*आदरणीय प्रकृति एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमियों, नेचुरोपैथी लवर्स,*
*सप्रेम वंदे*
*कभी कभी सभी को एक छोटे से ब्रेक की जरूरत पड़ती है और वो 26/2/2023 से शुरू हो चुका है क्योंकि मानसिक रूप से त्योहार का माहौल बन चुका है।*
*इसलिये 26 फरबरी से 12 मार्च तक होली के पखवाड़े में मैं सिर्फ अपनी निःशुल्क सलाह दूंगा।*
*मेरे अपने बनाये हुये प्रोडक्ट्स 26 फरबरी से पहले और 12 मार्च के बाद ही उपलब्ध हों पायेंगे।*
*तक मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि आप सपरिवार दीर्घकालिक स्वस्थ एवं निरोगी रहें।*
🙏🏻
*धरती का अमृत, नोनी*
नोनी एक चमत्कारी फल हैं जो लाइलाज एड्स और कैंसर तक को जड़ से खत्म करने में है कारगर !
*NONI मतलब*
*N 👉🏻No*
*O 👉🏻Operation*
*N 👉🏻No*
*I 👉Injection*
या फिर
*NONI का उल्टा IN>>ON*
*मतलब जब NONI, IN होगी तब उसका काम ON हो जाएगा।*
*नोनी फल क्या है?*
इस फल का वैज्ञानिक नाम मोरिन्डा सिट्रीफोलिया है। नोनी फल में 150 से अधिक पोषक तत्व होते हैं।
यह फल आलू के आकार की तरह होता है।
इसका रंग हरा, पीला और सफेद हो सकता है। नोनी फल में एंजाइम की मात्रा चालीस गुना रहती है।
वैज्ञानिकों ने कई साल तक किए शोध के आधार पर नोनी फल के गुणों के बारे में बताया है। इस फल में जेरोनाइन होता है जो शरीर के छिद्रों के आकार को बढ़ाता है।
ये फल एंटी-वायरल, एंटी-ट्यूमर,
एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एडाप्टोजेन है जो हमारे शरीर के मेटाबोलिक सिस्टम, खून का संचार और बालों के विकास में सहायक होता है।
यह फल इंसान की उम्र को 100 साल तक की दीर्घायु प्रदान करने में मदद करता है।
*नोनी फल के अद्भुत फायदे...*
👉नोनी फल के सेवन से अनेकों बीमारियों से बचा जा सकता है।
👉एक्जीमा, मुंहासों और सोरियासिस को ठीक करने में मदद करता है।
👉जोड़ों के दर्द को ठीक करता है। शरीर की एवं मांसपेशियों की अकड़न को दूर करने में मदद करता है।
👉माइग्रेन और हाई ब्लडप्रेशर की समस्या को ठीक करता है क्योंकि इसका चरित्र एडाप्टोजेन का है जिसमे हाई और लो दोनों ही बैलेंस हो जाते हैं।
👉यदि आप मधुमेह से परेशान हैं तो नोनी फल का सेवन करें। ये फल ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करता है।
👉बालों की हर तरह की समस्या जैसे गंजापन और रूखापन दूर करता है ये फल। दस्त और कब्ज की समस्या को दूर करता है। ये फल।
👉सांस से संबंधित रोग जैसे अस्थमा जैसी भयंकर बीमारियों को भी ठीक करने में मदद करता है। माइग्रेन जैसी गंभीर समस्या को खत्म करने में मदद करता है नोनी का फल।
👉महिलाओं में माहवारी, लुकोरिया, बांझपन जैसी समस्या को ठीक करने में मदद करता है ये फल।
👉🏼नोनी में मौजूद डैमनाकेन्थाल एंज़ाइम कैंसर सेल की ग्रोथ को तुरन्त रोकने में मदद करता है।
👉🏼नोनी में मौजूद कॉक्स एंज़ाइम शरीर के किसी भी प्रकार के दर्द को रोकने या ठीक या शरीर को दर्द मुक्त करने में मदद करता है।
👉🏼नोनी विश्व का सर्वश्रेष्ठ एन्टी ऑक्सीडेंट फल है।
👉नोनी फल के फायदों के बारे में अभी तक जितनी भी जानकारी हमारे वैज्ञानिकों से मिली है वह हमारी सेहत को लंबे समय तक स्वस्थ और निरोगी रखने में मदद करती है।
👉🏼नोनी फल के ऊपर अभी भी रिसर्च भारत की इलाहाबाद और मद्रास यूनिवर्सिटी कर रही हैं, इससे होने वाले अन्य फायदों को जानने के लिये।
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हमारी बनाया हुई नोनी जूस, अनेकों ब्रांड्स में श्रेष्ठ माना जा सकता है क्योंकि...
