Thursday, 5 January 2023

इंसानियत को शर्मसार करता, नर पिशाचो वाला कृत्य*👉 *क्या देव और दानव सत्य घटना थी*..... 🤔❓👉 *मिट जाना ही जिनकी नियति है*👉 *पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों की स्थिति कुछ वैसी ही है ,, जैसी इस्लामिक स्टेट के इलाके में यजीदी महिलाओं की थी*

👉 *आखिर,,. ❓ यह सरकारी काम में बाधा डालना होता... क्या है ❓ जनता की बेबसी और, अफसर की अफसरशाही* ❓
*

👉 *संस्कार से बढ़कर कोई कवच  नहीं*
👆

👉 *सरोकारों से बेपरवाह  फिल्मकार*

👉 *इसमें कोई संदेह नहीं की व्यवसायिकता में डूबा बॉलीवुड हमेशा से ही सामाजिक सरोकारों से कन्नी काटता रहा है*

👉 *बीते दिनों "पठान" फिल्म का एक गाना विवादों में आ गया!! कारण दीपिका पादुकोण पर फिल्माए गाने में केसरिया रंग की उसकी बिकिनी थी,, परंतु क्या वाकई यह गंभीर मुद्दा था.. ❓ इस विवाद के विरोध में इससे पूर्व अनेक फिल्मों में पहने गए केसरिया रंग के वस्त्र और उससे जुड़े नृत्यों की बाढ़ सी लगा दी गई, और वह मुद्दा जिस पर विचार - विमर्श होना चाहिए था,, वह दब गया!! मुद्दा तों. "बेशर्म रंग" गाने  में दीपिका की आपत्तिजनक भाव- भंगिमा होना चाहिए था!! यकीनन इस संदर्भ में यह तर्क दिया जाएगा कि जिस किसी को यह अश्लील लगे,, वह इसे नहीं देखे या फिर यह कहा जाएगा कि जब सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र दे दिया तो फिर इस पर किसी को भी टीका - टिप्पणी करने का अधिकार नहीं !! "नहीं देखें" यह तथ्य सिरे से इसलिए खारिज किया जा सकता है,, क्योंकि यूट्यूब चैनल से लेकर सोशल नेटवर्क साइट पर इस तरह के गाने और फिल्म कोई भी देख सकता है!! विशेषकर वे बच्चे जिनके व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया आरंभ ही हुई है*!!

👉 *पिछले कुछ दशकों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर फिल्मों में जिस तरह अश्लीलता और हिंसा को परोसा गया है,, उससे युवा मन मस्तिक किस गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है,, इस पर विचार करने का समय शायद किसी के पास भी नहीं है!! फिल्म को मनोरंजन का साधन मानकर उसके सामाजिक सरोकारों से पल्ला हमेशा से ही झाड़ लिया जाता है,, परंतु फिल्में मनोरंजन की सीमा से कहीं बहुत अधिक अपने प्रभाव क्षेत्र का दायरा फैलाए हुए हैं!! तमाम कुतर्कों के बीच 1963 की उस रिपोर्ट की चर्चा करना जरूरी है,, जो भारतीय सिनेमा और संस्कृति को देखते हुए  "संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक" "संगठन"  यानी यूनेस्को द्वारा जारी की गई थी!! रिपोर्ट में पंडित नेहरू के भाषण का हवाला दिया गया था,, जिसमें कहा गया था  "भारत में फिल्मों का प्रभाव समाचार पत्रों और किताबों से अधिक है"   फिल्में समाज के नैतिक विकास को प्रभावित करती हैं!! अमेरिका की  " सेक्सुअल वायलेंस इन द मीडिया" की रिपोर्ट बताती है कि कैसे यौन शोषण के चलचित्र जीवन पर असर डालते हैं!! ब्राउन जे डी एवं उनके सहयोगियों का शोध बताता है कि फिल्म टीवी पर प्रदर्शित अश्लीलता युवाओं को कम उम्र में यौन संबंध स्थापित करने के लिए उकसाती है!!   "अमेरिकन अकैडमी आफ पीडियाट्रिक्स" में प्रकाशित शोध के अनुसार फिल्म में अश्लीलता किशोरावस्था में गर्भावस्था का कारण बनती है*!!

