Saturday 27 July 2024

अखिल ब्रह्मांड में सृष्टि के मूल देवों के देव आदि देव महादेव भगवान शिव के बारे में पूर्ण वैज्ञानिक और मौलिक जानकारी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि

 *अखिल ब्रह्मांड में सृष्टि के मूल देवों के देव आदि देव महादेव भगवान शिव के बारे में पूर्ण वैज्ञानिक और मौलिक जानकारी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि*

 *भगवान शिव और भगवती पार्वती इस सारी सृष्टि के मूल हैं जो 1000000 अरब प्रकाश वर्ष में संपूर्ण लोको में  फैली एक करोड़ अरब आकाशगंगाओं के रूप में फैली है भगवान शिव का प्रत्येक कार्य परम अद्भुत परम विचित्र और सृष्टि एवं सभी प्राणियों की समझ के परे है । भगवान शिव का स्वरूप परम अद्भुत है वे आशुतोष हैं अवढरदानी हैंऔर इनकी गति अनंत है इनकी अर्धांगिनी भगवती पार्वती का एक रूप कृष्ण नक्षत्र अर्थात महाकाली है जिसे आधुनिक विज्ञान ब्लैक होल के नाम से जानता है जिसमें सारा लोक और ब्रह्मांड विनष्ट हो कर समाहित हो जाता है उनके वेग को रोकना भगवान शिव के ही बस में है *।

*जब प्रबल क्रोध में भगवती महाकाली ने चंड मुंड रक्तबीज और असंख्य राक्षसों का वध कर पूरे ब्रह्मांड को जलाना चाहा और सारी शक्तियां उन्हें रोकने में असफल रही तब भगवान शिव उनकी राह में लेट गए और उनके वक्षस्थल पर मां काली का पैर पड़ते ही उनकी सारी शक्तियां स्वयं भगवान शिव में समाहित हो गई उनकी लपलपाती निकली जीभ का यही वैज्ञानिक प्रमाण हैं जो भगवान शिव के अनंत वेग और अल्फा बीटा गामा किरणों में समा जाती है उसमें एक-रे क्वाजर और लेजर जैसी किरणें समाहित हो जाती है और आगे जाकर श्वेत विवर अर्थात व्हाइट हॉल में समाहित हो जाती है जो भगवान विष्णु का लोक है*।

*इनके तीन नेत्र जहां अल्फा बीटा और गामा किरणों का प्रतीक है तो वहीं इन का त्रिशूल प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन की ऊर्जा से  भरा हुआ है जिससे पलक झपकते ही वे संपूर्ण सृष्टि का संहार कर सकते हैं इनके तेज से निकलने वाली किरणे़ संपूर्ण विश्व को जीवन देती है तो जब क्रोध में इनकी तीसरी आंख खुलती है तो उससे लेजर और क्वाजर किरणों के साथ गामा की महाप्रलयंकारी किरणें निकल कर सामने पड़ने वाले सभी प्राणियों ग्रह नक्षत्र आकाशगंगा को भस्मीभूत कर देती हैं ।भगवान शिव आशुतोष  अर्धनारीश्वर हैं पशुपतिनाथ हैं त्रिपुरारी हैं नंदीश्वर हैं  महाकाल हैं  रूद्र हैं  बसु हैं  और भैरव तथा  वीरभद्र के अवतार हैं और संपूर्ण सृष्टि में सबसे भयंकर हलाहल कालकूट विष को पान करने के बाद भी जीवित रहने वाले एकमात्र आदिदेव जिस कालकूट विष की कुछ बूंदें गिरने से ही संपूर्ण संसार के विष और विषैले प्राणी उत्पन्न हुए हैं जिसकी भयानक गर्मी से पूरा ब्रह्मांड जलने लगा था उसको की जाना भगवान शिव के अलावा किसी का बस का नहीं था* ।

*उनके मस्तक पर विराजमान अमृत वर्षा करने वाला चंद्रमा उनके कालकूट महा विष को और उस के दुष्प्रभाव को निरंतर पीता रहता है जटाओं में समाहित गंगा प्रत्येक अहंकारी अभिमानी का मान मर्दन कर देती हैं और त्रिशूल में बंधा हुआ डमरु ध्वनि अर्थात नाद शब्द की महत्ता दिखाता है जिससे संपूर्ण सृष्टि उत्पन्न हुई है सारे ब्रह्मांड की ध्वनि भगवान शिव के डमरु से ही उत्पन्न हुए हैं इतना ही नहीं बल्कि उसी डमरू से सारे ध्वनि ,ओंकार और पाणिनि के 14 सूत्र भी निकले हैं जिससे सारे संसार की भाषाओं का व्याकरण और लिपियों का निर्माण हुआ।  और आज का विज्ञान है यह मान चुका है कि ध्वनि और नाद सृष्टि का मूल है जिसकी ऊर्जा अनंत होती है। इस संपूर्ण तीनो लोक के सभी सूर्य तारे और आकाशगंगा निरंतर ओम शब्द से गूंजती रहती हैं*

  *भगवान शिव सभी धर्म सभी सभ्यताओं में पूजे जाते हैं और सम्मानित हैं मक्का मदीना के मक्केश्वर माया और इंका सभ्यताओं के पशुपतिनाथ और मातृ देवी तथा सिंधु घाटी हड़प्पा लोथल की सभ्यता में आदिनाथ मिश्र यूनान और रोम की सभ्यता में और ऑस्ट्रेलिया की सभ्यताओं में भी उनके अलग-अलग रूप दिखाई पड़ते हैं थोड़े से ही तपस्या से प्रसन्न होकर अपने ही विरुद्ध वरदान देने वाले संपूर्ण सृष्टि के एकमात्र देव हैं और जब व प्रसन्न होते हैं तो 1000000000 करोड़ ब्रह्मांड खुशी से नाच उठते हैं और क्रोध में आने पर जब परम भयंकर तांडव नृत्य करते हैं सारी सृष्टि टूट टूट कर बिखरने लगती है अरबों आकाशगंगाएँ  नष्ट हो जाती हैं। अनगिनत ब्लैक होल अर्थात कृष्ण नक्षत्र चकनाचूर हो जाते हैं सारे सृष्टि और देव शक्तियों सब हाहाकार कर उठते हैं*

