कोई व्यक्ति कहीं से आ गया और *प्रधानमंत्री* बन गया नहीं,ऐसा नहीं होता है आप (नरेंद्र दामोदर दास मोदी* के आलोचक हैं या प्रशंसक हैं!
ये बात जान लेनी चाहिए कि,इस व्यक्ति ने संघर्ष किया है,कड़ा संघर्ष,भीषण संघर्ष!इतना Effortlessly किया है कि उन्हें खुद कभी इसका भान ही नहीं हुआ।
बात तब की है,जब वो 21 वर्ष के थे 2 वर्ष हिमालय में बिता कर आ चुके थे,1-2 दिन घर में रहे और फिर घर छोड़ दिया अहमदाबाद आकर चाचा के पास रहने लगे गीता मंदिर स्टेट ट्रांसपोर्ट्स बस अड्डे पर,उनके चाचा कैंटीन चलाते थे नरेंद्र मोदी किशोरावस्था में *RSS* में सक्रिय रहे थे,ऐसे में अहमदाबाद में भी उन्होंने संघ से संपर्क पुनः जोड़ा।
इसी दौरान *प्रान्त प्रचाकर लक्ष्मणराव ईमानदार (वकील साहब)* से उनकी मुलाकात हुई।उसी दौरान एक सत्याग्रह में गिरफ्तार होकर जेल भी गए *नरेंद्र मोदी* ने चाचा के घर रहना छोड़ दिया और वकील साहब के घर रहने लगे।
*!! सोचिए !!*
एक 22 साल का लड़का वकील साहब के घर पर रहने गया,जहाँ एक दर्जन से अधिक लोग पहले से ही रह रहे थे वो लड़का सुबह उठ कर सबको जगाता था सबके लिए चाय बनाता था चाय पिलाता था सारे बर्तन धोता था।फिर *शाखा* जाता था शाखा से वापस आकर सबके लिए नाश्ता तैयार करता था सुबह के 9 बजे तक सबको नाश्ता करा देता था इतना ही नहीं,फिर वो 8-9 कमरों वाली इमारत की सफाई करता था, झाड़ू-पोछा सब दोपहर का भोजन किसी *स्वयंसेवक* के घर जाकर खाता था फिर वापस आकर सबको चाय पिलाता था और तो और,वकील साहब के कपड़े भी धोता था,उनके मना करने के बावजूद ये वकील साहब हैदराबाद में निज़ाम के खिलाफ सत्याग्रह में 7 वर्ष जेल की सज़ा काट चुके थे उनकी कहानी भी ऐसे ही *संघर्षों* से भरी है।
कहने का मतलब ये है,कि लोग आज कह देते हैं कि अरे नरेंद्र मोदी क्या है,एक नेता है।नरेंद्र मोदी असल में एक पूरा का पूरा मिशन है अपने-आप में एक संस्था है। आप सोचिए,आज आपको कहीं पूरी इमारत में झाड़ू-पोछा लगाने कहा जाए और रोज 12 लोगों को खाना-चाय वगैरह बना कर देने और बर्तन धोने को कहा जाए,वो भी बिना कोई पैसे के,आप करेंगे?सही बात है,कोई क्यों करेगा?यही फ़र्क है *राजनितिक और संघ* में!!
नरेंद्र मोदी ने किया...!
बिना किसी के कहे किया....!
बिना किसी शर्म के किया......!
पूरे एक वर्ष तक इस दिनचर्या का कड़ाई से अनुसरण किया........! बदले में कुछ नहीं लिया......! लेकिन किया.......!!
आज वो *Narendra Modi* हैं,लेकिन ये सफर कोई अस्सी-नब्बे के दशक में शुरू नहीं हुआ था बचपन से ही उन्होंने रास्ते तलाशने शुरू कर दिए थे।
तभी 1950 से आज तक करोड़ों लोगों ने जन्म लिया और करोड़ों स्वर्ग सिधार गए,लेकिन ये व्यक्ति लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहा है नरेंद्र मोदी जी के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए!!
आज जब 21-22 वर्ष के युवकों में कोई पढ़ाई-लिखाई को लेकर तनाव में होता है,कोई अवसाद में चला जाता है, कोई सोशल मीडिया पर दिन-रात लगा रहता है,कोई अय्याशी में लगा रहता है,कोई नेता बनने के लिए विधायक-मंत्रियों के साथ तस्वीरें क्लिक करवाने की फिराक में रहता है,कोई इस उम्र में भी लाखों कमाने लगता है! सबका जीवन है.........!
सबके किस्से हैं..........!