👉 *अगर इन अध्ययनों को भारत में संदर्भित ने करने का तर्क दिए जाने की चेष्टा की जाती है तो   "धर्मेंद्र धीरजलाल सोनेजी बनाम गुजरात राज्य" के निर्णय को अवश्य पढ़ लेना चाहिए!! नाबालिग से दुष्कर्म के एक मामले में न्यायाधीशों ने कहा था   "समाज में चारों और सेक्स और अपराध को दर्शाने वाली अनियंत्रित अश्लील फिल्में युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में ले रही हैं और अपराध के लिए प्रवृत्त कर रही हैं!! सरकार मानो उससे बेपरवाह होकर इसके बारे में कुछ नहीं कर रही!!  क्या वास्तव में सरकार का कोई कर्तव्य नहीं... ❓ उसकी अपने नागरिकों के प्रति जवाबदेही है कि वह सबसे अधिक सकर्मक बीमारी (अश्लीलता)   फैलाने वाले कारणों को नियंत्रित करें!! सेंसर बोर्ड के प्रमाण पत्र को अपना सुरक्षा कवच बनाने वालों पर कटाक्ष करते हुए न्यायालय ने यह भी कहा था,, "सेंसर बोर्ड को कौन सेंसर करेगा... ❓ न्यायालय ने इस मामले में सरकार को नसीहत दी थी कि सरकार की फिल्म निर्माताओं की शक्तिशाली लाबी को चुनौती देने का साहस उत्पन्न करना होगा*!!

✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

👉 *क्या कोई भारतीय फिल्मकार स्वेच्छा से अपनी फिल्म को प्रतिबंधित कर सकता है.. ❓ शायद नहीं,, परंतु निर्माता-निर्देशक स्ट्रेंनली कुब्रिक ने अपनी फिल्म "अ क्लॉकवर्क ऑरेंज" को ब्रिटेन में तब प्रतिबंधित कर दिया था,, जब फिल्म से प्रेरित होकर एक युवक ने महिला के साथ दुष्कर्म किया!! यह संवेदनशीलता किसी चमत्कारी छड़ी से नहीं उत्पन्न होगी!! कई बार असंवेदनशील और घोर व्यवसायिक  मानसिकता रखने वालों के लिए,, जो नैतिक क्षरण करने पर आमादा हो,, उनके लिए कठोर कानून का भी सहारा लेना पड़ता है*!!
====================

*इंसानियत को शर्मसार करता, नर पिशाचो वाला कृत्य*
👉 *क्या देव और दानव सत्य घटना थी*..... 🤔❓

