता-विद्रोह को देखा था। वह उनको अच्छी तरह से याद था। इससे यह अनुमान किया जा सकता है कि उस समय वे इतने बड़े तो अवश्‍य रहे होंगे कि उस समय की घटनाओं को याद रख सकें। उन्होंने सारी शताब्‍दी को गुजरते देखा था। और  इस अवधि में वे केवल सितार ही बजाते रहे। दिन में कभी आठ घंटे, कभी दस घंटे, कभी बारह घंटे। भारतीय शास्‍त्रीय संगीत की साधना बहुत कठिन है। यदि अनुशासित ढंग से इसका अभ्‍यास न किया जाए तो इसकी निपुणता में कसर रह जाती है। संगीत पर अपना अधिकार जमाए रखने के लिए सदा उसकी तैयारी में लगे रहना पड़ता है। इसके अभ्‍यास मे जरा सी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए, क्‍योंकि इसकी प्रस्‍तुति में वह त्रुटि तत्‍क्षण खटक जाती है।

एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ ने कहा है : अगर मैं तीन दिन तक अभ्‍यास न करूं, तो श्रोताओं को इसका पता चल जाता है। अगर मैं दो दिन अभ्‍यास न करूं तो संगीत के विशेषज्ञों को पता चल जाता है। और अगर मैं एक दिन अभ्‍यास न करूं तो मेरे शिष्‍यों को मालूम हो जाता है। जहां तक मेरा अपना प्रश्न है, मुझे तो निरंतर अभ्‍यास करना पड़ता है। एक क्षण के लिए भी मैं इसे छोड़ नहीं सकता। अन्‍यथा तुरंत मुझे खटक जाता है। कि कहीं कुछ गड़बड़ है। रात भी की अच्‍छी नींद के बाद सुबह मुझे कुछ खोया-खोया सा लगा है।

भारतीय शास्‍त्रीय संगीत बहुत ही कठोर अनुशासन है। परंतु यदि तुम इस अनुशासन को अपनी इच्‍छा से अपने ऊपर लागू करो तो यह तुम्‍हें यथेष्‍ट स्‍वतंत्रता भी देता है। सच तो यह है कि अगर समुद्र में तैरना हो तो तैरने का अभ्‍यास अच्‍छी तरह से करन पड़ता है। और अगर आकाश में उड़ना हो तो बड़े कठोर अनुशासन की आवश्‍यकता होती है। लेकिन यह किसी ओर के द्वारा तुम्‍हारे ऊपर थोपा नहीं जा सकता। सच तो यह है कि जब कोई दूसरा तुम पर अनुशासन ला दे तो यह बहुत अप्रिय लगता है। अनुशासन शब्‍द के अप्रिय हो जाने का मुख्‍य कारण यहीं है। अनुशासन शब्‍द वास्‍तव में पर्यायवाची बन गया है माता-पिता, अध्‍यापक जैसे लोगो की कठोरता का, जो अनुशासन के बारे में कुछ भी नहीं जानते। उनको तो इसका स्‍वाद भी मालूम नहीं।

संगीत का वह गुरु यह कह रहा था कि ‘अगर मैं कुछ घंटे भी अभ्‍यास न करूं तो दूसरे किसी को तो पता नहीं चलता परंतु फर्क मालूम हो जाता है। इसलिए इसका अभ्‍यास निरंतर करते रहना होता है--और जितना ज्‍यादा तुम अभ्‍यास करो, उतना ही ज्‍यादा अभ्‍यास करने का अभ्‍यास हो जाता है और वह आसान हो जाता है। तब धीरे-धीरे अनुशासन अभ्‍यास नहीं बल्कि आनंद हो जाता है।

मैं शास्‍त्रीय संगीत के बारे में बात कर रहा हूं, मेरे अनुशासन के बारे में नहीं। मेरा अनुशासन तो आरंभ से ही आनंद है। शुरूआत से ही आनंद की शुरूआत है। इसके बारे में मैं बाद में आप लोगों को बताऊंगा।

मैंने रविशंकर को कई बार सुना है उनके हाथ में स्‍पर्श है, जादू का स्‍पर्श है, जो कि इस दुनिया में बहुत कम लोगों के पास होता है। संयोगवश उन्‍होंने सितार को हाथ लगाया और इस पर उनका अधिकार हो गया। सच तो यह है कि उनका हाथ जिस यंत्र पर भी पड़ जाता उसी पर उनका अधिकार हो जाता। अपने आप में यंत्र तो गौण है, महत्‍वपूर्ण है उसको बजाने बाला।

रविशंकर तो अल्लाउदीन खान के प्रेम में डूब गए। और अल्‍लाउदीन खान की महानता या ऊँचाई के बारे में कुछ भी कहना बहुत मुश्‍किल है। हजारों रवि शंकरों को एक साथ जोड़ देने पर भी वे उन ऊँचाई को छू नहीं सकते। अल्लाउदीन खान वास्तव में विद्रोही थे। वे संगीत के मौलिक स्‍त्रोत थे और अपनी मौलिक सूझ-बूझ से उन्‍होंने इस क्षेत्र में अनेक नई चीजों का सृजन किया था।

आज के प्राय:  सभी भारतीय बड़े संगीतज्ञ उनके शिष्‍य रह चुके है। आदर से उन्‍हें “बाबा” कहा जाता था। ऐसा अकारण ही नहीं है कि उनके चरण-स्‍पर्श करने के लिए दूर-दूर से सब प्रकार के कलाकार--नर्तक, सितारवादक, बांसुरी वादक, अभिनेता आदि आते थे।

मैंने उन्‍हें जब देखा तो वे नब्‍बे वर्ष पार कर चुके थे। उस समय वे सचमुच “बाबा” थे और यही उनका नाम हो गया था। वे संगीतज्ञों को विभिन्‍न वाद्ययंत्र बजाना सिखाते थे। उनके हाथ में जो भी वाद्ययंत्र आ जाता वे उसको इतनी कुशलता से बजाते मानों वे जीवन भर से उसी को बजा रहे है।

मैं जिस विश्‍वविद्यालय में पढ़ता था वे उसके नजदीक ही रहते थे--बस कुछ ही घंटों का सफर था। कभी-कभी मैं उनके पास जाता था। तभी जाता जब वहां कोई त्‍यौहार न होता। वहां पर सदा कोई न कोई त्‍यौहार मनाया जाता था। शायद मैं ही एक ऐसा व्‍यक्ति था जिसने उनसे पूछा कि ‘ बाबा’ मुझे किसी ऐसे दिन का समय दो जब यहां पर कोई त्‍यौहार न हो।

उन्‍होंने मेरी और देख कर कहा : तो अब तुम उन दिनों को भी छीन लेने आ गए हो। और मुस्‍कुरा कर उन्‍होंने मुझे तीन दिन बताए। सारे बरस में केवल तीन दिन ही ऐसे थे जब वहां पर कोई उत्‍सव नहीं होता था। इसका कारण यह था कि उनके पास सब प्रकार के संगीतज्ञ आते थे--ईसाई, हिन्दू, मुसलमान। वे उन सबको अपने-अपने त्‍यौहार मनाने देते थे। वे सच्‍चे अर्थों में संत थे और सबके शुभचिंतक थे।

मैं उनके पास उन तीन दिनों में ही जाता था जब वे अकेले होते थे और उनके पास कोई भीड़-भीड़ नहीं होती थी। मैंने उनसे कहा कि ‘ मैं आपको किसी तरह से परेशान नहीं करना चाहता। आप जो करना चाहें करें--अगर आप चुप बैठना चाहते है तो चुप रहिए। आप अगर वीणा बजाना चाहते है तो वीणा बजाइए। अगर कुरान पढ़ना चाहे तो कुरान पढ़िए। मैं तो केवल आपके पास बैठने आया हूं। आपकी तरंगों को पीने को आया हूं। मेरी इस बात को सुन कर वे बच्‍चे की तरह रो पड़े। मैने उनके आंसुओं को पोंछते हुए उनसे पूछा : क्‍या अनजाने में मैंने आपके दिल को दुखा दिया है।

उन्‍होंने कहा : नहीं-नहीं। तुम्‍हारी बातों से तो मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा है और मेरी आंखों से आंसू उमड़ आए है। मेरा इस प्रकार रोना अनुचित है। मैं इतना बूढ़ा हूं। परंतु क्या प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को सदा उचित व्‍यवहार ही करना चाहिए। मैंने कहा : नहीं, कम से कम तब तो नहीं जब मैं यहां हूं। यह सुन कर वे हंस पड़े। उनकी आँखो में आंसू थे और चेहरे पर हंसी थी…दोनों एक साथ। बहुत ही आनंददायी स्थिति थी।

ओशो : स्‍वर्णिम बचपन

एक बार एक व्यक्ति रेगिस्तान में कहीं भटक गया । उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी बहुत चीजें थीं, वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और पिछले दो दिनों से वह पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घण्टों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत निश्चित है । पर कहीं न कहीं उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा । तभी उसे एक झोँपड़ी दिखाई दी

