आखिर क्यों पत्नियां अपने पति की हत्या कर रही है-डॉ दिलीप कुमार सिंह
मेघालय के शिलांग में सोनम रघुवंशी पत्नी द्वारा अपने तीन प्रेमियों के साथ मिलकर अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या हनीमून मनाने के कालखंड में कर दिया गया और जिससे पूरा देश नि:शब्द है स्तब्ध है और यह कोई अंतिम कड़ी नहीं है यह एक ऐसी कड़ी है जो दिन-रात बढ़ती चली जा रही है और कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब समाचार पत्रों टेलीविजन चैनल में न आता हो कि पत्नी द्वारा पति की हत्या कर दी गई क्या कर दी गई है यह अचानक ही उग्र और आवेशित रूप कब और कैसे भारत की लड़कियों स्त्रियों में प्रवेश कर गया कि आत्महत्या करने वाली महिलाएं उग्रह् और आक्रामक होकर इस तरह के अ विश्वास से भरे पाप पूर्ण विधि और नैतिकता के विरुद्ध कार्य निडर होकर कर रही है और सबसे बड़ी बात उनको ऐसा करने में कोई डर है संकोच लज्जा भी नहीं है
मानव जीवन बहुत जटिल और उलझी हुई पहेली है इसीलिए मनुष्य को विकसित जानवर सामाजिक प्राणी सबसे बुद्धिमान प्राणी और न जाने क्या-क्या कहा गया है लेकिन मुझे मनुष्य की प्रकृति आदिम जानवरों से बहुत अधिक अलग नहीं है इसके लिए शास्त्र भी कहता है की आहार निदराव है और मिथुन या जानवरों और मनुष्य में एक समान होता है धर्म ही जानवर और मनुष्य को अलग करता है और सनातन धर्म के विरुद्ध चलने वाले गिर ही जाते हैं इसका प्रमाण समय-समय पर क्रोध आवेश हत्या आत्महत्या सामूहिक नरसंहार सामूहिक बलात्कार दंगा फसाद और आपसी लड़ाई झगड़े में मिलता रहता है लेकिन वर्तमान समय में जो कुछ हो रहा है उसका कारण हमारे समाज में ही छिपा हुआ है तो लिए इसके विश्लेषण का प्रयास करते हैं
देश में एक ऐसा वर्ग विकसित हो रहा है जो सोनम रघुवंशी के परिवार जैसा है धनवान है सारी सुविधाएं हैं जिसमें माता-पिता और परिवार वालों को एक दूसरे के साथ रहने की उठने बैठने की भोजन करने की फुर्सत नहीं है एक घर में रहते हुए भी कभी-कभी बात किए महीना हो जाते हैं हर व्यक्ति चार से पांच घंटे मोबाइल खेल लेता है लेकिन अपने सजीव परिवार से हंसने खेलने बात करने के लिए उसके पास समय नहीं है यह बढ़ते हुए अपराध का और विकृत और आक्रामक प्रवृत्ति का सबसे प्रमुख कारण है जिसके वजह से ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती चली जा रही
दूसरा कारण चलचित्र जगत टेलीविजन मोबाइल इंटरनेट और तमाम ऐसे मंच है जहां पर गंदगी अश्लीलता मैथुनी दृश्यों की भरमार है और जो विदेश प्रायोजित हैं या पैसा कमाने के लिए विकसित किए गए हैं और 5 वर्ष से 15 वर्ष का किशोर पूरी तरह कच्चा घड़ा होता है जो देखता है वही सीखता है वही करता है ऐसा वह जिज्ञासा के वशीभूत होकर करता है अगर इस कालखंड में उसको सही जानकारी न दी जाए तो वह गलत सही का भेद किए बिना गंदे से गंदा और गलत से गलत काम करता है कितने ही ऐसे लड़के लड़कियों को देखा गया जो 7 से 12 वर्ष के बीच में है और फिल्म मोबाइल विज्ञापन देखकर ही जिज्ञासा के वशीभूत होकर एक दूसरे से संभोग करते देखे गए हैं स्कूल कॉलेज में यह प्रवृत्ति अधिक बढ़ रही है व्यक्ति जिस वातावरण के बीच रहेगा वैसा ही उसकी सोच विचार और उसका स्वभाव बन जाएगा
