Friday, 31 October 2025

आज का अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस के साथ बहुत ही ठंडा सुंदर और सुहावना रहेगा आज वायु गुणवत्ता सूचकांक अत्यंत ही अच्छा 40 से 50 रहेगा इसलिए भरपूर स्वच्छ ताजी ऑक्सीजन वाली हवा पूरे दिन भर सबको मिलेगी

नवंबर के मौसम की भविष्यवाणी डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 

आज का अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस के साथ बहुत ही ठंडा सुंदर और सुहावना रहेगा आज वायु गुणवत्ता सूचकांक अत्यंत ही अच्छा 40 से 50 रहेगा इसलिए भरपूर स्वच्छ ताजी ऑक्सीजन वाली हवा पूरे दिन भर सबको मिलेगी 

कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि अधिकतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहेगा 

आज दोपहर के बाद मौसम खुलने लगेगा और आज वर्षा की कोई भी संभावना नहीं प्रतीत हो रही है अधिक से अधिक कहीं-कहीं बूंदाबांदी हो सकती है जौनपुर और जौनपुर के सभी पड़ोसी जनपदों में वर्षा तापमान और वायु गुणवत्ता सूचकांक का यही हाल रहेगा ।

आज पूरे 7 दिन के बाद सूर्य देव के दर्शन होंगे 7 दिन में पड़ने वाले हर पर्व त्यौहार और मांगलिक कार्य बिना सूर्य देव के दर्शन के ही समाप्त हो गए यह सनातन धर्म और मानव जाति के लिए चेतावनी भी है कि वह प्रकृति पर्यावरण से छेड़छाड़ ना करें और जीवन में बनावट और दिखावा छोड़ दें ।

वर्तमान समय में जौनपुर और आसपास तथा पूर्वांचल में चक्रवाती तूफान की पूंछ गुजर रही है चक्र की तरह घूमते हुए या दोपहर तक पर हो जाएगी इसके बाद मौसम बहुत तेजी से ठंडा होता चला जाएगा और तीन-चार दिन में न्यूनतम तापमान गिरकर 15 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा मोटा कंबल और रजाई निकलना आवश्यक हो जाएगा उन लोगों को छोड़कर जो हमेशा हुआ वातानुकूलित मौसम के आदत हो गए हैं और सैकड़ो रोग बीमारियों से ग्रस्त हैं ।

अभी 5 या 6 नवंबर को एक बार मौसम फिर बिगड़ेगा यह समाचार कोई अभी बात नहीं पाया है लेकिन इतना अधिक नहीं जिससे कोई चिंता करने की आवश्यकता हो लेकिन अनेक स्थानों पर घने बादलों के साथ बूंदाबांदी हो सकती है इसके अलावा 15 नवंबर तक मौसम साफ और बेहद ठंडा रहेगा 15 दिनों के बाद अगला मौसम समाचार फिर से प्रसारित किया जाएगा 

बंगाल की खाड़ी में एक और चक्रवाती विक्षोभ जन्म लेगा जिसके कारण म्यांमार के तटवर्ती भागों और बंगाल की खाड़ी तथा दक्षिण भारत में वर्षा की गतिविधियां जारी रहेगी मौसम में अनेक जटिल परिवर्तन और ला नीनो प्रभाव के कारण पूरा विश्व भयंकर से भयंकर ठंड झेलने को विवश होगा देश के उत्तर पश्चिमी भागों में मौसम और भी तेजी से ठंडा होगा और हिमालय क्षेत्र में हिमपात भी होगा 

दीपावली को बीते हफ्तों हो चुका है संपूर्ण देश में वर्षा के कारण पराली कहीं जलाई नहीं जा रही है लेकिन फिर भी वायु गुणवत्ता सूचकांक दिल्ली और पश्चिम उत्तर भारत तथा बड़े औद्योगिक नगरों में 300 से 400 के बीच जा रहा है जो सरकार सरकारी तंत्र नकली बुद्धिजीवी लोगों और तमाम तथाकथित हरित पर्यावरण से जुड़े लोगों की पोल खोल रहा है जो दिवाली और पराली को जहरीली हवा गहरी वायु प्रदूषण का कारण बताकर चुपचाप निकल जाते थे अब इनके पास मुंह दिखाने के लिए भी साधन नहीं बचे हैं क्योंकि ईश्वर ने इनको भरी सभा में नंगा कर दिया है।


जबकि हवा में जहर घुलने जहरीली हवा भयंकर प्रदूषण प्रकृति और पर्यावरण के संतुलन का कारण सरकारी तंत्र द्वारा संसाधनों का वह हिसाब दोहन स्वच्छ प्राकृतिक क्षेत्र और पर्वतों पर अधिक से अधिक लोगों का पर्यटन करके वहां पर कूड़ा कचरा प्रदूषण फैला देना सीमेंट और कंक्रीट के वह हिसाब बढ़ रहे जंगल हर वर्ष बढ़ रही करोड़ों अरबों गाड़ियां  ‌ मोबाइल की गंदगी और उसे निकाल रहा है रेडिएशनऔर वहां सड़कों पर घूम रहे अरबों दो पहिया से 10 पहिया 20 पहिया वाहन रेल और वायु यातायात का बढ़ना कल कारखाने और फैक्ट्री का तथा ईंट के भट्ठो के द्वारा फैलाया जा रहा प्रदूषण हरियाली और जंगलों का लगातार घटते चले जाना और जल से लेकर थल और नभ में ‌ प्लास्टिक कचरा इलेक्ट्रॉनिक कचरा विद्युत कचरा लगातार हो रहे युद्ध के द्वारा फैल रहे जहर और कचरा परमाणु परीक्षण का कचरा रेडियो धार्मिक कचरा मानव द्वारा फैलाया जा रहे हैं मल मूत्र नदियों में गिर रहा गंदा नल का पानी और सुनारों के द्वारा तेजाब और करोड़ों अरबों की संख्या में काटे जा रहे जानवरों का रक्त मांस और अन्य सैकड़ो कारण है जिसे सभी जिम्मेदार तंत्र मुंह छुपा कर घूमते हैं और हर साल कागजों पर हरियाली फैल जाती है 100 करोड़ से अधिक वृक्ष पूरे देश में लगाए जाते हैं दिखता कहीं कुछ नहीं है ‌

आज से 100 साल पहले के लोग अधिक समझदार थे प्रकृति और पर्यावरण के साथ मिलकर रहते थे भारत के सभी पर्व उत्सव शुभ और मांगलिक कार्य प्रकृति और पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाए जाते थे लोग नगर सभ्यता के बजाय ग्रामीण सभ्यता में रहते थे चारों ओर हरियाली और स्वच्छ ऑक्सीजन भरी होती थी अभी बचपन तक हम लोग नदी और पोखरों का पानी पीते थे और उसी से भोजन भी बनता था कोई भी रोग बीमारी नहीं होती थी शरीर प्रतिरोधी और मजबूत था आज का शरीर बिना दवा के एक कदम नहीं चल पा रहा है ऊपर से नकली और मिलावटी सामानों ने प्रकृति पर्यावरण के साथ हमारे शरीर को भी बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। आज सब कुछ नकली और मिलावटी है अपने आप जो पैदा कर रहे हैं और घर में बना रहे हैं उसके अलावा अच्छे से अच्छे और सबसे प्रसिद्ध है होटल रेस्टोरेंट में भी जहर के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है खाने का पीने का चाय पाव रोटी बिस्किट घी दूध दही सब कुछ नकली मिलावटी है ‌ फल और सब्जियों को खुलेआम जहर वाले रसायन और इंजेक्शन से पकाया जा रहा है और इसमें पुलिस प्रशासन सहयोग दे रहा है तभी तो बड़े-बड़े कल कारखाने फैक्ट्रियां पकड़ी जा रही हैं और अगर सही छापामारी किया जाए तो पूरे जौनपुर में पूरे भारत में एक भी दुकान एक भी सामान असली और शुद्ध नहीं मिल सकता है इसलिए छापामारी में सारे दुकानदार बंद करके भाग जाते हैं।

थोड़े से धन और प्रकृति पर्यावरण के विरुद्ध चलने के कारण अब मनुष्यअपने ही बनाए गए जाल और तंत्र को तोड़ नहीं पाएगा समय समर पर प्रकृति इसको स्वयं ही संतुलित करेगी और उन सभी क्षेत्रों को नष्ट कर देगी जो प्रकृति और पर्यावरण तथा ईश्वर की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं ‌ लगातार बदल रहा और ठंडा होता हुआ मौसम 15 नवंबर तक बेहद ठंडा हो जाएगा यह ठंड 25 सितंबर को प्रारंभ हो गई थी बाद में फिर गर्मी बढ़ जिसके कारण भारी वर्षा हुई और 25 अक्टूबर से फिर से स्थाई रूप से ठंड आ गई जिसको अब वापस 25 मार्च के बाद ही आना है अब इस 6 महीने की ठंड को जिसमें एक महीना बीत गया है हम लोग कैसे खेलेंगे यह देखना अपने ऊपर है ‌ एक बार फिर सभी से आग्रह है कि इस वर्ष की ठंड को सामान्य ठंड मत माने वरना पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा इस बार ठंड का यह प्रसार महाराष्ट्र कर्नाटक आंध्र प्रदेश तक जाएगा केवल केरल और समुद्र के किनारे के भाग ही इससे बच पाएंगे

बुजुर्ग मां के आंसू देखकर कानपुर डीएम जितेंद्र कुमार सिंह ने तत्काल पहल की. उन्होंने महिला को सहारा दिया और उनके बेटे को ऑफिस बुलाया. डीएम ने बेटे को समझाकर मां-बेटे के टूटे रिश्ते को सिर्फ दो घंटे में जोड़ दिया. बेटे ने मां का हाथ थामा और उसे घर ले गया. अगले दिन मां ने डीएम को "दूसरा बेटा" कहकर आशीर्वाद दिया।

बुजुर्ग मां के आंसू देखकर कानपुर डीएम जितेंद्र कुमार सिंह ने तत्काल पहल की.  उन्होंने महिला को सहारा दिया और उनके बेटे को ऑफिस बुलाया. डीएम ने बेटे को समझाकर मां-बेटे के टूटे रिश्ते को सिर्फ दो घंटे में जोड़ दिया. बेटे ने मां का हाथ थामा और उसे घर ले गया. अगले दिन मां ने डीएम को "दूसरा बेटा" कहकर आशीर्वाद दिया।

यूपी के कानपुर में एक मार्मिक घटना सामने आई, जहां बेटे और बहू ने एक बुजुर्ग मां को घर से निकाल दिया. मां रोते हुए डीएम जितेंद्र कुमार सिंह के जनता दरबार में पहुंची. डीएम ने तुरंत पहल करते हुए न सिर्फ मां को सहारा दिया, बल्कि सिर्फ दो घंटे में बेटे को समझाकर मां-बेटे के टूटे रिश्ते को फिर से जोड़ दिया।

दरअसल, कानपुर की 62 वर्षीय महिला पूनम शर्मा को उनके बेटे और बहू ने घर से निकाल दिया. यह घटना बीते सोमवार को हुई, जब महिला रोती हुई डीएम जितेंद्र कुमार सिंह के जनता दरबार में पहुंची. बुजुर्ग महिला की पेंशन पासबुक, मोबाइल और आधार उनसे छीन लिया गया था.  महिला ने डीएम को बताया कि उन्हें 25 अक्टूबर को घर से निकाला गया था और वह दो दिन से भटक रही थीं. जिलाधिकारी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत हस्तक्षेप किया और मां-बेटे के बीच के रिश्ते को सुलझाया।

डीएम की मानवीय पहल से सिर्फ दो घंटे में मां-बेटे के बीच का पवित्र रिश्ता फिर से जुड़ गया. डीएम और अधिकारियों के सामने ही बेटे ने मां का हाथ थामा और उन्हें घर लेकर चला गया. बुजुर्ग मां ने डीएम को अपना 'दूसरा बेटा' समझकर आशीर्वाद दिया. अगले दिन मंगलवार को डीएम ने फिर फोन करके महिला का हालचाल पूछा. बुजुर्ग मां ने भावुक होकर कहा, "सब ठीक है, जिसके पास कानपुर डीएम जैसा बेटा हो, उसकी कोई परेशानी नहीं हो सकती..."

उत्तर प्रदेश के समस्त बार काउंसिल प्रत्याशियों से आग्रह है कि बर काउंसिल के वर्तमान सदस्यों द्वारा जो नामांकन फीस 150000 रुपए तथा वोटर लिस्ट फीस 25000 टोटल 175000रुपया देना अनिवार्य है बार काउंसिल के सदस्यों द्वारा किस नियम के तहत इतनी लंबी फीस रखी गई है

उत्तर प्रदेश के समस्त बार काउंसिल प्रत्याशियों से आग्रह है कि बर काउंसिल के वर्तमान सदस्यों द्वारा जो नामांकन फीस 150000 रुपए तथा वोटर लिस्ट फीस 25000 टोटल 175000रुपया देना अनिवार्य है बार काउंसिल के सदस्यों द्वारा किस नियम के तहत इतनी लंबी फीस रखी गई है जबकि इसके पूर्व 2017 के चुनाव में 10000रुपया नामांकन फीस तथा 15000 वोटर लिस्ट फीस रखी गई थी सभी से आग्रह है कि संपर्क करें और माननीय उच्च न्यायालय में इसके संबंध में रिट दाखिल करें तथा 7 वर्षों में किए गए इनके द्वारा निम्न कार्य हैं लिस्ट संलग्न है - शक्ति प्रताप सिंह अधिवक्ता उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट मो 9335460169 Adv Dileep Kumar Yadava Durgesh Singh Arvind Singh Allahabad High Court Advocate At District Court Allahabad Highcourt Allahabad उत्तर प्रदेश अधिवक्ता Adv Sumit Upadhyay Uttam Singh Yadav Ajeet Dixit Ajit Shukla Vikram Singh Advocat Patel Ranjeet Jitendra Singh Divya Narayan Pandey District Private Security Nadeem Khan

31अक्टूबर 2025 को सिविल कोर्ट में स्थित जिला शासकीय अधिवक्ता कार्यालय में स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जंयती पर आयोजित कार्यक्रम अवसर की अध्यक्षता शासकीय अधिवक्ता व भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हरिश्चंद्र सिंह ने कहा कि सरदार पटेल जैसा दृढ़ निश्चयी व्यक्ति नहीं होता तो‌

आज दिनांक 31अक्टूबर 2025 को सिविल कोर्ट में स्थित जिला शासकीय अधिवक्ता कार्यालय में स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जंयती पर आयोजित कार्यक्रम अवसर की अध्यक्षता  शासकीय अधिवक्ता व भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हरिश्चंद्र सिंह ने कहा कि सरदार पटेल जैसा दृढ़ निश्चयी व्यक्ति नहीं होता तो‌ .......भारत का जैसा स्वरूप दिख रहा है वैसा नहीं दिखता। कार्यक्रम को संबोधित करते पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता व चीफ डिफेंस काउंसिल अनिल कुमार सिंह कप्तान ने कहा कि सरदार पटेल संविधान निर्माण व‌ राज्यों के एकीकरण महती भूमिका निभाई और इसको भुलाया नहीं जा सकता। 

कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल  डा दिलीप कुमार सिंह ने कहा ने कहा कि सरदार पटेल गृहमंत्री नहीं होते‌ तो जम्मू-कश्मीर भारत का नहीं हो पाता। और कभी भी 565 रियासतें एक नहीं हो पाती।सरदार पटेल बरदौली गुजरात में कृषि  परअंग्रेजो‌ द्वारा थोपे गए कर के विरोध में एक बड़ा किसान‌ आन्दोलन खड़ा किया था। कार्यक्रम को डीजीसी सिविल मनोज गुप्ता, शासकीय अधिवक्ता अरूण पाठक, शासकीय अधिवक्ता आशीष सिंह ने संबोधित किया। 

कार्यक्रम के पूर्व डीजीसी लालबहादुर पाल , डीजीसी मनोज गुप्ता, अनिल सिंह कप्तान,व डा दिलीप कुमार सिंह व हरिश्चंद्र सिंह ने सरदार पटेल के चित्र माल्यार्पण किया और फिर सभी शासकीय अधिवक्ताओं ने सरदार पटेल के चित्र पर बारी बारी से माल्यार्पण किया। कार्यक्रम का संचालन शासकीय अधिवक्ता सतीश रघुवंशी ने किया और डीजीसी फौजदारी लाल बहादुर पाल ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में शासकीय अधिवक्ताओं में से कमलेश राय, राजेश उपाध्याय, राजेश श्रीवास्तव,प्रसून श्रीवास्तव, ‌प्रदीप कुमार ‌ रघुवंश सहाय रमेश पाल,राम प्रकाश सिंह, वीरेंद्र प्रताप मौर्य, अरुण पांडेय, वेदप्रकाश तिवारी, संतोष उपाध्याय, विनीत शुक्ला,‌ मुकेश कुमार मौर्य अशोक उपाध्याय ‌ कौशलेंद्र सिंह ‌ पवन पांडे ‌ विजय प्रकाश सिंह ‌ रामप्रकाश सिंह रणंजय सिंह ‌ राजेश उपाध्याय ‌ संजय श्रीवास्तव सहित ‌ बहुत से अधिवक्ता उपस्थित थे

Thursday, 30 October 2025

अब भी खाओगे घर से बाहर, होटल दुकान की पनीर??*हाईवे पर किसी सस्ते से सस्ते ढाबे में खाना खाइये, मेन्यू में कम से कम 6 आइटम पनीर के होंगे5 स्टार होटल में जाइये, शाकाहारी में 60% डिशेज़ पनीर की होती है।

*अब भी खाओगे घर से बाहर, होटल दुकान  की पनीर??*

हाईवे पर किसी सस्ते से सस्ते ढाबे में खाना खाइये, मेन्यू में कम से कम 6 आइटम पनीर के होंगे

5 स्टार होटल में जाइये, शाकाहारी में 60% डिशेज़ पनीर की होती है।
30 रु में 6 पनीर मोमोज मिलते हैं! 
50 रु में पनीर पिज़्ज़ा! 
100 रु में  बटर पनीर ! 
40 रु मे पनीर कुलचा! 

आइये जानते है की पनीर का अर्थशास्त्र

 70 रु में 1 लीटर अमूल का  क्रीम दूध आता है, जिसमे से करीब 200 ग्राम पनीर मिलता है। इस हिसाब से यदि 1किलो पनीर बनाना हो तो आपको 5 लीटर दूध की आवश्यकता पड़ेगी जिसकी कीमत 350 रु होगी। यानी अगर असली दूघ का पनीर बनाया जाए तो उसकी लागत कम से कम 350 रु तो होगी ही, फुटकर रूप में यदि ये मान लिया जाते कि दूध का फैक्ट्री मूल्य 50 रु प्रति लीटर भी हो तो भी 250 रु सिर्फ दूध की लागत होगी। अब यदि इसमें मजदूर खर्च, गैस, ईंधन जोड़ लिया जाए तो ये लागत 60 रु पहुंच जायेगी। अब यदि इसमें वितरण, भाडा भी जोड़ लिया जाए तो ये लागत 63 रु पहुंच जाती है।

 यानी कि कम से कम 315 रु का एक किलो पनीर अब यदि कोई दुकानदार इसे 10% मुनाफे पर भी बेचे जो कि इससे कहीं ज्यादा पर बेचता है  तो ग्राहक को ये लागत  कम से कम 345 से 350 रु प्रति किलो पड़नी चाहिए। अब यदि आप कोई पनीर 200 रु किलो या 250 रु किलो के भाव से खरीदते हैं तो क्या दुकानदार ने दानखाता खोल रखा है जो लागत से भी 25% कम पर आपको पनीर बेचेगा? असली पनीर की कीमत और मात्रा  जाननी है तो घर पर पनीर बना कर देखिए अंदाज़ा हो जायेगा। फिर आता है एनालॉग पनीर ...यानी पनीर जैसा दिखने वाला और पनीर के स्वरूप जैसा पदार्थ जिसके मूल तत्व पाउडर का दूध, वनस्पति फैट, पाम आयल, अरारोट, स्टेबलाइजर और डेवलपिंग एजेंट्स होते हैं। अब चूंकि पाउडर मिल्क में फैट नही होता तो उसके लिए डालडा और पाम आयल मिलाया जाता है जिससे घनत्व बढ़ जाये। ये वही तेल हैं तो आर्टरी में जम जाते हैं ।
 ये एनालॉग पनीर आपको बड़े बड़े 5 सितारा होटल में भी मिलता है चाहे आप पनीर टिक्का खा रहे हों या पनीर दो प्याजा..

