Tuesday 2 May 2023

अस्थियां_गंगाजी_में ही क्यों विसर्जित की जाती हैं ?पतित पावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई हैं।

#अस्थियां_गंगाजी_में ही क्यों विसर्जित की जाती हैं ?

पतित पावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है 
क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई हैं।
गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली हैं और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी हैं।

श्री हरि और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने पर गंगा को पतित पावनी कहा जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है।

एक दिन देवी गंगा श्री हरि से मिलने बैकुण्ठ धाम गईं और उनसे बोलीं, "प्रभु ! मेरे जल में स्नान करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते हैं लेकिन मैं इतने पापों का बोझ कैसे उठाऊंगी ? मेरे में जो पाप समाएंगे उन्हें कैसे समाप्त करूंगी ?"

इस पर श्री हरि बोले, "गंगा! जब साधु, संत, वैष्णव आप में स्नान करेंगे तो आप के सभी पाप घुल जाएंगे।"

गंगा नदी इतनी पवित्र हैं कि अधिकांश हिंदू की अंतिम इच्छा होती है कि उसकी अस्थियों का विसर्जन गंगा में ही किया जाए ,,, 
लेकिन यह अस्थियां जाती कहां हैं ?
इसका उत्तर तो वैज्ञानिक भी नहीं दे पाए क्योंकि असंख्य मात्रा में अस्थियों का विसर्जन करने के बाद भी गंगा जल पवित्र एवं पावन है। गंगासागर तक खोज करने के बाद भी इस प्रश्न का पार नहीं पाया जा सका।

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए मृत व्यक्ति की अस्थि को गंगा में विसर्जन करना उत्तम माना गया है। यह अस्थियां सीधे श्री हरि के चरणों में बैकुण्ठ जाती हैं।

जिस व्यक्ति का अंत समय गंगा के समीप आता है उसे मरणोपरांत मुक्ति मिलती है। इन बातों से गंगा के प्रति हिन्दुओं की आस्था तो स्वाभाविक है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा जल में पारा अर्थात (मर्करी) विद्यमान होता है जिससे हड्डियों में कैल्शियम और फोस्फोरस पानी में घुल जाता है। जो जलजन्तुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। वैज्ञानिक दृष्टि से हड्डियों में गंधक (सल्फर) विद्यमान होता है जो पारे के साथ मिलकर पारद का निर्माण होता है। इसके साथ-साथ यह दोनों मिलकर मरकरी सल्फाइड साल्ट का निर्माण करते हैं। हड्डियों में बचा शेष कैल्शियम, पानी को स्वच्छ रखने का काम करता है। धार्मिक दृष्टि से पारद शिव का प्रतीक है और गंधक शक्ति का प्रतीक है। सभी जीव अंततः शिव और शक्ति में ही विलीन हो जाते हैं।...

 जय माँ गंगा , जय मां पतित पावनी
राज कमल सिंह
 विश्व हिंदू परिषद ब्रज प्रांत

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