Saturday, 30 September 2023

बच्चों से प्यार- संस्कारों की कीमत पर नहीं। एक पिता अपने एकलौती बेटी को इतना प्यार करता था कि, जो उसकी इच्छा हो वह तुरंत हाजिर की जाती थी। लड़की जिद्दी हो गई। 8:00 बजे सो कर उठती, किसी की बात नहीं मानती, कोई काम नहीं करती, घर में कोई कुछ कहता, तो बाप कहता- कोई बात नहीं अपने घर (ससुराल) जाएगी तो सब कुछ करेंगी।

बच्चों से प्यार- संस्कारों की कीमत पर नहीं।

 एक पिता अपने एकलौती बेटी को इतना प्यार करता था कि, जो उसकी इच्छा हो वह तुरंत हाजिर की जाती थी।
 लड़की जिद्दी हो गई। 8:00 बजे सो कर उठती, किसी की बात नहीं मानती, कोई काम नहीं करती, घर में कोई कुछ कहता, तो बाप कहता- कोई बात नहीं अपने घर (ससुराल) जाएगी तो सब कुछ करेंगी। 

 जब वह बड़ी हो गई तो एक संपन्न परिवार में विवाह कर दिया।
 बेटी को गए हुए 8 दिन भी नहीं हुए कि फोन आया, पिताजी मैं यहां मर रही हूं, मुझे तुरंत आकर ले जाओ। पिता हैरान कि, 8 दिन क्या हो गया?
 लेकिन बेटी के प्यार ने उसे मजबूर कर दिया और वह बेटी को लेने पहुंच गया। ससुराल जब पहुंचा, तो उसे किसी ने आदर भाव प्रकट नहीं किया, पानी के लिए भी नहीं पूछा, समधी बगल से निकल गए, देवर बाजू से चला गया।
 उसने सोचा कि भाई इतने कम दिनों में यह कैसा माहौल हो गया!
 वह अपनी बेटी के कमरे में गया। बेटी यह कैसे हुआ? बेटी ऊँची आवाज में बोली -कुछ मत पूछो, मुझे यहां 1 मिनट भी नहीं रहना, तुरंत ले चलो।

 बाप बोला बेटी रुको, जरा चलो तुम्हारी सास से पूछ लूँ!
वह हाथ जोड़कर समधिन से बोला- बहन जी मैं बेटी को ले जाने आया हूं।
 सास बोली, अभी ले जाओ। कैसी बेटी भेजी है तुमने, 8 दिन में ही पूरे परिवार का जीना हराम कर रखा है। कैसे संस्कार दिए हैं बेटी को, 8:00 बजे उठती है, कोई काम नहीं करती, बैठे-बैठे टाइम पर खाना चाहिए, कोई कुछ कहे, तो एक का चार सुनाया करती है, ले जाओ अपना पैसा वापस, ले जाओ अपना दहेज, नहीं चाहिए हमें आपकी बेटी।
 पिता का सर झुक गया। चलते-चलते समधन से हाथ जोड़कर बोला- बहन! 10-15 दिन में भेज दूंगा इसे समझा-बुझाकर। 
वे बोली, बिल्कुल नहीं, इसके लिए दरवाजे हमेशा के लिए बंद है।

 पिता समझ गया जरूर कुछ गड़बड़ है। बेटी को लेकर घर पहुंचा, पर रास्ते में बेटी से पूछा -बेटी! ऐसा माहौल कैसे बना?
 बेटी बोली, पिताजी कैसी जगह ले जाकर पटक दिया है मुझे। एकदम नरक।
अच्छा सास कैसी है? बोली, एकदम डायन।
ससुर कैसे हैं? 
पूरे राक्षस। 
जेठ कैसे हैं ?
एक नंबर का धूर्त।
देवर कैसा है? बोली आवारा।
ननंद कैसी है?
एक नंबर की चुगल खोर।
 और पति कैसा है?
 वह तो साक्षात यमराज है।
 अच्छा पड़ोसी तो ठीक होंगे?
बोली,  पड़ोसी तो एकदम लुच्चे, लफंगे,बदमाश है।
 पिता को समझते देर नहीं लगी, ऐसा कैसे हो सकता है! घर तो घर, पड़ोस भी खराब हो?

 पिता ने भांप लिया गड़बड़ी कहां है। 
बेटी ने कहा अब मैं कभी वापस नहीं जाऊंगी।
 पिता ने कहा, बेटी कोई बात नहीं, तू आराम से रह।
 भाभी बोली,अच्छा तू यही रहेगी, तो ध्यान से सुन ले, रोज सवेरे उठकर भोजन बनाना,सफाई करना! बैठे-बिठाए खाने को नहीं मिलेगा।

 एक दो महीना बीते कि पड़ोसी पूछने लगे, क्या हुआ, दामाद लेने नहीं आ रहे।
 सखियां पूछती, इतने दिन हो गए जीजा जी तुझे लेनी नहीं आ रहे? 
 अब बेटी जहां कहीं शादी समारोह में जाती तो सब पूछते, ससुराल क्यों नहीं जा रही?  मेहमान, रिश्तेदार सभी पूछते।
 एक दिन बेटी उदास अकेली बैठी थी। 
पिता बोला, क्या बात है, किस बात की कमी है?
 बेटी बोली,  क्या करूं, ससुराल नरक है, और पीहर में लोग जीने नहीं देते। मैं तो कहीं आ जा भी नहीं सकती! हर तरफ ताने मिलते हैं।
 पिता ने कहा बेटी में भी तेरे साथ हो रहे व्यवहार से चिंतित हूं। देख  नगर में एक पहुंचे हुए संत आए हैं, मैंने उनसे तेरी समस्या की चर्चा की, उन्होंने मुझे एक मंत्र दिया है, बताया कि 6 महीने का जाप है।
 पर पिताजी मुझसे जाप आप नहीं होगा।
 कोई बात नहीं बेटा, जप मैं कर लूंगा, साधना तुम कर लेना, फिर ससुराल तेरी मुट्ठी में।
 क्या करना होगा मुझे?
 बेटी यह साधना तुझे ससुराल में रहकर ही करनी होगी। मैं यहां से मंत्र जपता रहूंगा। 

बेटी तैयार हो गई ससुराल जाने को। जब ससुराल बाप बेटी पहुंचे, तो बहू को देखते ही ससुराल वाले बोले, तू फिर आ गई हमारा सुख चैन छीनने। 
बेटी पिता की ओर देखती है तो, पिता इशारा करता है, बेटी साधना!
 बेटी अपने कमरे में जाती है। पिता फिर समझाता है,बेटी साधना पर ध्यान रखना, किसी को जवाब नहीं देना, समय पर नाश्ता, भोजन, सास की सेवा, फिर देखना यह तेरे इशारे पर नाचेंगे!
बेटी बोली ठीक है पिताजी, इन्हें उंगलियों पर नचाने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं। बस 6 महीने की ही तो बात है। 
बाप समधी समधन से हाथ जोड़कर विनती करता है,एक मौका और दीजिए। 
समधी समझदार थे, बाप की मजबूरी समझ गए, बोले कोई बात नहीं, एक मौका और ।

 अब बेटी रात में सोती है, सुबह 6:00 बजे उठती है, पहले अपनी सास के पैर छूती, सांस चौंक जाती है, क्या हो गया बहू को! 
 नित्य क्रिया से निवृत्त होकर रसोई में जाती है, सुबह का नाश्ता, चाय बनाती। घर के लोग सोचते क्या हो गया बहू को!
 सास के लिए नाश्ता ले कर जाती है, सास सोचती, कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूं!
वह पूछती, बेटी तू हमारी ही बहू है? तेरी कोई जुड़वा बहन तो नहीं है ना?
 बहू बोली, नहीं मां जी, मैं वही हूं, पर मन मैं कह रही थी, रुक बुढि़या, बस 6 महीने की बात है  फिर मैं बताऊंगी कि मैं कौन हूं?
 घर में सभी को बहू के बदले व्यवहार को देख आश्चर्य हो रहा था। सभी उसकी तारीफ करते थकते नहीं थे। 
महीना बीता, सास ने बहू को अपने पास बुलाया, कहा -यह घर की चाबी, आज मैं तुझे सौंपती हूं, घर का सारा लेन-देन तेरे हाथ में रहेगा, अब यह बोझ में नहीं हो सकती।
 बहू ने झट से चाबी लेते हुए सोचा कि, बुड़िया! इसी का तो मुझे इंतजार था। 5 महीने की बात और है।
 धीरे धीरे 2 महीने बीते। रक्षाबंधन आया, भाई, बहन को लेने ससुराल पहुंचा। कहां चल बहन रक्षाबंधन का त्यौहार है।
 वह बोली, नहीं पहले सास ससुर से मुझे अनुमति लेना होगी।
 भाई ने सोचा कि मेरी बहन में इतना परिवर्तन !
सास ने कहा, बेटा! हमारी बहू को जल्दी वापस ले आना, इसके बिना तो घर मैं किसी का मन नहीं लगेगा, यह तो हमारे घर की साक्षात लक्ष्मी है । इसके बिना घर आंगन सूना लगेगा।

बेटी घर पहुंची, अपना रूप, स्वरूप और व्यवहार लेकर त्यौहार आनंद से बीता। दो-तीन दिन बाद पिता से बोली, अब मुझे ससुराल भेज दो।
 बाप ने कहा कुछ दिन और रुको ।
बेटी ने कहा, नहीं पिताजी मेरे बिना मेरे सास- ससुर अकेले पड़ गए होंगे, उनका भी मन नहीं लग रहा होगा और मैं भी शरीर से तो यहां हूं पर मन तो मेरा ससुराल में ही अटका है।

 पिता भी इस परिवर्तन से आवाक था।
 ध्यान रहे- बेटी वही, ससुराल वही, सब कुछ पहले वाला है,पर नहीं रहा तो पहले वाली आदत, व्यवहार, जिद्दीपना। 
अपने औलाद के अंदर पारिवारिक संस्कार जरूर डालें, जिससे छोटे बड़े का कर्तव्य और फर्ज तथा परिवार के प्रति सच्ची श्रद्धा, निष्ठा, प्यार- दुलार और पारदर्शिता बनी रहे, जिससे परिवार खुशहाल रहे

Friday, 29 September 2023

ये बात जान लेनी चाहिए कि,इस व्यक्ति ने संघर्ष किया है,कड़ा संघर्ष,भीषण संघर्ष!इतना Effortlessly किया है कि उन्हें खुद कभी इसका भान ही नहीं हुआ।

कोई व्यक्ति कहीं से आ गया और *प्रधानमंत्री* बन गया नहीं,ऐसा नहीं होता है आप (नरेंद्र दामोदर दास मोदी* के आलोचक हैं या प्रशंसक हैं!
               ये बात जान लेनी चाहिए कि,इस व्यक्ति ने संघर्ष किया है,कड़ा संघर्ष,भीषण संघर्ष!इतना Effortlessly किया है कि उन्हें खुद कभी इसका भान ही नहीं हुआ।
        बात तब की है,जब वो 21 वर्ष के थे 2 वर्ष हिमालय में बिता कर आ चुके थे,1-2 दिन घर में रहे और फिर घर छोड़ दिया अहमदाबाद आकर चाचा के पास रहने लगे गीता मंदिर स्टेट ट्रांसपोर्ट्स बस अड्डे पर,उनके चाचा कैंटीन चलाते थे नरेंद्र मोदी किशोरावस्था में *RSS* में सक्रिय रहे थे,ऐसे में अहमदाबाद में भी उन्होंने संघ से संपर्क पुनः जोड़ा।
          इसी दौरान *प्रान्त प्रचाकर लक्ष्मणराव ईमानदार (वकील साहब)* से उनकी मुलाकात हुई।उसी दौरान एक सत्याग्रह में गिरफ्तार होकर जेल भी गए *नरेंद्र मोदी* ने चाचा के घर रहना छोड़ दिया और वकील साहब के घर रहने लगे।
               *!! सोचिए !!*
एक 22 साल का लड़का वकील साहब के घर पर रहने गया,जहाँ एक दर्जन से अधिक लोग पहले से ही रह रहे थे वो लड़का सुबह उठ कर सबको जगाता था सबके लिए चाय बनाता था चाय पिलाता था सारे बर्तन धोता था।फिर *शाखा* जाता था शाखा से वापस आकर सबके लिए नाश्ता तैयार करता था सुबह के 9 बजे तक सबको नाश्ता करा देता था इतना ही नहीं,फिर वो 8-9 कमरों वाली इमारत की सफाई करता था, झाड़ू-पोछा सब दोपहर का भोजन किसी *स्वयंसेवक* के घर जाकर खाता था फिर वापस आकर सबको चाय पिलाता था और तो और,वकील साहब के कपड़े भी धोता था,उनके मना करने के बावजूद ये वकील साहब हैदराबाद में निज़ाम के खिलाफ सत्याग्रह में 7 वर्ष जेल की सज़ा काट चुके थे उनकी कहानी भी ऐसे ही *संघर्षों* से भरी है।
कहने का मतलब ये है,कि लोग आज कह देते हैं कि अरे नरेंद्र मोदी क्या है,एक नेता है।नरेंद्र मोदी असल में एक पूरा का पूरा मिशन है अपने-आप में एक संस्था है। आप सोचिए,आज आपको कहीं पूरी इमारत में झाड़ू-पोछा लगाने कहा जाए और रोज 12 लोगों को खाना-चाय वगैरह बना कर देने और बर्तन धोने को कहा जाए,वो भी बिना कोई पैसे के,आप करेंगे?सही बात है,कोई क्यों करेगा?यही फ़र्क है *राजनितिक और संघ* में!!
नरेंद्र मोदी ने किया...!
बिना किसी के कहे किया....!
बिना किसी शर्म के किया......!
पूरे एक वर्ष तक इस दिनचर्या का कड़ाई से अनुसरण किया........!                                                                                                                                                      बदले में कुछ नहीं लिया......!                                                                   लेकिन किया.......!!
            आज वो *Narendra Modi* हैं,लेकिन ये सफर कोई अस्सी-नब्बे के दशक में शुरू नहीं हुआ था बचपन से ही उन्होंने रास्ते तलाशने शुरू कर दिए थे।
तभी 1950 से आज तक करोड़ों लोगों ने जन्म लिया और करोड़ों स्वर्ग सिधार गए,लेकिन ये व्यक्ति लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहा है नरेंद्र मोदी जी के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए!!
आज जब 21-22 वर्ष के युवकों में कोई पढ़ाई-लिखाई को लेकर तनाव में होता है,कोई अवसाद में चला जाता है, कोई सोशल मीडिया पर दिन-रात लगा रहता है,कोई अय्याशी में लगा रहता है,कोई नेता बनने के लिए विधायक-मंत्रियों के साथ तस्वीरें क्लिक करवाने की फिराक में रहता है,कोई इस उम्र में भी लाखों कमाने लगता है!                                                                              सबका जीवन है.........!
सबके किस्से हैं..........!

लेकिन जो *@narendramodi_in* ने उस उम्र में किया वो बहुत कम लोग करते हैं। इसके लिए *हार्वर्ड कैम्ब्रिज ऑक्सफ़ोर्ड* की डिग्री नहीं,अंग्रेजी का ज्ञान नहीं,बल्कि अनुभव और अध्ययन चाहिए।
मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि *नरेंद्र मोदी* जी कोई कलाकार,खिलाड़ी,लेखक या संन्यासी होते तो क्या होता निश्चित ही देश का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता,क्योंकि हमेशा कुछ नया सोचने वाला और बाकियों से 4 कदम आगे रहने वाले व्यक्ति देश का नेतृत्व मिलना ही चाहिए था बचपन में भी उनकी *माँ* ने घूमते-फिरते आ पहुँचे एक *साधु* को अपने बेटों में से 2 की कुंडली दिखाई थी तो साधु ने नरेंद्र की कुंडली देखते ही अवाक् होकर पूछा कि ये किसकी पत्री है? फिर स्पष्ट कहा कि या तो ये कोई महान *संन्यासी* होगा या फिर एक *चक्रवर्ती सम्राट महान संन्यासी या सम्राट* तो नहीं,लेकिन परिवार वालों को ये पक्का लग रहा था कि ये साधु बन जाएगा। एक दिन वो लड़का झोला उठा कर निकल भी गया पास में एक पैसा नहीं राजकोट के *रामकृष्ण मिशन से लेकर हिमालय* तक की यात्रा की,2 साल ऐसे ही घूमते-फिरते रहा और फिर घर लौट आया।फिर घर से निकला तो आज तक घर नहीं गया। *संघ में और फिर भाजपा* में संगठन का काम करते-करते *साधु* पीछे छूटता चला गया और *राजा के गुण* अधिक उभर कर सामने आने लगे अगर वो खिलाड़ी होता तो वडनगर में एक बार कबड्डी की प्रतियोगिता हुई। टीमें थी 'कुमार शाला नंबर 1' और 'कुमार शाला नंबर 2'। पहली टीम में नरेंद्र मोदी और अन्य छोटे खिलाड़ी थे। दूसरी टीम में बड़े खिलाड़ी। इसके कैप्टेन थे उमेद जी,जो कबड्डी के माहिर खिलाड़ी थे।वो दाईं ओर से एंट्री लेते थे और फिर उन्हें कोई रोक नहीं पाता था। *नरेंद्र मोदी* ने एकाध बार उनको खेलते देखा,बहुत बारीकी से देखा। फिर ऐसी व्यूह-रचना की कि उनकी टीम को 3 बार हराया। सब चौंक गए। शिक्षक कनुभाई भावसार भी बोल पड़े कि बल के आगे बुद्धि, संगठन क्षमता और चपलता ने अपना काम कर दिखाया। एक लेखक के रूप में उन्होंने अपने मार्गदर्शन *'वकील साहब* की जीवनी लिखी इतना ही नहीं,उन्होंने *ज्योतिपुंज' नामक* पुस्तक के जरिए *RSS* के उन नेताओं से जनता का परिचय कराया,जो निःस्वार्थ भाव से देशसेवा में लगे थे और जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता था!
               आपातकाल के दौर को लेकर जो सबसे अच्छी पुस्तकें हैं,उनमें उनकी आपातकाल में गुजरात भी है जिसे उन्होंने अपने अनुभवों से लिखा है।गुजरात के विकास पर उन्होंने पुस्तकें लिखीं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद बच्चों के लिए *Exam Warriors* लिखी। उनकी कविताएँ भी प्रकाशित हुई हैं। अगर व फुल टाइम लेखक होते तो ज़रूर लोकप्रिय होते ही होते वो अगर फ़िल्मी दुनिया में होते तो वहाँ भी सफल होते क्योंकि बचपन में वो खुद नाटक लिखा करते थे,उसका मंचन भी करते थे और निर्देशन भी। उन्होंने भेदभाव की समस्या को दिखाने के लिए *पीला फूल* नामक एक नाटक का मंचन किया था,जिसने सबको भावुक कर दिया।
हाईस्कूल में जब दीवार बनवाने की ज़रूरत थी,तब *नरेंद्र जोगी दास खुमाण* नामक नाटक का मंचन किया और इसमें भावनगर के महाराजा की भूमिका निभाई इससे जो पैसे आए उससे दीवार बनी *नरेंद्र मोदी* अगर आज @PMOIndia बने हैं तो इसके पीछे का यही राज़ है-किसी भी क्षेत्र में कोई भी काम करो,एकदम बारीकी से चीजों को समझ कर करो,निःस्वार्थ भाव से करो.....!!
उन्होंने कभी पैसे की चाहत नहीं की,धन के पीछे नहीं भागे।उन्होंने आदमी को पढ़ा है,अपने संघर्षों के दौरान हजारों लोगों को पढ़ा है इस अनुभव से सीख ली है।
आज अमेरिका से लेकर UN तक इस व्यक्ति का लोहा मानता है,जिसके पीछे एक कलाकार,एक खिलाड़ी और एक साधु आज तक छिपा हुआ है।
आप नरेंद्र दामोदर दास मोदी के प्रशंसक हैं या आलोचक,उससे फर्क नहीं पड़ता,वो व्यक्ति आज आपके हमारे भारत का सफलतम *प्रधानसेक* है,ये बात उनके शत्रु भी नहीं नकार सकते आप आलोचक भी हैं,तो भी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं,मैं स्वयं को एक विद्यार्थी मानता हूं और मैं उनसे और उनके जैसे हर संघर्षशील व्यक्ति से बहुत कुछ सीखता हूं,उनमें से कोई कुछ बन चुका है,कोई बनने की क्रिया में है..आज इस संघर्षशील व्यक्ति को असंख्य युवाओं की ओर से अनेकों अनेक मंगलकामनाए!!                   