 उससे भी निचली श्रेणी में आता है यूरिया, डिटर्जेंट और मैदे के घोल से बना पनीर.. यानी वो पनीर जिसे आप 30 रु के 6 मोमोज़ में स्वाद लेकर खाते है या फिर 50 रु में पनीर लोडेड पिज़्ज़ा बर्गर में खाते हैं। ये यूरिया सीधे आपकी किडनी और लीवर पर घात लगाता है साथ ही लंबे समय तक खाने पर जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है। भारत मे प्रति दिन दूध का उत्पादन 64 करोड़ लीटर होता है। इस सारे दूध को फाड़कर यदि पनीर बना दिया जाए तो करीब 1 करोड़ 20 लाख किलो पनीर बन सकता है। लेकिन प्रति दिन पनीर की खपत करीब करीब 15000 टन है। क्या ये संभब है कि 1 करोड़ 50 लाख किलो पनीर  64 करोड़ लीटर दूध से बन पाए?

 बाजार में मिलने वाला 80% से भी ज्यादा पनीर नकली है। 

इसने रोड साइड से लेकर 5 स्टार होटल भी नकली पनीर खिला रहे हैं। क्या वजह है कि पिछले 30 सालों मे लीवर और किडनी की बीमारी में तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ है?

 कभी जाकर देखिए छोटी छोटी गलियों के भीतर उबलते हुए उन भगोनों को जिनमे यूरिया उबल रहा है। जो लोग उसे बना रहे हैं उनसे कहिये की अपने बने पनीर को खाकर दिखाएं। 

अगली बार जब आप किसी होटल में पनीर की डिश आर्डर करें तो कहिएगा एक टुकड़ा कच्चा पनीर लाकर आपको दिखाएं।

 शर्त लगा सकता हूँ कि वो हज़ार बहाने बनाएंगे। इसे मैं आज़मा कर देख चुका हूँ। एक रेस्टोरेन्ट वाले ने तो ये भी कह दिया कि आपको खाना है तो खाओ वरना जाओ..लेकिन हम सैंपल नही दिखाएंगे।

*मिल्क प्रोडक्ट सबसे बड़े घोटाले हैं आज की तारिख़ में दुर्भाग्य से सरकार भी कुछ नही कर पा रही। नकली प्रोडक्ट हर दिन पकड़े जाते हैं लेकिन हमारे कानून में उसके लिए कुछ जुर्माना या छोटी मोटी सज़ा होती है। उनसे होने वाली लाखों इनडाइरेक्ट मौतों का जिम्मेदार उन्हें नही माना जाता। सिर्फ एक ही उपाय है जागरूकता और इन्फॉर्मेशन शेयरिंग ❓वरना इंसान कीड़े मकोड़ों की तरह मरेंगे❌ ओर कीड़े मकोड़े लंबे जिएंगे।🚩🕉️अब तो जागो🙏वरना भुगतने के लिए तैयार हो जाइये🚩बता दिया बाकी आपकी मर्जी🙏*
[10/30, 9:31 PM] Dr  Dileep Kumar singh: ‌‌ बिल्कुल सही है इसका दो अर्थ है इस देश की जनता बिल्कुल मुर्ख है और यह जानते हुए भी की दूध दूध से बनी सारी चीज तेल और सारे कोल्ड ड्रिंक नकली और जहर है खा रहे हैं और दूसरा सरकार जानबूझकर आंख बंद करके इन जहर खुराना को और नकली धंधे वालों को पूरा सहयोग और संरक्षण दे रही है बुरा तो लगेगा लेकिन सच यहीहै

हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर की भयानक चेतावनी -डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक

हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर की भयानक चेतावनी -डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक 
पूर्वांचल और आसपास लगातार 27 घंटे तक प्रबल चक्रवात मोंथा के भीषण प्रभाव से भारी से बहुत भारी वर्षा होगी  ‌ यह आज 4:00 से लेकर और कल 31 अक्टूबर तक सुबह 7:00 तक लगातार होगा और समय बढ़ने के साथ वर्ष तेज और विकराल तथा भयंकर होती जाएगी  झंझा झकोर घन गर्जन वज्रपात वारिदमाला आंख को चकाचौंध कर देने वाली विद्युत की चमक और गरज से ‌ सारा वातावरण भर जाएगा और तेज तूफानी हवाएं हाहाकार मचा देंगी


कल 31 अक्टूबर को दोपहर के बाद ही मौसम में थोड़ा सुधार होने की आशा है इसके बाद 1 नवंबर तक इस चक्रवात का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा ‌ जौनपुर और पूर्वांचल के अलावा इस चक्रवर्ती प्रभाव का असर संपूर्ण दक्षिण भारत महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश उड़ीसा बिहार छत्तीसगढ़ झारखंड बिहार पूर्वोत्तर भारत बंगाल पर पढ़ चुका है और यह 2 नवंबर तक नेपाल में प्रवेश करते हुए तिब्बत में समाप्त हो जाएगा 


पिछले 48 वर्षों की भर्ती सुभाष भी आप लोगों को 20 दिन से इस माह भयानक तूफान की चेतावनी दी जा रही थी जो ईश्वर की कृपा से एक एक अक्षर सही हुई आज जौनपुर और जौनपुर के आसपास के सभी जनपदों में पूर्वांचल और आसपास 50  से लेकर 100 मिलीमीटर के बीच वर्षा होने से बड़ा भयानक दृश्य पैदा हो जाए यह भी कुछ इसका उपाय ‌ कर सकते हैं तो सावधान रहें खुद को बचाए लोगों को भी बचाएं ।

इस महा चक्रवात के प्रभाव से संपूर्ण देश का मौसम अचानक ही बदल जाएगा और बच्ची खुशी गर्मी और उमेश पूरी तरह गायब हो जाएगी और एक लंबी 5 महीने तक चलने वाली भीषण ठंड प्रारंभ होगी और यह अहंकार मचान देगी यह सभी बातें जनवरी 2025 में वर्ष भर की भविष्यवाणी में पहले भी कर दी गई थी इस पर किसी को विश्वास नहीं था लेकिन सब की सब पूरी तरह सही हुई अधिकतम तापमान गिरकर 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस जबलपुर और आसपास सर्किल भी तापमान लगभग इतना ही रहेगा वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से 100 के बीच और जहरीली हवा और प्रदूषण की मात्रा बहुत कम रहेगी

पूर्वांचल और आसपास लगातार 27 घंटे तक प्रबल चक्रवात मोंथा के भीषण प्रभाव से भारी से बहुत भारी वर्षा होगी ‌ यह आज 4:00 से लेकर और कल 31 अक्टूबर तक सुबह 7:00 तक लगातार होगा

हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर की भयानक चेतावनी -डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक 

पूर्वांचल और आसपास लगातार 27 घंटे तक प्रबल चक्रवात मोंथा के भीषण प्रभाव से भारी से बहुत भारी वर्षा होगी  ‌ यह आज 4:00 से लेकर और कल 31 अक्टूबर तक सुबह 7:00 तक लगातार होगा और समय बढ़ने के साथ वर्षा तेज और विकराल तथा भयंकर होती जाएगी  झंझा झकोर घन गर्जन वज्रपात वारिदमाला आंख को चकाचौंध कर देने वाली विद्युत की चमक और गरज से ‌ सारा वातावरण भर जाएगा और तेज तूफानी हवाएं हाहाकार मचा देंगी

कल 31 अक्टूबर को दोपहर के बाद ही मौसम में थोड़ा सुधार होने की आशा है इसके बाद 1 नवंबर तक इस चक्रवात का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा ‌ जौनपुर और पूर्वांचल के अलावा इस चक्रवर्ती प्रभाव का असर संपूर्ण दक्षिण भारत महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश उड़ीसा बिहार छत्तीसगढ़ झारखंड बिहार पूर्वोत्तर भारत बंगाल पर पढ़ चुका है और यह 2 नवंबर तक नेपाल में प्रवेश करते हुए तिब्बत में समाप्त हो जाएगा 

पिछले 48 वर्षों की भांति इस वर्ष भी आप लोगों को 20 दिन से इस माह भयानक तूफान की चेतावनी दी जा रही थी जो ईश्वर की कृपा से एक एक अक्षर सही हुई आज जौनपुर और जौनपुर के आसपास के सभी जनपदों में पूर्वांचल और आसपास 50  से लेकर 100 मिलीमीटर के बीच वर्षा होने से बड़ा भयानक दृश्य पैदा हो जाए यह भी कुछ इसका उपाय ‌ कर सकते हैं तो सावधान रहें खुद को बचाए लोगों को भी बचाएं ।

इस महा चक्रवात के प्रभाव से संपूर्ण देश का मौसम अचानक ही बदल जाएगा और बच्ची खुशी गर्मी और उमेश पूरी तरह गायब हो जाएगी और एक लंबी 5 महीने तक चलने वाली भीषण ठंड प्रारंभ होगी और यह अहंकार मचान देगी यह सभी बातें जनवरी 2025 में वर्ष भर की भविष्यवाणी में पहले भी कर दी गई थी इस पर किसी को विश्वास नहीं था लेकिन सब की सब पूरी तरह सही हुई अधिकतम तापमान गिरकर 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस जबलपुर और आसपास सर्किल भी तापमान लगभग इतना ही रहेगा वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से 100 के बीच और जहरीली हवा और प्रदूषण की मात्रा बहुत कम रहेगी

Wednesday, 29 October 2025

हरि प्रबोधिनी का महापर्व- डॉ दिलीप सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

हरि प्रबोधिनी का महापर्व- डॉ दिलीप सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 

हरि प्रबोधिनी का व्रत सनातन धर्म के महान व्रत और पर्व में से एक है इस व्रत को देव उठनी या देव उठान एकादशी भी कहा जाता है अनेक स्थानों पर इसको जुठवन भी कहते
 हैं यह ‌ महान पर व्रत कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।

कब हरि प्रबोधिनी का व्रत मनाया जाएगा 

वर्ष 2025 में हरि प्रबोधिनी का व्रत 1 नवंबर शनिवार के दिन मनाया जाएगा ‌ जिसका कारण यह है कि यह सुबह 9:11 पर प्रारंभ हो रही है और 2 नवंबर को 7:03 पर समाप्त हो रहे हैं ऐसे में धर्म ग्रंथो से संबंध और लोक व्यवहार देखते हुए इसको 1 नवंबर के दिन ही मनाया जाएगा सनातन धर्म में मुहूर्त और तिथियां का वैज्ञानिक महत्व होता है इसमें देशकाल परिस्थितियों लोग व्यवहार और वैज्ञानिक गणनाओं को परख कर शुभ मुहूर्त में मनाया जाने का विधान है ‌ इसके लिए उदया तिथि आवश्यक नहीं होती है। जबकि सामान्य रूप से उदय तिथि में ही अधिकांश पर्व मनाया जाते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी सहित कई ऐसे व्रत और पर्व है जहां पर यह लागू नहीं होता। 

एकादशी व्रत का पारण 

एकादशी व्रत का पारण इस वर्ष 2 नवंबर केदिन ‌ 1:11 दोपहर से दोपहर बाद 3: 23 के बीच किया जाएगा। आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी के पूर्व तक भगवान श्री हरि विष्णु योग माया में लीन रहते हैं इसलिए इन चार महीना को चातुर्मास या योग मास कहा जाता है।

हरि प्रबोधिनी के दिन पूजा पाठ कैसे करें 

सुबह उठकर नित्य क्रिया करें शुद्ध चित्र से स्नान करें भगवान का ध्यान करें यह भगवान श्री हरि विष्णु का पर्व है इसलिए उनके मंत्रों को भी पढ़ें इसके पश्चात पूजा घर में या घर के पूर्व या उत्तरी भाग में मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ करके चौकी पर पीले वस्त्र बिछा कर उस पर श्री हरि विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम रखें सामने जल्द से आचमन करें पीले रंग की माला और पीले फूल भगवान श्री हरि विष्णु को अर्पण करें पीला चंदन भी उन्हें लगे इसके पश्चात पीली मिठाई गणना और सिंघाड़ा एवं मौसमी फल फूल भी उन्हें अर्पित करके भोग लगा दें इसके बाद धूप दीप जलाकर भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना इच्छा अनुसार करें ओम श्री विष्णवे नमः या ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप सबसे अच्छा रहता है। अनेक स्थानों पर गाने का मंडप बनाकर वहां पर शालिग्राम के साथ तुलसी देवी का विवाह भी कराया जाता है।

हरि प्रबोधिनी व्रत कथा का वर्णन कहां कहां है 

हरि प्रबोधिनी व्रत का वर्णन वेदों में नहीं मिलता है यह रामायण में भी नहीं मिलता है लेकिन यह महाभारत श्रीमद् भागवत गीता विष्णु पुराण ब्रह्म व्रत पुराण नारद पुराण पद्म पुराण उत्तराखंड भागवत पुराण में मिलता है भागवत पुराण के अनुसार नंद बाबा ने एकादशी का व्रत किया जिससे श्री हरि विष्णु की कृपा हुई और भगवान श्री कृष्णा मथुरा से नंद बाबा के घर पहुंच गए इसके अलावा एक कथा के अनुसार जब भगवान श्री हरि विष्णु योग माया में लीन थे तब एक महा भयंकर तीनों लोकों को जीतने वाला मुर नाम का दैत्य उत्पन्न हुआ और भगवान श्री हरि विष्णु पर उसने आक्रमण कर दिया।‌ इस पर भगवान श्री हरि विष्णु की माया से एकादशी देवी का जन्म हुआ जिन्होंने मुर नमक दैत्य को मार गिराया इसके प्रतीक कथा के रूप में 10 ज्ञान और 10 कर्म इंद्रीयां और एक मन कुल मिलाकर 11 इंद्रियों की अधिष्ठात्री देवी एकादशी देवी के नाम पर इसको एकादशी देवी का व्रत कहा गया जो इन्हीं 11 इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है उसे कोई नहीं हरा सकता है ।

अन्य कहानियां इसके अलावा जालंधर की कहानी भी इसके साथ आता है जालंधर में तीनों लोक जीत लिए उसकी पत्नी वृंदा परम सती थी जिसके कारण जालंधर को कोई मार नहीं सकता था भगवान शिव ने बहुत भयानक युद्ध किया हजारों वर्ष के युद्ध में भी उसको नहीं मार पाए तब भगवान श्री हरि विष्णु ने छल से जालंधर का रूप धारण करके वृंदा के अस्तित्व का हरण किया और जालंधर मारा गया ‌ जब वृद्धा को इसका पता लगा तो उन्होंने भगवान श्री हरि विष्णु को पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया तब से काले रंग के शालिग्राम को ओपन विष्णु का रूप माना गया यह देवी बाद में वृद्धा ने अपना श्राप वापस ले लिया और जालंधर के सती हो गई।

पूजा पाठ कर्मकांड और ढोंग बड़ा है या शुद्ध मन से ईश्वर की पूजा इस बात का बड़ा सुंदर वर्णन श्री भागवत पुराण में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा है‌ एक बार एक राजा दैव योग से निधन हो गया और काम ढूंढते ढूंढते दूसरे राजा के पास पहुंचा। राजा ने उसे इस शर्त पर नौकरी दे दिया कि वह एकादशी के दिन उसे एक अन्य भी नहीं देंगे बाकी दिन जो इच्छा हुआ खाता रहेगा 

इस तरह बहुत सारे दिन बीत गए और एकादशी का महान पर्व आ गया तब राजा ने अपनी शर्ट के अनुसार उसे केवल फलाहार दिया लेकिन नौकरी करने वाले राजा ने उनसे अनुनय किया  तब दयालु राजा ने उसे अन्न दान कर दिया। लेकिन कारण पूछा कि ऐसा क्यों है क्या तुम एक दिन बिना अन्न के नहीं रह सकते राजा ने कहा है राजन मैं तो रह सकता हूं लेकिन हमारे साथ स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु की भोजन करते हैं वह अन्य के बिना कैसे रहेंगे इस पर राजा को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि मुझे भी भगवान का दर्शन कराओ।

इसके बाद वह राजा को लेकर नदी के किनारे गए और रोज की भांति पूजा पाठ करके आसान बेचकर भोग लगाकर भगवान का आवाहन किया लेकिन ईश्वर प्रकट नहीं हुए इसके बाद बार-बार पुकारने पर भी जब ईश्वर नहीं आए तब उन्होंने कहा ठीक है अगर आप नहीं आते तो मैं अपना बलिदान आपको कर रहा हूं ऐसा कह कर जैसे ही उन्होंने अपना सिर काटना चाहा तब श्री हरि विष्णु भगवान वहां प्रकट हो गए और राजा के देखते-देखते उसे अपने दिव्य विमान में बैठ कर बैकुंठ लोक ले गए।

इसका सीधा अर्थ बताकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि दुनिया भर के अंधविश्वास ढोंग पूजा पाठ तब तक व्यर्थ है जब तक व्यक्ति मन वचन और कम से पूरी तरह शुद्ध और अखंड भक्ति वाला ना हो यही एकादशी का संदेश भी है कि अपनी पांच ज्ञान और पांच कर्म इंद्रियों मन और चंचल चित्र पर नियंत्रण करके ही पूजा पाठ सफल किया जा सकता है।

Tuesday, 28 October 2025

मौसम की भविष्यवाणी हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर ‌ के द्वारा आज से एक महीना पहले बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में भीषण चक्रवर्ती तूफान से जौनपुर पूर्वांचल सहित संपूर्ण भारत में 27 अक्टूबर से 1 नवंबर तक वर्षा की भविष्यवाणी पूरी तरह सही हुई

मौसम की भविष्यवाणी हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर ‌ के द्वारा आज से एक महीना पहले बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में भीषण चक्रवर्ती तूफान से जौनपुर पूर्वांचल सहित संपूर्ण भारत में 27 अक्टूबर से 1 नवंबर तक वर्षा की भविष्यवाणी पूरी तरह सही हुई 

आज भोर से ही वर्षा प्रारंभ होगी और दिन में कई बार होगी आजकल और परसों जौनपुर और आसपास के सभी जनपदों में और पूर्वांचल में माध्यम से भरी कहीं-कहीं बहुत भारी वर्षा शांत हवाओं के बीच होने की प्रबल संभावना है और बाद में तेज हवाएं तूफानी रूप ले लेंगे 1 नवंबर के बाद मौसम एक बार फिर से साफ हो जाएगा इस बीच तापमान लगातार गिरता चला जाएगा और असली ठंड का प्रारंभ हो जाएगा जी ठंड का प्रारंभ 25 सितंबर से हो चुका था और यही वर्षा संपूर्ण प्रदूषण जहरीली हवा समाप्त करके वह गुणवत्ता सूचकांक बहुत अच्छा कर देगी 

आज का अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रहेगा जबकि कल अधिकतम तापमान 27 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस और परसों न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा 


आंध्र प्रदेश उड़ीसा तमिलनाडु महाराष्ट्र गुजरात राजस्थान मध्य प्रदेश पूर्वोत्तर भारत उड़ीसा और बंगाल के अधिकांश भागों में घनघोर धुआंधार मूसलाधार वर्षा झंझा झकोर घन गर्जन वज्रपात वारिदमाला आंख को चकाचौंध कर देने वाली विद्युत और ‌ तेज तूफानी चक्रवर्ती हवाओं के साथ होगी और ममता चक्रवात दूसरे दर्जे के प्रबल चक्रवात में बदलकर भीषण धन जन हानि करेगा।


