Tuesday, 28 February 2023

" मै मंदिर मे बैठा था वो मस्जिद में बैठी थी. मै पंडित जी का बेटा था वो काजी साहब की बेटी थी.

" मै मंदिर मे बैठा था 
वो मस्जिद में बैठी थी. 
मै पंडित जी का बेटा था 
वो काजी साहब की बेटी थी. 
मै बुलेट पर चल कर आता था. 
वो बुरखे मे गुजरती थी. 
मै कायल था उसकी आँखों का. 
वो मेरी नजर पर मरती थी. 
मै खडा रहता था चौराहे पर
वो भी छत पर चढती थी. 
मै पूजा कर आता था मजारो की 
वो मंदिर में नमाज पढती थी. 
वो होली पे मुझे रंग लगाती
मै ईद का जश्न मनाता था. 
वो वैश्णो देवी जाती थी 
मै हाजी अली हो आता था. 
वो मुझको कुरान सुनाती 
मै उसको वेद समझाता था. 
वो हनुमान चालीसा पढती थी 
मै सबको अज़ान सुनाता था ।
उसे माँगता था मै मेरे रब से 
वो अल्लाह से मेरी दुआ करती थी. 
ये सब उन दिनो की बात है, 
जब वो मेरी हुआ करती थी? 
फिर इस मजहबी इश्क का ऐसा अंजाम हुआ. 
वो मुसलमानों में हो गई ।
मै हिन्दुओ में बदनाम हुआ. 
मै मंदिर मे रोता था ।
वो मस्जिद में रोती थी. 
मै पंडित जी का बेटा था. 
वो काजी साहब की बेटी थी.. 
रोते - रोते हम लोगों की तब शाम ढला करती थी.. 
अपने अब्बू से छुप कर वो मस्जिद के पीछे मिला करती थी। 
मै पिघल जाता था बर्फ सा वो जब भी छुवा करती थी। 
ये सब उन दिनो की बात है जब वो मेरी हुआ करती थी.. 
कुछ मजहबी कीडे आ कर 
हमारी दुनिया उजाड गए. 
जो खुदा से न हारे थे. 
वो खुदा के बंदो से हार गए.. 
जीतने की कोई गुनजाईस न था 
मै इश्क की हारा बाजी था.. 
जो उसका निकाह कराने आया था 
वो उसी का बाप काजी था. 
जो गूंज रही थी मेरे कानो में 
वो उसकी शादी की शहनाई थी.. 
मै कलिया बिछा रहा था राहो में 
आज मेरी जान की विदाई थी. 
मै वही मंदिर मे बैठा था. 
पर आज वो डोली मे बैठी थी.. 
मै पंडित जी का बेटा था.. 
वो काजी साहब की बेटी थी... 
😭😭💔😭😭 
   शुभ संध्या

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