Saturday 1 April 2023

ऐसा_मंदिर_जहां_भूख_से_दुबले_हो_जाते_हैं_श्रीकृष्ण#

#ऐसा_मंदिर_जहां_भूख_से_दुबले_हो_जाते_हैं_श्रीकृष्ण

यह विश्व का ऐसा अनोखा मंदिर है जो 24 घंटे में मात्र दो मिनट के लिए बंद होता है। यहां तक कि ग्रहण काल में भी मंदिर बंद नहीं किया जाता है। कारण यह कि यहां विराजमान भगवान कृष्ण को हमेशा तीव्र भूख लगती है। भोग नहीं लगाया जाए तो उनका शरीर सूख जाता है। अतः उन्हें हमेशा भोग लगाया जाता है, ताकि उन्हें निरंतर भोजन मिलता रहे। साथ ही यहां आने वाले हर भक्त को भी प्रसादम् (प्रसाद) दिया जाता है। बिना प्रसाद लिये भक्त को यहां से जाने की अनुमति नहीं है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इसका प्रसाद जीभ पर रख लेता है, उसे जीवन भर भूखा नहीं रहना पड़ता है। श्रीकृष्ण हमेशा उसकी देखरेख करते हैं।

#डेढ़_हजार_वर्ष_पुराना_मंदिर ~~~~~~~~~~~~~~

केरल के कोट्टायम जिले के तिरुवरप्पु में स्थित यह मंदिर लगभग डेढ़ हजार साल पुराना है। लोक मान्यता के अनुसार कंस वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण बुरी तरह से थक गए थे। भूख भी बहुत अधिक लगी हुई थी। उनका वही विग्रह इस मंदिर में है। इसलिए मंदिर सालों भर हर दिन मात्र खुला रहता है। मंदिर बंद करने का समय दिन में 11.58 बजे है। उसे दो मिनट बाद ही ठीक 12 बजे खोल दिया जाता है। पुजारी को मंदिर के ताले की चाबी के साथ कुल्हाड़ी भी दी गई है। उसे निर्देश है कि ताला खुलने में विलंब हो तो उसे कुल्हाड़ी से तोड़ दिया जाए। ताकि भगवान को भोग लगने में तनिक भी विलंब न हो। चूंकि यहां मौजूद भगवान के विग्रह को भूख बर्दाश्त नहीं है, इसलिए उनके भोग की विशेष व्यवस्था की गई है। उनको 10 बार नैवेद्यम (प्रसाद) अर्पित किया जाता है।

#मंदिर_खोले_रखने_की_व्यवस्था_आदि_शंकराचार्य_की ~~~~~~~~~~

ऐसा मंदिर जहां श्रीकृष्ण से भूख बर्दाश्त नहीं होता है। पहले यह आम मंदिरों की तरह बंद होता था। विशेष रूप से ग्रहण काल में इसे बंद रखा जाता था। तब ग्रहण खत्म होते-होते भूख से उनका विग्रह रूप पूरी तरह सूख जाता था। कमर की पट्टी नीचे खिसक जाती थी। एक बार उसी दौरान आदि शंकराचार्य मंदिर आए। उन्होंने भी यह स्थिति देखी। तब उन्होंने व्यवस्था दी कि ग्रहण काल में भी मंदिर को बंद नहीं किया जाए। तब से मंदिर बंद करने की परंपरा समाप्त हो गई। भूख और भगवान के विग्रह के संबंध को हर दिन अभिषेकम के दौरान देखा जा सकता है। अभिषेकम में थोड़ा समय लगता है। उस दौरान उन्हें नैवेद्य नहीं चढ़ाया जा सकता है। अतः नित्य उस समय विग्रह का पहले सिर और फिर पूरा शरीर सूख जाता है। यह दृश्य अद्भुत और अकल्पनीय सा प्रतीत होता है लेकिन है पूर्णतः सत्य।

#प्रसादम्_लेने_वाले_के_भोजन_की_श्रीकृष्ण_करते_हैं_चिंता ~~~~~~~~~~~~~

इस मंदिर के साथ एक और मान्यता जुड़ी हुई है कि जो भक्त यहां पर प्रसादम चख लेता है, फिर जीवन भर श्रीकृष्ण उसके भोजन की चिंता करते हैं। यही नहीं उसकी अन्य आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं। प्राचीन शैली के इस मंदिर के बंद होने से ठीक पहले 11.57 बजे प्रसादम् के लिए पुजारी जोर से आवाज लगाते हैं। इसका कारण मात्र यही है कि यहां आने वाला कोई भक्त प्रसाद से वंचित न हो जाए। यह अत्यंत रोचक है कि भूख से विह्वल भगवान अपने भक्तों के भोजन की जीवन भर चिंता करते हैं। उनके अपनी भूख की यह हालत है कि
उसे देखते हुए मंदिर को नित्य दो मिनट बंद रखा जाता है। इसका कारण भगवान को सोने का समय देना है। अर्थात इस मंदिर में वे मात्र दो मिनट सोते हैं।

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