Thursday, 5 January 2023

यह पंचतत्व नवग्रह गायत्री मंत्र ही जीवन का सार हैं।पंचतत्वों का संतुलन ही सुख और असंतुलन दुख पैदा करता है।इसको योग के माध्यम से कुण्डलिनी शक्ति के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

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यह पंचतत्व नवग्रह गायत्री मंत्र ही जीवन का सार हैं।पंचतत्वों का संतुलन ही सुख और असंतुलन दुख पैदा करता है।इसको योग के माध्यम से कुण्डलिनी शक्ति के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
यह अनादि काल से चला आ रहा है और यही हमारे सनातन धर्म का आधार है और सभी धर्मों का मूल भी।
इसी को बताने/समझाने के लिए शास्त्रों में अनेकों विधाएं बताई गई हैं।
जितने लोग अमर हैं वे और सप्तर्षिगण आदि भी इसी ज्ञानमार्ग का अनुसरण करते हैं।स्वयं श्री हनुमान जी भी इन्ही मंत्रो का जप निरन्तर करते रहते हैं।ब्रह्मा, विष्णु,महेश में यही शक्ति समायी है।
ब्रह्मा विष्णु शिव-शंकर में, पृथ्वी आकाश धरातल पर तेरा ही तेज समाया है।।
 #प्रार्थना:-
"किसी भी काल मे जाने अनजाने हमसे या हमारे पूर्वजों से कोई गलती हुई हो उसे क्षमा करें हमारी आर्थिक स्थिति सही करें पूरे परिवार को स्वस्थ करे हमे श्राप मुक्त करे हमे ऋण मुक्त करे"
रात को सोते समय बिस्तर पर और सो कर उठते समय बिस्तर पर ही पहले प्रार्थना तीन बार पढ़े।
तत्पश्चात पंचतत्व क्रमानुसार  प्रत्येक गायत्री मंत्र,संजीवनी महामृत्युंजय,विष्णु गायत्री तीन-तीन बार पढ़े! 
मन्त्र याद हो जाने पर ग्यारह बार अथवा108 बार पढ़ें।

            #पंचतत्व_नवग्रह_गायत्री_मंत्र

               1-!वायु तत्व!

                    !!राहु गायत्री !!
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि; तन्नः राहुः प्रचोदयात् !!
 
                     !बीमारियाँ!
पिशाच बाधा; कुष्ठरोग; एलर्जी; गैस; नासूर; कृमि ; सन्निपात; कालरा,बृण !
इस गायत्री के पढ़ने से सारे रोग दूर होते हैं !!

                    !! केतु गायत्री!!
ॐ गदाहस्ताय विद्ममहे अमृतेशाय धीमहि, तन्नः केतुः प्रचोदयात् !!

                     !बीमारियाँ!
त्वचा की बीमारी, कोढ़, भगंदर, विषवाधा, चेचक, गुर्दे की बीमारी. ल्यूकोडर्मा!!
इस गायत्री के पढ़ने से ये बीमारियाँ दूर होती हैं!!

                   !!  शनि गायत्री!!
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नः सौरिः प्रचोदयात् !!

                      !बीमारियाँ!
घुटने पैरो मे पीड़ा , वेवक्त बुढापा ,हड्डी की टीवी , पायरिया,!
इस गायत्री के पढ़ने से ये सभी रोग दूर होते हैं !!
               2-☆!जल तत्व!☆

                    !!चन्द्र गायत्री!!
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि, तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् !!

                     !बीमारियाँ!
खाँसी , कफ, ट्यूमर , दमा, शराब की लत, आँखो की बीमारी , लकवा , चक्कर , हाईड्रोशील , मन्दबुद्यि, सर्दी ,जुकाम , भारीपन , शीतज्वर , !!
इस गायत्री के पढ़ने से ये सभी रोग दूर होते हैं !!

                   !!शुक्र गायत्री !!
ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् !!

                     !बीमारियाँ!
कमर के रोग , वातरोग , अण्डकोश में सूजन , पीड़ा,  मूत्रावरोग , वीर्य सम्बन्धी रोग ,!! 
इस गायत्री के पढ़ने से ये सभी रोग दूर होते हैं !!
            3-☆!अग्नि तत्व!☆

                   !!भौम गायत्री !!
ॐ अंगारकाय विद्ममहे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात् !!
                      !बीमारियाँ!
पेशाब, गुर्दा सम्बन्धी रोग, पोलियो, अल्सर , हार्निया, बवासीर !
इस गायत्री के पढ़ने से ये रोग दूर होते हैं!

                    !!सूर्य गायत्री!!
ॐ भास्कराय विद्ममहे महातेजाय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् !!

                      !बीमारियाँ!
दिल की बीमारीं, रीड़ की हड्डी, गर्मी की बीमारीं, नेत्र रोग, शरीर मे जलन, सिर पीड़ा, पित्त सम्बन्धी बीमारीं, ब्लडप्रेशर !!
इस गायत्री के पढ़ने से ये रोग दूर होते हैं !!

             4-☆!पृथ्वी तत्व!☆

                   !!बुध गायत्री!!
ॐ सौम्यरुपाय विद्ममहे बाणेशाय धीमहि, तन्नो बुधः प्रचोदयात्,!!

                      !बीमारियाँ!
मानसिक दुर्बलता, नींद न आना, उत्तेजना, चिंता,स्मरण शक्ति की कमी,!! 
इस गायत्री के पढ़ने से ये रोग दूर होते हैं!!

             5-☆!आकाश तत्व!☆

                      !!गुरू गायत्री!!
ॐ आंडि्गरसाय विद्ममहे दण्डायुधाय धीमहि, तन्नो जीवः प्रचोदयात्!!

                     !बीमारियाँ!

मांसपेशियो मे अकड़न, हाँथो मे कम्पन, दाहिनी ओर के अंग सुन्न हो जाना, स्नायु पीड़ा, सूजन, पीलिया, लीवर, कैंसर, फेफड़े की सूजन, चिलकन जैसा दर्द, जलोदर, लिखते-२ हॉंथ अकड़ जाना, पथरी,!!
इस गायत्री के पढ़ने से ये रोग दूर होते हैं!!

        !संजीवनी महामृत्युंजय!
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं त्रयंम्बकंयजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् धियो यो नः प्रचोदयात् ऊर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !! !!
इस गायत्री के पढ़ने से सभी लोग र्दीर्घ आयु होते हैं!! 
            !! विष्णु गायत्री!!
ॐ नारायणाय विद्ममहे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्!! !!

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