महादेव और योगेश्वर आपका यूं ही मार्गदर्शन करते रहें और आपके द्वारा भारत का उत्थान यू ही होता रहे!!            ~~~~~~~~~~~~~~~~~~      *मनोज सिह रावत*                                                  *RSS प्रचारक*                                      *नागपुर महाराष्ट्र*

विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी राजदूत व आर्थिक चिंतक अगले चार पांच साल के भीतर POJK (जिसमें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू, कश्मीर और गिलगित बल्टिस्तान शामिल हैं) के भारत में मिलने के अलावा पाकिस्तान के चार टुकड़ों में बंटने की संभावनाएं जता रहे हैं :-

विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानी राजदूत व आर्थिक चिंतक अगले चार पांच साल के भीतर POJK (जिसमें पाकिस्तान अधिकृत जम्मू, कश्मीर और गिलगित बल्टिस्तान शामिल हैं) के भारत में मिलने के अलावा पाकिस्तान के चार टुकड़ों में बंटने की संभावनाएं जता रहे हैं :- 
1. रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान (पाकिस्तानी भूमि का 40% हिस्सा जिस पर 1948 में पाकिस्तानी फौज ने हमला करके धक्के से कब्जा किया था)
2. रिपब्लिक ऑफ सिंध (सिंध प्रांत) जिसकी राजधानी कराची बनेगी।
3. इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान ( आज का पाकिस्तानी पंजाब प्रांत), जिसे सारे दुनियां के देश अमेरिका, रशिया, चीन, भारत इत्यादि मिलकर भी नहीं संभाल सकते इसलिए इस हिस्से को भारत में मिलाने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए। इन्हें अलग ही रहने देने में सबका कल्याण निहित है।
4. सबसे ऊपर पिंक कलर वाला हिस्सा खैबर पख्तूनख्वा जो ऐतिहासिक रूप से अफगानिस्तान का हिस्सा रहा है और उसी में मिल जाएगा।

अपने तो अपने होते हैं*ज्योति और उसका पति सजल दोनों एमएनसी में काम करते हैं और उनका एक साल का बेटा है पर ज्योति को करीब पंद्रह दिन से वो काफ़ी सुस्त लगने लगा था। बच्चे को उनके पीछे देखने के लिए एक बारह घंटे की काम वाली रजनी है।अभी एक महीने से ही ज्योति ने अपनी नौकरी दोबारा शुरू की है।जिससे वो ऑफिस में भी बीच-बीच में बच्चे को देख सकें इस वजह से घर में सीसीटीवी लगवाया। सीसीटीवी कामवाली की अनुपस्थिति में लगवाया था।

¸.•*""*•.¸ 
*Զเधे_Զเधे*

*.           🌹सुप्रभात जी🌹*

*अपने तो अपने होते हैं*

ज्योति और उसका पति सजल दोनों एमएनसी में काम करते हैं और उनका एक साल का बेटा है पर ज्योति को करीब पंद्रह दिन से वो काफ़ी सुस्त लगने लगा था। बच्चे को उनके पीछे देखने के लिए एक बारह घंटे की काम वाली रजनी है।अभी एक महीने से ही ज्योति ने अपनी नौकरी दोबारा शुरू की है।जिससे वो ऑफिस में भी बीच-बीच में बच्चे को देख सकें इस वजह से घर में सीसीटीवी लगवाया। सीसीटीवी कामवाली की अनुपस्थिति में लगवाया था।

अगले दिन ज्योति ऑफिस में जैसे ही अपने बेटे की झलक देखने के लिए बैठी तो उसने देखा तेज़ आवाज़ में टीवी चल रहा है। कामवाली का पति और सास भी घर पर ही थे। पति आराम से एसी चलाकर लेटा था। सास भी आराम से खा पी रही थी। बेटा रो रहा था तो उसको कुछ खिलाने-पिलाने की जगह उसको कुछ सुंघाकर सुलाने की तैयारी थी। ये सब देखकर उससे रहा नहीं गया उसने तुरंत पति को भी फोन करके घर चलने के लिए कहा। रजनी को शक न हो इसलिए ज्योति ने घर पर बच्चे के लिए फोन किया और ये दिखाया कि वो शाम तक ही घर पहुंचेगी।
रजनी पूरी तरह निश्चिंत थी।उसका पति और सास अभी घर पर ही थे। जैसे ही ज्योति और उसके पति ने अपनी चाबी से घर का दरवाज़ा खोला वो हैरान रह गई।सीसीटीवी से तो वो अनजान थे।रजनी ने झूठ बोलने की पूरी कोशिश की और कहा उसके सास और पति को कुछ काम था इसलिए वो आए हैं।जब ज्योति ने थोड़ा सख्ती से पुलिस की धमकी दी तब उसने बताया कि ये सब पंद्रह दिन से चल रहा है और बच्चे को वो हल्की मात्रा में अफ़ीम देकर सुला देते थे। ये सब सुनकर ज्योति के तो पैरो तले ज़मीन खिसक गई।
उसने रजनी और उसके घरवालों को धक्के देकर निकाल दिया। अब ज्योति बहुत देर तक अपने बेटे को सीने से लगाकर फफक कर रोती रही।आज वो अपनी सास को अपने साथ ना रखकर गांव भेजने के निर्णय पर आठ-आठ आँसू रो रही थी।उसको याद आ रहा था कैसे,उसके बेटे के पैदा होने से कुछ समय पहले आकर उसकी सास ने सब संभाल लिया था पर ज्योति को तो उनका कुछ भी कहना-सुनना अपने ऊपर नियंत्रण लगता था। तभी तो बेटे के छः महीने होते-होते उसने बच्चे को रखने वाली कामवाली को ढूंढना शुरू कर दिया था।आज उसे पता चल रहा था कि एक बच्चा अपने दादा-दादी के साथ जितना सुरक्षित है उतना किसी के साथ नहीं।सजल ने भी उसको बहुत समझाया था पर उसने एक ना सुनी थी। 
बेटे के लिए ज्योति ने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया क्योंकि अब सास को वापस बुलाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी पर सजल ने चुपचाप उन्हें सब कुछ फोन पर बता दिया था। अगले दिन सुबह-सुबह घंटी बजी तो ज्योति ने देखा,सामने उसकी सास थी। ज्योति उनके चरणों में झुक गई। वो उसे गले लगाती हुई बोली बेटा तैयार हो जा नहीं तो ऑफिस के लिए देर हो जायेगी,वैसे भी अपने तो अपने होते हैं।  

*निवेदन......*  🙏
आप सभी से निवेदन है कि प्रतिदिन शाम आरती दर्शन को आसपास के किसी भी मंदिर में जरूर जाएं !

अगर आप अपने व्यापार या कार्यालय में व्यस्थ है तो, अपने परिवार में से किसी 1 जने को ये काम सोपें, जिस प्रकार दूसरे धर्म वाले रोज मस्जिद या चर्च जातें है !

*इसलिए,जब भी करो बात मुस्कुराया करो*😃

🙏आज का दिन मंगलमय हो !🙏

Thursday, 28 September 2023

_लव जिहाद से बचें लड़कीयां_* 🙈

[9/29, 9:32 AM] +91 72176 20994: 🙉 *_लव जिहाद से बचें लड़कीयां_* 🙈

_*कुछ लड़के लड़कियां काॅलेज की केन्टीन में बैठ कर "लव जिहाद" पर चर्चा कर रहे थे । एक लड़की ने कहा :- "सब बकवास है यार, प्रेम में धर्म कहां बीच में आ गया ? प्रेम तो हो जाता है यारो !*_

_*तब उसी की एक सहेली बोली, "अगर कोई मुस्लिम लड़का तुझे खुद को हिन्दू बता कर फसाये और वो भी अपने जेहाद, अपने धर्म का लक्ष्य पूरा करने के लिए और तुझसे शादी करले, और "शादी के बाद" तुझे पता चले कि तेरा पति मुस्लिम है ? बोल, तेरे साथ धोखा हुआ है कि नहीं ? तुझे कैसा लगेगा ? वो बोली "ये तो गलत है, धोखा है, Fraud है।"*_

_*फिर उस सहेली ने कुछ सवाल किये: "चल, लव जेहाद को छोड़, तू Broad Minded है, Modern है, Secular है और मान ले, तू एक मुस्लिम से शादी कर लेती है Ok ?*_

_*(1) पर क्या तू यह सहन कर पायेगी के तेरा पति तुझसे शादी के बाद, और 3 बीवीयां लाये ? क्यूंकि इस्लाम तो 4 शादी की इजाज़त देता है ना ! और सुन, मुस्लिम समाज में औरतों को अपने पति को तलाक देने का भी कोई अधिकार नहीं है, जबकि "वो" तुझे केवल 3 बार "तलाक तलाक तलाक" कह कर ही तलाक दे सकता है !*_

_*वो बोली "बिल्कुल नहीं, मेरा पति सिर्फ मेरा होना चाहिए। यह तो सरासर मुस्लिम महिलाओं का शोषण अत्याचार है ।*_

_*(2) क्या तू चाहती है कि, तू हर साल गर्भवती हो ? और तुझे बच्चे पैदा करने वाली मशीन बना दिया जाये ? वह बोली "मैं और हर साल pregnent हरगिज नहीं" |*_

_*(3) क्या तुझे यह पसंद आयेगा कि तेरा पति हफ्ते में, सिर्फ जुम्मे (Friday) के दिन ही नहाये और बाकी के दिनों मे सिर्फ इत्र लगा के घूमे ? "छी छी छी. सिर्फ हफ्ते में एक दिन नहाये, तो उसे मैं अपने करीब भी ना आने दूं"*_

_*(4) क्या तुझे यह पसंद आयेगा कि तेरे घर में रोज किसी निर्दोष जानवर को मारके, काटके, उसका मांस मटन तुझे पकाना पडे ? कभी कभी तो गाय भी मार के खाते हैं उनके यहाँ; तो, क्या तू गाय खायेगी ? वो बोली "बिल्कुल नहीं"*_

_*(5) रोज जींस पहन कर कालेज आती है, और शादी के बाद बुर्का पहनना पडे़ तो तू पहनेगी ? वो बोली "ये तो औरतों को कैद करना जैसा हुआ !"*_

_*(6) तुझे पता है कि मुस्लिम औरत शादी के बाद नौकरी नहीं कर सकती, मौलवी का फतवा है, और 90% मुस्लिम अपनी बीवी को बुरका के साथ घर की  चारदीवारी में कैद रखते हैं, चाहे उससे गर्मी में उनकी खाल जलती हो । वह बोली "यह कहां का न्याय है ? फिर मैंने जो पढाई की उसका कोई मेल ही नही रहेगा, मैं तो शादी के बाद भी जॉब करना चाहती हुं।*_

_*(7) और सुन, क्या तुझे यह पसंद आयेगा की तेरी बेटी का विवाह उसके चाचा, बुआ के बेटे के साथ हो ? वो बोली "चाचा और बुआ का लड़का तो भाई होता है, भाई के साथ शादी ?  हरगिज नहीं |*_

_*(8) क्या तू जानती है कि यह मुस्लिम शादी के पहले तो चिकने (Clean Shave) रहते हैं ।  लेकिन 35 साल की उम्र के बाद ये दाढी रखते हैं, तो क्या तुझे अच्छा लगेगा कि तेरा पति बालों से भरा हुआ रीछ सा लगे ? वो बोली "छी छी हरगिज नहीं" |*_

_*(9) क्या तुझे पता है कि मुस्लिम अपनी 10-12 साल की उम्र की लडकी को भी 50-55 साल के बुढ़े आदमी से शादी करवा देते हैं, क्योंकि उनके "अल्लाह मोहम्मद साहब" ने भी अपने दोस्त अबु बकर की 9 साल की बेटी आयशा से शादी की थी, इस्लाम में ये बुरा नहीं माना जाता । वो चौंकी "क्या बात कर रहे हो ?*_

*_चल अब बता कि क्या तुझे "लव जिहाद" का शिकार होना है ?_*

*_शादी इन्सान के जीवन में बहुत महत्व रखती है शादी जैसा पवित्र रिश्ता तो बहुत सोच समझ कर करना  चाहिए. हमारे संस्कारों में तो शादी एक बार ही होती है बार बार नहीं._*
[9/29, 9:32 AM] +91 72176 20994: *_हिन्दू विरोधी विज्ञापनों का सीधा नाता मीडिया और Arts संस्थानों के हिंदू विरोधी प्रोफेसरों से है_*

*_ऐसे लिबरल संस्थान Creative कम और Activist अधिक पैदा करते हैं!_*

*_FABIndia, CEAT, Nykaa, तनिष्क, हिंदुस्तान यूनिलीवर, मान्यवर इत्यादि इन नामों से तो आप परिचित ही होंगे। ये वही कंपनियाँ है जिन्होंने पिछले कुछ समय से मार्केटिंग के लिए हिन्दू विरोध को जरिया बना लिया है। क्या आपने कभी सोचा है कि ये कंपनियां ऐसी स्ट्रेटजी बनाती कैसे हैं? उन्हें इस तरह के हिन्दू विरोधी विज्ञापन का आइडिया कौन देता है? या फिर इस तरह से हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए इन कंपनियों को कंटेन्ट कौन तैयार करके देता है?_*

*_एक के बाद एक हिन्दू विरोधी विज्ञापनों के पीछे कोई और नहीं JNU और IIMC जैसे संस्थानों के वामपंथी सोच वाले प्रोफेसर जिम्मेदार हैं। उनका ही विष छात्रों तक पहुंचता है तथा वहीं से मिलता है इन कंपनियों को Ad Strategist._*

*_पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी कंपनियों ने एक के बाद एक हिन्दू विरोधी विज्ञापन बनाए हैं। इस तरह से लगातार सामने आ रहे हिन्दू विरोधी विज्ञापनों से देश की जनता सोचने पर मजबूर हो चुकी है कि आखिर सनातन धर्म को ही क्यों निशाना बनाया जाता है। अगर परत दर परत मामले की तह में जायें तो एक बात स्पष्ट हो जाएगी कि समस्या देश के उन मीडिया संस्थानों तथा आर्ट संस्थानों के वामपंथी प्रोफेसर हैं, जहां से Advertising Agencies हायरिंग करती हैं।_*

*_IIMC, JNU, TISS जैसे कई संस्थान हैं जहां से ये विज्ञापन एजेंसियां भर्ती करती हैं। इन संस्थानों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों की विचारधारा किसी से छुपी नहीं है। इन्हीं प्रोफेसरों का फैलाया हुआ भारत विरोधी विष छात्रों तक पहुंचता है और फिर वहीं से विज्ञापन एजेंसियां Campaign designer, Creative Executive Creative Director जैसे पदों पर भर्ती करती हैं। जब इन एजेंसियों को Hindustan Unilever, Tanishq, CEAT जैसी कंपनियों के विज्ञापन का कांट्रैक्ट मिलता है तब इन एजेंसियों के लिए हिन्दू विरोधी प्रोफेसरों से पढ़कर आए छात्र ही विज्ञापन की रूप रेखा तैयार करते हैं और फिर विज्ञापन अंतिम स्वरूप देते हैं।_*

*_उदाहरण के लिए Mumbai स्थित Lowe Lintas एक विज्ञापन एजेंसी है जो कई कंपनियों के लिए ads बनाती है। इसी कंपनी ने Hindustan Unilever के सर्फ एक्सेल के लिए हिन्दू विरोधी होली वाला विज्ञापन बनाया था। अब अगर इस कंपनी के भारतीय ब्रांच पर नजर डालें तो ऊपर से लेकर नीचे तक कई अधिकारी ऐसे ही संस्थानों से पढ़े हुए मिलेंगे जहां वामपंथी प्रोफेसरों का ही बोलबाला है। इसी तरह Ogilvy And Mathers भी एक Advertising Agency है।_*

*_JNU, TISS, IIMC, MUDRA इत्यादि देश के कुछ प्रमुख कला संस्थान हैं। इन संस्थाओं से प्रचारित हिंदू विरोधी विचारों को किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है।_*

*_इन संस्थानों से पढ़ने के बाद सामाजिक विज्ञान के विचारों से लैस होकर जब क्रांतिकारी apprentice यानी शिक्षु वास्तविक दुनिया में कदम रखते हैं, तो उनका एक्टिविजम Fresh Converts से भी अधिक होता है। सामूहिक रूप से, ऐसे लिबरल संस्थान Creative कम और Activist अधिक पैदा करते हैं।_*