हमारे नोनी जूस के 10ml में आपको मिलता है...
2000mg नोनी
300mg अश्वगंधा
100mg गरसेनिया कम्बोजिया
इतने फायदे की चीज के बारे में अधिक जानने के लिए कभी भी...
*व्हीटग्रास जूस जिसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं, जानिये इसके अद्भुत फायदे -*
गेंहू के आटे से बनी रोटियां तो आपने बहुत खाई होंगी लेकिन अब वक्त है इस गेंहू को एक और तरीके से अपनी डाइट में शामिल करने का और वह है जूस के फॉर्म में। जी हां, हम गेंहू के जूस की नहीं बल्कि गेंहू की दूब या गेंहू के जवारे जिसे व्हीटग्रास कहते हैं उसके जूस की बात कर रहे हैं। जूस बार से लेकर हेल्थ फूड स्टोर्स तक व्हीटग्रास प्राकृतिक स्वास्थ्य की दुनिया में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है।
ट्रिटिकम ऐस्टिवम नाम के कॉमन गेंहू के पौधे की ताजी पत्तियों से व्हीटग्रास तैयार की जाती है। इसे घर पर भी आसानी से उगाया और तैयार किया जा सकता है, या फिर आप चाहें तो व्हीटग्रास का जूस, पाउडर या सप्लिमेंट भी मार्केट से खरीद सकते हैं। आश्चर्यजनक लाभों से भरपूर व्हीटग्रास बेहद शक्तिशाली हेल्थ फूड है।
फ्रेश व्हीटग्रास जूस या आर्गेनिक व्हीटग्रास पाउडर को लिविंग फूड या जीवित भोजन के रूप में माना जाता।
हेल्थ एक्सपर्ट्स लंबे समय से व्हीटग्रास के अनगिनत लाभ के बारे में बताते आ रहे हैं।
व्हीटग्रास जूस को आप रोजाना हेल्थ टॉनिक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद मिल सकती है। व्हीटग्रास वास्तव में कितना प्रभावशाली है। इसे निर्धारित करने के लिए तो और अधिक शोध की आवश्यकता है, लेकिन व्हीटग्रास क्षमता से भरपूर और फायदेमंद है इसमें कोई शक नहीं है।
कुछ एक्सपर्ट्स का दावा है कि व्हीटग्रास का जूस इम्यून फंक्शन को बेहतर बनाने के साथ ही लिवर की सफाई करने में भी मददगार साबित हो सकता है।
इस आर्टिकल में हम आपको व्हीटग्रास जूस पीने के फायदों के बारे में और क्या इसके कुछ नुकसान या साइड इफेक्टस भी हो सकते हैं, इस बारे में बता रहे हैं।
*व्हीटग्रास जूस के संक्षिप्त फायदे -*
एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज से भरपूर व्हीटग्रास विटामिन्स और पोषक तत्वों के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
*रोजाना व्हीटग्रास जूस पीने के क्या फायदे हैं, जानिये...*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए -*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए -*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए -*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे इन्फ्लेमेशन कम करने के लिए -*
*वजन कम करने के लिए व्हीटग्रास जूस के फायदे -*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड प्रेशर कम करने के लिए -*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे शरीर को डीटॉक्स करने के लिए -*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए -*
शरीर में कई प्रकार के हार्मोन का निर्माण करने और पित्त का उत्पादन करने के लिए हमें कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है लेकिन अगर आपके खून में हाई कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाए तो यह खून के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और आपको हृदय रोग होने के खतरे को बढ़ा सकता है।
इस बारे में चूहों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि व्हीटग्रास जूस न केवल टोटल कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है बल्कि एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करने में मदद करता है। व्हीटग्रास जूस का प्रभाव शरीर में एटोरवास्टेटिन के समान था, यह एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है जिसे आमतौर पर हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
*व्हीटग्रास जूस के फायदे-*