* *उनके क्रोध और भैरवनाद से वीरभद्र काल भैरव जैसे महागण प्रकट होते हैं जो दक्ष जैसे तीनों लोकों के स्वामी का सिर काट कर शिवजी को चढ़ा देते हैं शिव जी के द्वारा मान्य बेलपत्र बेर भांग और धतूरे कनेर तथा अन्य पुष्प पत्र दुनिया की सबसे चमत्कारी औषधियां हैं जिन पर व्यापक शोध हो रहा है । यह चमत्कारिक पौधे हैं जिन पर आज और आगे भी अनुसंधान जारी हैं।  उनका रहन-सहन वेशभूषा सब कुछ परम आश्चर्य का विषय है व्याघ्र का  चर्म सांप की माला बैल और व्याघ्र तथा मयूर सिर पर गंगा हृदय स्थल में पार्वती मां श्मशान घाट में निवास चारों तरफ भूत प्रेत पिशाच श्मशान घाट कैलाश मानसरोवर का क से ढका हुआ अद्भुत दृश्य बगल में गणेश और कार्तिकेय सब कुछ परम आश्चर्यजनक और वैज्ञानिक  है।*

 *भगवान शिव दुग्ध मधु जल नारियल भांग धतूरा पुष्प पत्रों का अभिषेक सावन मास में स्वीकार करते हैं जो वर्षा की बूंदों से और वर्ष भर की गंदगी से विषैले हो जाते हैं परंतु दुग्ध के साथ शिवलिंग पर चढ़ते ही उनका सारा विष अमृत में बदलकर बहने लगता है जो वर्षा ऋतु में सभी नदियों जलाशयों तालाब इत्यादि में एकत्र होकर संपूर्ण विषैले जल को जो तेजाब और अम्ल युक्त होता है उसे औषधि और अमृत में बदल देता है उनके शिवलिंग की महिमा न्यारी है जिसमें संपूर्ण  परमाणु जैव नाभिकीय रासायनिक धार्मिक और  आध्यात्मिक शक्तियां विद्यमान रहती हैं ।  महा रुद्राभिषेक में प्रयुक्त किए गए जड़ी बूटियों औषधियों और पूजा हवन सामग्री को नदी ताल पोखर  में मिला देने पर सबसे जहरीला और प्रदूषित पदार्थ और पानी शुद्ध हो जाता है जिन पेड़ों में तीन पत्ते होते हैं जैसे बेर बेल वे शिवजी को अत्यधिक प्रिय हैं।*

*बाघ का चर्म पहनकर हिममंडित कैलाश शिखर पर रहना और मानसरोवर झील में भगवती पार्वती के साथ निवास करना और बिहार करना सबके लिए परम आश्चर्य का केंद्र है जहां तापमान ऋणात्मक बिंदु से भी 70 से 80 डिग्री नीचे पहुंच जाता है और हवाएं इतनी भयंकर गति से चलती है कि चारों ओर ओम की ध्वनि बिखरती रहती है इतना ही नहीं कैलाश पर्वत पर भी ऊपर से देखने पर ओम स्पष्ट लिखा हुआ दिखता है और सारे संसार में आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर अपनी पताका फहरा नहीं पाया है । इसे जीतने के पर्वतारोहियों के सारे प्रयास विफल हुए हैं* ।

*वे देव दनुज दानव मानव नाग अवर्ण सवर्ण आदिवासी वनवासी सबके लिए एक समान है जो परम उदार हैं और अपनी परम प्रिय अर्धांगिनी पार्वती के लिए बड़े मनोयोग से सोने की  निर्मित लंका को दान में रावण को बिना किसी हिचकिचाहट के दे देते हैं शिवजी हर देश काल समय अणु परमाणु क्वार्क  बोसोन कणोंमें रचे बसे और स्वयं ही ईश्वरीय कण गाड पार्टिकल है हैं।और उसके भी ऊपर हैं। वे स्वयं सभी देवी देवताओं द्वारा पूज्य होकर भी भगवान विष्णु की पूजा करते हैं इस प्रकार विश्व के सबसे दुर्गम नीरव  स्थान जैसे श्मशान और कैलाश मानसरोवर और अमरनाथ की गुफाएं उनके सबसे प्रिय स्थान हैं*।

 * वे सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग में हर समय विद्यमान रहते हैं सतयुग त्रेता द्वापर में तो शिवजी का प्रामाणिक वर्णन है ही कलयुग में ही सम्राट विक्रमादित्य सम्राट हर्षवर्धन देवराहा बाबा तैलंग स्वामी बाबा कीनाराम अवधूत भगवान राम और हम जैसे सच्चे भक्तों ने और तमाम लोगों ने इनका प्रत्यक्ष दर्शन किया है और हम आप भी साधना में भगवान शिव भगवती पार्वती का प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं सभी के प्रति समान एकभाव होते हुए भी घनघोर संकट और आपत्ति काल में भगवान शिव उसी का साथ देते थे जो अधिक सच्चाई और सत्य की ओर रहता है उन्होंने देव दानव मानव एक किन्नर गंधर्व पशु पक्षी प्रत्येक जीव मात्र को सबको ऐसे वरदान दिये जो उन्हीं के लिए महासंकट का कारण बने परंतु इससे उन पर कोई अंतर नहीं पड़ा।*