*_उदारवादी संस्थानों का उद्देश्य मानव मस्तिष्क के क्षितिज को व्यापक बनाना था ताकि पक्षपात से रहित हो कर मानवीय समस्याओं का निदान हो सके। हालांकि, होता ठीक उलट है। छात्रों को संकीर्ण विचारधारा में बांध दिया जाता है, जिससे वे अपने ही देश, मिट्टी और संस्कृति को भूलकर उस विचारधारा को ही परमपूज्य मानने लगता है जिसे उसके प्रोफेसर ने पढ़ाया है।_*

*_परिणामस्वरूप हमें तनिष्क के एकत्वम अभियान जैसे विज्ञापन देखने को मिलते हैं जिसका वास्तविकता दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। ऐसा नहीं है कि आजकल इंटरनेट के क्षेत्र में हिंदू अति सक्रिय हैं तभी ऐसे विज्ञापन पर रिएक्शन देते हैं। यहाँ गलती उन Woke विज्ञापन एजेंसियों में बैठे लोगों की है जो वामपंथी संस्थानों के प्रोफेसरों की विचारधारा में उलझ कर वास्तविकता को नहीं जान सके। लव जिहाद पिछले कुछ सालों से एक संवेदनशील और नाजुक मुद्दा रहा है। तनिष्क के विज्ञापन अभियान के कुछ दिनों बाद ही निकिता तोमर हत्या का मामला सामने आया था। इससे लव जिहाद की सच्चाई और अधिक स्पष्ट हो गयी थी। बावजूद इसके विज्ञापन बनाने वाली विज्ञापन एजेंसियों ने अपना काम जारी रखा है। पिछले कुछ दिनों में ऐसे विज्ञापनों की भरमार देखी गई है, जिन्होंने सनातन धर्म को बदनाम करने का प्रायस किया है। चाहे नवरात्रि के अवसर पर Nykaa जैसे ई कॉमर्स साइट की जानबूझकर कॉन्डम को बेचने की स्ट्रेटजी हो या CEAT टायर्स का उपदेशात्मक विज्ञापन, इन सभी ने हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं को चोट पहुँचाई हैं। इसका असर यह हुआ है कि इन कंपनियों को करोड़ो का नुकसान सहना पड़ा है। तनिष्क ब्रांड को चलाने वाली मूल कंपनी टाइटनको Stocks में भी उस समय काफी नुकसान हुआ था।_*

*_अगर इन बड़ी कंपनियों को नुकसान से बचना है और विज्ञापन की दुनिया से हिन्दू विरोधी गतिविधियों को हटाना है तो बड़े-बड़े गोल-गोल चश्में और पैरों में चप्पल पहन झोला लटकाए इन हिंदू विरोधी प्रोफेसरों को समीकरण से निकालना होगा जिसके बाद समस्या हमेशा के लिए हल हो जाएगी।_*

रहस्यमयी बुखार 'स्क्रब टायफ़स' की चपेट में उत्तरप्रदेश!⚫️विगत एक माह से उत्तरप्रदेश में एक रहस्यमयी बुखार के संकट से जूझ रहा है. ये बुखार इतना वायरल है कि शायद ही उत्तरप्रदेश का कोई ऐसा घर हो जिसमें एक रोगी पीड़ित न निकले. लोग जूझ रहे हैं. ठीक भी हो रहे हैं. कुछ रोग की अज्ञानता में कोलैप्स भी कर जा रहे हैं. प्रदेश एक अघोषित पेन्डेमिक से गुज़र रहा है.

Very Importent 👉

रहस्यमयी बुखार 'स्क्रब टायफ़स' की चपेट में उत्तरप्रदेश!
⚫️विगत एक माह से उत्तरप्रदेश में एक रहस्यमयी बुखार के संकट से जूझ रहा है. ये बुखार इतना वायरल है कि शायद ही उत्तरप्रदेश का कोई ऐसा घर हो जिसमें एक रोगी पीड़ित न निकले. लोग जूझ रहे हैं. ठीक भी हो रहे हैं. कुछ रोग की अज्ञानता में कोलैप्स भी कर जा रहे हैं. प्रदेश एक अघोषित पेन्डेमिक से गुज़र रहा है.

⚫️इस बुखार का रहस्य ये है कि सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया से मिलते जुलते हैं पर जब टेस्ट कराइये तो सब निगेटिव आता है. क्योंकि बीमारी के लक्षण भले ही मिलते हों पर बीमारी अलग है.

⚫️जनहित में जारी आवश्यक सुचना विडंबना ये है कि बहुत से डॉक्टर भी वायरल मान कर उसका ट्रीटमेंट दे रहे हैं या डेंगू का ट्रीटमेंट दे रहे हैं. उनको भी रोग के विषय में नहीं मालूम।
(ये मैं इस आधार पर कह रहा हूँ कि मेरे परिचित दिव्या मिश्रा राय के बेटे और पति, दोनों के बुखार को डेंगू समझ कर ट्रीटमेंट दिया गया और दोनों ही सुप्रसिद्ध डॉक्टर्स के द्वारा दिया गया)
▪️जब 12 नवंबर को दिव्या मिश्रा राय में लक्षण दिखे तो उन्हे उनके फैमिली डॉक्टर को दिखाया गया। उन्होंने इस नयी बीमारी का नाम बताया "स्क्रब टायफ़स"।
फिर उन्होंने इस बीमारी के विषय में रिसर्च की और उन्हें लगा कि इसको सबसे शेयर करना चाहिये क्योंकि उनके कुछ बहुत ही अजीज़ लोगों की मृत्यु का समाचार मिल चुका था।

श्रीमती दिव्या मिश्रा राय द्वारा दी गई जानकारी.....
🔵स्क्रब टायफ़स के संक्रमण का कारण:-
▪️थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स या chigger नामक कीड़े की लार में orientia tsutsugamushi नामक बैक्टीरिया होता है, जो स्क्रब टायफ़स का कारण है। इसी के काटने से ये फैलता है। इन कीड़ों को सामान्य भाषा में कुटकी या पिस्सू कहते हैं। इनकी साइज़ 0.2 mm होती है।

▪️संक्रमण का incubation period 6 से 20 दिन का होता है, अर्थात कीड़े के काटने के 6 से 20 दिन के अंदर लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

🔵स्क्रब टायफ़स के लक्षण:-
(इसके लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया सभी के मिले जुले लक्षण हैं)
▪️ठण्ड दे कर तेज़ बुखार आना
▪️बुखार का फिक्स हो जाना, सामान्य पैरासिटामोल से भी उसका न उतरना
▪️शरीर के सभी जोड़ों में असहनीय दर्द व अकड़न होना
▪️मांसपेशियों में असहनीय पीड़ा व अकड़न
▪️तेज़ सिर दर्द होना
▪️शरीर पर लाल रैशेज़ होना
▪️रक्त में प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना
▪️मनोदशा में बदलाव, भ्रम की स्थिति (कई बार कोमा भी)

🔵खतरा:-
समय पर पहचान व उपचार न मिलने पर
▪️मल्टी ऑर्गन फेलियर
▪️कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
▪️सरकुलेटरी कोलैप्स

🔵मृत्युदर:-
सही इलाज न मिलने पर 30 से 35% की मृत्युदर तथा 53% केस में मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शनल सिंड्रोम की पूरी सम्भावना..

🔵कैसे पता लगाएं:-
Scrub antibody - Igm Elisa नामक ब्लड टेस्ट से इस रोग का पता लगता है। (सब डेंगू NS1 टेस्ट करवाते हैं और वो निगेटिव आता है।)

🔵निदान:-
जिस प्रकार डेंगू का कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है वैसे ही स्क्रब टायफ़स का भी अपना कोई इलाज नहीं है।
▪️अगर समय पर पहचान हो जाए तो doxycycline नामक एंटीबायोटिक दे कर डॉक्टर स्थिति को नियंत्रित कर लेते हैं.
▪️पेशेंट को नॉर्मल पैरासिटामोल टैबलेट उसके शरीर की आवश्यकता के अनुसार दी जाती है।
▪️ बुखार तेज़ होने पर शरीर को स्पंज करने की सलाह दी जाती है।
▪️शरीर में तरलता का स्तर मेन्टेन रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी, ORS, फलों के रस, नारियल पानी, सूप, दाल आदि के सेवन की सलाह दी जाती है।
▪️लाल रैशेज़ होने पर कैलामाइन युक्त लोशन लगाएं।
▪️रेग्युलर प्लेटलेट्स की जाँच अवश्यक है क्योंकि खतरा तब ही होता है जब रक्त में प्लेटलेट्स 50k से नीचे पहुँच जाती हैं।
▪️आवश्यकता होने पर तुरंत मरीज़ को हॉस्पिटल में एडमिट करना उचित है।

🔵बचाव:-
▪️स्क्रब टायफ़स से बचाव की कोई भी वैक्सीन अब तक उपलब्ध नहीं है।
▪️संक्रमित कीड़ों से बचने के लिए फुल ट्रॉउज़र, शर्ट, मोज़े व जूते पहन कर ही बाहर निकलें।
▪️शरीर के खुले अंगों पर ओडोमॉस का प्रयोग करें।
▪️घर के आस पास, नाली, कूड़े के ढेर, झाड़ियों, घास फूस आदि की भली प्रकार सफाई करवाएं. कीटनाशकों का छिड़काव करवाएं।
▪️अपने एरिया की म्युनिसिपालिटी को सूचित कर फॉग मशीन का संचरण करवाएं।

नोट:-
▪️स्क्रब टायफ़स एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलता। सिर्फ और सिर्फ चिगर नामक कीड़े के काटने पर ही व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है।
(कृपया इस जानकारी को आगे बढ़ाने में मेरा सहयोग करें. क्या मालूम किसके काम आ जाए और किसी की जान बच जाए

ईद मिलादुन्नबी अर्थात बारावफात या मोहम्मस साहब का जन्म दिवस*=मोहर्रम अली की कलम से।ईद का शाब्दिक अर्थ खुशी के होते है।बचपन से ले कर अंतिम सांस तक सामाजिक बुराईयों से लड़ कर मुस्लिम समाज के योद्धा बने मोहम्मद साहब जब अपनी माँ के पेट मे मानव आकृत का रूप धारण कर रहे थे।एक अजीब से सुगंध घर से आने लगी थी।आप के दादा ने कहा था।बहु से पूछो ।कौन सा खुशबू बहु लगाती है। जिससे यह तेज खुशबू आती है।नह ने कहा था ।

*ईद मिलादुन्नबी अर्थात बारावफात या मोहम्मस साहब का जन्म दिवस*=
मोहर्रम अली की कलम से।
ईद का शाब्दिक अर्थ खुशी के होते है।
बचपन से ले कर अंतिम सांस तक सामाजिक बुराईयों से लड़ कर मुस्लिम समाज के योद्धा बने मोहम्मद साहब जब अपनी माँ के पेट मे मानव आकृत का रूप धारण कर रहे थे।एक अजीब से सुगंध घर से आने लगी थी।
आप के दादा ने कहा था।बहु से पूछो ।कौन सा खुशबू बहु लगाती है। जिससे यह तेज खुशबू आती है।
नह ने कहा था ।
मेरे पास कोई खुशु नहीं हैं। में भी महसूस कर रही हूं इस सुगन्ध को ।हैरान हूं मैं।
और जब मोहम्मद साहब पैदा हुए कोई कचड़ा था ही नहीं आप के साथ।
साफ सुथरे धुले धुलाए।कहा जाता है कि जब आप अपनी मां के शिकम से बाहर हुए। आप का सर सजदे की हालत में जमीन पर पड़ा हुआ था।
पता यह चला अगर तुम मोहम्मद साहब को दिल से मानते हो।तुमको हल हाल में नमाज पढ़नी ही पड़ेगी।
आप की नमाज़ हर हाल में हर कीमत पर पूछी जाएगी।
आप का हाल यह है।आप कभी लूलू माल में कभी सार्वजनिक स्थलों पर और कभी रेलवे स्टेशन पर नमाज पढ़ कर जेल ही हवा खाने लगते हो।
नमाज एक महिला भी पड़ती थी इस्लाम के इतिहास में ।
नाम राबिया बसरी।
आप बसरा की रहने वाली थीं।
जिसके यहाँ वह नोकरी करती थीं।
उस माकिल ने दिन में नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगा दिया था ।आप रात में सभी कामों से फारिग होकर मुसल्ला बिछा कपनी नमाज़ पूरी करती थीं।
कहा जाता है कि काबा अपनी डर से उठ कर उनके पास चला गया था ।
मात्र कुछ साल बाद एक बीमारी में माता जी का भी देहांत हो गया।
अब आप के माता पिता दोनो विलुप्त। यतीम हो गए बचपन मे मोहम्मद साहब।
सन्देश आप के 
लिए यहाँ यह है कि अगर तुम मुस्लिम हो बचपन मे यतीम हो तो समझ लेना कि तुम्हारे नबी मोहम्मद साहब जिनका तुम कलमा पढ़ते हो ।वह भी यतीम और बे सहारा थे।
जब मोहम्मद साहब 14 साल के हो गए।घर मे खाने को कुछ था ही नहीं। आप के दादा उस समय मक्का की सब से बड़ी व्यवसायी खदीजा के पास ले गए।
और कहा यह मेरा पोता है।
इसको काम पर लगा लीजिये।
खदीजा ने मोहम्मस साहब को निहारा देखा कुछ पूछा भी।
और काम पर लगा दिया।
मोहम्मद साहब की नैकरी का लाभ खदीजा को यह मिला कि उनका कारोबार बहुत तेज होगया।
कुछ दिन गुजरने के बाद मोहम्मद साहब के दादा से खदीजा ने मोहम्मद साहब से निकाह करने को कहा। आप के दादा हैरान की मेरा पोता सिर्फ बीस साल का है।
और खदीजा की उम्र चालीस साल से ऊपर।और वह भी विधवा।
लेकिन यह निकाह हुआ।
यही एक सन्देश उभर कर सामने आया।
अगर तुम मोमिन हो तो विधवाओं से शादी कर लिया करो।
शादी उपरांत अपना लम्बा छोड़ा व्यावसाय।सोना चांदी हीरे जवाहरात अपना सब कुछ मोहम्मद साहब को सौप दिया ।अब यह सब मेरे लिए बेकार हैं।
और मोहम्मद साहब ने वह सभी धन दौलत एक झटके में गरीबों में बाट दिया।
बता दें कि अरब हजारों हजार साल तक खजूर और बकरी तथा ऊंटनी के दूध पर जीवन यापन किया है।
अपनी उम्र के 43 साल तक एक सच्चा ईमानदार और अमानत मे खयानत न करने वाला चरित्र और चेहरा बनने के बाद।
आप पर कुरान पार्ट पार्ट में उतरा।
रमजान के रोजे लगाता नमक पानी से रखने और खोलने की बाते सार्वजनिक रूप से हैं मोहम्मद साहब की।
कभी इस्लाम के इस महानायक ने सब कुछ होते हुए भी राजसी जीवन नहीं जिया।
शॉर्ट कर रहा हूँ।
अब आप की आखिरी साँसों पर आता हूँ।
आप को बुखार आ रहा था।
तबियत बिगड़ती जा रही थी।
आप अपना सर अपनी बिटिया फात्मा के पर पर रख कर आराम कर रहे थे।
उस दिन घर मे चिराग भी पड़ोसी के मकान से उधार  तेल मांग कर 
इतने में बाहर से कुछ आवाज़ आई।
फात्मा ने फकीर समझ कर कहा।
हमारे पास आप को देने के लिए कुछ नहीं है। कहीं और देख लिजिये।
मोबम्मद साहब ने कहा था ।वह फकीर नहीं है।
जान निकालने वाला फरिश्ता है।वह मेरी जान निकाकने आया है।
वह देव दूत कमरे में आता है।
सम्मान पूर्वक सलाम करता है।
और कहता है।
साहब अब तक जितने लोगो की जान निकाली है किसी को सलाम नहीं किया।आप प्रथम हैं जी को सलाम करने के लिए हमसे कहा गया है।
मोहम्मद साहब ने कहा था।
मेरे उम्र तो 93 साल थी ।फिर 63 सालम
 साल में तुम मेरी जान कैसे निकाल सकते हो।
इसी समय जिब्राईल दूत आते हैं।
कहते हैं।
या रसूल अल्लाह
आप के तीस साल मेराज में कट गए हैँ।
फिर भी हमसे कहा गया है।उनसे पूछो वह क्या चाहते हैं।
मोहम्मद साहब ने कहा ।उससे पूछो वह क्या चाहता है।
दूत ने आ कर बताया जन्नत आप का इंतज़ार कर रही है।
यही एक टर्निग पल आया।
जब मोहम्मद साहब ने कहा ।
जाकर अल्लाह से पूछो।
वह मेरी उम्मत के साथ क्या करेगा।
जिब्राईल फिर गए अल्लाह के पास।
फिर आकर बोले जा कर उनसे कह दो।
उनकी उम्मत का ख्याल रखूंगा।
अब नबी साहब ने रूह निकलने वाले फ़रिश्ते से कहा।
अब तुम मेरी रूह निकालो।
यही एक वादा अगर मोहम्मद साहबने अगर अल्लाह से न लिया होता तो हमारे गुनाह और अपराध देख कर पूर्व के नबियों की उम्मतों की तरह से हमे भी अल्लाह ताला बन्दर और सुवर बना देता।
इस तरह से मोहम्मद साहब की जाहरी जिंदगी आउट ऑफ लाइफ हो गई।
इस्लाम के इस महानायकने लगभग पूरा जीवन आभाव और तकलीफों में गुज़ार दिया।
ताकि अगर तुम भूखे हो। आभाव की जिंदगी जी रहे हो।
तो मां लेना तुम्हारे मोहम्मद ने भी आभाव और संकट का जीवन जी कर हमें नसीहत दी है।
बताया जाता है कि जिस दिन मोहम्मद साहब ने जन्म लिया उस दिन आप का शारीरिक अंत भी हुआ।
मोहम्मद साहब के जन्म दिवस की आप सभी को बधाईया और मुबारकबाद।

Wednesday, 27 September 2023

जावेद साहब से कहा, “आपके पास कुछ पैसे पड़ें हैं क्या? वो कब्र बनाने वाले को देने हैं, मैं तो जल्दबाज़ी में ऐसे ही आ गया”, जावेद साहब ने अपना बटुआ निकालते हुआ पूछा, ''हां-हां, कितने रुपए देने हैं'' उन्होंने कहा, “दो सौ रुपए