*व्हीटग्रास जूस के फायदे कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए -*
व्हीटग्रास जूस में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है और इसलिए कुछ टेस्ट-ट्यूब अध्ययनों में पाया गया है कि व्हीटग्रास कैंसर कोशिकाओं को मारने में मदद कर सकता है।
एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन के अनुसार, व्हीटग्रास का जूस मुंह के कैंसर कोशिकाओं के प्रसार में 41% की कमी कर सकता है। इसके अलावा कुछ रिसर्च में यह बात भी सामने आयी है कि व्हीटग्रास जूस को जब पारंपरिक कैंसर ट्रीटमेंट के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है तो इलाज के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, अभी भी मनुष्यों में व्हीटग्रास जूस के कैंसर-रोधी प्रभाव के कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। लोगों में कैंसर के विकास को व्हीटग्रास का जूस कैसे प्रभावित करता है इसे समझने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए -*
अगर शरीर में लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर की समस्या बनी रहे तो इससे तंत्रिका या नर्व्स को नुकसान पहुंच सकता है, स्किन इंफेक्शन हो सकता है और दृष्टि संबंधी गंभीर समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। कुछ जानवरों पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि व्हीटग्रास का जूस ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। एक दूसरे अध्ययन में, डायबिटीज से पीड़ित चूहों को व्हीटग्रास का जूस देने से कुछ एंजाइमों का लेवल संशोधित हो गया जिससे ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद मिली।
*व्हीटग्रास जूस के फायदे इन्फ्लेमेशन कम करने के लिए -*
किसी तरह की चोट या संक्रमण के खिलाफ शरीर की सुरक्षा करने के लिए इम्यून सिस्टम के द्वारा जो सामान्य प्रतिक्रिया दी जाती है वह आंतरिक सूजन या इन्फ्लेमेशन के रूप में जाना जाता है। हालांकि, अगर इन्फ्लेमेशन की यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो कैंसर, हृदय रोग और ऑटोइम्यून बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इस बारे में हुए कई शोध से पता चलता है कि व्हीटग्रास का जूस और इसमें मौजूद घटक इन्फ्लेमेशन या सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
23 लोगों पर की गई एक छोटी स्टडी में यह बात सामने आयी कि रोजाना करीब 100 एमएल व्हीटग्रास जूस करीब 1 महीने तक लगातार पीने से अल्सरेटिव कोलाइटिस के मरीजों में बीमारी की गंभीरता में भी कमी आयी और गुदा से रक्तस्त्राव की समस्या भी कम हो गई।
*वजन कम करने के लिए व्हीटग्रास जूस के फायदे -*
बड़ी संख्या में लोगों ने अपना वजन घटाने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एक त्वरित और सुविधाजनक तरीके के रूप में व्हीटग्रास जूस को अपनी डाइट में शामिल करना शुरू कर दिया है। दरअसल, व्हीटग्रास में थाइलाकॉयड्स पाया जाता है और कई अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि अगर थाइलाकॉयड्स को सप्लिमेंट्स के साथ लिया जाए तो इससे न सिर्फ व्यक्ति की भूख में संतुष्टि मिलती है बल्कि वजन घटाने में भी मदद मिलती है।
एक अध्ययन में पाया गया कि उच्च वसा वाले आहार पर चूहों को थायलाकॉयड्स देने से भोजन की मात्रा और शरीर का वजन कम करने में मदद मिली, नियंत्रित समूह की तुलना में।
व्हीटग्रास जूस में कैलोरीज की मात्रा बेहद कम होती है और इसमें फैट भी नहीं होता है इसलिए यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है जिससे वजन घटाना आसान होता है। लिहाजा अगर आप भी वेट लॉस करना चाहते हैं तो व्हीटग्रास जूस पीना शुरू कर दें।
*व्हीटग्रास जूस के फायदे ब्लड प्रेशर कम करने के लिए -*