‌ जौनपुर और आसपास भी इसी का हल्का रूप आजकल और परसों पहले शांत वर्षा और उसके बाद झंझा झकोर घन गर्जन वज्रपात वारिदमाला आंख को चकाचौंध कर देने वाली विद्युत ‌ और तेज हवाओं के साथ दिखाई पड़ेगा इसलिए मैंने समस्त देश के किसानों से सिंचाई न करने का आग्रह किया था और सभी के खरबों रूपयोंकी बचत हो गई। 1 माह पहले जब किसी को इस बार चक्रवात का अनुमान तक नहीं था तभी मैंने यह सब बातें लिख दिया था अब राम शकल जैसे लोग क्रोध से पागल होकर सर पटकने तो हम क्या कर सकते हैं डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि ‌ गणेश ज्योतिसर भारत के पंचांग तथा देसी कहावतों ‌ के आधार पर भविष्यवाणी करने के विशेषज्ञ

Monday, 27 October 2025

प्रबल चक्रवर्ती तूफान ‌ मुंथा के द्वारा जौनपुर पूर्वांचल और आसपास संपूर्ण दक्षिण भारत बंगाल और पूर्वोत्तरभारत ‌ गुजरात मध्य प्रदेश

प्रबल चक्रवर्ती तूफान ‌ मुंथा के द्वारा जौनपुर पूर्वांचल और आसपास संपूर्ण दक्षिण भारत बंगाल और पूर्वोत्तरभारत ‌ गुजरात मध्य प्रदेश राजस्थान तक भीषण वर्षा की हमारे केंद्र की भविष्यवाणी सही हुई और इसी के साथ एक और सुनहरा अध्याय 48 वर्षों की भविष्यवाणी में जुड़ गया 

जब भारतीय मौसम विभाग आकलन नहीं कर पाया था स्काईमेट स्काई वेदर चुप थे तब 15 दिन पहले मैंने इस प्रबल चक्रवात के पैदा होने और संपूर्ण भारत में इसके द्वारा वर्ष की भविष्यवाणी किया था 

इसी के साथ मैंने किसानों को सिंचाई न करने के लिए भी कहा था उनका करोड़ अरबो रुपए बचा 

उन सभी समाचार पत्रों को बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने इस भविष्यवाणी को लिखकर पूरे देश को सचेत किया था 

48 वर्षों से महान लाखों भविष्यवाणियां की  तरह या भविष्यवाणी भी सही हुई ‌ अनेक महानतम भविष्यवाणियों में क्रिकेट खेल राजनीति ब्रह्मांड अर्थव्यवस्था की सारी भविष्यवाणी शामिल है जिसमें स्काई लैब धरती का नष्ट नहीं होना मोदी और योगी की विजय इजराइल का बड़ी शक्ति बन्ना और 2025 तक फर्क रही एलियंस कब मिलना जैसी और भारत का क्रिकेट विश्व कप जीतना शामिल है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह

Sunday, 26 October 2025

प्रबल चक्रवात मोंथा और उसका भारत पर प्रभाव ‌ डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक हमारे केंद्र के द्वारा बहुत पहले जुलाई माह में यह भविष्यवाणी की

प्रबल चक्रवात मोंथा और उसका भारत पर प्रभाव ‌ डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक 

हमारे केंद्र के द्वारा बहुत पहले जुलाई माह में यह भविष्यवाणी की गई थी कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के प्रथम सप्ताह में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में एक प्रबल चक्रवार्ती उत्पन्न होगा ‌ और ठीक ऐसा ही हुआ एक तीसरे दर्जे का विनाशकारी प्रबल तूफान बंगाल की खाड़ी में और उसकी एक शाखा अरब सागर में इस समय उत्पन्न होकर बहुत तेजी से पूर्वी और पश्चिमी तट पर बढ़ रहे हैं जो आज शाम तक प्रचंड बाग से भारत के तमिलनाडु आंध्र प्रदेश कर्नाटक और मुंबई तथा गुजरात में टकरा जाएगी बंगाल की खाड़ी के तूफान का प्रभाव अधिक तथा अत्यंत विनाशकारी होगा जो 100 से 115 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ेगा इसके बाद इसकी गति घट कर 60 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की बीच रह जाएगी 

यह चक्रवात उत्तरी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश एवं उड़ीसा के कुछ भागों में घनघोर वर्षा करेगा और धीरे-धीरे दक्षिण भारत में आगे बढ़कर चक्र की तरह घूमता हुआ केरल कर्नाटक अरब सागर में जाकर दूसरी चक्रवाती शाखा से मिल जाएगा 


उधर बंगाल की खाड़ी का उठा हुआ चक्रवात आगे बढ़ता हुआ महाराष्ट्र और गुजरात पर प्रहार करेगा लेकिन यह कमजोर है और पहले दर्जे का चक्रवात है इसकी गति 50 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और तट से टकराने के बाद घटकर 40 से 60 किलोमीटर हो जाएगी इसके द्वारा गुजरात महाराष्ट्र में भीषण वर्षा होगी ‌ बंगाल की खाड़ी में मिलकर यह चक्रवात घूमता हुआ उड़ीसा आंध्र प्रदेश पुडुचेरी अंडमान तमिलनाडु केरल कर्नाटक गोवा मुंबई गुजरात के सूरत इसके बाद मध्य प्रदेश से घूमता हुआ उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते हुए बनारस और जौनपुर को केंद्र बनाकर नेपाल में आगे बढ़कर तिब्बत में समाप्त हो जाएगा जबकि बंगाल की खाड़ी का चक्रवात आगे बढ़ते हुए पूर्वोत्तर भारत बंगाल बांग्लादेश छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश सहित अन्य जगहों पर भीषण और भयानक वर्षा करेगा 


पश्चिम उत्तर भारत और जम्मू कश्मीर को छोड़कर दोनों चक्रवातों का प्रभाव संपूर्ण भारत में होगा 27 अक्टूबर से लेकर 1 नवंबर ‌ तक इसका प्रभाव दिखाई देगा और संपूर्ण दक्षिण भारत में चार-पांच दिनों तक 40 से 50 किलोमीटर की तेज हवाएं झंझ झकोर घन गर्जन वज्रपात वारिदमाला आंख को चकाचौंध कर देने वाली विद्युत ‌ बहुत भयानक दृश्य उत्पन्न करेगी 2 नवंबर तक संपूर्ण भारत से तीसरे दर्जे के चक्रवात का असर समाप्त हो जाएगा 

जौनपुर और पूर्वांचल की क्या स्थिति रहेगी इस प्रबल चक्रवात का प्रभाव जौनपुर पूर्वांचल और दो तिहाई उत्तर प्रदेश पर पड़ेगा लेकिन जौनपुर वाराणसी पूर्वांचल इसके केंद्र में आ रहा है इसलिए घने बादलों के साथ हल्की वर्षा होगी कल मौसम थोड़ा शांत रहेगा धीरे-धीरे हवा का बैग बदलेगा और बढ़ते हुए 29 30 और 31 अक्टूबर को यह काफी डरावना हो सकता है और इन तिथियां पर झंझा झकोर घन गर्जन वज्रपात वारिदमाला आंख को चकाचौंध कर देने वाली विद्युत ‌ का डरावना दृश्य एक-दो दिन रहेगा साधारण से मध्य कहीं-कहीं भारी वर्षा और कहीं-कहीं बहुत भारी वर्षा भी इस तूफानी प्रभाव के कारण होने की प्रबल आशा बना रहे हैं इन तिथियां में एक या दो दिन का अंतर हो सकता है और इसी के साथ दोबारा उत्पन्न हुई गर्मी उमस और प्रदूषण तथा हवा के जहर का असर भी समाप्त हो जाएगा यह एक प्राकृतिक उपचार जहर और प्रदूषण खत्म करने का है जिसे संपूर्ण सरकारी तंत्र खरबोंरुपए खर्च करके भी नहीं कर पाएगा

27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक जौनपुर सैदपुर भारत में होगा मौसम परिवर्तन और संपूर्ण भारत में होगी व्यापक वर्षा - डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक

27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक जौनपुर सैदपुर भारत में होगा मौसम परिवर्तन और संपूर्ण भारत में होगी व्यापक वर्षा - डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक 
आज का अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहा कल के बारे में अनुमान है कि अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान  21 डिग्री सेल्सियस रहेगा 

दिनांक 27 अक्टूबर से लेकर 2 नवंबर  तक मौसम चक्रवाती प्रभाव के कारण तेजी से बदलेगा और दूर-दूर तक हल्की मध्यम और कहीं तेज वर्षा होने की प्रबल संभावना है।

उत्तर और दक्षिण भारत हिमालय और अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में ताप में हुए अंतर के कारण एक प्रबल चक्रवार्ती विक्षोभ उत्पन्न होगा जिसके कारण जौनपुर पूर्वांचल पूरी उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान महाराष्ट्र मुंबई गोवा कर्नाटक केरल तमिलनाडु लक्षद्वीप पांडिचेरी अंडमान आंध्र प्रदेश तेलंगाना उड़ीसा बंगाल असम बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ झारखंड उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों में मौसम पूरी तरह बदल जाएगा लगभग पूरे भारत में हल्की से माध्यम लेकिन दक्षिणी भारत के अधिकांश राज्यों में भारी से बहुत भारी वर्षा तेज हवाओं और बिजली की गरज और चमक के साथ होगी 


जौनपुर और आसपास तथा उत्तर प्रदेश में 27 से लेकर एक नवंबर तक मौसम में परिवर्तन और वर्ष जारी रहेगी इसके बाद मौसम बदलने के साथ-साथ ठंड बढ़ जाएगी इस वर्षा से ‌ एक तरफ जहां प्रदूषण और जहरीली हवा की मात्रा कम होगी सूचकांक में भी सुधार होगा इस चक्रवर्ती प्रभाव का असर पश्चिम उत्तर भारत को छोड़कर पूरे भारत में होगा 


दक्षिण भारत में मुंबई नालासोपारा वसई विरार गुजरात सूरत और सभी दक्षिणी राज्यों में आज से ही मौसम बदल जाएगा और भारी वर्षा एक सप्ताह तक जारी रहेगी उसके बाद मौसम में अचानक तेज परिवर्तन के साथ संपूर्ण भारत में ठंड का असर हो जाएगा इस बार हमारे केंद्र की भविष्यवाणी के अनुसार अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बड़े महा चक्रवात नहीं आए इसके कारण वर्षा की मात्रा और वर्षा की अवधि दोनों बढ़ गई और छोटे-छोटे लगातार कई चक्रवार्ती भी उत्पन्न होते रहे। 


इस प्रकार से 26 अक्टूबर से 2 नवंबर तक संपूर्ण भारत में मौसम परिवर्तन का बादल वर्षा का झंझावात बिजली के गरज चमक का मौसम बना रहेगा इसमें एक या दो दिन का अंतर बढ़ सकता है ‌ गुजरात मुंबई आंध्र उड़ीसा तमिलनाडु और केरल तथा पूर्वोत्तर भारत के कई भागों में भारी से बहुत भारी और मूसलाधार वर्षा इस कालखंड में होगी

Saturday, 25 October 2025

भारत के बहुलवादी समाज और साझी विरासत का उत्सव*

*भारत के बहुलवादी समाज और साझी विरासत का उत्सव*
भारत दुनिया में बहुलवादी समाज के सबसे ज्वलंत उदाहरणों में से एक है, एक ऐसा देश जहाँ एकता विविधता को मिटा नहीं पाती और विविधता एकता को विभाजित नहीं करती। बर्फ से ढके हिमालय से लेकर तमिलनाडु के तटीय मंदिरों तक, दिल्ली के सूफी दरगाहों से लेकर लद्दाख के मठों तक, भारतीय परिदृश्य सह-अस्तित्व की एक शाश्वत कहानी कहता है। भारत की संस्कृति और इतिहास में गहराई से निहित बहुलवाद की यह भावना इसकी राष्ट्रीय पहचान और नैतिक शक्ति को परिभाषित करती रही है।

भारत में बहुलवाद कोई नया राजनीतिक विचार नहीं है; यह हज़ारों वर्षों से पोषित एक सभ्यतागत लोकाचार है। प्राचीन भारतीय कहावत, "एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति", सत्य एक है, लेकिन बुद्धिमान लोग इसे कई तरीकों से वर्णित करते हैं, इस दृष्टिकोण का सार प्रस्तुत करती है। सदियों से, भारत ने दूर-दराज के देशों से आए व्यापारियों, यात्रियों, शरणार्थियों और विचारकों का स्वागत किया है, जिन्हें अपने धर्मों और रीति-रिवाजों के लिए स्वीकृति और सम्मान मिला।  एकरूपता थोपने की कोशिश करने वाले समाजों के विपरीत, भारत ने विविधता को ज्ञान के स्रोत के रूप में मनाया। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, यहूदी और अन्य धर्म सह-अस्तित्व में रहे हैं और अक्सर एक-दूसरे की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं में योगदान करते रहे हैं। भारत की समन्वित भाषाएँ, त्यौहार, संगीत और व्यंजन इस साझा विरासत को दर्शाते हैं।

किसी भी भारतीय शहर में घूमिए, आपको इस साझा विरासत के चिन्ह हर जगह दिखाई देंगे। दिल्ली में हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह पर कव्वालियाँ सभी धर्मों के लोगों को आकर्षित करती हैं; हिंदू और मुस्लिम कारीगरों ने मिलकर ताजमहल का निर्माण किया, जो पहचान से परे एक उत्कृष्ट कृति है; और केरल में, हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों का सदियों पुराना सह-अस्तित्व अद्वितीय कला रूपों और साझा रीति-रिवाजों को जन्म देता रहा है। दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहर, वाराणसी में, मंदिर की घंटियाँ मुअज़्ज़िन की पुकार के साथ सहज रूप से घुल-मिल जाती हैं। पंजाब में, सिख लंगर बिना किसी भेदभाव के सभी पृष्ठभूमि के लोगों को भोजन कराते हैं। पूरे पूर्वोत्तर में, आदिवासी परंपराएँ आधुनिक मूल्यों के साथ सामंजस्य बिठाते हुए पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखती हैं। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि भारत की विविधता एक बोझ नहीं, बल्कि परस्पर निर्भरता और सम्मान का जीवंत संगम है।

भारत का इतिहास परस्पर संवाद और पारस्परिक समृद्धि की कहानियों से भरा पड़ा है। भारतीय वास्तुकला पर फ़ारसी प्रभाव, संस्कृत और फ़ारसी का सम्मिश्रण जिसने उर्दू को जन्म दिया, और मुस्लिम उस्तादों और हिंदू संगीतकारों के योगदान से शास्त्रीय संगीत का विकास, ये सभी दर्शाते हैं कि भारत में संस्कृतियों में कभी टकराव नहीं हुआ, बल्कि संवाद हुआ। भक्ति और सूफी आंदोलनों ने इस सद्भाव को और गहरा किया। कबीर, गुरु नानक और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती जैसे संतों ने प्रेम की ऐसी भाषा बोली जो धार्मिक और सामाजिक भेदभाव से परे थी। उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि भक्ति और मानवता, कर्मकांड या पहचान से कहीं बढ़कर हैं। यह साझा आध्यात्मिक विरासत भारत की सबसे शक्तिशाली सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है।

भारत का कैलेंडर विविधता का एक वर्ष भर चलने वाला उत्सव है। दिवाली, ईद, क्रिसमस, बैसाखी, ओणम, होली और पोंगल, धर्म की परवाह किए बिना, आपसी भागीदारी के साथ मनाए जाते हैं।  कई गाँवों में, हिंदू परिवार ईद पर सेवइयाँ बनाते हैं, जबकि मुस्लिम पड़ोसी दिवाली पर दीये जलाते हैं। ये छोटे-छोटे मगर गहरे भाव, उस विश्वास और स्नेह का प्रतीक हैं जो भारतीय समाज की रीढ़ हैं। भारत में त्यौहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि सामूहिक आनंद और मानवता की अभिव्यक्ति हैं। ये सह-अस्तित्व, उदारता और दूसरों के साथ खुशियाँ बाँटने का महत्व सिखाते हैं।

भारत का बहुलवाद अपनी रचनात्मक अभिव्यक्तियों में फलता-फूलता है। इसका संगीत, साहित्य और व्यंजन सदियों पुराने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाते हैं। सितार, तबला और ग़ज़ल में विभिन्न परंपराओं के अंश एक ही धुन में समाहित हैं। साहित्य में, मीर और ग़ालिब जैसे उर्दू कवि, कालिदास जैसे संस्कृत विद्वान, और तमिल, बंगाली या मलयालम के आधुनिक लेखकों ने भारत की सामूहिक पहचान में अनूठी आवाज़ें जोड़ी हैं। यहाँ तक कि व्यंजनों में भी, क्षेत्रीय और धार्मिक प्रभाव खूबसूरती से घुल-मिल गए हैं। मुगलई बिरयानी, गोवा की फिश करी, कश्मीरी कहवा और गुजराती ढोकला अलगाव के नहीं, बल्कि साझा विकास के प्रतीक हैं।  प्रत्येक व्यंजन समुदायों के बीच प्रवास, अनुकूलन और स्नेह की कहानी कहता है।

1950 में अपनाए गए भारत के संविधान ने उस बहुलवादी भावना को औपचारिक अभिव्यक्ति दी जिसने लंबे समय से इस उपमहाद्वीप को परिभाषित किया था। यह धर्म, अभिव्यक्ति और संघ की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, ये ऐसे मूल्य हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि एक लोकतांत्रिक ढांचे के तहत विविधता फलती-फूलती रहे। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान निर्माताओं ने यह समझा कि भारत की ताकत समावेशिता में है, न कि एकरूपता में। इसलिए, बहुलवाद केवल एक सांस्कृतिक घटना ही नहीं, बल्कि एक नैतिक और कानूनी प्रतिबद्धता भी है। यह यह सुनिश्चित करके भारत के लोकतंत्र को बनाए रखता है कि प्रत्येक नागरिक, चाहे वह किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि का हो, समान अधिकार और सम्मान प्राप्त करे। हाल के दिनों में, सामाजिक ध्रुवीकरण और गलत सूचनाओं ने कभी-कभी इस सद्भाव की परीक्षा ली है। हालाँकि, अधिकांश भारतीय सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को कायम रखते हैं। अब यह ज़िम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है कि वह विभाजनकारी आख्यानों को अस्वीकार करे, संवाद के सांस्कृतिक स्थलों की रक्षा करे और युवा पीढ़ी को सहिष्णुता और सहानुभूति के मूल्यों से परिचित कराए। बहुलवाद को केवल कानूनों से ही संरक्षित नहीं किया जा सकता; यह लोगों के दैनिक कार्यों, पड़ोसियों के प्रति दया, विभिन्न विश्वासों के प्रति सम्मान और आलोचना करने के बजाय सुनने की इच्छा से पनपता है।

भारत का बहुलवाद केवल कंधे से कंधा मिलाकर रहने के बारे में नहीं है; यह आपसी सम्मान और साझा उद्देश्य के साथ साथ रहने के बारे में है। यह जीवन जीने का एक तरीका है।

जहाँ मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारे विरोध में नहीं, बल्कि सद्भाव में खड़े हों। भारतीय भावना सिखाती है कि एकता एकरूपता नहीं, बल्कि स्वीकृति है, कि आस्थाएँ अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन दिल एक हो सकते हैं। पहचान से लगातार विभाजित होती दुनिया में, भारत एक प्राचीन लेकिन शाश्वत सबक देता है: शक्ति विविधता में, शांति समझ में और महानता एकजुटता में निहित है।  इस बहुलवादी विरासत को संरक्षित रखना भारत का कर्तव्य ही नहीं, बल्कि विश्व को भारत का उपहार है।
फरहत अली खान 
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