 *भगवनशिव दैत्य राक्षस दानव भूत महाभूत काल महाकाल दानव मानव शैतान प्रेत  यक्ष किन्नर गंधर्व पशु पक्षी मानव  सबके परम प्रिय हैं और उनका सबसे प्रिय स्थान शमशान है और शमशान की राख बड़े प्रेम से अपने शरीर पर भस्म के रूप में लगाकर परम आनंदित होते हैं संसार का कल्याण करने के नाते उनका नाम शंकर और अत्यधिक प्रिय और कल्याणकारी होने के नाते शिव है और भोलेनाथ भूत भावन इसलिए कि आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं आशुतोष और अवढरदानी है* ।

*और भूतों के प्रिय महाभूत और  काल के महाकाल हैं क्योंकि सारे भूत और काल उन्हीं में समाहित हो जाते हैं वह संपूर्ण समय द्रव्यमान ऊर्जा विद्युत चुंबकत्व दिशा परमाणु ईश्वरीय कण पदार्थ प्रति पदार्थ इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन अल्फा बीटा गामा काल की अंतिम सीमा है एक तरफ भगवान राम को प्रत्यक्ष दर्शन देकर वरदान देते हैं तो दूसरी तरफ रावण को भी वर देते हैं नंदी और महाकाल रावण और बाणासुर जैसे लोगों के द्वारपाल हैं देवताओं की सभा के में सबसे सम्मानित सदस्य हैं अपने संपूर्ण ज्ञान कला शक्ति को वरदानस्वरूप में पारित करना लोक कल्याण के लिए लगा देना और अंतहीन कल्पना करना शिव जी का स्वभाव है *।

*उनके अस्तित्व को सभी भौतिक जीव और रसायन विज्ञानियों ने भी माना है वे अनंत हैं अक्षय हैं आदिदेव के साथ आदि पुरुष भी हैं भारत में प्रकृति पर्यावरण और शक्तियों को संतुलित स्वच्छ करने के लिए तमाम ज्योतिर्लिंग अर्थात शिवलिंग की स्थापना किया गया जिसमें सोमनाथ मल्लिकार्जुन महाकालेश्वर ओमकारेश्वर बैद्यनाथ भीम शंकर रामेश्वर नागेश्वर विश्वनाथ त्रंबकेश्वर केदारनाथ घृष्णेश्वर पूरे भारत में फैले हुए हैं और इनसे हमेशा तेजस्वी किरणें अर्थात रेडियो एक्टिव तत्व निकलते रहते हैं और संपूर्ण वातावरण को शुद्ध करते हुए सारे जहर को पीते रहते हैं* ।

*भारत में गिरने वाले तेजस्विता पूर्ण पिंडों से शिव की शक्ति से ही ज्योतिर्लिंगों का निर्माण हुआ महा प्रलय काल में वायु पुराण और शिव पुराण के अनुसार सारी सृष्टि शिवलिंग में लीन हो जाती है और एक ही सृष्टि का बिंदु नाद स्वरूप है और महा विस्फोट सिद्धांत के अनुसार जिसे  बिग बैंग थ्योरी कहते हैं ध्वनि ऊर्जा धन और ऋण बिंदुओं से फिर से आकाशगंगाओं का निर्माण और जीवन की सृष्टि होती हैं बिना ऊर्जावान नर नारी के सृष्टि का निर्माण असंभव है उनकी इच्छा मात्र से ही भगवती पार्वती मां अनंत ब्रह्मांडों का निर्माण कर देते हैं और उनके पलक झपकते ही सबका विनाश भी कर देती हैं* ।

*शिव जी की महत्ता की गौरव गाथा वेद पुराण उपनिषद विज्ञान धर्म दर्शन भैरव और शिव ग्रंथों शिव पुराण शिव संहिता रामायण महाभारत पंचतंत्र जातक कथा कमायनी में ही नहीं संपूर्ण दुनिया की लोक कथाओं में समाई है तंत्र मंत्र यंत्र और सारे अस्त्र-शस्त्र और  पाशुपत पिनाक नारायण अस्त्र चक्र सहित सभी दिव्यास्त्र भगवान शिव ने ही बनाए हैं और देवताओं सहित असुरों और दैत्यों तथा मनुष्यों को उन्होंने ही प्रदान किया है भगवान श्री राम रावण अर्जुन को दिए गए पशुपत अजगव जैसे अस्त्र-शस्त्र इसके प्रमाण हैं।  गीत संगीत शब्द नाद व्याकरण सब कुछ भगवान शिव से उत्पन्न हुए हैं*

 *संसार को मोक्ष प्रदान करने के लिए भगवान शिव ने भगवती पार्वती को अपनी अमृत कथा का वर्णन अमरनाथ की पवित्र गुफा में किए जिससे तमाम शाखाएं निकली और विज्ञान भैरव तंत्र अघोर पंथ का भी निर्माण हुआ है संपूर्ण धरती पर एकमात्र अमरनाथ की पवित्र गुफा में ही शिवलिंग का निर्माण होता है शिव जी ने ही हठयोग सहित समस्त ज्ञान विज्ञान की शाखाओं का निर्माण किया है । दुनिया ने सभी पर्वत चोटी ऊपर विजय पाली लेकिनअब भी कैलाश पर कोई भी चढ़ नहीं पाया क्योंकि यह भगवान शिव का स्थान है*

