Friday, 30 December 2022

गले का संक्रमण हो या गले की खराश, ये उपाय आएंगे आपके काम* /जानिए, क्या होता है चिरायता, चमत्कारी है इसका असर,/शरीर से हर तरह का विकार निकालता है। #चिरायता,

 जानिए, क्या होता है चिरायता, चमत्कारी है इसका असर,

जुलाई-अगस्त-सितंबर के महीनों में बीमारी ज्यादा फैलती है। इन दिनों बीमारियों से बचने के लिए महंगी दवाओं के स्थान पर घरेलू नुस्खे आजमाएं। बरसों से हमारी दादी-नानी कड़वे चिरायते से बीमारियों को दूर भगाती रही है।
दरअसल यह कड़वा चिरायता एक प्रकार की जड़ीबूटी है जो कुनैन की गोली से अधिक प्रभावी होती है। पहले इस चिरायते को घर में सूखा कर बनाया जाता था लेकिन आजकल यह बाजार में कुटकी चिरायते के रूप में उपलब्ध है।
 
घर में चिरायता बनाने की विधि -

घर में चिरायता बनाने की विधि - 100 ग्राम सूखी तुलसी के पत्ते का चूर्ण, 100 ग्राम नीम की सूखी पत्तियों का चूर्ण, 100 ग्राम चिरायते की सूखी टहनी का चूर्ण लीजिए। इन तीनों को समान मात्रा में मिलाकर एक बड़े डिब्बे में भर कर रख लीजिए। 

 
यह तैयार चूर्ण मलेरिया या अन्य बुखार होने की स्थिति में दिन में तीन बार दूध से सेवन करें।
 
मात्र दो दिन में आश्चर्यजनक लाभ होगा। 
 
बुखार ना होने की स्थिति में इसका एक चम्मच सेवन प्रतिदिन करें। यह चूर्ण किसी भी प्रकार की बीमारी चाहे वह स्वाइन फ्लू ही क्यों ना हो, उसे शरीर से दूर रखता है। 
इसके सेवन से शरीर से सारे रोगाणु-कीटाणु झर जाते हैं।

रक्त एवं त्वचा संबंधी समस्त विकार दूर होते हैं। 

गर्भवती महिला और कमजोर पाचन शक्ति के लोग विशेषज्ञ से पूछ कर ही इसका सेवन करें। 

शरीर से हर तरह का विकार निकालता है।
 #चिरायता
आपने चिरायता (chirata in hindi) के बारे में जरूर सुना होगा। घरों के बूढ़े-बुजुर्ग लोग अक्सर कहा करते हैं कि खुजली हो तो चिरायते का सेवन करो, खून से संबंधित विकार को ठीक करने के लिए चिरायते का उपयोग करो। क्या आप जानते हैं कि चिरायते की केवल यहीं दो खूबियां नहीं हैं बल्कि इसके इस्तेमाल से अनेक लाभ मिलते हैं। 
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, चिरायता बुखार, कुष्ठ रोग, डायबिटीज (chirata for diabetes), रक्त विकार, सांसों से संबंधित बीमारी, खांसी, अधिक प्यास लगने की समस्या को ठीक करता है। यह शरीर में होने वाली जलन, पाचनतंत्र के विकार, पेट के कीड़े की समस्या, नींद ना आने की परेशानी, कंठ रोग, सूजन, दर्द में काम आता है। इसके अलावा चिरायता घाव, प्रदर (ल्यूकोरिया), रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या), खुजली और बवासीर आदि रोगों में भी प्रयोग में लाया जाता है। इसके पौधे कैंसर में भी फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं कि चिरायता किन-किन रोगों में फायदेमंद होता है।
चिरायता का पौधा बाजार में आसानी से मिल जाता है। चिरायता (chirata in hindi) स्वाद में तीखा, ठंडा, कफ विकार को ठीक करने वाला है। कई विद्वान कालमेघ को चिरायता मानते हैं, लेकिन यह दोनों पौधें आपस में भिन्न हैं। असली चिरायता अपनी जाति के अन्य चिरायतों की तुलना में बहुत ही कड़वा होता है। चिरायते की कई प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