छठ पूजा 25 से 28 अक्टूबर पर सम्पूर्ण प्रामाणिक जानकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

*छठ पूजा 25 से 28 अक्टूबर पर सम्पूर्ण प्रामाणिक जानकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 

           कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के  बाद मनाए जाने वाले  ‌ गोवर्धन पूजा और भैया दूज के बाद इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। इसी कारण इस व्रत का नाम करण छठ व्रत हो गया। छठ पर्व षष्ठी तिथि का अपभ्रंश है।

सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। इस पर्व को वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धि संतान तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। 

छठ पर्व में सूर्य और छठी मैया की पूजा 

छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने वाले देवता है, जो पृथ्वी पर सभी प्राणियों के जीवन का आधार हैं। सूर्य देव के साथ-साथ छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है। 

सूर्य और छठी मैया का संबंध भाई बहन का है। मूलप्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण इनका नाम षष्ठी पड़ा।  वह कार्तिकेय की पत्नी भी हैं। षष्ठी देवी देवताओं की देवसेना भी कही जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने की थी। 

वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो षष्ठी के दिन विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है। तब सूर्य की पराबैगनी किरणें असामान्य रूप से एकत्र होती हैं और इनके कुप्रभावों से बचने के लिए सूर्य की ऊषा और प्रत्यूषा के रहते जल में खड़े रहकर छठ व्रत किया जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया या षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं।
शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है। पुराणों में इन्हें माँ कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि पर होती है। षष्ठी देवी को ही बिहार-झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा गया है।

छठ पर्व परंपरा

यह पर्व चार दिनों तक चलता है। भैया दूज के तीसरे दिन से यह आरंभ होता है। पहले दिन सैंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरंभ होता है। इस दिन रात में खीर बनती है। व्रतधारी रात में यह प्रसाद लेते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। इस पूजा में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है; लहसुन, प्याज वर्जित है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं। आजकल कुछ नई रीतियां भी आरंभ हो गई हैं, जैसे पंडाल और सूर्य देवता की मूर्ति की स्थापना करना। उसपर भी रोषनाई पर काफी खर्च होता है और सुबह के अर्घ्य के उपरांत आयोजनकर्ता माईक पर चिल्लाकर प्रसाद मांगते हैं। पटाखे भी जलाए जाते हैं। कहीं-कहीं पर तो ऑर्केस्ट्रा का भी आयोजन होता है; परंतु साथ ही साथ दूध, फल, उदबत्ती भी बांटी जाती है। पूजा की तैयारी के लिए लोग मिलकर पूरे रास्ते की सफाई करते हैं।

छठ व्रत 

छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह प्रायः महिलाओं द्वारा किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिला को परवैतिन भी कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाए गए कमरे में व्रती फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे ही रात बिताई जाती है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं। पर व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की होती है। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘शुरू करने के बाद छठ पर्व को सालोंसाल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।’

ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। किंतु पुरुष भी यह व्रत पूरी निष्ठा से रखते हैं।

छठ पूजा विधि

छठ पूजा से पहले निम्न सामग्री जुटा लें और फिर सूर्य देव को विधि विधान से अर्घ्य दें।

     बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास।

      चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी।

      नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई।

     प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि बांस की टोकरी में उपरोक्त सामग्री रखें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएँ। फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

पहला दिन नहाय खाय 

पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र बना लिया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

दूसरे दिन लोहंडा और खरना 

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

तीसरे दिन संध्या अर्घ्य 

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।

चौथा दिन उषा अर्घ्य 

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। व्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।

छठ पूजा का पौराणिक महत्त्व

छठ पूजा की परंपरा और उसके महत्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक और लोक कथाएँ प्रचलित हैं।

रामायण की मान्यता

एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशिर्वाद प्राप्त किया था।

महाभारत की मान्यता

एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।

कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रोपदी द्वारा भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है। वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य पूजा करती थीं।

पुराणों की मान्यता

एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

छठ गीत 

लोकपर्व छठ के विभिन्न अवसरों पर जैसे प्रसाद बनाते समय, खरना के समय, अर्घ्य देने के लिए जाते हुए, अर्घ्य दान के समय और घाट से घर लौटते समय अनेकों सुमधुर और भक्ति भाव से पूर्ण लोकगीत गाए जाते हैं।

 गीत

'केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मे़ड़राय
काँच ही बाँस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए'
सेविले चरन तोहार हे छठी मइया। महिमा तोहर अपार।
उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर।
निंदिया के मातल सुरुज अँखियो न खोले हे।
चार कोना के पोखरवा
हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी।

इस गीत में एक ऐसे ही तोते का जिक्र है जो केले के ऐसे ही एक गुच्छे के पास मंडरा रहा है। तोते को डराया जाता है कि अगर तुम इस पर चोंच मारोगे तो तुम्हारी शिकायत भगवान सूर्य से कर दी जाएगी जो तुम्हें माफ नही करेंगे। पर फिर भी तोता केले को जूठा कर देता है और सूर्य के कोप का भागी बनता है। पर उसकी भार्या सुगनी अब क्या करे बेचारी? कैसे सहे इस वियोग को ? अब तो ना देव या सूर्य कोई उसकी सहायता नहीं कर सकते आखिर पूजा की पवित्रता जो नष्ट की है उसने।

केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय

उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से सुगा देले जुठियाए

उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से सुगा गिरे मुरझाय

उ जे सुगनी जे रोए ले वियोग से आदित होइ ना सहाय देव होइ ना सहाय

काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय... बहँगी लचकति जाय... बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ? बहँगी केकरा के जाय ? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाय... बहँगी छठी माई के जाय... काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय... बहँगी लचकति जाय... केरवा जे फरेला घवध से ओह पर सुगा मेंड़राय... ओह पर सुगा मेंड़राय... खबरि जनइबो अदित से सुगा देलें जूठियाय सुगा देलें जूठियाय... ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरझाय... सुगा गिरे मुरझाय... केरवा जे फरेला घवध से ओह पर सुगा मेंड़राय... ओह पर सुगा मेंड़राय... पटना के घाट पर नरियर नरियर किनबे जरूर... नरियर किनबो जरूर... हाजीपुर से केरवा मँगाई के अरघ देबे जरूर... अरघ देबे जरुर... आदित मनायेब छठ परबिया बर मँगबे जरूर... बर मँगबे जरूर... पटना के घाट पर नरियर नरियर किनबे जरूर... नरियर किनबो जरूर... पाँच पुतर अन धन लछमी, लछमी मँगबे जरूर... लछमी मँगबे जरूर... पान सुपारी कचवनिया छठ पूजबे जरूर... छठ पूजबे जरूर... हियरा के करबो रे कंचन वर मँगबे जरूर... वर मँगबे जरूर... पाँच पुतर अन धन लछमी, लछमी मँगबे जरूर... लछमी मँगबे जरूर... पुआ पकवान कचवनिया सूपवा भरबे जरूर... सूपवा भरबे जरूर... फर फूल भरबे दउरिया सेनूरा टिकबे जरूर... सेनूरा टिकबे जरुर... उहवें जे बाड़ी छठि मईया आदित रिझबे जरूर... आदित रिझबे जरूर... काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय... बहँगी लचकति जाय... बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ? बहँगी केकरा के जाय ? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाय... बहँगी छठी माई के जाय..

छठ पूजा अर्घ्य मन्त्र समय

ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ।।

पहला दिन

शनिवार 25 अक्टूबर - नहाय-खाय👉 दिन शनिवार को छठ पूजा का प्रथम दिन है। ऋषिकेश में इस दिन सूर्योदय: 06:36 एवं सूर्यास्त: शाम 5:46 पर होगा। इस दिन से छठ पूजा का पर्व प्रारंभ हो जाता है।

दूसरा दिन

रविवार 26 अक्टूबर - खरना शनिवार को छठ पूजा का दूसरा दिन है। इसदिन सूर्योदय से सूर्यास्त लेकर सूर्यास्त तक अन्न और जल दोनों का त्याग करके उपवास किया जाता है। इस दिन सूर्योदय: 06:36 औऱ सूर्यास्त: शाम 05:45 पर ही होगा । दूसरे दिन के अंत में खीर और रोटी का प्रसाद बनाया जाता है। इसे व्रत करने वाले से लेकर परिवार के सभी लोगों में बांटा जाता है। रात में चांद को जल भी दिया जाता है।

तीसरा दिन

तीसरे दिन सोमवार 27 अक्टूबर को संध्या समय में सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाता है। इसदिन भी पूरे दिन का उपवास किया जाता है। इस दिन सूर्योदय: 06:37 सूर्यास्त: शाम 05:44 पर होगा। तीसरे दिन शाम को सूर्यास्त से पहले सूर्य देवता को छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाता है।

चौथा दिन

यह छठ पूजा का अंतिम दिना होता है। 28 अक्टूबर , मंगलवार की सुबह सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाएगा। यह छठ पूजा का दूसरा अर्घ्य होता है जिसके बाद 36 घंटे के लंबे उपवास का समापन हो जाता है।

आज का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रहा कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहेगा हमारे केंद्र के द्वारा 1 अक्टूबर को ही बता दिया गया था कि 7 अक्टूबर तक मानसून पूरे भारत से विदा हो जाएगा और 7को ही मानसून विदा हो गया।

आज का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस रहा कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहेगा हमारे केंद्र के द्वारा 1 अक्टूबर को ही बता दिया गया था कि 7 अक्टूबर तक मानसून पूरे भारत से विदा हो जाएगा और 7को  ही मानसून विदा हो गया।

इस बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक 250-300के बीच बना रहेगा ‌ ‌ अभी 15 दिन तक भयंकर रोग बीमारियां सर्दी खांसी जुखाम बुखार टाइफाइड डायरिया जैसे रोग फैलेंगे इस समय कच्ची सब्जियां सलाद खाना खतरनाक है 15 दिन बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाएगा।

 7 अक्टूबर के बाद अगली वर्षा 27-31  अक्टूबर में हो सकती हैं इसके बाद नवंबर में होगी और सूखा ठंडा  सुहावना मौसम पूरे अक्टूबर भर रहेगा दिन में मौसम सुहाना हल्का गर्म और रात तथा भोर में ठंडा रहेगा और यह ठंड ‌ 1 सप्ताह स्थिर रहकर आगे बढ़ती चली जाएगी ।

‌ आज  से चार-पांच दिनों तक जौनपुर पूर्वांचल और उत्तर भारत में मध्यम घने बादलों ‌ और गंदगी कोहरे की चादर के कारण बादल पटाखे आतिशबाजी संघनन वाष्पन और बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से उठ रही गर्म हवाओं के कारण बन रहे हैं 27 अक्टूबर से 31अक्टूबर तक एक बार बूंदाबांदी हल्की मध्यम कहीं-कहीं तेज वर्षा का योग बन सकता है इससे  हवा की दिशा बदल कर पूर्वी पूर्वी उत्तरी हो जाएगी।

 ‌ इसी बीच  दक्षिण भारत विशेष कर तमिलनाडु केरल कर्नाटक और महाराष्ट्र में भयंकर आंधी पानी तूफान के साथ जारी रहेगी ‌

[10/21, 4:19 PM] Dr  Dileep Kumar singh: दीपावली के पहले और दीपावली के बाद प्रदूषण और जहरीली हवा की स्थिति 

जौनपुर और जौनपुर के आसपास के सभी क्षेत्रों में दिवाली के एक सप्ताह पहले और दिवाली के बाद में प्रमाणिक निरीक्षण के फलस्वरूप निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए 

वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले कई दिनों से 19 अक्टूबर तक 220 से 260 थी दीपावली के बाद 20 और 21 को 260 से 300 के बीच हो गई 

प्रदूषण और जहरीली हवा की मात्रा में थोड़ी बहुत वृद्धि हुई लेकिन ज्यादा नहीं जैसे की आशंका व्यक्त की गई थी 

पराबैंगनी करने की स्थिति पहले 5 से 7 प्रति दीपावली के बाद यह घटकर 3 से 4 तक आ गए 

दिवाली के पहले धुंध भरा वातावरण गहरा धुंध वाला हो गया और ‌ ढूंढ कोहरा की गहरी परत छा गई आसमान धुंधला हो गया 

यह स्थिति अगले 24 घंटे में बढ़ेगी और 24 अक्टूबर तक घटकर सामान्य स्थिति में आ जाएगी‌ अर्थात 24 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से 300 के बीच रहेगा 27-31 अक्टूबर तक वर्षा की प्रबल संभावना है और वर्षा होने के बाद ही यह प्रदूषण कुहासा कचरा साफ होगा

23 और 24 अक्टूबर को यह चरम पर रहेगी जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से 320 तक पहुंच जाएगा 24 तक यह घटकर 200 से 240 हो जाएगा ‌ हवा की दिशा पूर्वी उत्तरी पूर्वी से बदलकर पश्चिमी उत्तर पश्चिमी हो गई है।

एक सप्ताह के अंदर हल्की मध्यम  कहीं-कहीं तेज वर्षा होने और वातावरण के साफ होने की प्रबल संभावना है‌ अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही हमारे केंद्र द्वारा बता दिया गया था कि 7 अक्टूबर के बाद 26 अक्टूबर तक संपूर्ण उत्तर भारत जौनपुर और पूर्वांचल में कोई वर्षा नहीं होगी और वही हुआ लेकिन  27 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर के बीच कभी भी बूंदाबादी हल्की मध्यम वर्षा हो सकती है ।

Friday, 24 October 2025

सीएम भजन लाल ने एसडीएम छोटू लाल पर लिया एक्शन*

*सीएम भजन लाल ने एसडीएम छोटू लाल पर लिया एक्शन*
   राजस्थान में एक एसडीएम छोटू लाल शर्मा को पेट्रोलपंप कर्मचारी को थप्पड़ मारना भारी पड़ गया। इस मामले में सीएम भजनलाल शर्मा ने एक्शन लिया है। एसडीएम को निलंबित कर दिया गया है।

अधिकारियों के अनुसार, भीलवाड़ा में एक CNG पंप स्टाफ को थप्पड़ मारने के आरोप में एसडीएम को सस्पेंड किया गया है। इस थप्पड़कांड का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।

*गुरुवार देर रात जारी हुआ आदेश*

राजस्थान के पर्सनल डिपार्टमेंट ने गुरुवार को एक आदेश पारित किया और एसडीएम छोटू लाल शर्मा को निलंबित कर दिया। शर्मा प्रतापगढ़ में सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) के पद पर तैनात थे। ऑर्डर में कहा गया है कि सस्पेंशन के दौरान शर्मा जयपुर में पर्सनल डिपार्टमेंट के सेक्रेटेरिएट से जुड़े रहेंगे।

*क्यों हुआ ये एक्शन*

 ये एक्शन तब लिया गया जब बुधवार को छोटूलाल शर्मा और एक कर्मचारी के झगड़े का वीडियो सीसीटीवी कैमरे में रिकार्ड हुआ।एसडीएम ने पेट्रोलपंप कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद दोनों के बीच काफी बहस हुई।

*में एसडीएम हूँ यहां का*

भीलवाड़ा (राजस्थान) -- मैं एसडीएम हूं यहाँ का। अरे एसडीएम हो मतलब जनता के नौकर हो। माई बाप नहीं हो,माई बाप बनोगे तो ऐसे ही होगा। 

हालांकि ये पहली बार नहीं है जब एसडीएम विवाद से चर्चा में आया हो।आरएएस अधिकारी छोटू लाल शर्मा
 का विवादों से पुराना नाता रहा है,ख़ुद को खुदा समझता है।

बात तक करने की तमीज नही है इसको,पढ़ लिखकर भी जाहिल जपट है।इसने शुरुआत किया खत्म आम आदमी ने किया।

अब मेहरारु के पल्लू में छिप रहा है
कह रहा है कि पेट्रोल पंप वाले ने इसकी लुगाई को आँख मारी है।

जबकि वहाँ लगे क्लोज़ सर्किट टेलीविजन कैमरे में इसकी सारी घटिया सोच समझ और गुंडागर्दी क़ैद हुई है कि कैसे बेचारे को बार बार बेइज्जत कर रहा है,धमका रहा है,गालियाँ दे रहा है, धौंस दिखा रहा है, यहां तक की मार रहा है दोनों ही कर्मचारियों को। उसके बाद कर्मचारियों ने इसको थोड़ा सा धोया है।

भजन लाल शर्मा का अधिकारी बेकाबू है।गुंडे मवाली से अधिक जनता को इससे खौफ लग रहा है।


मधुकामनी मन और आत्मा को शांति प्रदान करने वाला पौधा*

*मधुकामनी मन और आत्मा को शांति प्रदान करने वाला पौधा*
यह वातावरण और शरीर दोनों को सकारात्मक ऊर्जा देता है और वातावरण शुद्ध करता है अनेक पारंपरिक कार्यों में इसका उपयोग होता है रक्त को शुद्ध करने में भी इसके औषधीय गुणों का प्रयोग किया जाता है ‌ पाचन तंत्र को सुधार कर रक्त को शुद्ध करता है और वास्तु दोषों को दूर करने में बहुत सहायक होता है ‌ यह परागण क्रिया में सहायक होता है और शुभ तथा मांगलिक कार्यों में इसकी पत्तियों का उपयोग भी किया जाता है

इसका उपयोग रस काढ़ा या लेप के रूप में भी किया जा सकता है‌ फिर भी इसके सेवन के पहले वैद्य डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है कभी-कभी इसके प्रयोग से प्रतिक्रिया अर्थात शरीर में एलर्जी भी हो जाते हैं ‌ इसका एक नाम मधुकामनी भी है और यह ठंडा होने के कारण दस्त में भी काम आता है ‌ कीटनाशक होने के साथ-साथ यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में भी कारगर होता है ‌ यह पानी का भवानी नियंत्रित करके भूमि का कटाव रोकता है इसका (वैज्ञानिक) बॉटनिकल नाम मुरैया पैनीक्यूलाटा है

मधुकामिनी का प्रयोग इत्र बनाने में होता है। विवाह मंडप में सजावट के तौर पर होता है, क्योंकि जितने भी पुष्पक हैं अर्थात फूल सजावट का कार्य करने वाले,जो भी फूलों का कार्य करते हैं फूलों को सजाने का मंडप को सजाने का उन सभी का मानना है की कितने भी प्रकार के फूलों का उपयोग कर लिया जाए जब तक मधु कामिनी की पत्तियों का उपयोग नहीं होता तब तक सभी पुष्प अधूरे लगते हैं मधु कामिनी की पत्तियां लगते हैं संपूर्ण गुलदस्ता या सजावट पूर्ण हो जाती है इसका उपयोग संपूर्ण करने के लिए किया जाता है इस प्रकार से मधु कामिनी संपूर्णता का प्रतीक है। किसान इसे हेज के तौर पर भी प्रयोग करते हैं खेत के चारों तरफ बाड़ (हेज)बनाने के लिए क्योंकि कोई भी जानवर चाहे वह नीलगाय हो जाए वह महा हो बकरी गाय , भेस इसकी पत्तियों का  नहीं  खाता है  यही कारण है कि इसका उपयोग खेत के चारों तरफ बाड़ बनाने के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियों को और फूलों को सूंघने पर मन को शांति प्राप्त होती है और मस्तिष्क का तनाव दूर होता है। इसका उपयोग मस्तिष्क तनाव को दूर करने वाली दवाइयां बनाने में होता है।