सबसे अधिक पतन संयुक्त परिवार के विखंडन से हुआ है यह भी विदेश प्रायोजित सरकार की सहायता से किया गया ऐसा काम है जो बहुत अधिक भयानक है सरकार द्वारा नारा दिया गया छोटा परिवार सुखी परिवार और आज परिवार नाम की कोई चीज है ही नहीं परिवार से मतलब है पति-पत्नी और बच्चे उन बच्चों के माता-पिता दादा दादी नाना नानी को भी परिवार से अलग रखा गया है जब परिवार संयुक्त होता था तो एक दूसरे का मान सम्मान करता था एक दूसरे से लज्जा शर्म करता था छोटे बड़ों में संकोच मर्यादा समय की भावना रहती थी और सबसे बड़ी बात संयुक्त परिवार में हर कार्यों पर एक दूसरे का नियंत्रण रहता था इससे लोग मार्ग से अधिक नहीं भटक पाए थे इन सभी कार्यों को बखूबी करती थी । पहले पुरुष के साथ जवान स्त्री चाहे वह उसकी बेटी ही क्यों ना हो एकांत में नहीं जाते थे और आज सबके गले लगा कर भेंट कर रही है उसका परिणाम सामने आ रहा है संयुक्त परिवार में हर व्यक्ति के लिए स्थान होता था और यह एक शक्तिशाली परिवार होता था और शक्तिशाली परिवार संयुक्त परिवार के बिना संभव नहीं है इसमें गलत काम करने की संभावना नहीं रहती क्योंकि लड़कियों के लिए दादी से लेकर आसान नंद भौजाई सारे रिश्ते रहते थे और पुरुषों का भी वही हाल था
आज की स्थिति बड़ी विचित्र और भयानक है माता-पिता काम में चले जाते हैं ज्यादातर दोनों लोग काम करते हैं घर में एक सन्नाटा छा जाता है एक या दो बच्चों से अधिक होते नहीं जिसके साथ खेल कूद सके पढ़ाई कर सके या अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सके इसका फल होता है या तो धीरे-धीरे बच्चा एकाकी अंतर्मुखी स्वभाव का होकर मोबाइल इंटरनेट में डूब जाता है और मानसिक अवसाद में चला जाता है दूसरा एकाकीपन से निकलने के लिए उसको गंदे और दुराचारी लोग आसानी से किसी न किसी बहाने अपने वश में करके उसका शोषण कर लेते हैं और बात तक पता चलती है जब पानी सर से ऊपर गुज़र जाता है
आज यही एकाकीपन लोगों को मानसिक अवसाद में ला रहा है जिससे छुटकारा पाने के लिए छोटे बच्चे और बच्चियों विभिन्न प्रकार के दुष्कर्म गंदगी और अश्लीलता भरी चीज करते हैं कितने तो नशा के आदती ही हो जाते हैं और कितने फिल्म मोबाइल इंटरनेट टेलीविजन देख कर चोरी हत्या और दुष्कर्म जैसे कार्य कर जाते हैं क्योंकि इस समय तक उनकी बुद्धि परिपक्व नहीं होती इस समय का बच्चा कच्चा खड़ा होता है और ऐसे ही लोगों को पुरुष और स्त्रियों द्वारा शिकार बनाया जाता है ज्यादातर बुजुर्ग आयोग की स्त्री पुरुष छोटे आयु की लड़कियों और बच्चों को अपना शिकार आसानी से बना लेता है क्योंकि इनका कोई डरभय नहीं रहता
एक और विचित्र बात है शुरू से ही लाखों करोड़ों साल से महिलाएं उन पुरुषों को अधिक पसंद करते हैं जो रसिक रंगीन झूठ स्वभाव के मक्कार चापलूसी और मीठी मीठी बातें करने वाले नाचने वाले जोकर जैसे गंदे हंसी मजाक करने वाले होते हैं अधिकांश महिलाएं इनके चक्कर में सच्चाई जानते हुए भी पड़ जाती हैं और जब तक उनकी चेतना जागृत होती है तब तक वह बहुत गहरी खाई में गिर चुकी होती है शराबी नशेड़ी गंजेड़ी भंगेड़ी चरसी अफीम हीरोइन तंबाकू गुटका पान द्वारा मसाला सेवन करने वाले लोगों का और गांजा पीने वाले लोगों को महिलाएं अधिक पसंद करती हैं कारण चाहे जो इसका एक कारण तो यह है कि ऐसे लोग बिना सोचे