आप रोजाना व्हीटग्रास जूस का सेवन करके अपने ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं। व्हीटग्रास में पाया जाने वाला क्लोरोफिल मॉलिक्यूल (अणु) खून में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन के समान होता है और ब्लड सेल काउंट को बढ़ाता है। यह ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं, व्हीटग्रास का जूस खून को साफ करने और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के लिए भी जाना जाता है।
*व्हीटग्रास जूस के फायदे शरीर को डीटॉक्स करने के लिए -*
जैसा की हमने आपको पहले ही बताया कि व्हीटग्रास जूस में क्लोरोफिल पाया जाता है जो हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों या टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।
लिक्विड क्लोरोफिल में ऊत्तकों के अंदर जाने की क्षमता अधिक होती है, जहां यह वास्तव में उन्हें साफ करने के साथ ही नवीनीकृत भी कर सकता है। क्लोरोफिल लिवर की सफाई करने और उसे शुद्ध करने में भी मदद करता है। आप अपने लिवर की सेहत में सुधार के लिए व्हीटग्रास जूस का सेवन कर सकते हैं।
*अगर व्हीटग्रास को घर में ही ऊगा रहे हैं तो कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, उसके लिये सावधानी भी बरतनी चाहिए पड़ेगी -*
वैसे तो व्हीटग्रास औषधीय गुणों से भरपूर है और इसका जूस सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है, बावजूद इसके जूस का सेवन करने से पहले आपको कुछ बातें पता होनी चाहिए वरना आपको साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है।
व्हीटग्रास को आमतौर पर सीलिएक रोग या ग्लूटेन की संवेदनशीलता से पीड़ित लोगों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है क्योंकि गेहूं के दाने के सिर्फ बीज में ग्लूटेन होता है, गेंहू की घास यानी व्हीटग्रास में नहीं। हालांकि, अगर आपको ग्लूटेन के प्रति संवेदनशीलता की समस्या है, तो व्हीटग्रास का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें। (और अलग से पढ़ें- ग्लूटेन फ्री डाइट के फायदे नुकसान)
*व्हीटग्रास में कीड़े या फफूंदी लगने का भी खतरा बहुत अधिक होता है।*
*इसलिए यदि आप घर में ही व्हीटग्रास को उगा रहे हैं तो पौधे में मोल्ड्स या फफूंद की मौजूदगी का ध्यान रखें।*
*अगर व्हीटग्रास जूस का स्वाद कड़वा लगे या इसमें किसी तरह की खराबी के संकेत नजर आएं तो इसे तुरंत फेंक दें।*
*एलमेंट रिफ्लेक्शन*
व्हीटग्रास जूस पीने के बाद कुछ लोगों में जी मिचलाना और उल्टी आना, सिरदर्द या डायरिया जैसे लक्षण नजर आते हैं।
अगर आपको भी इस तरह के लक्षणों का या फिर किसी और तरह का नकारात्मक असर दिखे तो आपको व्हीटग्रास जूस का सेवन करना बंद कर देना चाहिए या फिर जूस पीने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
*अगर आप गर्भवती हैं या बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं तब भी आपको व्हीटग्रास जूस का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों में ऐलर्जिक रिऐक्शन्स देखने को मिल सकते हैं।*
*व्हीटग्रास जूस पीने का सही समय -*
व्हीटग्रास जूस एक लोकप्रिय हेल्थ ड्रिंक है जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है लेकिन सिर्फ तब जब आप व्हीटग्रास का फ्रेश जूस पिएं और वह भी सुबह खाली पेट नहीं तो आप मार्किट में उपलब्ध ऑर्गेनिक व्हीटग्रास पाउडर को लेकर उसका फ्रेश लिक्विड बना सकते हैं।
इस जूस का सेवन करने के 30 मिनट बाद ही आप अपना ब्रेकफास्ट कर सकते हैं।
इसके अलावा व्हीटग्रास एक्स्ट्रैक्ट या अर्क को खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में, स्वादिष्ट बनाने वाले घटक के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
जब आप पहली बार व्हीटग्रास जूस पीना शुरू करें तो छोटी डोज या खुराक के साथ शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे अनुशंसित खुराक को पूरा करने के लिए जूस के सेवन को बढ़ाएं।
ऐसा करने से शरीर को व्हीटग्रास जूस को पचाने में मदद मिलेगी।
