Tuesday, 28 February 2023

जब पैसा नहीं होता है तो सब्जियां पका के खाता हैऔरजब पैसा आ जाता है तो सब्जियां कच्ची खाता है।जब पैसा नहीं होता है तो मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाता हैऔरजब पैसा आ जाता है तो इंसान भगवान को दर्शन देने जाता है।

💥पैसा💥

जब पैसा नहीं होता है तो सब्जियां पका के खाता है
और
जब पैसा आ जाता है तो सब्जियां कच्ची खाता है।

जब पैसा नहीं होता है तो मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाता है
और
जब पैसा आ जाता है तो इंसान भगवान को दर्शन देने जाता है।

जब पैसा नहीं होता है तो नींद से जगाना पड़ता है
और
जब पैसा आ जाता है तो नींद की गोली देके सुलाना पड़ता है।

जब पैसा नहीं होता है तो अपनी बीवी को सेक्रेट्री समझता है
लेकिन जब पैसा आ जाता है तो सेक्रेट्री को बीवी बना लेता है।।

ऐसा है ये पैसा अजीब है ये पैसा...?
छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।
उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को
बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष
बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।
बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,
कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,
नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ
व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही
कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम
शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम
थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,
और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़
जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन
प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?
स्वयं विचार कीजिये :- इतना कुछ होते हुए भी,
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी...
👍मौन होना सब से बेहतर है। 

2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...
👍सफेद रंग सब से बेहतर है। 

3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...
👍उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है। 

4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..
👍पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है। 

5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी...
👍बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है। 

6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी...
👍अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है। 

7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी...
👍सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।

इंसान के अंदर जो समा जायें वो
             " स्वाभिमान "
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो
             " अभिमान "
ये मैसेज पूरा पढ़े, और 
   अच्छा लगे तो सबको भेजें 🙏

✔जब भी बड़ो के साथ बैठो तो    
      परमात्मा का धन्यवाद ,
     क्योंकि कुछ लोग 
      इन लम्हों को तरसते हैं ।

✔जब भी अपने काम पर जाओ 
      तो परमात्मा का धन्यवाद करो
     क्योंकि
     बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।

✔परमात्मा का धन्यवाद कहो 
     जब तुम तन्दुरुस्त हो , 
     क्योंकि बीमार किसी भी कीमत 
     पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश 
      रखते हैं ।

✔ परमात्मा का धन्यवाद कहो 
      की तुम जिन्दा हो , 
      क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो 
      जिंदगी की कीमत ।
💐💐💐💐💐🙏🙏

स्त्री_का_मौन,

#स्त्री_का_मौन

स्त्री जब #मौन हो जाएं
अपना कोई #अधिकार ना दिखाएं
#नाज #नखरे सब भूल जाएं
बस जी हुजूरी ही #निभाएं

                          समझ लेना तुमने उसे #खो दिया है
                           उसका #सब #कुछ तुमने ले लिया है
                           वो साथ होकर भी साथ #नहीं है
                            उसके हाथों में तेरा #हाथ नहीं है

वो अब #थक चुकी है
और #रुक भी चुकी है
उसमें अब #रवानी नहीं
बस #दरिया का पानी है

                          तुम #सोचते हो तुमने उसे जीत लिया
                            अपने अनुरूप #हासिल किया
                              #नहीं जनाब तुम हार चुके हो

जो तुम्हारे #साथ है
वो बस #एक काया है
जिसे तुम्हारे #गुरुर ने भरमाया है..

अगर दो आदमी सड़क पर लड़ रहें हो तोकोई नही कहेगा अश्लील है।लेकिन दो व्यक्ति गले में हाथ डालकर एक वृक्ष के नीचे बैठे है,तो लोग कहेंगे अश्लील है।प्रेम क्यों अश्लील है।हिंसा क्यों अश्लील नही है?हिंसा मृत्यु है,प्रेम जीवन है।जीवन के प्रति असम्मान है और मृत्यु के प्रति सम्मान है।देखिए,कितनी हैरानी की बात है।युद्ध की फिल्में बनती है,कोई सरकार उन पर रोक नहीं लगाती।हत्या होती है, खून होता है फिल्म में,कोई दुनिया की सरकार नहीं कहती अश्लील है।लेकिन अगर प्रेम की घटना है तो सारी सरकारें चिंतित हो जाती है।सोच बदलनी होगी .....

कामुकता का खुलेपन या नग्नता से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है ये सही है कि फैशनेबल औरतें बोल्ड होती हैं लेकिन जरूरी नहीं कि उनमें कामुकता भी भरी हो। कामुकता का संबंध देह से अधिक दिमाग से होता है चाहे वो औरत हो या मर्द।
एक पर्दे में रहने वाली औरत भी कामुक हो सकती है और होती भी है.

" मै मंदिर मे बैठा था वो मस्जिद में बैठी थी. मै पंडित जी का बेटा था वो काजी साहब की बेटी थी.

" मै मंदिर मे बैठा था 
वो मस्जिद में बैठी थी. 
मै पंडित जी का बेटा था 
वो काजी साहब की बेटी थी. 
मै बुलेट पर चल कर आता था. 
वो बुरखे मे गुजरती थी. 
मै कायल था उसकी आँखों का. 
वो मेरी नजर पर मरती थी. 
मै खडा रहता था चौराहे पर
वो भी छत पर चढती थी. 
मै पूजा कर आता था मजारो की 
वो मंदिर में नमाज पढती थी. 
वो होली पे मुझे रंग लगाती
मै ईद का जश्न मनाता था. 
वो वैश्णो देवी जाती थी 
मै हाजी अली हो आता था. 
वो मुझको कुरान सुनाती 
मै उसको वेद समझाता था. 
वो हनुमान चालीसा पढती थी 
मै सबको अज़ान सुनाता था ।
उसे माँगता था मै मेरे रब से 
वो अल्लाह से मेरी दुआ करती थी. 
ये सब उन दिनो की बात है, 
जब वो मेरी हुआ करती थी? 
फिर इस मजहबी इश्क का ऐसा अंजाम हुआ. 
वो मुसलमानों में हो गई ।
मै हिन्दुओ में बदनाम हुआ. 
मै मंदिर मे रोता था ।
वो मस्जिद में रोती थी. 
मै पंडित जी का बेटा था. 
वो काजी साहब की बेटी थी.. 
रोते - रोते हम लोगों की तब शाम ढला करती थी.. 
अपने अब्बू से छुप कर वो मस्जिद के पीछे मिला करती थी। 
मै पिघल जाता था बर्फ सा वो जब भी छुवा करती थी। 
ये सब उन दिनो की बात है जब वो मेरी हुआ करती थी.. 
कुछ मजहबी कीडे आ कर 
हमारी दुनिया उजाड गए. 
जो खुदा से न हारे थे. 
वो खुदा के बंदो से हार गए.. 
जीतने की कोई गुनजाईस न था 
मै इश्क की हारा बाजी था.. 
जो उसका निकाह कराने आया था 
वो उसी का बाप काजी था. 
जो गूंज रही थी मेरे कानो में 
वो उसकी शादी की शहनाई थी.. 
मै कलिया बिछा रहा था राहो में 
आज मेरी जान की विदाई थी. 
मै वही मंदिर मे बैठा था. 
पर आज वो डोली मे बैठी थी.. 
मै पंडित जी का बेटा था.. 
वो काजी साहब की बेटी थी... 
😭😭💔😭😭 
   शुभ संध्या

हम ख़ुशी अपने अंदर ही खोजे, बाहर खुशी तलाशने के भरोसे में न रहे।यही जीवन का मूल मंत्र है।

कितना मुश्किल है औरत के लिए एक अच्छे पुरुष से दोस्ती करना, उसको अपने दिल की बात कहना, समाज मे तो   औरत किसी एक पुरूष पर विश्वास करती है ये सोचकर कि शायद ये मेरे अंतर्मन की बात सुनेगा और बहुत बार औरत का फैंसला गलत भी साबित हो जाता है क्यूंकि हजारों में से एक पुरुष बुद्ध होता है जो असली में औरत के मर्म को समझता है, अधिकतर पुरुष तो औरत में अपने खालीपन को भरना चाहते हैं, बिल्कुल एक तरह की विचारधारा के दो लोगों का मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है, कुछ पुरुष भी स्त्री में एक अच्छे सच्चे मित्र की तलाश करते हैं जो उनके मन को भी समझे परन्तु स्थिति सभी जगह लगभग एक जैसी होती है।
इसका एक ही उपाय है कि हम ख़ुशी अपने अंदर ही खोजे, बाहर खुशी तलाशने के भरोसे में न रहे।
यही जीवन का मूल मंत्र है🌹🌹

कामुकता का खुलेपन या नग्नता से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है ये सही है कि फैशनेबल औरतें बोल्ड होती हैं लेकिन जरूरी नहीं कि उनमें कामुकता भी भरी हो। कामुकता का संबंध देह से अधिक दिमाग से होता है चाहे वो औरत हो या मर्द।
एक पर्दे में रहने वाली औरत भी कामुक हो सकती है और होती भी है.
कामुकता का खुलेपन या नग्नता से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है ये सही है कि फैशनेबल औरतें बोल्ड होती हैं लेकिन जरूरी नहीं कि उनमें कामुकता भी भरी हो। कामुकता का संबंध देह से अधिक दिमाग से होता है चाहे वो औरत हो या मर्द।
एक पर्दे में रहने वाली औरत भी कामुक हो सकती है और होती भी है.

यदि किसी टूटी हुई स्त्री ने आकरतुम्हारे कंधे पर सर रख दिया हो कभी चुपचापतो बेहिचक बताना सबकोकि संसार के सबसे भरोसेमंद पुरुष हो तुम,यदि कोई रोता हुआ बच्चामुस्कुरा दिया हो अचानकतुम्हें देख कर कभीतो कह देना

यदि किसी टूटी हुई स्त्री ने आकर
तुम्हारे कंधे पर सर रख दिया हो कभी चुपचाप
तो बेहिचक बताना सबको
कि संसार के सबसे भरोसेमंद पुरुष हो तुम,
यदि कोई रोता हुआ बच्चा
मुस्कुरा दिया हो अचानक
तुम्हें देख कर कभी
तो कह देना
कि संसार का सब से निश्छल चेहरा
तुम्हारा है,
यदि कोई परास्त पुरुष
तुम्हारे पुकारने पर आकर टूट गया हो
और बह गया हो
फूटफूट कर
तो कहना
कि संसार के सबसे गहरे मित्र होने के पात्र हो तुम,
यदि तुम्हें नहीं सूझे कभी भी, कोई भी सवाल उसके लिए
जिसके प्रेम मे हो तुम
तो समझ लेना
कि संसार के सबसे सच्चे प्रेमी हो तुम,
यदि अपनी भूख से अधिक एक दाना बेचैन कर दे तुम्हें
और तुम निकल पड़ो उसके असली हकदार को ढूंढने
और ढूंढे बिना लौट न पाओ थाली पर
तो मनुष्यों में सर्वाधिक मनुष्य कह देना अपने आप को
बेहिचक..।

संभोग के समय, महिला के निचले होंठ पर जीभ के मुड़ने से शरीर में कंपन होने लगता है। वह कामुकता की इंद्रियों से घिरा हुआ है। फिर, अपने होठों के बीच आदमी के होठों पकड़े और उसे कोमल और मुलायम चुंबन के साथ एक आम की तरह चुंबन द्वारा, औरत की कामुक अंगों सक्रिय केवल बन जाते हैं। जैसे ही अंग कामुक होता है, महिला संभोग सुख का आनंद लेना शुरू कर देती है और पूर्ण चलती है। वह संभोग के दौरान भी आदमी को खुश करने लगती है। फिर स्त्री कामुकता के शिखर को उसी तरह छूती है, जैसे भयंकर भयावह। फिर स्त्री पुरुष को चरम सुख देती है। वह संभोग की गहराई में उतरना शुरू कर देती है और पुरुष को पूरा आनंद देती है।

स्योहारा: (डॉ०उस्मान ज़ैदी)मंगलवार दोपहर धामपुर मुरादाबाद मार्ग पर पूजा अर्चना करने के बाद एचडीएफसी बैंक की शाखा का भव्य उदघाटन

स्योहारा: (डॉ०उस्मान ज़ैदी)मंगलवार दोपहर धामपुर मुरादाबाद मार्ग पर पूजा अर्चना करने के बाद एचडीएफसी बैंक की शाखा का भव्य उदघाटन
 एसडीएम मनोज कुमार, पुलिस क्षेत्राधिकारी इन्दु सिद्धार्थ, शुगर मिल अधिशासी अध्यक्ष सुखवीर सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी चिकित्सक डा.मनोज कुमार वर्मा, व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा, एचडीएफसी के वाइस प्रेसिडेंट हेड क्लस्टर अरुण गुप्ता व एचडीएफसी शाखा प्रबंधक रोहित भारद्वाज ने संयुक्त रुप से फीता काट कर किया। इस मौके पर शाखा प्रबंधक स्योहारा रोहित भारद्वाज ने बताया कि हमारी शाखा खोलने का उद्देश्य स्योहारा एवं आसपास की जनता जो हमारे यहां ग्राहक होंगे उन्हें बैंकिंग कार्य में ज्यादा से ज्यादा सुविधा उपलब्ध करायी जाये। एचडीएफसी बैंक कार्य में डिजिटल सुविधाएं अन्य बैंक की अपेक्षा ज्यादा है वह अपनी ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए घर बैठे हमारे बैंक का लाभ ले सकते हैं। बैंक से लोन भी आसान है घर पर रहते हुए ही लोन के लिए ऑनलाइन फॉर्म भी भर सकते हैं। इस अवसर पर स्योहारा थाना प्रभारी राजीव चौधरी, भाजपा नेता अनिल कुशवाह, विश्व हिंदू परिषद नगर अध्यक्ष चन्दर विश्नोई, मुकेश मिगलानी, व्यापारी राजीव जैन, अंकुर जैन, उप प्रबंधक विक्रमजीत केसियर मोहम्मद सलमान मिल गोल्ड लोन उपदेश कुमार शर्मा एरिया हेड मैनेजर धामपुर दीपवंत सिंह एचआर विवेक श्रीवास्तव, शुगर मिल एडवोकेट राजेश शर्मा, बसपा नेता हाजी मौहम्मद इल्यास, अख्तर जलील, डा.आसिफ अंसारी, हाजी जमील अहमद,  किशन लाल अरोड़ा, चौधरी शकील अहमद एडवोकेट, हाफिज खलील अहमद चौधरी निशू जैन, शाखा प्रबंधक धामपुर आशीष गुप्ता, शाखा प्रबंधक शेरकोट मोहम्मद असलम, शाखा प्रबंधक चांदपुर मयंक गुप्ता, गुलशन बानो, दक्ष राज सिंह, स्तुति जैन, अभिषेक भारद्वाज उपस्थित रहे।

पसमांदा आंदोलन का एक नाजुक मोड़* हालिया दिनों में बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों

*पसमांदा आंदोलन का एक नाजुक मोड़* 
        हालिया दिनों में बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के लिए किए गए प्रयासों, जिसमें स्नेह यात्रा, महत्वपूर्ण पदों पर पसमांदा तबके के लोगों की नियुक्ति, राजनैतिक भागीदारी देकर बीजेपी ने पसमांदा मुहिम पर एक नई बहस छेड़ दी। निसंदेह यह बीजेपी की गंभीर कोशिश है और इस पर अन्य दलों से लेकर मुस्लिम समाज में भी हलचल होना बहुत स्वाभाविक है । प्रधानमंत्री का यह नारा "सबका साथ सबका विकास" के तहत एक नया वोट बैंक बनाने की पहल भी कही जा सकती है।
         मुसलमानों का अशराफ तबका यानी कि कुलीन वर्ग ये तो कहता है कि इस्लाम में जातिवाद नहीं है किंतु भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना के तहत मुस्लिम समाज में भी जाति व्यवस्था पर्याप्त रूप से मौजूद है। पसमांदा की अनुमानित संख्या का एक बड़ा हिस्सा जैसे नाई, कुम्हार, बुनकर, आदि अन्य पिछड़ा वर्ग में समाहित है। पसमांदा कोई एक खास जाति ना होकर एक ऐसा समूह है जिसका वर्गीकरण पिछड़ेपन के आधार पर कर सकते हैं। मुसलमानों में अशराफ वर्ग ने हमेशा बाबरी मस्जिद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और धार्मिक मुद्दों पर अधिक बल दिया, लेकिन पसमांदा के मुख्य सवाल रोजी-रोटी, शिक्षा और धार्मिक संगठनों में प्रतिनिधित्व इन सब बातों को दरकिनार किया और यही एक मुख्य वजह हो सकती हैं कि जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा को लेकर एक पहल शुरू की तो पसमांदा मुसलमान उनके साथ जुड़ने लगा। साथ ही साथ पसमांदा मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे राजनीतिक रूप से समुचित भागीदारी और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के मुद्दों का भी हल भाजपा ने किया।
        कुछ अशराफ संगठन और नेता पसमांदा समाज के दलित के आरक्षण के लिए आर्टिकल 341 पैरा 3 का राग अलाप कर इसे हिन्दू-मुस्लिम यानी सांप्रदायिक मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहें हैं। ऐसा कर अशराफ एक तीर से दो निशाना हासिल करना चाहता है पहला सांप्रदायिकता माहौल बना कर पहले से पिछड़े पसमांदा पर वर्चस्व को और मजबूत करना और दूसरा उन्हें भीड़ बना सरकार पर दबाव डाल अपने सत्ता एवं वर्चस्व को बनाएं और बचाएं रखना। अगर इसे न रोका गया तो पसमांदा आंदोलन के इस महत्वपूर्ण मांग का भी हाल अशराफ बाबरी मस्जिद वाला कर देंगे और पूरे देशज पसमांदा समाज को सरकार से लड़वा कर स्वयं मलाई खायेंगे अगर अशराफ वाकई चिंचित है तो वो पहले अपने संगठनों और संस्थाओं में पसमांदा दलित को भागेदारी क्यों नही दे देता ?
         प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना आदि ऐसी योजनाएं रही जिससे सभी तबके के साथ-साथ विशेष करके पसमांदा मुसलमान अधिक लाभान्वित हुए और बीजेपी ने इस बात को पर्याप्त रूप से प्रसारित भी किया कि लाभार्थियों में पसमांदा मुसलमान संख्या में पर्याप्त है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति तारीक मंसूर कहते हैं कि स्थिरता सदा हितकारी नहीं होती है खासकर तब जब बात बराबरी की हो और उनका मंतव्य कि प्रतिक्रिया देने से पहले पसमांदा मुसलमानों को एक बार अपने निर्णय को लेकर सोचना चाहिए जिससे उनकी विरोधात्मक प्रतिक्रियाओं से उनके वास्तविक प्रश्न यानी की रोजी- रोटी के मुद्दे, रोजगार के मुद्दे, शिक्षा के मुद्दे आदि चीजें प्रभावित ना हो।
        पसमांदा मुसलमानों को त्वरित प्रतिक्रिया के बजाय अपनी सामाजिक हिस्सेदारी, आर्थिक सशक्तिकरण और देश के विकास में शैक्षिक भूमिका पर विचार करने की आवश्यकता है जबकि अशराफ वर्ग हमेशा की तरह कहीं ना कहीं से उन्हें संप्रदायिकता और धर्म से जुड़े मुद्दों में उलझाने की कोशिश करेगा ताकि उसकी पकड़ मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से यानी पसमांदा वर्ग पर हमेशा की तरह बनी रहे और वर्तमान राजनीतिक पहल को लेकर की जा रहे संवादों के मंच पर उनकी संख्या का इस्तेमाल कर सके। याद रखें किसी भी हालत में समाज का नेतृत्व अशराफ वर्ग के हाथ में नहीं जाने देना है।

फरहत अली खान अध्यक्ष मुस्लिम महासंघ m.a. गोल्ड मेडलिस्ट

Monday, 27 February 2023

श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) का कारगर प्राकृतिक उपचार**आगे आपकी मर्जी..*1:- प्रातःकाल पके केलो का सेवन करें और देशी गाय दूध में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी काफी आराम मिलता है।

 *आदरणीय प्रकृति एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमियों, नेचुरोपैथी लवर्स,*
*सप्रेम वंदे*
*कभी कभी सभी को एक छोटे से ब्रेक की जरूरत पड़ती है और वो 26/2/2023 से शुरू हो चुका है क्योंकि मानसिक रूप से त्योहार का माहौल बन चुका है।*
*इसलिये 26 फरबरी से 12 मार्च तक होली के पखवाड़े में मैं सिर्फ अपनी निःशुल्क सलाह दूंगा।*
*मेरे अपने बनाये हुये प्रोडक्ट्स 26 फरबरी से पहले और 12 मार्च के बाद ही उपलब्ध हों पायेंगे।*
*तक मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि आप सपरिवार दीर्घकालिक स्वस्थ एवं निरोगी रहें।*
🙏🏻

*धरती का अमृत, नोनी*
नोनी एक चमत्कारी फल हैं जो लाइलाज एड्स और कैंसर तक को जड़ से खत्‍म करने में है कारगर !
*NONI मतलब*
*N     👉🏻No*
*O     👉🏻Operation*
*N     👉🏻No*
*I       👉Injection*
या फिर
*NONI का उल्टा IN>>ON*
*मतलब जब NONI, IN होगी तब उसका काम ON हो जाएगा।*

*नोनी फल क्या है?*
इस फल का वैज्ञानिक नाम मोरिन्डा सिट्रीफोलिया है। नोनी फल में 150 से अधिक पोषक तत्व होते हैं।
यह फल आलू के आकार की तरह होता है।
इसका रंग हरा, पीला और सफेद हो सकता है। नोनी फल में एंजाइम की मात्रा चालीस गुना रहती है।
वैज्ञानिकों ने कई साल तक किए शोध के आधार पर नोनी फल के गुणों के बारे में बताया है। इस फल में जेरोनाइन होता है जो शरीर के छिद्रों के आकार को बढ़ाता है।
ये फल एंटी-वायरल, एंटी-ट्यूमर,
एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एडाप्टोजेन है जो हमारे शरीर के मेटाबोलिक सिस्टम, खून का संचार और बालों के विकास में सहायक होता है।
यह फल इंसान की उम्र को 100 साल तक की दीर्घायु प्रदान करने में मदद करता है।

*नोनी फल के अद्भुत फायदे...*
👉नोनी फल के सेवन से अनेकों बीमारियों से बचा जा सकता है।

👉एक्जीमा, मुंहासों और सोरियासिस को ठीक करने में मदद करता है। 

👉जोड़ों के दर्द को ठीक करता है। शरीर की एवं मांसपेशियों की अकड़न को दूर करने में मदद करता है।

👉माइग्रेन और हाई ब्लडप्रेशर की समस्या को ठीक करता है क्योंकि इसका चरित्र एडाप्टोजेन का है जिसमे हाई और लो दोनों ही बैलेंस हो जाते हैं।

👉यदि आप मधुमेह से परेशान हैं तो नोनी फल का सेवन करें। ये फल ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करता है।

👉बालों की हर तरह की समस्या जैसे गंजापन और रूखापन दूर करता है ये फल। दस्त और कब्ज की समस्या को दूर करता है। ये फल।

👉सांस से संबंधित रोग जैसे अस्थमा जैसी भयंकर बीमारियों को भी ठीक करने में मदद करता है। माइग्रेन जैसी गंभीर समस्या को खत्म करने में मदद करता है नोनी का फल।

👉महिलाओं में माहवारी, लुकोरिया, बांझपन जैसी समस्या को ठीक करने में मदद करता है ये फल।

👉🏼नोनी में मौजूद डैमनाकेन्थाल एंज़ाइम कैंसर सेल की ग्रोथ को तुरन्त रोकने में मदद करता है।

👉🏼नोनी में मौजूद कॉक्स एंज़ाइम शरीर के किसी भी प्रकार के दर्द को रोकने या ठीक या शरीर को दर्द मुक्त करने में मदद करता है।

👉🏼नोनी विश्व का सर्वश्रेष्ठ एन्टी ऑक्सीडेंट फल है।

👉नोनी फल के फायदों के बारे में अभी तक जितनी भी जानकारी हमारे वैज्ञानिकों से मिली है वह हमारी सेहत को लंबे समय तक स्वस्थ और निरोगी रखने में मदद करती है।

👉🏼नोनी फल के ऊपर अभी भी रिसर्च भारत की इलाहाबाद और मद्रास यूनिवर्सिटी कर रही हैं, इससे होने वाले अन्य फायदों को जानने के लिये।
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हमारी बनाया हुई नोनी जूस, अनेकों ब्रांड्स में श्रेष्ठ माना जा सकता है क्योंकि...
हमारे नोनी जूस के 10ml में आपको मिलता है...
2000mg नोनी
300mg अश्वगंधा
100mg गरसेनिया कम्बोजिया


इतने फायदे की चीज के बारे में अधिक जानने के लिए कभी भी...


 *व्हीटग्रास जूस जिसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं, जानिये इसके अद्भुत फायदे -*
गेंहू के आटे से बनी रोटियां तो आपने बहुत खाई होंगी लेकिन अब वक्त है इस गेंहू को एक और तरीके से अपनी डाइट में शामिल करने का और वह है जूस के फॉर्म में। जी हां, हम गेंहू के जूस की नहीं बल्कि गेंहू की दूब या गेंहू के जवारे जिसे व्हीटग्रास कहते हैं उसके जूस की बात कर रहे हैं। जूस बार से लेकर हेल्थ फूड स्टोर्स तक व्हीटग्रास प्राकृतिक स्वास्थ्य की दुनिया में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है। 

ट्रिटिकम ऐस्टिवम नाम के कॉमन गेंहू के पौधे की ताजी पत्तियों से व्हीटग्रास तैयार की जाती है। इसे घर पर भी आसानी से उगाया और तैयार किया जा सकता है, या फिर आप चाहें तो व्हीटग्रास का जूस, पाउडर या सप्लिमेंट भी मार्केट से खरीद सकते हैं। आश्चर्यजनक लाभों से भरपूर व्हीटग्रास बेहद शक्तिशाली हेल्थ फूड है।
फ्रेश व्हीटग्रास जूस या आर्गेनिक व्हीटग्रास पाउडर को लिविंग फूड या जीवित भोजन के रूप में माना जाता।

हेल्थ एक्सपर्ट्स लंबे समय से व्हीटग्रास के अनगिनत लाभ के बारे में बताते आ रहे हैं।
व्हीटग्रास जूस को आप रोजाना हेल्थ टॉनिक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद मिल सकती है। व्हीटग्रास वास्तव में कितना प्रभावशाली है। इसे निर्धारित करने के लिए तो और अधिक शोध की आवश्यकता है, लेकिन व्हीटग्रास क्षमता से भरपूर और फायदेमंद है इसमें कोई शक नहीं है।

कुछ एक्सपर्ट्स का दावा है कि व्हीटग्रास का जूस इम्यून फंक्शन को बेहतर बनाने के साथ ही लिवर की सफाई करने में भी मददगार साबित हो सकता है।
इस आर्टिकल में हम आपको व्हीटग्रास जूस पीने के फायदों के बारे में और क्या इसके कुछ नुकसान या साइड इफेक्टस भी हो सकते हैं, इस बारे में बता रहे हैं।

*व्हीटग्रास जूस के संक्षिप्त फायदे -*
एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज से भरपूर व्हीटग्रास विटामिन्स और पोषक तत्वों के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

*रोजाना व्हीटग्रास जूस पीने के क्या फायदे हैं, जानिये...*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए -*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए -*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए -*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे इन्फ्लेमेशन कम करने के लिए -*

*वजन कम करने के लिए व्हीटग्रास जूस के फायदे -*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड प्रेशर कम करने के लिए -*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे शरीर को डीटॉक्स करने के लिए -*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए -*

शरीर में कई प्रकार के हार्मोन का निर्माण करने और पित्त का उत्पादन करने के लिए हमें कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है लेकिन अगर आपके खून में हाई कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाए तो यह खून के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और आपको हृदय रोग होने के खतरे को बढ़ा सकता है।

इस बारे में चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि व्हीटग्रास जूस न केवल टोटल कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है बल्कि एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करने में मदद करता है। व्हीटग्रास जूस का प्रभाव शरीर में एटोरवास्टेटिन के समान था, यह एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है जिसे आमतौर पर हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।

*व्हीटग्रास जूस के फायदे-*

*व्हीटग्रास जूस के फायदे कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए -*
व्हीटग्रास जूस में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है और इसलिए कुछ टेस्ट-ट्यूब अध्ययनों में पाया गया है कि व्हीटग्रास कैंसर कोशिकाओं को मारने में मदद कर सकता है।

एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन के अनुसार, व्हीटग्रास का जूस मुंह के कैंसर कोशिकाओं के प्रसार में 41% की कमी कर सकता है। इसके अलावा कुछ रिसर्च में यह बात भी सामने आयी है कि व्हीटग्रास जूस को जब पारंपरिक कैंसर ट्रीटमेंट के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है तो इलाज के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, अभी भी मनुष्यों में व्हीटग्रास जूस के कैंसर-रोधी प्रभाव के कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। लोगों में कैंसर के विकास को व्हीटग्रास का जूस कैसे प्रभावित करता है इसे समझने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए -*

अगर शरीर में लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर की समस्या बनी रहे तो इससे तंत्रिका या नर्व्स को नुकसान पहुंच सकता है, स्किन इंफेक्शन हो सकता है और दृष्टि संबंधी गंभीर समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। कुछ जानवरों पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि व्हीटग्रास का जूस ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। एक दूसरे अध्ययन में, डायबिटीज से पीड़ित चूहों को व्हीटग्रास का जूस देने से कुछ एंजाइमों का लेवल संशोधित हो गया जिससे ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद मिली।

*व्हीटग्रास जूस के फायदे इन्फ्लेमेशन कम करने के लिए -*

किसी तरह की चोट या संक्रमण के खिलाफ शरीर की सुरक्षा करने के लिए इम्यून सिस्टम के द्वारा जो सामान्य प्रतिक्रिया दी जाती है वह आंतरिक सूजन या इन्फ्लेमेशन के रूप में जाना जाता है। हालांकि, अगर इन्फ्लेमेशन की यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो कैंसर, हृदय रोग और ऑटोइम्यून बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इस बारे में हुए कई शोध से पता चलता है कि व्हीटग्रास का जूस और इसमें मौजूद घटक इन्फ्लेमेशन या सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
23 लोगों पर की गई एक छोटी स्टडी में यह बात सामने आयी कि रोजाना करीब 100 एमएल व्हीटग्रास जूस करीब 1 महीने तक लगातार पीने से अल्सरेटिव कोलाइटिस के मरीजों में बीमारी की गंभीरता में भी कमी आयी और गुदा से रक्तस्त्राव की समस्या भी कम हो गई।

*वजन कम करने के लिए व्हीटग्रास जूस के फायदे -*

बड़ी संख्या में लोगों ने अपना वजन घटाने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एक त्वरित और सुविधाजनक तरीके के रूप में व्हीटग्रास जूस को अपनी डाइट में शामिल करना शुरू कर दिया है। दरअसल, व्हीटग्रास में थाइलाकॉयड्स पाया जाता है और कई अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि अगर थाइलाकॉयड्स को सप्लिमेंट्स के साथ लिया जाए तो इससे न सिर्फ व्यक्ति की भूख में संतुष्टि मिलती है बल्कि वजन घटाने में भी मदद मिलती है।

एक अध्ययन में पाया गया कि उच्च वसा वाले आहार पर चूहों को थायलाकॉयड्स देने से भोजन की मात्रा और शरीर का वजन कम करने में मदद मिली, नियंत्रित समूह की तुलना में।
व्हीटग्रास जूस में कैलोरीज की मात्रा बेहद कम होती है और इसमें फैट भी नहीं होता है इसलिए यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है जिससे वजन घटाना आसान होता है। लिहाजा अगर आप भी वेट लॉस करना चाहते हैं तो व्हीटग्रास जूस पीना शुरू कर दें।

*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड प्रेशर कम करने के लिए -*

आप रोजाना व्हीटग्रास जूस का सेवन करके अपने ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं। व्हीटग्रास में पाया जाने वाला क्लोरोफिल मॉलिक्यूल (अणु) खून में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन के समान होता है और ब्लड सेल काउंट को बढ़ाता है। यह ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं, व्हीटग्रास का जूस खून को साफ करने और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के लिए भी जाना जाता है।