लेकिन जो *@narendramodi_in* ने उस उम्र में किया वो बहुत कम लोग करते हैं। इसके लिए *हार्वर्ड कैम्ब्रिज ऑक्सफ़ोर्ड* की डिग्री नहीं,अंग्रेजी का ज्ञान नहीं,बल्कि अनुभव और अध्ययन चाहिए।
मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि *नरेंद्र मोदी* जी कोई कलाकार,खिलाड़ी,लेखक या संन्यासी होते तो क्या होता निश्चित ही देश का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता,क्योंकि हमेशा कुछ नया सोचने वाला और बाकियों से 4 कदम आगे रहने वाले व्यक्ति देश का नेतृत्व मिलना ही चाहिए था बचपन में भी उनकी *माँ* ने घूमते-फिरते आ पहुँचे एक *साधु* को अपने बेटों में से 2 की कुंडली दिखाई थी तो साधु ने नरेंद्र की कुंडली देखते ही अवाक् होकर पूछा कि ये किसकी पत्री है? फिर स्पष्ट कहा कि या तो ये कोई महान *संन्यासी* होगा या फिर एक *चक्रवर्ती सम्राट महान संन्यासी या सम्राट* तो नहीं,लेकिन परिवार वालों को ये पक्का लग रहा था कि ये साधु बन जाएगा। एक दिन वो लड़का झोला उठा कर निकल भी गया पास में एक पैसा नहीं राजकोट के *रामकृष्ण मिशन से लेकर हिमालय* तक की यात्रा की,2 साल ऐसे ही घूमते-फिरते रहा और फिर घर लौट आया।फिर घर से निकला तो आज तक घर नहीं गया। *संघ में और फिर भाजपा* में संगठन का काम करते-करते *साधु* पीछे छूटता चला गया और *राजा के गुण* अधिक उभर कर सामने आने लगे अगर वो खिलाड़ी होता तो वडनगर में एक बार कबड्डी की प्रतियोगिता हुई। टीमें थी 'कुमार शाला नंबर 1' और 'कुमार शाला नंबर 2'। पहली टीम में नरेंद्र मोदी और अन्य छोटे खिलाड़ी थे। दूसरी टीम में बड़े खिलाड़ी। इसके कैप्टेन थे उमेद जी,जो कबड्डी के माहिर खिलाड़ी थे।वो दाईं ओर से एंट्री लेते थे और फिर उन्हें कोई रोक नहीं पाता था। *नरेंद्र मोदी* ने एकाध बार उनको खेलते देखा,बहुत बारीकी से देखा। फिर ऐसी व्यूह-रचना की कि उनकी टीम को 3 बार हराया। सब चौंक गए। शिक्षक कनुभाई भावसार भी बोल पड़े कि बल के आगे बुद्धि, संगठन क्षमता और चपलता ने अपना काम कर दिखाया। एक लेखक के रूप में उन्होंने अपने मार्गदर्शन *'वकील साहब* की जीवनी लिखी इतना ही नहीं,उन्होंने *ज्योतिपुंज' नामक* पुस्तक के जरिए *RSS* के उन नेताओं से जनता का परिचय कराया,जो निःस्वार्थ भाव से देशसेवा में लगे थे और जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता था!
आपातकाल के दौर को लेकर जो सबसे अच्छी पुस्तकें हैं,उनमें उनकी आपातकाल में गुजरात भी है जिसे उन्होंने अपने अनुभवों से लिखा है।गुजरात के विकास पर उन्होंने पुस्तकें लिखीं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद बच्चों के लिए *Exam Warriors* लिखी। उनकी कविताएँ भी प्रकाशित हुई हैं। अगर व फुल टाइम लेखक होते तो ज़रूर लोकप्रिय होते ही होते वो अगर फ़िल्मी दुनिया में होते तो वहाँ भी सफल होते क्योंकि बचपन में वो खुद नाटक लिखा करते थे,उसका मंचन भी करते थे और निर्देशन भी। उन्होंने भेदभाव की समस्या को दिखाने के लिए *पीला फूल* नामक एक नाटक का मंचन किया था,जिसने सबको भावुक कर दिया।
हाईस्कूल में जब दीवार बनवाने की ज़रूरत थी,तब *नरेंद्र जोगी दास खुमाण* नामक नाटक का मंचन किया और इसमें भावनगर के महाराजा की भूमिका निभाई इससे जो पैसे आए उससे दीवार बनी *नरेंद्र मोदी* अगर आज @PMOIndia बने हैं तो इसके पीछे का यही राज़ है-किसी भी क्षेत्र में कोई भी काम करो,एकदम बारीकी से चीजों को समझ कर करो,निःस्वार्थ भाव से करो.....!!
उन्होंने कभी पैसे की चाहत नहीं की,धन के पीछे नहीं भागे।उन्होंने आदमी को पढ़ा है,अपने संघर्षों के दौरान हजारों लोगों को पढ़ा है इस अनुभव से सीख ली है।
आज अमेरिका से लेकर UN तक इस व्यक्ति का लोहा मानता है,जिसके पीछे एक कलाकार,एक खिलाड़ी और एक साधु आज तक छिपा हुआ है।
आप नरेंद्र दामोदर दास मोदी के प्रशंसक हैं या आलोचक,उससे फर्क नहीं पड़ता,वो व्यक्ति आज आपके हमारे भारत का सफलतम *प्रधानसेक* है,ये बात उनके शत्रु भी नहीं नकार सकते आप आलोचक भी हैं,तो भी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं,मैं स्वयं को एक विद्यार्थी मानता हूं और मैं उनसे और उनके जैसे हर संघर्षशील व्यक्ति से बहुत कुछ सीखता हूं,उनमें से कोई कुछ बन चुका है,कोई बनने की क्रिया में है..आज इस संघर्षशील व्यक्ति को असंख्य युवाओं की ओर से अनेकों अनेक मंगलकामनाए!!
महादेव और योगेश्वर आपका यूं ही मार्गदर्शन करते रहें और आपके द्वारा भारत का उत्थान यू ही होता रहे!! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *मनोज सिह रावत* *RSS प्रचारक* *नागपुर महाराष्ट्र*
No comments:
Post a Comment