*शिव जी के अनंत नामों में 108 नाम अधिक प्रचलित हैं उसमें भी शिव महादेव महाकाल नीलकंठ शंकर पशुपतिनाथ गंगाधर नटराज त्रिनेत्र भोलेनाथ आदिदेव आदिनाथ त्रियंबक जटाशंकर जगदीश विश्वनाथ शिव शंभू भूतनाथ महारुद्र वीरभद्र और हनुमान अधिक प्रचलित है जय परंपरा में शिव जी की भक्ति और उनकी पूजा करने का किसी को मनाही नहीं है इसीलिए सब वैष्णव शाक्त दशनामी दिगंबर श्वेतांबर लिंगायत तमिल शैेव कालमुख कश्मीरी शैव वीरशैव नाग पाशुपत कापालिक काल दमन महेश्वर चंद्रवंशी सूर्यवंशी अग्रवंशी नागवंशी सभी शिव की परंपरा को मानते हैं*।

 *यक्ष किन्नर गंधर्व राक्षस मानव सबके आदि देव भगवान शिव हैं सभी बनवासी कोल भील किरात आदिवासी उनका ही धर्म मानते हैं कामदेव को जीतने और भस्म करने की क्षमता भगवान शिव में ही है गणेश और दक्ष के कटे सिरों को जोड़कर फिर से जीवित कर के विज्ञान का सबसे बड़ा चमत्कार किया जो आज भी किसी के द्वारा असंभव है ब्रह्मा जी के छल करने पर त्रिशूल से पांचवा सिर काटकर उनके अहंकार को समाप्त किया और उन्हें पवित्र किया।*

 *भगवान शिव के वैसे तो अनंत अनुयायी और शिष्य है लेकिन उसमें भी मनु विशालाक्षी बृहस्पति शुक्र सहसराक्ष महेंद्र प्रचेता भारद्वाज अगस्त गौरी कार्तिकेय भैरव गोरखनाथ वीरभद्र मणिभद्र नंदी श्रृंगी घंटाकर्ण बाणासुर रावण विजय दत्तात्रेय शंकराचार्य मत्स्येंद्रनाथ का नाम प्रमुख है जिन्होंने शिव भक्ति का व्यापक प्रचार प्रसार किया शिवजी के व्रत और त्योहार तथा उत्सव सोमवार के प्रदोष के और श्रावण मास के तथा शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के माने जाते हैं *।

*शिव जी के द्वारा आविष्कार किए दो महामंत्र हैं पहला है ओम नमः शिवाय और दूसरा है महामृत्युंजय का ओम जूं सः  मंत्र  ओम शिव पार्वती नमः  ओम नमः शिवाय  इत्यादि बोलकर  बेल पत्र गंगाजल अथवा दूध के साथ शिवलिंग पर चढ़ा कर उनका ध्यान करने और महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से मोक्ष और अमरत्व प्राप्त होता है सभी देवी देवताओं ने और भगवान श्री राम तथा कृष्ण और अर्जुन ने भी आसुरी और शैतानी शक्तियों पर विजय के लिए भगवान शिव का श्रद्धा के साथ पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया और सर्वश्रेष्ठ पाशुपत नाम का दिव्यास्त्र और चक्र प्राप्त किया और भगवान श्री राम द्वारा रामेश्वरम में स्थापित शिवलिंग तो विश्व विख्यात है ही*

*शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है जबकि शिव के गले में जो वासुकी नाग हैं वह शेषनाग के भाई हैं दुनिया में परस्पर सारे विरोधी चीजें भगवान शिव में मिलते हैं जैसे मोर और नाग एक दूसरे के प्रबल दुश्मन हैं भगवान गणेश का वाहन चूहा है जबकि सांप प्रबल मूषक भक्षी जीव हैं भगवती पार्वती का वाहन सिंह है और शिव जी का वाहन नंदी बैल है अनेकता में एकता भगवान शिव की अद्भुत देन है*।

 शिवजी के प्रमुख अवतारों में वीरभद्र पिप्पलाद नंदी भैरव महेश हनुमान शरभ दुर्वासा अश्वत्थामा वृषभ रतिनाथ कृष्ण दर्शन अवधूत भिक्षु आर्य सुरेश्वर किरात  सुमित नर्तक ब्रह्मचारी यक्ष विश्वनाथ दूधेश्वर हंस रूप द्विज नातेश्वर प्रसिद्ध है वेदों में रुद्र के 11 प्रमुख अवतार हैं जिनमें भव चंद्र शंभू बुद्ध आज पद शास्त्र विलो हित विरुपाक्ष भीम कपाली हैं । भगवान शिव कितने सुंदर हैं इसका वर्णन मिलता है एक बार भगवान गणेश ने उन्हें असली रूप दिखाने को कहा और उनका असली रूप देखकर तीनो लोग मोहित हो गया और गणेश जी चाहते थे कि उनकी मां भगवती पार्वती से सुंदर कोई ना हो इसलिए प्रार्थना करके उन्हें असली रूप में आने को कहा जिसे भगवान शिव ने मान लिया क्योंकि वह स्वयं भगवती पार्वती को सबसे अधिक चाहते हैं*

*भगवान शिव के अनेक चिन्ह मिलते हैं जिनमें उनके पैरों के चिह्न तमिलनाडु के नागपट्टनम के शेरू बंगड़ी क्षेत्र में शिव मंदिर में मिलता है और तिरुवन्नामलाई में भी उनके परिजन हैं तेजपुर असम में जागेश्वर उत्तराखंड मैं और रांची में पहाड़ी बाबा मंदिर पर उनके पद चिन्ह मिलते हैं शिवजी की गुफाएं विश्वविख्यात हैं पहली गुफा भस्मासुर से बचने के लिए त्रिकूट पर्वत पर जम्मू से 150 किलोमीटर की दूरियों पर है और दूसरा विश्व विख्यात अमरनाथ की गुफा है जहां आज भी हर वर्ष परम अद्भुत शिवलिंग का निर्माण होता है* ।