*व्हीटग्रास जूस के फायदे शरीर को डीटॉक्स करने के लिए -*

जैसा की हमने आपको पहले ही बताया कि व्हीटग्रास जूस में क्लोरोफिल पाया जाता है जो हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों या टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

लिक्विड क्लोरोफिल में ऊत्तकों के अंदर जाने की क्षमता अधिक होती है, जहां यह वास्तव में उन्हें साफ करने के साथ ही नवीनीकृत भी कर सकता है। क्लोरोफिल लिवर की सफाई करने और उसे शुद्ध करने में भी मदद करता है। आप अपने लिवर की सेहत में सुधार के लिए व्हीटग्रास जूस का सेवन कर सकते हैं।

*अगर व्हीटग्रास को घर में ही ऊगा रहे हैं तो कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, उसके लिये सावधानी भी बरतनी चाहिए पड़ेगी -*

वैसे तो व्हीटग्रास औषधीय गुणों से भरपूर है और इसका जूस सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है, बावजूद इसके जूस का सेवन करने से पहले आपको कुछ बातें पता होनी चाहिए वरना आपको साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है।

व्हीटग्रास को आमतौर पर सीलिएक रोग या ग्लूटेन की संवेदनशीलता से पीड़ित लोगों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है क्योंकि गेहूं के दाने के सिर्फ बीज में ग्लूटेन होता है, गेंहू की घास यानी व्हीटग्रास में नहीं। हालांकि, अगर आपको ग्लूटेन के प्रति संवेदनशीलता की समस्या है, तो व्हीटग्रास का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें। (और अलग से पढ़ें- ग्लूटेन फ्री डाइट के फायदे नुकसान)
*व्हीटग्रास में कीड़े या फफूंदी लगने का भी खतरा बहुत अधिक होता है।*
*इसलिए यदि आप घर में ही व्हीटग्रास को उगा रहे हैं तो पौधे में मोल्ड्स या फफूंद की मौजूदगी का ध्यान रखें।*
*अगर व्हीटग्रास जूस का स्वाद कड़वा लगे या इसमें किसी तरह की खराबी के संकेत नजर आएं तो इसे तुरंत फेंक दें।*

*एलमेंट रिफ्लेक्शन*
व्हीटग्रास जूस पीने के बाद कुछ लोगों में जी मिचलाना और उल्टी आना, सिरदर्द या डायरिया जैसे लक्षण नजर आते हैं।
अगर आपको भी इस तरह के लक्षणों का या फिर किसी और तरह का नकारात्मक असर दिखे तो आपको व्हीटग्रास जूस का सेवन करना बंद कर देना चाहिए या फिर जूस पीने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
*अगर आप गर्भवती हैं या बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं तब भी आपको व्हीटग्रास जूस का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों में ऐलर्जिक रिऐक्शन्स देखने को मिल सकते हैं।*

*व्हीटग्रास जूस पीने का सही समय -*
व्हीटग्रास जूस एक लोकप्रिय हेल्थ ड्रिंक है जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है लेकिन सिर्फ तब जब आप व्हीटग्रास का फ्रेश जूस पिएं और वह भी सुबह खाली पेट नहीं तो आप मार्किट में उपलब्ध ऑर्गेनिक व्हीटग्रास पाउडर को लेकर उसका फ्रेश लिक्विड बना सकते हैं।
इस जूस का सेवन करने के 30 मिनट बाद ही आप अपना ब्रेकफास्ट कर सकते हैं।
इसके अलावा व्हीटग्रास एक्स्ट्रैक्ट या अर्क को खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में, स्वादिष्ट बनाने वाले घटक के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

जब आप पहली बार व्हीटग्रास जूस पीना शुरू करें तो छोटी डोज या खुराक के साथ शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे अनुशंसित खुराक को पूरा करने के लिए जूस के सेवन को बढ़ाएं।
ऐसा करने से शरीर को व्हीटग्रास जूस को पचाने में मदद मिलेगी।
व्हीटग्रास जूस की उपयुक्त खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि इसे पीने वाले की आयु, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितिय
 *मानो या न मानो पर शुगर या डायबिटीज, रोग  कम और षड्यंत्र ज्यादा है..!*

*जानिये शुगर या डायबिटीज अनजाना, अनकहा, डरावना सच..!*

*आजकल शुगर के रोगी इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि हर गली, हर मोहल्ले और हर घर में आपको कम से कम एक रोगी तो जरुर मिल ही जाता है।*

*लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि रोज नित नई तकनीक और दवाओं पर हो रहे रिसर्च के बावजूद शुगर रूपी यह राक्षसी रोग बढ़ता ही क्यों जा रहा है...??*

*आज का हमारा यह विशेष लेख इसी बात के ऊपर आधारित है।*

*आज हम इस लेख के द्वारा हमारे सभी मित्रो को तथाकथित नामी गिरामी डॉक्टरों और बड़ी बड़ी दवा कंपनियों  के षड्यंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।*

*आप से अनुरोध है कि इस पोस्ट को थोडा ध्यान से पढ़े और पढ़ने के बाद इसे शेयर करके ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इस जानकारी को पहुचायें, ये जानते हुए कि हम आम आदमी कुछ भी नहीं कर सकते।*

*आइये अब हम मेन मुद्दे पर आते हैं..!*

*मित्रो क्या आप जानते हैं कि.?*
*1997 से पहले फास्टिंग सुगर या डायबिटीज की लिमिट 140 थी।*

*फिर दवा कंपनियों ने डॉक्टरों के साथ मिलकर फास्टिंग सुगर की लिमिट 126 कर दी।*

*इससे दुनियाभर की पॉपुलेशन या जनसंख्या में अचानक 14% डायबिटीज रोग से पीड़ित लोग बढ़ गए।*

*उसके बाद 2003 में मेडिकल एसोसिएशन या शक्तिशाली USFDA ने फिर से फास्टिंग सुगर की लिमिट कम करके 100 कर दी।*
*यानि फिर से कुल जनसंख्या के करीबन 70% लोग डायबिटिक माने जाने लगे।*

*डॉक्टर से पूछने पर उनका तर्क होता है कि लोगो का खान पान बदला है।*
*ये बात कुछ हद तक सच है लेकिन इतना भी नही बदला कि इतनी ज्यादा संख्या में लोग इसके मरीज हो जायें।*

*गावों के लोग तो आज भी लगभग वही पुरानी जीवन शैली अपनाकर जी रहें हैं फिर भी शहरों से ज्यादा गावों में शुगर के मरीज हैं। क्यों.?*

दरअसल डायबिटीज रेशियो या लिमिट को तय करने वाली कुछ फार्मास्यूटिकल कंपनियां थीं, जों अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए यह सब कर रही थीं।

इतना ही नही इन मानवभक्षी कंपनियों ने सिर्फ इतना ही नहीं किया अपितु इन्होंने अपने प्रयोगशालाओं में बनने वाले उपकरणों की सेन्स्टिविटी को इतना अधिक सेट कर रखा है कि जब तक रोगी लास्ट स्टेज पर ना पहुंचे तब तक इनकी रिपोर्ट में सब कुछ नार्मल ही रहता है क्योंकि यदि रोगी को पता चल गया कि उसे 20% सुगर है या 20% हार्ट ब्लोकेज है तो वह रसोईघर में रखी औषधियों से स्वयं को ठीक हो सकता है।
लेकिन क्या आपको पता है कि हकीकत में डायबिटीज कैसे काउंट करनी चाहिए ?

*कैसे पता चलेगा कि आप डायबिटिक हैं या नहीं ?*

पुराने जमाने के इलाज़ के हिसाब से डायबिटीज काउंट करने का एक सरल उपाय है।

*आप की उम्र + 100..*
*जी हाँ यही एक सच्चाई है.!*

*अगर आपकी उम्र 65 है तो आपका शुगर लेवल भोजन के बाद 165 होना चाहिए।*

*अगर आपकी उम्र 75 है तो आपकी भोजन के बाद सामान्य शुगर लेवल 175 होना चाहिए।*

*यदि ऐसा है तो आपको घबराने की विल्कुल जरूरत नहीं है, आपकी शुगर सामान्य है।*

*यह होता है उम्र के हिसाब से जैसे – जिसकी उम्र 80 वर्ष है उनकी भोजन के बाद सामान्य शुगर 180 होगी।*

उसके साथ साथ एक यह भी सच है कि, अगर आपका पाचन तंत्र अच्छा है तो आपको कोई टेंशन लेने की जरूरत नहीं है।
आप अच्छा खाना खाते हो और आप जंक फ़ूड, मसालेदार, तला हुआ खाना नहीं खाते।
आप प्रतिदिन योग या प्राणायाम करते हैं और आपका वजन आपकी लंबाई के अनुरूप लगभग बराबर है, तो आपको शुगर नहीं हो सकती है...
यह एक पूर्ण सत्य है।
बस टेंशन न लें, अच्छा खाना खाएं और योग करते रहें.!

*निवेदन:*
इस विषय पर किसी से बहस करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अंग्रेज और उनके गुलाम हमारी भारतीयता को नकारते हैं और इन सबको नहीं मानते हैं।

फिर भी अगर कोई परेशानी हो तो मुझसे निःसंकोच सम्पर्क करें।


*हर्निया से देसी नुस्खों की वजह से मुक्ति कैसे पायें..??*

*आजमाइये ये देसी अनुभूत प्राकृतिक नुस्खे...*

*मुलैठी (Licorice)*
● कफ, खांसी में मुलैठी तो रामबाण की तरह काम करता है और आजमाय हुआ भी है।
● हर्निया के इलाज में भी अब यह कारगर साबित होने लगा है, खासकर पेट में जब हर्निया निकलने के बाद रेखाएं पड़ जाती है तब इसे आजमाएं।

*अदरक (Ginger)*
● अदरक की जड़ पेट में गैस्ट्रिक एसिड और बाइल जूस से हुए नुकसान से सुरक्षा करता है।
● यह हर्निया से हुए दर्द में भी काम करता है।

*बबूने का फूल (Chamomile)*
● पेट में हर्निया आने से एसिडिटी और गैस काफी बनने लगती है।
● इस स्थिति मेंम बबूने के फूल के सेवन से काफी आराम मिलता है।
● यह पाचन तंत्र को ठीक करता है और एसिड बनने की प्रक्रिया को कम करता है।

*मार्श मैलो (Marshmallow)*
● यह एक जंगली औषधि है जो काफी मीठी होती है।
● इसके जड़ के काफी औषधीय गुण हैं।
● यह पाचन को ठीक करता है और पेट-आंत में एसिड बनने की प्रक्रिया को कम करता है।
● हर्निया में भी यह काफी आराम पहुंचाता है।

*हावथोर्निया (Hawthornia)*
● यह एक हर्बल सप्लीमेंट है जो पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और पेट के अंदर के अंगों की सुरक्षा करती है।
● यह हर्निया को निकलने से रोकने में काफी कारगर है।
● हावथोर्निया में Citrus Seed, Hawthorn और Fennel मिली होती है।

*एक्यूपंक्चर (Acupuncture)*
● हर्निया के दर्द में एक्यूपंक्चर काफी आराम पहुंचाता है।
● खास नर्व पर दबाव से हर्निया का दर्द कम होता है।

*बर्फ (Ice)*
● बर्फ से हर्निया वाले जगह दबाने पर काफी आराम मिलता है और सूजन भी कम होती है।
● यह सबसे ज्यादा प्रचलन में है।

*हर्निया में इन चीजों को न करें..!!*
*Don’ts in Hernia...*
● प्रभावित जगह को कभी भी गर्म कपड़े या किसी भी गर्म पदार्थ से सेंक नहीं दें।
● हर्निया में कसरत करने से परहेज करें।

● हर्निया में ज्यादा तंग और टाइट कपड़ें नहीं पहनें।

● बेड पर अपने तकिए को 6 इंच उपर रखें, ताकि पेट में सोते समय एसिड और गैस नहीं बन पाए।

● एक ही बार ज्यादा मत खाएं, थोड़ी-थोड़ी देर पर हल्का भोजन लें।

*घरेलू उपचार*
1. यदि आगे बढ़ी आंत को आराम से पीछे धकेलकर अपने स्थान पर पहुंचा दिया जाए तो उसे उसी स्थिति में रखने के लिए कसकर बांध दिया जाता है। यह विधि कारगर न हो सके तो ऑपरेशन करना पड़ता है।

2. हर्निया के रोगी के लिए आवश्यक है कि वह कब्ज न होने दे वर्ना मल त्यागते समय उसे जोर लगाने की ज़रूरत पड़ेगा।


 *बीमारी देने वाला खाना और...*
*परंपरागत भोजन में सेहत का खजाना..*

*जिस बात को हमारे बड़े-बूढ़े लोग अक्सर दोहराते थे कि घर के खाने में सेहत की बरकत होती है, उसी बात को अब ऐलोपैथी के विशेषज्ञ भी दोहरा रहे हैं।*
*लंबे समय से देश के प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ व योगाचार्य कहते रहे हैं कि व्यक्ति के पेट से ही सेहत की राह गुजरती है।* 

*लेकिन चटपटे स्वाद की शौकीन युवा पीढ़ी इस बात को लगातार नजरअंदाज करती रही है।*
*देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा व शोध संस्थान पीजीआई के गेस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रोफसर अब आंतों की बीमारी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज यानी आईबीडी के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए सलाह दे रहे हैं कि घर का खाना ही सेहत की कुंजी है।* 

*जो लोग परंपरागत भारतीय भोजन से नाता तोड़ रहे हैं वे बीमारियों से नाता जोड़ रहे हैं।* 

*दरअसल, हाल के दिनों में खासकर युवा पीढ़ी में पश्चिमी व चीनी खाद्य पदार्थों मसलन पिज्जा, बर्गर और नूडल्स आदि के प्रति दीवानगी बढ़ी है।*
*वहीं आम लोगों में भी होटल रेस्टोरेंट आदि से पका पकाया खाना मंगाने का प्रचलन बढ़ा है।* 

*पीजीआई के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ज्यादा तला भुना व बाहरी खाने से कई बीमारियां हो रही हैं, जिससे बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं।*

 *फलत: अल्सर व कैंसर तक के खतरे बढ़ जाते हैं। चिकित्सक घर के परंपरागत खाने पर बल दे रहे हैं। वे भोजन के लिये कच्ची घानी, सोयाबीन, नारियल व तिल का तेल प्रयोग करने पर जोर दे रहे हैं।*
*साथ ही बाजारों में एक बार प्रयोग किये गये खाद्य तेल को बार बार उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई है।* 

*विशेष रूप से सफर के दौरान बाहरी खाने के बजाय फल व आम भोजन के उपयोग की भी जरूरत बता रहे हैं।*
*दरअसल, इसमें कोई बड़ी राकेट साइंस नहीं है और घर के बुजुर्ग इसी बात को अक्सर दोहराते भी रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी इस पर ध्यान नहीं देती है।*

*दरअसल, फास्ट फूड संस्कृति को जीवन का हिस्सा बनाने से देश दुनिया में तमाम तरह की बीमारियों ने जन्म लिया है।*
*मोटापा और उससे जुड़े तमाम रोग आज भारतीयों पर शिकंजा कस रहे हैं।* 

*हमारे जीवन में शारीरिक श्रम का महत्व कम होने और तला-भुना खाने से मोटापा, मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी लाइफ स्टाइल बीमारियां शरीर में घर बनाने लगी हैं। इतना ही नहीं देर से सोना और देर से जागना हमारी आदत में शुमार हो गया है।*
*बच्चे मैदान में खेलने के बजाय गैजेट्स में लगे रहते हैं, जिससे उन पर मोटापे का ज्यादा असर हो रहा है।* 

*वहीं समय पर न खाना और फास्ट फूड को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने से भी समस्या और जटिल हो गई है।*
*सुबह नाश्ते को नजरअंदाज करना और देर रात भारी भोजन भी शारीरिक व्याधियों को निमंत्रण दे रहा है।*