एक दौर था.. जब जावेद अख़्तर के दिन मुश्किल में गुज़र रहे थे। ऐसे में उन्होंने साहिर से मदद लेने का फैसला किया। फोन किया और वक्त लेकर उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे।
उस दिन साहिर ने जावेद के चेहरे पर उदासी देखी और कहा, “आओ नौजवान, क्या हाल है, उदास हो?” 
जावेद ने बताया कि दिन मुश्किल चल रहे हैं, पैसे खत्म होने वाले हैं। 
उन्होंने साहिर से कहा कि अगर वो उन्हें कहीं काम दिला दें तो बहुत एहसान होगा।

जावेद अख़्तर बताते हैं कि साहिर साहब की एक अजीब आदत थी, वो जब परेशान होते थे तो पैंट की पिछली जेब से छोटी सी कंघी निकलकर बालों पर फिराने लगते थे। जब मन में कुछ उलझा होता था तो बाल सुलझाने लगते थे। उस वक्त भी उन्होंने वही किया। कुछ देर तक सोचते रहे फिर अपने उसी जाने-पहचाने अंदाज़ में बोले, “ज़रूर नौजवान, फ़कीर देखेगा क्या कर सकता है”

फिर पास रखी मेज़ की तरफ इशारा करके कहा, “हमने भी बुरे दिन देखें हैं नौजवान, फिलहाल ये ले लो, देखते हैं क्या हो सकता है”, जावेद अख्तर ने देखा तो मेज़ पर दो सौ रुपए रखे हुए थे।

वो चाहते तो पैसे मेरे हाथ पर भी रख सकते थे, लेकिन ये उस आदमी की सेंसिटिविटी थी कि उसे लगा कि कहीं मुझे बुरा न लग जाए। ये उस शख्स का मयार था कि पैसे देते वक्त भी वो मुझसे नज़र नहीं मिला रहा था।

साहिर के साथ अब उनका उठना बैठना बढ़ गया था क्योंकि त्रिशूल, दीवार और काला पत्थर जैसी फिल्मों में कहानी सलीम-जावेद की थी तो गाने साहिर साहब के। अक्सर वो लोग साथ बैठते और कहानी, गाने, डायलॉग्स वगैरह पर चर्चा करते। इस दौरान जावेद अक्सर शरारत में साहिर से कहते, “साहिर साब !  आपके वो दौ सौ रुपए मेरे पास हैं, दे भी सकता हूं लेकिन दूंगा नहीं” साहिर मुस्कुराते। साथ बैठे लोग जब उनसे पूछते कि कौन से दो सौ रुपए तो साहिर कहते, “इन्हीं से पूछिए”, ये सिलसिला लंबा चलता रहा। 
साहिर और जावेद अख़्तर की मुलाकातें होती रहीं, अदबी महफिलें होती रहीं, वक्त गुज़रता रहा।

और फिर एक लंबे अर्से के बाद तारीख आई 25अक्टूबर 1980की। वो देर शाम का वक्त था, जब जावेद साहब के पास साहिर के फैमिली डॉक्टर, डॉ कपूर का कॉल आया। उनकी आवाज़ में हड़बड़ाहट और दर्द दोनों था। उन्होंने बताया कि साहिर लुधियानवी नहीं रहे। हार्ट अटैक हुआ था। जावेद अख़्तर के लिए ये सुनना आसान नहीं था।

वो जितनी जल्दी हो सकता था, उनके घर पहुंचे तो देखा कि उर्दू शायरी का सबसे करिश्माई सितारा एक सफेद चादर में लिपटा हुआ था। वो बताते हैं कि ''वहां उनकी दोनों बहनों के अलावा बी. आर. चोपड़ा समेत फिल्म इंडस्ट्री के भी तमाम लोग मौजूद थे। मैं उनके करीब गया तो मेरे हाथ कांप रहे थे, मैंने चादर हटाई तो उनके दोनों हाथ उनके सीने पर रखे हुए थे, मेरी आंखों के सामने वो वक्त घूमने लगा जब मैं शुरुआती दिनों में उनसे मुलाकात करता था, मैंने उनकी हथेलियों को छुआ और महसूस किया कि ये वही हाथ हैं जिनसे इतने खूबसूरत गीत लिखे गए हैं लेकिन अब वो ठंडे पड़ चुके थे।''

जूहू कब्रिस्तान में साहिर को दफनाने का इंतज़ाम किया गया। वो सुबह-सुबह का वक्त था, रातभर के इंतज़ार के बाद साहिर को सुबह सुपर्द-ए-ख़ाक किया जाना था। ये वही कब्रिस्तान है जिसमें मोहम्मद रफी, मजरूह सुल्तानपुरी, मधुबाला और तलत महमूद की कब्रें हैं। साहिर को पूरे मुस्लिम रस्म-ओ-रवायत के साथ दफ़्न किया गया। साथ आए तमाम लोग कुछ देर के बाद वापस लौट गए लेकिन जावेद अख़्तर काफी देर तक कब्र के पास ही बैठे रहे।

काफी देर तक बैठने के बाद जावेद अख़्तर उठे और नम आंखों से वापस जाने लगे। वो जूहू कब्रिस्तान से बाहर निकले और सामने खड़ी अपनी कार में बैठने ही वाले थे कि उन्हें किसी ने आवाज़ दी। जावेद अख्तर ने पलट कर देखा तो साहिर साहब के एक दोस्त अशफाक साहब थे।

अशफ़ाक उस वक्त की एक बेहतरीन राइटर वाहिदा तबस्सुम के शौहर थे, जिन्हें साहिर से काफी लगाव था। अशफ़ाक हड़बड़ाए हुए चले आ रहे थे, उन्होंने नाइट सूट पहन रखा था, शायद उन्हें सुबह-सुबह ही ख़बर मिली थी और वो वैसे ही घर से निकल आए थे। उन्होंने आते ही 

जावेद साहब से कहा, “आपके पास कुछ पैसे पड़ें हैं क्या? वो कब्र बनाने वाले को देने हैं, मैं तो जल्दबाज़ी में ऐसे ही आ गया”, जावेद साहब ने अपना बटुआ निकालते हुआ पूछा, ''हां-हां, कितने रुपए देने हैं'' उन्होंने कहा, “दो सौ रुपए"..

साभार - Kavya - काव्य

Tuesday, 26 September 2023

भारतीय मदरसा तालीम प्रणाली में आधुनिक सोच की कमी*मदरसा तालीम प्रणाली और उसके तालीम के पारंपरिक दृष्टिकोण पर बहस छिड़ी हुई है। कई ऐसा मानते हैं कि इस पूरी व्यवस्था का कायाकल्प होना चाहिए। जबकि अन्य का

*भारतीय मदरसा तालीम प्रणाली में आधुनिक सोच की कमी*
मदरसा तालीम प्रणाली और उसके तालीम के पारंपरिक दृष्टिकोण पर बहस छिड़ी हुई है। कई ऐसा मानते हैं कि इस पूरी व्यवस्था का कायाकल्प होना चाहिए। जबकि अन्य का
यह मानना है कि यह पूरी व्यवस्था ही त्रुटिपूर्ण है और इसके पाठ्यक्रम में आधुनिक विज्ञान के विषयों को शामिल किया जाना चाहिए। 'मदरसा' शब्द, कई दफ़ा ढर्रे पर चलने वाली
और दोषपूर्ण 'तालीम व्यवस्था के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण इसके प्रति कट्टरवादी, रुढिवादी ओर यहाँ पढ़ने वालों के प्रति आधुनिकता- विरोधी सोच का आभास
होता है। भारत में मदरसों पर हमेशा से यह दाग लगता रहा है कि यहां कट्टरवादी इस्लाम की तालीम दी जाती है जो, कभी-कभी भारतीय बहुलवादी संस्कृति के लिए खतरा बन जाती है।
इसके अलावा इसका आर्थिक सशक्तिकरण में संभावना बहुत कम है क्योंकि इसके ज्यादातर छात्र व्यवसाय के बाजार के अनुकूल नहीं होते बल्कि इनका झुकाव, मजहब से संबंधित कार्यों जैसे मस्जिदों के इमाम और नौजवानों को कुरान की तालीम देने आदि तक ही सीमित होता है। इसके अतिरक्ति मदरसों पर आधुनिक तालीम के तरीकों को ना अपनाने और समकालीन तकनीक से दूर रहने के आरोप लगते रहे हैं। यहाँ पर जोर देने की जरूरत है कि मदरसों की तालीम प्रणाली को, अपने पाठ्यक्रमों में प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान तथा कला विषयों को, कम से कम स्नातक स्तर तक शामिल करने की जरूरत है, ताकि छात्र अपने भविष्य के कोर्सों को चुन सकें और साथ-साथ इस्लाम में भी महारत हासिल कर सकें।
मदरसा संस्थानों को मुस्लिम समुदाय के सामाजिक ताने-बाने और आर्थिक पिछड़ेपन को समझना चाहिए और इन छात्रों को जातीयता व मजहबी सिद्धांतों पर आधारित तालीम देकर, अलगाववाद के एजेन्ट न बनाएँ। जोर इस बात पर भी होना चाहिए कि ये छात्र सामाजिक सौहार्द व अमन के दूत बन सकें। मदरसा व्यवस्था को जरूरी ढांचागत बदलाव करना चाहिए और जातीय, वर्गीय तथा मजहबी सीमाओं से परे देखते हुए सामने पेश आने वाली समस्याओं को समझदारी से सुलझाना चाहिए और बदलते समाज के अनुसार इनका हल निकालना चाहिए। मदरसों के इस ढांचागत बदलाव के कारण छात्र एक तरफ मजहबी मामलों के जानकर बन सकेंगे तो दूसरी ओर वे व्यावसायिक कोर्सों से इल्म प्राप्त कर वैज्ञानिक, आर्थिक सलाहकार या दार्शनिक बन सकेंगे ताकि खुद का व पूरे मुल्क का फायदा हो सके।
फरहत अली खान
एम. ए. गोल्ड मेडलिस्ट

जिलों में अपर जिला रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) का दायित्व संभालने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।* *सरकारी और निजी अस्पतालों में जन्म-मृत्यु की हर घटना का पंजीयन सुनिश्चित करना होगा।* *ऐसा न होने पर संबंधी अस्पताल के प्रभारी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होगी।*

*अस्पतालों में छुट्टी से पहले मिलेगा जन्म प्रमाणपत्र*

*लखनऊ, अस्पताल में होने वाले हर जन्म और मृत्यु को तत्काल नागरिक पंजीयन प्रणाली के तहत दर्ज किया जाएगा।* 

*अस्पताल से प्रसूता की छुट्टी होने से पहले हर हाल में नवजात का जन्म प्रमाणपत्र परिजनों को उपलब्ध कराना होगा। इससे न सिर्फ लोगों को सुविधा होगी, बल्कि नगर निगमों सहित अन्य निकायों पर जन्म-मृत्यु पंजीयन की भीड़ भी घटेगी।*
*स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं।*

*प्रदेश के अस्पतालों में होने वाले जन्म-मृत्यु और उनके पंजीकरण के आंकड़ों में काफी अंतर है।*                 

*तमाम प्रकरण समय से दर्ज ही नहीं किए जा रहे। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसे गंभीरता से लेते हुए जन्म-मृत्यु पंजीकरण से जुड़े विभागीय अधिकारियों के पेंच कसे हैं।*                        

*जिलों में अपर जिला रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) का दायित्व संभालने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।*                                         

*सरकारी और निजी अस्पतालों में जन्म-मृत्यु की हर घटना का पंजीयन सुनिश्चित करना होगा।*                                 

*ऐसा न होने पर संबंधी अस्पताल के प्रभारी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होगी।*

Sunday, 24 September 2023

मोदी 25 को करेंगे वसुधंरा के लिए घोषणा‼️*🙋‍♂️

*‼️मोदी 25 को करेंगे वसुधंरा के लिए घोषणा‼️*🙋‍♂️

               *✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*

                  *अब हवाएं ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला ,जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा। जी हाँ! राजस्थान भाजपा में शत प्रतिशत यही हो रहा है और यही होगा। दिल्ली के दिल और राजस्थान की धड़कन के बीच चल रहा ठसके का खेल अब इसी मोड़ पर  खड़ा हुआ है। उधर जुड़वाँ भाईयों की हठधर्मिता इधर महारानी की मर्दानी ज़िद ने तय कर दिया है कि अशोक गहलोत की कांग्रेस ही अगली बार सत्ता में आएगी।*👍
              *प्रधानमंत्री मोदी उनके सियासती जोड़ीदार अमित शाह समझाए नहीं समझ रहे। मामूली सी बुद्धि रखने वाला भी खुलेआम कह रहा है कि वसुंधरा को सामने लाए बिना भाजपा किसी क़ीमत में अपना मुख्यमंत्री नहीं बना पाएगी मगर जुड़वाँ भाईयों ने तो जैसे धार ही लिया है कि भाजपा की दीवार गिर जाए पर वसुंधरा की बकरी मरनी चाहिए।*😇
            *राज्य की परिवर्तन यात्रा ने भाजपा के तेवर पूरी तरह से ढीले कर दिए हैं। कहीं कोई भीड़ नज़र नहीं आ रही ।हाँ ,भाजपा के मज़बूत दावेदार ज़रूर टिकिट मिलने की उम्मीद में अपने समर्थक स्वागत में खड़े करवा रहे हैं। बाक़ी रास्तों में हाल पूरी तरह फ्लॉप शो साबित हो रहे हैं। दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में 1000- 2000 की भीड़ होना शर्मनाक है। ऐसा नहीं कि जुड़वाँ भाईयों तक ये शर्मनाक सूचनाएं नहीं पहुंच रहीं किंतु उनका टस से मस नहीं होना यह दर्शा रहा है कि या तो उनके पिटारे में कोई बहुत बड़ा मास्टर स्ट्रोक अंत समय के सुरक्षित रखा हुआ है या वह इस बार बुरे से बुरे परिणामों के लिए मानसिक रूप से तैयार हो चुके हैं।*😨
              *मेरा मानना है कि मोदी और शाह इतने नासमझ नहीं कि कालिदास की तरह उसी डाली पर कुल्हाड़ी चला दें जिस पर वे बैठे हुए हैं। ज़रूर उनके पास कोई विशाल अज़गर है जिसे दिखा कर वे फिर अपना मंजन बेच लेंगे।क्या हो सकता है वह अज़गर इस पर पुख़्ता तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता  मगर राजस्थान को दो राज्यों में तब्दील करने के क़यास लगाए जा रहे हैं। शायद यही वह अज़गर हो जिससे वसुंधरा के आगे रख कर बीन बजाया जाए। यूँ समान नागरिक क़ानून भी कोई कम बड़ी पोलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक नहीं।*🤷‍♂️
                *इसी 25 सितंबर को मोदी जी जयपुर आ रहे हैं।अब तक की यात्राओं से वसुंधरा और उनके समर्थक चेहरे लगभग पूरी तरह से दूरी बनाए हुए हैं। वसुंधरा इतने दिनों सै दिल्ली बैठी हुई है। आज ही उनके जयपुर आने की सूचना हैं। वहीँ भाजपा हाईकमान का कोई नेता उनसे संवाद करके राज़ी नहीं। ना ही वसुंधरा उनसे संपर्क करने की कोशिश में हैं। उनकी ये चुप्पी ही आने वाले तूफ़ान की आहट दे रही है।*💁‍♂️
               *जहाँ तक मेरी जानकारी है लगभग वह सारे भाजपा विधायक जो वसुंधरा खेमे के हैं टिकिट मिलने का इंतज़ार किए बिना अपने चुनाव क्षेत्रों में जाकर प्रचार में जुट गए हैं। सभी कमल को खिलाने का नाटक किए बिना सीधा व्यक्तिगत सम्पर्क कर रहे हैं। फ़िलहाल वह पार्टी को सामने नहीं ला रहे।*🤪
               *कोटा के दिग्गज भाजपा नेता भवानी सिंह ने तो बाक़यदा मोर्चा खोलते हुए परिवर्तन यात्रा से दूर रहने का ऐलान कर दिया है। वे पार्टी की नीतियों से थक गए हैं। यही हाल काली चरण सर्राफ़, यूनुस खान और अन्य वसुंधरा से जुड़े विधायको का है। ज़ाहिर है कि महारानी कोप भवन में हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठीं हैं ।*❌️
                        *मोदी की सभा में वह आएंगी या नहीं यह फ़िलहाल तय नहीं। उनको नेताओं ने आमंत्रण ज़रूर भेज दिया है। जानकारी मिली है कि वसुंधरा ने आख़री बार अपनी भूमिका तय करने की शर्त बहादुरी के साथ जुड़वाँ भाईयों तक पहुंचा दी है।*🤨
             *यद्यपि मेरे पत्रकार साथी बराबर यह कह रहे हैं कि महारानी को हमेशा के लिए सियासती रास्ते से हटाने का मसला तय हो चुका है मगर मैं अब भी कह रहा हूँ कि पार्टी खूबसूरत मोड़ पर वसुंधरा को पूरे सम्मान के साथ जोड़ लेगी।मोदी की राजस्थान यात्रा में सभा के समापन पर वसुंधरा निश्चित रुप से मंच पर होंगी।मंच से ही उनको चुनाव का चेहरा घोषित कर दिया जाएगा।*💯
                 *यदि मेरी यह भविष्यवाणी सही नहीं होती तो फिर मोदी जी का कोई बड़ा ऐलान होना 25 की सभा में तय है। चलिए देख लेते है इंतज़ार करके। वो कहावत भी की नाई नाई बाल कितने, जजमान थोड़ी देर की ही बात है सामने आ जाएंगे।*😇

सोशल मीडिया पर हुआ यह मैसेज वायरल जस्टिस जी डी खोसला" वो "जज" थे, जिन्होंने "नाथूराम गोडसे" केस की सुनवाई की थी और नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी थी lगोडसे को फांसी पर चढ़ाने के बाद जज साहब, अपनी किताब "द मर्डर ऑफ महात्मा एन्ड अदर केसेज फ्रॉम ए जजेज़ डायरी" में पेज नंबर 305 -06 पर लिखते है कि :- "अदालत में गोडसे ने अपनी बात पाँच घंटे के लंबे बयान के रूप में रखी थी जो कि 90 पृष्ठों का था,और 5 घंटे तक लगातार बोलने के बाद जब गोडसे ने बोलना बन्द किया तब सभी सुनने वाले स्तब्ध और विचलित थे, एक गहरा सन्नाटा था, जब उसने बोलना बंद किया, महिलाओं की आँखों में आँसू थे और पुरुष भी खाँसते हुए रुमाल ढूँढ रहे थे l