एक बार एक व्यक्ति रेगिस्तान में कहीं भटक गया । उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी बहुत चीजें थीं, वो जल्द ही ख़त्म हो गयीं और पिछले दो दिनों से वह पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा था वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घण्टों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मौत निश्चित है । पर कहीं न कहीं उसे ईश्वर पर यकीन था कि कुछ चमत्कार होगा और उसे पानी मिल जाएगा । तभी उसे एक झोँपड़ी दिखाई दी । उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ । पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था । पर बेचारे के पास यकीन करने के अलावा कोई चारा भी तो न था । आखिर यह उसकी आखिरी उम्मीद जो थी । वह अपनी बची खुची ताकत से झोँपडी की तरफ चलने लगा । जैसे-जैसे करीब पहुँचता, उसकी उम्मीद बढती जाती और इस बार भाग्य भी उसके साथ था । सचमुच वहाँ एक झोँपड़ी थी । पर यह क्या ? झोँपडी तो वीरान पड़ी थी । मानो सालों से कोई वहाँ भटका न हो । फिर भी पानी की उम्मीद में वह व्यक्ति झोँपड़ी के अन्दर घुसा । अन्दर का नजारा देख उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ । वहाँ एक हैण्ड पम्प लगा था । वह व्यक्ति एक नयी उर्जा से भर गया । पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता वह तेजी से हैण्ड पम्प को चलाने लगा । लेकिन हैण्ड पम्प तो कब का सूख चुका था । वह व्यक्ति निराश हो गया, उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता । वह निढाल होकर गिर पड़ा । तभी उसे झोँपड़ी की छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखाई दी । वह किसी तरह उसकी तरफ लपका और उसे खोलकर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज़ दिखा उस पर लिखा था - *"इस पानी का प्रयोग हैण्ड पम्प चलाने के लिए करो और वापिस बोतल भरकर रखना ना भूलना ?" यह एक अजीब सी स्थिति थी । उस व्यक्ति को समझ नहीं आ रहा था कि वह पानी पीये या उसे हैण्ड पम्प में डालकर चालू करे । उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे, अगर पानी डालने पर भी पम्प नहीं चला । अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो । लेकिन क्या पता पम्प चल ही पड़े, क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो, वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे ? फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पम्प में डालने लगा। पानी डालकर उसने भगवान से प्रार्थना की और पम्प चलाने लगा । एक, दो, तीन और हैण्ड पम्प से ठण्डा-ठण्डा पानी निकलने लगा । वह पानी किसी अमृत से कम नहीं था । उस व्यक्ति ने जी भरकर पानी पिया, उसकी जान में जान आ गयी । दिमाग काम करने लगा । उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया । जब वो ऐसा कर रहा था, तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी । खोला तो उसमें एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था, जिसमें रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था । उस व्यक्ति ने रास्ता याद कर लिया और नक़्शे वाली बोतल को वापस वहीँ रख दिया । इसके बाद उसने अपनी बोतलों में (जो पहले से ही उसके पास थीं) पानी भरकर वहाँ से जाने लगा । कुछ आगे बढ़कर उसने एक बार पीछे मुड़कर देखा, फिर कुछ सोचकर वापिस उस झोँपडी में गया और पानी से भरी बोतल पर चिपके कागज़ को उतारकर उस पर कुछ लिखने लगा । उसने लिखा - *"मेरा यकीन करिए यह हैण्ड पम्प काम करता है यह कहानी सम्पूर्ण जीवन के बारे में है । यह हमें सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए और इस कहानी से यह भी शिक्षा मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है । जैसे उस व्यक्ति ने नल चलाने के लिए मौजूद पूरा पानी उसमें डाल दिया । देखा जाए तो इस कहानी में पानी जीवन में मौजूद महत्वपूर्ण चीजों को दर्शाता है, कुछ ऐसी चीजें जिनकी हमारी नजरों में विशेष कीमत है । किसी के लिए मेरा यह सन्देश ज्ञान हो सकता है तो किसी के लिए प्रेम तो किसी और के लिए पैसा । यह जो कुछ भी है, उसे पाने के लिए पहले हमें अपनी तरफ से उसे कर्म रुपी हैण्ड पम्प में डालना होता है और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं अधिक मात्रा में उसे वापिस पाते हैं।

Thursday, 24 April 2025

भारत में संसदीय आवश्यकता और न्यायिक सर्वोच्चता की लड़ाई -डॉ दिलीप कुमार सिंह डिफेंस काउंसिल जनपद न्यायालय जौनपुर

 भारत में संसदीय आवश्यकता और न्यायिक सर्वोच्चता की लड़ाई -डॉ दिलीप कुमार सिंह डिफेंस काउंसिल जनपद न्यायालय जौनपुर

भारत का संविधान लिखित है आकार की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा संविधान है और दुनिया के हर संविधान से कुछ न कुछ उधार लेकर इस विराट संविधान का निर्माण किया गया है जो दो वर्ष से अधिक समय में तैयार हुआ है इसकी प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर थे जब की संविधान सभा के अध्यक्ष भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे इस संविधान के निर्माण में हर क्षेत्र के दिग्गज लोगों ने भाग लिया था 

भारत के संविधान निर्माण के समय ही यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया था कि संविधान के आधारभूत ढांचे में मूलभूत परिवर्तन नहीं किया जा सकता है और मूल अधिकारों को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है इसके साथ ही साथ यह भी कहा गया था कि संसद पूरी तरह से सर्वोच्च रहेगी क्योंकि यह जनता के द्वारा चुनी गई है और लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी होती है बहुत दिनों तक यह विवाद चला रहा कि भारत में कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका में कौन श्रेष्ठ है 

इस बात को स्पष्ट करते हुए पूरी तरह से संविधान की प्रस्तावना में कहा गया था कि हम भारत के लोग अर्थात जो भारत के लोग हैं जो वहां की जनता है वही कार्यपालिका व्यवस्थापिका और न्यायपालिका के साथ-साथ संविधान की भी आधारभूत शक्ति है ना तो कार्यपालिका न तो न्यायपालिका न तो विधायक का श्रेष्ठ है बल्कि सबसे श्रेष्ठ संविधान है क्योंकि सारे तंत्र इसी से अपनी शक्तियां प्राप्त करते हैं और क्योंकि संविधान अपनी शक्ति खुद ही जनता से प्राप्त करती है इसलिए भारत की जनता सबसे श्रेष्ठ है यही इसमें पूरी तरह से स्पष्ट रूप से कहा भी गया है शक्तियों का पृथक्करण सिद्धांत प्रतिपादित करके पूरी तरह से बता दिया गया है कि तीनों तंत्र अलग हैं अपने में स्वतंत्र हैं और अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोच्च हैं लेकिन क्योंकि संसद को कानून बनाने की और संविधान में संशोधन की अपार शक्तियां प्राप्त हैं इसलिए बिना किसी संदेह के संसद ही सर्वोच्च है लेकिन इस बात पर स्वतंत्रता के बाद से आज तक की लड़ाई लगातार जारी है और मजे की बात यह है कि कभी कार्यपालिका की लड़ाई ना तो न्यायपालिका से हुई और ना तो कार्यपालिका की लड़ाई आज तक संसद से हुई है 


अगर देखा जाए तो न्यायपालिका की सर्वोच्चता और संसदीय परम सत्ता के मूल में दोनों तंत्र की अति महत्वाकांक्षा और एक दूसरे के ऊपर हावी होने का असंवैधानिक प्रयास है लेकिन इधर के वर्षों में न्यायिक सक्रियता इतनी अधिक बढ़ गई है कि न्यायपालिका सारी शक्तियां अपने हाथ में लेकर कार्यपालिका व्यवस्थापिका को जिस तरह आदेश निर्देश दे रहे हैं और देश के सर्वोच्च सत्ता संविधान के संरक्षक राष्ट्रपति और राज्यपाल के प्रति उसका हाल में दिया गया जो निर्देश है वह उसको अति महत्वपूर्ण संस्था के रूप में स्थापित करने का एक असाधारण प्रयास है 

सांसद और न्यायपालिका का टकराव कोई नई बात नहीं है उनके मूल में उच्च न्यायालय में संविधान का अनुच्छेद 226 227 और सर्वोच्च न्यायालय के मूल में अनुच्छेद 32 और 136 142 और 368 अनुच्छेद हैं जिनका मनमानव व्याख्या करके इस समय न्यायपालिका अपने सर्वोच्च स्थान पर पहुंच गए हैं और विधायक का तथा कार्यपालिका उसके आगे असहाय दिख रही है इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है कि जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा यह निर्णय दिया गया है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल अगर किसी विधेयक पर 3 महीने तक निर्णय नहीं लेते तो वह विधायक अपने आप पारित माना जाएगा अगर संसद भी इसी तरह प्रस्ताव पारित करके न्यायपालिका के 6 करोड़ से अधिक लंबित मुकदमों का यह निर्देश दे दे कि अगर यह मुकदमे 1 वर्ष में निर्णीत नहीं हो गए तो इन्हें अपने आप निर्णीत माना जाएगा तब आप समझ लीजिए कितनी भयंकर और टकराव वाली संवैधानिक स्थिति पैदा होगी

अब हम कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण विवादों का चल अनावरण करते हुए उनकी चर्चा करेंगे जिसमें समय-समय पर विधायक प्रभु सत्ता और न्यायिक सर्वोचना की लड़ाई हुई है लेकिन अंतिम स्पष्ट रूप से किसी की प्रभावी सर्वोच्चता और प्रभु सत्ता अभी तक सिद्ध नहीं हो सकी है‌।

भारत के इतिहास के सांसद और न्यायपालिका के बीच के सर्वाधिक चर्चित मामले न्यायिक नियुक्ति आयोग गोलकनाथ नाम बिहार राज्य मिनर्वा मिल्स बनाम बिहार राज्य केशवानंद भारती का विवाद है जिनकी इस समय खूब चर्चा हो रही है इस पर न्यायपालिका ने क्या कहा वह भी आपको हम बताते हैं 

केशवानंद भारती विवाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किया गया कि संसद को संविधान के मूल ढांचे को बदलने का अधिकार नहीं है लेकिन यही सर्वोच्च न्यायालय तक बिल्कुल मौन रह गया जब संविधान की गरिमा और न्यायिक प्रक्रिया तथा संविधान की प्रस्तावना के मूल ढांचे को ही बदल दिया गया और उसमें जबरदस्ती समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जोड़कर संविधान का मजाक बनाया गया जबकि प्रस्तावना संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जिस संविधान की कुंजी या संविधान की आत्मा भी कहा जाता है उसे समय सर्वोच्च न्यायालय पूरी तरह से खामोश रहा जब इंदिरा गांधी के द्वारा आपातकाल लगाया गया और न्यायाधीशों की वरिष्ठता को जानबूझकर अंडे देखा करते हुए जूनियर न्यायाधीश को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और और जैसे चर्चित मामलों में सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की गरिमा तारतार कर दिया 42वां और 44 वां संशोधन की न्यायपालिका के मुंह पर एक जोरदार तमाचा से भी बढ़कर है अगर उसे समय न्यायपालिका की सक्रियता आज की तरह आई होती तो लोग बिना कहे ही उसको अपना समर्थन दे देते।
[4/23, 11:55 AM] Dr  Dileep Kumar singh: इसी तरह गोलकनाथ विवाद मिनर्वा मिल्स विवाद राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विवाद और अन्य बड़े-बड़े बिंदुओं पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि संविधान की व्याख्या करने और उसकी सुरक्षा करने का एकमात्र अधिकार केवल और केवल सर्वोच्च न्यायालय को है और इसकी सुरक्षा और व्याख्या के लिए सर्वोच्च न्यायालय कोई भी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है शाहबानो प्रकरण में भी ऐसा ही कुछ था जब स्वर्गीय राजीव गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की ऐसी की तैसी करते हुए उसको पलटकर संविधान संशोधन कर दिया केजरीवाल के मामले में भी ऐसा कुछ हुआ था आपातकाल लागू करते समय इंदिरा गांधी ने संविधान और जजों की एक भी रत्ती भर परवाह नहीं किया और जो कुछ भी मन में आया करती चली गई नेहरू इंदिरा ममता बनर्जी मुलायम सिंह यादव और इस तरह के अन्य लोगों के सामने सर्वोच्च न्यायालय की एक न चली और उसे समय तक पूरी तरह से संसद की प्रमुख सत्ता कायम हो चुकी थी लेकिन जब से मोदी जी ने कार्यभार ग्रहण किया है तब से न्यायिक सक्रियता अपने चरण पर पहुंच गए और लगभग हर बिंदुओं पर संसदीय सर्वोच्चता को चोट पहुंचाई जा रही है कॉलेजियम सिस्टम पर न्यायिक नियुक्ति विधेयक को खारिज करना है इसका उत्तम उदाहरण है इसी तरह वह संशोधन बिल पर भी सर्वोच्च न्यायालय की दिशा संसद से टकराव के बिंदु पर पहुंच गई है।