व्हीटग्रास जूस की उपयुक्त खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि इसे पीने वाले की आयु, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितिय
*मानो या न मानो पर शुगर या डायबिटीज, रोग कम और षड्यंत्र ज्यादा है..!*
*जानिये शुगर या डायबिटीज अनजाना, अनकहा, डरावना सच..!*
*आजकल शुगर के रोगी इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि हर गली, हर मोहल्ले और हर घर में आपको कम से कम एक रोगी तो जरुर मिल ही जाता है।*
*लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि रोज नित नई तकनीक और दवाओं पर हो रहे रिसर्च के बावजूद शुगर रूपी यह राक्षसी रोग बढ़ता ही क्यों जा रहा है...??*
*आज का हमारा यह विशेष लेख इसी बात के ऊपर आधारित है।*
*आज हम इस लेख के द्वारा हमारे सभी मित्रो को तथाकथित नामी गिरामी डॉक्टरों और बड़ी बड़ी दवा कंपनियों के षड्यंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।*
*आप से अनुरोध है कि इस पोस्ट को थोडा ध्यान से पढ़े और पढ़ने के बाद इसे शेयर करके ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इस जानकारी को पहुचायें, ये जानते हुए कि हम आम आदमी कुछ भी नहीं कर सकते।*
*आइये अब हम मेन मुद्दे पर आते हैं..!*
*मित्रो क्या आप जानते हैं कि.?*
*1997 से पहले फास्टिंग सुगर या डायबिटीज की लिमिट 140 थी।*
*फिर दवा कंपनियों ने डॉक्टरों के साथ मिलकर फास्टिंग सुगर की लिमिट 126 कर दी।*
*इससे दुनियाभर की पॉपुलेशन या जनसंख्या में अचानक 14% डायबिटीज रोग से पीड़ित लोग बढ़ गए।*
*उसके बाद 2003 में मेडिकल एसोसिएशन या शक्तिशाली USFDA ने फिर से फास्टिंग सुगर की लिमिट कम करके 100 कर दी।*
*यानि फिर से कुल जनसंख्या के करीबन 70% लोग डायबिटिक माने जाने लगे।*
*डॉक्टर से पूछने पर उनका तर्क होता है कि लोगो का खान पान बदला है।*
*ये बात कुछ हद तक सच है लेकिन इतना भी नही बदला कि इतनी ज्यादा संख्या में लोग इसके मरीज हो जायें।*
*गावों के लोग तो आज भी लगभग वही पुरानी जीवन शैली अपनाकर जी रहें हैं फिर भी शहरों से ज्यादा गावों में शुगर के मरीज हैं। क्यों.?*
दरअसल डायबिटीज रेशियो या लिमिट को तय करने वाली कुछ फार्मास्यूटिकल कंपनियां थीं, जों अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए यह सब कर रही थीं।
इतना ही नही इन मानवभक्षी कंपनियों ने सिर्फ इतना ही नहीं किया अपितु इन्होंने अपने प्रयोगशालाओं में बनने वाले उपकरणों की सेन्स्टिविटी को इतना अधिक सेट कर रखा है कि जब तक रोगी लास्ट स्टेज पर ना पहुंचे तब तक इनकी रिपोर्ट में सब कुछ नार्मल ही रहता है क्योंकि यदि रोगी को पता चल गया कि उसे 20% सुगर है या 20% हार्ट ब्लोकेज है तो वह रसोईघर में रखी औषधियों से स्वयं को ठीक हो सकता है।
लेकिन क्या आपको पता है कि हकीकत में डायबिटीज कैसे काउंट करनी चाहिए ?
*कैसे पता चलेगा कि आप डायबिटिक हैं या नहीं ?*
पुराने जमाने के इलाज़ के हिसाब से डायबिटीज काउंट करने का एक सरल उपाय है।
*आप की उम्र + 100..*
*जी हाँ यही एक सच्चाई है.!*
*अगर आपकी उम्र 65 है तो आपका शुगर लेवल भोजन के बाद 165 होना चाहिए।*
*अगर आपकी उम्र 75 है तो आपकी भोजन के बाद सामान्य शुगर लेवल 175 होना चाहिए।*
*यदि ऐसा है तो आपको घबराने की विल्कुल जरूरत नहीं है, आपकी शुगर सामान्य है।*
*यह होता है उम्र के हिसाब से जैसे – जिसकी उम्र 80 वर्ष है उनकी भोजन के बाद सामान्य शुगर 180 होगी।*
उसके साथ साथ एक यह भी सच है कि, अगर आपका पाचन तंत्र अच्छा है तो आपको कोई टेंशन लेने की जरूरत नहीं है।
आप अच्छा खाना खाते हो और आप जंक फ़ूड, मसालेदार, तला हुआ खाना नहीं खाते।
आप प्रतिदिन योग या प्राणायाम करते हैं और आपका वजन आपकी लंबाई के अनुरूप लगभग बराबर है, तो आपको शुगर नहीं हो सकती है...
यह एक पूर्ण सत्य है।
बस टेंशन न लें, अच्छा खाना खाएं और योग करते रहें.!