*शिव जी इतने सरल और भोले हैं कि कोई भी पद चिन्ह लेकर या किसी भी चीज की कल्पना करके उनकी पूजा कर सकते हैं पत्थर का ढेला बटिया रुद्राक्ष त्रिशूल डमरू और और शिवलिंग उनके विशिष्ट माने जाते हैं भगवान शिव एक तरफ तो देव गुरु बृहस्पति को दूसरी तरफ दैत्य गुरु शुक्राचार्य को और विधर्मी लोगों असुरों तथा शैतानों  के अंति प्रिय हैं सभी को उनकी तपस्या पर वरदान दिया है सभी जाति वर्ण धर्म और समाज के सर्वोच्च सर्वप्रिय देवता हैं*।

 *भगवान शंकर ने भगवान बुद्ध के रूप में भी जन्म लिया है उसमें 27 बुद्ध के नाम प्रसिद्ध हैं जिसमें तरंकर शंकर और मैं घमँ कर विशेष प्रसिद्ध हैं जितने धर्म संप्रदाय हैं अगर गहराई से अध्ययन किया जाए तो उसका मूल है भगवान शिव और शैव धर्म में ही प्रकट होता है दुनिया के सारे धर्म पंथ और मतमातांतर भगवान शिव के द्वारा ही उत्पन्न है जिनके नाम अलग-अलग है*।

 *शिव की एक पंचायत भी है जिसमें भगवान सूर्य गणपति भगवती पार्वती रुद्रा और विष्णु सम्मिलित हैं इनके प्रमुख गणों में वीरभद्र भैरव मणिभद्र नंदी श्रृंगी भृंगी संदेश  गोकर्ण घंटाकर्ण जय विजय पिशाच दांत नाग नागिन और पशु प्रसिद्ध है*।

 *शिवजी के प्रमुख 7 शिष्य है जिन्होंने सातों महाद्वीपों पर ज्ञान धर्म और सभ्यता का प्रचार प्रसार किया उत्तरी दक्षिणी अमेरिका यूरोप और एशिया अफ्रीका और आस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका पर उनके शिष्यों ने ज्ञान विज्ञान की कला बिखेरी बृहस्पति विशालाक्षी शुक्राचार्य सहस राक्षस महेंद्र प्रचेता मनु और भारद्वाज तथा गौर सिरस इनमें प्रसिद्ध है इनके 7 पुत्र गणेश कार्तिकेय सुकेश जालंधर अय्यप्पा भीम और हनुमान माने जाते हैं* ।।

*भगवान शिवकीे प्रथम पत्नी परम सती महादेवी सती थी जिन्होंने शिव के अपमान पर अपना प्राण त्याग कर पार्वती के रूप में जन्म लिया । जिनके अनंत नाम है जिन्हें महागौरी महाकाली उमा उर्मी अपर्णा भवानी शैलपुत्री इत्यादि नामों से जाना जाता है। भगवती पार्वती और भगवान शिव मिलकर अर्धनारीश्वर के रूप में समस्त सृष्टि का पालन पोषण और संहार करते हैं*

 *पूरे विश्व के सभी अस्त्र-शस्त्र भगवान शिव ने ही बनाया और सब को दान दिए उसमें भी त्रिशूल पिनाक धनुष चक्र सुदर्शन चक्र पाशुपत विश्व विख्यात है संपूर्ण सृष्टि और देवी-देवताओं के निर्माता होने से ही भगवान शिव को आदि देव आदिनाथ और भगवती पार्वती को आदि देवी माना जाता है। सारे संसार में हर धर्म के लोग इनका साक्षात दर्शन करके अपना जीवन धन्य कर चुके हैं और सारा परम विश्व इन्हीं में समाहित है क्योंकि इन्हीं से उत्पन्न है*

 *डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि और निदेशकअलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र*
[7/26, 8:37 AM] Dileep Singh Rajput Jounpur: पेरिस ओलंपिक 2024 और भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन डॉ दिलीप कुमार सिंह


प्रस्तावना

 पेरिस ओलंपिक खेल आज से 26 जुलाई से प्रारंभ हो जाएंगे इस बार भारतीय खिलाड़ियों का लंबा चौड़ा दल ओलंपिक खेलों में अर्हता प्राप्त करने के बाद पेरिस ओलंपिक में भाग ले रहा है 

ओलंपिक खेलों में भारत का बहुत ही निराशाजनक प्रदर्शन रहा है

आधुनिक विश्व में ओलंपिक खेलों का शुभारंभ 18 96 ईस्वी में एथेंस से प्रारंभ हुआ है सन 1900 से भारत ने ओलंपिक खेलों में भाग लेना शुरू किया है तब से लगातार भारत हर ओलंपिक खेल में भाग ले रहा है लेकिन भारत का ओलंपिक में प्रदर्शन कुछ विशेष नहीं रहा है अभी तक भारत ने ओलंपिक में केवल 10 स्वर्ण पदक जीते हैं जिसमें आठ तो केवल हॉकी में है एक एथलेटिक्स भाला फेंक में और दूसरा निशानेबाजी में प्राप्त किया है यदि यह विश्व स्तर पर देखा जाए तो यह अमेरिका चीन रूस जर्मनी जापान इंग्लैंड फ्रांस क्यूबा ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे देशों के सामने कुछ भी नहीं है चीन और अमेरिका तो एक ही ओलंपिक में सबसे अधिक स्वर्ण पदक जीतने का अभूतपूर्व कीर्तिमान बना चुके हैं कोरिया और क्यूबा जैसे छोटे-छोटे देश भी एक ही ओलंपिक में 10 से ज्यादा स्वर्ण पदक जीत लेते हैं अभी तक भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन टोक्यो ओलंपिक 2020 में रहा है जहां पर भारत ने एक स्वर्ण सहित सात पदक प्राप्त करके भारतीय खेलों के इतिहास में एक इतिहास रचा है प्रश्न है कि क्या वह अपना यह कीर्तिमान इस बार तोड़ पाएंगे और क्या विश्व स्तर पर कुछ दमदार प्रदर्शन कर पाएंगे