यह 60-125 सेमी ऊँचा, सीधा, एक साल तक जीवित रहने वाला होता है। इसके पौधे में अनेक शाखाएं होती हैं। इसके तने नारंगी, श्यामले या जामुनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे, 5-10 सेमी लम्बे, 1.8 सेमी चौड़े होते हैं। नीचे के पत्ते बड़े तथा ऊपर के पत्ते (chirota leaf) कुछ छोटे व नोंकदार होते हैं।

इसके फूल अनेक होते हैं और ये अत्यधिक छोटे, हरे-पीले रंग के होते हैं। इसके फल 6 मिमी व्यास के, अण्डाकार, नुकीले होते हैं। चिरायता की बीज संख्या में अनेक, चिकने, बहुकोणीय, 0.5 मिमी व्यास के होते हैं। चिरायते के पौधे में फूल और फल आने का समय अगस्त से नवम्बर तक होता है।

चिरायता का वानस्पतिक नाम Swertia chirayita (Roxb. ex Fleming) Karst. (स्वर्टिया चिरायता) Syn-Gentiana chirayita Roxb. ex Fleming है और यह  Gentianaceae (जेन्शिएनेसी) कुल का पौधा है। चिरायता को देश-विदेश में अन्य इन नामों से भी जाना जाता है।
आंखों के रोग में चिरायता का प्रयोग फायदेमंद।
चिरायता के फल में पिप्पली पेस्ट और सौवीराञ्जन मिलाकर रख लें। एक सप्ताह के बाद मातुलुंग के रस में इसे पीस लें। इसे रोजाना काजल की तरह लगाने से आंखों की बीमारी (पिष्टक) में लाभ होता है।

चिरायता के इस्तेमाल से शुद्ध होता है स्तनों का दूध।
चिरायता (chirata patanjali), कटुरोहिणी, सारिवा आदि का काढ़ा बना लें। इसे 15-30 मिली की मात्रा में सेवन करने से स्तनों का दूध शुद्ध होता है।

चिरायता के सेवन से खांसी का इलाज ।
चिरायता का पौधा (Chirata plant) खांसी के इलाज में भी काम आता है। चिरायते का काढ़ा 20-30 मिली की मात्रा में पिएं। इससे खांसी में लाभ होता है। इससे आंत के कीड़े खत्म होते हैं।

पेचिश रोग में चिरायता का उपयोग लाभदायक।
आप पेचिश रोग में भी चिरायता के फायदे ले सकते हैं। 2-4 ग्राम किराततिक्तादि चूर्ण (chirata patanjali) में दोगुना मधु मिला लें। इसका सेवन करने से पेचिश रोग ठीक  होता है।

भूख को बढ़ाने के लिए करें चिरायता का सेवन।
चिरायता का काढ़ा बनाकर 20-30 मिली मात्रा में पिलाने से भूख बढ़ती है। पाचन-शक्ति बढ़ती (chirata ke fayde) है।

अत्यधित प्यास लगने की परेशानी में करें चिरायता का सेवन ।
चिरायता, गुडूची, सुगन्धबाला, धनिया, पटोल आदि औषधियों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन  करने से पिपासा/अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में लाभ होता है।

पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए करें चिरायता का प्रयोग।
चिरायता के गुण पेट के कीड़ों को भी खत्म करते हैं। सुबह भोजन के पहले (5-10 मिली) चिरायता के रस में मधु मिश्रित कर सेवन करने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।

आमाशय से रक्तस्राव की बीमारी में चिरायता के सेवन से लाभ।
चिरायता का पौधा (Chirata plant) रक्तस्राव को रोकने में भी काम आता है। 1-2 ग्राम चंदन के पेस्ट के साथ 5 मिली चिरायता का रस मिला लें। इसका सेवन करने से आमाशय से रक्तस्राव की समस्या ठीक होती है।
कई और बीमारियों में उपयोग है जैसे पेट दर्द, लिवर विकार, पीलिया व अनीमिया रोग , खूनी बवासीर का इलाज, चर्म रोग,बुखार,सूजन,रक्तपित्त (नाक कान से खून आना) , कुबड़ापन की परेशानी आदि।साभार🙏🏼