*निवेदन:*
इस विषय पर किसी से बहस करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अंग्रेज और उनके गुलाम हमारी भारतीयता को नकारते हैं और इन सबको नहीं मानते हैं।
फिर भी अगर कोई परेशानी हो तो मुझसे निःसंकोच सम्पर्क करें।
*हर्निया से देसी नुस्खों की वजह से मुक्ति कैसे पायें..??*
*आजमाइये ये देसी अनुभूत प्राकृतिक नुस्खे...*
*मुलैठी (Licorice)*
● कफ, खांसी में मुलैठी तो रामबाण की तरह काम करता है और आजमाय हुआ भी है।
● हर्निया के इलाज में भी अब यह कारगर साबित होने लगा है, खासकर पेट में जब हर्निया निकलने के बाद रेखाएं पड़ जाती है तब इसे आजमाएं।
*अदरक (Ginger)*
● अदरक की जड़ पेट में गैस्ट्रिक एसिड और बाइल जूस से हुए नुकसान से सुरक्षा करता है।
● यह हर्निया से हुए दर्द में भी काम करता है।
*बबूने का फूल (Chamomile)*
● पेट में हर्निया आने से एसिडिटी और गैस काफी बनने लगती है।
● इस स्थिति मेंम बबूने के फूल के सेवन से काफी आराम मिलता है।
● यह पाचन तंत्र को ठीक करता है और एसिड बनने की प्रक्रिया को कम करता है।
*मार्श मैलो (Marshmallow)*
● यह एक जंगली औषधि है जो काफी मीठी होती है।
● इसके जड़ के काफी औषधीय गुण हैं।
● यह पाचन को ठीक करता है और पेट-आंत में एसिड बनने की प्रक्रिया को कम करता है।
● हर्निया में भी यह काफी आराम पहुंचाता है।
*हावथोर्निया (Hawthornia)*
● यह एक हर्बल सप्लीमेंट है जो पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और पेट के अंदर के अंगों की सुरक्षा करती है।
● यह हर्निया को निकलने से रोकने में काफी कारगर है।
● हावथोर्निया में Citrus Seed, Hawthorn और Fennel मिली होती है।
*एक्यूपंक्चर (Acupuncture)*
● हर्निया के दर्द में एक्यूपंक्चर काफी आराम पहुंचाता है।
● खास नर्व पर दबाव से हर्निया का दर्द कम होता है।
*बर्फ (Ice)*
● बर्फ से हर्निया वाले जगह दबाने पर काफी आराम मिलता है और सूजन भी कम होती है।
● यह सबसे ज्यादा प्रचलन में है।
*हर्निया में इन चीजों को न करें..!!*
*Don’ts in Hernia...*
● प्रभावित जगह को कभी भी गर्म कपड़े या किसी भी गर्म पदार्थ से सेंक नहीं दें।
● हर्निया में कसरत करने से परहेज करें।
● हर्निया में ज्यादा तंग और टाइट कपड़ें नहीं पहनें।
● बेड पर अपने तकिए को 6 इंच उपर रखें, ताकि पेट में सोते समय एसिड और गैस नहीं बन पाए।
● एक ही बार ज्यादा मत खाएं, थोड़ी-थोड़ी देर पर हल्का भोजन लें।
*घरेलू उपचार*
1. यदि आगे बढ़ी आंत को आराम से पीछे धकेलकर अपने स्थान पर पहुंचा दिया जाए तो उसे उसी स्थिति में रखने के लिए कसकर बांध दिया जाता है। यह विधि कारगर न हो सके तो ऑपरेशन करना पड़ता है।
2. हर्निया के रोगी के लिए आवश्यक है कि वह कब्ज न होने दे वर्ना मल त्यागते समय उसे जोर लगाने की ज़रूरत पड़ेगा।
*बीमारी देने वाला खाना और...*
*परंपरागत भोजन में सेहत का खजाना..*
*जिस बात को हमारे बड़े-बूढ़े लोग अक्सर दोहराते थे कि घर के खाने में सेहत की बरकत होती है, उसी बात को अब ऐलोपैथी के विशेषज्ञ भी दोहरा रहे हैं।*
*लंबे समय से देश के प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ व योगाचार्य कहते रहे हैं कि व्यक्ति के पेट से ही सेहत की राह गुजरती है।*
*लेकिन चटपटे स्वाद की शौकीन युवा पीढ़ी इस बात को लगातार नजरअंदाज करती रही है।*
*देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा व शोध संस्थान पीजीआई के गेस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रोफसर अब आंतों की बीमारी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज यानी आईबीडी के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए सलाह दे रहे हैं कि घर का खाना ही सेहत की कुंजी है।*