अब एक बार फिर से सांसद और सर्वोच्च न्यायालय पर वापस आते हैं संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संविधान की व्याख्या करने और उसकी सुरक्षा करने का अधिकार अन्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय को है और संसद के द्वारा बनाए गए कानूनी की समीक्षा का भी उसे अधिकार है और अगर वह संविधान के मूल ढांचे का अतिक्रमण कर रहे हैं तो सर्वोच्च न्यायालय उसे पर उचित दिशा निर्देश दे सकता है जबकि संसद का काम कानून बनाने के साथ-साथ संविधान के संशोधन का भी है और संविधान संशोधन का एकमात्र अधिकार संसद के पास है सर्वोच्च न्यायालय के पास नहीं है इसी तरह संसद को न्यायपालिका के सभी प्रकार के निर्णय की समीक्षा का असीमित अधिकार है अगर वह संतुष्ट नहीं है तो किसी भी निर्णय में उचित प्रक्रिया और उचित बहुमत सेवा संशोधन कर सकती है इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय को एक और अधिकार संसद के ऊपर प्राप्त है जिसको न्यायिक पुनर्विलोकन कहा जाता है संविधान के मूल ढांचे के विधायकों के विरुद्ध अधिकार प्राप्त हैं इस प्रकार से भी स्पष्ट है कि संसदीय सर्वोच्चता न्यायिक सर्वोच्चता के ऊपर है केशवानंद भारती गोलकनाथ मिनर्वा मिल्स जैसे विवादों में कहा गया की किसी भी कानून से संविधान के आधारभूत ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता और न ही मूल अधिकारों को रोका जा सकता है इसमें एक और बिंदु दबाया जब मिनर्वा मिल्स में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि संसद के पास संविधान संशोधन की असीमित शक्ति है जो धारा 368 में संसद को प्राप्त है 

सांसद और सर्वोच्च न्यायालय में टकराव का सबसे बड़ा बिंदु कॉलेजियम सिस्टम है जिसमें पहले से कार्यरत मुख्य न्यायाधीश कर न्यायाधीशों के साथमिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि अगला न्यायाधीश कौन-कौन होगा जिसे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में नियुक्त किया जाए यह अधिकार संविधान का नहीं है स्वयं न्यायपालिका द्वारा बनाया गया है और इतना मजबूत हो गया है कि अब कॉलेजियम सिस्टम में किसी भी कार्यपालिका या सांसद का हस्तक्षेप नहीं रह गया है 

इस संदर्भ में एक और बात को स्पष्ट कर देना है यद्यपि भारत के संविधान में दुनिया के लगभग हर संविधान से कुछ ना कुछ लिया गया है लेकिन भारत का अधिकांश संविधान ब्रिटेन और अमेरिका के द्वारा लिया गया है अमेरिका में न्यायपालिका की सर्वोच्चता है जबकि ग्रेट ब्रिटेन में वहां की संसद सर्वोच्च है क्योंकि वहां कोई लिखित कानून लिखित संविधान है ही नहीं इस प्रकार भारत में गणतंत्र और लोकतंत्र की मिली जुली  पद्धति लोकतांत्रिक गणराज्य की पद्धति बनाई गई जो अधिक सफल नहीं हो पा रही है इससे देश आधा तीतर आधा बटेर जैसी स्थिति में आ गया है दुर्भाग्य बस जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपने-अपने अनुसार न्यायपालिका संविधान और संसद के बारे में लेख लिखा करते हैं
[4/23, 12:29 PM] Dr  Dileep Kumar singh: इस प्रक्रिया में एक और बात को जान लेना आवश्यक है की न्यायपालिका अर्थात सर्वोच्च न्यायालय और संसद का संबंध बहुत कुछ दोनों पदों के शीर्ष पर बैठे हुए मुख्य न्यायाधीश और प्रधानमंत्री पर भी निर्भर करता है जो कमजोर एवं निर्णय लेने में प्रभावी नहीं रहता वह दूसरे के ऊपर प्रभावी हो जाता है जिस प्रकार नेहरू और इंदिरा गांधी थे अगर वैसा कोई व्यक्ति होता तो यह सब नौबत नहीं आती जो आज पैदा हुई है दूसरी बात संबंधित दल का प्रधानमंत्री कितने बहुमत में है यह भी सर्वोच्च न्यायालय को प्रभावित करता है इस समय मोदी सरकार प्रभावी बहुमत में नहीं है इसलिए भी अधिकतर निर्णय उनके विरुद्ध जा रहे हैं देश को यह अनुभव हो रहा है कि कुछ ना कुछ मूलभूत परेशानी है जिसकी कीमत देश की जनता को चुकानी पड़ रही है 


वैसे भी संसद को एक निश्चित बहुमत के द्वारा किसी भी न्यायाधीश को हटाने काअधिकार है जबकि न्यायालय के पास यह शक्ति नहीं है इस संदर्भ में न्यायाधीश कर्णन रामास्वामी और यशवंत वर्मा जी सहित अनेक न्यायाधीशों के चाल चरित्र से न्यायपालिका की साख को गहरा धक्का पहुंचा है और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को दिवस होकर यह कहना पड़ा है कि देश के न्यायालय राष्ट्रपति को आदेश निर्देश जारी नहीं कर सकते जो बिल्कुल उचित है 

इस संदर्भ में निशिकांत दुबे और सैकड़ो अन्य लोगों के वक्तव्य को भी अन्य देखा नहीं किया जा सकता देश या जानना चाहता है कि आखिर तीस्ता सीतलवाड़ गिरीश सोमैया गोधरा और बेस्ट बेकरी कांड बुलडोजर और मुर्शिदाबाद बंगाल कांड पालघर और पहलगाम जैसे अनगिनत मामलों में सर्वोच्च न्यायालय का एक साथ दोहरा व्यवहार स्पष्ट रूप से देखने को क्यों मिल रहा है ।


न्यायपालिका के अंदर बहुत कुछ ऐसा चल रहा है जो नहीं चलना चाहिए जिस पर अधिक लिखना उचित नहीं है लेकिन जो वादकारी थके हारे पीढ़ियों से मुकदमा लड़ रहे हैं वह अधिकारियों से और उनकी स्थिति से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को अवगत होकर उसे पर प्रभावित कार्यवाही अवश्य करनी चाहिए इसके साथ ही न्यायिक तंत्र में फैले हुए भ्रष्टाचार घूसखोरी और चाटुकारिता की भावना को भी प्रभावी ढंग से समाप्त करना होगा इसमें अपने संपत्ति की घोषणा करना भी एक उदारता पूर्ण और प्रभावी कदम होगा और नए परिसर में हर प्रकार के अन्य अत्याचार को रोकना न्यायिक तंत्र की सबसे बड़ी और पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इस बारे में एक व्यापक सर्वेक्षण भी होना चाहिए क्योंकि न्यायपालिका में फैले हुए मुकदमों में करोड़ों लोग फंसे हुए हैं और यह देश की प्रगति में बहुत बड़ी बाधा सिद्ध हो रहा है क्योंकि प्रतिदिन करोड़ों लोग केवल मुकदमों के संदर्भ में न्यायालय आते हैं और जाते हैं और उतना मानव श्रम बिल्कुल बेकार हो जाता है  यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ मुकदमे सप्ताह और महीना में कैसे निर्णीत हो जाते हैं और क्यों उन्हें लंबित पड़े हुए करोड़ों करोड़ों मुकदमों में नहीं अपनाया जा सकता है।

न्यायपालिका को भी गहराई से और निष्पक्ष रूप से बिना कोई अन्यथा लिए विचार विमर्श करना चाहिए क्योंकि यह टकराव किसी भी प्रकार से न्यायपालिका संसद या देश के हित में नहीं है जबकि न्यायपालिका यह अच्छी तरह जानती है की लोकतांत्रिक प्रणाली में यहां तक की गणतंत्र में भी संसद ही सर्वोच्च होती है वह कानून बना सकती है उसमें संशोधन कर सकती है नए कानून ला सकती है न्यायाधीशों को हटा सकती है और उनकी नियुक्ति में भी प्रभावी भूमिका निभा सकती है और नियुक्त हो जाने पर भी राष्ट्रपति के पास उसे रोके जाने का ब्रह्मास्त्र मौजूद है सबसे अच्छा यह होता कि न्यायपालिका अपना संपूर्ण मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए अपने लंबित सारे मुकदमों को निपटाकर देश और दुनिया के सामने एक अद्भुत प्रतिमान स्थापित करती तो बाकी सारे बिंदु अपने आप में नगण्य हो जाते कहीं ना कहीं कश्मीर मैं कश्मीरियों के साथ सामूहिक हत्या सामूहिक बलात्कार और पलायन दिल्ली में सिखों की हत्या पालघर और मुर्शिदाबाद तथा बंगाल जैसे कांड केराना और अभी बिल्कुल हाल में घाटा हुआ पहलगाम का कांड चीख चीखकर कोई अन्य कहानी कह रहा है और देशवासी न्यायिक सक्रियता के दोहरेपन पर हतप्रभ हैं न्याय प्रणाली और न्यायाधीश निश्चित रूप से सदैव सबसे सम्मानित और सबसे महत्वपूर्ण अंग होते हैं लेकिन उनको भी इस तंत्र की गरिमा और साख को बहाल रखना चाहिए संसद को भी न्यायपालिका की सर्वोच्च गरिमा का ध्यान रखते हुए ही कोई कदम उठाना चाहिए और सांसद तथा न्यायपालिका को यह मानकर काम करना चाहिए कि सारे देशवासी उनके घर के सदस्य जैसे हैं इसके बाद कोई गलत कदम उठाने की संभावना ही नहीं रह जाएगी

