समस्या तब से पैदा हुई जब से विवाह की जगह शादी और मैरिज होने लगा और लोग भोजन की जगह खान विवाह की जगह शादी बधाई की जगह मुबारक धन्यवाद की जगह शुक्रिया माता-पिता की जगह मम्मा डैड कहने लगे
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यदि बच्चों का विवाह 17 औ र20 वर्ष की उम्र में हो तो एक शताब्दी में 5 पीढ़ी होंगी। अगर बच्चों का विवाह 25 वर्ष की उम्र में तो एक शताब्दी में 4 पीढ़ी रहेंगी और जब बच्चों की शादी 30 वर्ष की उम्र में हो, तो एक शताब्दी में 3 पीढ़ी ही रह जाएंगी। और 35 या इससे अधिक आयु में हो तो । बच्चा पैदा ही नहीं होगा 10 लाख 20 लाख में आईवीएफ से होगा कि नहीं इसके लिएगारंटी नहीं
इस साधारण सी गणना से पता चलता है, कि जनसंख्या वृद्धि दर कहां जा रही है?
👉🏻 *विचारणीय तथ्य --*
- क्या हमारा समाज अगली सदी तक रहेगा ही नहीं?
- क्या समाज के आत्म मंथन का समय अभी नहीं आया है?
- आज चारों ओर एक अजीब सा अंधकार फैल गया है।
- गाँव सूने, मोहल्ले खाली, और घरों में चुप्पी है।
- बेटियाँ 30–35 की उम्र तक कुंवारी।
- बेटे 35 पार कर चुके, पर विवाह नहीं। शादी होती है तो बहुत देर से, बच्चे होते हैं तो एक ही और फिर तलाक़...!
- टूटे हुए परिवार, माता-पिता अकेले और पूरी पीढ़ी खोखली।
- क्या हम इसे शिक्षित समाज कहें या आत्म घाती समाज।
👉🏻 *जनसंख्या घटने की अवांछित चुपचाप चलती साजिश --*
- मान लीजिए 100 लोग हैं, मतलब 50 जोड़े। अगर हर जोड़ा केवल एक संतान पैदा करता है, तो अगली पीढ़ी में बस 45-46 बचते हैं। फिर वही क्रम चला, तो तीसरी पीढ़ी में समाज लगभग शून्य।
- यह कोई डराने की बात नहीं है, यह साधारण सा गणित है और यह हो चुका है। गाँव उजड़ चुके हैं। शहरों में ऊँची इमारतें हैं, पर उनमें संयुक्त परिवार नहीं बचे।
👉🏻 *क्यों नई बहुएँ सिर्फ एक बच्चा चाहती हैं ताकि --*
- जीवन का आनंद ले सकें।
- करियर न रुके।
- शरीर पर असर न पड़े।
- समाज में मॉडर्न कहलाएँ...!
👉🏻 *कुछ प्रश्न --*
- क्या यही धर्म है?
- क्या यही हमारी संस्कृति है?
- क्या यही हमारे पूर्वजों की परंपरा थी...?
👉🏻 *सच्चाई यह है --*
- अब संतान प्रेम का परिणाम नहीं बल्कि सोशल प्रूफ बन चुकी है। देखो, हमारे भी एक बच्चा है। यह सोच न केवल धर्महीन है, बल्कि भविष्य विहीन भी।
👉🏻 *सबसे बड़ा दोष लड़की के पिता का --*
- जिसने 21-25 की उम्र में विवाह कर परिवार बसाया। आज अपनी बेटी को 30 तक कुंवारी राज कुमारी बनाए रखता है --
- कभी करियर के नाम पर,
- कभी अच्छा लड़का नहीं मिला कह कर,
- तो कभी दहेज और प्रतिष्ठा के भय से।
👉🏻 *नतीजा --*
- बेटी अवसाद में, IVF में या तलाक़ में जा रही है और समाज धीरे- धीरे समाप्त हो रहा है।
👉🏻 *भयावह तस्वीर --*
- विवाह की औसत आयु लड़का 32 वर्ष, लड़की 29 वर्ष।
- औसतन संतान 1 या 0.5 प्रति दंपत्ति।
- हर 4 दंपत्ति में 1 दंपत्ति निःसंतान या चिकित्सीय समस्या।
- डिवोर्स रेट सबसे तेज़ समाज में।
- हज़ारों युवक- युवतियाँ विवाह योग्य होते हुए भी कुंवारे हैं।
👉🏻 *समाज के प्रबुद्धजन क्या कर रहे हैं --*
- क्यों मौन धारण कर रखा है। विवाह, परिवार और संतान, सबको त्याज्य विषय मान लिया गया है? पर यह धर्म नहीं, पलायन है।
- विवाह केवल सांसारिक बंधन नहीं। यह धर्म का स्तंभ है। यह वंश और संस्कार की निरंतरता का माध्यम है।
👉🏻 *यह आत्म स्वीकृति का समय है --*
- बेटी को राज कुमारी बना कर विवेक से दूर किया।
- बेटे को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया।
- स्वार्थ बस विवाह को टालते रहे और जब किया तो बहुत देर से।
- एक ही संतान और फिर वही बिखराव, वही अकेलापन।
👉🏻 *अब क्या करना होगा --*
- 21 से 25 वर्ष तक पुत्र और पुत्री के विवाह को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।
- एक नहीं, कम से कम तीन संतानें समाज की आवश्यकता।
- लड़की के पिता, बेटी की उम्र, भावनाएँ और भविष्य समझें।
- अपेक्षाएँ घटाइए, समझ बढ़ाइए, बेटी का जीवन बचाइए।
- समाज के अध्यक्ष, संत, विद्वान इन विषयों पर खुल कर बोलें।
👉🏻 *अब नहीं चेते तो --*
- ना युवक रहेंगे, ना युवतियाँ,
- ना संतानें होंगी, ना संस्कार,
- ना समाज रहेगा, ना मंदिर।
- इतिहास में लिखा जाएगा -- एक ऐसा समाज, जिसने खुद को चुपचाप मिटा दिया।
👉🏻 *बिचार करो, मंथन करो।*
🙏
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