 *योग व प्राकृतिक चिकित्सा इस बात पर बल देती है कि सुबह के समय हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है अत: हमारा नाश्ता समृद्ध होना चाहिए।*
*फल व सलाद हमारे खाद्य श्रृखंला का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।*
*नई पीढ़ी में पिज्जा, बर्गर, नूडल्स वगैरह का तो जुनून है लेकिन ताजे फल और सब्जियों से परहेज करने लगे हैं।* 

*पश्चिमी देशों में हुए हालिया शोध बता रहे हैं कि जल्दी सोने और जल्दी जागने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। उनमें उच्च रक्तचाप व मधुमेह जैसी लाइफ स्टाइल डिजीज कम होती हैं।* 

*विडंबना देखिये कि सदियों से जो हमारा खानपान व जीवन शैली रही है उसको ही नई पीढ़ी नजरअंदाज कर रही है। अब विदेशों से शोध के बाद आने वाले उसी ज्ञान पर हमारा ध्यान जा रहा है।*

*दरअसल, जब तक हम युवा रहते हैं तब तक स्वस्थ शरीर के आवश्यक नियमों की अनदेखी करते हैं मगर जब उम्र ढलने लगती है तो शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।* 

*आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की यह कमी रही है कि वह रोग के लक्षणों को तो ठीक करता है लेकिन उस रोग को जड़ से समाप्त करने के लिये जीवन शैली व खानपान में बदलाव पर बल नहीं देता। तब हम फौरी तौर पर तो ठीक हो जाते हैं लेकिन बीमारी के कारक शरीर में मौजूद रहते हैं।*


: *हाई बी.पी. को काबू करने के लिये.?*
*हाई बीपी से जूझ रहे लोग, अपने लाइफस्‍टाइल में अगर थोड़ा सा परिवर्तन ले आएं तो उन्‍हें अपनी समस्‍या से आसानी से छुटकारा मिल जाएगा।*

साथ ही दवा आदि का प्रतिदिन सेवन भी नहीं करना पड़ेगा।

डॉक्‍टर्स का भी मानना है कि हाइपर टेंशन से जूझने वाले लोग,
नियमित रूप से सक्रिय रहें,
बाहर जाएं, टहलें और खुश रहें,
इससे उन्‍हें बीमारी को दूर करने में बहुत लाभ मिलेगा।

हाई बीपी से बचने के लिए सबसे पहले जंक फूड का सेवन रोकना होगा और घर वाले खाने को ही खाना होगा।

कोशिश करें कि खाने में सफेद नमक का कम प्रयोग करें और सेंधा नमक शुरू करें।

सेन्धा नमक, बढ़े हुए बीपी को कम कर देता है और वजन को भी नियंत्रित रखने में सहायक होता है।

सेंधा नमक खाने के अलावा,
आपको कुछ प्राकृतिक उत्‍पादों का सेवन भी करना चाहिए, इससे बीपी कंट्रोल में रहेगा।

इनमें से एक प्राकृतिक उपाय इलायची है।
जी हां, इलायची सिर्फ जा़यका ही नहीं बल्कि अच्‍छी हेल्‍थ भी देती है।
इसकी एरोमा (महक), अच्‍छी तो लगती ही है साथ ही इसके गुण शरीर के लिए अच्‍छे होते हैं।
चूकिं इसका स्‍वाद हल्‍का मीठा है तो आप राइस आदि बनाते समय इसे डाल सकती हैं।
इलायची में एंटीऑक्‍सीडेंट भी होते हैं जो शरीर को फिट रखते हैं।

●इलायची का इस्‍तेमाल कैसे करें?●
◆ आप चाय बनाते हुए इसे कूटकर डाल सकती हैं।
◆ चाहें तो चावल या पुलाव बनाते हुए इसे डाल दें।
◆ अपनी प्रतिदिन की खुराक में इलायची को शामिल करें।
◆ यह पाचन क्रिया को दुरूस्‍त रखती है और माउथफ्रेशनर का काम भी करती हैं।

● जिन लोगों का बीपी बहुत ज्‍यादा हो जाता है और उन्‍हें एक दिन में कम से कम चार इलायची का सेवन कर लेना चाहिए।
● अगर खाने में इसे नहीं डालना चाहते हैं तो कोई बात नहीं, यूं ही चबाकर खा जाएं।


 *आयुष का क्या अर्थ है:*
ये भी जानना जरूरी है क्योंकि आयुष सरकार का अभूतपूर्व और अभिन्न अंग बन चुका है।

 भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी विभाग (ISM & H) मार्च, 1995 में बनाया गया था।
और नवंबर 2003 में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) विभाग के रूप में फिर से नामित किया गया था, जिस पर ध्यान देने के लिए भारत सरकार ने आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी प्रणालियों में शिक्षा और अनुसंधान का विकास।

*AYUSH means..*
*A.. Ayurveda*
*Y.. Yoga & Naturopathy*
*U.. Unani*
*S.. Sidh*
*H.. Homeopathic*

*ये है हमारा आयुष (AYUSH)*

*श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) का कारगर प्राकृतिक उपचार*
*आगे आपकी मर्जी..*
1:- प्रातःकाल पके केलो का सेवन करें और देशी गाय दूध में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी काफी आराम मिलता है।

2:- केले के कोमल पत्तों को पीसकर दूध में पकायें और तथा वह दूध पीने से लाभ होता है।
पके केले की खीर दूध में बनाकर पीये।

3:- पका केला देशी गाय के घी के साथ सुबह शाम खाने पर श्वेत प्रदर रोग मे आराम मिलता है।

4:- बड़ के पत्तों का दूध, मिश्री के साथ लेने पर तथा उसके बाद गाय का दूध लेने से यह रोग ठीक हो जाता है।

5:- गिलोय और शतावर को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाये और उसका काढा बनाये।
सुबह शाम आधा आधा कप काढा पीये।

6:- 4 सूखे सिंघाड़े रात को रात्रि मे भिगो दें सुबह उन्हे पीसकर उसमें मिश्री मिलाये और खाली पेट खायें तथा गाय का दूध पीयें।

7:- आंवले के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से श्वेत प्रदर मे लाभ होता है।

8:- गाय के दूध में तुलसी का रस मिलाकर पीने से काफी लाभ होता है।

9:- तुलसी के रस में शहद मिलाकर सुबह श्याम चाट ले।

10:- खाने के बाद मूली का नियमित सेवन करें। 

11:- सूखा आँवला + मुलहठी*
समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाये और सुबह शाम शहद के साथ चाटे और उसके बाद गाय का दूध पीये। 

*

जदीद मरकज, (26 फरवरी से 04 मार्च 2023)एडीटोरियल*बाबा से बाबू बन गया जालिम बुलडोजर*

जदीद मरकज,  (26 फरवरी से 04 मार्च 2023)

एडीटोरियल


*बाबा से बाबू बन गया जालिम बुलडोजर*

उत्तरप्रदेश के वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ ने मुसलमानों और यादवों को सबक सिखाने के लिए मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, इस्लाहाबाद में जावेद पंप, झांसी और एटा के मशहूर यादवों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल कराया तो देश का गुलाम नफरतबाज और फिरकापरस्त मीडिया खुसूसन टीवी चैनलों के एंकर और एंकरनियां पागल से हो गए और बुलडोजर को बाबा बुलडोजर कहकर ऐसे कसीदे पढे  कि जैसे बुलडोजर कोई मशीन न होकर प्रदेश के लिए इंसाफ करने वाला भगवान हो गया हो। आज तक की अंजना ओम कश्यप तो गरीबों के आशियाने तोड़ने वाले बुलडोजर पर चढकर रिपोर्टिंग करने पहुंच गई। उन्हीं की तरह मुकेश अंबानी के टीवी-18 के अमीश देवगन और एबीपी न्यूज की एंकरनियों ने बुलडोजर को सुप्रीम कोर्ट के बराबर का इंसाफ करने वाला बताते हुए बड़ी बेशर्मी से खबरें चलाईं। बेशर्मों और फिरकापरस्तों के बादशाह कहे जाने वाले अमन चोपड़ा ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि सत्तर फीसद लोग बुलडोजर की कार्रवाई को सही और मुनासिब मानते हैं और इसी बुनियाद पर वह लोग बीजेपी को वोट देंगे। सारे चैनल रोजाना बुलडोजर के बहाने योगी आदित्यनाथ की तारीफों में कसीदे पढने का काम महीनों करते रहे। 2022 के असम्बली एलक्शन की मीटिंगों के दौरान कुछ बेवकूफ लोग अपने बच्चों के सिरपर प्लास्टिक का बुलडोजर बांधकर योगी की मीटिंगों में जाते दिखते थे। अब उसी बुलडोजर के जरिए कानपुर देहात की मैथा तहसील के मंडौली गांव में एक गरीब ब्राहमण कृष्ण गोपाल दीक्षित के कुन्बे पर बरबरियत दिखाते हुए उका पुख्ता मकान और झोपड़ी उजाड़ी तोड़ी कई अफसरान और पुलिस फोर्स की मौजूदगी में गोपाल दीक्षित की बीवी प्रमिला दीक्षित और इक्कीस साल की बेटी नेहा दीक्षित को जिंदा जला दिया गया तो चैनलों के बेशर्म एंकर और एंकरनियां ‘बाबा’ बुलडोजर को ‘बाबू’ बुलडोजर बताते हुए कहने लगे कि बेलगाम अफसरान ने बुलडोजर का गलत इस्तेमाल किया है।
बुलडोजर का इस्तेमाल पहले भी गैर संवैधानिक था आज भी है। यह कहां का कानून है कि किसी शख्स के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज हो जाए तो पुलिस जांच कराए बगैर ही चंद घंटों के अंदर उस शख्स के मकान या दुकान पर बुलडोजर चला दिया जाए। मकानों में सिर्फ वही शख्स तो रहता नहीं था बीवी बच्चे और वाल्दैन भी अक्सर साथ रहते हैं। उनके भी तो कुछ संवैधानिक हुकूक हैं उनके हुकूक पर बुलडोजर कैसेे चल सकता है बुलडोजर चलवाने वाले बाबा योगी आदित्यनाथ और उनके दम पर गैर कानूनी काम करने वाले अफसरान को यह भी याद रखना चाहिए कि महज एफआईआर दर्ज होते ही जिन लोगों के मकानात पर बुलडोजर चला दिए गए अगर वह सब या उनमें से कुछ अदालत में मुकदमा चलने के बाद बेकसूर साबित होकर बरी हो गए तो फिर बुलडोजर चलाने और चलवाने वालों का क्या होगा? क्या यह लोग उनके मकान दोबारा बनवाकर देंगे या बाजार भाव से उनका मुआवजा अदा करेंगे?
बुलडोजर पर चढकर तकरीबन नाचते हुए ‘आजतक’ की अंजना ओम कश्यप ने रिपोर्टिंग की थी और बुलडोजर चलवाने वालों की शान में खूब कसीदे पढे थे। कानपुर के शर्मनाक वाक्ए के बाद उन्हीं अंजना ने कहा कि यह तो इंतेहा है अफसरान बेलगाम हो चुके हैं इस कमअक्ल खातून को यह नहीं पता है कि अफसरान को बेलगाम किया किसने। अफसरान को बुलडोजर का इस्तेमाल करने की ताकत तो उत्तर प्रदेश सरकार और वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ ने ही दी है। फिर बुलडोजर का गैरकानूनी और गलत इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ अफसरान कैसे जिम्मेदार हो गए। मुरादाबाद के एक एसडीएम ने एक मुस्लिम दुकानदार से अपने और अपनी बेटी के घर के लिए तकरीबन पांच लाख का फर्नीचर खरीदा दुकानदार ने पैसा मांगा तो एसडीएम ने यह कहकर उसके घर पर बुलडोजर चढा दिया कि मकान गैरकानूनी बना है। जबकि उसका मकान पूरी तरह कानूनी था। दुकानदार ने डीएम और कमिशनर से राब्ता करके पूरी बात बताई कमिशनर ने तहकीकात कराई तो पता चला कि एसडीएम ने पैसे न देने के लिए गलत तरीके से बुलडोजर का इस्तेमाल किया। एसडीएम का सिर्फ तबादला हुआ। अगर योगी आदित्यनाथ इतना बड़ा जुर्म करने वाले बेईमान एसडीएम को गिरफ्तार कराकर जेल भेजवा देते और बरेली जेल मेे तैनात ढाई लाख का फर्नीचर मुफ्त में लेने वाली उनकी बेटी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करा दी होती तो शायद कानपुर देहात के एसडीएम और दीगर अफसरान गरीब ब्राहमण के घर पर बुलडोजर चढाने की कार्रवाई की शायद हिम्मत न कर पाते।
कानपुर देहात में जो शर्मनाक खेल हुआ जिस तरह झोपड़ी के अंदर प्रमिला दीक्षित और उसकी बेटी नेहा दीक्षित को जिंदा जलने दिया गया वह मोहज्जब (सभ्य) समाज के लिए इंतेहाई शर्मनाक वाक्या है। उन्हें सिर्फ जलाया ही नहीं गया इस वाक्ए में बचे उनके बेटे शिवम के साथ एक महीना पहले अफसरान ने डीएम आफिस में इतेहाई शर्मनाक हरकत करते हुए कड़ाके की ठंड में उसके कपड़े उतरवा कर सिर्फ अण्डरवियर में नंगा खड़ा करा दिया था। वायरल वीडियो के मुताबिक यह वाक्या उस वक्त पेश आया था जब चैदह जनवरी को कृष्ण गोपाल दीक्षित के पुख्ता मकान को एसडीएम ने कुछ जमीन माफियाओं से मिलकर बुलडोजर भेजकर गिरवा दिया था तो दीक्षित का पूरा कुन्बा अपनी बकरियां और दीगर मवेशियों को साथ लेकर डीएम नेहा जैन के दफ्तर के सामने धरने पर बैठे थे। उनका कहना था कि उनका मकान गलत तरीके से तोड़ा गया है इसलिए उनके और उनके मवेशियों के रहने का कुछ बंदोबस्त किया जाए। डीएम ने उनकी बात नहीं सुनी, वह लोग गांव वापस आकर गांव के बाहर बनी अपनी एक झोंपड़ी में रहने लगे उसी झोंपड़ी को तेरह फरवरी को आग लगाई गई। जिसमें मां-बेटी जिंदा जल गईं। जिस दिन दीक्षित कुन्बा डीएम के दफ्तर के बाहर धरना देने गए थे उस दिन इलाके की मेम्बर असम्बली और योगी वजारत में मिनिस्टर आफ स्टेट प्रतिभा शुक्ला भी वहां मौजूद थीं। उन्होने भी कोई मदद नहीं की। मां बेटी के जिंदा जलने के बाद खुद वजीर प्रतिभा शुक्ला ने यह बात कही कि वह ख्वातीन व बच्चों की बहबूद की वजीर हैं इसके बावजूद दो ख्वातीन की जान वह नहीं बचा सकीं।
मां-बेटी के जिंदा जलवाए जाने जैसे घिनौने और इंतेहाई शर्मनाक वाक्ए को समाजवादी पार्टी और उसके सदर अखिलेश यादव ने असम्बली के बजट इजलास में जोर-शोर से उठाया। पार्टी ने असम्बली के अंदर और बाहर धरना भी दिया लेकिन यह मजमून लिखे जाने तक योगी हुकूमत ने न ही दीक्षित कुन्बे की कोई माली मदद का एलान किया था और न ही जिम्मेदार अफसरान के खिलाफ केाई सख्त कानूनी कार्रवाई हुई थी। योगी सरकार की जानिब से कहा गया कि पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी बना दी गई है। अंजना ओम कश्यप हों या उन्हीं की तरह सरकार के भोंपू बने एंकर अमीश देवगन, अमन चोपड़ा और रूबिका लियाकत हों क्या किसी की इतनी औकात है कि वह इस शर्मनाक वाक्ए पर यह प्रोग्राम पेश कर सकें कि जब किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होते ही उसके घर पर बुलडोजर चला दिया जाता है तो अफसरान की मौजूदगी में प्रमिला दीक्षित और नेहा दीक्षित को जिंदा जलाए जाने का वीडियो वायरल होने के बावजूद मौके पर मौजूद तमाम अफसरान को फौरन गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया एसआईटी तो सरकारी है जैसी सरकार की मंशा होगी वैसी ही रिपोर्ट आएगी। वजीर-ए-आला योगी ने तो डीएम और एसपी तक को नहीं हटाया। ऐसी सरकार से गरीब ब्राहमण कुन्बे को इंसाफ मिलने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