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🍂उच्च रक्तचाप(High Blood Pressure)🍂

रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द, थकावट, टांगों में दर्द, उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्षण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

👉हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--

१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना

अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-

१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है। नमक दिन भर में 2 ग्राम से ज्यादा न लें।

२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।

लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।

३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।

४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पाउडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।

५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें। हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।

६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।

७) तुलसी की 10 पती और नीम की 5 पत्ती पानी के साथ खाली पेट 7 दिवस तक लें।(मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभकारी है।)

८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में 2 घंटे तक कुछ न खावें। ये पेट को सही रखने का सबसे बेहतरीन प्रयोग हैं। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।

९) नंगे पैर हरी घास(जिस पर औंस पड़ी हो) पर 15-20 मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है। कुछ और भी आशातीत लाभ शरीर मे होते है।

१०) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह पीयें। करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
अन्य सब्जियों के रस भी लाभदायक होते हैं।

११) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।

१२) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।

१३) चावल:-(भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।

१४)अदरक:- प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।

 *गले का संक्रमण हो या गले की खराश, ये उपाय आएंगे आपके काम* 
 
1 गले को आराम देने का सबसे सही समय होता है रात का वक्त। रात को सोते समय दूध में आधी मात्रा में पानी मिलाकर पिएं। इससे गले की खराश कम होगी। साथ ही गर्म हल्दी वाला दूध भी बहुत फायदेमंद होगा।

2 एक कप पानी में 4 से 5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पिएं। इसे रात को सोते समय पीने पर लाभ होगा। इसके अलावा भोजन में आप साधारण चीजें ही खाएं तो बेहतर होगा।

3 गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से गले की खराश दूर होगी और गले का संक्रमण भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना एक अच्छा इलाज है।

4 पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे और 15 से 20 मिनट तक इसे बांधे रखने के बाद खोल लें। इसके अलावा धनिया के दानों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर लगाएं। इससे भी आराम होगा।

5 गले की खराश के लिए कालीमिर्च को पीसकर घी या बताशे के साथ चाटने से भी लाभ होता है। साथ ही कालीमिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो सकते हैं।

: *दांतों का पीलापन हटाने का कारगर नुस्खा, सेब का सिरका* 
 
चाहे चेहरा कितना ही सुंदर हो लेकिन असली सुंदरता तो मुस्कुराते चेहरे से ही आती है, और मुस्कान तभी खूबसूरत लगती है जब दांत साफ-सुथरे दिखें। अगर दांतों पर पीलापन जमा हो, तो मुस्कान की खूबसूरती कम हो जाती है। हम आपको बता रहे हैं दांतों का पीलापन दूर करने का कारगर नुस्खा, इसके लिए आपको इस्तेमाल करना है 'एप्पल साइडर विनेगर' यानी कि सेब का सिरका।

* सेब का सिरका गहराई और कोमलता के साथ आपके दांतों की आंतरिक सफाई करने में सक्षम होता है।
* इससे आपके अम्लीयता होने पर भी पीएच की समानता बनी रहती है, और दांत पहले से अधि‍क साफ, सफेद और चमकदार दिखाई देते हैं।
* इतना ही नहीं, यह आपके मसूढ़ों को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
* इस सिरके से अपने दांत चमकाने के लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। बस लगभग एक कप पानी में आधा चम्मच सेब का सिरका लें और अपने टूथब्रश की सहायता से दांतों पर इससे तब तक ब्रश करें, जब तक आपके दांत पूरी तरह से साफ न हो जाएं। दांतों के दाग हटने के साथ ही धीरे-धीरे आपके दांतों पर चमक भी आ जाएगी।

