Thursday 18 May 2023

श्री गुरु नानक देव जी महाराज के 9 महत्वपूर्ण उपदेश*

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*🚩🌺श्री गुरु नानक देव जी महाराज के 9 महत्वपूर्ण उपदेश*

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*1. 🚩ईश्वर एक है (इक ओंकार)*

*🚩🌺गुरु नानक जी के अनुसार, ईश्वर एक है। उन्होंने कहा था कि "मैं हिंदू या मुस्लिम नहीं हूं, बल्कि भगवान का अनुयायी हूं"। उन्होंने इस बात पर स्पष्ट रूप से जोर दिया है कि केवल एक ही है जो सभी को देता है और हमें उसे कभी नहीं भूलना चाहिए।*

*2. 🚩🌺निःस्वार्थ सेवा*

*🚩🌺गुरु नानक देव जी का मानना था कि मानवता का पवित्र कर्तव्य दूसरों की निःस्वार्थ सेवा करना है। चूंकि हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां हर व्यक्ति बदले में कुछ भी लिए बिना कोई काम करना नहीं चाहता है। इसलिए गुरु नानक देव जी ने कहा था कि सेवा का अत्यधिक महत्व है। आध्यात्मिक संतुष्टि और मानसिक शांति दूसरों के लिए निस्वार्थ कार्य करने से ही मिल सकती है। उनका यह भी मानना था कि यदि आप जरूरतमंदों की मदद करेंगे तो संकट के समय भगवान आपकी मदद करेंगे।*

*3. 🚩🌺5 बुराइयों से दूर रहें।*

*🚩🌺गुरु नानक देव जी ने कहा था कि पांच बुराइयां अहंकार, क्रोध, लोभ, मोह, और वासना हमारी आध्यात्मिक प्रगति में बाधक होती हैं। इन चीजों के हावी होने से, हम माया में फंस जाएंगे और भगवान साधना करने में असमर्थ होंगे।*

*4. 🚩🌺चुनौतियों से दूर भागने की बजाय डटकर सामना करें।*

*🚩🌺गुरु नानक देव जी के अनुसार, हम न तो शांति की तलाश में भागते रह सकते हैं और न ही अपने सवालों के जवाब ढूंढ सकते हैं और वो ऐसा चाहते भी नहीं थे कि हम ऐसा करें। गुरुजी चाहते थे कि हमें अपने जीवन को इस तरह से जीना चाहिए कि हम अपने सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करें। आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, हमारा जीवन चुनौतियों से भरा है। हालांकि, भागना एक आसान विकल्प है, लेकिन आदर्श नहीं है, इसलिए हमें उन कठिनाइयों का डटकर सामना करना चाहिए और अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।*

*5. 🚩🌺ज़ुल्म के आगे न झुकें*

*🚩🌺गुरु नानक देव जी ने कहा था कि हम अपने दैनिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना करते है, इसलिए हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी मुसीबत का सामना करने की एकमात्र कुंजी साहस ही है। उन्होंने अपने एक छंद में कहा है कि "भगवान चील से लड़ने के लिए गौरैया का मार्गदर्शन करते हैं" मतलब कि वे हमेशा उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने में विश्वास करते थे।*

*6. 🚩🌺सभी मनुष्य एक समान हैं।*

*🚩🌺गुरु नानक जी ने उपदेश दिया था कि हम मनुष्य जाति, पंथ, रंग या धार्मिक रूप से अलग-अलग नहीं हैं। सर्वशक्तिमान ईश्वर की दृष्टि में सभी मनुष्य एक समान हैं। यही बात उनके शब्दों और कर्मों में भी झलकती है। उन्होंने ही लंगर प्रथा की शुरुआत की थी। आज भी दुनिया भर के गुरुद्वारों में सभी प्रकार के लोगों का एक साथ बैठने और गुरु का लंगर खाने के लिए स्वागत किया जाता है।*

*7. 🚩🌺सादगी और विनम्रता*

*🚩🌺गुरु नानक देव जी के कई अनुयायी थे। फिर भी, उन्होंने खुद को हमेशा भगवान के अनुयायी के रूप में ही प्रस्तुत किया। उनकी सादगी और विनम्रता लोगों को बेहद पसंद आती थी। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण चीज़ है, जो हमारे दिमाग में हमेशा होनी चाहिए कि सफलता की चकाचौंध में बह जाना बहुत आसान है, लेकिन ज़मीन से जुड़े रहना बहुत मायने रखता है क्योंकि सादगी ख़ूबसूरत होती है।*

*8. 🚩🌺अंधविश्वास से लड़ें*

*🚩🌺गुरु जी के इस उपदेश को उनकी ही एक घटना के माध्यम से बेहतर समझा जा सकता है। जब गुरु नानक देव जी की उम्र नौ साल थी, तब उनके पिता ने जनेऊ समारोह का आयोजन किया था। यह एक पवित्र प्रक्रिया थी, जिसमें उन्हें पुजारी द्वारा चढ़ाए जाने वाले पवित्र हिंदू धागे को स्वीकार करना और धारण करना था। तो जब उन्हें जनेऊ स्वीकारने के लिए कहा गया उन्होंने इसे पहनने से इनकार कर दिया और इसके महत्व पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। उसे इनकार करने के पीछे उनका कारण यह था कि जनेऊ समाज में फूट पैदा करने का एक तरीका है। चूंकि इसे पहनने वाले लोगों को उच्च वर्ग के रूप में देखा जाता था और इसे न पहनने वाले समुदाय के वर्ग को निम्न वर्ग के रूप में देखा जाता था। उन्होंने पुजारी से यह भी पूछा था कि महिलाओं को यह पहनने के लिए क्यों नहीं दिया जाता है। उस वक़्त उनके किसी भी प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं था। उनकी यह घटना दर्शाती है कि किसी भी चीज़ पर आँख मूँदकर अनुसरण करने के बजाय, उसके पीछे की विचारधाराओं तथा तर्कों पर सवाल उठाना चाहिए। गुरु नानक देव जी ने हमेशा हर कर्मकांड के पीछे एक तर्क खोजा और अंधविश्वास का विरोध किया।*

*9. 🚩🌺महिलाओं और पुरुषों के लिए समानता*

*🚩🌺गुरु नानक देव जी हमेशा मानते थे कि स्त्री और पुरुष समान हैं। इसलिए उन्होंने कहा, "हम एक महिला के गर्भ से पैदा हुए हैं, एक महिला से सगाई की और एक महिला से शादी की। साथ ही हम स्त्रियों से मित्रता करते हैं और स्त्रियों के कारण ही हमारा वंश चलता है। एक औरत ही है, जो हमें दुनिया से बांधे रखती है। तो हम उसके बारे में उल्टी-सीधी बात क्यों करें। स्त्री का जन्म भी स्त्री से ही होता है, उसके बिना कुछ भी संभव नहीं है, सिवाय ईश्वर के। इसलिए वे लोगों को हमेशा महिलाओं का सम्मान करने और समानता बनाए रखने के लिए प्रेरित करते थे।*

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