Tuesday, 22 April 2025

आज विश्व पृथ्वी दिवस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर के अध्यक्ष एवं जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा के निर्देशन एवं सचिव पूर्णकालिक अतिरिक्त सत्र एवं जनपद न्यायाधीश प्रशांत कुमार सिंह की देखरेख एवं उपस्थिति में एक विधिक साक्षरता जागरूकता शिविर का आयोजन होली चाइल्ड अकैडमी जौनपुर के परिसर में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रबंधक एवं संस्थापक डॉ अशोक कुमार सिंह ने किया और मुख्य अतिथि प्रशांत कुमार सिंह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रहे

प्रेस विज्ञप्ति 
आज विश्व पृथ्वी दिवस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर के अध्यक्ष एवं जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा के निर्देशन एवं सचिव पूर्णकालिक अतिरिक्त सत्र एवं जनपद न्यायाधीश प्रशांत कुमार सिंह की देखरेख एवं उपस्थिति में एक विधिक साक्षरता जागरूकता शिविर का आयोजन होली चाइल्ड अकैडमी जौनपुर के परिसर में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रबंधक एवं संस्थापक डॉ अशोक कुमार सिंह ने किया और मुख्य अतिथि प्रशांत कुमार सिंह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रहे

इस अवसर पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रशांत कुमार सिंह ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर ने कहा कि धरती को फिर से हरा भरा बनाने हरियाली लाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन का काम से कम प्रयोग करने होगा के साथ-साथ हमें जो काम चल करना है उसे आज और अभी करने पर बल देना होगा लोगों को जागरूक होना होगा और सबसे बड़ी बात पृथ्वी से ही सब कुछ है अगर पृथ्वी ही नहीं रहेगी तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा धरती मां के समान है इसलिए उसे गंदगी करने से मुक्त करने चाहिए एवं प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और उद्देश्य पर भी प्रकाश डाला। और सभी को प्राधिकरण के बारे में जानकारी करके अधिक से अधिक लाभ लेने के बारे में और अधिक से अधिक वृक्ष तथा हरियाली लगाने के बारे में प्रेषित किया


कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल जनपद न्यायालय जौनपुर मैं कहा कि विश्व पृथ्वी दिवस मनाने की सार्थकता तभी  है जब इसे कागज और भाषण की जगह व्यावहारिक धरातल पर उतारा जाए उन्होंने कहा कि लगातार जंगलों पेड़ पौधों और हरियाली का काटा जाना चारों ओर सीमेंट का कंक्रीट और प्लास्टिक के जंगल पैदा किया जाना कल कारखाने वाहनों रेल और हवाई जहाजों का बढ़ना प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक तथा रेडियो एक्टिव तत्वों का कूड़ा कचरा का बढ़ते जाना ऑक्सीजन का घटना और कार्बन डाइऑक्साइड के लगातार बढ़ने और हवा के जहरीला और प्रदूषित होने का प्रमुख कारण बन गया है इसके लिए हमें तत्काल युद्ध स्तर पर तैयारी करनी होगी नहीं तो आने वाले दिनों में लोगों को ऑक्सीजन का सिलेंडर पीठ पर लाद कर घूमना होगा लगातार हर घर में जेट पंप और सबमर्सिबल का बढ़ना हुआ वातानुकूलित यंत्रो का प्रयोग बिजली के चूल्हे और युद्ध में प्रयोग किया जा रहे हैं खतरनाक विस्फोटक परमाणु परीक्षण और अधिक संख्या में उपग्रह का छोड़ जाना और उनसे उत्पन्न पूरा कचरा ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन के परत में क्षेत्र का कारण बन गया है यदि मनुष्य नहीं माना तो जिस तरह बाढ़ में नदी सारा कचरा विनाश लीला मचा कर किनारो पर फेंक देती है वैसे धरती भी स्वयं को संतुलित होने के लिए धरती का सारा जीवन भयानक भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट आंधी तूफान बवंडर सुनामी लहरों के द्वारानष्ट करके नए सिरे से खुद को पुनर्चक्रण करेगी उन्होंने कहा इसलिए वेदों और धर्म ग्रंथो में धरती को मां और मनुष्य को उसका पुत्र कहा गया है

तहसीलदार सौरव कुमार ने इस अवसर पर बताया कि विकास करना आवश्यक है लेकिन इस तरह का विकास करना जो विनाश का आमंत्रित करें वह बहुत ही खतरनाक है आज हरियाली विभिन्न और पेड़ पौधा विभिन्न धरती लगातार गर्म होती जा रही है और कुछ दिन के बाद इस भयानक गर्मी में लोगों का जीना असंभव हो जाएगा इसके लिए तत्काल अभी से युद्ध स्तर पर कार्यवाही किया जाना और हरे भरे पेड़ लगाया जाना बहुत ही आवश्यक और अपरिहार्य हैं

इस अवसर पर असिस्टेंट डिफेंस काउंसिल अनुराग चौधरी मनोज कुमार वर्मा एडवोकेट एवं सदस्य फ्री लिटिगेशन देवेंद्र कुमार यादव एडवोकेट काउंसलर के द्वारा बिस्तर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर के कार्यों का और प्रदेश सुविधाओं का वर्णन किया गया धरती को हारा भारत स्वच्छ ऑक्सीजन युक्त बनाने के लिए और कार्बन डाइऑक्साइड काम करने के लिए अपनी बातों को प्रभावशाली ढंग से रखा गया और ऐसी धरती का विकास करने को कहा गया जिसमें विनाश ना हो और जहां हरियाली स्वच्छता हो प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन हो प्रदूषण और गंदगी का नाम और निशान ना हो और जहां पर नदी तालाब झील समुद्र पोखर और अन्य जगह का जल पूरी तरह शुद्ध स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त हो इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिन पूर्णकाली प्रशांत कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह असिस्टेंट डिफेंस काउंसिल अनुराग चौधरी मनोज कुमार वर्मा कर्मचारी सुनील कुमार  राकेश कुमार  पीएलवी शिव शंकर सिंह अकादमी के छात्र-छात्राएं शिक्षक गण और प्रधानाचार्या डॉक्टर श्रीमती नीलम सिंह एवं प्रबंधन तथा संस्थापक डॉ अशोक कुमार सिंह मीडिया के लोग औरअन्य संभ्रांत लोग उपस्थित हैंउपस्थित रहे 

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अशोक कुमार सिंह रघुवंशी द्वारा किया गया और धन्यवाद प्रस्ताव प्रधानाचार्या डॉक्टर श्रीमती नीलम सिंहद्वारा किया गया

मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की अप्रैल महीने की बहुत ही भयंकर हलचल आंधी पानी तूफान चक्रवात ओलावृष्टि झंझावात वज्रपात द्वारा धनंजय की फसलों की भीषण हानि की सभी भविष्यवाणियां अभी तक बिल्कुल सही सिद्ध हुई है अब प्रश्न यह है कि आने वाले 15 दिनों में जौनपुर और आसपास एवं देश का मौसम कैसा रहेगा ।आइए प्रमाणिक सटीक जानकारी दे रहे हैं

आगामी मौसम की भविष्यवाणी: डॉ दिलीप कुमार सिंह 

 मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की अप्रैल महीने की बहुत ही भयंकर हलचल आंधी पानी तूफान चक्रवात ओलावृष्टि झंझावात वज्रपात द्वारा धनंजय की फसलों की भीषण हानि की सभी भविष्यवाणियां अभी तक बिल्कुल सही सिद्ध हुई है अब प्रश्न यह है कि आने वाले 15 दिनों में जौनपुर और आसपास एवं देश का मौसम कैसा रहेगा ।आइए प्रमाणिक सटीक जानकारी दे रहे हैं

सबसे पहले जौनपुर और आसपास के समस्त जनपदों और पूर्वांचल के बारे में मौसम की प्रमाणिक जानकारी यह है कि कल से ही भयंकर गर्मी उमस शुरू हो जाएगी और हवाओं की दिशा भी बदल जाएगी अब तक पूर्वी उत्तर पूर्वी हवा धीरे-धीरे उत्तरी पूर्वी से पश्चिम और उत्तर पश्चिमी हवा में बदल जाएगी अधिकतम तापमान भी अचानक ही 37 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर पहले 41 और उसके बाद 43 और फिर 44 डिग्री सेल्सियस पार कर जाएगा इस प्रकार अप्रैल महीने में भयानक गर्मी के अनेक कीर्तिमान अप्रैल के अंतिम सप्ताह में बनेंगे न्यूनतम तापमान भी 22 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 26 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा यह भी परेशानी बढ़ाने वाला होगा अल्ट्रावायलेट किरणों की तीव्रता 5 से लेकर 7 पर चल रही थी अब वह 8 से 12 तक पहुंच जाएगी जो गर्मी को भयानक बना देती है हवाओं की गति सामान्य रूप से 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा बनी रहेगी इस एक सप्ताह के अंदर मौसम के शांत और कृषि के अनुकूल बने रहने की संभावना है 28 अप्रैल के बाद मौसम फिर बदल जाएगा और भयानक गर्मी एवं 44 डिग्री सेल्सियस के तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस की कमी आने की संभावना है वायु गुणवत्ता सूचकांक क इस कालखंड में 150 से 250 के बीच बना रहेगा मौसम में एक दो बार हल्की आंधी तूफान बवंडर आ सकता है।

उत्तर पूर्वोत्तर और मध्य भारत एवं दक्षिण पश्चिम भारत में भी कल से प्रचंड गर्मी शुरू होगी और मौसम शांत रहेगा विशेष कर राजस्थान महाराष्ट्र और गुजरात तथा मध्य प्रदेश में बहुत ही प्रचंड गर्मी और तापलहर उत्पन्न होगी और लगभग यही हाल दिल्ली पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश का भी रहेगा यहां भी मौसम सामान्य रूप से सूखा रहेगा और 28 अप्रैल के बाद यहां भी मौसम परिवर्तन के साथ तापमान कम होने आंधी तूफान वर्षा आने की फिर से संभावना बन रही है ।