*हेल्दी और फिट रहना है तो पिएं टमाटर सूप, होंगे 7 गजब के फायदे* 
 
1 हड्डियों के लिए फायदेमंद -टमाटर सूप में विटामिन K और केल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत रखता है। इसके अलावा शरीर में लाइकोपीन की कमी होने से भी हड्डियों पर तनाव बढ़ता है और टमाटर में काफी मात्रा में लाइकोपीन होता है, जो हड्डियों के लिए अच्छा होता है। 
2 दिमाग को रखें दुरुस्त -टमाटर सूप में भरपूर मात्रा में कॉपर और पोटेशियम पाया जाता है, जिससे नर्वस सिस्टम ठीक रहता है और दिमाग को मजबूती मिलती है। 
3 विटामिन की कमी करे पूरी -टमाटर सूप में विटामिन A और C अच्छी मात्रा में होता है। विटामिन A, टिशू के विकास के लिए जरूरी होता है। कहते है कि शरीर में रोजाना 16% विटामिन A और 20% विटामिन C की जरूरत होती है और टमाटर सूप इसकी जरूरत को पूरा करता है। 
4 वजन करे कम -टमाटर सूप को अगर ऑलिव ऑयल से बनाया जाए तो यह वजन घटाने में सहायक होता है, क्योंकि इसमें पानी और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे आपको काफी समय तक भूख नहीं लगती। 
5 कैंसर का खतरा करे कम -टमाटर सूप में लाइकोपीन और कैरोटोनॉयड जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जिससे कैंसर की आशंका कम हो जाती है। 
6 ब्ल्ड शुगर को करे नियंत्रण -डायबिटीज के मरीजों को डाइट में टमाटर सूप जरूर लेना चाहिए। इसमें क्रोमियम होता है, जो ब्ल्ड शुगर को नियंत्रण में रखने में सहायक होता है। 
7 रक्त प्रवाह को बढ़ाएं -टमाटर में सेलेनियम होता है, जो रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जिससे एनिमिया का खतरा कम हो जाता है।

*तेजी से करना है वजन कम, तो डाइट में शामिल करें विटामिन-सी रिच फूड* 
 
1 शिमला मिर्च -शिमला मिर्च में कई जरूरी विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। ये न्यूट्रिएंट्स कई बीमारियों को दूर करने के साथ वजन भी कम करने में मदद करते हैं।
2 पपीता -पपीता पाचन को दुरुस्त रखकर लिवर को डीटॉक्सीफाई करता है। साथ ही इसमें फाइबर के अलावा विटामिन-ए और विटामिन-सी भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता हैं।
3 स्ट्रॉबेरीज -स्ट्रॉबेरीज में भी विटामिन और फाइबर की भरमार होती है। दरअसल, फाइबर के सेवन से भूख कम लगती है जिससे आप अनहेल्दी और अत्यधिक खाने से बच जाते हैं, जिससे आपको वजन कम करने में मदद मिलती है।
4 किवी -वजन कम करने के लिए किवी को सुपरफूड में शुमार किया जाता है। इसमें फाइबर, विटामिन्स और कई न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर को एनर्जी मिलती है और वजन भी कम होने में मदद मिलती है।
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*सर्दी में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए इन चीजों को सेवन करें* 
 
1. सरसों की साग - सरसों में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है। जिसका सेवन करने से कैल्शियम की कमी दूर होगी। वही सर्दी के दिनों में सरसों के साग का बहुत सेवन किया जाता है। खासतौर पर मक्की की रोटी और सरसों की साग का सेवन शौकिया तौर पर किया जाता है। यह कैल्शियम की कमी दूर करने में मदद करता है।

2. सफेद तिल - ठंड के दिनों में सफेद तिल का इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन करने से ठंड में शरीर में कैल्शियम की पूर्ति होती है। आप तिल के लड्डू खा सकते हैं, कच्चा तिल भी सेहत के लिए अच्छा होता है। कई लोग तिल को सेक कर सौंफ के साथ सेवन करते हैं।

3. संतरा - संतरा विटामिन सी का सबसे अच्छा अच्छा स़्त्रोत है। कैल्शियम की पूर्ति होेने के साथ ही इम्युनिटी बूस्ट करता है। ठंड के मौसम में भी जिसे संतरा कहते हैं दरअसल, उसका नाम किन्नू होता है। यह बेहद मीठी होती है। प्राकृतिक रूप से मीठी होने पर भी डायबिटीज के मरीजों को भी इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।