समझे महिलाओं के साथ कुकर्म करते हैं मीठी-मीठी बातें बोलते हैं और उनकी बातों का प्रतिरोध नहीं करते जो महिलाओं को बहुत अच्छा लगता है दूसरे नशे का सेवन करने के बाद थोड़ी देर के लिए उनकी काम शक्ति अर्थात सेक्स पावर बहुत बढ़ जाती है जो आज की महिलाएं बहुत अधिक पसंद करती है आगे परिणाम नहीं देखी है और इन सब का भयानक परिणाम होता है महिलाएं ऐसे लोगों को बहुत कम पसंद करती हैं जो ईमानदार हो सत्यवादी हो सही बात बोले सही चीज सिखाएं और जो अपने आमदनी के अनुसार पत्नी को चलना सिखाए कितने आश्चर्य की बात है कि एक बनारसी साड़ी देने वाले को सभी महिलाएं जीवन भर याद रखती हैं लेकिन जीवन भर उनके लिए खटने वाला पति बेचारा से अधिक कुछ नहीं होता है
सबसे बड़ा वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक शक्ति है अभी है कि अधिकांश महिलाएं जिस व्यक्ति के साथ पहला संभोग करती है उसको कभी नहीं भूल पाती हैं और विवाह के पहले अगर ऐसा उन्होंने कर दिया है तब तो 99% संभावना है कि उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं होगा या तो विवाह विच्छेद हो जाएगा या तो पति या पत्नी आत्महत्या कर लेंगे या पत्नी पति को जान से मरवा देगी और ऐसी महिलाएं जो विवाह पूर्व एक या एक से अधिक लोगों के साथ संभोग कर लेती है वह कभी भी पूरे जीवन सुखी तृप्ति नहीं होती और आजीवन सुख आनंद की तलाश में भटकते हुए एक से बढ़कर एक कम को कम करती रहती है ऐसा व्यक्ति जोकर हो सकता है नशेड़ी हो सकता है शराबी हो सकता है अधिक आयु का हो सकता है कम आयु का हो सकता है लेकिन वही महिला के मानस पटेल पर जीवन भर छाया रहता है इसीलिए पहले के बुद्धिमान लोग 14 15 वर्ष होते होते लड़कियों का और 17 18 वर्ष होते-होते लड़कों का विवाह कर देते हैं इससे सब कुछ सही रहता था आज वही आवश्यकता फिर से समाज में आ चुकी है
सबसे बड़ी भयानक स्थिति तो तब है जब माता-पिता परिवार वाले अपने घर की लड़की की गंदी आदत जानते हुए भी उसे सारे तथ्य छुपा कर पैसों के बल पर किसी सज्जन और अच्छे व्यक्ति और घराने में विवाह कर देती है यह स्थिति विस्फोटक होती है क्योंकि जो स्त्री विवाह पूर्व खुले आम स्वच्छंद दुष्कर्म या संभोग की आदती हो चुकी होती है वह इसको बहुत बड़ा बंधन मानती है और इसके राह में जो भी आता है उसको साफ कर देती है जरूरी नहीं है कि पति ही इस काम में आने आए ऐसा देखा गया है कि जो भी सदस्य महिला या पुरुष ऐसी महिलाओं को टोका टोकी करते हैं या प्रतिबंध लगाते हैं उनको बहुत जल्दी ऐसी महिलाएं मौत के घाट उतार देती है या उन पर झूठा मुकदमा दर्ज करके खुद सत्संग होकर घूमती फिरती रहती है
सोनम रघुवंशी के मामले में यह सभी बातें जो ऊपर कही गई लागू होता है क्योंकि उसके घर वाले उसके सारे कुकर्म और गंदगी जानते हुए भी उसे एक अच्छे और सभ्य घराने में विवाहित कर दिए जो सोनम को फांसी से कम नहीं था इसलिए सारी सुविधाएं और वैवाहिक सुख के बाद भी उसको राजा रघुवंशी में वह चीज नहीं मिली जो गंजेड़ी भंगेड़ी नशेड़ी शराबी चरसी कार्टून और जोकर जैसे अपने तीन प्रेमियों में मिलती थी और सबसे गहरा धक्का लगने वाली बात ऐसी की जिसे मुंह बोला भाई दिखा कर वह राखी बांधती थे वही उसका सबसे बड़ा प्रेमी निकला ऐसे में रोज हो रहे हैं और काफी पुरुष अब विवाह करने से डरने लगे हैं और कतराने लगे हैं
