Thursday, 28 September 2023

_लव जिहाद से बचें लड़कीयां_* 🙈

[9/29, 9:32 AM] +91 72176 20994: 🙉 *_लव जिहाद से बचें लड़कीयां_* 🙈

_*कुछ लड़के लड़कियां काॅलेज की केन्टीन में बैठ कर "लव जिहाद" पर चर्चा कर रहे थे । एक लड़की ने कहा :- "सब बकवास है यार, प्रेम में धर्म कहां बीच में आ गया ? प्रेम तो हो जाता है यारो !*_

_*तब उसी की एक सहेली बोली, "अगर कोई मुस्लिम लड़का तुझे खुद को हिन्दू बता कर फसाये और वो भी अपने जेहाद, अपने धर्म का लक्ष्य पूरा करने के लिए और तुझसे शादी करले, और "शादी के बाद" तुझे पता चले कि तेरा पति मुस्लिम है ? बोल, तेरे साथ धोखा हुआ है कि नहीं ? तुझे कैसा लगेगा ? वो बोली "ये तो गलत है, धोखा है, Fraud है।"*_

_*फिर उस सहेली ने कुछ सवाल किये: "चल, लव जेहाद को छोड़, तू Broad Minded है, Modern है, Secular है और मान ले, तू एक मुस्लिम से शादी कर लेती है Ok ?*_

_*(1) पर क्या तू यह सहन कर पायेगी के तेरा पति तुझसे शादी के बाद, और 3 बीवीयां लाये ? क्यूंकि इस्लाम तो 4 शादी की इजाज़त देता है ना ! और सुन, मुस्लिम समाज में औरतों को अपने पति को तलाक देने का भी कोई अधिकार नहीं है, जबकि "वो" तुझे केवल 3 बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर ही तलाक दे सकता है !*_

_*वो बोली "बिल्कुल नहीं, मेरा पति सिर्फ मेरा होना चाहिए। यह तो सरासर मुस्लिम महिलाओं का शोषण अत्याचार है ।*_

_*(2) क्या तू चाहती है कि, तू हर साल गर्भवती हो ? और तुझे बच्चे पैदा करने वाली मशीन बना दिया जाये ? वह बोली "मैं और हर साल pregnent हरगिज नहीं" |*_

_*(3) क्या तुझे यह पसंद आयेगा कि तेरा पति हफ्ते में, सिर्फ जुम्मे (Friday) के दिन ही नहाये और बाकी के दिनों मे सिर्फ इत्र लगा के घूमे ? "छी छी छी. सिर्फ हफ्ते में एक दिन नहाये, तो उसे मैं अपने करीब भी ना आने दूं"*_

_*(4) क्या तुझे यह पसंद आयेगा कि तेरे घर में रोज किसी निर्दोष जानवर को मारके, काटके, उसका मांस मटन तुझे पकाना पडे ? कभी कभी तो गाय भी मार के खाते हैं उनके यहाँ; तो, क्या तू गाय खायेगी ? वो बोली "बिल्कुल नहीं"*_

_*(5) रोज जींस पहन कर कालेज आती है, और शादी के बाद बुर्का पहनना पडे़ तो तू पहनेगी ? वो बोली "ये तो औरतों को कैद करना जैसा हुआ !"*_

_*(6) तुझे पता है कि मुस्लिम औरत शादी के बाद नौकरी नहीं कर सकती, मौलवी का फतवा है, और 90% मुस्लिम अपनी बीवी को बुरका के साथ घर की  चारदीवारी में कैद रखते हैं, चाहे उससे गर्मी में उनकी खाल जलती हो । वह बोली "यह कहां का न्याय है ? फिर मैंने जो पढाई की उसका कोई मेल ही नही रहेगा, मैं तो शादी के बाद भी जॉब करना चाहती हुं।*_

_*(7) और सुन, क्या तुझे यह पसंद आयेगा की तेरी बेटी का विवाह उसके चाचा, बुआ के बेटे के साथ हो ? वो बोली "चाचा और बुआ का लड़का तो भाई होता है, भाई के साथ शादी ?  हरगिज नहीं |*_