👉 *मिट जाना ही जिनकी नियति है*
👉 *पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों की स्थिति कुछ वैसी ही है ,, जैसी इस्लामिक स्टेट के इलाके में यजीदी महिलाओं की थी*
👉 *बीते सप्ताह भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची को यह कहना पड़ा की पाकिस्तान को अपने यहां के अल्पसंख्यकों के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए!! उन्होंने यह बात पाकिस्तान के सिंध प्रांत के संघार जिले की हिंदू विधवा दया भील की बर्बर तरीके से हुई हत्या के सिलसिले में कहीं !! दया भील का सिर तन से जुदा करने के साथ उनके शव को बुरी तरह क्षत-विक्षत कर दिया गया था !! उनके साथ दुष्कर्म करने के बाद उनकी खाल तक उतार ली गई थी!! पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ ऐसा बर्बर व्यवहार, नई बात नहीं!! वहां आए दिन हिंदुओं पर इसी तरह कहर बरपाया जाता है!! इस तरह की घटनाओं का पाकिस्तान का राष्ट्रीय मीडिया मुश्किल से ही संज्ञान लेता है!! वह तब भी मौन धारण किए रहता है,, जब पीड़ित - प्रताड़ित हिंदू धरना प्रदर्शन करते हैं!! अधिकतर मामलों में हिंदुओं के उत्पीड़न,, अपहरण,, हत्या की खबरें स्थानीय स्तर पर प्रचारित प्रसारित होकर रह जाती है!! पाकिस्तान में हर दिन किसी न किसी हिंदू या ईसाई लड़की का अपहरण कर उसका किसी मुस्लिम से जबरन निकाह कराया जाता है,, यह झूठ प्रचारित करके कि उसने स्वेच्छा से इस्लाम स्वीकार कर लिया*!!
👉 *अंतरराष्ट्रीय मीडिया माध्यमों के अनुसार पाकिस्तान में प्रतिवर्ष अल्पसंख्यक समुदायों की 1 हजार लड़कियों का अपहरण और जबरन निकाह कराया जाता है!! अधिकतर शिकार हिंदू लड़कियां बनती हैं और अधिकांश मामलों में निकाह उन्हीं से होता है,, जो इन लड़कियों का अपहरण करते हैं!! अपहरण करने वालों का साथ मुल्ला मौलवी, पुलिस, और न्यायाधीश यानी पूरा तंत्र देता है!! ऐसे ही एक कुख्यात मौलवी मियां मिट्ठू को हाल में ब्रिटेन की सरकार ने प्रतिबंधित किया है!! मियां मिट्ठू अब तक सैकड़ों हिंदू लड़कियों को कथित तौर पर उनकी मर्जी से इस्लाम में दाखिल करा चुका है!! वह कई दलों से जुड़ा रहा है!! पाकिस्तान के इने - गिने मानवअधिकार कार्यकर्ता,, पत्रकार, या फिर यूट्यूब पर सक्रिय एक्स मुस्लिम उसके खिलाफ कार्यवाही करने की मांग करते रहे हैं,, लेकिन ऐसा कुछ होने के बजाय उसे राजनीतिक दलों का संरक्षण ही मिलता रहा है!! इसी कारण ब्रिटेन ने उस पर पाबंदी लगाई है,, लेकिन इसके प्रति सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि इससे उसकी या पाकिस्तान की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला*!!
👉 *पाकिस्तान में 95% मुस्लिम है और शेष 5% अन्य समुदाय इनमें सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू है!! लेकिन कुल जनसंख्या में उसकी भागीदारी लगभग 1:30 प्रतिशत बची है!! मुस्लिम बाहुल्य पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को छल - बल से अपने दीन यानी इस्लाम में लाने की ऐसी सनक सवार है कि उनकी लड़कियों का उनके बालिक होने के पहले ही अपहरण कर लिया जाता है!! लड़की चाहे 13 साल की हो या 14 की,, थाने और अदालते उसे 18 साल की ही साबित करके दम लेती हैं!! पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों की स्थिति कुछ वैसी ही है,, जैसी एक समय इस्लामिक स्टेट के इलाके में यजीदी महिलाओं की थी!! विभाजन के समय पश्चिमी पाक यानी आज के पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 14% थी!! जिस दर से उनकी आबादी घटी है,, उससे यह तय है कि अगले कुछ दशकों में वहां अंगुलियों पर गिने जाने लायक हिंदू ही बचेंगे - ठीक वैसे ही जैसे अफगानिस्तान में बचे हैं!! इसका बड़ा कारण अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं के प्रति पाकिस्तान के शासन और समाज में व्याप्त घृणा है!! यह इस हद तक है कि स्कूली किताबों में उन्हें हीन और नापाक बताया जाता रहा है!! इसी कारण अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न से बचाने वाले प्रस्तावित विधेयक कानून का रूप नहीं ले पा रहे हैं!! पाकिस्तान में अल्पसंख्यक न केवल तिरस्कार के चलते हाशिए पर हैं,, बल्कि वे कानूनी रूप से भी दोयम दर्जे के नागरिक हैं!! वहां जब सफाई कर्मियों की भर्ती निकलती है तो यह साफ लिखा होता है कि केवल हिंदू और ईसाई ही आवेदन कर सकते हैं!! पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों के दमन के लिए तमाम तरीके अपना रखें है!! इनमें सबसे खतरनाक है!! ईशनिंदा कानून!! किसी पर हमला करने,, पीट-पीटकर मार डालने या जेल भेज देने के लिए यह अफवाह पर्याप्त होती है कि उसने ईशनिंदा की है!! पिछले दिनों वहां एक हिंदू लड़के लव कुमार को इसलिए ईशनिंदा का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया!! क्योंकि उसने एक फेसबुक पोस्ट में यह लिख दिया था कि जब हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है तो ऊपर वाला पसीजता क्यों नहीं... ❓ उसका   "गुनाह"  यह गिनाया गया कि उसने ऊपरवाला की जगह  "मौला"   लिखा!! हालांकि सिंध  में ईश्वर या भगवान को मौला से संबोधित करना आम है,, लेकिन लव कुमार की किसी ने नहीं सुनी*!!

👉 *पाकिस्तान में ईसाइयों के उत्पीड़न पर तो तब भी पश्चिमी देश न केवल आवाज उठाते हैं!! बल्कि पीड़ितों की मदद के लिए आगे भी आते हैं!! ईसाई महिला आसिया बीबी  ईशनिंदा के फर्जी आरोप में लंबे समय तक जेल में रहने के बाद जब रिहा हुई थी तो पश्चिमी देशों की मदद से कनाडा भेज दी गई थी!! किंतु हिंदू के नसीब में ऐसा कुछ नहीं होता!! क्योंकि,, उनके लिए कभी कोई नहीं बोलता- भारत भी नहीं  !! पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का जो बयान सामने आया,, वह एक औपचारिक बयान था और सबको पता है कि पाकिस्तान ऐसे बयानों को कभी भाव नहीं देता*!!

No comments:

Post a Comment