4. अंजीर - ठंड के दिनों में अंजीर का सेवन भी किया जाता है। ऐसे में आपकी बॉडी में कैल्शियम की पूर्ति हो रही है। जी हां, अंजीर मंे कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसका नियमित सेवन करने से हड्डियां संबंधित बीमारियों दूर हो जाती है। साथ ही इसमें मौजूद तत्व हड्डियों के विकास का काम करते हैं।

5. टमाटर - टमाटर में विटामिन के होने के साथ कैल्शियम की भी मात्रा भरपूर होती है। इसलिए रोज सलाद में एक टमाटर का सेवन जरूर करें। इससे आपको कैल्शियम की कमी नहीं होगी। और लगातार हो रहे हड्डियों के दर्द में भी आराम मिलेगा।


 
अजवाइन का उपयोग सब्जियों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। दिन में अजवाइन खाने से पाचन शक्ति बढ़ जाती है। रात में अजवाइन नहीं खाना चाहिए। इसका सेवन करने से पेट दर्द, गैस, उल्टी, खट्टी डकार और एसिडिटी में आराम मिलता है। अजवाइन को लोग सर्दी-ज़ुकाम के इलाज में काढ़ा बनाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह गर्म होती है। यदि आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो अजवाइन आपके लिए लाभदायक हो सकती है।

- इसमें फाइबर की अधिकता होती है। इसलिए मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है।

- अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, इसलिए मधुमेह में असरकारी है।

- अजवाइन मेटाबॉलिज्म को बूस्ट अप करता है, इससे मधुमेह को नियंत्रित करना आसान होता है।

- इसे नियमित रूप से आहार में शामिल करें।
- 1 कप पानी में 1 चम्मच अजवाइन को उबालकर उसे छान लें और भोजन के 50 मिनट बाद इसका सेवन करें।

- आप रोजाना इस पानी का सेवन कर सकते हैं।

- इसके अलावा अजवाइन के तेल को भी आहार का हिस्सा बना सकते हैं।


*पेट दर्द, भारीपन और कब्ज से तुरंत आराम दिलाते हैं ये 5 आयुर्वेदिक नुस्खे* 
 
1. गर्म पानी में अजवायन के बीज (अजवायन के बीज) और काला नमक का एक मिश्रण तैयार करें। इसे भोजन के तुरंत बाद ग्रहण करें। इसे दिन में एक बार लें या तो, दोपहर के भोजन पश्चात अथवा रात के खाने के बाद लें।

2. यदि आप सुबह उठते ही भारीपन और आलस्य महसूस करते हैं, नाश्ता छोड़ते हैं, तो जितना संभव हो उतना गर्म पानी पीते रहें। रात के खाने में खिचड़ी खाएं (हरे मूंग की दाल और चावल का एक बड़ा मिश्रण, अच्छी मात्रा में पानी में पकाये। यह आपको अपचन से राहत देगा।

3. नींबू को आधा काट लें और इसेमें काला नमक भरें। भोजन से पहले इसे चाटें। यह एक भूख जगाने वाले कारक के रूप में काम करता है। बहुत से लोग मानते हैं कि नींबू प्रकृति में अम्लीय है, लेकिन नींबू में मौजूद पोटेशियम शरीर में अम्ल को निष्क्रिय करता है।

4. कभी-कभी अम्ल प्रतिवाह का कारण भी बन सकता है। अम्ल पाचन रस के अपर्याप्त स्राव का परिणाम है जो भोजन के साथ बहुत अधिक पानी पीने से हो सकता है। पानी पाचन रस को पतला करता है। इसके लिए सबसे अच्छा इलाज जामुन (जंबुल) है। खाने के ठीक बाद 5 से 10 जामुन खाने से अम्ल में बड़ी राहत मिलती है। पपीता खाने से भी इस स्थिति में मदद मिलती है। 

5. 3 ग्राम बारीक कटा हुआ अदरक, आधा नींबू का रस, और 1 ग्राम काला नमक मिलाएं और भोजन से पहले आधे घंटे पहले इसका उपभोग करें। इसे नियमित रूप से पीने से 3-7 दिनों के भीतर पाचन में सुधार आता है। यदि अन्य अवयव उपलब्ध नहीं हैं, तो पानी के साथ केवल काला नमक लें (1 ग्राम) यह भी काफ़ी फायदेमंद है।

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