इतिहास मे यह घटना अंकित है की एक ब्राह्मण के घर की स्त्री स्नान कर रही थी तभी संयोग से वहां से "ब्राह्मण कुल शिरोमणि "वाजीराव पेशवा" की सवारी निकल रही थी !
हाथी पर बैठे महाराज वाजीराव पेशवा को घर के अंदर आँगन में स्नान कर रही स्त्री का चेहरा गर्दन तक दिख गया संयोग से ब्राह्मण स्त्री की नजर भी पेशवा जी से टकरा गयी महाराज वाजीराव पेशवा जी तत्काल हाथी से नीचे उतर पैदल चलने लगे..
साथ चल रहे उनके अंग रक्षक ने हिम्मत जुटा कारण पूछा तो पेशवा जी बोले अनजाने में मैने एक ब्राह्मण स्त्री की हत्या कर दी.. आज के बाद हाथी की सवारी नहीं करुँगा घोड़े की सवारी करुँगा और वास्तव में थोड़ी देर बाद खबर मिली की उस ब्राह्मण स्त्री ने लज्जावस प्राण त्याग दिए...
मेरे भाई, बहनों ऐसा रहा ब्राह्मणों का मर्यादित गरिमामय जीवन इतिहास.. !
अतः आप लोग भले ही आधुनिक रहें लेकिन पूर्वजों की अर्जित की हुई महानता को याद रखे. ब्राह्मण ऐसे ही पूज्य नहीं हुए हमारे पूर्वजो का त्याग तपस्या. त्रिकाल संध्या सहित जीवन सदैव पवित्रता पूर्ण मर्यादित गरिमामय रहा अतः सदैव ब्राह्मण धर्म का पालन करे l
फूहड़ वस्त्र अमर्यादित भोजन और अमर्यादित व्यवहार का त्याग करे, जीवन ऐसा गरिमामय जीयें कि अन्य लोग आपसे प्रेरणा लें l
जय हो सनातन संस्कृति की 🚩🚩
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