 पेरिस ओलंपिक और भारत के खिलाड़ियों का प्रदर्शन और उसकी भविष्यवाणी

 पेरिस ओलंपिक में क्या कुछ कैसा रहेगा आइए इस पर एक गहरी विवेचना करते हैं इस बार भारत कुल मिलाकर 16 खेल स्पर्धाओं में भाग ले रहा है और जिसमें तीरंदाजी एथलेटिक्स बैडमिंटन घुड़सवारी गोल्फ हॉकी जूडो नौकायन सेलिंग निशानेबाजी टेबल टेनिस टेनिस मुक्केबाजी कुश्ती भारोत्तोलन खेल शामिल हैं कुल 117 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं जिसमें छह खिलाड़ी उत्तर प्रदेश के भी शामिल हैं इस बार भारत के जिन खेल और खिलाड़ियों में पदक पाने की सबसे अधिक आशा है उसमें पहले स्थान पर लक्ष्यवेध अर्थात निशानेबाजी दूसरे स्थान पर एथलेटिक्स तीसरे स्थान पर तीरंदाजी चौथे स्थान पर बैडमिंटन और कुश्ती है अन्य खेल जिसमें भारत पदक जीत सकता है उसमें हॉकी नौकायन टेबल टेनिस और भारत तोलन जैसे खेल शामिल हैं अब इनमें एक-एक करके विवेचना करते हैं


1-  तीरंदाजी सबसे पहले तीरंदाजी प्रतियोगिता की बात करते हैं यह भारत का बहुत प्राचीन खेल है और अर्जुन कर्ण भगवान श्री राम जैसे अचूक निशानेबाजों से इतिहास भरा पड़ा है पृथ्वीराज का शब्द वेधी बाण तो सभी जानते हैं इसमें भारत के पुरुष और महिला दोनों खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा में खेलने का सौभाग्य प्राप्त किया है यह देखा जाए तो तीरंदाजी में भारत दलीय स्पर्धा और व्यक्तिगत स्पर्धा में विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ टीम और खिलाडियों में शामिल हैं इसलिए अगर भारत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है तो पुरुष और महिला तीरंदाजी में वह दो पदक टीम स्पर्धा में और दो पदक अधिकतम व्यक्तिगत स्पर्धा में कुल पांच पदक की आशा कर सकते हैं और कम से कम इसमें एक पदक प्राप्त होना सूनिश्चित दिख रहा है  क्योंकी इसमे चीन कोरिया अमेरिका फ्रांस जैसी विश्वस्तरीय टीमों के सामने  अपने ऊपर नियंत्रण और मार्ग शक्ति को देखना पड़ेगा जो भारतीय खिलाड़ियों में बहुत कम है 

2-एथलेटिक्स

 इसके बाद एथलेटिक्स की बात करते हैं जिसमें भारत का प्रदर्शन बहुत ही खराब और निराशाजनक रहा है और कुल प्राप्त पदक उंगलियों पर गिने जा सकते हैं यहां एक संजोग ही कहा जाएगा की एथलेटिक्स में ओलंपिक खेलों में भारत को एक पदक प्राप्त हुआ है और वह पीले रंग का अर्थात स्वर्ण पदक है इस बार एथलेटिक्स में एक बार फिर सारा दारोमदार विश्व और ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा और उनके सहयोगी किशोर जेना पर रहेगा बाकी केवल दो ऐसे एथलेटिक्स खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने पदक तो नहीं पाया लेकिन उनकी चर्चा विश्व के स्वर्ण पदक प्राप्त खिलाड़ियों से भी ज्यादा है जिसमें पहले तो 1960 में रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह का चौथा स्थान पर रहना और फिर उड़न परी के नाम से मशहूर पीटी उषा का 1984 में चौथे स्थान पर रहना शामिल है इसके अलावा कई खिलाड़ी एथलेटिक्स के फाइनल तक तो पहुंचे लेकिन कोई पदक नहीं जीत पाए और इस बार भी एथलेटिक्स में अधिकतम दो पदक और कम से कम एक पदक भारत प्राप्त कर सकता है इससे अधिक ही आशा व्यर्थ हैं और अगर खिलाड़ी सेमीफाइनल या फाइनल में पहुंच जाते हैं तो यही भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी 


3-बैडमिंटन 


बैडमिंटन में भारत ने अपनी उपस्थिति प्रकाश पादुकोण के समय से स्थापित की और साइना नेहवाल पीवी सिंधु रंकी रेडी सात्विक साइन राज लक्ष्य सेन प्रणय श्रीकांत जैसे खिलाड़ियों ने एक समय उसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंचा दिया जिसमें प्रकाश साइना नेहवाल किदांबी श्रीकांत और पीवी सिंधु तो विश्व के नंबर एक खिलाड़ी भी रह चुके हैं पिछले बार पीवी सिंधु ने कारोलिना मारीन से हार कर रजत पदक जीता था इस बार अगर बैडमिंटन के खिलाड़ी चीन कोरिया इंडोनेशिया मलेशिया थाईलैंड डेनमार्क के खिलाड़ियों के बीच दो पदक प्राप्त कर ले तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी वैसे लगता है इस खेल में भारत अधिक से अधिक एक कांस्य  या रजक पदक प्राप्त कर सकता है