*जो लोग परंपरागत भारतीय भोजन से नाता तोड़ रहे हैं वे बीमारियों से नाता जोड़ रहे हैं।*
*दरअसल, हाल के दिनों में खासकर युवा पीढ़ी में पश्चिमी व चीनी खाद्य पदार्थों मसलन पिज्जा, बर्गर और नूडल्स आदि के प्रति दीवानगी बढ़ी है।*
*वहीं आम लोगों में भी होटल रेस्टोरेंट आदि से पका पकाया खाना मंगाने का प्रचलन बढ़ा है।*
*पीजीआई के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ज्यादा तला भुना व बाहरी खाने से कई बीमारियां हो रही हैं, जिससे बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं।*
*फलत: अल्सर व कैंसर तक के खतरे बढ़ जाते हैं। चिकित्सक घर के परंपरागत खाने पर बल दे रहे हैं। वे भोजन के लिये कच्ची घानी, सोयाबीन, नारियल व तिल का तेल प्रयोग करने पर जोर दे रहे हैं।*
*साथ ही बाजारों में एक बार प्रयोग किये गये खाद्य तेल को बार बार उपयोग करने से बचने की सलाह दी गई है।*
*विशेष रूप से सफर के दौरान बाहरी खाने के बजाय फल व आम भोजन के उपयोग की भी जरूरत बता रहे हैं।*
*दरअसल, इसमें कोई बड़ी राकेट साइंस नहीं है और घर के बुजुर्ग इसी बात को अक्सर दोहराते भी रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी इस पर ध्यान नहीं देती है।*
*दरअसल, फास्ट फूड संस्कृति को जीवन का हिस्सा बनाने से देश दुनिया में तमाम तरह की बीमारियों ने जन्म लिया है।*
*मोटापा और उससे जुड़े तमाम रोग आज भारतीयों पर शिकंजा कस रहे हैं।*
*हमारे जीवन में शारीरिक श्रम का महत्व कम होने और तला-भुना खाने से मोटापा, मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी लाइफ स्टाइल बीमारियां शरीर में घर बनाने लगी हैं। इतना ही नहीं देर से सोना और देर से जागना हमारी आदत में शुमार हो गया है।*
*बच्चे मैदान में खेलने के बजाय गैजेट्स में लगे रहते हैं, जिससे उन पर मोटापे का ज्यादा असर हो रहा है।*
*वहीं समय पर न खाना और फास्ट फूड को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने से भी समस्या और जटिल हो गई है।*
*सुबह नाश्ते को नजरअंदाज करना और देर रात भारी भोजन भी शारीरिक व्याधियों को निमंत्रण दे रहा है।*
*योग व प्राकृतिक चिकित्सा इस बात पर बल देती है कि सुबह के समय हमारी पाचन शक्ति मजबूत होती है अत: हमारा नाश्ता समृद्ध होना चाहिए।*
*फल व सलाद हमारे खाद्य श्रृखंला का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।*
*नई पीढ़ी में पिज्जा, बर्गर, नूडल्स वगैरह का तो जुनून है लेकिन ताजे फल और सब्जियों से परहेज करने लगे हैं।*
*पश्चिमी देशों में हुए हालिया शोध बता रहे हैं कि जल्दी सोने और जल्दी जागने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। उनमें उच्च रक्तचाप व मधुमेह जैसी लाइफ स्टाइल डिजीज कम होती हैं।*
*विडंबना देखिये कि सदियों से जो हमारा खानपान व जीवन शैली रही है उसको ही नई पीढ़ी नजरअंदाज कर रही है। अब विदेशों से शोध के बाद आने वाले उसी ज्ञान पर हमारा ध्यान जा रहा है।*
*दरअसल, जब तक हम युवा रहते हैं तब तक स्वस्थ शरीर के आवश्यक नियमों की अनदेखी करते हैं मगर जब उम्र ढलने लगती है तो शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।*
*आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की यह कमी रही है कि वह रोग के लक्षणों को तो ठीक करता है लेकिन उस रोग को जड़ से समाप्त करने के लिये जीवन शैली व खानपान में बदलाव पर बल नहीं देता। तब हम फौरी तौर पर तो ठीक हो जाते हैं लेकिन बीमारी के कारक शरीर में मौजूद रहते हैं।*
: *हाई बी.पी. को काबू करने के लिये.?*
*हाई बीपी से जूझ रहे लोग, अपने लाइफस्टाइल में अगर थोड़ा सा परिवर्तन ले आएं तो उन्हें अपनी समस्या से आसानी से छुटकारा मिल जाएगा।*
साथ ही दवा आदि का प्रतिदिन सेवन भी नहीं करना पड़ेगा।