Sunday, 26 February 2023

गोल्डन बैल्स इंटरनेशनल स्कूल में वार्षिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। स्योहारा (डॉ०उस्मान ज़ैदी)

गोल्डन बैल्स इंटरनेशनल स्कूल में वार्षिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
         स्योहारा (डॉ०उस्मान ज़ैदी)
गोल्डन बैल्स इंटरनेशनल स्कूल में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

शनिवार को ठाकुरद्वारा मार्ग स्थित गोल्डन बैल्स इंटरनेशनल स्कूल में वार्षिक उत्सव मनाया गया है। प्रतियोगिता का शुभारंभ स्कूल मैनेजर सरदार अरविंदर सिंह, प्रबंधक सरदार गुरविंदर सिंह, डायरेक्टर टब्लीन कौर, प्रधानाचार्य जे एस जॉनसन ने हवा में गुब्बारे छोड़ व मशाल जलाकर किया।  इस मौके पर विधायक प्रतिनिधि सुरेंद्र सिंह उर्फ राजू अरोड़ा द्वारा छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह प्रमाण पत्र सम्मानित किया गया है। इस मौके पर रेस प्रतियोगिता, सरस्वती वंदना, नृत्य, नाटक प्रस्तुत किए गए। इसके बाद छात्र छात्राओं द्वारा कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया। जिसे अतिथियों द्वारा सराहा गया। नृत्य में नर्सरी की अनुशा फातमा, दीपावली पर्व पर प्री नर्सरी में मोहम्मद अनिक जमाल, 100 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता में कक्षा सात की छात्रा नव्या एवं कक्षा आठ के आर्यन प्रथम स्थान पर रहे। स्कीपिंग रेस में कक्षा आठ की हरमैन प्रथम, वेकरेस आदी वर्मा, बनाना रेस में प्री नर्सरी की माही, केजी में अरीबा, बुकेट रेस में प्री नर्सरी के माज ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। जबकि पूर्व दीपावली पर्व के अवसर पर हुए कार्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को बेस्ट अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। प्रबंधक सरदार गुरविंदर सिंह ने बताया कि प्रतियोगिता का आयोजन से बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिलता है! और इस तरह के कार्यक्रमों में अभिभावकों को अपने बच्चों को प्रतियोगिता में भागीदारी करानी चाहिए ताकि हमारे बच्चे की प्रतिभा हमारे सामने आ जाए। उन्होंने बताया कि एक मार्च से सभी कक्षाओं के लिए प्रवेश प्रारंभ किए जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन शिवम ठाकुर ने किया। इस मौके पर शिखा चौहान, शाजिया नवेद, पूनम रस्तौगी, सबा , शुभरा भारती, मुकुल शर्मा, अनम परवीन,  अज़ीम, मयंक, नैंसी चंद्रा सहित अन्य अध्यापक एवं अध्यापिका मौजूद रही। 

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स्योहारा गोल्डन बैल्स इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों को सम्मानित करते अथिति
फ़ोटो अनुशा फात्मा2
फ़ोटो मौ.अनिक जमाल3

अष्टावक्र गीता- प्रथमोऽध्यायः।जनक उवाच --

अष्टावक्र गीता- प्रथमोऽध्यायः।जनक उवाच --

कथं ज्ञानमवाप्नोति,कथं मुक्तिर्भविष्यति।
वैराग्य च कथं प्राप्तमेतदब्रूहि मम प्रभो॥१-१॥
 वयोवृद्ध राजा जनक, बालक अष्टावक्र से पूछते हैं - हे प्रभु, ज्ञान की प्राप्ति कैसे होती है, मुक्ति कैसे प्राप्त होती है, 
वैराग्य कैसे प्राप्त किया जाता है, ये सब मुझे बताएं।।
अष्टावक्र उवाच --

मुक्तिमिच्छसि चेत्तात्,विषयान विषवत्त्यज।
क्षमार्जवदयातोष, सत्यंपीयूषवद्भज॥१-२॥ 
श्री अष्टावक्र उत्तर देते हैं - यदि आप मुक्ति चाहते हैं तो अपने मन से विषयों (वस्तुओं के उपभोग की इच्छा) को विष की तरह त्याग दीजिये। क्षमा, सरलता, दया, संतोष तथा सत्य का अमृत की तरह सेवन कीजिये॥२॥

न पृथ्वी न जलं नाग्निर्नवायुर्द्यौर्न वा भवान्।
एषां साक्षिणमात्मानंचिद्रूपं विद्धि मुक्तये॥१-३॥ 
आप न पृथ्वी हैं, न जल, न अग्नि, न वायु अथवा आकाश ही हैं। मुक्ति के लिए इन तत्त्वों के साक्षी, चैतन्यरूप आत्मा को जानिए॥३॥

यदि देहं पृथक् कृत्यचिति विश्राम्य तिष्ठसि।
अधुनैव सुखी शान्तोबन्धमुक्तो भविष्यसि॥१-४॥ 
यदि आप स्वयं को इस शरीर से अलग करके, चेतना में विश्राम करें तो तत्काल ही सुख, 
शांति और बंधन मुक्त अवस्था को प्राप्त होंगे ।।४ ।।

न त्वं विप्रादिको वर्ण:नाश्रमी नाक्षगोचर:।
असङगोऽसि निराकारोविश्वसाक्षी सुखी भव॥१-५॥ 
आप ब्राह्मण आदि सभी जातियों अथवा ब्रह्मचर्य आदि सभी आश्रमों से परे हैं तथा आँखों से दिखाई न पड़ने वाले हैं ।
 आप निर्लिप्त, निराकार और इस विश्व के साक्षी हैं, ऐसा जान कर सुखी हो जाएँ ॥ ५।।

धर्माधर्मौ सुखं दुखंमानसानि न ते विभो।
न कर्तासि न भोक्तासिमुक्त एवासि सर्वदा॥१-६॥ 
धर्म, अधर्म, सुख, दुःख मस्तिष्क से जुड़ें हैं, सर्वव्यापक आप से नहीं। न आप करने वाले हैं और न भोगने वाले हैं, आप सदा मुक्त ही हैं ॥६।।

एको द्रष्टासि सर्वस्यमुक्तप्रायोऽसि सर्वदा।
अयमेव हि ते बन्धोद्रष्टारं पश्यसीतरम्॥१-७॥ 
आप समस्त विश्व के एकमात्र दृष्टा हैं, सदा मुक्त ही हैं, आप का बंधन केवल इतना है कि आप दृष्टा किसी और को समझते हैं ॥ ७ ॥

अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णाहिदंशितः।
नाहं कर्तेति विश्वासामृतंपीत्वा सुखं भव॥१-८॥ 
अहंकार रूपी महासर्प के प्रभाववश आप 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मान लेते हैं । 'मैं कर्ता नहीं हूँ', इस विश्वास रूपी अमृत को पीकर सुखी हो जाइये ॥ ८ ॥

एको विशुद्धबोधोऽहंइति निश्चयवह्निना।
प्रज्वाल्याज्ञानगहनंवीतशोकः सुखी भव॥१-९॥
 मैं एक, विशुद्ध ज्ञान हूँ, इस निश्चय रूपी अग्नि से गहन अज्ञान वन को जला दें, इस प्रकार शोकरहित होकर सुखी हो जाएँ ॥ ९ ॥

यत्र विश्वमिदं भातिकल्पितं रज्जुसर्पवत्।
आनंद परमानन्दः सबोधस्त्वं सुखं चर ॥१-१०॥
 जहाँ ये विश्व रस्सी में सर्प की तरह अवास्तविक लगे, उस आनंद, परम आनंद की अनुभूति करके सुख से रहें ॥ १ ० ॥

मुक्ताभिमानी मुक्तो हिबद्धो बद्धाभिमान्यपि।
किवदन्तीह सत्येयंया मतिः सा गतिर्भवे त् ॥१-१ १ ॥
 स्वयं को मुक्त मानने वाला मुक्त ही है और बद्ध मानने वाला बंधा हुआ ही है, यह कहावत सत्य ही है कि जैसी बुद्धि होती है वैसी ही गति होती है ॥ ११ ॥

आ त्मा साक्षी विभुःपूर्ण एको मुक्तश्चिदक्रियः।
असंगो निःस्पृहः शान्तोभ्रमात्संसारवानिव॥१-१२॥ 
आत्मा साक्षी, सर्वव्यापी, पूर्ण, एक , मुक्त, चेतन, अक्रिय, असंग, इच्छा रहित एवं शांत है। भ्रम वश ही ये सांसारिक प्रतीत होती है ॥

कूटस्थं बोधमद्वैत-मात्मानं परिभावय।
आभासोऽहं भ्रमं मुक्त्वाभावं बाह्यमथान्तरम्॥१-१३॥
अपरिवर्तनीय, चेतन व अद्वैत आत्मा का चिंतन करें और 'मैं' के भ्रम रूपी आभास से मुक्त होकर, बाह्य विश्व की अपने अन्दर ही भावना करें ॥ १३ ॥ 

देहाभिमानपाशेन चिरंबद्धोऽसि पुत्रक।
बोधोऽहं ज्ञानखंगेनतन्निष्कृत्य सुखी भव॥१-१४॥ 
हे पुत्र! बहुत समय से आप 'मैं शरीर हूँ' इस भाव बंधन से बंधे हैं, स्वयं को अनुभव कर, ज्ञान रूपी तलवार से इस बंधन को काटकर सुखी हो जाएँ ॥ १४ ॥ 

निःसंगो निष्क्रियोऽसित्वं स्वप्रकाशो निरंजनः।
अयमेव हि ते बन्धःसमाधिमनुतिष्ठति॥१-१५॥ 
आप असंग, अक्रिय, स्वयं-प्रकाशवान तथा सर्वथा-दोषमुक्त हैं। आपका ध्यान द्वारा मस्तिस्क को शांत रखने का प्रयत्न ही बंधन है ॥ १५ ॥

त्वया व्याप्तमिदं विश्वंत्वयि प्रोतं यथार्थतः।
शुद्धबुद्ध स्वरुप स्त्वं मागमः क्षुद्रचित्तताम्॥१-१६॥
 यह विश्व तुम्हारे द्वारा व्याप्त किया हुआ है, वास्तव में तुमने इसे व्याप्त किया हुआ है । तुम शुद्ध और ज्ञानस्वरुप हो, छोटेपन की भावना से ग्रस्त मत हो ॥ १ ६ ॥ 

निरपेक्षो निर्विकारोनिर्भरः शीतलाशयः।
अगाधबुद्धिरक्षुब्धो भवचिन्मात्रवासन:॥१-१७॥ 
आप इच्छारहित, विकाररहित, घन (ठोस), शीतलता के धाम, अगाध बुद्धिमान हैं, 
शांत होकर केवल चैतन्य की इच्छा वाले हो जाइये ॥१७ ।।

साकारमनृतं विद्धिनिराकारं तु निश्चलं।
एतत्तत्त्वोपदेशेनन पुनर्भवसंभव:॥१-१८॥
 आकार को असत्य जानकर निराकार को ही चिर स्थायी मानिये, इस तत्त्व को समझ लेने के बाद पुनः जन्म लेना संभव 
नहीं है ॥१८।। 

यथैवादर्शमध्यस्थेरूपेऽन्तः परितस्तु सः।
तथैवाऽस्मिन् शरीरेऽन्तःपरितः परमेश्वरः॥१-१९॥ 
जिस प्रकार दर्पण में प्रतिबिंबित रूप उसके अन्दर भी है और बाहर भी, उसी प्रकार परमात्मा इस शरीर के भीतर भी निवास करता है और उसके बाहर भी ॥ १९ ॥

एकं सर्वगतं व्योमबहिरन्तर्यथा घटे।
नित्यं निरन्तरं ब्रह्मसर्वभूतगणे तथा॥१-२०॥
 जिस प्रकार एक ही आकाश पात्र के भीतर और बाहर व्याप्त है, उसी प्रकार शाश्वत और सतत परमात्मा समस्त प्राणियों में विद्यमान है ॥

Saturday, 25 February 2023

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन की बात सुनते मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान डॉ सैयद अजीम नक्वी श्रीमती श्रीमती मारिया फैसल अंसारी फातिमा

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन की बात सुनते मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान डॉ सैयद अजीम नक्वी श्रीमती श्रीमती मारिया फैसल अंसारी फातिमा

एक स्त्री वह औरत है जिसे बाकायदा हर महीने माहवारी आती है। वहीं माहवारी जिसको स्त्री अपने 11 साल के उम्र से हर महीने बर्दाश्त करती है। यह माहवारी उनका चॉइस नहीं होता। यह तो कुदरत का दिया हुआ एक वरदान होता है।

नारी तू महान है!...
      🙏🏻🙏🏻
एक स्त्री वह औरत है जिसे बाकायदा हर महीने माहवारी आती है। वहीं माहवारी जिसको स्त्री अपने 11 साल के उम्र से हर महीने बर्दाश्त करती है। यह माहवारी उनका चॉइस नहीं होता। यह तो कुदरत का दिया हुआ एक वरदान होता है। 
वहीं माहवारी जिसमे पूरा शरीर अकड़ जाता है। कमर टूटने लगती है। पेट का दर्द असहनीय होता है। और मानसिक तनाव इतना की सामान्य दिनों में सिर्फ सोच कर ही सिहरन पैदा हो जाती है।

हर महीने के माहवारी के दर्द को बर्दाश्त कर अपने आप को अगले महीने के लिए फिर से दर्द सहने के लिए तैयार कर लेना किसी जंग जितने से कम नहीं।

हर महीने ना जाने कितने वर्षों तक ये जंग हर महीने जीतती है स्त्री। तब जाके किसी पुरुष के चेहरे की लालिमा बढ़ती है, तब जाके कोई परिवार चहकता है। और तब किसी के वंश की वृद्धि होती है।

अरे एक लड़की तो अपने 11 वर्ष की उम्र से ही किसी की बहू किसी की पत्नी बनने कि मोल चुकाती है, हर महीने दर्द सहकर, ताकि किसी दिन वो वंश की वृद्धि की गौरव बन सके।

गर्भधारण के बाद 3-4 महीने तो अपने आप से ही परेशान। मूड स्विंग, उल्टी, थकान, मानसिक तनाव, और कमर दर्द तो हिस्सा बनने लगता है जिंदगी का। 

बढ़ते महीने के साथ उस खुद को उस इंजेक्शन के लिए भी तैयार करना पड़ता है जिसे देखकर ही कभी घर में छुप जाया करती थी। 

और जब बारी आती है बच्चे को जन्म देने की तो वाहा भी असहनीय दर्द से होकर गुजरती है। 9 महीने तक शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करती है खुद को, परम्परा को आगे बढाने के लिए।

प्रसव पीड़ा 6-8 घंटे। और कभी कभी तो 2- 3 दिन तक। अगर फिर भी नॉर्मल डिलीवरी संभव ना हो तो गर्भ चिर के भी बच्चे को बाहर लाने कि हिम्मत रखती है।

शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स और ऑपरेशन के निशान तक ताउम्र ढोने को तैयार हो जाती है। जो चेहरे पर एक पिंपल आ जाने से पूरा घर सिर पर उठा लेती थी।

एक स्त्री की मनोदशा एक पुरुष कभी नहीं समझ सकता।
और जो अपनी पत्नी की ये मनोदशा भर बस समझ ले तो वो भगवान का ही रूप होता है।

लड़कों के कंधा से कंधा मिलाकर चलना बहुत आसान है।
पर लड़कियों की बराबरी के पाना उतना ही मुश्किल।
हर महीने खून पानी की तरह बहाना पड़ता है एक स्त्री होने के लिए।

हर दर्द को हस्ते हुए सहना पड़ता है एक स्त्री होने के लिए।

लाख मेहनत करने पर भी,
न रहता कोई आभारी,
हर घर में रहती है ऐसी ही एक नारी।
शुभ प्रभात 
🙏🏻 🙏🏻

यदि पुरुष स्त्री को अपनी बाहों में लेना चाहता हैं, तो उसका तात्पर्य केवल वासना मात्र ही नहीं हो सकता हैं...

यदि पुरुष स्त्री को अपनी बाहों में लेना चाहता हैं, 
तो उसका तात्पर्य केवल वासना मात्र ही नहीं हो सकता हैं... 