_*(8) क्या तू जानती है कि यह मुस्लिम शादी के पहले तो चिकने (Clean Shave) रहते हैं ।  लेकिन 35 साल की उम्र के बाद ये दाढी रखते हैं, तो क्या तुझे अच्छा लगेगा कि तेरा पति बालों से भरा हुआ रीछ सा लगे ? वो बोली "छी छी हरगिज नहीं" |*_

_*(9) क्या तुझे पता है कि मुस्लिम अपनी 10-12 साल की उम्र की लडकी को भी 50-55 साल के बुढ़े आदमी से शादी करवा देते हैं, क्योंकि उनके "अल्लाह मोहम्मद साहब" ने भी अपने दोस्त अबु बकर की 9 साल की बेटी आयशा से शादी की थी, इस्लाम में ये बुरा नहीं माना जाता । वो चौंकी "क्या बात कर रहे हो ?*_

*_चल अब बता कि क्या तुझे "लव जिहाद" का शिकार होना है ?_*

*_शादी इन्सान के जीवन में बहुत महत्व रखती है शादी जैसा पवित्र रिश्ता तो बहुत सोच समझ कर करना  चाहिए. हमारे संस्कारों में तो शादी एक बार ही होती है बार बार नहीं._*
[9/29, 9:32 AM] +91 72176 20994: *_हिन्दू विरोधी विज्ञापनों का सीधा नाता मीडिया और Arts संस्थानों के हिंदू विरोधी प्रोफेसरों से है_*

*_ऐसे लिबरल संस्थान Creative कम और Activist अधिक पैदा करते हैं!_*

*_FABIndia, CEAT, Nykaa, तनिष्क, हिंदुस्तान यूनिलीवर, मान्यवर इत्यादि इन नामों से तो आप परिचित ही होंगे। ये वही कंपनियाँ है जिन्होंने पिछले कुछ समय से मार्केटिंग के लिए हिन्दू विरोध को जरिया बना लिया है। क्या आपने कभी सोचा है कि ये कंपनियां ऐसी स्ट्रेटजी बनाती कैसे हैं? उन्हें इस तरह के हिन्दू विरोधी विज्ञापन का आइडिया कौन देता है? या फिर इस तरह से हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए इन कंपनियों को कंटेन्ट कौन तैयार करके देता है?_*

*_एक के बाद एक हिन्दू विरोधी विज्ञापनों के पीछे कोई और नहीं JNU और IIMC जैसे संस्थानों के वामपंथी सोच वाले प्रोफेसर जिम्मेदार हैं। उनका ही विष छात्रों तक पहुंचता है तथा वहीं से मिलता है इन कंपनियों को Ad Strategist._*

*_पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी कंपनियों ने एक के बाद एक हिन्दू विरोधी विज्ञापन बनाए हैं। इस तरह से लगातार सामने आ रहे हिन्दू विरोधी विज्ञापनों से देश की जनता सोचने पर मजबूर हो चुकी है कि आखिर सनातन धर्म को ही क्यों निशाना बनाया जाता है। अगर परत दर परत मामले की तह में जायें तो एक बात स्पष्ट हो जाएगी कि समस्या देश के उन मीडिया संस्थानों तथा आर्ट संस्थानों के वामपंथी प्रोफेसर हैं, जहां से Advertising Agencies हायरिंग करती हैं।_*

*_IIMC, JNU, TISS जैसे कई संस्थान हैं जहां से ये विज्ञापन एजेंसियां भर्ती करती हैं। इन संस्थानों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों की विचारधारा किसी से छुपी नहीं है। इन्हीं प्रोफेसरों का फैलाया हुआ भारत विरोधी विष छात्रों तक पहुंचता है और फिर वहीं से विज्ञापन एजेंसियां Campaign designer, Creative Executive Creative Director जैसे पदों पर भर्ती करती हैं। जब इन एजेंसियों को Hindustan Unilever, Tanishq, CEAT जैसी कंपनियों के विज्ञापन का कांट्रैक्ट मिलता है तब इन एजेंसियों के लिए हिन्दू विरोधी प्रोफेसरों से पढ़कर आए छात्र ही विज्ञापन की रूप रेखा तैयार करते हैं और फिर विज्ञापन अंतिम स्वरूप देते हैं।_*