इस कालखंड में अर्थात 20 से 27 अप्रैल तक जम्मू कश्मीर उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश नेपाल भूटान अरुणाचल प्रदेश में कहीं-कहीं वर्षा और बर्फबारी होगी लेकिन यहां भी तापमान में वृद्धि जारी रहेगी पूर्वोत्तर भारत में मौसम सामान्य रूप से देश के अन्य भागों की अपेक्षा सुखद सुहाना और वर्षा वाला रहेगा इन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस रहेगा 28 अप्रैल से 5 में तक मौसम में यहां भी परिवर्तन होगा हिमालय क्षेत्र गुजरात और पूर्वोत्तर भारत एवं पाकिस्तान से सटी हुई सीमा पर इस 15 दिनों के कालखंड में दो भूकंप हल्के मध्यम स्तर के आएंगे 

इस कालखंड में बंगाल बिहार पूर्वी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड और उड़ीसा का मौसम बहुत मिला-जुला रहेगा कभी वहां पर प्रचंड आंधी तूफान तो कभी भयानक गर्मी होगी बीच-बीच में मौसम ठीक भी रहेगा कुछ क्षेत्रों में आंधी पानी तूफान के साथ वर्षा और वज्रपात भी होगा इन क्षेत्रों में तापमान सामान्य रूप से40 से 45 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस रहेगा पराबैंगनी किरणें और प्रदूषण की मात्रा भी भयानक रहेगी 

अब बचे दक्षिणी भारत के राज्य जिसमें मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश तेलंगाना पांडिचेरी तमिलनाडु केरल कर्नाटक और गोवा है यहां पर भी खुली धूप और प्रचंड गर्मी के साथ बहुत से स्थान पर वर्षा भी 27 अप्रैल तक होगी लेकिन अधिकांश स्थानों पर बहुत गर्म मौसम रहेगा और औसत तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23 से 27 डिग्री सेल्सियस बना रहेगा यहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक अच्छा रहने की आशा है और प्रदूषण की मात्रा भी कम रहेगी लेकिन अल्ट्रावायलेट किरणों की मात्रा बहुत तेज रहेगी केरल कर्नाटक गोवा के क्षेत्र में भयानक वर्षा हो सकती है मुंबई और पालघर तथा नालासोपारा और आसपास तेज धूप गर्मी और एक दो हल्की वर्षा का मौसम रहेगा 

इन 15 दिनों के कालखंड में लक्षद्वीप और अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में अधिक वर्षा होने की संभावना है और बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में एक भयानक विक्षोभ उत्पन्न होगा जो चक्रवात में बदल सकता है और एक भयानक महा चक्रवात बना सकता है जिससे पूरा भारत प्रभावित होने की आशंका है एक संभावना यह भी है कि यह चक्रवात बांग्लादेश और म्यांमार की तरफ मुड़ सकता है इस प्रकार आगामी 15 दिन का संपूर्ण भारत का यही मौसम रहेगा 20 से 27 तक गर्मी प्रचंड रहेगी

Sunday, 6 April 2025

#शिरीष आजकल

#शिरीष आजकल जब रात को निकलता हूँ तो इसकी खुशबू अपने तरफ खीचने लगती हैं सोचता हूँ क्या महक रहा फिर जब इस खिले हुये पेड़ को देखकर समझ मेें आता है अपने गँव शहर में यह पेड़ जरूर लगायें शिरीष क्या है? (What is Lebbeck Tree?)

शिरीष मध्यम आकार का सघन छायादार पेड़ है। इसकी छाल, फूल, बीज, जड़, पत्ते आदि हर अंग का उपयोग औषधि के लिए किया जाता है।  बीज शिरीष का वृक्ष बहुत तेजी से बड़ा होता है। इसके पत्ते पतझड़ में गिर जाते हैं। इसके कुछ पेड़ छोटे तो कुछ काफी बड़े होते हैं।

शिरीष की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन प्रायः तीन प्रकार के होते हैं, लेकिन इसके अलावा भी शिरीष (Shireesh) की अन्य प्राजतियां भी होती हैं-

लाल शिरीष

काला शिरीष

सफेद शिरीष

शिरीष की प्रमुख विशेषता है कि इसकी शाखाएं बहुत ही सहजता से विकसित होती हैं और फल-फूल भी जल्द ही लगाने लगते हैं। शिरीष की निम्नलिखित प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता हैः-

Albizia lebbeck (Linn.) Benth –

यह 16 से 20 मीटर तक ऊंचा होता है। यह वृक्ष बहुत ही घना होता है। इसके फूल सफेद व पीला रंग का और काफी सुंगधित होते हैं। इसका फल 10 से 30 सेंटीमीटर लंबा, 2 से 4। 5 सेंटमीटर तक चौड़ा होता है।  यह फल नुकीला और पतला होता है। कच्ची अवस्था में यह फल हरे रंग का होता है। पकने  पर भूरे रंग का हो जाता है। यह फल चिकना और चमकीला होता है।

Albizia amara (Roxb.) Boivin (श्यामल शिरीष) –

श्यामल शिरीष (Shireesh) लगभग 15 मीटर ऊंचा होता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसके फल पीले-भूरे रंग के होते हैं। ये फल सीधे और चपटे होते हैं। इनमें बीजों की संख्या 6 से 12 तक होती है।

Albizia julibrissin Durazz. (शैल शिरीष) –

यह लगभग 12 मी ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां थोड़ी छोटी होती हैं। इसके फूल हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। इसका फल छोटा और चपटा होता है। चिकित्सा के लिए इसकी छाल का प्रयोग किया जाता है।

Albizzia procera (Roxb.) Benth. (श्वेत शिरीष) –

यह लगभग 30 मीटर तक ऊंचा होता है। इसके पत्ते पिच्छाकार होते हैं। पत्ते हरे रंग के होते हैं। इसके फूल सफेद व पीले रंग के होते हैं। इसके फल नारंगी-भूरे रंग के होते हैं। इसमें बीजों की संख्या 10 से 12 के बीच होते हैं।

अन्य भाषाओं में शिरीष के नाम (Lebbeck tree name in different languages in Hindi)

शिरीष माइमोसेसी (Mimosaceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ऐल्बिजिया लैबैक (Albizia lebbeck (Linn.) Benth) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Syn-Acacia lebbek (Linn.) Willd,  Mimosa lebbeck Linn आदि नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे Lebbeck tree (लैबैक ट्री), East Indian walnut (ईस्ट इण्डियन वालनट) आदि नामों से जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैं।

Lebbeck Tree in –

Hindi – सिरस, सिरिस; उड़िया-बोडोसिरिसी (Bodosirisi), सिरीसी (Sirisi)
English – Lebbeck tree (लैबैक ट्री), East Indian walnut (ईस्ट इण्डियन वालनट)
Sanskrit – शिरीष, मण्डिल, शुकपुष्प, शुकतरु, मृदुपुष्प, विषहन्ता, शुकप्रिय
Urdu – दारश (Darash)

Gujarati – गुजराती-सरसडो (Sarsado), काकीयो सरस (Kakiyo saras)
Telugu – दिरसन (Dirsan), कालिन्दी (Kalindi)
Tamil – वागै (Vagei), पांडील (Pandil);
Bengali – बंगाली-शिरीष (Sirisha)
Nepali – नेपाली-शिरिख (Shirikh), कालो सिरिस (Kalo siris);
Kannada – बागेमारा (Bagemara)
Marathi – शिरस (Shiras), चिचोला (Chichola);
Malayalam – कट्टुवक (Kattuvaka), चेलिंगे (Chelinge)
Konkani – गरसो (Garso)
Arabic – सुल्तानुलसजर (Sultanaulasjar)
Persian – दरख्ते जखरिया (Darakhte jakheria)
शिरीष के प्रयोग से लाभ (Benefits and Uses of Lebbeck Tree in Hindi)

आप शिरीष का औषधीय प्रयोग कर ये लाभ ले सकते हैंः-

माइग्रेन में शिरीष का प्रयोग लाभदायक (Uses of Shireesh in Fighting with Migraine in Hindi)

माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए शिरीष रामवाण का काम करता है। इस रोग के मरीजों को शिरीष की जड़ और फल के रस के 1 से 2 बूंद को नाक में डालें। इसे लेने से दर्द कम होने लगता है।

आंखों के लिए फायदेमंद है शिरीष का इस्तेमाल (Benefits of Shireesh in Cure Eye Disease in Hindi)

शिरीष के पत्तों के रस को काजल की तरह लगाने से आंख संबंधी परेशानियों में जल्द ही राहत मिलती है।
शिरीष के पत्तों का काढ़ा पिलाने से, और इसके रस को आँखों पर लगाने से से रतौंधी में बहुत लाभ होता है। इसके लिए शिरीष के पत्तों के रस में कपड़ा भिगोकर सुखा लें। कपडे को तीन बार भिगोएं और सुखाएं। इस कपड़े की बत्ती बनाकर चमेली के तेल में जलाकर काजल बना लें। इस काजल के प्रयोग (Shireesh Uses) से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
इसके अलावा, शिरीष के पत्तों को आंख में लगाने से आंखों की सूजन (Conjunctivitis) में लाभ होता है।
कानों के दर्द में शिरीष का उपयोग लाभदायक (Shireesh Uses in Ear Pain Treatment in Hindi)

शिरीष के पत्ते और आम के पत्तों के रस को मिला लें। इसे गुनगुना करके इसके 1 से 2 बूंद कान में टपकाने से कानों के के दर्द दूर हो जाते हैं।

दांतों के रोग में शिरीष से फायदा (Shireesh Benefits in Cure Dental Disease in Hindi)

शिरीष की जड़ से बने काढ़ा से कुल्ला करने से दांत के रोग दूर होते हैं।
इसकी जड़ के चूर्ण से मंजन करने से भी यह फायदा मिलता है।
इस काढ़े या मंजन से दांतों में मजबूती भी आती हैं।
शिरीष के गोंद और काली मिर्च को पीसकर मंजन करने से भी दांतों के दर्द दूर होते हैं।

खांसी की बीमारी में शिरीष से लाभ (Uses of Shireesh in Fighting with Cough in Hindi)

पीले शिरीष के पत्तों को घी में भून लें। इसे दिन में तीन बार 1-1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी मिटती है।

सांसों के रोग में शिरीष का इस्तेमाल लाभदायक (Benefits of Shireesh in Cure Respiratory problems in Hindi)

