*भगवा भारत समिति ✊🚩🇮🇳*
*क्रमांक - १३*
*रुपये के सामने कांपेगा डॉलर, पूरी दुनिया में दिखेगी इसकी ताकत, दिग्गज अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी की भविष्यवाणी*
*भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। इसी के साथ भारतीय रुपये की ताकत भी बढ़ रही है। इसका लोहा अब विदेशी अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं।*
*नए युग का हुआ आगाज: अब विदेशों में भी चलेगा यूपीआई का सिक्का, UPI और PayNow से अब भारत-सिंगापुर के बीच भेज सकेंगे फंड, शुरू हुई नई सुविधा।*
*रूस, श्रीलंका, मॉरिशस, ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्ज़मबर्ग और सूडान उन देशों में शुमार होने वाले हैं जो भारतीय मुद्रा यानि रूपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक लेनदेन करेंगे। इससे रूपये का वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्व बढ़ेगा।*
◆ अब आने वाले समय में भारत में विकास की रफ्तार दिखेगी। भारत में 7% विकासदर का इजाफा देखा जाएगा।
◆ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण देश हो सकती है।
◆ चीन को भी समझ आ गया कि एशिया में उसकी बादशाहत अपने अंतिम पड़ाव पर है.
*भारतीय रुपया आने वाले समय में नया डॉलर हो सकता है। भारतीय रुपया डॉलर की जगह लेने की ताकत रखता है।*
■ नूरील रूबिनी मुताबिक यह देखा जा सकता है कि भारत दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ जो व्यापार रकता है, उसके लिए रुपया कैसे एक वाहन मुद्रा बन सकता है। यह भुगतान का विकल्प हो सकता है। यह स्टोर ऑफ वैल्यू भी बनसकता है। निश्चित रूप से, समय के साथ रुपया दुनिया में ग्लोबल रिजर्व करेंसी की डायवर्सिटी में से एक बन सकता है।
■ अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी (Nouriel Roubini) के मुताबिक, आने वाले समय में जल्द ही डी-डॉलरीकरण यानी डॉलराइजेशन की प्रक्रिया होगी।
■ अमेरिका की ग्लोबल इकोनॉमी का हिस्सा 40 से 20 फीसदी तक गिर रहा है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर के लिए सभी अंतराष्ट्रीय वित्तीय और व्यापार लेनदेन के दो तिहाई होने का कोई मतलब नहीं है। इसका एक हिस्सा जियोपोलिटिक्स है।
■ अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के उद्देश्यों के लिए डॉलर को हथियार बना रहा है। अब दुनिया की मुख्य मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर की स्थिति खतरे में है।
*अब आने वाले समय में भारत में विकास की रफ्तार दिखेगी। भारत में 7% का इजाफा देखा जाएगा। उनके मुताबिक, भारत की प्रति व्यक्ति आय इतनी कम है कि वास्तव में सुधार के साथ, निश्चित रूप से सात प्रतिशत संभव है। लेकिन आपको और भी कई ऐसे आर्थिक सुधार करने होंगे जो उस विकास दर को हासिल करने के लिए ढांचागत हों। वहीं अगर भारत इसे हासिल कर लेता है तो इसे कम से कम कुछ दशकों तक बनाए रख सकता है।*
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