"जस्टिस जी डी खोसला" वो "जज" थे, जिन्होंने "नाथूराम गोडसे" केस की सुनवाई की थी और नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी थी l
गोडसे को फांसी पर चढ़ाने के बाद जज साहब, अपनी किताब "द मर्डर ऑफ महात्मा एन्ड अदर केसेज फ्रॉम ए जजेज़ डायरी" में पेज नंबर 305 -06 पर लिखते है कि :- "अदालत में गोडसे ने अपनी बात पाँच घंटे के लंबे बयान के रूप में रखी थी जो कि 90 पृष्ठों का था,और 5 घंटे तक लगातार बोलने के बाद जब गोडसे ने बोलना बन्द किया तब सभी सुनने वाले स्तब्ध और विचलित थे, एक गहरा सन्नाटा था, जब उसने बोलना बंद किया, महिलाओं की आँखों में आँसू थे और पुरुष भी खाँसते हुए रुमाल ढूँढ रहे थे l

मुझे कोई संदेह नहीं है, कि यदि उस दिन अदालत में उपस्थित लोगों की जूरी बनाई जाती और लोगों को गोडसे पर फैसला देने को कहा जाता तो उन्होंने भारी बहुमत से गोडसे को ‘निर्दोष’ करार कर दिया होता l

गोडसे का बयान सुनने के बाद मैं उन्हें फांसी की सज़ा नहीं देना चाहता था लेकिन मैं सरकार और प्रशासन के दबाव में मजबूर था, मुझे पता है कि गोडसे को फांसी की सज़ा देकर मैंने जो "पापकर्म" किया है ? उस के कारण यमराज के घर एक भयंकर "सज़ा" मेरा इंतजार कर रही है l "मैंने एक निर्दोष" और "महान देशभक्त" को "फांसी की सज़ा दी थी", जिसके लिए "भगवान मुझे कभी क्षमा नहीं करेगा” 

हिंदुस्तान में सनातनीओं के प्रति कांग्रेसिओं की 'महान' 'उपलब्धिओं' तथा" काले कारनामों" के बारे में सभी "सनातन धर्मावलम्बियों ज्ञात , होना ही चाहिए ।

*सभी जाति के हिंदुओं के खिलाफ कांग्रेस की "विशेष  उपलब्धियां" देखिए 

कौन कहता है कि कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में 'सनातन हिन्दुओं के बारे में' 'कुछ काम' नहीं किया है, 'काम' तो बहुत किया है, लेकिन केवल अपने मुसलमानों भाइयों के लिए ही किया है...l

जैसे :-पाकिस्तान बनाया,"केवल मुसलमानों के लिए" l

*बांग्लादेश बनाया -"केवल मुसलमानों के लिए" l

कश्मीर में धारा 370 लागू किया -"केवल  मुसलमानों के लिए" l

अल्पसंख्यंक बिल बनाया - "केवल मुसलमानों के लिए" l

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बनाया -"केवल मुसलमानों के लिए" l

अल्पसंख्यक मंत्रालय बनाया, "केवल मुसलमानों के लिए" l

वक़्फ़ बोर्ड बनाया,"केवल मुसलमानों के लिए" l

अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय बनाया -"केवल मुसलमानों के लिए" l

 हिंदुस्तान का बंटवारा धार्मिक आधार पर किया "केवल मुसलमानों के लिए" l

 Places of Worship Act  बनाया मुसलमानों के लिए ?

*हिंदू मंदिरों का चढ़ावा हड़पने का कानून बनाया, मुसलमानों के मदरसे चलाने के लिए

*हज़्ज़ यात्रा की सब्सिडी देने का नियम बनाया मुसलमानों के लिए

Anti Communal Violence Bill  संसद में पेश किया मुसलमानों के लिए ...... लेकिन भला हो BJP का कि ये Bill संसद में पास नहीं होने दिया, इस बिल को भी कांग्रेस pass करवाने दोबारा लाई "केवल मुसलमानों के लिए" l
 
और कहीं अगर यह बिल पास हो गया होता ? तो हिंदुओं को ख़त्म करने में "मात्र 10 साल" ही लगते...? अगर किसी को कोई शक शुबह हो तो Google पर जा कर सर्च करके पढ़ ले

देश को चुपचाप" इस्लामिक देश" बनाने की तैयारी थी, कांग्रेसिओं की 

और हिंदूओं को सिर्फ "आरक्षण  का झुनझुना" देना थाl ताकि - "हिंदू समाज सदा बिखरा रहे और आपस में लड़ता रहे",और "कभी गजवा-ए-हिन्द द्वारा अपने इस्लामीकरण की साज़िश को समझ ही न पाये"...?

हिंदूओं को दोयम दर्जे का नागरिक (Second Rate Citizen) बनाने के लिए - हिंदू कोड बिल लाई ,वो भी,"केवल मुसलमानों" के लिए l

*💥कभी - कभी मन करता है, कि पोस्ट ही ना करूं..?. फिर ख्याल आता है, कि 👉"पढ़ेगा भारत, तभी तो ग़द्दारों की छातीपर चढ़ेगा भारत"..lआगे फॅारवर्ड अवश्य करें ताकि हमारे सब हिन्दू भाइयों को पता चल जाए, कि :- कांग्रेस उनके लिए कितनी## "गहरी खाइयां खोद कर उन्हें दफ़न करने का बन्दोबस्त करती रही है"

Saturday, 23 September 2023

_महिला आरक्षण बिल पर संसद ने तो लगा दी मुहर, पर अब आगे क्या: जानिए कैसे और कब तक सदन में बढ़ेगी आधी आबादी की हिस्सेदारी_*

*_महिला आरक्षण बिल पर संसद ने तो लगा दी मुहर, पर अब आगे क्या: जानिए कैसे और कब तक सदन में बढ़ेगी आधी आबादी की हिस्सेदारी_*

*_22 September, 2023_*

*_आधी आबादी की संसद में धमक बढ़ाने वाला महिला आरक्षण विधेयक 27 साल से अधर में लटका था। आखिरकार वो संसद के पाँच दिनों के खास सत्र में महज 3 दिनों में पास हो गया। इस ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पर लोकसभा में 454 सांसदों ने पक्ष में वोट किया और विरोध में केवल दो वोट पड़े।_*

*_वहीं राज्यसभा में मौजूद सभी 214 सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया। अब बस राष्ट्रपति की मंजूरी की देर है और ये अधिनियम कानून बन जाएगा। देखा जाए तो साल 2024 के आम चुनावों में लगभग 6 महीने ही शेष है।_*

*_ऐसे में आम जनता के मन में भी सवाल है कि अगले साल ही ये अधिनियम लागू हो जाएगा, लेकिन यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसा नहीं होने जा रहा है। इसमें टेक्नीकल लोचा है। इस वजह से ये 2029 के लोकसभा चुनावों में ही लागू हो पाएगा।_*

*_क्या है ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ 2023_*

*_लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पास होने के बाद ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के कानून बनने की राह साफ हो गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून का रूप ले लेगा, लेकिन इसके बाद भी ये कानून अगले साल 2024 में लागू नहीं होगा।_*

*_संविधान के 128वें संवैधानिक संशोधन के तहत जो विधेयक पेश किया गया था उसमें महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। इसके मुताबिक लोकसभा, विधानसभाओं सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।_*

*_यही नहीं संसद में एससी/एसटी के लिए आरक्षित सीटों में भी महिलाओं के लिए एक-तिहाई कोटा होगा। हालाँकि पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं हैं।_*

*_कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने बिल पेश करते हुए कहा था कि इससे लोकसभा में महिलाओं की संख्या 82 से 181 हो जाएगी। इसमें 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान है। संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा।_*

*_वहीं उन्होंने राज्यसभा में बिल पेश करते हुए गुरुवार 21 सितंबर को कहा था कि इसके तहत एससी-एसटी महिलाओं को भी आरक्षण मिलेगा। इसलिए जनगणना और परिसीमन महत्वपूर्ण हैं, जैसे ही विधेयक पारित होगा, जनगणना और परिसीमन होगा। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है; कौन-सी सीट महिलाओं को जाएगी, ये परिसीमन आयोग तय करेगा।_*

*_मौजूदा लोकसभा की कुल 543 सीटों पर महिला आरक्षण लागू होने के बाद कितनी महिलाएँ संसद में होगी उसे ऐसे समझ सकते हैं। अभी महिला सांसदों की संख्या 78 हैं। यदि 33 फीसदी आरक्षण के हिसाब से देखा जाए तो महिलाओं के लिए 181 सीट आरक्षित होंगी। इन्हीं 181 सीट में से जातिगत आरक्षण के कोटे के तहत भी महिलाओं की हिस्सेदारी होगी।_*

*_अभी संसद में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं मिलता है। केवल अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए कोटा लागू है। इसके तहत 543 सीट पर 131 सांसद एससी/ एसटी से चुने जाते हैं। अब महिलाओं को इस एससी/ एसटी कोटे में भी 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।_*

*_एससी/ एसटी के 131 के 33 फीसदी के हिसाब से एससी की 28 और एसटी की 16 सीट महिलाओं को मिलेंगी। यानी कुल 44 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी और एससी/ एसटी के पुरुषों के लिए इस कोटे में 87 सीटें ही रहेंगी।_*

*_543 में से 131 का एससी/ एसटी कोटा घटाने पर इसमें ओबीसी और सामान्य वर्ग के लिए 412 सीट होंगी। इस 412 में से भी 33 फीसदी यानी 137 सीट ओबीसी और सामान्य कोटे की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी।_*

*_इस तरह से एससी/एसटी की 44 और ओबीसी/सामान्य कोटे की 137 सीट मिलाकर लोकसभा में कुल 181 सीट महिलाओं के लिए होंगी। अगर परिसीमन के बाद लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ती है तो महिला आरक्षण कोटे की सीट भी उसी अनुपात में बढ़ जाएगी।_*

*_जनगणना और परिसीमन पर टिका महिला आरक्षण लागू होना_*

*_महिला आरक्षण बिल के मसौदे के मुताबिक, कानून बनने के बाद पहले जनगणना और परिसीमन में महिला आरक्षित सीटें तय की जाएगी। देखा जाए तो जनगणना और परिसीमन के बाद ही ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ कानून के तौर पर लागू हो पाएगा।_*

*_राज्यसभा में जब 2010 में पारित महिला आरक्षण बिल पास हुआ था तो इसमें परिसीमन की शर्त नहीं थी। जबकि इस नए ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ में महिला सीटों के आरक्षण के लिए अनुच्छेद 334 ए जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है महिला आरक्षण के लिए परिसीमन जरूरी होगा।_*

*_ये बात भी तय है कि जब जनगणना होगी इसके बाद ही परिसीमन संभव हो पाएगा। गौरतलब है कि कोराना महामारी के चलते 2021 में होने वाली जनगणना ​अब तक नहीं हो सकी है। ऐसे में सरकार परिसीमन से पहले जनगणना कराएगी।_*

*_परिसीमन का अर्थ है किसी देश में आबादी का प्रतिनिधित्व करने हेतु किसी राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करना है। हर जनगणना के बाद भारत की संसद अनुच्छेद-82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम लागू करती है।_*

*_अगर सरकार 2021 की जनगणना न कराने का फैसला ले और देश में हुई आखिरी 2011 की जनगणना को आधार मानकर परिसीमन कराना चाहेगी तो उसमें एक मुश्किल पेश आएगी।_*

*_जैसा कि देश के संविधान में अनुच्छेद अनुच्छेद-82 के मुताबिक, सदन में 550 से अधिक निर्वाचित सदस्य नहीं होंगे। वहीं संविधान के अनुच्छेद 170 के मुताबिक हर राज्य की विधानसभा में 500 से अधिक और 60 से कम सदस्य नहीं होंगे।_*

*_अगर ऐसे में सीटों की संख्या बढ़ती है, तो संविधान संशोधन की जरूरत पड़ सकती है। यही वजह है कि परिसीमन के बाद ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ 2023 कानून लागू हो पाएगा। इस हिसाब से मोटे तौर पर जनगणना में कम से कम 2 साल लगेंगे।_*

*_मौजूदा कानून के तहत अगला परिसीमन 2026 से पहले नहीं हो सकता। ऐसे में 2027 में होने जा रहे 8 राज्यों के चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनाव से ही लागू हो पाएगा। इस हिसाब से देखा जाए तो 2026 के परिसीमन में तय होगा कि कौन-सी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।_*

*_क्यों लटका रहा 27 साल ये बिल?_*

*_महिला आरक्षण विधेयक पहली बार 12 सितंबर, 1996 को पीएम एचडी देवेगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार ने पेश किया था। संविधान के 81वें संशोधन के तहत पेश इस विधेयक में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण के प्रस्ताव के अंदर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था।_*

*_इस बिल में प्रस्ताव रखा गया कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटें रोटेट की जाएँगी। इसमें आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन से दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया था। वहीं इसमें ये भी प्रस्ताव दिया गया था कि इस अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण खत्म हो जाएगा। इसके बाद 1997 में इस विधेयक को पेश करने की फिर से एक नाकाम कोशिश हुई थी।_*

*_इसके एक साल बाद ही अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने 1998, 1999, 2002, 2003-04 में बिल को पास करवाने की कोशिश की, लेकिन इसमें वो कामयाब नहीं हो पाई। साल 2004 में कॉन्ग्रेस की अगुवाई में यूपीए सरकार आने के बाद मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। तब 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के तौर पर राज्यसभा में पेश किया गया।_*

*_हालाँकि, साल 2008 में इस बिल को क़ानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था, लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार 9 मार्च, 2010 को यूपीए सरकार ने राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को एक के मुकाबले 186 वोट के भारी बहुमत से पास करवा लिया। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सात सांसदों ने बिल को लेकर खासा हंगामा काटा। राज्यसभा अध्यक्ष ने उन्हें निलंबित कर दिया। ये दोनों यूपीए सरकार के साथी थे। वहीं सरकार गिरने का खतरा मंडराने की वजह से कॉन्ग्रेस ने इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया।_*

*_पहली बार 13 साल बाद महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में ही पारित नहीं हुआ बल्कि मोदी सरकार ने इसे संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में पास करा लिया। इससे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित होने की राह खुल गई है।_*

*_‘पीएम मोदी चाहें तो आज लागू हो…’_*

*_कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर से पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की है। उनका कहना है कि सरकार चाहे तो महिला आरक्षण बिल को आज ही लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल में दो कमियाँ हैं। एनडीए सरकार नारी शक्ति वंदन अधिनियम से जातीय गणना और परिसीमन की शर्त हटा लें।_*

*_उनका आरोप है कि सरकार इस बिल के जरिए महज ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी कहते हैं, “ऐसा क्या है जिससे आपका ध्यान ओबीसी जनगणना से हटाया जा रहा है? मैंने भारत सरकार के तहत चलाई जाने वाली संसद के कैबिनेट सचिव और सचिव से पूछा कि 90 में से महज 3 लोग ओबीसी समुदाय से क्यों हैं। मुझे समझ नहीं आता कि पीएम मोदी हर दिन ओबीसी की बात करते हैं लेकिन उन्होंने उनके लिए क्या किया?” अब ये तो राहुल गाँधी ही जाने की सरकार क्या कर रही है?_*

Friday, 22 September 2023

भारत के खिलाफ सूत्रों के अनुसार बेतुके आरोप लगाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के खिलाफ कनाडा में ही विरोध के सुर उभरने लगे हैं कनाडा के विपक्ष के नेता Pierre Poilievre, पत्रकार और विभिन्न विश्वविधालय ट्रूडो पर पिछले दो चुनाव में चीन से मदद लेकर कर चुनाव जीतने के आरोपों में चल रही जांच से लोगों का ध्यान भटकने के लिए भारत पर लगाए गए इन के आरोपों का विरोध कर रहे हैं, पोइलिवियरी ने कहा है की अगर ट्रुडो के आरोप झूठ निकले तो कनाडा की अंतर्राष्ट्रीय श्रमिकों बड़ा नुकसान होगा और वैश्विक स्तर पर कनाडा भी चीन और पाकिस्तान की श्रेणी में खड़ा हुआ देखने लगेगा 2. मोहाली में खेले गए पहले एकदिवसीय मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकटों से हराया 3. सरयू एक्सप्रेस में महिला कांस्टेबल पर जानलेवा हमले में शामिल मुख्य आरोपी अनीस खान अयोध्या के पूरा कलंदर में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, अनीश के दो अन्य साथी आजाद और विशंभर दयाल अयोध्या के इनायतनगर से मुठभेड़ के बाद किए गए गिरफ्तार, ट्रेन में महिला कास्टेबल से छेड़छाड़ के बाद उसपर किया था चाकू से हमला

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1. भारत के खिलाफ सूत्रों के अनुसार बेतुके आरोप लगाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के खिलाफ कनाडा में ही विरोध के सुर उभरने लगे हैं कनाडा के विपक्ष के नेता Pierre Poilievre, पत्रकार और विभिन्न विश्वविधालय ट्रूडो पर पिछले दो चुनाव में चीन से मदद लेकर कर चुनाव जीतने के आरोपों में चल रही जांच से लोगों का ध्यान भटकने के लिए भारत पर लगाए गए इन के आरोपों का विरोध कर रहे हैं, पोइलिवियरी ने कहा है की अगर ट्रुडो के आरोप झूठ निकले तो कनाडा की अंतर्राष्ट्रीय श्रमिकों बड़ा नुकसान होगा और वैश्विक स्तर पर कनाडा भी चीन और पाकिस्तान की श्रेणी में खड़ा हुआ देखने लगेगा 

2.  मोहाली में खेले गए पहले एकदिवसीय मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकटों से हराया 


3. सरयू एक्सप्रेस में महिला कांस्टेबल पर जानलेवा हमले में शामिल मुख्य आरोपी  अनीस खान अयोध्या के पूरा कलंदर में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, अनीश के दो अन्य साथी  आजाद और विशंभर दयाल अयोध्या के इनायतनगर से मुठभेड़ के बाद किए गए गिरफ्तार, ट्रेन में महिला कास्टेबल से छेड़छाड़ के बाद उसपर किया था चाकू से हमला

4. साउथ दिल्ली से भाजपा के सांसद रमेश विधूड़ी ने मणिपुर के मामले में सदन में बसपा सांसद दानिश अली को दी गलियां, कहा उग्रवादी, आतंकवादी, मुल्ला उनके भाषण को संसद की कार्रवाई से हटाया गया बाद मे‌दानिश अली ने आज पत्र लिखकर रमेश बिधूड़ी पर कार्रवाई की मांग की अपने पार्टी के संसद के द्वारा दिए गए अभद्र भाषण पर राजनाथ सिंह ने दुख प्रकट करते हुए माफी मांगी हालांकि दानिश अली ने मांग की है कि रमेश बिधूड़ी की सदस्यता समाप्त की जाए, शाम को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दानिश अली से मुलाकात की