सांसों के रोग अगर कफ और पित्त के असंतुलन के कारण हो तो शिरीष के फूल का प्रयोग (Shireesh Uses) लाभकारी होता है। ऐसे रोगी को शिरीष के फूल के 5 मिलीलीटर रस में 500 मिलीग्राम पिप्पली चूर्ण और शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।

शिरीष, केला तथा कुन्द के फूल और पिप्पली के चूर्ण को मिलाकर रख लें। चावल को धोने से बचे पानी के साथ इस चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में मिलाकर पिएं। इससे सांस संबधी परेशानियां जल्द ही दूर हो जाती हैं।

पेचिश में शिरीष का उपयोग फायदेमंद (Shireesh Uses to Stop Dysentery in Hindi)

शिरीष की बीज के चूर्ण को दिन में तीन बार देने से पेचिश में लाभ होता है।

पेट के रोग को ठीक करने के लिए करें शिरीष का सेवन (Shireesh Benefits in Abdominal Bugs Treatment in Hindi)

शिरीष के 5 मिलीलीटर रस में इतनी ही मात्रा में कट्भी का रस मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण में शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पेट की कीड़े खत्तम होते हैं।

शिरीष की छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से जलोदर रोग में लाभ (Shireesh benefits) होता है।

शिरीष के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Uses of Shireesh in Piles Treatment in Hindi)

6 ग्राम शिरीष के बीज और 3 ग्राम कलिहारी की जड़ को पानी के साथ पीसकर लेप करने से बवासीर में लाभ होता है।
इसके तेल का लेप करने से भी बवासीर में लाभ होता है।
शिरीष की बीज, कूठ, आक का दूध, पीपल को समान मात्रा में लें। सबको पीस लें। यह लेप बवासीर को तुरंत ठीक करता है।
कलिहारी की जड़, शिरीष का बीज, दंती मूल और चीता (चित्रक) को समान भाग में लेकर पीस लें। यह लेप बवासीर में अत्यन्त लाभप्रद है।
मुर्गे की बीट, गुंजा (चौंटली), हल्दी, पीपल और शिरीष बीज को समान भाग में लें। इसे पानी के साथ पीसकर लेप बनाएं। यह लेप बवासीर को जल्द दूर (Shireesh benefits) करता है।
शिरीष के इस्तेमाल से सिफलिस का उपचार (Benefits of Shireesh in Cure Syphilis in Hindi)

सिफलिस यौन संक्रमण से जुडी एक बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को शिरीष के पत्तों की राख में घी या तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

मूत्र रोग (पेशाब में दर्द और जलन) में शिरीष से फायदा (Shireesh Uses in Cure Urinal Disease in Hindi)

शिरीष के 10 ग्राम पत्तों को पानी के साथ पीस कर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेशाब में दर्द और जलन में लाभ होता है।

शिरीष की बीज के तेल को 5 से 10 बूंद को 100 मिलीलीटर लस्सी में डालकर पिएं। इससे पेशाब के दौरान होने वाले दर्द और जलन में लाभ होता है।

अंडकोष सूजन को दूर करता है शिरीष (Shireesh Benefits in Cure Testicle Swelling in Hindi)

अंडकोषों में सूजन आने पर शिरीष की छाल को पीस लें। इसे अंडकोषों पर लेप करें। इससे सूजन शीघ्र मिटती है।

वीर्य विकार में शिरीष के प्रयोग से लाभ (Uses of Shireesh in Sperm Related Disease in Hindi)

शिरीष बीज के 2 ग्राम चूर्ण में 4 ग्राम शक्कर मिला लें। इसे रोजाना गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य विकार दूर (Shireesh benefits) होता है और वीर्य गाढ़ा हो जाता है।

चर्म रोग में फायदेमंद होता है शिरीष का उपयोग (Benefits of Shireesh in Skin Disease Treatment in Hindi)

शिरीष का तेल लगाने से कुष्ठ आदि चर्म रोगों में लाभ होता है।
इससे घाव व फोड़े-फुंसी शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
सफेद शिरीष के छाल के ठंडे गोंद को घाव, खुजली और दूसरे चर्म रोगों में त्वचा पर लोशन की तरह लगाने से लाभ होता है।
शिरीष के पत्तों को पीसकर फोड़े-फुंसियों और सूजन के ऊपर लगाने से लाभ होता है।
शिरीष, मुलेठी, कदम्ब, चंदन, इलायची, जटामांसी, हल्दी, दारुहल्दी, कूठ तथा सुंगधबाला को पीस लें। इनमें घी मिलाकर लेप करने से खुजली, कुष्ठ, आदि रोग का शीघ्र निवारण होता है।

सूजन को ठीक करने के लिए शिरीष से फायदा (Shireesh Uses in Reducing Inflammation in Hindi)

पित्त असंतुलन के कारण आई किसी भी सूजन की स्थिति में शिरीष के फूलों को पीसकर सूजन पर लगाने से पित्त नियंत्रित होने लगता है और सूजन दूर होती है।

ट्यूमर के इलाज में कारगर है शिरीष का प्रयोग (Shireesh Benefits in Cure Tumor in Hindi)

किसी भी तरह के ट्यूमर और गांठ में सिरस के बीज को पीसकर इसका लेप लगाने से लाभ होता है।
चाहे जैसी गाठें हो, शिरीष के पत्तों को पीसकर उन पर आधा-आधा घंटे बाद बदल कर बांधने से यह फूट जाती है।
शिरीष तथा करंज को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
अल्सर में शिरीष से लाभ (Benefits of Lebbeck  Tree in Cure Ulcer in Hindi)

अल्सर होने की स्थिति में घावों से खून आने लगता है। ऐसे में शिरीष (Shireesh)की छाल से बने काढ़े के प्रयोग से फायदा मिलता है। इस काढ़े से घाव को धोने से घाव शुद्ध होकर भर जाता है।
शिरीष के पत्तों की राख का लेप लगाने से भी घाव जल्द ही भर जाता है।
शिरीष की छाल, रसांजन और हरड़ के चूर्ण को मिला लें। इसे घाव पर छिड़कने से या शहद मिलाकर घाव पर लगाने से तेज गति से लाभ होता है।
फफोले को खत्म करता है शिरीष (Uses of Lebbeck  Tree in Cure Blister in Hindi)

शिरीष (Shireesh) की छाल, तगर, जटामांसी, हल्दी और कमल को समान मात्रा में लें। इसे ठंडे पानी में महीन पीसकर लेप करने से हर तरह के फफोले (विस्फोट) नष्ट हो जाते हैं।
शिरीष, गूलर तथा जामुन को पीसकर लेप करने से फफोले में लाभ होता है।
शिरीष की जड़, मंजिष्ठा, चव्य, आंवला, मुलेठी और चमेली की पत्ती को बराबर मात्रा में पीस लें। इसमें शहद मिला कर फफोले पर लेप करने से फफोले में लाभ होता है।
इसके अलावा, शिरीष, खस, नागकेशर और हिंस्रा बराबर मात्रा में मिला लें। इसको पीसकर खुजली और फफोले पर लेप करने से तेज गति से लाभ होता है।
और पढ़े – फफोले में कुटज के फायदे

दाद-खाज रोग में शिरीष से फायदा (Lebbeck  Tree Benefits in Herpes Treatment in Hindi)

शिरीष की छाल के महीन चूर्ण को सौ बार भिगोए हुए घी (शातधौत घृत) में मिलाकर लेप करने से दाद-खाज इत्यादि चर्म रोगों में लाभ होता है।
कफ असंतुलन के कारण होने वाली दाद-खाज-खुजली में त्रिफला, मुलेठी, विदारीकंद और शिरीष के फूल को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
आरग्वध की पत्ती, श्लेष्मातक की छाल, शिरीष का फूल और मकोय का चूर्ण या पेस्ट बना लें। इसे प्रभावित स्थान पर लेप करने से भी सभी प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग में लाभकारी है शिरीष का इस्तेमाल (Lebbeck  Tree Uses in Cure Leprosy in Hindi)

शिरीष के 5 ग्राम पत्ते और 2 ग्राम काली मिर्च लें। इन दोनों को मिलाकर पीसकर रख लें। इस मिश्रित चूर्ण का 40 दिन तक सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है।

शिरीष की छाल को पीसकर कुष्ठ प्रभावित अंग पर लेप करने से लाभ होता है।

शारीरिक कमजोरी दूर करने में शिरीष का उपयोग लाभदायक (Uses of Shireesh in Cure Body Weakness in Hindi)

शिरीष की छाल से बने चूर्ण की 1 से 3 ग्राम मात्रा को घी के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खिलाने से लगातार ताकत बढ़ती है।

इसके प्रयोग से खून साफ होता है।

बेहोशी दूर करने में लाभदायक शिरीष का प्रयोग (Benefits of Shireesh for Unconsciousness in Hindi)

शिरीष के बीज और काली मिर्च को समान भाग में लें। इसे बकरी के मूत्र के साथ पीसकर आंख में लगाने से बेहोशी की स्थिति में लाभ होता है। बेहोशी शीघ्र दूर होती है।

मैनिया रोग में शिरीष से लाभ (Shireesh Benefits in Fighting with Mania in Hindi)

शिरीष की बीज, मुलेठी, हींग, लहसुन, सोंठ, वच और कूठ को समान भाग में लें। इन सबको बकरी के मूत्र में घोंटकर काजल की तरह लगााएं। इसको नाक में देने से और काजल की तरह लगाने से उन्माद (मैनिया) रोग में लाभ होता है।

शिरीष के बीज और करंज के बीजों को पीस लें। इसे माथे में लेप करने से, उन्माद, मिरगी और नेत्र रोगों में लाभ होता है।

जहर (विष) के असर को दूर करने में कारगर शिरीष (Shireesh Uses in Poison Related Problems in Hindi)

शिरीष की छाल, इसकी जड़ की छाल, बीज और फूलों से बने चूर्ण की 2 से 4 ग्राम मात्रा को गोमूत्र के साथ दिन में  3 बार पिलाने से सब प्रकार के विष में लाभ होता है।
शिरीष की जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीजों को गोमूत्र में पीसकर लेप करें। इससे विष के कारण होने वाली जलन आदि प्रभावों का खात्मा होता है।
इसके अलावा, शिरीष के फूलों को पीस लें। इसे विषैले जीवों द्वारा काटे गए स्थान पर लेप करने से लाभ होता है।
मेढ़क का विष उतारने के लिए शिरीष के बीजों को थूहर के साथ दूध में पीस लें। इससे लेप करने से मेढ़क के काटने का विष उतर जाता है।

शिरीष के प्रयोग के तरीके (How to Use Lebbeck Tree?)