4- घुड़सवारी अगला खेल घुड़सवारी अर्थात असवारोहण है इस खेल में भारत को पदक की कोई आशा नहीं है पहली बार घुड़सवारी टीम द्वारा एक अच्छी स्थिति के साथ ओलंपिक में अर्हता प्राप्त की गई है अगर घुड़सवारी टीम फाइनल राउंड में पहुंच जाए तो यह भारत के लिए पदक जीतने के बराबर है इसके पहले मास्को ओलंपिक में भी भारत की घुड़सवारी टीम ने भाग लिया था लेकिन कुछ विशेष प्रदर्शन नहीं कर पाए थे

5- गोल्फ 

अगला खेल गोल्फ है जिसमें भारत भाग ले रहा है इसमें भी विश्वस्तरीय खिलाड़ियों के सामने भारतीय गोल्फर अगर शीर्ष 10 स्थान में जगह प्राप्त कर लेते हैं तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी पदक प्राप्त करने का तो गोल्फ में कोई प्रश्न ही नहीं है क्योंकि विश्व और ओलंपिक स्तर से हमारे गोलफर बहुत ही नीचे हैं वैसे इसमें भाग्य का भी बहुत बड़ा हाथ होता है


6- हाकी

 अगला खेल हॉकी है जिसमें भारत को बहुत बड़ी आशाएं रहती हैं और अघोषित रूप से भारत का राष्ट्रीय खेल है पिछले ओलंपिक में हॉकी टीम ने शानदार सफलता प्राप्त करते हुए पदक प्राप्त किया था इस बार हॉकी टीम से चमत्कार की आशा रहेगी और कम से कम भारत की टीम सेमीफाइनल तक पहुंच सकेगी और भाग्य ने साथ दिया तो एक पदक  टीम जीत सकती है हॉकी ही एकमात्र ऐसा खेल रहा है जिसने भारत को सबसे अधिक 8 स्वर्ण पदक दिलाए हैं और जिसके बल पर भारत हमें सब पदक तालिका में अपना स्थान बनाए रखता था 

7-जूडो

अगला खेल जिसमें भारत भाग ले रहा है वह जूडो का खेल है हाल के वर्षों में भारतीय जूडो खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ अच्छी सफलताएं प्राप्त की हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय और विश्व स्तर पर भारत के जूडो खिलाड़ी पदक प्राप्त कर सकेंगे इसमें संदेह है अगर भारत के जूडो खिलाड़ी कुछ मैच जीत लेते हैं तो यही भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि रहेगी 


8- रोइंग

अगला खेल जिसमें भारतीय खिलाड़ी भाग ले रहे हैं वह रोइंग है इन खेलों में हाल के वर्षों में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है और अगर समय और भाग्य तथा परिस्थितियों ने  साथ दिया और भारत के खिलाड़ी जी जान से खेले तो इसमें भी भारत को एक पदक की आशा हो सकती है वैसे इसमें फाइनल राउंड तक पहुंचना ही भारत के लिए उपलब्धि होगी 


9- सेलिंग 

अगला खेल जिसमें भारत के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं वह सेलिंग है सेलिंग प्रतियोगिताएं बहुत कठिन होती हैं जिसमें अभूतपूर्व दम खम और इच्छा शक्ति तथा संकल्प की आवश्यकता होती है जो भारत के खिलाड़ियों में कम नहीं है लेकिन विश्व और ओलंपिक स्तर पर उनके प्रदर्शन कुछ खास नहीं है और ओलंपिक और विश्व रिकॉर्ड से भारत के खिलाड़ी बहुत दूर हैं अगर इसमें भी भारत फाइनल राउंड तक पहुंच जाता है तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी बाकी ईश्वर की कृपा और चमत्कार पर निर्भर करता है


10- लक्ष्यवेध( निशानेबाजी)


अगला खेल जिसमें भारत की सबसे बड़ी आशाएं सबको प्राप्त हैं वह लक्ष्यवेध अर्थात निशानेबाजी या शूटिंग प्रतियोगिता है यह एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें भारत ने व्यक्तिगत स्पर्धा में पहली बार अभिनव बिंद्रा के रूप में बीजिंग ओलंपिक में चीन अमेरिका रूस यूक्रेन और यूरोप के खिलाड़ियों की कड़ी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश के खिलाड़ियों को संदेश दिया था कि हम भी इसमें बहुत कुछ कर सकते हैं इस बार भारत के खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर निशानेबाजी में बहुत बड़ी-बड़ी उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त किया है और भारत के पुरुष और महिला दोनों टीमें इसमें भाग ले रही हैं जिसमें मनु भाकर जैसी उदयीमान खिलाड़ी भी शामिल हैं यह एक ऐसा खेल है जिसमें भाग्य ने साथ दिया तो भारत व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा मिलाकर अधिक से अधिक पांच और कम से कम दो पदक जीत सकता है जिसमें एक या दो स्वर्ण पदक हो सकते हैं बाकी सब परिस्थितियों और भाग्य पर निर्भर करता है


]11-  तीरंदाजी

 
 वैसे तीरंदाजी और एथलेटिक्स तथा शूटिंग ही ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें भारत के खिलाड़ी विश्व स्तर पर हमेशा अच्छा खेल खेलते आए हैं इस बार भारत की पुरुष और महिला तीरंदाजी टीम में विश्व स्तर पर बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया है और यह आशा की जा सकती है की तीरंदाजी में अधिकतम पांच पदक और कम से कम एक पदक के साथ भारत इसमें अच्छा प्रदर्शन करेगा तीरंदाजी भारत का प्राचीन काल का खेल है जिसमें भगवान श्री राम अर्जुन करण जैसे धुरंधर तीरंदाजों का नाम विश्व विख्यात है