5. विदेश मंत्री जयशंकर ने न्यूयॉर्क में क्‍वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ चर्चा की,विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए न्यूयॉर्क में हैं। 

 6. सरकार ने रेल दुर्घटनाओं और अवांछित घटनाओं में मृतकों और घायल यात्रियों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि में संशोधन किया है। रेल मंत्रालय ने कहा कि मृतक व्यक्ति के परिजनों को 5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख 50 हजार रुपये की राशि दी जाएगी।

7. दिल्‍ली सरकार ने रामलीला, lदुर्गापूजा और दशहरा जैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान लाउडस्‍पीकर के उपयोग करने की समय सीमा को 10 बजे से बढाकर रात 12 बजे करने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी है,यह अनुमति 15 से 24 अक्‍टूबर तक प्रभावी रहेगी।

8. कर्नाटक की तीसरी बड़ी पार्टी वा पूर्व सत्तारूढ़ दल जनता दल-सेक्‍यूलर (JDS ) आज NDA में शमिल हो गया, पुर्व CM HD कुमार स्वामी की गृहमंत्री अमित को अमित शाह से मुलाकात के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नोएडा ने की घोषणा 

9. महिला आरक्षण विधायक होने में भले ही सभी पार्टियों ने वोट दिया हो लेकिन इसका पूरा क्रेडिट लेने के लिए भाजपा ने तैयारी कर ली है आज पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में महिलाओं ने धन्यवाद यात्रा निकाली भाजपा ऐसे ही यात्रा लगभग सभी जिलों में निकलने की तैयारी में है 

10. कनाडा में हुए एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिवर कनाडा के प्रधानमंत्री बनने के लिए सबसे अच्छी पसंद हैं, जबकि मौजूदा जस्टिन ट्रूडो उनसे पीछे हैं। ग्लोबल न्यूज के लिए इप्सोस पोल में कहा गया है कि पोइलिवर की लोकप्रियता एक साल पहले की तुलना में 5 अंक बढ़ गई, जबकि ट्रूडो की लोकप्रियता साल-दर-साल 31 फीसदी पर स्थिर रही। इप्सोस के सीईओ डेरेल ब्रिकर के अनुसार, कनाडाई देश की दिशा, जीवनयापन की लागत, आवास तक पहुंच, स्वास्थ्य देखभाल और मुद्रास्फीति से असंतुष्ट हैं।

माता-पिता**किसी ने मुझसे पूछा कि* दुनियाँ में *सबसे मुश्किल काम क्या है ?* *"बड़ा कठिन सवाल है"*..मैं मुस्कराया और फिर कुछ सोचकर कहा....*मेरी नजर में दुनियाँ का सबसे मुश्किल काम है....:*

*माता-पिता*

*किसी ने मुझसे पूछा कि*   दुनियाँ में *सबसे मुश्किल काम क्या है ?* 

*"बड़ा कठिन सवाल है"*..मैं मुस्कराया और फिर कुछ सोचकर कहा....

*मेरी नजर में दुनियाँ का सबसे मुश्किल काम है....:*

👉🏾 *अपनी आँखों के सामने माता-पिता को... बूढ़ा होते हुए देखना..!!*   ये वो समय होता है  *जब हम कुदरत के इस लिखे को टाल नहीं पाते..!!*   माता-पिता के वो खूबसूरत से चेहरे जब झुर्रियों से भर जाते हैं.... *तो दिल भर  आता है..!!*

👉🏾 *उंगली पकड़कर चलाने* वाले जब खुद चल नहीं पाते ...  *तो दिल भर आता है..!!*

👉🏾 *सहारा देने वाले* जब खुद सहारे की तलाश में घूमते हैं  *तो दिल भर आता है..!!*

👉🏾  *रास्ता दिखाने वालों* को जब अपने ही रास्ते वीरान नजर आते हैं *तो दिल भर आता है..!!*

👉🏾  *हंसकर बोलने वाले* जब खामोश रहने लगते हैं *तो दिल भर  आता है..!!*

👉🏾 *अपने बच्चों की नजर उतारने वालों* की जब नजरें धुंधला जाती हैं  *तो दिल भर आता है..!!*

*अगर ईश्वर मुझे कुछ मांगने के लिए कहें तो मैं ये मांगू.*. *हे ईश्वर ... किसी के भी माता-पिता को कमजोर, बीमार, लाचार न करना.... उनकी जितनी भी जिंदगी है वो सेहतमंद रह..!!🙏🙏

सुहागन की बिंदी* # ~~~~~~~~~~~~~~~ *बाहर फेरीवाला आया हुआ था। कई तरह का सामान लेकर---बिंदिया, काँच की चूड़ियाँ, रबर बैण्ड, हेयर बैण्ड, कंघी, काँच के और भी बहुत सारे सामान थे। आस-पड़ोस की औरतें उसे घेर कर खड़ी हुई थीं।*