गहराई से विवेचना करने पर एक और बहुत बड़ी बात सामने आती है आवारा और दुश्चरित्र लड़कियों की माताएं अधिकांश से खुद वैसी ही होती है कभी-कभी पिता भी ऐसा होता है लेकिन ज्यादातर चरित्रहीन और दुराचारी मां की संतान कभी भी सज्जन नहीं बन सकती विशेष करके लड़कियां क्योंकि उनको अपने माता का दर्शन नहीं रह जाता है समाज को डरती नहीं है ना उन्हें इज्जत कलंक की चिंता होती है होश उनको तब आता है जब सारा जोश ठंडा हो जाता है और चिड़िया हाथ से निकल जाती है
एक और बहुत बड़ा कारण अवैध संबंधों और दुराचार में विचार को लेकर हैं आजकल विवाह इतना देर से हो रहे हैं किया तो लड़कियां और लड़के हीन भावना से ग्रस्त हो जा रहे हैं कि विवाह के बाद एक दूसरे को संतुष्ट नहीं कर पाते या तो वे अधिकांशत अपने यौन संतुष्टि को विवाह के पूर्व ही प्राप्त कर ही लेते हैं और अधिकांश मामलों में घर गांव के लोग सगे संबंधी और काम करने वाले मजदूर इसमें आगे होते हैं जिन पर शंका की कम से कम गुंजाइश और जो आसानी से उपलब्ध हो ऐसे लोगों को ही ज्यादातर शिकार लड़कियों और औरतें बनती है कभी-कभी चालक नशेड़ी और चरसी लोग भी लड़कियों को अपना शिकार बना लेते हैं और 99% लड़कियां और औरतें सब कुछ जानते हुए भी कुकर्म के इस जाल में स्वयं फंसती है और पकड़े जाने पर सारा बोझ पुरुषों पर डाल देती है
संसद द्वारा बनाए गए कानून न्यायपालिका द्वारा अनेक व्यभिविचार दुराचार के प्रावधानों को रद्द करना रिलेशन लिव इन को छूट देना और यौन अपराध को बहुत लचीला बनाना भी लड़कियों के लिए बहुत घातक सिद्ध हुआ है और इन सब कानून की आड़ लेकर वह अपने को सही सिद्ध कर देती है अगर वह वयस्क है अर्थात 18 वर्ष से ऊपर है तो माता-पिता घर परिवार समाज वाले कर कर भी कुछ नहीं कर पाते और इसे गलत चरित्र की लड़की अपना हथियार बना लेती है और आंख तब खुलती है जब वह वेश्यालय में भेज दी जाती हैं या घर वाले ही हलाला करने लगते हैं या बच्चा पैदा करने की मशीन हो जाती है या जमीन या सूटकेस फ्रिज में उनकी लाश टुकड़ों टुकड़ों में मिलती है अधिकांश मामलों में घर वाले और पिता जान नहीं पाते लेकिन मां सब कुछ जानकर भी उसको छिपाती रहती हैं इससे लड़कियों को डर भय नैतिकता की चिंता नहीं रहती और सोचती हैं कानून हमारे पास है माता-पिता हमारा क्या कर लेंगे जबकि तत्काल संसद में ऐसा विधेयक पारित होना चाहिए इसमें लड़का या लड़की बिना अपने माता-पिता परिवार की सहमति दिए कोई विवाह करें तो उसको अवैध घोषित किया जाए और उसकी संपत्ति परिवार में विलीन हो जाए तब कुछ सुधार हो सकता है
अगर घर परिवार समाज हमारे धर्मगुरु सांसद विधायक मंत्री और न्यायपालिका के लोग बहुत जल्दी इस पर त्वरित कार्यवाही नहीं करेंगे तो आने वाले दिनों में हर जगह राजा रघुवंशी जैसे कांड होते रहेंगे परिवार टूट कर बिखर जाएंगे संयुक्त परिवार तो खत्म हो ही गया है बच्चे कुछ छोटे-मोटे परिवार भी नष्ट हो जाएंगे इसलिए सब लोग लोग अभी से इस महायज्ञ के लिए जुट जाइए जाइए इस महायज्ञ में सबको साथ चलना होगा तभी ऐसी हत्याओं पर रोक लग सकती है वरना फैल रहा यह कुचक्र सबको अपनी गिरफ्त में ले लेगा ।डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment