*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥*
इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र भी कहा जाता है। और इसका जाप, सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु के 1000 नामों के जाप के समतुल्य है।
यह मंत्र श्री राम रक्षा स्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता है।
सम्वन्धित कथा:
एक बार भूतभावन भगवान शिव ने अपनी प्राणवल्लभा पार्वती जी से अपने ही साथ भोजन करने का अनुरोध किया।
भगवती पार्वती जी ने यह कहकर टाला कि वे विष्णुसहस्रनाम का पाठ कर रही हैं।
थोड़ी देर तक प्रतीक्षा करके शिवजी ने जब पुनः पार्वती जी को बुलाया तब भी पार्वती जी ने यही उत्तर दिया कि वे विष्णुसहस्रनाम के पाठ के विश्राम के पश्चात् ही आ सकेंगी।
शिव जी को शीघ्रता थी। भोजन ठण्डा हो रहा था।
अतः भगवान भूतभावन ने कहा- पार्वति!
राम राम कहो।
एक बार राम कहने से विष्णुसहस्रनाम का सम्पूर्ण फल मिल जाता है।
क्योंकि श्रीराम नाम ही विष्णु सहस्रनाम के तुल्य है।
इस प्रकार शिवजी के मुख से राम इस दो अक्षर के नाम का विष्णुसहस्रनाम के समान सुनकर राम इस द्व्यक्षर नाम का जप करके पार्वती जी ने प्रसन्न होकर शिवजी के साथ भोजन किया।
सहस नाम सम सुनि शिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी॥ - मानस १-१९-६
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