*_उदाहरण के लिए Mumbai स्थित Lowe Lintas एक विज्ञापन एजेंसी है जो कई कंपनियों के लिए ads बनाती है। इसी कंपनी ने Hindustan Unilever के सर्फ एक्सेल के लिए हिन्दू विरोधी होली वाला विज्ञापन बनाया था। अब अगर इस कंपनी के भारतीय ब्रांच पर नजर डालें तो ऊपर से लेकर नीचे तक कई अधिकारी ऐसे ही संस्थानों से पढ़े हुए मिलेंगे जहां वामपंथी प्रोफेसरों का ही बोलबाला है। इसी तरह Ogilvy And Mathers भी एक Advertising Agency है।_*

*_JNU, TISS, IIMC, MUDRA इत्यादि देश के कुछ प्रमुख कला संस्थान हैं। इन संस्थाओं से प्रचारित हिंदू विरोधी विचारों को किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है।_*

*_इन संस्थानों से पढ़ने के बाद सामाजिक विज्ञान के विचारों से लैस होकर जब क्रांतिकारी apprentice यानी शिक्षु वास्तविक दुनिया में कदम रखते हैं, तो उनका एक्टिविजम Fresh Converts से भी अधिक होता है। सामूहिक रूप से, ऐसे लिबरल संस्थान Creative कम और Activist अधिक पैदा करते हैं।_*

*_उदारवादी संस्थानों का उद्देश्य मानव मस्तिष्क के क्षितिज को व्यापक बनाना था ताकि पक्षपात से रहित हो कर मानवीय समस्याओं का निदान हो सके। हालांकि, होता ठीक उलट है। छात्रों को संकीर्ण विचारधारा में बांध दिया जाता है, जिससे वे अपने ही देश, मिट्टी और संस्कृति को भूलकर उस विचारधारा को ही परमपूज्य मानने लगता है जिसे उसके प्रोफेसर ने पढ़ाया है।_*

*_परिणामस्वरूप हमें तनिष्क के एकत्वम अभियान जैसे विज्ञापन देखने को मिलते हैं जिसका वास्तविकता दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। ऐसा नहीं है कि आजकल इंटरनेट के क्षेत्र में हिंदू अति सक्रिय हैं तभी ऐसे विज्ञापन पर रिएक्शन देते हैं। यहाँ गलती उन Woke विज्ञापन एजेंसियों में बैठे लोगों की है जो वामपंथी संस्थानों के प्रोफेसरों की विचारधारा में उलझ कर वास्तविकता को नहीं जान सके। लव जिहाद पिछले कुछ सालों से एक संवेदनशील और नाजुक मुद्दा रहा है। तनिष्क के विज्ञापन अभियान के कुछ दिनों बाद ही निकिता तोमर हत्या का मामला सामने आया था। इससे लव जिहाद की सच्चाई और अधिक स्पष्ट हो गयी थी। बावजूद इसके विज्ञापन बनाने वाली विज्ञापन एजेंसियों ने अपना काम जारी रखा है। पिछले कुछ दिनों में ऐसे विज्ञापनों की भरमार देखी गई है, जिन्होंने सनातन धर्म को बदनाम करने का प्रायस किया है। चाहे नवरात्रि के अवसर पर Nykaa जैसे ई कॉमर्स साइट की जानबूझकर कॉन्डम को बेचने की स्ट्रेटजी हो या CEAT टायर्स का उपदेशात्मक विज्ञापन, इन सभी ने हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुँचाई हैं। इसका असर यह हुआ है कि इन कंपनियों को करोड़ो का नुकसान सहना पड़ा है। तनिष्क ब्रांड को चलाने वाली मूल कंपनी टाइटनको Stocks में भी उस समय काफी नुकसान हुआ था।_*

*_अगर इन बड़ी कंपनियों को नुकसान से बचना है और विज्ञापन की दुनिया से हिन्दू विरोधी गतिविधियों को हटाना है तो बड़े-बड़े गोल-गोल चश्में और पैरों में चप्पल पहन झोला लटकाए इन हिंदू विरोधी प्रोफेसरों को समीकरण से निकालना होगा जिसके बाद समस्या हमेशा के लिए हल हो जाएगी।_*

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