कई दफा इसका अर्थ होता हैं, 
वह स्त्री की आत्मा को स्पर्श करना चाहता हैं... 

उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता हैं, 
जो अथाह प्रेम को अपने मन में दबा लेती हैं...

वह अपने सीने से लगा कर स्त्री के आँसुओं को 
प्रेम से सोख लेना चाहता हैं... 

उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को 
प्रेम की बारिशों में भिगो देना चाहता हैं... 

यह वासना नहीं हैं, 
उस पुरुष का अथाह समर्पण हैं, 
उस स्त्री के लिए
जिसे वह हृदय से प्रेम करता हैं

 . . 💕❤💕

रेड लाइट पर रुकते ही गाड़ी के स्टीरियो की आवाज़ कम कीऔरसिगरेट पीने के लिए शीशा नीचे किया ही थाकि आवाज़ आई...

रेड लाइट पर रुकते ही गाड़ी के स्टीरियो की आवाज़ कम की
और
सिगरेट पीने के लिए शीशा नीचे किया ही था
कि आवाज़ आई...

बाबू जी एक रुपया दे दो!
खाना खाऊंगा!
बहुत भूख लगी है!

लगभग पंद्रह रुपये की सिगरेट हाथ में पकड़े हुए,
बहुत उम्दा और तलब के मूड में,
मैं उसे जलाने ही वाला था
कि इस आवाज़ से भंग हुई
अपनी नशेपूर्ती की तन्द्रा के टूटने से
कुछ चिड़चिड़ा सा गया अचानक
और एक बार को तो उसे झिड़क ही दिया!

चल बे,
आगे चल..!!!

फिर ध्यान आया
कि भूखा होगा बेचारा,
चलो कुछ दे ही देता हूँ!

इधर आ बे,
सुन तो.....

जी बाबू जी...

रुक,
ले लेता जा..!

गाड़ी में इधर उधर पड़े पैसे ढूंढने लगा मैं...
नोटों पर नज़र गई...
सबसे छोटा नोट बीस का दिखाई पड़ा...
सोचा कि इतने पैसे इस कंगाल के हाथ में देना...
नहीं, नहीं...
फिर मैंने सिक्कों में हाथ डाला...
अचानक दस रुपये का सिक्का हाथ लगा...
उसे भी छोड़ मैं एक रुपये का सिक्का ढूंढने लगा...
पर नहीं मिला..!!

दस के खुल्ले हैं क्या तेरे पास.??

जी बाबू जी,
हो जाएगा...!!

ला नौ रुपये वापिस कर जल्दी..!!

उसने नौ रुपये के सिक्के गिन कर मुझे थमा दिए!

इतने में ही सिग्नल ग्रीन हो गया!
मुझे अचानक ही कार आगे बड़ानी पड़ी!!
खैर जानता ही था कि पीछे दौड़ कर आएगा इसलिए गाड़ी धीरे से सिग्नल के पार लगाई और साइड में रोक ली! पर वो कहीं नहीं दिखा!

अचानक मेरी नज़र सड़क के दूसरी तरफ अनाथालय की चंदा मांगने वाली गाड़ी की तरफ पड़ी! वो बच्चा भी उसी तरफ लपकते देख हैरानी नहीं हुई मुझे! शायद वो अब उससे कुछ मांगने गया हो!

मैं वहीं खड़ा उसे देखने लगा और इंतज़ार करने लगा कि वो उस गाड़ी वाले से मांग कर इस तरफ वापिस आएगा तो उसे उसका दस रुपया दे दूंगा!

उस अनाथाश्रम की गाड़ी वाले ने उसे कोई कागज़ दिया और वो लड़का अपने खुले पैसे उसे दे कर आगे निकल गया!

मुझे हैरानी हुई और जिज्ञासा भी!
उसे दस रुपये भी देने ही थे, तो मैं ही सड़क पार कर दूसरी और चल दिया!

ओ लड़के,,,,
ओ लड़के,,,
सुन तो,,,
अबे ओ,,,,

नहीं सुना उसने!!
ट्रैफिक के शोर में आगे निकल गया!
इतने में मैं उस अनाथालय की गाड़ी तक पहुंच गया!

मैंने उस गाड़ी वाले से पूछा कि आपने उस मांगने वाले लड़के को कागज़ पर क्या लिख कर दिया?

वो रसीद थी साहब!

किस चीज़ की..??

जो पैसे उसने हमें दिए, उसकी!

किस बात के पैसे दिए उसने आपको!

कहता है कि कि मेरे बाप ने मेरे छोटे नए जन्में भाई को अनाथालय की चौखट पर छोड़ दिया था! ये पैसे उस तक पहुंचा देना और उससे कहना कि तेरा भाई इतना भी गरीब नहीं कि तुझे पाल न सके!

बहुत समझाते हैं साहब,
मानता ही नहीं!
उसे ये भी कह चुके कि उसका भाई हमारे अनाथालय में नहीं है!
जब भी हमारी गाड़ी देखता है, बस दौड़ा चला आता है और अपने सारे कमाए पैसे हमें दे जाता है!
कहता है कि ये पैसे उसके भाई तक न सही पर दूसरे अनाथों तक तो पहुंचते ही हैं, वो सब भी उसके भाई जैसे ही हैं!
वो उन्हें ही पाल लेगा और कोई बदले में भगवान को भेज कर उसके भाई को!
आज पूरे दिन के कमाए हुए एक सौ आठ रुपये जमा करवा गया!
लोगों के लिए इसे एक रुपया भी देना महंगा लगता होगा साहब और ये लड़का मदद के नाम पर हर बार अपनी पूरी दौलत लुटा जाता है!!
भगवान इसका भला करे.!!

उफ़्फ़फ़फ़फ़फ़फ़फ़....
हे भगवान...
बिना पिये हुई, उस सुलगती सिगरेट से अचानक ही हाथ जल उठा मेरा!

शायद ये जलन मेरे जीवन की सबसे ज़्यादा दहकने वाले शोलों से बनी थी..!!!
शुभ रात्रि

अगर दो आदमी सड़क पर लड़ रहें हो तोकोई नही कहेगा अश्लील है।लेकिन दो व्यक्ति गले में हाथ डालकर एक वृक्ष के नीचे बैठे है,

अगर दो आदमी सड़क पर लड़ रहें हो तो
कोई नही कहेगा अश्लील है।
लेकिन दो व्यक्ति गले में हाथ डालकर एक वृक्ष के नीचे बैठे है,
तो लोग कहेंगे अश्लील है।
प्रेम क्यों अश्लील है।
हिंसा क्यों अश्लील नही है?
हिंसा मृत्यु है,प्रेम जीवन है।
जीवन के प्रति असम्मान है और मृत्यु के प्रति सम्मान है।देखिए,कितनी हैरानी की बात है।
युद्ध की फिल्में बनती है,
कोई सरकार उन पर रोक नहीं लगाती।
हत्या होती है, खून होता है फिल्म में,कोई दुनिया की सरकार नहीं कहती अश्लील है।
लेकिन अगर प्रेम की घटना है तो सारी सरकारें चिंतित हो जाती है।

सोच बदलनी होगी .....

आज अस्तित्व है; कल तो सिर्फ कल्पना है, इमेजिनेशन है। कल कभी आता नहीं। पर आज है पीड़ा से भरा। अगर कल भी न रह जाए, तो बहुत मुश्किल हो जाए; पैर का उठना मुश्किल हो जाए।

आज अस्तित्व है; कल तो सिर्फ कल्पना है, इमेजिनेशन है। कल कभी आता नहीं। पर आज है पीड़ा से भरा। अगर कल भी न रह जाए, तो बहुत मुश्किल हो जाए; पैर का उठना मुश्किल हो जाए।

यह जो हमारी दुख से भरी स्थिति है, इसके लिए हम फलातुर हैं। परमात्मा आनंदमग्न है। फलातुर होने की जरूरत नहीं है। सिर्फ दुखी आदमी फलातुर होता है; दुखी चित्त फलातुर होता है। आनंदित चित्त फलातुर नहीं होता। आप भी जब कभी आनंद में होते हैं, तो भविष्य मिट जाता है और वर्तमान रह जाता है। जब भी!

अगर आप किसी के प्रेम में पड़ गए, तो भविष्य मिट जाता है। अगर आपका प्रेमी आपके पास बैठा है, तो वर्तमान ही रह जाता है। फिर आप यह नहीं सोचते, कल क्या होगा? फिर आप वही जानते हैं, जो अभी हो रहा है। कल खो जाता है।

जब आप संगीत में डूब जाते हैं, तो कल खो जाता है। फिर आप यह नहीं सोचते, कल क्या होगा? फिर आज ही, अभी, दिस वेरी मोमेंट, यही क्षण काफी हो जाता है। जब कोई भजन में लीन हो गया, कीर्तन में डूब गया, तब यही क्षण सब कुछ हो जाता है। सारा अस्तित्व इसी क्षण में समाहित हो जाता है। सब सिकुड़कर, सारा अस्तित्व इसी क्षण में केंद्रित हो जाता है। इस क्षण के बाहर फिर कुछ भी नहीं है।

जीवन के जो भी आनंद के क्षण हैं, वे वर्तमान के क्षण हैं। परमात्मा तो प्रतिपल आनंद में है। इसलिए उसकी कोई फलाकांक्षा नहीं हो सकती।

मन की वासना मे कामुकता में डूबे पुरूष को वासना ही वासना दिखाई पड़ती है।

मन की वासना मे कामुकता में डूबे पुरूष को वासना ही वासना दिखाई पड़ती है।

जब कोई स्त्री रास्ते से जा रही हो ,चाहे छोटे कपडे पहने हो या अजीब सा वस्त्र पहने हो,या वो कहीं स्नान कर रही हो,या कपड़े बदल रही हो या किसी से  एकांत में बात कर रही हो तो क्यों  पुरुषों को उलझन होती है क्यों उनके भीतर बैचनी होने लगती है। वो तो अपनी सहजता से चल रही है  स्नान कर रही है। तो पुरुषों को क्यों परेशानी होती है। ये कष्ट पुरुषों का है क्यों उनके भीतर बैचेनी हो रही है।

मुस्लिम्स में अपने भीतर के बेचैनी का ईलाज ना करके स्त्री को पर्दे में  नकाब में डाल दिया तो क्या  उनकी बेचैनी कम हो गयी है। नही वो और कामुक हो गये। ईलाज किसका होना चाहिये था और किसका हो रहा है।

इस अवस्था में  पशु हमसे ठीक दिख रहे है जो सत्य पुरुष होगा वो अपने भीतर का ईलाज करेगा ना किसी दूसरों को छिपाएगा य पर्दे में रखेगा। मन का ईलाज होना चाहिए कि ये बेचैनी हममे कहाँ से जन्म ले रही है।

शुभ प्रभात 🙏🏻❤️

स्त्री_का_मौनस्त्री जब #मौन हो जाएंअपना कोई #अधिकार ना दिखाएं#नाज #नखरे सब भूल जाएंबस जी हुजूरी ही #निभाएं

#स्त्री_का_मौन

स्त्री जब #मौन हो जाएं
अपना कोई #अधिकार ना दिखाएं
#नाज #नखरे सब भूल जाएं
बस जी हुजूरी ही #निभाएं

                          समझ लेना तुमने उसे #खो दिया है
                           उसका #सब #कुछ तुमने ले लिया है
                           वो साथ होकर भी साथ #नहीं है
                            उसके हाथों में तेरा #हाथ नहीं है

वो अब #थक चुकी है
और #रुक भी चुकी है
उसमें अब #रवानी नहीं
बस #दरिया का पानी है

                          तुम #सोचते हो तुमने उसे जीत लिया
                            अपने अनुरूप #हासिल किया
                              #नहीं जनाब तुम हार चुके हो

जो तुम्हारे #साथ है
वो बस #एक काया है
जिसे तुम्हारे #गुरुर ने भरमाया है..

मैंने_दहेज़_नहीं_माँगा” साहब मैं थाने नहीं आउंगा, अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा, माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था, सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था, पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”

मैंने_दहेज़_नहीं_माँगा” साहब मैं थाने नहीं आउंगा, अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा, माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था, सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था, पर यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
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मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है, महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है। चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो, उन्हें भी समझे माता पिता, न कभी उनका अपमान हो । पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा, यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
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परिवार के साथ रहना इसे पसंद नहीं है, कहती यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही है, मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में, कुछ नहीं रखा माँ बाप पर प्यार बरसाने में, हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को, नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को,
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फिर शुरू हुआ वाद विवाद माँ बाप से अलग होने का, शायद समय आ गया था, चैन और सुकून खोने का, एक दिन साफ़ मैंने पत्नी को मना कर दिया, न रहूँगा माँ बाप के बिना ये उसके दिमाग में भर दिया। बस मुझसे लड़कर मोहतरमा मायके जा पहुंची,
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2 दिन बाद ही पत्नी के घर से मुझे धमकी आ पहुंची, माँ बाप से हो जा अलग, नहीं सबक सीखा देंगे, क्या होता है दहेज़ कानून तुझे इसका असर दिखा देगें। परिणाम जानते हुए भी हर धमकी को गले में टांगा, यकींन माँनिये साहब, "मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
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जो कहा था बीवी ने, आखिरकार वो कर दिखाया, झगड़ा किसी और बात पर था, पर उसने दहेज़ का नाटक रचाया। बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया, क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया।
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माता पिता भाई बहिन जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे,
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घर में सब हैरान, सब परेशान थे,अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो क्यों ज़िन्दगी में आई थी,
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मैंने भी तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी। आखिरकार तमका मिला हमें दहेज़ लोभी होने का, कोई फायदा न हुआ मीठे मीठे सपने संजोने का । बुलाने पर थाने आया हूँ, छुपकर कहीं नहीं भागा, लेकिन यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
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• झूठे दहेज के मुकदमों के कारण, पुरुष के दर्द से ओतप्रोत एक मार्मिक कृति..🥲
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#हक़_की_आवाज

4 ऐसी महत्वपूर्ण खबरें आई हैं जिन्हें मीडिया में प्रमुख रूप से होना चाहिए था, किन्तु किसी भी समाचार समूह ने राज्यों के चुनावों के चलते इन्हें नहीं दिखाया या छापा गया...

4 ऐसी महत्वपूर्ण खबरें आई हैं जिन्हें मीडिया में प्रमुख रूप से होना चाहिए था, किन्तु किसी भी समाचार समूह ने राज्यों के चुनावों के चलते इन्हें नहीं दिखाया या छापा गया...