धार्मिक महत्व
भगवान श्री कृष्ण ,इंद्र के उपवन से या उद्यान से तीन प्रकार के पुष्पों के पौधे स्वर्ग से धरती पर लाए थे जिनमे सर्वप्रथम मधु कामिनी, इसके पुष्पों का रंग सफेद होता है और पुष्पों से और पत्तियों से बहुत ही मां को शांति प्रदान करने वाली सुगंध प्राप्त होती है।
 दूसरे नंबर पर हरसिंगार जिसे पारिजात कहा जाता है इसके पुष्प का रंग सफेद और पुष्प की डंडी का रंग नारंगी होता है इसकी खुशबू भी मां को बहुत शांति प्रदान करती है इसके पुष्प रात में खेलते हैं इसलिए इसे रात की रानी भी कहा जाता है।
और तीसरा पुष्प अपराजिता है। इसके पुष्पों का रंग सफेद और नीले रंग होता है आयुर्वेद में इसके पुष्पों के कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ बताए गए हैं
धार्मिक दृष्टि से इन तीनों ही पौधों का बहुत अधिक महत्व है। यही कारण है कि हमारी परंपराओं में इन पुष्पों का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जाता है मधु कामिनी का उपयोग विवाह मंडप में शुभ  मांगलिक कार्यों में ,घर में किसी भी शुभ कार्य को करने पर मधु कामिनी के पुष्पों से और पत्तियों से घर को सजाया जाता है तीज त्योहार पर भी इसका उपयोग घर सजाने के तौर पर उपयोग होता है क्योंकि इसके पत्तियों में सुगंध होती है और पुष्पों की सुगंध तो इतनी अधिक होती है कि मन मदहोश हो जाता है। धार्मिक दृष्टि से इन पौधों का बहुत अधिक महत्व है इसलिए इनका उपयोग हमारी परंपराओं में हमारे मांगलिक कार्यों के लिए उचित बताया गया है हालांकि यह बहुत प्रकार की औषधीया बनाने में भी उपयोग किए जाते हैं।

डा दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ  लीगल & डिफेंस काउंसिल है  जिला जौनपुर से । और ज्योतिष शिरोमणि है 

आज का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहा कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहेगा हमारे केंद्र के द्वारा 1 अक्टूबर को ही बता दिया गया था कि 7 अक्टूबर तक मानसून पूरे भारत से विदा हो जाएगा और 7को मानसून विदा हो गया।

आज का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहा कल के मौसम के बारे में अनुमान है कि अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री सेल्सियस रहेगा हमारे केंद्र के द्वारा 1 अक्टूबर को ही बता दिया गया था कि 7 अक्टूबर तक मानसून पूरे भारत से विदा हो जाएगा और 7को मानसून विदा हो गया।
इस बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक 250-300के बीच बना रहेगा ‌ ‌ अभी 15 दिन तक भयंकर रोग बीमारियां सर्दी खांसी जुखाम बुखार टाइफाइड डायरिया जैसे रोग फैलेंगे इस समय कच्ची सब्जियां सलाद खाना खतरनाक है 15 दिन बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाएगा

 7 अक्टूबर के बाद अगली वर्षा 27-31  अक्टूबर में हो सकती हैं इसके बाद नवंबर में होगी और सूखा ठंडा  सुहावना मौसम पूरे अक्टूबर भर रहेगा दिन में मौसम सुहाना हल्का गर्म और रात तथा भोर में ठंडा रहेगा और यह ठंड ‌ 1 सप्ताह स्थिर रहकर आगे बढ़ती चली जाएगी ।

‌ आज  से चार-पांच दिनों तक जौनपुर पूर्वांचल और उत्तर भारत में मध्यम घने बादलों ‌ और गंदगी कोहरे की चादर के बावजूद भी वर्षा की कोई आशा नहीं है क्योंकि यह बादल पटाखे आतिशबाजी संघनन वाष्पन और बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से उठ रही गर्म हवाओं के कारण बन रहे हैं 27 अक्टूबर से 31अक्टूबर तक एक बार बूंदाबांदी हल्की वर्षा का योग बन सकता है इससे अधिक कुछ नहीं‌ ‌ हवा की दिशा बदल कर पूर्वी पूर्वी उतरी हो जाएगी।

 ‌ इसी बीच  दक्षिण भारत विशेष कर तमिलनाडु केरल कर्नाटक और महाराष्ट्र में भयंकर आंधी पानी तूफान के साथ जारी रहेगी ‌

[10/21, 4:19 PM] Dr  Dileep Kumar singh: दीपावली के पहले और दीपावली के बाद प्रदूषण और जहरीली हवा की स्थिति 

जौनपुर और जौनपुर के आसपास के सभी क्षेत्रों में दिवाली के एक सप्ताह पहले और दिवाली के बाद में प्रमाणिक निरीक्षण के फलस्वरूप निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए 

वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले कई दिनों से 19 अक्टूबर तक 220 से 260 थी दीपावली के बाद 20 और 21 को 260 से 300 के बीच हो गई 

प्रदूषण और जहरीली हवा की मात्रा में थोड़ी बहुत वृद्धि हुई लेकिन ज्यादा नहीं जैसे की आशंका व्यक्त की गई थी 

पराबैंगनी करने की स्थिति पहले 5 से 7 प्रति दीपावली के बाद यह घटकर 3 से 4 तक आ गए 

दिवाली के पहले धुंध भरा वातावरण गहरा धुंध वाला हो गया और ‌ ढूंढ कोर की गहरी परत छा गई आसमान धुंधला हो गया 

यह स्थिति अगले 24 घंटे में बढ़ेगी और 24 अक्टूबर तक घटकर सामान्य स्थिति में आ जाएगी‌ अर्थात 24 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से 300 के बीच रहेगा 27-31 अक्टूबर तक वर्षा की प्रबल संभावना है और वर्षा होने के बाद ही यह प्रदूषण कुहासा कचरा साफ होगा

23 और 24 अक्टूबर को यह चरम पर रहेगी जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से 320 तक पहुंच जाएगा 24 तक यह घटकर 200 से 240 हो जाएगा ‌ हवा की दिशा पूर्वी उत्तरी पूर्वी से बदलकर पश्चिमी उत्तर पश्चिमी हो गई है।

एक सप्ताह के अंदर हल्की वर्षा होने और वातावरण के साफ होने की प्रबल संभावना है‌ अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही हमारे केंद्र द्वारा बता दिया गया था कि 7 अक्टूबर के बाद 22 अक्टूबर तक संपूर्ण उत्तर भारत जौनपुर और पूर्वांचल में कोई वर्षा नहीं होगी और वही हुआ लेकिन  27 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर के बीच कभी भी बूंदाबादी हल्की वर्षा हो सकती है जिसमें आज दोपहर के बाद ‌ कुछ स्थानों पर बूंदाबांदी और 27- 31 तक हल्की मध्यम वर्षा की अधिक संभावना है

Wednesday, 22 October 2025

डाला छठ का महापर्व -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि

डाला छठ का महापर्व -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 
मूल रूप से बिहार और मिथिला से निकाल कर डाला छठ आज भारत का राष्ट्रीय पर बन गया है और देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक हो गया है इस दिन पूर्ण भारत देश नदी और जल कुंड के घाटों पर उम्र आता है यह ऋग्वेद कालीन पर्व है जो आज भी बिहार और मिथिला के लोगों ने सुरक्षित करके पूरे देश में फैला दिया है इसमें संपूर्ण सौरमंडल को प्रकाश ऊर्जा और जीवन देने वाले सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा उपासना की जाती है इस व्रत में चार दिन लगते हैं और चारों दिन का अपना-अपना महत्व होता है 

यह महान व्रत कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाया जाता है और चार दिन चलता है इसमें डूबते और उगते हुए सूर्य को अलग दिया जाता है जो जीवन की उत्पत्ति और निर्माण का प्रतीक भी है यह प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा हुआ महान पर्व है जो हम भारतीय पर त्योहारों में पाया जाता है इसमें चार चरण होते हैं नहाए खाए पहले चरण है करना दूसरा चरण है डूबते हुए सूर्य को तीसरे दिन आर्ग देना तीसरा चरण है और चौथा चरण है सुबह के निकलते हुए सूर्य को अर्घ देना और व्रत का समापन करना यह व्रत दो दिन निर्जल रहकर किया जाता है और संसार के सबसे कठिन व्रत में से एक हैऋग्वेद काल के आर्य लोग प्रकृति में ईश्वर की सट्टा का आभास करते थे और सूर्य तो स्पष्ट रूप से धरती को प्रकाश ऊर्जा और जीवन देने वाला महान ईश्वरीय तत्व है इसलिए उसके अनुसार यह महापर्व मनाया जाता है 

वैसे तो इसका वर्णन किसी वेद पुराण और ग में नहीं है लेकिन संकेत से इसका साथ कारण के साथ जोड़ा जाता है जिन्होंने भगवान सूर्य की उपासना करके और दान पुण्य करके असीमित शक्तियां प्राप्त किया था और उनका कवच कुंडल कोई भी नहीं तोड़ सकता था द्रौपदी और पांडवों ने भी इस व्रत को किया था और इसकी कृपा से उन्हें अपना खोया राज्य मिला था उन्हें सूर्य देव ने एक अक्षय पात्र भी दिया था जब तक बनाने वाला उसमें का नहीं लेता था तब तक वह पात्र खाली नहीं होता था‌ इसके अलावा लोक गाथाओं में बहुत प्राचीन काल से चला चला आ रहा है जिसे मिटाने के लिए तुर्क मुगल और अंग्रेजों ने बहुत प्रयास किया लेकिन मिटा नहीं पाए 

इस बार इस व्रत कब प्रारंभ 25 अक्टूबर शनिवार को नहाए खाए के साथ प्रारंभ होगा 26 अक्टूबर रविवार के दिन लोहंडा या खरना के साथ दो दिवसीय निर्जल व्रत का आरंभ होगा जिसमें छठी मैया के गीत और उनका गुणगान करते हुए व्रत को रखा जाएगा‌ तीसरे दिन अर्थात 27 अक्टूबर को सोमवार के दिन डूबते हुए सूर्य को नदी जल कुंड और तालाबों में खड़े होकर लग दिया जाएगा और अंतिम दिन अर्थात चौथे दिन उगते हुए सूर्य को आगे देखकर इस महान व्रत का समापन किया जाएगा 27 को सूर्य देवता के डूबने का समय शाम के 5:40 पर है जबकि 28 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य के आगे देने का समय 6:30 पर है 


भारत के संस्कृति सभ्यता और इसकी लोक कथाएं अनंत हैं अर्थात हैं यह हमारे अंतर्मन में लाखों करोड़ों वर्षों से स्मृति के रूप में संचित है और सारे व्रत पर्व उसी के अनुसार मनाया जाता है यह प्रकृति पर्यावरण कब पर्व होता है जो हमारी आस्था धर्म संस्कृति के साथ-साथ हमारे अस्तित्व से भी जुड़ा होता है समय के अनुसार कुछ पर्व कभी पूरे देश में फैल जाते हैं तो कुछ पर्व का महत्व कम हो जाता है जैसे इस समय करवा चौथ और डाला छठ बहुत बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय पर्व बन चुका है इसी तरह गणपति पूजा भी राष्ट्रीय पर्व का रूप ले चुकी है जबकि गई व्रत सिमट गए हैं जैसे सावन के सप्तमी का होने वाला व्रत और ललई छठ का व्रत और माघ महीने की गणेश चौथ का व्रत जब डाला छठ आता है तो यह प्रतीत होता है कि पूरे भारत में बिहार के लोग ही हैं और सभी नदी घाट जल कुंड महान भीड़ में परिवर्तित होकर उमड़ पड़ता है

कुमारिका उखाणे :-* ▪︎ पुराणाच्या पोळीसाठी आणला गहू , पुराणाच्या पोळीसाठी आणला गहू , ओ ,लग्नच नाही झालं तर नाव कुणाचा घेऊ

*कुमारिका उखाणे :-* 

▪︎ पुराणाच्या पोळीसाठी आणला गहू  ,
   पुराणाच्या पोळीसाठी आणला गहू  ,
   ओ ,लग्नच नाही झालं तर नाव कुणाचा घेऊ 

▪︎ भिंतीवरच्या घडल्यात वाजले नऊ ,
   भिंतीवरच्या घडल्यात वाजले नऊ ,
   लग्नच नाही झालं तर नाव कुणाचे घेऊ 

▪︎ पिंपळाच्या पानावर पाय कसा ठेऊ  ,
   पिंपळाच्या पानावर पाय कसा ठेऊ  ,
   लग्नाच्या आधी नाव कसा घेऊ 

▪︎ अलीकडे अमेरिका, पलीकडे अमेरिका,
   अलीकडे अमेरिका, पलीकडे अमेरिका,
   नाव घेण्यास सांगू नका, मी आहे कुमारिका 

▪︎ चांदीच्या ताटात ठेवले होते गहू ,
   चांदीच्या ताटात ठेवले होते गहू ,
   लग्नच झाले नाही तर नाव कुणाचे घेऊ? 

▪︎ अंगणात पेरले पोतेभर गहू ,
   अंगणात पेरले पोतेभर गहू ,
   लिस्ट आहे मोठी, कुणा कुणाचे नाव 
   घेऊ?

▪︎ नाव घ्या, नाव घ्या, हा काय कायदा,
   नाव घ्या, नाव घ्या, हा काय कायदा,
   कोणाच नाव घेतला तर तूमचा काय
    फायदा

*विवाह ठरल्यानंतर उखाणे :-* 

▪︎ गणपतीला वाहिला , भरजरी शेला  ,
     गणपतीला वाहिला , भरजरी शेला  ,
    ….. पंतांचे नाव घ्यायला आत्ताच आरंभ केला 

▪︎ गजाननाची कृपा , गुरूंचा आशीर्वाद  ,
     गजाननाची कृपा , गुरूंचा आशीर्वाद  ,
     …. पंतांचे नाव घ्यायला आज करते सुरुवात 

▪︎ रक्तवर्णी गुलाब , आवडतो गणपतीला , 
     रक्तवर्णी गुलाब , आवडतो गणपतीला , 
     …....पंतांचे नाव घेण्याला केली मी सुरुवात 

▪︎संसाररूपी कांदबरीचे उघडले पाहिलं पानं ,
    संसाररूपी कांदबरीचे उघडले पाहिलं पानं ,
    ........ पंतांचे नाव घेऊन तुमचा करिते मान 

▪︎मानवाने करू नये कुणाचाही हेवा,
    मानवाने करू नये कुणाचाही हेवा,
    .... पंतांचे नाव घेते आशीर्वाद सर्वांचा हवा 

▪︎अबोलीच्या फुलांचा गंध काही कळेना,
    अबोलीच्या फुलांचा गंध काही कळेना,
    ...... पंताचे नाव घेणासाठी शब्द पुरेना

▪︎रोज दिवस नवा व अनुभवही नवा,
    रोज दिवस नवा व अनुभवही नवा,
    .. पंतांचे नाव घेते आशीर्वाद तुमचा हवा 

▪︎आशेच्या रंगमंचावर स्वप्नाचे पडसाद,
    आशेच्या रंगमंचावर स्वप्नाचे पडसाद,
    .. पंतांचे नाव घेते तुम्हा सर्वांचा आशीर्वाद 

▪︎ वर्षाऋतूमध्ये वरुणराजाने केली बरसात  ,
     वर्षाऋतूमध्ये वरुणराजाने केली बरसात  ,
     ... पंतांचे नाव घेण्याला केली मी सुरुवात 

▪︎ चांदीच्या समयीत रेशमाची वात ,
     चांदीच्या समयीत रेशमाची वात ,
     …. पंतांचे बरोबर करते संसाराला सुरुवात 

▪︎ आकाशात उडतोय पक्शान्चा थवा
     आकाशात उडतोय पक्शान्चा थवा
     …….. पंतांचे नाव घ्यायला उखाणा कशाला हवा 

▪︎ आशीवार्दाची फुले वेचते वाकून
     आशीवार्दाची फुले वेचते वाकून
    ...... पंतांचे नाव घेते तुमचा मान राखून 

▪︎ द्राक्षाच्या वेलीला त्रिकोणी पान
     द्राक्षाच्या वेलीला त्रिकोणी पान
     .... पंतांचे नाव घेते राखते तुमचा मान 

▪︎ रिमझिम जलधारा बरसतात धरतीच्या कलशात ,
     रिमझिम जलधारा बरसतात धरतीच्या कलशात ,
     ...................... पंतांचे नाव घेते असू द्या लक्षात 

▪︎ चतूर्थीच्या  दिवशी चंद्र निघाल्यावर आला गारवा ,
     चतूर्थीच्या  दिवशी चंद्र निघाल्यावर आला गारवा ,
      ............. पंत बसलेत पूजेला , मी निवडते दुर्वा 

▪︎मी नव्हती सुंदर तरी मला निवडले ,
    मी नव्हती सुंदर तरी मला निवडले ,
    .. पंतांचे चे हेच रूप मला आवडले 

▪︎उखाणा आठवत नाही, आता काय करू,
    उखाणा आठवत नाही, आता काय करू,
    ......... पंतांचा नाव घेते, नका घाई करू 

▪︎नेत्रांच्या निरंजनात प्रीतीची वात ,
    नेत्रांच्या निरंजनात प्रीतीची वात ,
     ... पंतांच्या नावाने संसाराला करते सुरुवात 

▪︎ सर्वांच्या आशीर्वादाची शाल घेते पांघरून ,
     सर्वांच्या आशीर्वादाची शाल घेते पांघरून ,
     .......... पंतांच्या बरोबर मन गेलं गांगरून

▪︎अंगावरच्या शेलारीला बांधून त्यांचा शेला ,
    अंगावरच्या शेलारीला बांधून त्यांचा शेला ,
    .. पंतांचे नाव घेण्यास आज शुभारंभ केला

▪︎कलियुगात कधी घडणार चमत्कार ,
    कलियुगात कधी घडणार चमत्कार ,
    .... पंतांच नाव घेऊन सर्वना नमस्कार

▪︎उखाणा घेते मी इजी,
     उखाणा घेते मी इजी,
     ... पंत नेहमीच बीझी

▪︎अरुणासह उषा आली, सोनीयाची प्रभा पसरली,
    अरुणासह उषा आली, सोनीयाची प्रभा पसरली,
     ............. पंताचे नाव घ्यायला मी नाही विसरली

*साखरपुड्याची  उखाणे :-* 

▪︎ मंगल झाली प्रभात , विहंग उडाले गात ,
     मंगल झाली प्रभात , विहंग उडाले गात ,
      ..........…..... पंतांच्या हाती दिला हात 

▪︎ मनाला समाधान देते , देवापुढची सांजवात ,
     मनाला समाधान देते , देवापुढची सांजवात ,
     …. पंतांच्या, हाती दिला साखरपुड्याला दिवशी हात 

▪︎ हिरवी नेसली साडी, हिरवा भरला चुडा  ,
     हिरवी नेसली साडी, हिरवा भरला चुडा  ,
    …. पंतांचे नाव घेते आज आमचा साखरपुडा 

▪︎ नैवैद्याच्या वरण - भातावर तूप वाढले ताजे  ,
     नैवैद्याच्या वरण - भातावर तूप वाढले ताजे  , 
    ………… पंतांच्या आंगठीवर नाव कोरले माझे  

▪︎ प्रेमगीत मनी घेऊन , सूर्याभोवती पृथ्वी  फिरते ,
     प्रेमगीत मनी घेऊन , सूर्याभोवती पृथ्वी  फिरते ,
     …….......….. पंतांचे नाव घेताच , मनी प्रीती फुलते 

▪︎ समोरच्या फडताळात ठेवले होते फणसाचे गरे ,
     समोरच्या फडताळात ठेवले होते फणसाचे गरे ,
     .... वरून दिसतात बरे नीट वागतील तेव्हा खरे

*मेहंदीचे  उखाणे :-* 

▪︎ बागडते फुलपाखरे ,रंग बेरंगी त्यांचे रंग ,
     बागडते फुलपाखरे ,रंग बेरंगी त्यांचे रंग ,
   ..पंतांचे नाव घेते , संख्या मेहंदी काढण्यात दंग 

▪︎दवबींदूच्या थेंबाने चमकतो फुलांचा रंग,
    दवबींदूच्या थेंबाने चमकतो फुलांचा रंग,
    .... मेह्ंदी काढण्यात सख्या माझ्या दंग

