Wednesday 29 March 2023

देहरादून स्थित मां संतला देवी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है।*

*देहरादून स्थित मां संतला देवी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है।*
 पौराणिक कथाओं के अनुसार, 11वीं शताब्दी में नेपाल के राजा को पता चला कि उनकी पुत्री संतला देवी से एक मुगल सम्राट शादी करना चाहता है, तो तब संतला देवी नेपाल से पर्वतीय रास्तों से चलकर इस पर्वत पर किला बनाकर निवास करने लगीं। इस बात का पता चलने पर मुगलों ने किले पर हमला कर दिया।
जब संतला देवी और उनके भाई को अहसास हुआ कि वह मुगलों से लड़ने में सक्षम नहीं हैं तो संतला देवी ने हथियार फेंककर, ईश्वर की प्रार्थना शुरू की। अचानक एक प्रकाश उन पर चमका और वे पत्थर की मूर्ति में तब्दील हो गईं। बाद में किले के स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया।

*इस तरह पहुंचे मंदिर*

देहरादून शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर माता संतला देवी मंदिर स्थित है। घंटाघर से गढ़ीकैंट होते हुए जैतनवाला तक जाने वाली बस सेवा का लाभ उठाकर यात्री मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जैतनवाला से पंजाबीवाला अथवा संतोरगढ़ दो किलोमीटर दूर है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किमी की पैदल चढ़ाई चढ़नी होती है।

*महातम्य*

मान्यता है कि 16वीं सदी में कुछ सैनिक यहां पूजा करने आते थे। उस समय एक अंग्रेजी अफसर विलियम्स सेक्सपीयर के कोई संतान नहीं थी। अपने सैनिकों से मंदिर के बारे में जानकारी मिलने के बाद उन्होंने ने विधि विधान से मंदिर में पूजा की। एक साल के भीतर बेटे के पिता बने। मान्यता है कि इसके बाद से यहां अधिकांश लोग संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ आते हैं।
सच्चे मन से आने वाले भक्त की मनोकामना मां पूरी करती हैं। मंदिर में वर्षभर पूजा के लिए काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। नवरात्र में अधिक भीड़ रहती है। पहले दिन से हर दिन पूजा पाठ व हवन होता है।

मां का आशीर्वाद भक्तों पर हमेशा बना रहता है। यहां पर हवन होता है। मंदिर का प्रसाद, धागा, चुन्नी, सिंदूर व भस्म को प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं। परिसर में वट वृक्ष की परिक्रमा कर व चुनरी बांधकर मन्नत मांगते हैं।

No comments:

Post a Comment