क्योंकि समाचार समूह मंहगाई, बेरोजगारी, असहिष्णुता, आत्महत्याओं जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने और आम जनता को भयभीत करने में व्यस्त हैं।

यह चार महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

1. विश्व बैंक ने हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की जनहितकारी 'स्वच्छ भारत' परियोजना की प्रशंसा की है और इस परियोजना के लिए  1.5 विलियन डालर की सहायता की घोषणा की है।

2. भारत और जापान में हुए 'परमाणु ऊर्जा करार' की सौर ऊर्जा एक्सप्लोरेशन को सपोर्ट करने वाले 'आई ई ए: इन्वेन्शंस फार एनर्जी अल्टरनेटिवस' द्वारा प्रशंसा की गई है और उसने घोषणा की है कि इस समझौते से भारत सौर ऊर्जा उपयोग के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल करेगा जोकि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक उदाहरण होगा।

3. अगले एक वर्ष के अंदर गूगल 100 रेलवे स्टेशनों पर नि: शुल्क वाई फाई सेवाएं उपलब्ध कराने जा रहा है और  20 लाख एंड्रॉयड डेवलपर्स को प्रशिक्षण देगा जिससे 20 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

4. आगे से सीबीएससी की किताबें आनलाइन नि: शुल्क उपलब्ध होंगी। इस विशेष परियोजना की अभिकल्पना के पीछे केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सोंच काम कर रही है।

जहां मीडिया और समाचार पत्रों ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति आंखों पर पट्टी बांध ली है, तो हम सबको मिलकर यह जिम्मेदारी उठानी है और देश के सभी वोटरों तक नमो सरकार द्वारा भविष्य निर्माण की इन महत्वपूर्ण संभावनाओं की जानकारी पहुचानी है।

मुझे विश्वास है कि आप इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने की अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने नहीं चूकेंगे क्योंकि भारत के भविष्य के प्रति हम जागरूक और जिम्मेदार हैं।

हमारे राजस्थान की माटी में ऐसे योद्धाओं ने जन्म लिया जो एक साधारण युवा नहीं थे वो तो एक देवता थे, ख़ुद अपने ही विवाह को छोड़कर युद्ध में चले जाना ओर नववधु को वचन देना, धन्य है यहाँ की धरा - वीर योद्धा कल्ला जी राठौड़ वे शूरवीर थे, जिन्होंने चित्तौड़गढ़ पर अकबर के आक्रमण के समय महाराणा उदयसिंह जी की सेना में शामिल होकर अपनी वीरता का परिचय दिया था।

हमारे राजस्थान की माटी में ऐसे योद्धाओं ने जन्म लिया जो एक साधारण युवा नहीं थे वो तो एक देवता थे, ख़ुद अपने ही विवाह को छोड़कर युद्ध में चले जाना ओर नववधु को वचन देना, धन्य है यहाँ की धरा - वीर योद्धा कल्ला जी राठौड़ वे शूरवीर थे, जिन्होंने चित्तौड़गढ़ पर अकबर के आक्रमण के समय महाराणा उदयसिंह जी की सेना में शामिल होकर अपनी वीरता का परिचय दिया था।

 युद्ध में सेनापति जयमल सिंह राठौड़ थे। उनके पांव घायल हुए तो 24 साल के  कल्ला जी ने उन्हें कंधों पर बिठाकर चार भुजाओं के साथ युद्ध किया। दो भुजाएं कल्ला जी की और दो जयमल की। जयमल खेत रहे तो कल्ला जी लड़े और उनका सिर कट गया, लेकिन लोकमान्यता है कि उनका (कबंध) काफी समय तक यानी बिना सिर वाला धड़ काफी समय लड़ता रहा। वे करीब 180 मील रनेला (सलूम्बर) पहुंचे, जहां उनकी जागीर थी।
कल्याण शक्ति पीठ के चैतन्य रावल बताते हैं, यह मेला हर साल लगाया जाता है, क्योंकि कल्ला जी की वीरता ही ऐसी अदभुत थी। कल्ला जी का विवाह हो रहा था और इसी बीच युद्ध के नगाड़े बज गए थे। वे उसी समय अपनी नववधू कृष्णा कंवर चौहान को वचन देकर युद्ध में चले गए कि युद्ध में चाहे जो हो, लेकिन मैं मिलने जरूर आऊंगा।
कहते हैं कि कल्ला जी का (कबंध) यानी बिना शीश वाला धड़ चित्तौड़गढ़ से चलकर 180 मील दूर सलूंबर के पास रनेला आया और पत्नी के पास आकर शांत हो गया। आखिर अपने पति के इस गर्वीले बलिदान से गौरवान्वित होकर कृष्णा कंवर चौहान धूधू करती चिता में बैठ गई और उनका सौंदर्य पति के शौर्य में विलीन हो गया।
रावल के अनुसार मेले में आदिवासी अपने केसरिया ध्वज यानी नेजे लेकर आते हैं और कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। इसमें गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं। जयमल और पत्ता के साथ थे युद्ध में कल्ला जी चितौड़ युद्ध में कल्ला जी #जयमल सिंह राठौड़ और #पत्ता जी चूंड़ावत के साथ थे। #जयमल बदनोर (भीलवाड़ा) के थे और #पत्ता केलवा (राजसमंद) के थे।

जय जय राजस्थान
जय जय कल्ला जी राठौड़ 🙏🚩


पुणे में कसबा विधानसभा के 26 फरवरी को होने वाले उपचुनाव के लिए शरद पवार ने घटिया मुस्लिम राजनीति करते हुए कहा है कि मोदी RSS को हराने के लिए 100% मुसलमानों के वोट करने और दुबई से भी मुस्लिम वोटर लाने की जरूरत है -

मराठा छत्रप शरद पवार की 
कथित “चाणक्य नीति” उद्धव को 
बर्बाद करने और भाजपा को 
झटका देने की थी -
असली चाणक्य तो अमित शाह ही हैं -

पुणे में कसबा विधानसभा के 26 फरवरी को होने वाले उपचुनाव के लिए शरद पवार ने घटिया मुस्लिम राजनीति करते हुए कहा है कि मोदी RSS को हराने के लिए 100% मुसलमानों के  वोट करने और दुबई से भी मुस्लिम वोटर लाने की जरूरत है -

अभी उद्धव सेना को बर्बाद करने का प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी खतरनाक खेल खेलना चाहते हैं शरद पवार जिसकी मंशा थी कि उद्धव को जबरदस्ती मुख्यमंत्री बना कर उसे असफल साबित कर दिया जाए जिससे उद्धव की शिवे सेना ख़त्म हो और सेना के वोट शेयर पर शरद पवार का कब्ज़ा हो जाए - शरद पवार एक तरफ उद्धव को कह रहे हैं कि नए चुनाव चिन्ह पर आगे बढ़ो और दूसरी तरफ चुनाव आयोग को भी कोस रहे हैं तीर कमान शिंदे को देने के लिए -

लेकिन शरद पवार का खेल ख़त्म हो गया क्योंकि शिव सेना तो ख़त्म हो गई परंतु शिंदे की शिव सेना उद्धव सेना के वोट शेयर पर कब्ज़ा कर लेगी, अलबत्ता पवार के हाथ में बस मुस्लिम वोट का ही झुनझुना रह जाएगा जिसके लिए कांग्रेस भी पापड़ बेलेगी और ओवैसी भी तो है -

उद्धव को ख़त्म करके शरद पवार ने बालासाहब ठाकरे द्वारा अपमानित किए जाने का बदला लिया है - 1999 में बालासाहब ने एक इंटरव्यू में कहा था “Won’t go with scoundrel” और यह कह कर उन्होंने एनसीपी के साथ गठबंधन करने से मना कर दिया था - दरअसल बालासाहब ठाकरे अटलबिहारी वाजपेयी / भाजपा का साथ शरद पवार के लिए छोड़ना नहीं कहते थे और इसलिए उन्होंने पवार को scoundrel तक कह दिया था - 

बालासाहेब ठाकरे का वह शब्द scoundrel शरद पवार के दिल में चुभ रहा था और उद्धव को तबाह करके पवार ने उस शब्द का बदला लेने का काम किया जिसे उद्धव समझ नहीं पाए - 
जिस तरह शरद पवार ने अपने “शागिर्द” संजय राउत के जरिए उद्धव की बर्बादी की पटकथा लिखी और हर गलत काम करवाया, वह केवल यह सोच कर किया कि उससे पवार का फायदा होगा - यहां तक उद्धव को हिंदुत्व के मार्ग से भी विमुख करा दिया -

उद्धव के 55 में से 40 विधायकों को शिंदे के नेतृत्व में ढाई साल के समय में आभास हो गया था कि अगले चुनाव में उनका भविष्य अंधकार में होगा क्योंकि मुस्लिम तो वोट देगा नहीं और हिन्दू भी दूर हो जायेगा - इसलिए शिवसेना का साथ छोड़ना ही समझदारी होगी और भाजपा के साथ मिलकर यह “अस्थाई व्यवस्था” की गई कि शिवसेना को पूरा कब्जे में लेने तक शिंदे मुख्यमंत्री रहेंगे और उसके बाद देवेंद्र फडणवीस को कुर्सी दे दी जाएगी -

देवेंद्र फडणवीस ने रहस्य खोला है कि 23 नवंबर, 2019 को उनके CM और अजीत पवार के DY CM बनने के बारे में शरद पवार को पूरी जानकारी थी - इसके जवाब में पवार कह रहे हैं कि हर बात बताने के लिए तो नहीं होती, मतलब मान रहे हैं कि उनकी मर्जी से फडणवीस और अजीत पवार ने शपथ ली - लेकिन उसके बाद जो केंद्र में मोदी से चाहते थे, लगता है मोदी जी ने वह देने से मना कर दिया और अजीत पवार को सरकार से हटने पर मजबूर कर दिया -

शरद पवार को अब केवल मुस्लिम कार्ड के भरोसे चुनाव लड़ना पड़ेगा, चाहे वो BMC हो, या लोकसभा और या फिर विधानसभा - उद्धव के मुख्यमंत्री बनने पर कहा गया था भाजपा का चाणक्य फेल हो गया, मराठा चाणक्य से मात दे दी अमित शाह को - किसी को क्या पता था अमित शाह के तरकश में कौन कौन से बाण हैं जो शरद पवार को चित कर देंगे -

(सुभाष चन्द्र)
"मैं वंशज श्री राम का"
24/02/2023


देरी के लिए न्याय व्यवस्था पर उंगली उठाने वालो देखो देश का सुप्रीम कोर्ट कितना त्वरित न्याय करता हैं।

देरी के लिए न्याय व्यवस्था पर उंगली उठाने वालो देखो देश का सुप्रीम कोर्ट कितना त्वरित न्याय करता हैं।

 प्रधान मंत्री के पिता को गाली देने वाले की इधर गिरफ्तारी, उधर कांग्रेसी दिग्गज वकीलो की SC मे अर्जी, अर्जी लगते देर नहीं की CJI स्वयं सुनवाई को तत्पर और निर्णय कोर्ट में ट्रांजिट रिमांड को असम पुलिस के पहुंचने से पहले ही अंतरिम जमानत मंजूर। इसे कहते है झट पट न्याय। SC की जितनी तारीफ हो वह कम, काश हाई कोर्ट इलाहाबाद में हत्या के आजीवन कारावास के दोषियों की 25 साल पुरानी अपीलों पर सुनवाई करने वाला भी CJI जैसा कोई जज आ जाए जो मृतकों के पीड़ितों को भी न्याय दिला दे जिससे न्याय के लिए उनको पुनर्जन्म न लेना पड़े।

सुप्रीम कोर्ट आज भी कांग्रेस सरकार के प्रभाव एवं अहसानों से दब कर काम करता है मौजूदा सरकार तो CJI को कतई पसंद नहीं कोई कांग्रेसी नेता /वकील अगर सरकार को बर्खास्त करने की रिट लगा दे तो CJI सरकार को बिना किसी कानूनी तर्क के भी बर्खास्त करने की भी मनोदशा बना सकता है।


ये लुटेरे टिड्डी दल खेत खलियान, पशुओं को हानि पहुँचाते है- मंदिर तोड़ने में गर्वित महसूस करते है। मुग़लों तक आते आते ये पैटर्न भारत में आम हो चुका है- तालाबो में विष मिला दो, कुआँयो में मरे पशु डाल दो- गौधन का क़त्ल वाजिब दीनी प्रैक्टिस घोषित कर दो। मंदिरों को तोड़ उनका स्वरूप बदल दो। स्थानीय लोगो द्वारा बनायी इमारतो पर अपनी चिप्पी चिपका दो। पूरी दुनिया में यही पैटर्न है- स्पेन से लेके तुर्की से लेके भारत तक।

मेगस्थनीज़ ने अपनी भारत यात्रा के दौरान लिखा है- भारत में कोई भी आक्रांता कभी खेत फसल आदि को नुक़सान नहीं पहुँचाता- जलाशय आदि को दूषित नहीं करता। महिलाओं और आम जनता को हानि नहीं पहुँचाता। युद्ध होते है - जय पराजय होती है लेकिन ये जंघयय कुकर्म नहीं होते। ऐसा था भारतीय समाज। फिर कुछ सदियो बाद हरा आक्रमण होता है । भारतीय समाज का पाला अब ऐसे लुटेरों से है जो केवल लूटने नहीं आये- वो विध्वंस मचाने आये है। 

ये लुटेरे टिड्डी दल खेत खलियान, पशुओं को हानि पहुँचाते है- मंदिर तोड़ने में गर्वित महसूस करते  है। मुग़लों तक आते आते ये पैटर्न भारत में आम हो चुका है- तालाबो में विष मिला दो, कुआँयो में मरे पशु डाल दो- गौधन का क़त्ल वाजिब दीनी प्रैक्टिस घोषित कर दो। मंदिरों को तोड़ उनका स्वरूप बदल दो। स्थानीय लोगो द्वारा बनायी इमारतो पर अपनी चिप्पी चिपका दो। पूरी दुनिया में यही पैटर्न है- स्पेन से लेके तुर्की से लेके भारत तक।

कोई अचरज नहीं जब नसीरुद्दीन उर्फ़ खैरू मियाँ मुग़लों को लुटेरों का ओहदा नहीं देना चाहते। माइंडसेट कैसे बदलोगे?

और खैरु मियाँ- तुम जैसे पाँच पाँच रुपये देके सड़क किनारे दैहिक सुख प्राप्त करने वाले भांडों से कोई उम्मीद भी नहीं है।

नोट- नसीरुद्दीन शाह ने अपनी आत्मकथा में खुलासा किया है वो पाँच दस रुपये दे सड़क किनारे बंजारा औरतों से संबंध बनाया करता था।

फाइव रूपीस पीपल! 

अपने कर्म से ही बनते हैं स्वर्ग-नरक

🌳🦚आज की कहानी🦚🌳


💐💐अपने कर्म से ही बनते हैं स्वर्ग-नरक💐💐


एक वृद्धा की मृत्यु हो गई, यमदूत उसे लेने आए। औरत ने यमदूतों से पूछा कि वह उसे स्वर्ग में लेकर जाएंगे या नरक में। यमदूत बोले, दोनों स्थानों में से कहीं नहीं, तुमनें इस जन्म में बहुत ही अच्छे कर्म किए हैं, इसलिये तुम्हें प्रभु के धाम लेकर जाएंगे। वृद्धा खुश हो गई लेकिन यमदूतों से कहा उसने स्वर्ग-नरक के बारे में लोगों से बहुत सुना है। इसलिए वह इन दोनों स्थानों को भी देखना चाहती है। यमदूत बोले, आपके कर्म इतने अच्छे हैं कि हम आपकी यह इच्छा जरूर पूरी करेंगे। यमदूत वृद्धा को लेकर सबसे पहले नरक में पहुंचे, वहां वृद्धा को जोर-जोर से रोने की आवाज सुनाई दी। साथ ही वहां सभी लोग पतले दुबले और बीमार से दिख रहे थे।*

वृद्धा ने एक व्यक्ति से पूछा कि उन लोगों की ऐसी हालत क्यों है, वह बोला- मरने के बाद जबसे यहां आये हैं, उन लोगों ने एक दिन भी खाना नहीं खाया। वृद्धा की नज़र एक विशाल पतीले पर पड़ी जो करीब 300 फूट ऊंचा होगा। उसमें से बहुत ही शानदार खुशबु आ रही थी। वृद्धा ने उस आदमी से पतीले के बारे में पूछा तो उसने बताया कि इसमें बहुत ही स्वादिष्ट खीर है लेकिन वह इसे खा नहीं सकते, क्योंकि पतीला बहुत ही ऊंचा है। वृद्धा को उन पर काफी तरस आया और सोचने लगी कि ईश्वर ने शायद इन लोगों को यही सजा दी है।

इसके बाद यमदूत वृद्धा को स्वर्ग लोक लेकर पहुंचे, वहां काफी सुहावना मौसम था और लोग भी खुश दिख रहे थे। स्वर्ग लोक में भी वृद्धा की नजर ऐसे ही 300 फुट ऊंचे पतीले पर पड़ी। उसमें से भी बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। पता चला कि उसमें भी ऐसी ही स्वादिष्ट खीर है, जिसे लोग खाते हैं और हंसी खुशी रहते हैं।

वृद्धा ने लोगों से पूछा कि वे लोग इतने ऊंचे पतीले से खीर कैसे खा लेते हैं जबकि नरक में तो लोग भूख से बेहाल हैं। एक व्यक्ति बोला कि ईश्वर ने उन्हें इतने सारे पेड़-पौधे, नदी, झरने आदि दिए हैं। हम लोग इनका उपयोग करते हैं। पेड़ की लकड़ी से हम लोगों ने एक बहुत ही ऊंची सीढ़ी बनाई और आसानी से पतीले तक पहुंच गए। इसके बाद सभी मिल बांटकर खीर का आनंद लेते हैं और ईश्चर का गुणगान करते हैं।