शिरीष  के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है: –

छाल
फूल
बीज
जड़
जड़ की छाल
पत्ते
बीज
उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है। शिरीष के सेवन की मात्रा (Doses of Lebbeck Tree)

चूर्ण : 3 से 6 ग्राम
रस : 10 से 20 मिलीलीटर
क्वाथ : 50 से 100 मिलीलीटर
अन्य मात्रा या रूप में चिकित्सक के परामर्श के अनुसार।
शिरीष के प्रयोग के नुकसान (Side Effects of Lebbeck  Tree in Hindi)

बेहद गुणकारी होने के बावजूद शिरीष के प्रयोग के कुछ नुकसान भी हैं, जो ये हो सकते हैंः-

इसके लगातार प्रयोग से ब्लडशुगर थोड़ा सा बढ़ने की आशंका रहती है।
इससे शुक्राणुओं के नष्ट होने की संभावना भी रहती है।
इससे गर्भ गिर जाने आदि आशंका भी बनी रहती है।
शिरीष कहां या उगाया जाता है (Where is Lebbeck Tree Found and Grown)

शिरीष के वृक्ष समुद्र तल से 2700 मीटर की ऊंचाई पर पूरे भारत में पाए जाते हैं। इसके जंगली पौधों के अलावा बागानी पौधे भी देश भर में देखने को मिलते हैं।

मेरा एक दोस्त अपनी बेटी के लिए लड़का देखने गया,लड़के के 22 बीघा जमीन थी,लगभग 3 बिस्से में घर बना था, जो मेरे दोस्त के घर से काफी ठीक था,तीन बिस्से के लगभग घेर था,जिसमे दो भैंस एक गाय,ट्रेक्टर उसकी मिनी ट्रॉली ( बुग्गी हिच वाली) और ट्रेक्टर का बारदाना था,अकेला लड़का था माँ बाप थे,और लड़की की शादी कर दी थी,


                         लालची कौन ?

             फैसला पाठकों के विवेक पर 
मेरा एक दोस्त अपनी बेटी के लिए लड़का देखने गया,
लड़के के 22 बीघा जमीन थी,लगभग 3 बिस्से में घर बना था, जो मेरे दोस्त के घर से काफी ठीक था,तीन बिस्से के लगभग घेर था,जिसमे दो भैंस एक गाय,ट्रेक्टर उसकी मिनी ट्रॉली ( बुग्गी हिच वाली) और ट्रेक्टर का बारदाना था,अकेला लड़का था माँ बाप थे,और लड़की की शादी कर दी थी,(कपिलराजपुत/AumNews/Aumtv/ wesitenews/digitalplatform)

लड़का साफ सुथरा बीए फाइनल किया हुआ लगभग 24 साल का होगा, ( मेरे से लगभग तीन गुना सुंदर)

और लड़की थी ऐसी की बस लड़की थी,ना सुंदर ना हाइट न शरीर ना कोई खास रूप,दसवीं पढ़ी हुई केवल,

एक रुपए का रिश्ता लड़के के बाप ने कहा करने को,
और मध्यस्त ने जबान दी की जो लड़के का बाप कह देगा वही होगा,जबान पलटेगी नही,चाहे कुछ हो जाओ,

लड़की के बाप ने रिश्ते की मना कर दी,और बात बने नही,
लगभग 6 महीने बाद लड़के की नॉकरी आर्मी में क्लर्क की लग गई, मध्यस्त ने बताया तो मेरा दोस्त तुरंत लड़के के घर बिचौलिया को लेकर पहुंच गया,

लड़के के घर में चिनाई लगी हुई थी,गेट और अन्य टूट फुट ठीक करवा रहे थे,जाते ही बात हुई की चौधरी साब रिसता तय कर लो लड़के का,
लड़के का बाप बोला 6 महीने पहले भी तय किया था,और आजभी कर लुंगा।,

बात ब्याह की लेन देन की हुई,तो लड़के का बाप बोला बड़ा गेट बनवा रहा हूं,क्या पता कल को ब्याह में बड़ी गाड़ी आ जाए, पुराने गेट में क्या पता अटक जाती गाड़ी, 
लड़की का बाप बोला गाड़ी की मांग है क्या अब,
लड़के का बाप बोला वो तो लड़की वाले देंगे ही , 

लड़की का बाप बोला पहले तो आपने एक रुपए का रिश्ता बताया था,

लड़के का बाप बोला तब ब्याह लड़के का हो था,अब सरकारी नोकरी का होगा,

लड़की का बाप वापस अपने घर आ गया ये कहकर की गाड़ी का कब्जा नहीं है हमारा,

और शाम को ये सारी बात उसने मुझे बताई,
और बोला की सरकारी नोकरी वालो के मूंह तो आसमान में है आज,
पता नही क्या समझे खुद को,
नोकरी लगते ही लालच आ गया गाड़ी का,
ऐसे लालची लोगो को अपनी लड़की कौन देगा भला,

मेरी आज तक समझ नही आया की #लालची  कौन था,लड़की का बाप या लड़के का बाप,
क्या आप बता सकते है की लालची कौन था 🤔🤔

अनंत कोटि ब्रह्मांड के नायक विश्व की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में श्री हरि विष्णु के अवतार सकल विश्व को राम राज्य देने वाले अपनी अर्धांगिनी भगवती माता सीता के लिए वैष्णो माता सहित अनगिनत स्त्रियों का त्याग करने वाले भगवान श्री राम की परम पवित्र श्री रामनवमी पर आपको और समस्त सृष्टि को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 70 1771 13978

अनंत कोटि ब्रह्मांड के नायक विश्व की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में श्री हरि विष्णु के अवतार सकल विश्व को राम राज्य देने वाले अपनी अर्धांगिनी भगवती माता सीता के लिए वैष्णो माता सहित अनगिनत स्त्रियों का त्याग करने वाले भगवान श्री राम की परम पवित्र श्री रामनवमी पर आपको और समस्त सृष्टि को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 70 1771 13978 

विश्व कवि तुलसी ने भगवान श्री राम के बारे में अत्यंत सुंदर वर्णन किया है
नौमी तिथि मधु मास पुनीता । 
सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥

मध्यदिवस अति सीत न घामा ।
पावन काल लोक बिश्रामा ॥

विश्व के आदि कवि ब्रह्म ऋषि वाल्मीकि ने लिखा है 
इक्ष्वाकु वंश प्रभवो रामै नाम जनै श्रुत:
नियतात्मा महावीर्यो द्युतिमान धृतिमान वंशी

और आगे भगवान श्री राम के ना भूतों ना भविष्यति स्वरूप का वर्णन किया है 

समुद्रे इव गांभीर्ये स्थर्ये च हिमवान इव 
कालाग्नि समं क्रोधं क्षमया पृथ्वी सम 

इन बड़े-बड़े महा ब्रह्म ऋषियों के बीच में भी अपनी एक छोटी सी कविता भगवान श्री राम भगवती सीता को उन्हीं की कृपा और आप लोगों के आशीर्वाद से समर्पित कर रहा हूं-

** भगवान राम के जन्मदिवस के पावनतम शुभ अवसर पर 
शीतल मंद सुगंध पवन लेकर बसंत ऋतु आई है
 कूक रही पेड़ों पर कोयल ध्वनि लगती शहनाई है 

*************************""*******

जग में अब तक जो भी आए भगवान राम सर्वोत्तम हैं 
उनका प्यार न्यारा जीवन आदर्श और अति उत्तम है 
आओ हम सब मिलकर के श्री राम नाम स्मरण करें 
उनका जीवन अपना कर हम खुद का भी जीवन धन्य करें
आप सभी को चैत्र रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं , प्रभु श्री रामचन्द्र जी महाराज की कृपा दृष्टि आप सब पर सदैव बनी रहे आज श्री रामनवमी और महानवमी के परम पवित्र अवसर पर मैं विगत 48 वर्षों की भांति आज भी आप सभी के लिए अखंड भारत के लिए देश धर्म की उन्नति के लिए सुख शांति समृद्धि ऐश्वर्य सद्बुद्धि और दिव्या गुणों की उत्पत्ति के लिएपरम पवित्र हवन पूजन कर रहा हूं♥🙏🚩

#रामनवमी 
#जय_श्री_राम 🌺🙏🚩

एक बार पुनः संजीव जी का आभार...उनकी चयन दृष्टि उम्दा है...इससे श्रेष्ठ को शेयर करने की मेरी मंशा उनके वॉल पर जाते ही पूरी हो जाती है...

एक बार पुनः संजीव जी का आभार...
उनकी चयन दृष्टि उम्दा है...
इससे श्रेष्ठ को शेयर करने की मेरी मंशा उनके वॉल पर जाते ही पूरी हो जाती है...

आइए इस बार मौन को साधते हैं...