डॉक्टर्स का भी मानना है कि हाइपर टेंशन से जूझने वाले लोग,
नियमित रूप से सक्रिय रहें,
बाहर जाएं, टहलें और खुश रहें,
इससे उन्हें बीमारी को दूर करने में बहुत लाभ मिलेगा।
हाई बीपी से बचने के लिए सबसे पहले जंक फूड का सेवन रोकना होगा और घर वाले खाने को ही खाना होगा।
कोशिश करें कि खाने में सफेद नमक का कम प्रयोग करें और सेंधा नमक शुरू करें।
सेन्धा नमक, बढ़े हुए बीपी को कम कर देता है और वजन को भी नियंत्रित रखने में सहायक होता है।
सेंधा नमक खाने के अलावा,
आपको कुछ प्राकृतिक उत्पादों का सेवन भी करना चाहिए, इससे बीपी कंट्रोल में रहेगा।
इनमें से एक प्राकृतिक उपाय इलायची है।
जी हां, इलायची सिर्फ जा़यका ही नहीं बल्कि अच्छी हेल्थ भी देती है।
इसकी एरोमा (महक), अच्छी तो लगती ही है साथ ही इसके गुण शरीर के लिए अच्छे होते हैं।
चूकिं इसका स्वाद हल्का मीठा है तो आप राइस आदि बनाते समय इसे डाल सकती हैं।
इलायची में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो शरीर को फिट रखते हैं।
●इलायची का इस्तेमाल कैसे करें?●
◆ आप चाय बनाते हुए इसे कूटकर डाल सकती हैं।
◆ चाहें तो चावल या पुलाव बनाते हुए इसे डाल दें।
◆ अपनी प्रतिदिन की खुराक में इलायची को शामिल करें।
◆ यह पाचन क्रिया को दुरूस्त रखती है और माउथफ्रेशनर का काम भी करती हैं।
● जिन लोगों का बीपी बहुत ज्यादा हो जाता है और उन्हें एक दिन में कम से कम चार इलायची का सेवन कर लेना चाहिए।
● अगर खाने में इसे नहीं डालना चाहते हैं तो कोई बात नहीं, यूं ही चबाकर खा जाएं।
*आयुष का क्या अर्थ है:*
ये भी जानना जरूरी है क्योंकि आयुष सरकार का अभूतपूर्व और अभिन्न अंग बन चुका है।
भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी विभाग (ISM & H) मार्च, 1995 में बनाया गया था।
और नवंबर 2003 में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) विभाग के रूप में फिर से नामित किया गया था, जिस पर ध्यान देने के लिए भारत सरकार ने आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी प्रणालियों में शिक्षा और अनुसंधान का विकास।
*AYUSH means..*
*A.. Ayurveda*
*Y.. Yoga & Naturopathy*
*U.. Unani*
*S.. Sidh*
*H.. Homeopathic*
*ये है हमारा आयुष (AYUSH)*
*श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) का कारगर प्राकृतिक उपचार*
*आगे आपकी मर्जी..*
1:- प्रातःकाल पके केलो का सेवन करें और देशी गाय दूध में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से भी काफी आराम मिलता है।
2:- केले के कोमल पत्तों को पीसकर दूध में पकायें और तथा वह दूध पीने से लाभ होता है।
पके केले की खीर दूध में बनाकर पीये।
3:- पका केला देशी गाय के घी के साथ सुबह शाम खाने पर श्वेत प्रदर रोग मे आराम मिलता है।
4:- बड़ के पत्तों का दूध, मिश्री के साथ लेने पर तथा उसके बाद गाय का दूध लेने से यह रोग ठीक हो जाता है।
5:- गिलोय और शतावर को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाये और उसका काढा बनाये।
सुबह शाम आधा आधा कप काढा पीये।
6:- 4 सूखे सिंघाड़े रात को रात्रि मे भिगो दें सुबह उन्हे पीसकर उसमें मिश्री मिलाये और खाली पेट खायें तथा गाय का दूध पीयें।
7:- आंवले के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से श्वेत प्रदर मे लाभ होता है।
8:- गाय के दूध में तुलसी का रस मिलाकर पीने से काफी लाभ होता है।
9:- तुलसी के रस में शहद मिलाकर सुबह श्याम चाट ले।
10:- खाने के बाद मूली का नियमित सेवन करें।
11:- सूखा आँवला + मुलहठी*
समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाये और सुबह शाम शहद के साथ चाटे और उसके बाद गाय का दूध पीये।
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