#   *सुहागन   की   बिंदी*   #
   ~~~~~~~~~~~~~~~
   *बाहर फेरीवाला आया हुआ था। कई तरह का सामान लेकर---बिंदिया, काँच की चूड़ियाँ, रबर बैण्ड, हेयर बैण्ड, कंघी, काँच के और भी बहुत सारे सामान थे। आस-पड़ोस की औरतें उसे घेर कर खड़ी हुई थीं।*
   *काफी देर तक बाबा गेट पर अपनी लाठी टेककर खड़े रहे। जैसे ही औरतों की भीड़ छँटी, बाबा अपनी लाठी टेकते हुए फेरी वाले के पास पहुँच गए और उस का सामान देखने लगे।*
 *शायद वे कुछ ढूँढ रहे थे। कभी सिर ऊँचा करके देखते, कभी नीचा। जो देखना चाह रहे थे, वह दिख नहीं रहा था।*
  *हैरान परेशान बाबा को फेरी वाले ने देखा तो पूछा---"कुछ चाहिए था क्या बाबा आपको ?"*

   *पर बाबा ने सुनकर अनसुना कर दिया। धीरे-धीरे लाठी टेकते हुए फेरी के ही चक्कर लगाने लगे। कहीं तो दिखे वो, जो वे देखना चाह रहे हैं। फेरी वाले ने दोबारा पूछा---"बाबा कुछ चाहिए था क्या ?"*
  *अबकी बार बाबा ने फेरीवाले से कहा --"हाँ बेटा!"*
  *क्या चाहिए ?-- बताओ मुझे, मैं ढूँढ देता हूँ।"*

*"मुझे ना--वो बिंदिया चाहिए थी।"*

*"बिंदिया क्यों चाहिए बाबा ?"*

  *बाबा ने अम्मा की तरफ इशारा करते हुए बताया---"अरे! मेरी पत्नी के लिए चाहिए समझदार।"*

  *बाबा का जवाब सुनकर फेरीवाला हँस दिया। "किस तरह की बिंदिया चाहिए?"*

*"बड़ी-बड़ी गोल बिंदिया चाहिए। बिल्कुल लाल रंग की।"*

 *फेरीवाले ने बिंदिया का पैकेट निकाल कर दिया--यह देखो बाबा, ये वाली ?"*

  *"अरे, नहीं--नहीं, ये वाली नहीं।बिल्कुल लाल सी।"*

  *फेरीवाले ने वो पैकेट रख लिये और दूसरा पैकेट निकाल कर दिखाया--"बाबा ये वाली ?"*

   *"अरे तुझे समझ में नहीं आता क्या? बिल्कुल लाल-लाल बिंदिया चाहिए।"*

     *फेरी वाले ने सारे पैकेट निकाले और फेरी के एक तरफ फैला कर रख दिए--आप खुद ही देख लो बाबा! कौन सी बिंदिया चाहिए?"*

   *बाबा ने अपने काँपते हाथों से बिंदियों के पैकेट को इधर-उधर किया और उसमें से एक पैकेट निकाला--"हाँ-हाँ, ये वाली।"*

   *बाबा के हाथ में बिन्दी का पैकेट देखकर फेरीवाला मुस्कुरा दिया। बाबा ने तो मेहरून रंग की बिन्दी उठाई थी।*

*"कितने की है ?"*

*"दस रुपये की है बाबा।"*

*"अच्छा ! कीमत सुनकर बाबा का दिल बैठ गया। फिर भी बोले--"ठीक है, अभी लेकर आता हूँ।"*

  *बाबा लाठी टेकते हुए पलट कर जाने लगे। तब तक घर में से बहू आती दिखी। उसे देखकर बाबा बोले--"अरे बहू, जरा दस रुपये तो देना। फेरी वाले को देने हैं।"*


*"अब क्या खर्च करा दिया आप लोगों ने ?" बहू ने लगभग चिल्लाते हुए कहा।*

*"अम्मा के लिए बिंदिया खरीदी थी।उसकी बिंदिया खत्म हो गई थी। कई बार बोल चुकी है"---बाबा ने धीरे से कहा।*

   *"बस-बस, आप लोगों को और कोई काम तो है नहीं।बेवजह का खर्चा कराते रहते हैं। सत्तर साल की हो चुकी हैं अम्मा। क्या अभी भी बिंदिया लगाएगी ? इस उम्र में भी न जाने क्या-क्या शौक हैं ?"*

 *"देख बेटा, बात शौक की नहीं है। अम्मा भी सुहागन है, इसलिए उसका मन नहीं मानता। सिर्फ दस रुपये ही तो माँग रहा हूँ। अन्दर जाकर दे दूँगा।"*

   *"कहाँ से दे दोगे ?  जो पैसे देंगे, वह भी तो मेरे पति की ही कमाई है। मेरे पास कोई पैसे नहीं हैं।"*

    *इतना कहकर बहू बड़बड़ाती हुई अन्दर आ गई। अम्मा ने खाट पर लेटे-लेटे ही बाबा को इशारा किया।*

  *बाबा ने पलटकर बिन्दी फेरी में वापस रख दी और लाठी टेकते हुए अम्मा के पास आकर बैठ गए। बाबा ने देखा अम्मा की आँखों में आँसू थे।*

   *"माफ करना पार्वती! मैं तेरी छोटी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर पाया।"*

 *"रहने दो जी, बेचारी बहू भी परेशान हो जाती होगी। काहे दिल पर ले कर बैठ जाते हो ? बिन्दी ही तो थी।"*

  *"हाँ हाँ बिन्दी ही  थी। कौन सी हजारों रुपये की आ रही थी।" बाबा ने व्यंग्य से हँसते हुए कहा।*

   *"बिन्दी ही तो लगानी है जी। एक काम करो, पूजा घर में से हिंगलू ले आओ। उसी से लगा देना। पर आज अपने हाथों से  बिन्दी लगा दो।"*

 *बाबा ने अम्मा की बात सुनी और फिर लाठी टेकते हुए पूजा घर में गये। थोड़ी देर बाद बाबा हाथ में हिंगलू लिए अम्मा के पास पहुँचे।*

   *"लो पार्वती! उठो, मैं तुम्हें बिन्दी लगा देता हूँ।"*

   *पर अम्मा में कोई हलचल न दिखी।*
  *बाबा ने दोबारा कहा--"पार्वती, ओ पार्वती! सो गई क्या ? तेरी बड़ी इच्छा थी ना--बड़ी सी लाल बिन्दी लगाने की। ले देख, मैं हिंगलू ले आया हूँ। अब बड़ी सी लाल बिन्दी लगा दूँगा। पर तू बैठ तो सही।"*

 *पर अम्मा बिल्कुल शिथिल पड़ी हुई थीं। शरीर में कोई हलचल न थी। बाबा का दिल बैठ गया। हाथ में हिंगलू लिए अम्मा के पास ही बैठ गए। आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे, पर एक भी बोल न फूटा।*
   *अम्मा जा चुकी थीं, हमेशा के लिए।*
   
*थोड़ी ही देर में रोना-धोना मच गया। आस-पड़ोस के लोग आ गए। बेटे को बुलाया गया और अम्मा को अन्तिम यात्रा के लिए तैयार किया जाने लगा। अम्मा को नहला-धुला, सुहागन की तरह तैयार कर, अर्थी पर लिटा कर बाहर लाया गया।*

   *बाबा ने देखा, अम्मा के माथे पर बड़ी सी लाल बिन्दी लगी थी। बाबा उठे और घर में गए। थोड़ी देर बाद बाहर आए और धीरे-धीरे अम्मा की अर्थी के पास गये। उन्होंने अम्मा के माथे पर से बिन्दी हटा दी।*

   *"बाबा! यह क्या कर रहे हो ? अम्मा सुहागन थीं। आप बिन्दी क्यों हटा रहे हो ?"--- बेटे ने कहा।* 

    *"बेटा ! उसका पति बिन्दी खरीदने की औकात नहीं रखता था, इसलिए हटा रहा हूँ।"* 

  *सुनकर सब लोग अवाक रह गए । बहू शर्मसार हो गई। सब ने देखा-- बाबा अपने हाथ में लाए हिंगलू से एक बड़ी सी लाल बिंदिया अम्मा के माथे पर लगा रहे हैं।*

  *थोड़ी देर बाद बहू की चीत्कार छूट गई। बाबा भी अम्मा के साथ हमेशा-हमेशा के लिए लम्बी यात्रा पर रवाना हो गए थे।*

     *मित्रों ! यह भावनात्मक, हृदय स्पर्शी कहानी बहुत कुछ सन्देश दे रही है। अपने समाज में सिर्फ 2-4 प्रतिशत बुजुर्गों की स्थिति ही परिवार में सम्मान जनक है। कहीं इसका मूल कारण संयुक्त परिवार का एकल परिवार में रूपान्तरण,  नाते-रिश्तों की समाप्ति, धन लिप्सा की अंधी दौड़ एवं  लड़के-लड़कियों का  पढ़-लिख कर सब से अधिक जानकारी व बुद्धिमान होने का झूठा अभिमान, किताबी ज्ञान का होना परन्तु व्यवहारिक ज्ञान की कमी होना तो नहीं?*
   *कृपया हम सभी एक छोटा सा प्रयास करें---"अपने घर के बुजुर्गों का उचित सम्मान"। सभी को एक दिन बूढ़ा होना ही है। माता-पिता के न रहने पर ही उनका महत्व मालूम पड़ता है। इसलिए पश्चिमी देशों का अनुसरण न कर हम अपनी भारतीय संस्कृति का अनुसरण करें।*

       👏👏👏👏 👏

जो बीता प्राण धार छूकर वो क्षण तो याद रहेगा नकुछ मधुर- कटु संस्मरण लिएअवसर तो याद रहेगा न

जो बीता प्राण धार छूकर 
वो क्षण तो याद रहेगा न
कुछ मधुर- कटु संस्मरण लिए
अवसर तो याद रहेगा न

विपदा के मेघ घनेरे थे
प्राणों पर काल के फेरे थे
नित नव पीड़ा आलिंगन का
वो क्रम तो याद रहेगा न

जो हाथ राह में छूट गए
और बाँध आस के टूट गए
हर पल गिरती मानवता का
अंतर तो याद रहेगा न

तन बीमारी से चूर हुए
अपनों से अपने दूर हुए
रण मानव और महामारी का
संयम तो याद रहेगा न
★★★

चेयर पर्सन पति द्वारा हिंदू धर्म के लिए की गई बेहूदगी बर्दाश्त नही : फरहत अली खान*

*चेयर पर्सन पति द्वारा हिंदू धर्म  के लिए की गई बेहूदगी बर्दाश्त नही : फरहत अली खान* 
मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा *सनातन धर्म में हिंदू देवी देवताओं का अहम मुकाम है* । जिसके लिए एक भी अपशब्द बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कुछ दिन पूर्व एक व्यक्ति जो की रामपुर नगर पालिका  चेयरपर्सन पति है वह गणपति जी स्थापना में पहुंचा और मुंह छुपा कर पुष्पमाला अर्पित की जिसकी वीडियो वायरल हुई तो कुछ तालिबानी कट्टरपंथियों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया तभी एक रामपुर के लोकल उर्दू अखबार में चेयर पर्सन पति का लेख (खंडन) प्रकाशित हुआ 
जिसमें उसने लिखा कि उसने एक अपवित्र और घृणित कार्य हुआ है ।
 इस पाप के लिए वो मुस्लिम समाज से लिखित क्षमा मांगता है
 कि उसने गणपति जी पर फूल माला अर्पित की है । वो उसके लिए पाप है कुछ ऐसी बातें भी लिखीं  जो मैं नहीं लिख सकता । भारत देश में जो मुस्लिम समुदाय के लोग संविधानिक पदों पर विराजमान है उन्हें  सर्वधर्म सामाजिक समरसता सौहार्द के कार्यक्रमों में शामिल होना ही पड़ता है और उन परंपराओं को भी निभाना पड़ता है जो उस धर्म की मान्यता के अनुसार होते हैं परन्तु चेयरपर्सन पति ने अपने तालिबानी जहन के विचार एक उर्दू समाचार पत्र में प्रकाशित कर हिंदू धर्म का तो अपमान किया ही किया है ।
उसने जिहादी मानसिकता का भी परिचय दिया है । 
मुस्लिम महासंघ ऐसे व्यक्ति की धार्मिक टिप्पणी पर निंदा करते हुए चेतावनी देता है कि वे तुरंत इस समाचार पत्र में धार्मिक भावनाओं को आहत एवं अभद्र भाषा के लिए क्षमा मांगे अन्यथा मुस्लिम महासंघ ऐसे व्यक्ति पर उचित कार्रवाई एवम कानूनी कार्यवाही पर मजबूर होगा भारत के हर नागरिक को सभी धर्मो संप्रदाय और स्माज का सम्मान करना फर्ज है। यह देश का सविधान कहता है। 
उसके इस बयान के साक्ष और प्रमाण मौजूद है।  याद रहे की पालिका अध्यक्षा शपथ ग्रहण समारोह में अपनी संप्रदायक मानसिकता उजागर कर चुकी है।
[
Rampur: मैं मामून शा खा अपने प्यारे अहले रामपुर के सामने इन्तेहाई मुअजरत और शर्मिंदगी के साथ यह अर्ज करता हूं के मेरी एक वीडियो वायरल हुई है जिसमें मुझे बा दिल नख्वास्ता एक शिरकिया अमल करना पड़ा वह अमल इन्तेहाई गलत था और मैं सच्चे दिल से तौबा करता हूं कि इंशा अल्लाह आइंदा ऐसा कोई अमल नहीं करूंगा आप हजरात  से ईलतीजा है कि मेरी मुआजरत कबूल फरमाए और अपनी खुसूसी दुआओं में याद रखें

Recently 'Max Verstappen' has won the title of 'Italian Grand Prix 2023'.हाल ही में ‘मैक्स वर्स्टापेन’ ने ‘इटालियन ग्रांड पिक्स 2023’ का खिताब जीता है।

 ➼ Recently 'Max Verstappen' has won the title of 'Italian Grand Prix 2023'.


हाल ही में ‘मैक्स वर्स्टापेन’ ने ‘इटालियन ग्रांड पिक्स 2023’ का खिताब जीता है।

 ➼ Recently 'Dr. Naveen Agarwal' has won the 'National Diabetologist of the Year Award'.
हाल ही में ‘डॉ नवीन अग्रवाल’ ने ‘राष्ट्रीय डायबेटोलॉजिस्ट ऑफ द ईयर पुरस्कार’ जीता है।

 ➼ Recently 'Amit.S.Telang' has been appointed as the new High Commissioner of India to the country of Guyana.
हाल ही में ‘अमित.एस.तेलंग’ को गुयाना देश में भारत का नया उच्चायुक्त नियुक्त किया गया है।

 ➼ Recently Paytm has launched its new innovation 'Card Soundbox' .
हाल ही में Paytm ने अपना नया इनवोवेशन ‘कार्ड साउंडबॉक्स’ लॉन्च किया है।

 ➼ Recently Union Minister Dr. Jitendra Singh has inaugurated 'S20 Conference' in the state of Uttar Pradesh.
हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह में उत्तर प्रदेश राज्य में ‘S20 सम्मेलन’ का उद्घाटन किया है।

 ➼ Recently National Conference on KCC for Fisheries has been organized in 'Mumbai' .
हाल ही में मत्स्य पालन के लिए KCC पर राष्ट्रीय सम्मेलन ‘मुंबई’ में आयोजित किया गया है।

 ➼ Recently ISRO scientist and Chandrayaan-3's countdown voice 'N Valaramathi' has passed away at the time of its launch.
हाल ही में इसरो वैज्ञानिक और चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के समय इसके काउंटडाउन को आवाज़ देने वाली ‘एन वलारमथी’ का निधन हो गया है।

 ➼ Recently 'Mohun Bagan Super Joint' has won the 132nd Durand Cup 2023 title.
हाल ही में ‘मोहन बागान सुपर जॉइंट’ ने 132वां डूरंड कप 2023 का खिताब जीता है।

 ➼ Recently, senior Indian Information Service officer 'Manish Desai' has assumed the charge of Principal Director General of PIB. 
हाल ही में भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी ‘मनीष देसाई’ ने PIB के प्रधान महानिदेशक का पदभार ग्रहण किया है।

 ➼ Recently, Tamil actor and comedian 'R. S Shivaji' has passed away at the age of 66.
हाल ही में तमिल अभिनेता और हास्य कलाकार ‘आर. एस शिवाजी’ का 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।



किसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया है?- जनार्दन प्रसाद / Who has been appointed as the new Director General of Geological Survey of India?- Janardan Prasad

किसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का CEO नियुक्त किया गया है?- अमित अग्रवाल / Who has been appointed as the CEO of Unique Identification Authority of India (UIDAI)?- Amit Agarwal

किसे हाल ही में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है?- पीटर एल्बर्स / Who has recently been elected as the Chairman of the Board of Governors of the International Air Transport Association?- Peter Albers

रूसी ऑयल कंपनी ‘रॉसनेफ्ट’ के निदेशक मंडल में शामिल होने वाले बने पहले भारतीय कौन बने है?- जीके सतीश / Who has become the first Indian to join the board of directors of Russian oil company ‘Rosneft’?- GK Satish

FSSAI का ‘ईट राइट स्टेशन’ प्रमाणन प्राप्त करने वाला पूर्वोत्तर का पहला रेलवे स्टेशन कौन सा बना है?- गुवाहाटी / Which has become the first railway station in the North-East to receive FSSAI’s ‘Eat Right Station’ certification? – Guwahati

भारत में हिमालयी गिद्ध के बंदी प्रजनन का पहला उदाहरण किस राज्य में दर्ज किया गया?- असम / The first instance of captive breeding of the Himalayan vulture in India was recorded in which state? – Assam

किस राज्य में भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क बनाया जा रहा है?- असम / India’s first International Multimodal Logistics Park is being built in which state? – Assam

किस राज्य सरकार ने अपनी तरह का पहला स्टेट रोबोटिक्स फ्रेमवर्क लॉन्च किया हैं? – तेलंगाना / Which state government has launched the first of its kind State Robotics Framework? – Telangana

20 देशों के सैन्य दलों में बहुराष्ट्रीय शांति स्थापना संयुक्त अभ्यास “एक्स खान क्वेस्ट 2023” किस देश में आयोजित किया गया है?- मंगोलिया / In which country the multinational peacekeeping joint exercise “X Khan Quest 2023” involving military forces from 20 countries has been organized? – Mongolia

भारतीय सेना ने कहाँ पर विशाल सैन्य अभ्यास ‘अग्निस्त्र 1’ का आयोजन किया है?- लद्दाख / Where has the Indian Army organized the mega military exercise ‘Agnistra 1’? – Ladakh

किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में नशीली दवाओं के खतरे पर नकेल कसने के लिए ‘ऑपरेशन कवच’ शुरू किया गया है?- नई दिल्ली / In which state/UT, ‘Operation Kavach’ has been launched to crack down on drug menace? – New Delhi

भारतीय वायुसेना ने पहली बार किस देश में आयोजित अभ्यास ब्राइट स्टार-23 में भाग लिया है?- मिस्र / Indian Air Force has participated in exercise Bright Star-23 organized for the first time in which country? – Egypt

भारतीय वायु सेना में शामिल नवीनतम ‘हेरॉन मार्क-2’ का संबंध किस से है?- ड्रोन / What is the latest ‘Heron Mark-2’ included in the Indian Air Force related to?- Drone

भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन किस राज्य में चलेगी? – हरियाणा / India’s first hydrogen train will run in which state? – Haryana

सीएससी अकादमी किस के साथ मिलकर साइबर कौशल में 10 हजार महिलाओं को प्रशिक्षित करने की घोषणा की है?- ओप्पो इंडिया / With whom has CSC Academy announced to train 10,000 women in cyber skills? – Oppo India

एडवांस्ड वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड कानपुर द्वारा निर्मित भारत की पहली लंबी दूरी की रिवॉल्वर कौनसी है?- प्रबल / Which is the first long range revolver of India manufactured by Advanced Weapon and Equipment India Limited Kanpur?- Prabal

किस राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का 79 साल की उम्र में निधन हो गया है?- केरल / Former Chief Minister of which state Oommen Chandy has passed away at the age of 79?- Kerala

किस दिग्गज हिंदी और मराठी भाषा की अभिनेत्री का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया है?- सुलोचना लाटकर / Which veteran Hindi and Marathi language actress has passed away at the age of 94?- Sulochana Latkar

महाभारत में शकुनी मामा का किरदार निभाने वाले किस व्यक्ति का निधन हो गया है? – गुफी पेंटल / Which person who played the role of Shakuni Mama in Mahabharata has passed away? – Gufi Paintal

हाल ही में दूरदर्शन की किस मशहूर न्यूज एंकर का निधन हो गया है?- गीतांजलि अय्यर / Which famous news anchor of Doordarshan has passed away recently? – Geetanjali Iyer



*किस राज्य में  भारत निर्वाचन आयोग की पहल पर प्रदेश में पहली बार विधानसभा आम चुनाव में बुजुर्ग एवं दिव्यांग मतदाताओं के लिए घर पर वोटिंग की पहल की गई है ?-राजस्थान

2. किस राज्य में हर साल भाद्रपद पूर्णिमा को अंबाजी मेला आयोजित किया जाता है-गुजरात

3. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी फूड कंपनी ‘क्राफ्ट हेंज ‘ ने किस राज्य में देश के पहले ‘ वैश्विक क्षमता केंद्र’ की शुरुआत की है-गुजरात के अहमदाबाद में

4. वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल सम्मिट-2024की वेबसाइट और मोबाइल एप्प ‘वीजी-2024’ का अनावरण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कब किया- 19 सितंबर 2023

5. वाइब्रेंट सबमिट का 10 वां संस्करण आगामी 10 से 12 जनवरी, 2024 को कहां आयोजित किया जाएगा-गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में

6. 10वीं वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल सबमिट 2024 का विषय क्या रहेगा- ‘ गेटवे टू द फ्यूचर’

7. भारती थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी की वार्षिक वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट में भारत को कौन सा स्थान प्राप्त हुआ है-87 वां 

8. भारती थिंक टैंक सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी द्वारा जारी 167 देशों की सूची में दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में भारत का स्थान क्या है- प्रथम 

9. वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक सूची में प्रथम स्थान पर कौन सा देश है-सिंगापुर

10. वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक की रिपोर्ट में सबसे निचला स्थान किस देश का है- वेनेजुएला

11. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में कब से तीन दिवसीय ‘ नदी उत्सव का आयोजन किया जाएगा- 22 सितंबर 2023

✓ प्रथम नदी उत्सव की शुरुआत 2018 में गोदावरी नदी के किनारे बसे नासिक(महाराष्ट्र) शहर से की गई थी|
✓ एवं दूसरे नदी उत्सव का आयोजन कृष्णा नदी के किनारे बसे विजयवाड़ा(आंध्र प्रदेश) में आयोजित किया गया था|
✓ नदी उत्सव का तीसरा आयोजन गंगा नदी के किनारे बसे मुंगेर(बिहार) में हुआ था|
✓ और अब चौथे नदी उत्सव का आयोजन यमुना नदी के किनारे बसे दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 22-24 सितंबर तक किया जाएगा|

12. देश में 290 स्थानों पर भगवान राम से जुड़े स्थलों पर उनके जीवन पर आधारित ‘ श्री राम’ स्तंभ’ का निर्माण किस फाउंडेशन द्वारा किया जाएगा-अशोक सिंघल फाउंडेशन

13. अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा पहला ‘श्री राम स्तंभ’ 27 सितंबर को कहां स्थापित किया जाएगा-अयोध्या के ‘मणि पर्वत’ पर