*"हम इंडियन्स (Native Americans) मौन को जानते हैं। हमें मौन से डर नहीं लगता। वास्तव में, हमारे लिए मौन शब्दों से अधिक शक्तिशाली होता है।
हमारे बुज़ुर्ग मौन की परंपरा में प्रशिक्षित थे, और उन्होंने यह ज्ञान हमें सौंपा।
वे हमें कहते थे — 'देखो, सुनो, और फिर कार्य करो।'
यही जीवन जीने का तरीका था।

लेकिन तुम लोगों में सब कुछ उल्टा है।
तुम बोलकर सीखते हो।
तुम स्कूलों में उन बच्चों को पुरस्कार देते हो जो सबसे ज़्यादा बोलते हैं।
तुम्हारी पार्टियों में सब एक साथ बोलने की कोशिश करते हैं।
काम की जगहों पर तुम्हारी बैठकों में हर कोई एक-दूसरे की बात काटता है, और सब पाँच, दस या सौ बार बोलते हैं।
और तुम उसे 'समस्या सुलझाना' कहते हो।

जब तुम किसी कमरे में होते हो और वहाँ मौन होता है, तो तुम असहज हो जाते हो।
तुम्हें वह खाली स्थान आवाज़ों से भरना होता है।
इसलिए तुम अनिवार्य रूप से बोलने लगते हो — यहाँ तक कि उस वक़्त भी जब तुम्हें पता नहीं होता कि तुम क्या कहने वाले हो।

हमारे बुज़ुर्गों ने हमें सिखाया था कि धरती हमसे लगातार बात करती है, लेकिन उसे सुनने के लिए हमें मौन रहना चाहिए।

हमारी आवाज़ के अलावा और भी कई आवाज़ें हैं।
बहुत सारी आवाज़ें।"**

~ एला कारा डेलोरिया

ऐसा हुआ रामकृष्ण के जीवन में। रामकृष्ण तो काली के भक्त थे। अनूठे भक्त थे। और उस जगह पहुंच गए, जहां काली और वे ही बचे। लेकिन तब उनको एक बेचैनी होने लगी कि यह तो द्वैत है, और अद्वैत का अनुभव कैसे हो? अभी भी दो तो हैं ही, मैं हूं काली है। अभी दो की दुई नहीं खोती। अभी दो तो बने ही रहते हैं।

ऐसा हुआ रामकृष्ण के जीवन में। रामकृष्ण तो काली के भक्त थे। अनूठे भक्त थे। और उस जगह पहुंच गए, जहां काली और वे ही बचे। लेकिन तब उनको एक बेचैनी होने लगी कि यह तो द्वैत है, और अद्वैत का अनुभव कैसे हो? अभी भी दो तो हैं ही, मैं हूं काली है। अभी दो की दुई नहीं खोती। अभी दो तो बने ही रहते हैं।
तो वे एक अद्वैत गुरु की शरण में गए। उस अद्वैत गुरु को उन्होंने कहा कि अब मैं क्या करूं? ये दो अटक गए हैं, इसके आगे अब कोई गति नहीं होती। अब दिखाई भी नहीं पडता कि जाऊं कहां? शांत हो जाता हूं; काली खड़ी हो जाती है। मैं होता हूं काली होती है। बड़ा आनंद है। गहन अनुभव हो रहा है। लेकिन दो अभी बाकी हैं। एक आखिरी अभीप्सा मन में उठती है कि एक कैसे हो जाऊं? तो जिस गुरु से उन्होंने कहा था, उसने कहा, फिर थोड़ी हिम्मत जुटानी पड़ेगी। और हिम्मत कठिन है और मन को चोट करने वाली है। गुरु ने कहा कि भीतर जब काली खड़ी हो, तो एक तलवार उठाकर दो टुकड़े कर देना। रामकृष्ण ने कहा कि क्या कहते हैं, तलवार उठाकर दो टुकड़े! काली के! ऐसी बात ही मत कहें! ऐसा सुनकर ही मुझे बहुत दुख और पीड़ा होती है।

तो गुरु ने कहा, तो फिर तू अद्वैत की फिक्र छोड़ दे। क्योंकि अब काली ही बाधा है। अब तक काली ही साधक थी, साधन थी, सहयोगी थी; अब काली ही बाधा है। अब सीढ़ी छोड़नी पड़ेगी। अब तू सीढ़ी को मत पकड़। माना कि इसी सीढ़ी से तू इतनी दूर आया है, इसलिए मोह पैदा हो गया है, आसक्ति बन गई है।

हमारी आसक्ति संसार में ही नहीं बनती, हमारी आसक्ति हमारी साधना के उपाय से भी बन जाती है। अब किसी जैन को कहो कि महावीर के दो टुकड़े कर दो! किसी बौद्ध को कहो कि बुद्ध के दो टुकड़े कर दो! राम के भक्त को कहो कि हटाओ, फेंक दो इस मूर्ति को मन से! बेचैनी होगी कि क्या बातें कर रहे हैं! यह कोई बात हुई धर्म की? अध्यात्म हुआ? यह तो घोर नास्तिकता हो गई।

लेकिन रामकृष्ण जानते थे कि जो आदमी कह रहा है, वह ठीक तो कह रहा है। यह मेरी मजबूरी है कि मैं न तोड़ पाऊं।

लेकिन उस गुरु ने कहा, तू मेरे सामने बैठ और ध्यान कर। और जैसे ही काली भीतर आए, उठाना तलवार और तोड़ देना! रामकृष्ण ने कहा, लेकिन मैं तलवार कहां से लाऊंगा? उस गुरु ने बड़ी कीमती बात कही। उस गुरु ने कहा कि तू काली को ले आया भीतर, तलवार न ला सकेगा! काली कहां थी पहले? तू काली को ले आया, तो तलवार तो तेरे बाएं हाथ का खेल है। जैसे काली को तूने कल्पना से अपने भीतर विराजमान करके साकार कर लिया है, ऐसे ही उठा लेना तलवार को।

रामकृष्ण ने कहा, तलवार भी उठा लूंगा, तो तोड़ नहीं पाऊंगा। ‘ मैं भूल ही जाऊंगा। तुमको भी भूल जाऊंगा, तुम्हारी बात को भी भूल जाऊंगा। काली दिखी कि मैं तो मंत्रमुग्ध हो जाऊंगा। मैं तो नाचने लगूंगा। मैं फिर यह तलवार नहीं उठा सकूंगा।

तो उस गुरु ने कहा कि फिर मैं कुछ करूंगा बाहर से। एक कांच का टुकड़ा गुरु उठा लाया और उसने रामकृष्ण को कहा कि जब मैं देखूंगा कि तू मस्त होने लगा, डोलने लगा…। क्योंकि जब भीतर काली आती, तो रामकृष्ण डोलने लगते, हाथ—पैर कंपने लगते, रोएं खड़े हो जाते। और चेहरे पर एक अदभुत आनंद का भाव, मस्ती छा जाती। तो उस गुरु ने कहा कि मैं तेरे माथे पर इस कांच से काट दूंगा; जोर से लहूलुहान कर दूंगा; दो टुकड़े चमड़ी को काट दूंगा। और जब मैं यहां तेरी चमड़ी काटू, तब तुझे खयाल अगर आ जाए, तो चूकना मत। उठाकर तलवार तू भी दो टुकड़े भीतर कर देना।

और ऐसा ही किया गया। गुरु ने कांच से काट दी माथे की चमड़ी, ठीक जहां तृतीय नेत्र है। ऊपर से नीचे तक चमड़ी को दो टुकड़े कर दिया। खून की धार बह पड़ी। रामकृष्ण को भीतर होश आया। वे तो नाच रहे थे। मस्त हो रहे थे भीतर। होश आया। हिम्मत की और उठाकर तलवार से काली के दो टुकड़े कर दिए।

रामकृष्ण, और काली के दो टुकड़े! यह भक्त की आखिरी हिम्मत है। यह आखिरी हिम्मत है। इससे बड़ी हिम्मत नहीं है जगत में। और जो इतनी हिम्मत न जुटा पाए, वह अद्वैत में प्रवेश नहीं कर पाता। काली विसर्जित हो गई। रामकृ—ण अकेले रह गए। या कहें कि चैतन्य मात्र बचा। छह दिन बाद होश में आए। आंखें खोलीं, तो जो पहले शब्द थे, वे ये थे कि कृपा गुरु की, आखिरी बाधा भी गिर गई। दि लास्ट बैरियर हैज फालेन।

रामकृष्ण के मुंह से शब्द आखिरी बाधा, लास्ट बैरियर! सोचने में भी नहीं आता। रामकृ—ण के सामान्य भक्तों ने इस उल्लेख को अक्सर छोड़ दिया है, क्योंकि यह उल्लेख उनके पूरे जीवन की साधना के विपरीत पड़ता है। इसलिए बहुत थोड़े से भक्तों ने इसका उल्लेख किया है। बाकी भक्तों ने इसको छोड़ ही दिया है। क्योंकि यह तो मामला ऐसा हुआ कि जब उतरना ही था, तो फिर चढ़े क्यों? इतनी मेहनत की। काली के लिए रोए—गाए, नाचे—चिल्लाए, चीखे, प्यास से भरे, जीवन दांव पर लगाया। फिर काली को पा लिया। फिर दो टुकड़े किए।

तो वह लिखने वाले भक्तों को बड़ा कष्टपूर्ण मालूम पड़ा है। इसलिए अधिक भक्तों ने इस उल्लेख को छोड़ ही दिया है।

मगर यह उल्लेख बड़ा कीमती है। और जिनको भी भक्ति के मार्ग पर जाना है, उन्हें याद रखना है कि जिसे हम आज बना रहे हैं, उसे कल मिटा देना पड़ेगा। आखिरी छलांग, सीढी से भी उतर जाने की, नाव भी छोड़ देने की, रास्ता भी छोड़ देने का, विधि भी छोड़ देने की।

तो जो रामकृष्‍ण को हुआ है काली के दर्शन में, वह अंतिम नहीं है। अंतिम तो यह हुआ, जब काली भी खो गई। जब कोई प्रतिमा नहीं रह जाती मन में, कोई शब्द नहीं रह जाता, कोई आकार नहीं रह जाता, जब सब शब्द शून्य हो जाते हैं, सब प्रतिमाएं लीन हो जाती हैं असीम में, सब आकार निराकार में डूब जाते हैं, जब न मैं बचता हूं न तू बचता है……।

ओशो 
गीता दर्शन

भारत के अभिषेक ने बनाया अनोखा वर्ल्ड रिकॉर्ड—कंधों पर उठाया असंभव का बोझ! 🔥

भारत के अभिषेक ने बनाया अनोखा वर्ल्ड रिकॉर्ड—कंधों पर उठाया असंभव का बोझ! 🔥🇮🇳🚘
कुछ लोग सीमाओं में नहीं, बल्कि सीमाओं को तोड़ने में यकीन रखते हैं। अभिषेक भी उन्हीं में से एक हैं। इटली में आयोजित एक शो में उन्होंने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो सुनने में ही असंभव लगता है! अपने कंधों की दोनों हड्डियों के बीच रस्सी फंसाकर, पूरे 1294 किलोग्राम की गाड़ी को 15 फुट से अधिक खींचकर उन्होंने नया गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला।

ये सिर्फ ताकत का नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास का कमाल था। जहां आम लोग असंभव कहकर हाथ खड़े कर देते हैं, वहीं अभिषेक ने अपने संकल्प से पूरी दुनिया को चौंका दिया। यह सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि भारत की शक्ति, साहस और हिम्मत का प्रतीक है।

उनकी इस उपलब्धि ने साबित कर दिया कि अगर इरादे बुलंद हों, तो शरीर की सीमाएँ कोई मायने नहीं रखतीं। भारत का यह लाल अब पूरी दुनिया में "असली बाहुबली" के नाम से पहचाना जा रहा है! 💪🚀🔥