▪︎ मेहंदीच्या रंगाने , रंगले दोंन्ही हाथ  ,
     मेहंदीच्या रंगाने , रंगले दोंन्ही हाथ  ,
     …… पंतांना देईन मी पदोपदी साथ 

▪︎ गायीच्या शिंगाना , लावला सोनेरी रंग  ,
     गायीच्या शिंगाना , लावला सोनेरी रंग  ,
   .. पंतांचे नाव घेते , संख्या मेहंदी काढण्यात दंग 

▪︎ प्रभात समय , सुखावतो गाता भूपाळी  ,
     प्रभात समय , सुखावतो गाता भूपाळी  ,
    ……. पंतांचे नाव घेते मेहंळदीच्या वेळी 

▪︎ सावल्या हातावर , खुलतो मेहंदीचा रंग  ,
     सावल्या हातावर , खुलतो मेहंदीचा रंग  ,
    …. पंतांचे नाव , ऐकण्यात माझ्या संख्या झाल्या दंग 

▪︎ हळदी आधी , हातही माझ्या , रेखाली मेहंदी छान ,
     हळदी आधी , हातही माझ्या , रेखाली मेहंदी छान ,
   …. शिवाय दुसऱ्या कुणाचा , असेल सांगा हा मान

*कुंकवाचे उखाणे :-* 

▪︎ राजहंसाच्या पिल्लास चारा, हवा मोत्याचा  ,
     राजहंसाच्या पिल्लास चारा, हवा मोत्याचा  ,
    …. पंतांचे नाव घेते , आशीर्वाद द्या सौभाग्याचा 

▪︎ पौर्णिमेच्या चंद्राची , उज्ज्वल प्रभा ,
     पौर्णिमेच्या चंद्राची , उज्ज्वल प्रभा ,
    …... पंत हेच  माझ्या सौभाग्याचा शोभा 

▪︎ विवाहरूपी कादंबरीत रेखाला भावनेच्या ओळी ,
     विवाहरूपी कादंबरीत रेखाला भावनेच्या ओळी ,
     ……........… पंतांच्या नावाचा कुंकू लावते भाळी 

▪︎ कपाळाचा कुंकू , जसा चांदण्याचा ठसा  ,
     कपाळाचा कुंकू , जसा चांदण्याचा ठसा  ,
     ……..... पंतांचे नाव घेते , सारे जण बसा 

▪︎ डाळिंब ठेवले फोडून , संत्र्याची काढली साल ,
    डाळिंब ठेवले फोडून , संत्र्याची काढली साल ,
    ………...........पंतांचे नावाने कुंकू लावते लाल 

▪︎ विचार करता – करता , प्रश्नाची सुटली शृंखला ,
     विचार करता – करता , प्रश्नाची सुटली शृंखला ,
      ……... पंतांनि घातली मला सौभाग्याची मेखला 

▪︎ काळी चंद्रकला तिला मोतीचूर पदर  ,
     काळी चंद्रकला तिला मोतीचूर पदर  ,
     ..………….पंता जीवावर कुंकवाचा गजर 

▪︎ केळ देते सोलून, पेरू  देते कापून ,
     केळ देते सोलून, पेरू  देते कापून ,
     ......पंतांच्या जीवावर कुंकू लावते कोरून

*बांगडीभरतानाचे  उखाणे :-* 

▪︎ लवंग जायपत्री , पानाचा विडा  ,
     लवंग जायपत्री , पानाचा विडा  ,
     …. पंतांच्या नावाने भरते हिरवा चुडा 

▪︎ रातराणीचा सुगंध , त्यात मंद वारा ,
     रातराणीचा सुगंध , त्यात मंद वारा ,
     .... पंतांच्या नावाने , भरला हिरवा चुडा 

▪︎ प्राजक्ताच्या फुलांनी भरले आंगण  ,
     प्राजक्ताच्या फुलांनी भरले आंगण  ,
    …..... पंतांचे नाव घेऊन घातले कंकण 

▪︎ पूजेच्या साहित्यात ,उदबत्तीचा पूड  ,
     पूजेच्या साहित्यात ,उदबत्तीचा पूड  ,
    …. पंतांचा नावाने भरला सौभाग्याचा चुडा 

▪︎ वेलची लवंग , खोबरे घालून केला पानाचा विडा ,
     वेलची लवंग , खोबरे घालून केला पानाचा विडा ,
     ……...... पंतांच्या नावाने घातला मी हिरवा चुडा 

▪︎ चंदनाचा झाडाला , नागिणीचा वेढा ,
     चंदनाचा झाडाला , नागिणीचा वेढा ,
     ….. पंतांच्या राणीला मोत्याचा चुडा

*मुंडावलीचे उखाणे :-* 

▪︎  अलीबागच्या समुद्राचा प्रेक्षणीय आहे थाट,
      अलीबागच्या समुद्राचा प्रेक्षणीय आहे थाट ,
      …..... पंतांचे नाव घेऊन बांधते मुंडावलीची गाठ 

▪︎ दारात आंगण , अंगणात काढली रांगोळी ,
     दारात आंगण , अंगणात काढली रांगोळी ,
    ….......... पंतांच्या नावाची बांधते मुंडावली 

▪︎ हिंदमातेच्या डोक्यावर मोत्याची जाळी ,
     हिंदमातेच्या डोक्यावर मोत्याची जाळी ,
     …... पंतांचे नाव घेऊन भाधते मुंडावली 

▪︎ भिलवडी आहे प्रेक्षणीय थाट ,
     भिलवडी आहे प्रेक्षणीय थाट ,
     … पंतांचे नाव घेऊन बांधते मुंडावलची गाठ 

▪︎ चांदीच्या ताटात रुपये  360  ,
     चांदीच्या ताटात रुपये  360  ,
     …पंतांचे नाव घेऊन भाधते मुंडवलीची गाठ

*हळकुंड उखाणे :-* 

▪︎ प्राजक्ताच्या फुलांनी , भरले आंगण ,
     प्राजक्ताच्या फुलांनी , भरले आंगण ,
    …....... पंतांचे नाव घेऊन घातले कंकण 

▪︎ आत्मरुपी करंडा  , देहरूपी झाकण  ,
     आत्मरुपी करंडा  , देहरूपी झाकण  ,
     ….... पंतांचे नाव घेऊन बांधते मी कंकण 

▪︎ नाव आहे ओठी  , पण लज्जेचं बंधन  ,
     नाव आहे ओठी  , पण लज्जेचं बंधन  ,
     ….... पंतांचे नाव घेऊन सोडते मी कंकण 

▪︎ चंद्रबोहती आहे  तारकांचे रिंगण  ,
     चंद्रबोहती आहे  तारकांचे रिंगण  ,
    …. पंतांचे नावाने बांधलं मी कंकण 

▪︎ सडारांगोळी सुशोभित केला आहे आंगण  ,
     सडारांगोळी सुशोभित केला आहे आंगण  ,
     …......... पंतांचे नाव घेते बांधते मी कंकण 

▪︎ संस्काराचे बंधन जपते कंकण बांधून  ,
     संस्काराचे बंधन जपते कंकण बांधून  ,
   …. पंतांचे नाव घेऊन बांधते मी कंकण 

▪︎ विवाह म्हणजे दोन जीवांच्या भावनांची गुंफण  ,
     विवाह म्हणजे दोन जीवांच्या भावनांची गुंफण  ,
     ……......... पंतांचे नाव घेऊन बांधते मी कंकण 

▪︎ कलमी आंब्याला झारीने करते शिंपण  ,
     कलमी आंब्याला झारीने करते शिंपण  ,
     …...... पंतांचे नाव घेऊन सोडते कंकण 

▪︎ सागराला शोभते निळाईचे झाकण  ,
     सागराला शोभते निळाईचे झाकण  ,
     ….... पंतांचे नाव घेऊन सोडते कंकण 

▪︎ छोटेसे आसवं घर , मागेपुढे असावे आंगण ,
     छोटेसे आसवं घर , मागेपुढे असावे आंगण ,
      ……....… पंतांचे नाव घेऊन सोडावे कंकण

*हळदीचे उखाणे :-* 

▪︎ फुटता तांबडं पूर्वेला , कानी येते भूपाळी  ,
     फुटता तांबडं पूर्वेला , कानी येते भूपाळी  ,
     ……...……. पंतांचे नाव घेते हळदीच्या वेळी 

▪︎ अंगानी टाकला सडा , त्यावर घातली रांगोळी  ,
     अंगानी टाकला सडा , त्यावर घातली रांगोळी  ,
      …………...... पंतांचे नाव घेते हळदीच्या वेळी 

▪︎ लावा हळद हवी तेवढी , काहीच नाही म्हणेन ,
    लावा हळद हवी तेवढी , काहीच नाही म्हणेन ,
    ती उतरवायला मी , ………..… ला च बोलवेन 

▪︎प्रत्येक क्षण येतो अनुभव घेऊन आगळा,
    प्रत्येक क्षण येतो अनुभव घेऊन आगळा,
    ........ पंतांचे नाव घेते , हळदीचा सोहळा 

▪︎ बहरली फुलांनी , निशिगंधाची पाती ,
     बहरली फुलांनी , निशिगंधाची पाती ,
     ….. पंतांचे नाव घेते हळदीच्या राती 

▪︎ सूर्यबिंब शोभते , संध्येच्या भाळी ,
     सूर्यबिंब शोभते , संध्येच्या भाळी ,
     …….......…  घेते हळदीच्या वेळी 

▪︎ अंगानी टाकला सडा , त्यावर घातली रांगोळी ,
     अंगानी टाकला सडा , त्यावर घातली रांगोळी ,
      …………..... पंतांचे  नाव घेते हळदीच्या वेळी 

▪︎ अन्यन भावनेने देवाला जावे शरण  ,
    अन्यन भावनेने देवाला जावे शरण  ,
      …. पंतांचे नाव घ्यायला हळदीचे आहे कारण 

▪︎ आडघर माजघर , माजघरात पलंग , पलंगावर उशी ,
     आडघर माजघर , माजघरात पलंग , पलंगावर उशी ,
      ………........….… पंतांचे नाव घेते हळदीच्या दिवशी 

▪︎ तांब्याच्या घागरी , चकचक घासल्या ,
     तांब्याच्या घागरी , चकचक घासल्या ,
    ….. पंतांचे नाव घेते , माझा परिवार हळदीला नाचला 

▪︎ प्रभात समय सुखावतो गाता भूपाळी  ,
     प्रभात समय सुखावतो गाता भूपाळी  ,
     …….. पंतांचे नाव घेते हळदीच्या वेळी 

▪︎ मांडवाचये दारी केळीच्या तोरण ,
    मांडवाचये दारी केळीच्या तोरण ,
    …. पंतांचे नाव घेते हळदीच्या कारण

*मंडपातील उखाणे :-* 

▪︎ वृक्षाच्या छायेत, वनदेवी घेते विसावा
     वृक्षाच्या छायेत, वनदेवी घेते विसावा
     ... पंतांचे नाव घेते सर्वांचा आशीर्वाद असावा 

▪︎ भक्त्तांसाठी वेडा झाला , नंदाचा नंदन  ,
     भक्त्तांसाठी वेडा झाला , नंदाचा नंदन  ,
     ….....पंतांचे नाव घेते सर्वाना करून वंदन 

▪︎ यमुनाजलावर पडली , ताजमहालाची  सावली ,
     यमुनाजलावर पडली , ताजमहालाची  सावली ,
     ……….....…. ला जन्म देणारी धान्य ती माउली 

▪︎ दिव्य आसवं काव्य , काव्यात असावी गोडी ,
     दिव्य आसवं काव्य , काव्यात असावी गोडी ,
    ……....… व …….....… ची सुखी राहावी जोडी 

▪︎वाटलेल्या डाळीचे , चटमटीत केले पिठले ,
    वाटलेल्या डाळीचे , चटमटीत केले पिठले ,
    ....... पंतांचे नाव घेते आजून नाही दिसले 

▪︎सकाळी सकाळी कोकिळा गाती गोड ,
    सकाळी सकाळी कोकिळा गाती गोड ,
    ....... पंतांना पाहण्याची लागती ओढ 

▪︎सह्याद्री पर्वतावर होते शिवरायांचे दर्शन ,
    सह्याद्री पर्वतावर होते शिवरायांचे दर्शन ,
    ........ पंतांच्या कधी घडेल होणार दर्शन 

▪︎इकडे आहे शेती , तिकडे आहे वाडी ,
    इकडे आहे शेती , तिकडे आहे वाडी ,
    अवतिभोतीला हिरवी झाडी , आणि मधून चालीय .... 
    पंतांची स्वारी 

▪︎नव्हती कधी गाठ भेट, एकदाच झाली नजरा नजर ,
    नव्हती कधी गाठ भेट, एकदाच झाली नजरा नजर ,
    ......................... पंतांसाठी सुटला प्रीतीचा पाझर 

▪︎दिव्याच्या वातीला लागतो तेलाचा आधार ,
    दिव्याच्या वातीला लागतो तेलाचा आधार ,
    ..... पंतांच्या साथीने मानते सर्वांचे आभार

▪︎ लवंगी वाडी , बदामी बंगला ,
     लवंगी वाडी , बदामी बंगला ,
     ….पंतांच्या प्रपंचात जीव माझा रंगला 

▪︎ वळिवाच्या पावसाने , गंधित होते माती  ,
     वळिवाच्या पावसाने , गंधित होते माती  ,
    .. पंतांचे नाव घेऊन नवीन जोडली नाती 

▪︎लोकमान्य टिळक स्वराज्याचा हिरा ,
    लोकमान्य टिळक स्वराज्याचा हिरा ,
    .... पंतांच नाव घेऊन उखाणा करते पुरा

▪︎ मानवी जीवन हे एक आहे शाळा  ,
     मानवी जीवन हे एक आहे शाळा  ,
     … पंतांचा नाव घेते , जमलाय मंगल सोहळा 

▪︎ उखाण्यात उमटावं शब्दांचे लालित्य  ,
     उखाण्यात उमटावं शब्दांचे लालित्य  ,
    ……... पंतांचे घेते त्यात आहे पावित्र्य 

▪︎ .... ( गावाचे नाव ) संत्री , ..... ( गावाचे नाव ) चे नारळ ,
     .... ( गावाचे नाव ) संत्री , ..... ( गावाचे नाव ) चे नारळ ,
      …............... पंतांचे नाव घेते  , साधे आणि सरळ 

▪︎ सायकल चालते वेगाने , नस धावते क्रमाने ,
     सायकल चालते वेगाने , नस धावते क्रमाने ,
       ….. पंतांचे नाव घेते , तुमच्या म्हणण्याप्रमाणे , 

▪︎ खारकेची झाडावर , चढला दोडक्याच्या वेळ ,
     खारकेची झाडावर , चढला दोडक्याच्या वेळ ,
      …......…. पंतांचे नाव घेते , वाचावा इंधनाचे तेल 

▪︎ बकुळीच्या झाडाखाली पडलाय सुवासिक सडा ,
     बकुळीच्या झाडाखाली पडलाय सुवासिक सडा ,
     ………....….. व ……........… चा सुखी राहो जोड 

▪︎ जाई जुईच्या वेलीखाली , हरीण घेते विसावा ,
     जाई जुईच्या वेलीखाली , हरीण घेते विसावा ,
      …... पंतांचा नाव घेते , तुमचा आशीर्वाद असावा 

▪︎ मेघवर्णी आकाशात , लकाकते चपला ,
     मेघवर्णी आकाशात , लकाकते चपला ,
      …..… ला ……. आशीर्वाद द्या आपला 

▪︎ दासांचा दासबोध अनुभवाचा साठा
     दासांचा दासबोध अनुभवाचा साठा
       .... पंतांचे नाव घेतो तुमचा मान मोठा !

*सप्तपदीचे उखाणे :-* 

▪︎फुल आहे गंध भाव आहे अंतरी , 
    फुल आहे गंध भाव आहे अंतरी , 
    ..... पंतासह चालले सातपावलांवरी ,

▪︎शुभमंगल प्रसंगी अक्षदा पडतात माथी,
    शुभमंगल प्रसंगी अक्षदा पडतात माथी,
    ..................... पंत माझे जीवन साथी 

▪︎ विवाह होमामुळे झाले , पवित्र वातावरण ,
     विवाह होमामुळे झाले , पवित्र वातावरण ,
      …..पंतांचे नाव घेते , करून ईश्वराचे स्मरण 

▪︎डझनभर येतात १२ केळी ,
    डझनभर येतात १२ केळी ,
    .... पंतांचे नाव घेते सप्तपदीच्या वेळी 

▪︎ पुंडलिकाचे भेटीसाठी उतरते चंद्रभागा घाट ,
     पुंडलिकाचे भेटीसाठी उतरते चंद्रभागा घाट ,
      ………. पंतांचे नाव घेते दूर झाला आंतरपाट 

▪︎ आंतरपाटावरील स्वस्तिक , मांगल्याची  खूण ,
     आंतरपाटावरील स्वस्तिक , मांगल्याची  खूण ,
      …. पंतांचे आणि माझे जमले छत्तीस  गुण 

▪︎ उंन्हासंगे चाफा हसतो , थंडीसंगे गुलाब  फुलतो ,
    उंन्हासंगे चाफा हसतो , थंडीसंगे गुलाब  फुलतो ,
   .. सांगे सप्ततापदी चालतालना जीव माझा खुलतो 

▪︎ राजबिंड्या डोलाने सप्ततापदी चालले  ,
     राजबिंड्या डोलाने सप्ततापदी चालले  ,
     …........…. पंतांशी पत्नीचे नाते जोडते 

▪︎ शारदांचे चांदण्यात धरणी जाते नाहून  ,
    शारदांचे चांदण्यात धरणी जाते नाहून  ,
    ….. पंतांचे नाव घेते सप्ततापदी म्हणून 

▪︎ शुभ्र फुलांच्या मखमालीवर शुभमंगल  झाले ,
     शुभ्र फुलांच्या मखमालीवर शुभमंगल  झाले ,
     ……..... पंतांची छाया होऊन सप्ततापदी चालले 

▪︎ सायंकाळी देवघरात , निरंजन रोज  लावते ,
     सायंकाळी देवघरात , निरंजन रोज  लावते ,
     …….. पंतांच्या साथीने , सप्ततापदी चालते 

▪︎ सात जन्मांचे रेशमी नाते , …. शी जोडले  ,
    भाव भरल्या भावनेने  , सप्ततापदी मी चालले
    भाव भरल्या भावनेने  , सप्ततापदी मी चालले 

▪︎चिमुकल्या ओढ्याची झाली विशाल नदी, 
    चिमुकल्या ओढ्याची झाली विशाल नदी, 
    ............. पंतांच्या बरोबर केली सप्तपदी 

▪︎ सप्तपदीची पावलं पडली अग्नीच्या साक्षीनं ,
    सप्तपदीची पावलं पडली अग्नीच्या साक्षीनं ,
      ...... पंतांशी संसार करिन मोठ्यांच्या आशीर्वादानं 

▪︎ जाईजुईचा वेल पसरला दाट ,
     जाईजुईचा वेल पसरला दाट ,
    .... पंतांबरोबर बांधेल जीवनाची गाठ

*वरमाला उखाणे :-* 

▪︎ अत्तरदानी, गुलाबदानी , विडे ठेवले करून ,
     अत्तरदानी, गुलाबदानी , विडे ठेवले करून ,
    …...पंतांने मला घातली कुलस्वामिनीना स्मरून 

▪︎ नाही नुसती फुले , नाही नुसता हार  ,
    नाही नुसती फुले , नाही नुसता हार  ,
    …..  तर आहे माझा , … वरील प्रेमाचा आविष्कार 

▪︎ नव्या कोऱ्या घागरीत , आंब्यांचे खार  ,
     नव्या कोऱ्या घागरीत , आंब्यांचे खार  ,
      …….. पंतांच्या गळ्यात घातली वरमाला हार 

▪︎ वेलदोड्याच्या वेलावर हवा सुटली गार  ,
     वेलदोड्याच्या वेलावर हवा सुटली गार  ,
     …….. पंतांनि घातला मला वरमाला हार 

▪︎ काचेच्या तांब्यात सरबत आहे गार ,
     काचेच्या तांब्यात सरबत आहे गार ,
      ……... पंतांनि घातली मला वरमाला हार 

▪︎ शब्दसुमने गुंफते तयार होते काव्यमला  ,
     शब्दसुमने गुंफते तयार होते काव्यमला  ,
     ...…….. पंतांनि  घातली  मला वरमाला 

▪︎ पर्जन्याचा वृष्ट्टीने सृष्ट्टी होते हिरवीगार ,
     पर्जन्याचा वृष्ट्टीने सृष्ट्टी होते हिरवीगार ,
     ……… पंतांनि घातला मला वरमाला हार

*मंगळसूत्राची उखाणे :-* 

▪︎ उखाणा म्हणजे शब्दांचा साज, परंपरा जपण्याचा रिवाज  ,
     उखाणा म्हणजे शब्दांचा साज, परंपरा जपण्याचा रिवाज  ,
     …......….......... पंतांचे नाव घेऊन मंगळसूत्र बांधते आज 

▪︎ नारळाच्या झाडाला , अमृताचा झरा,
   नारळाच्या झाडाला , अमृताचा झरा,
    ...... पंत माझ्या मंगळसुत्रातला हिरा

▪︎मंगळसूत्रा च्या वाट्यानी जोडले संसार माहेर ,
   मंगळसूत्रा च्या वाट्यानी जोडले संसार माहेर ,
   .......... पंतांनी दिला मला सौभाग्याचा आहेर 

▪︎अलंकारात अलंकार मंगळसूत्र मूख्य,
     अलंकारात अलंकार मंगळसूत्र मूख्य,
     ....... पंताचा आनंद हेच माझे सौख्य

▪︎ कृष्ण प्राप्तीसाठी , रुखमणीने लिहिले पत्र ,
     कृष्ण प्राप्तीसाठी , रुखमणीने लिहिले पत्र ,
      ………....... पंतांची घातले मला मंगळसूत्र 

▪︎ मंगळसुत्रचा असतात , पोवळ्याचे मणी ,
     मंगळसुत्रचा असतात , पोवळ्याचे मणी ,
     ………….…....….. पंत माझे आहेत गुणी 

▪︎ जिजाईचा मांडीवर शिवाजी सुपुत्र  ,
     जिजाईचा मांडीवर शिवाजी सुपुत्र  ,
    ...............पंतांनी बांधले मंगळसूत्र 

▪︎ मोहरली वधू भाव लाजरे डोळ्यात  ,
     मोहरली वधू भाव लाजरे डोळ्यात  ,
    .... पंतांनी मंगळसूत्र घातले गळ्यात 

▪︎ अक्षता पडल्या सुखाने मन हिंदोळ्यावर झुलते ,
     अक्षता पडल्या सुखाने मन हिंदोळ्यावर झुलते ,
    …......... पंतांचे नाव घेऊन मी मंगळसूत्र घालते 

▪︎ पर्जन्याच्या वृष्टीने सृष्टी होते हिरवीगार  ,
     पर्जन्याच्या वृष्टीने सृष्टी होते हिरवीगार  ,
     .... पंतांच्या जीवावर घालते मंगळसुत्रचा हार 

▪︎शितल माझं नाव , सासवणे - अलिबाग माझं गाव ,
    शितल माझं नाव , सासवणे - अलिबाग माझं गाव ,
     .............. ह्यांचं नाव , ..... आता माझं आडनाव

*गठबंधं उखाणे :-* 

▪︎ भरजरी शालूला आहे मयूरपंखी काठ  ,
     भरजरी शालूला आहे मयूरपंखी काठ  ,
     ….. पंतांच नाव घेऊन बांधते दादा – वाहिनीचे   
     गाठ 

▪︎ बकुळीच्या झाडाची छाया पडते दाट ,
     बकुळीच्या झाडाची छाया पडते दाट ,
      ….. पंतांच नाव घेऊन सोडते दोघांची गाठ 

▪︎ भावासंगे वाहिनीची पडली सुंदर गाठ  ,
     भावासंगे वाहिनीची पडली सुंदर गाठ  ,
      ………. पंतांच नाव घेऊन सोडते गाठ 

▪︎ चंदेरी साडीला नाजूकसा काठ  ,
     चंदेरी साडीला नाजूकसा काठ  ,
     ……. पंतांच नाव घेऊन सोडते गाठ 

▪︎कोंकणात जाताना लागतो वळण- वळणाचा घाट ,
    कोंकणात जाताना लागतो वळण- वळणाचा घाट ,
    .. पंतांचे नाव घेऊन सोडते भाऊ - भावजयची गाठ

▪︎सत्यवानाच्या सेवेत सावित्री झाली मग्न,
    सत्यवानाच्या सेवेत सावित्री झाली मग्न,
    ............. पंतांन सोबत झाले माझे लग्न

▪︎ गुलाबी साडीला सोनेरी काठ ,
   गुलाबी साडीला सोनेरी काठ ,
  .... पंतानसोबत जोडलीय गाठ

*शालूंचे उखाणे :-* 

▪︎शालूचा पदर आडकला तोड्यात,
    शालूचा पदर आडकला तोड्यात,
    .... प्ंताच नाव घेते या सोहळ्यात

▪︎ ओल्याचिंब केसांना , टॉवेल द्या पुसायला ,
     ओल्याचिंब केसांना , टॉवेल द्या पुसायला ,
      …...... पंतांचे नाव घेते शालू द्या नेसायला 

▪︎ नऊवारी साडीवर शोभून दिसते ठुशी ,
     नऊवारी साडीवर शोभून दिसते ठुशी ,
     ........ पंतांचे नाव घेते ....... दिवशी 

▪︎ पैठणीवर शोभे , नाजूक मोरांची जोडी,
      पैठणीवर शोभे , नाजूक मोरांची जोडी,
      .. पंतांमुळे आली, माझ्या आयुष्याला गोडी 

▪︎ कुबेराच्या भांडारात हिरे – मणक्यांच्या राशी ,
     कुबेराच्या भांडारात हिरे – मणक्यांच्या राशी ,
     ….….. पंतांनि आणला शालू लग्नाचा दिवशी 

▪︎ ह्रिदवाराहून आला बाबा , त्याची दोन हात लांब दाढी  ,
     ह्रिदवाराहून आला बाबा , त्याची दोन हात लांब दाढी  ,
      …….. पंतांनि नेसायला आणायला मला भरगच्च साडी 

▪︎ सर्वात छान आहेत इंदुरी सद्य  ,
     सर्वात छान आहेत इंदुरी सद्य  ,
  …पंतांच्या संसारात सुखाच्या पायघड्या 

▪︎ कांजीवर साडी  , बनारसी खण ,
    कांजीवर साडी  , बनारसी खण ,
   …. पंतांचे नाव घेते आज आहे लग्न दिवस

▪︎ हिरव्या साडीला , पिवळा काठ जरतारी ,
     हिरव्या साडीला , पिवळा काठ जरतारी ,
     ... पंतांचे नसावं घेते शालू नेसून भरजरी

*घास भरवणीचे उखाणे :-*

▪︎ मिठाने वाढते , स्वयंपाकाची लज्जत ,
     मिठाने वाढते , स्वयंपाकाची लज्जत ,
     …….. पंतांचे नाव घेते सुरु करा पंगत 

▪︎ साजूक तुपात नाजूक चमचा  ,
     साजूक तुपात नाजूक चमचा  ,
     … पंतांचे नाव घेते आशीर्वाद हवा तुमचा 

▪︎ संस्कृत मध्ये पाण्याला म्हणतात उदक,
     संस्कृत मध्ये पाण्याला म्हणतात उदक,
      .......... पंतना आवडतात खुप मोदक 

▪︎ कैरी कोथींबीर, आल लसुन ,
    कैरी कोथींबीर, आल लसुन ,
   .... पंताचे नाव घेते सर्व ऐका बसुन

▪︎ हाताची घडी, तोंडावर बोट,
   हाताची घडी, तोंडावर बोट,
   .... पंत घ्या आमटीचा घोट 

▪︎ दही  , चक्का , आवडतो ह्यांना खूप  ,
     दही  , चक्का , आवडतो ह्यांना खूप  ,
     …. पंतांचे नाव घेते मनापासून मी खूप 

▪︎ खुप प्रसिद्ध आहेत कबीराचे दोहे
     खुप प्रसिद्ध आहेत कबीराचे दोहे
     ........पंतना आवडतात कांदे पोहे 

▪︎लग्नाच्या पंगतीत उखाणा घेते खास ,
    लग्नाच्या पंगतीत उखाणा घेते खास ,
     ……..  पंतांचे नाव घेते तुमच्यासाठी खास. 

▪︎ केसर दुधात घातलं काजू, बदाम , जायफळ ,
     केसर दुधात घातलं काजू, बदाम , जायफळ ,
      ....... पंतांच नाव घेतो , वेळ न घालवता वायफळ 

▪︎ नैवैद्याच्या वरण - भातावर तूप वाढले ताजे  ,
     नैवैद्याच्या वरण - भातावर तूप वाढले ताजे  ,
     …………..........…. च्यावर नाव कोरले माझे  

▪︎मोदकाच्या प्रसादाला असते अवीट गोडी,
    मोदकाच्या प्रसादाला असते अवीट गोडी,
    .. पंतांचे नाव घेते बाप्पा सुखी ठेव आमची जोडी 

▪︎ दवबिंदूत होतो , सप्ततारांगांचं भास ,
     दवबिंदूत होतो , सप्ततारांगांचं भास ,
     ….…. ला नाव भरवतो  ………. घास 

▪︎स्वप्न सत्य झाले, नाही ठरला भास,
    स्वप्न सत्य झाले, नाही ठरला भास,
    ... पंतांना भरवते गुलाबजांचा घास 

▪︎ रुचकर भोजन झालं ,जमलाय मस्त पान ,
     रुचकर भोजन झालं ,जमलाय मस्त पान ,
     …... पंतांचे नाव घायला मला वाटत छान 

▪︎मसाल्याची सुपारी चांदीच्या वाटीत ,
    मसाल्याची सुपारी चांदीच्या वाटीत ,
    ......... पंताना ठेवीन माझ्या मुठीत

▪︎ शेंगदाण्याचा लाडवाला गूळ झाला जास्त ,
     शेंगदाण्याचा लाडवाला गूळ झाला जास्त ,
     ………..….. सोबत संसार चालायला मस्त 

▪︎ दुधाचा चहा , चहा मध्ये आले, 
     दुधाचा चहा , चहा मध्ये आले, 
     आज पासून मी , .... ची झाले 

▪︎ गावठी गुलाबाला सुगंधी सुवास ,
    गावठी गुलाबाला सुगंधी सुवास ,
    ...... पंतांना भरवते वरण भाताचा घास 

▪︎पानात पान मसाल्याचे पान ,
    पानात पान मसाल्याचे पान ,
    ..... पंतांचे नाव घेऊन राखते तुमचा मान 

▪︎ साखर असते गोड । मिरची असते तिखट
     साखर असते गोड । मिरची असते तिखट
     …........ पंतांचे नाव घेते आडनावा सकट 

▪︎  लोणावळा , खंडाळा , म्हणशील तिथे जाऊ ,
     लोणावळा , खंडाळा , म्हणशील तिथे जाऊ ,
     …....…...  तुला भरवते , पण बोट नको चावू 

▪︎ सुगरण – सुगरण करते संसार सुखाचा  ,
     सुगरण – सुगरण करते संसार सुखाचा  ,
     ....... पंतांचे नाव घेऊन मान राखते सर्वांचा 

▪︎लग्नाच्या पंगतीत केलीय फुलांची आरास,
    लग्नाच्या पंगतीत केलीय फुलांची आरास,
     .. पंतांचे नाव घ्यायला आजपासून करते सुरुवात 

▪︎ चांदीच्या वाटीत ठेवला आमरस  ,
     चांदीच्या वाटीत ठेवला आमरस  ,
     …... पंतांच्या जीवनात होईन मी समरस 

▪︎कृष्णच्या गायींना चरायला हिरवं-हिरवं कुरण ,
   कृष्णच्या गायींना चरायला हिरवं-हिरवं कुरण ,
    ….पंतांचे नाव घायला जेवणाच्या पंगतीत  कारण 

▪︎ गूळ खोबर ,खमंग झालं ,करंजीचे सारण ,
     गूळ खोबर ,खमंग झालं ,करंजीचे सारण ,
     …. पंतांचे नाव घेते ,जेवणाचे पंगतीचे कारण 

▪︎ वाड्यात वडा बटाटावडा ,
     वाड्यात वडा बटाटावडा ,
     …. मारला खडा म्हणून जमला आमचा जोड 

▪︎सावित्रीबाईंनी फुलेंनी दिले , स्त्री शिक्षणाचे धडे ,
    सावित्रीबाईंनी फुलेंनी दिले , स्त्री शिक्षणाचे धडे ,
    ….... ना आवडतात गरम  – गरम साबुदाणा वडे 

▪︎ रसदार केशरी आंब्याचा , केला गोड आमरस ,
     रसदार केशरी आंब्याचा , केला गोड आमरस ,
      ……... पंतांच्या संसारात मनापासून झाले समरस 

▪︎ आंबे , काजू ,फणस हा अलिबागचा मेवा ,
     आंबे , काजू ,फणस हा अलिबागचा मेवा,
     …. ना आणि मला सर्वानी आशीर्वाद द्यावा 

▪︎ जाईजुच्या फुलांचा मधुर सुटतो सुवास  ,
     जाईजुच्या फुलांचा मधुर सुटतो सुवास  ,
      …….….…. पंतांचे नाव घेऊन देते घास 

▪︎ पंचपक्वांनांचा जमलाय स्वादिष्ट मेळा ,
     पंचपक्वांनांचा जमलाय स्वादिष्ट मेळा ,
      …. पंतांचे नाव , घ्यायची हीच तर खरी वेळ 

▪︎ चांदीच्या वाटीत साखरभाताची मूड  ,
     चांदीच्या वाटीत साखरभाताची मूड  ,
      ….…....... पंत घ्या , देते केशरी दूध 

▪︎ वरण – भातावर साजूक तुपाची धार  ,
     वरण – भातावर साजूक तुपाची धार  ,
    ….…. पंतांचा नाव घेते , कळवळीने फार 

▪︎ बटाट्याच्या / कोशिंबीर ( भाजीला  ) खोबरे घालते किसून ,
     बटाट्याच्या / कोशिंबीर ( भाजीला  ) खोबरे घालते किसून ,
…. चा नाव घेते , जेवणाच्या पंगतीत बसून 

▪︎ पांढऱ्या शुभ्र भातावर पिवळ धमक वरण ,
     पांढऱ्या शुभ्र भातावर पिवळ धमक वरण ,
     …..पंतांच्या नाव  घेते जेवणाच्या पंगतीचा कारण 

▪︎  ..  (गावाचे नाव) ते .. ( गावाचे नाव ) १०० कि. मी. आहे अंतर, 
     ..  (गावाचे नाव) ते .. ( गावाचे नाव ) १०० कि. मी. आहे अंतर, 
      ..... पंतांचे नाव घेते घास भारावल्या नंतर 

▪︎ तुरीच्या डाळीला , जिऱ्याची फोडणी ,
     तुरीच्या डाळीला , जिऱ्याची फोडणी ,
     ....... पंत सोलत होते नारळाची सोडानी 

▪︎ भरलेल्या पंगतीला सुंदर रांगोळीचा साज,
     भरलेल्या पंगतीला सुंदर रांगोळीचा साज,
     .......................... पंतांचे नाव घेते आज 

▪︎ भरलेल्या पंगतीला रांगोळी काढली चित्रांची,
     भरलेल्या पंगतीला रांगोळी काढली चित्रांची,
     ....... पंतांच्या साथीला बसली पंगत मित्रांची

*पाठवणीचे उखाणे :-* 

▪︎सांजवात लावताना येते माहेरची आठवण,
    सांजवात लावताना येते माहेरची आठवण,
     ........ पंतांनसाठी झाली सासरी पाठवणं 

▪︎सप्त सुखाचें आशीर्वाद , वडिलधाऱयांच्ये दिले ,
    सप्त सुखाचें आशीर्वाद , वडिलधाऱयांच्ये दिले ,
    ………..... पंतांच्या संसारात , मन माझे खुलले 

▪︎ झगमगीत दिव्यांचे रोषणाईची सजली वरात ,
     झगमगीत दिव्यांचे रोषणाईची सजली वरात ,
     ……....पंतांचे नाव घेते  ……....….च्या दारात 

▪︎ संध्येच्या पाळीला नागाची खून  ,
     संध्येच्या पाळीला नागाची खून  ,
     ….. पंतांचे नाव घेते ....… ची सून 

▪︎ जाईच्या मांडवावर रुमाल टाकला विणून ,
    जाईच्या मांडवावर रुमाल टाकला विणून ,
     …...... पंतांचे नाव घेते तुम्ही सांगितले म्हणून 

▪︎ आईच्या मायेला मोल नसते कधी  ,
     आईच्या मायेला मोल नसते कधी  ,
    ….. पंतांचे नाव घेते तुम्हा सर्वांच्या आधी 

▪︎ कुंजवणात ऐकू येते श्रीकृष्णाची बासरी  ,
     कुंजवणात ऐकू येते श्रीकृष्णाची बासरी  ,
     …..….चया प्रेमासाठी चालले मी सासरी 

▪︎ संसार रुपी जात्यावर विचारांचे काढले पीठ ,
     संसार रुपी जात्यावर विचारांचे काढले पीठ ,
     …….......... पंतांचे संसार नक्की होईल नीट 

▪︎ सर्वत मंजुळ सारंगीचे सूर  ,
    सर्वत मंजुळ सारंगीचे सूर  ,
    …. पंतांसाठी माहेर केले दूर 

▪︎ पानापानावर पडले नागाची खून  ,
    पानापानावर पडले नागाची खून  ,
     ….. पंतांचे नाव घेते  …. ची सून 

▪︎ दही  , चक्का , आवडतो मला खूप  ,
     दही  , चक्का , आवडतो मला खूप  ,
     ….. पंतांचे नाव घेते मनापासून मी खूप 

▪︎ देवापुढे काढली रांगोळी मोराची  ,
     देवापुढे काढली रांगोळी मोराची  ,
     …... पंतांचा नाव घेते सून मी  .…. ची  

▪︎शब्दांनी शोभतो अर्थ , स्वरानीच सजतात सूर  ,
    शब्दांनी शोभतो अर्थ , स्वरानीच सजतात सूर  ,
    ….... पंतांचे नाव घेऊन , माहेर पासून होते दूर 

▪︎ वांगी बटाट्याची भाजीला खोबरे घालते किसून ,
     वांगी बटाट्याची भाजीला खोबरे घालते किसून ,
     ............................. घेते पालखी मध्ये बसून

*गृहप्रवेश  उखाणे  :-* 

▪︎ सायंकाळी गाई परततात त्या वेळेला म्हणतात गोधुळी ,
    सायंकाळी गाई परततात त्या वेळेला म्हणतात गोधुळी ,
    ............. पंतांचे लग्न करून मी पडली चांगल्या कुळी 

▪︎ चाली होती पायपीट , रणरणत्या ऊन्हात ,
   चाली होती पायपीट , रणरणत्या ऊन्हात ,
   .......... पंतांचे नाव घेते ....... च्या घरात

▪︎आम्रवृक्ष मोहरल्याने , लागते घ्रीश्माची चाहुल,
    आम्रवृक्ष मोहरल्याने , लागते घ्रीश्माची चाहुल,
     ...........पंताच नाव घेउन टाकते पहील पाउल

▪︎इंद्रधनुष्य दिसतो जेव्हा असतं पावसात ऊन,
    इंद्रधनुष्य दिसतो जेव्हा असतं पावसात ऊन,
    ......... पंताच नाव घेते ............. घरची सून