14. हाल ही में ओड़िया वैज्ञानिक स्वाति नायक को कृषि एवं खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए किस पुरस्कार के लिए नामित किया गया है-डॉ. नॉर्मल बोरलॉग अवार्ड-2023 

15. किसानों के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान ऋण पोर्टल कब लांच किया है- 19 सितंबर 2023

✓ किसान ऋण पोर्टल पर किसान क्रेडिट कार्ड खाता धारकों से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध होगी|
इस पोर्टल के माध्यम से किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों को सब्सिडी वाले लोन प्राप्त करने में मदद मिलेगी|

16. एशियाई विकास बैंक (ADB) ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटकर कितना कर दिया है- 6.3 फीसदी  

17. मेड इन इंडिया के रूप में राजस्थान की पहली ई- मोटो “बाइक विगोर” का उद्घाटन जयपुर में कब किया गया?- 19 सितम्बर 2023 

✓ विगोर कंपनी के CEO कौन है- प्रतीक जैन
✓ विगोर कंपनी की डायरेक्टर कौन है-पायल जैन
यह ई-बाइक एक चार्ज में 40से 100 km. तक चल सकती है|
इसकी बैटरी को निकाल कर कहीं भी चार्ज कर सकते हैं|

18. हाल ही में दिल्ली हाफ मैराथन 2023 के अंतरराष्ट्रीय इवेंट एंबेसडर कौन बने हैं- एश्टन ईटन 

19. वित्त मंत्रालय आगामी वित्त वर्ष 2024 -25 के लिए बजट की तैयारी के लिए कब से बैठकों का आयोजन करेगा- 10 अक्टूबर

20. हाल ही में बांग्लादेश क्रिकेट टीम के तकनीकी सलाहकार के रूप में किसे नियुक्त किया गया है- श्रीधरन श्री राम

21. भारत के सहयोग से जनकपुर धाम में बहुउद्देशीय अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण होगा, यह किस देश में है-नेपाल 

✓ रामायण कालीन शहर में बनने वाला यह स्टेडियम धनुषाकर और इसका नाम श्री राम जानकी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम होगा|
✓ भारत सरकार इस स्टेडियम के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए की सहायता करेगी|
✓ स्टेडियम के मध्य में 25 हजार दर्शक क्षमता वाला क्रिकेट स्टेडियम एवं एक तरफ फुटबॉल स्टेडियम और एक तरफ हॉकी स्टेडियम का निर्माण होगा|

22. हाल ही में भारत और किस देश के बीच विद्युत खरीद बिक्री पर सहमति बन गई,जिसमें राज्य सरकारों को भी बिजली खरीदने और बेचने की अनुमति दी गई है-नेपाल

23. हाल ही में कब विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. सरोजा  वैद्यनाथन का निधन हो गया है- 21 सितम्बर 2023

विटामिन तथा उनके रासायनिक नाम

🔖  विटामिन- A
रासायनिक नाम : रेटिनाॅल
कमी से रोग: रतौंधी
स्त्रोत : 🥕गाजर,🥛 दूध, 🥚अण्डा ,🍓फल🍉

🔖 विटामिन – B1
रासायनिक नाम: थायमिन
कमी से रोग: बेरी-बेरी
स्त्रोत : 🥜मुंगफली, आलू, 🥦सब्जीयाँ🍆

🔖  विटामिन – B2
रासायनिक नाम: राइबोफ्लेबिन
कमी से रोग: त्वचा फटना, आँख का रोग
स्त्रोत : 🥚अण्डा,🥛 दूध,🥦 हरी सब्जियाँ

🔖 विटामिन – B3
रासायनिक नाम: पैण्टोथेनिक अम्ल
कमी से रोग: पैरों में जलन, बाल सफेद
स्त्रोत :🍗 मांस🍖,🥛 दूध, 🍅टमाटर, मुँगफली🥜

🔖  विटामिन- B5
रासायनिक नाम: निकोटिनेमाइड (नियासिन)
कमी से रोग: मासिक विकार (पेलाग्रा)
स्त्रोत : 🍗मांस🍖, 🥜मूंगफली, आलू

🔖  विटामिन- B6
रासायनिक नाम: पाइरीडाॅक्सिन
कमी से रोग: एनीमिया, त्वचा रोग
स्त्रोत : 🥛दूध, 🍗मांस,🥦 सब्जी🍆

🔖  विटामिन – H / B7
रासायनिक नाम: बायोटिन
कमी से रोग: बालों का गिरना , चर्म रोग
स्त्रोत : यीस्ट, गेहूँ, 🥚अण्डा

🔖  विटामिन – B12
रासायनिक नाम: सायनोकोबालमिन
कमी से रोग: एनीमिया, पाण्डू रोग
स्त्रोत : 🍗मांस, 🍖कजेली, 🥛दूध

🔖  विटामिन- C
रासायनिक नाम: एस्कार्बिक एसिड
कमी से रोग: स्कर्वी, मसूड़ों का फुलना
स्त्रोत : आँवला, 🍋नींबू, 🍑संतरा, 🍊नारंगी

🔖  विटामिन – D
रासायनिक नाम: कैल्सिफेराॅल
कमी से रोग: रिकेट्स
स्त्रोत :☀ सूर्य का प्रकाश,🥛 दूध, अण्डा🥚

🔖  विटामिन – E
रासायनिक नाम: टेकोफेराॅल
कमी से रोग: जनन शक्ति का कम होना
स्त्रोत: 🥦हरी सब्जी, 🍚मक्खन, दूध🥛

👉  विटामिन- K
रासायनिक नाम: फिलोक्वीनाॅन
कमी से रोग: रक्त का थक्का न बनना
स्त्रोत: 🍅टमाटर, 🥦हरी सब्जियाँ, 🥛दूध

आज महानगर प्रमुख गुड्डू सैनी के नेतृत्व में शिव सैनिकों ने अंबेडकर पार्क (सिविल लाईन) से जलूस निकाल कर मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय पर धरना/प्रदर्शन कर जनपद में कुकरमुत्तों की तरह उगे कई हजार झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध अस्पताल,अल्ट्रासाउंड केंद्र पेथलोजी लेब आदि पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग की

Aum News Moradabad
प्रेस नोट :-
आज महानगर प्रमुख गुड्डू सैनी के नेतृत्व में शिव सैनिकों ने अंबेडकर पार्क (सिविल लाईन) से जलूस निकाल कर मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय पर धरना/प्रदर्शन कर जनपद में कुकरमुत्तों की तरह उगे कई हजार झोलाछाप डॉक्टरों के अवैध अस्पताल,अल्ट्रासाउंड केंद्र पेथलोजी लेब आदि पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग की !
महानगर प्रमुख गुड्डू सैनी ने कहा कि नोडल अधिकारी डा.संजीव बेलवाल कंप्यूटर आपरेटर संविदा कर्मचारी शुभम वर्मा को नियम विरुद्ध अपने साथ ले जाकर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही करने के बजाय उनसे साठ-गांठ कर उन्हें अभयदान दे देते हैं !
जिला प्रमुख डा.रामेश्वर दयाल तुरैहा ने कहा कि जनपद में स्वास्थ्य विभाग के संबंधितों की मिली भगत से कई हजार अवैध अस्पताल चल रहे हैं जिनमे झोलाछाप डाक्टर हर प्रकार के आपरेशन,डिलीवरी,भ्रूण हत्या गर्भपात आदि करते हैं !
इन अवैध अस्पतालों के 95% मुस्लिम संचालक हैं जो 95% हाई स्कूल व इंटर पास/फैल हिंदू नाबालिग लड़कियां रखकर बालश्रम व लब जेहाद अपराध करते हैं तथा इन अवैध अस्पतालों में प्रतिदिन गलत इलाज के कारण दर्जनों मौतें होती हैं !
यदि स्वास्थ्य विभाग के संबंधितों व अवैध अस्पतालों,अल्ट्रासाउंड केंद्रों,पैथोलॉजी लेबों पर कार्यवाही नहीं हुई तो शिव सेनिक शीघ्र ही जिलाधिकारी व कमिश्नर कार्यालय पर भूँख हड़ताल करेंगे !
धरना/प्रदर्शन व ज्ञापन में जिला प्रमुख डा.रामेश्वर दयाल तुरैहा, महानगर प्रमुख गुड्डू सैनी, जिला अध्यक्षा भवानी सेना ठाकुर मंजू राठौर,युवा जिला प्रमुख मनोज ठाकुर,युवा महानगर प्रमुख राकेश प्रजापति,जिला प्रेस प्रवक्ता मोहर सिंह,जिला सचिव विजय सेठ,जिला सचिव अजय सैनी, सौरव सैनी,राहुल सागर,ओमप्रकाश सैनी आदि मौजूद रहे !

Thursday, 21 September 2023

1674 में स्पिनोजा ने अपने दर्शन का व्यापक विवरण, देने वाली कृति एथिक्स को प्रकाशित करने की तैयारी कर ली थी। यह ग्रंथ और इसके पांच भाग एक दशक से अधिक की मेहनत के बाद, और शोर्ट ट्रीटीज और कार्टिजियन फिलासफी के सिद्धांत के प्रकाशन के बाद जो वर्षों की उथल-पुथल थी उसके बाद पूरे हो गए थे।

: 1674 में स्पिनोजा ने अपने दर्शन का व्यापक विवरण, देने वाली कृति एथिक्स को प्रकाशित करने की तैयारी कर ली थी। यह ग्रंथ और इसके पांच भाग एक दशक से अधिक की मेहनत के बाद, और शोर्ट ट्रीटीज और कार्टिजियन फिलासफी के सिद्धांत के प्रकाशन के बाद जो वर्षों की उथल-पुथल थी उसके  बाद पूरे हो गए थे।

 समय उपयुक्त था लेकिन दोस्तों की सलाह पर स्पिनोज़ा को ख़तरे का बहुत गहराई से एहसास हुआ।  जैसा कि उन्होंने 1675 के अंत में हेनरी ओल्डेनबर्ग को रिपोर्ट की थी, उन पर धर्मशास्त्रियों और कार्टेशियन दोनों द्वारा हमला किया गया था और प्रकाशन को रोकने के लिए मजबूर  किया गया था (ईपी68; जोनाथन इज़राइल, रेडिकल एनलाइटनमेंट, 286-7 देखें)।  दरअसल, वेस्टर्न दर्शन के क्लासिक्स में से एक काम अंततः 1677 में स्पिनोज़ा की मृत्यु के बाद ओपेरा पोस्टहुमा में प्रकाशित हुआ था, जिसे उनके दोस्तों द्वारा संपादित किया गया था और जान रिउवर्ट्ज़ द्वारा प्रकाशित किया गया था।  एक साल के भीतर, 25 जून 1678 को, इसे हॉलैंड और वेस्ट-फ्राइज़लैंड राज्यों द्वारा "अपवित्र, नास्तिक और ईशनिंदा की पुस्तक" के रूप में सेंसर कर दिया गया था।

 कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि लघु ग्रंथ का परिशिष्ट, संभवतः 1661 या 1662 के आरंभ में तैयार किया गया था, जिसमें पदार्थ, उसके गुण और कारण के बारे में सात स्वयंसिद्ध कथनों के साथ-साथ पदार्थ के बारे में चार प्रदर्शन शामिल थे, जो पहले से ही गणितीय, ज्यामितीय रूप से व्यवस्थित सामग्री जो उनकी पहली पुस्तक एथिक्स का एक प्रारंभिक संस्करण था।  1662 के अंत तक या 1663 की शुरुआत में, रिजन्सबर्ग में स्पिनोज़ा के साथ, उनके एम्स्टर्डम दोस्तों के पास भाग 1"ऑन गॉड" के शुरुआती अध्याय की एक प्रति थी।  पीटर बॉलिंग ने इसे साइमन डी व्रीज़ तक पहुंचाया था, और यह जल्द ही एम्स्टर्डम में बैठकों का विषय बन गई जहां इसे पढ़ा जान लगा और इस चर्चा होने लगी । फिर, 1661 से 1674 तक, स्पिनोज़ा ने अपनी महान रचना एथिक्स पर काम किया, Treatise on the Emendation of the Intellec में किए गए वादे को पुरा किया और नेचर, मन और अच्छे जीवन के बारे में अपने दार्शनिक विचारों को प्रदर्शित किया ।

 ऐसा लगता है कि जून 1665 तक, स्पिनोज़ा के हाथ में एक पूरा ड्राफ्ट था, तो पार्ट में विभाजित था, शायद शोर्ट ट्रीटीज- "ईश्वर, मनुष्य और उसकी भलाई पर"  का अनुसरण किया गया था। आखिरकार, 1675 तक, निश्चित रूप से, एथिक्स को संशोधित और विस्तार दिया गया था, जिससे अब इनकी प्रसिद्ध पांच-भागों में - यानि ईश्वर, मानव जाति और मानव ज्ञानमीमांसा, जुनून, जुनून से बने मानव बंधन और तार्किक स्वतंत्रता पर आधारित थे ।  जून 1665 में एम्सटर्डम के एक मित्र और लोडेविज्क मेयर के सहयोगी जोहान बॉउमेस्टर को स्पिनोजा के द्वारा लिखे एक पत्र से पता चलता है कि मूल भाग III लगभग पूरा हो चुका था और लैटिन से डच में अनुवाद के लिए तैयार था, शायद बॉउमेस्टर  ने स्वयं ही अनुवाद किया था (ईपी28)। तीसरे भाग में वह सब शामिल है जो अब हमारे पास मौजूद संस्करण के भाग IV और V में पाया जाता है।  इसलिए, जब स्पिनोज़ा 1665 की शरद ऋतु में Theological Political Treaty की ओर मुड़े, तब तक उनकी दार्शनिक प्रणाली कम्पलीट हो चुकी थी।
यह एक महत्वपूर्ण काम था।  एथिक्स के पांच भाग महत्वपूर्ण रूप से यूक्लिड की ज्यामिति की शैली में एक सिस्टम तैयार करते हैं - Definition और Axiom से शुरू होकर और Theorem या Proposition के माध्यम से परिणाम, नोट्स या स्कोलिया, परिशिष्ट इसके अलावा और बहुत कुछ के साथ काम करते हैं। Axiom शैली system की तर्कसंगतता को प्रतिबिंबित करती है और ज्ञान को समझने के तरीके का उदाहरण देती है।  जैसे-जैसे सइसटह मानव स्वभाव, ज्ञान और भावना के अपने विवरण के माध्यम से तत्वमीमांसा से आगे बढ़ता है, मानवीय दोषों और आकांक्षाओं की समझ तक, और अंत में मानव जीवन के नैतिक लक्ष्य (स्वतंत्रता और समझ का जीवन) तक,और अपने पाठकों को मानव जीवन क्या हो सकता है और क्या होना चाहिए इन दोनों कामों को ही अपने ग्रंथ का आधार बनाते हुए, इसकी सर्वोत्तम अवधारणा के अनुसार अपने जीवन का संचालन करने के लिए प्रेरित करते हैं। संक्षेप में, स्पिनोज़ा की महान कृति अपने शिर्षक को चरितार्थ करती है।

 मोटे तौर पर पुस्तक की विषय-वस्तु सर्वविदित है।  स्पिनोज़ा का एक प्रारंभिक आधुनिक प्रकृतिवाद है, जो धर्म, प्रकृति, मनोविज्ञान और नैतिकता के तर्कसंगत, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अंतर्निहित सिद्धांतों का एक समूह है।  भाग I में वह पदार्थ, गुण, विधा, अनंत काल और ईश्वर जैसे महत्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित करते हैं।  वह प्रदर्शित करते हैं कि अनंत गुणों वाला केवल एक ही पदार्थ अस्तित्व में है, यह आवश्यक रूप से अस्तित्व में है, और इससे उत्पन्न होने वाली प्रत्येक विधा सटीक और आवश्यक दृढ़ संकल्प के साथ घटित होती है। यह एक शाश्वत, आवश्यक, निश्चित पदार्थ ईश्वर है, और इसलिए प्रकृति या प्राकृतिक दुनिया या तो इसके समान है या इसे समझने के कुछ तरीकों के समान है।  पदार्थ की विधा पदार्थ के गुण नहीं हैं, जैसा कि शास्त्रीय दर्शन में है, बल्कि दुनिया में मौजूद चीजें सटीक अवस्थाओं या तरीकों से मौजूद हैं।  मोड पदार्थ और उसके गुणों की अभिव्यक्तियाँ हैं, जिन्हें नियामक प्राकृतिक शक्तियों के रूप में माना जा सकता है

 भाग II में, स्पिनोज़ा उन दो विशेषताओं का परिचय देते है जिनके द्वारा हम पदार्थ को समझते हैं और जिनके संदर्भ में पदार्थ हमारे अनुभव में—विचार और विस्तार में प्रकट होता है—और प्रकृति के मानसिक और शारीरिक आयामों का लेखा—जोखा बनाता है।  यह विवरण मानव अनुभव और अनुभूति के बारे में प्रस्तावों के एक सेट की ओर ले जाता है और, भाग III में, मानवीय भावनाओं, संवेदनाओं और बहुत कुछ और के बारे में, मानव शरीर की सभी भौतिक स्थितियों के मनोवैज्ञानिक सहसंबंध के रूप के बारे में बताया गया है। भौतिक शरीरों की कारण संरचना, उनकी गति और आराम के अनुपात से निर्धारित होती है, और निकायों की वैध अंतःक्रियाओं से प्रभावित होती है, पूरी प्रकृति में और विशेष रूप से मनुष्यों के दिमाग में, मानसिक अवस्थाओं, कुछ संज्ञानात्मक, अन्य भावनात्मक स्थितियों के साथ सहसंबद्ध होती है।  स्पिनोज़ा का मनोविज्ञान उसकी भौतिकी और कॉनटस की अवधारणा पर आधारित है, प्रत्येक प्राणी की दृढ़ता और उसके सार को प्रकट करने का प्रयास, यहाँ गतिशील तत्व स्पिनोज़ा की प्रकृति की जीवनवादी अवधारणा में है।  मनुष्यों में, कॉनैटस कुछ पूर्वानुमेय मनोवैज्ञानिक विशेषताओं को अपनाता है, अंततः, लोग इच्छाओं को संतुष्ट करना, खुशी और खुशी महसूस करना और अपनी भलाई को बढ़ाना चाहते हैं, और इन लक्ष्यों के लिए प्रकृति के भीतर सामंजस्यपूर्ण गतिविधि को बढ़ाने और जनून जो चिह्नित करते हैं  किसी व्यक्ति की अपने से बाहर के प्राणियों के प्रति अधीनता और अपने स्वयं के संरक्षण को पूरा करने में विफलता, इस जनून को कम करने की आवश्यकता होती है।  इस लक्ष्य के लिए प्रकृति के पूर्ण और सटीक ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसे कोई भी प्राप्त कर सकता है, एक ऐसा ज्ञान जो शरीर के हिस्से पर जीवन को बढ़ाने वाली शारीरिक स्थितियों को अधिकतम करने के लिए दिमाग से मेल खाता है।  बाद में एथिक्स में, स्पिनोज़ा ने इस संज्ञानात्मक लक्ष्य को "ईश्वर का बौद्धिक प्रेम" या "आशीर्वाद" कहा, और, भाग V के महत्वपूर्ण अंतिम खंड में, वह इसे मन की शाश्वतता के साथ जोड़ता है और इस प्रकार आत्मा की अमरता की पारंपरिक धारणा के साथ जोड़ता है।
 इस प्रकृतिवादी प्रणाली के दायरे में, स्पिनोज़ा ने कुछ ऐसे दावे स्थापित किए, जो उनके अपने समय में भी प्रसिद्ध और यहां तक कि महत्वपूर्ण भी थे।  उन्होंने कुछ ऐसे कदम भी उठाए जो भ्रम को दुर करने वाले हैं, उदाहरण के लिए, स्पिनोज़ा की प्राकृतिक दुनिया  बनाई नहीं गई है, न ही यह आकस्मिकता या चमत्कारों के अस्तित्व की अनुमति दे।  इसके अलावा, जहाँ तक विस्तार पदार्थ का एक गुण है, स्पिनोज़ा का ईश्वर भौतिक रूप से विस्तारित है;  स्पिनोज़ा पर एक प्रकार के नास्तिक भौतिकवाद का आरोप लगाया जा सकता है।  उसकी प्राकृतिक दुनिया भी पूरी तरह से निर्धारित और लक्ष्य या उद्देश्य से रहित है।  जबकि स्पिनोज़ा का ईश्वर भौतिक है, मनुष्य—भौतिक और मनोवैज्ञानिक एकता—ईश्वर या प्रकृति की तरह ही आवश्यक और निर्धारित हैं।  इस कारण से, स्पिनोज़ा स्वतंत्र इच्छा के अस्तित्व से इनकार करता है, लेकिन स्वतंत्रता के अस्तित्व से नहीं, जिसे वह उन कार्यों की एक विशेषता के रूप में मानता है जो सक्रिय और तर्कसंगत हैं, न्यूनतम बाधा और बाहरी दबाव के साथ किए जाते हैं।  इस अर्थ में, इसके अलावा, ईश्वर ही एकमात्र पूर्ण प्राणी है और मानव जीवन भगवान के अनुकरण का एक प्रयास है।  लोग इस हद तक स्वतंत्र हैं कि वे ईश्वर से प्रेम करते हैं, ईश्वर को समझते हैं और वास्तव में ईश्वर का अनुकरण करते हैं, लेकिन स्पिनोज़ा के लिए ये गतिविधियां और आकांक्षाएं प्रकृति को समझने और प्राकृतिक कानून के साथ सद्भाव में रहने की कोशिश से अलग नहीं हैं।

 तर्कसंगत आत्म—अनुशासन और मन की शांति की इस एथिक्स के कई स्पष्ट परिणाम हैं।  एक लोकतांत्रिक गणतंत्रवाद का जीवन है जिसमें सभी नागरिक एक वैध समाज में समान रूप से सहयोग करते हैं जिसका उद्देश्य सभी तार्किक नागरिकों की भलाई को बढ़ाना और इस लक्ष्य की खातिर हानिकारक स्वार्थी तत्वों को रोकना है।  अपने अंतिम वर्षों में स्पिनोज़ा, तात्कालिकता की भावना से, इन राजनीतिक निहितार्थों का विस्तार करने लगे हुए थे।

 एम.एल.एम.
: CONCERNING 

 DEFINITIONS

 1. भगवान जो स्व-निर्मित है,  मेरा मतलब है कि जिसके सार में अस्तित्व शामिल है;  या वह जिसकी प्रकृति के बारे विचार केवल अस्तित्वमान होने के रूप में किया जा सकता है।

 2. एक वस्तु को अपनी तरह से सीमित कहा जाता है,  जब इसे उसी प्रकृति की किसी अन्य चीज़ द्वारा सीमित किया जा सकता है।  उदाहरण के लिए, एक शरीर को सीमित कहा जाता है, क्योंकि हम हमेशा उससे बड़े किसी अन्य शरीर की कल्पना कर सकते हैं।  तो, भी, एक विचार दूसरे विचार से सीमित होता है।  लेकिन शरीर विचार से सीमित नहीं है, न ही विचार शरीर से सीमित है।

 3. पदार्थ से मेरा तात्पर्य है वह जो स्वयं में है और स्वयं के माध्यम से जिसको जाना जा सकता या समझा जा सकता है;  अर्थात्, जिसको समझने के लिए किसी अन्य वस्तु के विचार की आवश्यकता नहीं होती जिससे उसका निर्माण हुआ हो।

 4. गुण से मेरा तात्पर्य उस चीज़ से है जिसे बुद्धि पदार्थ के सार के रूप में देखती है।
                                         5. विधा से मेरा तात्पर्य पदार्थ की विधा से है या पदार्थ के मोडीफाई रूप अर्थात वह जो किसी और चीज में है और किसी और चीज के माध्यम से समझा जाता  है।

 6. ईश्वर से मेरा तात्पर्य एक पूर्णतया अनंत सत्ता से है, अर्थात अनंत गुणों से युक्त पदार्थ, जिनमें से प्रत्येक गुण शाश्वत और अनंत सार को व्यक्त करता है।

 व्याख्या: मैं कहता हूं "बिल्कुल अनंत," न कि "अपनी तरह का अनंत।"  क्योंकि यदि कोई वस्तु अपने प्रकार में केवल अनंत है, तो कोई इस बात से इनकार कर सकता है कि उसमें अनंत गुण हैं।  लेकिन अगर कोई चीज़ बिल्कुल अनंत है, तो जो कुछ भी सार व्यक्त करता है और उसमें कोई निषेध शामिल नहीं है, वह उसका सार है।

 7. वह वस्तु स्वतंत्र [मुक्ति] कहलाती है जो पूरी तरह से अपनी प्रकृति की आवश्यकता से अस्तित्व में है, और अकेले ही कार्य करने के लिए दृढ़ है।  किसी चीज़ को आवश्यक [आवश्यक] या बल्कि, विवश [कोएक्टस] कहा जाता है, यदि इसका अस्तित्व किसी अन्य चीज़ द्वारा निर्धारित किया जाता है और एक निश्चित और निर्धारित तरीके से कार्य किया जाता है।

 8. अनंत काल से मेरा तात्पर्य स्वयं अस्तित्व से है, जहां तक ​​इसकी कल्पना आवश्यक रूप से किसी शाश्वत वस्तु की परिभाषा से अनुसरण करने के रूप में की जाती है।

 व्याख्या: इस तरह के अस्तित्व की कल्पना एक शाश्वत सत्य के रूप में की जाती है, जैसे कि वस्तु का सार है, और इसलिए इसे अवधि या समय के माध्यम से नहीं समझा जा सकता है, भले ही अवधि की कल्पना शुरुआत और अंत के बिना की जाए।

 AXIOMS 

  1. सभी चीजें जो हैं, या तो अपने आप में हैं या किसी और चीज़ में हैं।

 2. जिस वस्तु ब किसी अन्य वस्तु के माध्यम से नहीं समझा जा सकता, उसको स्वयं के माध्यम से समझा जाना चाहिए।

 3. किसी दिए गए निश्चित कारण से आवश्यक रूप से एक प्रभाव पैदा होता है, दूसरी ओर, यदि कोई निश्चित कारण नहीं है, तो यह असंभव है कि एक प्रभाव पैदा हो।

 4. किसी प्रभाव का ज्ञान कारण के ज्ञान पर निर्भर करता है और इसमें शामिल होता है।

  5. जिन चीजों में एक-दूसरे से कोई समानता नहीं है, उन्हें एक-दूसरे के माध्यम से नहीं समझा जा सकता है, यानी एक की अवधारणा में दूसरे की अवधारणा शामिल नहीं होती है।

  6. एक सच्चे विचार को उस विचार से सहमत होना चाहिए जिसका वह विचार (ideatum) है।

 7. यदि किसी चीज़ की कल्पना ऐसी की जा सकती है कि उसका अस्तित्व नहीं है, तो उसके सार में अस्तित्व शामिल नहीं है।