 11-12 टेनिस और टेबल टेनिस


टेनिस और टेबल टेनिस में भी इस बार भारत के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं लेकिन विश्व और ओलंपिक स्तर पर उच्च क्लास के खिलाड़ियों के बीच में अगर वह सेमीफाइनल तक भी पहुंच जाए तो बहुत बड़ी बात होगी मनिका बत्रा के रूप में एक अद्भुत भारतीय खिलाड़ी है लेकिन पिछली बार वह क्वार्टर फाइनल में हार गई थी इन दोनों खेलों में अगर भाग्य साथ दे और परिस्थितियों अनुकूल रहे तो हम एक पदक की अधिकतम आशा कर सकते हैं 


13-मुक्केबाजी 

मुक्केबाजी एक ऐसा खेल है जिसमें भारत के खिलाड़ी विश्व स्तर पर तो हमेशा शानदार दमदार प्रदर्शन करते आए हैं लेकिन विश्व ओलंपिक खेलों में इनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है विशेष करो ओलंपिक खेलों में तो भारतीय खिलाड़ी आज तक सेमीफाइनल में भी प्रवेश नहीं कर पाए हैं और भारत के खिलाड़ियों के साथ अन्याय भी बहुत होता रहा है इस बार अगर भाग्य साथ दे तो इसमें भारत पदक का श्री गणेश कर सकता है वैसे इसमें पदक की बहुत आशा करना उचित नहीं है 14-कुश्ती


 कुश्ती या मल्ल विद्या भारत की प्राचीनतम खेल विधाओं में से एक है जिसमें भारतीय खिलाड़ी एशियाई राष्ट्रमंडल विश्व ओलंपिक स्तर पर हमेशा श्रेष्ठ प्रदर्शन करते रहे हैं लेकिन इस बार की कुश्ती प्रतियोगिताओं में बहुत अधिक आशा नहीं है टोक्यो ओलंपिक में तो महान पहलवान सुशील कुमार स्वर्ण पदक प्राप्त करते-करते रह गए थे और दो पदक जीतने वाले वह एकमात्र भारतीय मल्ल हैं देश काल परिस्थितियां अनुकूल रही तो भारत के खिलाड़ी एक या दो पदक जीत सकते हैं विशेष कर विनेश फोगाट और रवि दहिया से कुछ आशा की जा सकती है दो पदक में एक कांस्य और स्वर्ण पदक भी हो सकता है 

15- भारोत्तोलन 

भारोत्तोलन खेलों में भारत ने विश्व और अंतरराष्ट्रीय स्तर तथा ओलंपिक स्तर पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है मैरी कॉम और लवलीना बोरगोहन ने कांस्य और रजत पदक प्राप्त किया है इस बार भी भारोत्तोलन खेलों में भारत से अच्छे प्रदर्शन की आशा है और खिलाड़ी एक या दो पदक जीत सकते हैं 



उपसंहार 


भारत में खेलों की स्थिति कागजों पर अधिक और धरातल पर बहुत कम है खेल महासंघ में व्याप्त भ्रष्टाचार और यौन शोषण तथा सरकार का खेल और खिलाड़ियों पर ध्यान न देना और मीडिया द्वारा भी इसको केवल एक पन्ने या आधे पन्ने पर छाप देना और देश की जनता का केवल क्रिकेट में ध्यान देना अन्य खेलों पर ध्यान न देना ऐसे कारण है जो विश्व और ओलंपिक स्तर पर लंबे समय तक भारत की निराशाजनक कहानी दोहराते रहेंगे इस बार हम नीरज चोपड़ा किशोर जेना पीवी सिंधु लवलीना बोरगोहेन मनु भाकर निखत जरीन अमित पंघाल सिफत कौर सामरा विनेश कौर फोगाट लक्ष्य सेन मीराबाई चानू रिंकी रेड्डी चिराग शेट्टी लक्ष्य सेन पीवी सिंधु और इस प्रकार के कुछ अन्य खिलाड़ियों के चलते अधिक से अधिक 15 पदक जिसमें पांच स्वर्ण पदक हो सकते हैं और कम से कम 9 पदक जिसमें एक स्वर्ण पदक हो सकता है की आशा कर सकते हैं ईश्वर से प्रार्थना है कि इस बार भारत के खिलाड़ी पांच स्वर्ण सहित 15 पदक प्राप्त करके सर्वश्रेष्ठ 20 देशों के कतार में शामिल हो चलते-चलते आपको बता दें कि अभी तक भारत केवल एक बार ओलंपिक खेलों में विश्व में 17वें स्थान पर रहा है बाकी हर बार यह सर्वश्रेष्ठ 20 देश के बाहर ही रहा है अगर इस बार भारत सर्वश्रेष्ठ 15 देश में आ जाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि खेलो इंडिया का कार्यक्रम केवल कागजों पर ही चल रहा है और हाल में अनेक खेलों में हुए चयन में भेदभाव और सुविधाओं का अभाव एवं यौन शोषण में भारतीय खिलाड़ियों के ओलंपिक में प्रदर्शन को गहरे तक प्रभावित किया है ऐसा देखा गया है कि सरकारी सहायता प्राप्त कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक या विश्व स्तर पर एशिया या कॉमनवेल्थ में पदक पाने में असफल रहा है जो खिलाड़ी स्वयं अपना खेत मकान आभूषण बेचकर फटेहाल स्थिति में जाते हैं वही बड़ी सफलताएं प्राप्त कर पाते हैं अब देखना है पेरिस ओलंपिक भारत के लिए कितना सुनहरा सिद्ध होता है

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