वृद्धा उन दोनों यमदूतों की ओर देखने लगी, तो देखा दोनों मुस्करा रहे हैं। यमदूत वृद्धा से बोले कि ईश्वर ने स्वर्ग और नरक मनुष्यों के हाथों में ही सौंप रखा है, वे उसके हालात के स्वयं ही जिम्मेदार हैं। लोगों की समझ का फेर है, एक ओर लोगों ने मिलकर स्वर्ग बना लिया और दूसरी ओर वे नरक भोगने को मजबूर हैं। ईश्वर के लिए सभी एक समान हैं, वे भेदभाव नहीं करते। लोग अपने कर्म का फल भोगते हैं। नरक में रहने वाले लोग दूसरों की कमी निकालने और बुराई करने आदि में ही लगे रहते हैं जबकि स्वर्ग में सभी मेहनत करते हैं और खीर का स्वाद ले रहे हैं।

💐💐शिक्षा💐💐

ईश्वर का यही नियम है, जो कर्म करेगा, मेहनत करेगा, उसी को मीठा फल खाने को मिलेगा नहीं तो लगे रहो रोने-धोने में। स्वर्ग-नरक आपके अपने हाथ में हैं, मेहनत करें, अच्छे कर्म करें और अपने जीवन को स्वर्ग बनाएं।






राजू पाल अति दलित समुदाय से थे वह बहुजन समाज पार्टी के विधायक थे जब 14 साल पहले उनकी हत्या कर दी गई थी

राजू पाल अति दलित समुदाय से थे वह बहुजन समाज पार्टी के विधायक थे जब 14 साल पहले उनकी हत्या कर दी गई थी 

उनके हत्या के एकमात्र चश्मदीद गवाह उमेश पाल जो उनके चचेरे भाई हैं वह भी दलित समुदाय से थे उनकी कल हत्या कर दी गई और इस घटना में उमेश पाल का सरकारी गनर भी मारा गया 

राजू पाल और अतीक अहमद के खानदान से पुरानी दुश्मनी थी राजू पाल की हत्या के केस में अतीक अहमद जेल में बंद है लेकिन किसी भी दलित नेता ने इस जघन्य हत्याकांड पर चिंता नहीं जताया। आज योगी जी ने विधानसभा में खुलेआम कहा कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे, तो टोंटी दर्द से कराह उठा।

 मतलब दलित चिंतकों के अनुसार जब तक कोई मिश्रा, पांडे, सिंह, शर्मा अग्रवाल किसी दलित पर अत्याचार नहीं करेगा तब तक वह दलित पर अत्याचार नहीं माना जाएगा लेकिन यदि कोई मुस्लिम दलित की हत्या करें तो सब अपने कान में तेल डाल देते हैं। शुक्र है कि आज यूपी में योगी जी है वर्ना समाजवादी गुंडे यूपी का बंगाल, पंजाब से भी बुरा हाल कर देते।


एक सर्वे के मुताबिक भारत में सालभर में शादियों पर जितना खर्च हो रहा है, उतनी कई देशों की GDP भी नहीं है।

एक सर्वे के मुताबिक भारत में सालभर में शादियों पर जितना खर्च हो रहा है, उतनी कई देशों की GDP भी नहीं है।

सनातन में शादी एक संस्कार होती थी जो अब एक इवेंट बन कर रह गई हैं। पहले शादी समारोह मतलब दो लोगों को जुड़ने का एहसास कराते पवित्र विधि विधान, परस्पर दोनों पक्षों की पहचान कराते रीति- रिवाज, नेग भी मान सम्मान होते थे। 

पहले हल्दी और मेंहदी यह सब घर अंदर हो जाता था किसी को पता भी नहीं होता था। पहले जो शादियां मंडप में बिना तामझाम के होती थी, वह भी शादियां ही होती थी और तब दाम्पत्य जीवन इससे कहीं ज्यादा सुखी थे। परंतु समाज व सोशल मीडिया पर दिखावे का ऐसा भूत चढ़ा है कि किसी को यह भान ही नहीं है कि क्या करना है क्या नहीं ? 

यह एक दूसरे से ज्यादा आधुनिक और अमीर दिखाने के चक्कर में लोग हद से ज्यादा दिखावा करने लगे हैं। 

अड़तालिस किलो की बिटिया को पचास किलो का लहंगा भारी न लगता। माता पिता की अच्छी सीख की तुलना में कई किलो मेकअप हल्का लगता है। हर इवेंट पर घंटों का फोटो शूट थकान नहीं देता पर शादी की रस्म शुरू होते ही पंडित जी जल्दी करिए, कितना लम्बा पूजा पाठ है, कितनी थकान वाला सिस्टम है" कहते हुए शर्म भी न आती।

वाक़ई, अब की शादियाँ हैरान कर देने वाली हैं। मज़े की बात ये है कि ये एक सामाजिक बाध्यता बनती जा रही है। उत्तर भारत में शादियों में फ़िज़ूल खर्ची धीरे धीरे चरम पर पहुँच रही है। 

पहले मंडप में शादी, वरमाला सब हो जाता था। फिर अलग से स्टेज का खर्च बढ़ा, अब हल्दी और मेहंदी में भी स्टेज, खर्च बढ़ गया है। प्री वेडिंग फोटोशूट, डेस्टिनेशन वेडिंग, रिसेप्शन, अब तो सगाई का भी एक भव्य स्टेज तैयार होने लगा है। टीवी सीरियल देख देख कर सब शौक चढ़े है। पहले बच्चे हल्दी में पुराने कपड़े पहन कर बैठ जाते थे अब तो हल्दी के कपड़े पांच दस हजार के आते है।

प्री वेडिंग शूट, फर्स्ट कॉपी डिजाइनर लहंगा, हल्दी/मेहंदी के लिए थीम पार्टी, लेडिज संगीत पार्टी, बैचलर'स पार्टी, ये सब तो लडकी वाला नाक उँची करने के लिये करवाता है। यदि लड़की का पिता खर्च मे कमी करता है तो उसकी बेटी कहती है कि शादी एक बार ही होगी और यही हाल लड़के वालो का भी है।

मजे की बात यह है कि स्वयं बेटा-बेटी ही इतना फिल्मी तामझाम चाहते हैं, चाहे वो बात प्री-वेडिंग शूट की हो या महिला संगीत की, कहीं कोई नियंत्रण नहीं है। लडक़ी का भविष्य सुरक्षित करने के बजाय पैसा पानी की तरह बहाते हैं। अब तो लड़का लड़की खुद माँ बाप से खर्च करवाते हैं।

शादियों में लड़के वालों का भी लगभग उतना ही खर्चा हो रहा है जितना लड़की वालों का। अब नियंत्रण की आवश्यकता जितना लड़की वाले को है, उतना ही लड़के वाले को भी है। दोनों ही अपनी दिखावे की नाक ऊंची रखने के लिए कर्जा लेकर घी पी रहे हैं।

कभी ये सब अमीरों, रईसों के चोंचले होते थे लेकिन देखा देखी अब मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास वाले भी इसे फॉलो करने लगे है। रिश्तों में मिठास खत्म ये सब नौटंकी शुरू हो गई। एक मज़बूत के चक्कर में दूसरा कमजोर भी फंसता जा रहा है। 

कुछ वर्षों पहले ही शादी के बाद औकात से भव्य रिसेप्शन का क्रेज तेजी से बढ़ा। धीरे-धीरे एक दूसरे से बड़ा दिखने की होड़ एक सामाजिक बाध्यता बनती जा रही है। इन सबमें मध्यम वर्ग परिवार मुसीबत में फंस रहे हैं कि कहीं अगर ऐसा नहीं किया तो समाज में उपहास का पात्र ना बन जायें। सोशल मीडिया और शादी का व्यापार करने वाली कंपनिया इसमें मुख्य भूमिका निभा रहीं हैं। ऐसा नहीं किया तो लोग क्या कहेंगे / सोचेंगे का डर ही ये सब करवा रहा है।

कोई नही पूछता उस पिता या भाई से जो जीवनभर जी तोड़ मेहनत करके कमाता है ताकि परिवार खुश रह सकें। वो ये सब फिजूलखर्ची भी इसी भय से करता है कि कोई उसे बुढ़ापे में ये ना कहे के आपने हमारे लिए किया क्या। 

दिखावे में बर्बाद होते समाज को इसमें कमी लाने की महती आवश्यकता है वरना अनर्गल पैसों का बोझ बढ़ते बढ़ते वैदिक वैवाहिक संस्कारों को समाप्त कर देगा।


कभी-कभी विचार आता है कि 1500 ई. के बाद के ब्रिटिश कितनेसाहसी और बुद्धिमान रहे होंगे, जिन्होंने एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर, अनजान रास्ते और अनजान जगहों पर जाकर लोगों को गुलाम बनाया.

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  बहुत सटीक व तार्किक विश्लेषण

     कभी-कभी विचार आता है कि 
  1500 ई. के बाद के ब्रिटिश कितने
साहसी और बुद्धिमान रहे होंगे, जिन्होंने 
     एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर, 
अनजान रास्ते और अनजान जगहों पर 
        जाकर लोगों को गुलाम बनाया.

        अभी भी देखा जाए तो 
    ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल 
    गुजरात के बराबर है, लेकिन उन्होंने 
        दशकों नहीं शताब्दियों तक
       दुनिया को गुलाम बनाए रखा.

   भारत की करोड़ों की जनसंख्या को
    मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने 
     गुलाम बनाकर रखा, और केवल 
       गुलाम ही नहीं बनाया बल्कि 
     खूब हत्यायें और लूटपाट भी की.

        उनको अपनी कौम पर
            कितना गर्व होगा 
             कि मुठ्ठी भर लोग
      दुनिया को नाच नचाते रहे.

    भारत के एक जिले में शायद ही 
   50 से ज्यादा अंग्रेज रहे होंगे लेकिन
  लाखों लोगों के बीच, अपनी धरती से 
     हजारों मील दूर आकर, अपने से 
   संख्या में कई गुना अधिक लोगों को
      इस तरह गुलाम रखने के लिए 
          अद्भुत साहस रहा होगा.

      अगर इतिहास देखते हैं तो 
             पता चलता है 
          कि उनके पास हम पर 
 अत्याचार करने के लिए लोग भी नहीं थे 
  तो उन्होंने हम में से ही कुछ लोगों को 
               भर्ती किया था, 
     हम पर अत्याचार करने के लिए, 
             हमें लूटने के लिए.
🤔
    सोचकर ही अजीब लगता है कि 
   हम लोग अंग्रेजों के सैनिक बन कर, 
  अपने ही लोगों पर अत्याचार करते थे.
     चंद्रशेखर, बिस्मिल जैसे मात्र कुछ 
         गिनती के लोग थे, जिन्हें 
              हमारा ही समाज 
           हेय दृष्टि से देखता था.

         आज वही नपुंसक समाज 
       उन चंद लोगों के नाम के पीछे 
अपना कायरतापूर्ण इतिहास छुपाकर 
           झूठा दम्भ भरता है.
  *अरब के रेगिस्तान से कुछ भूखे*
     *जाहिल, आततायी लोग आए,*
  *और उन्होंने भी हमको लूटा, मारा,*
       *बलात्कार किया. और हम*
            *वहाँ भी नाकाम रहे.*

        उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े, 
  हमारी स्त्रियों से बलात्कार किये, लेकिन 
            हमने क्या किया ?
    वो दिन में विवाह में लूटपाट करते हैं, 
◆ तो रात को चुपचाप विवाह करने लगे, 
    जवान लड़कियों को उठा ले जाते हैं,
◆ तो बचपन में ही शादी करने लगे और 
        अगर उसमें ही असुरक्षा हो, तो 
◆    बेटी पैदा होते ही मारते रहे.
      बुरा लगता तो ठीक है, लेकिन 
       ★ यही हमारी सच्चाई है. ★

   *हमने 1000 सालों की दुर्दशा से*
           *कुछ नहीं सीखा.*

          आज एक जनसँख्या
      उन्हीं अरबी अत्याचारियों को 
       अपना पूर्वज मानने लगी है.

          कुछ उन ईसाइयों को
      अपना पूर्वज मानने लगी है,  
   यानि हम स्वाभिमानहीन लोग हैं,
       स्वतंत्रता मिलने पर भी 
      हम मानसिक गुलाम ही रहे.

     दूसरी तरफ हमारी व्यवस्थाएं भी 
      सड़ी हुई हैं , जिन्होंने इन सभी 
          नाकामियों का कभी
         मंथन ही नहीं किया.
   हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे 
     और हम जब एक युद्धकाल से 
               गुजर रहे थे, 
     हमारी बहुसंख्यक जनसँख्या
       इस मानसिकता में थी कि
    *"कोउ नृप हो हमें का हानि"* 

       मतलब उनको युद्ध से, 
          राज्य से, राजा से 
         कोई मतलब नहीं था.
     ये सब बस क्षत्रिय के काम थे.
       उनको करना है तो करें, 
        नहीं करना तो नहीं करें.

यही कारण था कि मुस्लिम आक्रमण से 
  राजस्थान क्षेत्र छोड़कर समस्त भारत
     धराशाही हो गया था, क्योंकि
     राजस्थान में क्षत्रिय जनसँख्या 
अधिक थी तो संघर्ष करने में सफल रहे.
        ऐसे ही कुछ क्षेत्र और थे 
          जो इसमें सफल हुए.

  आज इजरायल बुरी तरह शत्रुओं से 
     घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है , 
  क्योंकि .. वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति की 
देश और धर्म की सुरक्षा की जिम्मेदारी है 
        लेकिन हमने ये कार्य केवल
   क्षत्रियों पर छोड़ दिया था, जबकि
      फ़ौज में भी युद्ध के समय 
  माली, नाई, पेंटर, रसोइया आदि 
 सभी लड़ाका बनकर तैयार रहते हैं.

     लेकिन हमने युद्धकाल में भी 
   परिस्थितियों को नहीं समझा और 
      अपनी योजनायें नहीं बनाई 
        अपनी व्यवस्थाएँ नहीं बदली.
 *डॉ. अम्बेडकर जी* का वह कथन
    सोचने पर मजबूर का देता है कि
  *यदि समाज के एक बड़े वर्ग को*
  *युद्ध से दूर नहीं किया गया होता*
 *तो भारत कभी गुलाम नहीं बनता.*

      जरा विचार करके देखिए कि
    मुस्लिमों एवं अंग्रेजों से जिस तरह
   क्षत्रिय लड़े,  अगर पूरा हिन्दू समाज
    क्षत्रिय बनकर, लड़ा होता तो क्या
     हम कभी गुलाम हो सकते थे ?
           सामान्य परिस्थिति में 
         समाज को चलाने के लिए 
     उसको वर्गीकृत किया ही जाता है ,
 लेकिन 
  विपत्तिकाल में नीतियों में परिवर्तन भी 
     किया जाता है, लेकिन हम इसमें 
   पूरी तरह नाकाम लोग हैं. इसलिए 
        1000 सालों से दुर्भाग्य 
           हमारे पीछे पड़ा है.

   अटल जी एक भाषण में कहते हैं कि 
       एक युद्ध जीतने के बाद जब 
          1000 अंग्रेजी सैनिकों ने 
        विजय-जुलूस निकाला था, तो 
   सड़क के दोनों तरफ 20000 लोग 
               देखने आए थे.

        अगर ये 20000 लोग 
      पत्थर-डण्डे से भी मारते, तो 
  1000 सैनिकों को भागते भी नहीं बनता, 
         लेकिन ये 20 हजार लोग 
        केवल युद्व के मूक दर्शक थे.

    आज भी कुछ खास नहींं बदला है.
        मुगलों और अंग्रेजों का स्थान
   एक खास dynasty ने ले लिया और 
     वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में 
       खतरनाक गद्दारों की फौज भी 
                पैदा हो गई.

       लेकिन सबसे बड़ी विडंबना
   यह है कि हम आज भी बंटे हुए हैं.
          100 करोड़ होकर भी 
              मूक दर्शक बने हुए हैं.

           भले ही कुछ लोग 
         कुछ जागृति पैदा करने में 
             सफल हुए हों, 
           पर बिना संपूर्ण जागृति 
            इस देश के दुर्भाग्य का 
                      अंत नहींं होगा.

           सही है कि हम ...
    इतिहास से सीखने वाले नहीं हैं,
  चाहे खुद इतिहास बनकर रह जाएं.

           विचारणीय लेख  ✍️,।        सत्यप्रकाश तिवारी सत्ते