▪︎नवे नवे जोडपे , आशीर्वादासाठी वाकले,
    नवे नवे जोडपे , आशीर्वादासाठी वाकले,
    .... पंतांसोबत , मी घरी पहिले पाऊल टाकले  

▪︎नव्या दिशा, नव्या आशा, नव्या घरी पदार्पण ,
    नव्या दिशा, नव्या आशा, नव्या घरी पदार्पण ,
    ......... पंतांच्या जीवनात माझे सर्वस्व अर्पण 

▪︎गृहप्रवेश करतांना साठविले मायेचे मोती भरभर,
    गृहप्रवेश करतांना साठविले मायेचे मोती भरभर,
    ....... पंतांच्या हातात हात देऊन झाले मी निर्भर

▪︎ गानकोकिळा बालगंधर्व गाती सुरात  ,
     गानकोकिळा बालगंधर्व गाती सुरात  ,
    .....पंतांचे नाव घेते …...... च्या घरात 

▪︎ उगवल्या भानूची कालिकांना लागली चाहूल ,
     उगवल्या भानूची कालिकांना लागली चाहूल ,
    ….... पंतांचे संसारात टाकते मी पहिलं पाऊल 

▪︎ श्रीकृष्णाच्या मस्तकावर सदैव असतो शेष ,
     श्रीकृष्णाच्या मस्तकावर सदैव असतो शेष ,
     ………......पंतांचे नाव घेऊन करते गृहप्रवेश 

▪︎ कोवळ्या पालवीने लागते , वसंताची चाहूल ,
     कोवळ्या पालवीने लागते , वसंताची चाहूल ,
    … पंतांच्या संसारात टाकते मी पाहिलं पाऊल 

▪︎ चिवड्यात घालतात खोबऱ्याचे काप  ,
     चिवड्यात घालतात खोबऱ्याचे काप  ,
      ……….. पंतां समवेत ओलांडते माप 

▪︎ दिल्याने ज्ञान वाढते , कमी होता नाही देऊन ,
     दिल्याने ज्ञान वाढते , कमी होता नाही देऊन ,
      …  पंतांच्या घरात आज आले माप ओलांडून 

▪︎ आकाशात उगवला चंद्र निषेला लागली चाहूल ,
     आकाशात उगवला चंद्र निषेला लागली चाहूल ,
     …....... पंतांच्या संसारात टाकते पहिले पाऊल 

▪︎ माहेरचे मायापाश सोडून , आले आज सासरी ,
    माहेरचे मायापाश सोडून , आले आज सासरी ,
    माप ओलांडून प्रवेश करते …......पंतांच्या घरी 

▪︎ करी बांधल्या कंकणासवें आले मी या घरी ,
     करी बांधल्या कंकणासवें आले मी या घरी ,
     …….. पंतांच्या संगतीत मी तृप्त सदा अंतरी 

▪︎ सर्व देवांमद्दे श्रेष्ठ ब्रह्म , विष्णू , महेश ,
     सर्व देवांमद्दे श्रेष्ठ ब्रह्म , विष्णू , महेश ,
     ..... पंतांचे नाव घेऊन करते गृहप्रवेश 

▪︎ दाराला तोरण मंगलकार्याची खून ,
     दाराला तोरण मंगलकार्याची खून ,
      ..... पंतांचे नाव घेते ....... ची सून 

▪︎ देवाचिया द्वारी उभा क्षणभरी ,
     देवाचिया द्वारी उभा क्षणभरी ,
     ........ पंतांचे नाव घेते ..... च्या घरी 

▪︎ श्रावण महिना म्हणजे कधी पाऊस - कधी ऊन ,
     श्रावण महिना म्हणजे कधी पाऊस - कधी ऊन ,
     .......... पंतशी लग्न करून झाली मी ...... सून 

▪︎माहेरच्या ओढीने डोळे येतात भरून ,
    माहेरच्या ओढीने डोळे येतात भरून ,
    ..... पंतांच्या संसारात मन गेले वळून 

▪︎ समोरच्या फडताळात ठेवले होते फणसाचे गरे ,
     समोरच्या फडताळात ठेवले होते फणसाचे गरे ,
    ..पंत वरतून दिसतात बरे नीट वागतील तेव्हा खरे 

▪︎ आकाशाच्या प्रांगणात ब्रह्म, विष्णू,महेश,
     आकाशाच्या प्रांगणात ब्रह्म, विष्णू,महेश,
     ......... पंतांचे नाव घेऊन करते गृहप्रवेश

▪︎ बारिक मणी घरभर पसरले,
     बारिक मणी घरभर पसरले,
     .... पंतांसाठी माहेर विसरले 

▪︎जरतारी पैठणीवर शोभे, कोल्हापुरी साज ,
    जरतारी पैठणीवर शोभे, कोल्हापुरी साज ,
    ... पंतांच नाव घेऊन , करते गृहप्रवेश आज 

▪︎ तिरंगी झेंड्यावर अशोकचक्राची खूण ,
     तिरंगी झेंड्यावर अशोकचक्राची खूण ,
     ...... पंतांचे नाव घेते ........... ची सून 

▪︎ लसणात लसूण गावरान लसूण ,
    लसणात लसूण गावरान लसूण ,
     ....... पंतांच नाव घेते ...... सून 

▪︎ पानापानावर पसरले , कोवळे कोवळे ऊन ,
     पानापानावर पसरले , कोवळे कोवळे ऊन ,
     .............. पंतांचे नाव  ............... ची सून

*रंगपंचमीच्या / नागपंचमीच्या उखाणे  :-* 

▪︎ शंकराच्या पिंडीला नागदेवाचा वेढा  ,
     शंकराच्या पिंडीला नागदेवाचा वेढा  ,
     ... पंतांचे नाव घेते , मला सासरचा ओढा 

▪︎ नागपंचमीच्या पूजा करातात वंशवृद्धीसाठी ,
     नागपंचमीच्या पूजा करातात वंशवृद्धीसाठी ,
     ………......... पंतांचे नाव घेते सौभाग्यासाठी 

▪︎नागपंचमीला घरोघरी होते पुरणपोळी ,
    नागपंचमीला घरोघरी होते पुरणपोळी ,
    .. पंतांनी आणली मला कटकीची चोळी,

▪︎नागपंचमी दिवशी केला साखरभात,
    नागपंचमी दिवशी केला साखरभात,
    ....... पंतांचे नाव घेते ....... ची नातं 

▪︎ श्रावणात महादेवाला दुधाचा आभिषेक ,
    श्रावणात महादेवाला दुधाचा आभिषेक ,
    .... पंतचा नावाने बेला वाहिले एकशे एक 

▪︎ सोन्याचे पंचपाल त्याला नागाचा वेढा  ,
     सोन्याचे पंचपाल त्याला नागाचा वेढा  ,
    ….. पंतचा आणि माझा साथ जन्माचा जोड 

▪︎ संध्येच्या पाळीला नागाची खून  ,
    संध्येच्या पाळीला नागाची खून  ,
     …... पंतांचे नाव घेते ..…… ची सून 

▪︎ पंचमीचे सण माहेरची आठवण  ,
     पंचमीचे सण माहेरची आठवण  ,
     …… पंत करतात प्रेमाची साठवण 

▪︎ शिमग्याची वेळी केली रंगाची बरसात  ,
     शिमग्याची वेळी केली रंगाची बरसात  ,
     …. पंतची आणि माझी जोडी राहो सुखात

*सत्यनारायचे  उखाणे :-* 

▪︎हंसराज पक्षी दिसतात होशी,
    हंसराज पक्षी दिसतात होशी,
    ...... पंतांचे नाव घेते सत्यनारायण दिवशी 

▪︎गणपतीच्या देवळात कीर्तन चालय मजेत,
    गणपतीच्या देवळात कीर्तन चालय मजेत,
    .. पंताचे नाव घेते सत्यनारायणाच्या पूजेत

▪︎ वसंतऋतूत कोकिळा , करते गुंजन ,
     वसंतऋतूत कोकिळा , करते गुंजन ,
    ..पंतांच्या बरोबर करते लक्ष्मी पूजन 

▪︎ अंगणात होती मेथी , पाणी घालू किती ,
     अंगणात होती मेथी , पाणी घालू किती ,
     …... पंतांच्या हातात सत्यनारायणाची पोथी 

▪︎मांडवाच्या दारी केले , गणरायानाचे पूजन ,
    मांडवाच्या दारी केले , गणरायानाचे पूजन ,
   …. पंतांचे नाव घेते आज आहे लक्ष्मी पूजन 

▪︎ …. ( गावाचे  नाव  ) टांगा त्याला आरबस्तानी घोडे  ,
     …. ( गावाचे  नाव  ) टांगा त्याला आरबस्तानी घोडे  ,
     ………............... पंतांचे नाव घेते सत्यनारायणापुढे 

▪︎ हातात घातल्या बांगडया, गळ्यात घातली ठुशी,
     हातात घातल्या बांगडया, गळ्यात घातली ठुशी,
    ........ पंतांचे नाव घेते, सत्यनारायणाच्या दिवशी

▪︎वाल्मिकी ऋषींनी रचले रामायण ,
    वाल्मिकी ऋषींनी रचले रामायण ,
    .... पंतांना सोबत करते सत्यनारायण

▪︎ संगीताला वाद्यवृंद चढवतो साज,
     संगीताला वाद्यवृंद चढवतो साज,
     ..... पंतांचे नाव घेते सत्यनारायण आहे आज

*चैत्रगौरीचे  उखाणे :-* 

▪︎ गौरीचे हळदीकुंकवाच्या राशी  ,
     गौरीचे हळदीकुंकवाच्या राशी  ,
     ..... पंतांचे नाव घेते चैत्र माशी 

▪︎ चैत्र , वैशाखात मोगरा फुलतो छान ,
     चैत्र , वैशाखात मोगरा फुलतो छान ,
    .... पंतांचे नाव घेऊन राखतो तुमचा मान 

▪︎ गौरीपुढे लावली समयीची जोडी  ,
     गौरीपुढे लावली समयीची जोडी  ,
    …...... पंतांच्या नावाची आहे गोडी 
 
▪︎ गौरीची आरास सर्वाना पसंत  ,
     गौरीची आरास सर्वाना पसंत  ,
    …. पंतांचे नाव घेते ऋतू आहे वसंत 

▪︎ गौरीचे पुढे केशर - अत्तराचे सडे  ,
     गौरीचे पुढे केशर - अत्तराचे सडे  ,
     …. पंतांचे नाव घायाळ मी सर्वाना पुढे  , 

▪︎ गौरीला लावते वाळ्याचे अत्तर ,
     गौरीला लावते वाळ्याचे अत्तर ,
    ….. पंतांचे नाव घायला मी  सदैव तत्पर 

▪︎ आंगठीतल्या हिऱ्याला सोन्याचे कोंदण  ,
     आंगठीतल्या हिऱ्याला सोन्याचे कोंदण  ,
     .... पंतांचे नाव घेऊन गौरीला करते वंदन 

▪︎ घाटातला धान्य भरभरून वाढलं  ,
     घाटातला धान्य भरभरून वाढलं  ,
     ….. पंतांसंगे मी संसारसुख मंडळ

▪︎वसंतातील डाळ पन्ह , देती थंडावा ,
    वसंतातील डाळ पन्ह , देती थंडावा ,
     .... पंतांच नाव घेते आशीर्वाद सर्वांचा असावा

*वटसावित्रीचे उखाणे :-* 

▪︎ नाजूक अनारसे साजूक तुपात टाळावे  ,
    नाजूक अनारसे साजूक तुपात टाळावे  ,
    …. पंतां सारखे पती जन्मोजन्मी मिळावे 

▪︎ जीवनरूपी काव्य दोघांनी वाचावी  ,
     जीवनरूपी काव्य दोघांनी वाचावी  ,
   …. पंतांची साथ जन्मोजन्मी असावी 

▪︎ रुपयाच्या झारीला सोन्याचा गिलावा ,
    रुपयाच्या झारीला सोन्याचा गिलावा ,
   ….. पंत हाच पती मला जामोजन्मी मिळावा 

▪︎ कस्तुरीचा जन्म सुगंधाकरिता ,
     कस्तुरीचा जन्म सुगंधाकरिता ,
    माझे सारे जीवन …... पंताकरिता 

▪︎ सत्यवानाच्या सेवेत सावित्री माझी मग्न ,
     सत्यवानाच्या सेवेत सावित्री माझी मग्न ,
     …………….पंत लाभो मला साथ जन्म 

▪︎ देवीचा भरलं बोडण , वाचला देवीचा पाठ ,
    देवीचा भरलं बोडण , वाचला देवीचा पाठ ,
    ….. पंतांच्या बरोबर बांधली , जन्मोजन्मी गाठ 

▪︎ पैंजणाचा आवाज रुणझुण पडतो कानी ,
     पैंजणाचा आवाज रुणझुण पडतो कानी ,
    …. पंत उदंड आयुष्य लाभो हीच प्रार्थना करते मनोमनी

*मंगळागौरीचे  उखाणे :-* 

▪︎ महाराष्ट्राची परंपरा , मंगळागौरीचे खेळ ,
     महाराष्ट्राची परंपरा , मंगळागौरीचे खेळ ,
     .. पंतांचे नाव घेते , झाली पहाटेची वेळ 

▪︎सुर्यबिंबाचा कुमकुमतिलक , पृथ्वीच्या भाळी,
    सुर्यबिंबाचा कुमकुमतिलक , पृथ्वीच्या भाळी,
    ......... पंताचे नाव घेते , मंगळागौरीच्या वेळी

▪︎ विवेकानंदाचे स्मारक , कान्यकुमारिकेच्या  सीमेवर ,
     विवेकानंदाचे स्मारक , कान्यकुमारिकेच्या  सीमेवर ,
     ……............ पंतांचे नाव घेते , मंगळागौरीचे वेळेवर 

▪︎गौरीच्या पुढं मांडलं फराळाचं ताटं ,
    गौरीच्या पुढं मांडलं फराळाचं ताटं ,
     .......... पंतांचे माझी बघतात वाट! 

▪︎ स्वर्गीच्या नंदवनात सुवर्णाच्या केली ,
     स्वर्गीच्या नंदवनात सुवर्णाच्या केली ,
     …..... पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीचे वेळी 

▪︎ यमुनेच्या काठी राधाकृष्नच खेळ ,
     यमुनेच्या काठी राधाकृष्नच खेळ ,
     ….. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीचे वेळ 

▪︎ प्रभात समय सुखावतो गाता भूपाळी  ,
    प्रभात समय सुखावतो गाता भूपाळी  , 
     …. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीच्या दिवशी 

▪︎ दंडात घालते वाकी , हातात घालते तोडी ,
     दंडात घालते वाकी , हातात घालते तोडी ,
    …....... पंतांचे नाव घेते मंगलागूआरीचे पुढती 

▪︎ आंब्याच्या वनात कोकिळेचे गुंजन ,
     आंब्याच्या वनात कोकिळेचे गुंजन ,
    …. पंतांचे नाव घेऊन करते मी मंगळागौरीचे पूजन 

▪︎ जडावाचे मंगळसूत्र कोल्हापुरी साज ,
     जडावाचे मंगळसूत्र कोल्हापुरी साज ,
    ... पंतांचे नाव घेते मंगळागौरी आहे आज 

▪︎ मांडवाचये दारी केळीच्या तोरण ,
     मांडवाचये दारी केळीच्या तोरण ,
     …. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीचे कारण 

▪︎ दारावर लावले लोकरीचे तोरण  ,
     दारावर लावले लोकरीचे तोरण  ,
      ….. पंतांचे नाव मंगळागौरीचे कारण 

▪︎ परसदाराच्या बागेत नाना तह्रेचे पक्षी  ,
     परसदाराच्या बागेत नाना तह्रेचे पक्षी  ,
      …... पंतांचे नाव घेते मंगळागौर साक्षी 

▪︎ रातराणीच्या सदा पडला माझ्या दारी ,
    रातराणीच्या सदा पडला माझ्या दारी ,
     …. पंतांचे नाव घेते मंगळागौर आहे दारी 

▪︎ कुबेराच्या घरी सोन्या चांदीच्या राशी ,
    कुबेराच्या घरी सोन्या चांदीच्या राशी ,
     .. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीच्या दिवशी 

▪︎ हिरव्यागार दुर्वा रानोमाळी उगवल्या ,
     हिरव्यागार दुर्वा रानोमाळी उगवल्या ,
     ……. पंतांच्यासाठी मंगळागौर जागवल्या 

▪︎ पूजेच्या साठी जमविल्या नानाविधी पत्री , 
     पूजेच्या साठी जमविल्या नानाविधी पत्री , 
     .....…. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीचे रात्री 

▪︎ पावसाच्या आगमनाने प्रसन्न झाली धरती ,
     पावसाच्या आगमनाने प्रसन्न झाली धरती ,
      ………….....पंतांचे नाव मंगळागौरीचे रात्री 

▪︎ सौभाग्याची जीवन ज्योत प्रीत - तेलाने तेवते ,
     सौभाग्याची जीवन ज्योत प्रीत - तेलाने तेवते ,
      ......... पंतांना दीर्घायुषी मंगळागौरीस मागते 

▪︎ मंगळागौरीच्या पूजेला वाहते मी साळी - डाळी ,
     मंगळागौरीच्या पूजेला वाहते मी साळी - डाळी ,
      ….. पंतांच्या संसारात लिहिते भाग्याचा ओळी 

▪︎ भिल्लीणीचा रूपात शंकरापुढे आली गिरीजा ,
     भिल्लीणीचा रूपात शंकरापुढे आली गिरीजा ,
    ….. पंतांच्या सौभाग्यासाठी केली मंगळागौरीची पूजा 

▪︎ घरात भरल्या आठरा धान्यांच्या राशी ,
     घरात भरल्या आठरा धान्यांच्या राशी ,
      …. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीच्या दिवशी 

▪︎ हिमालय पर्वतावर बर्फाच्या राशी  ,
     हिमालय पर्वतावर बर्फाच्या राशी  ,
      …. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीच्या दिवशी 

▪︎ आत्तरदानी , गुलाबदानी , पान ठेवते करून ,
     आत्तरदानी , गुलाबदानी , पान ठेवते करून ,
      ........... पंतांचे नाव घेते  मंगळागौरीला  स्मरून 

▪︎ वीज पुरवठासाठी कोयनेच्या काठी बांधले धरण ,
     वीज पुरवठासाठी कोयनेच्या काठी बांधले धरण ,
      ............... पंतांचे नाव घेते मंगळागौरीचे कारण 

▪︎ चांदीच्या वाटीत ठेवते पेढे  ,
     चांदीच्या वाटीत ठेवते पेढे  ,
     …. पंतांचे नाव घेते मंगळागौरी पुढे

*हरतालिका उखाणे :-* 

▪︎ घरात भरल्या आठरा धान्यांच्या राशी  ,
     घरात भरल्या आठरा धान्यांच्या राशी  ,
    ….... पंतांचे नाव घेते हरतालिकेच्या दिवशी 

▪︎ उत्तररात्री शिव – पार्वती , कैलासाला निघतील ,
     उत्तररात्री शिव – पार्वती , कैलासाला निघतील ,
    ….............. पंतांच्या सौख्याचे , वरदान मला देतील

*दिवाळीचे उखाणे :-* 

▪︎ आंबाबाईच्या देवळात बिलावर आरास  ,
     आंबाबाईच्या देवळात बिलावर आरास  ,
    ………..…. पंत ला घास घालते अनारसा 

▪︎ देवीला शिवली जरीकाठीची चोळी  ,
     देवीला शिवली जरीकाठीची चोळी  ,
    …. पंतांच्या घरी रोज असते सुखाची दिवाळी 

▪︎ पैठणची पैठणी, कोल्हापूरचा साज ,
     पैठणची पैठणी, कोल्हापूरचा साज ,
    ….. पंतांचे नाव घेते दिवाळी आहे आज 

▪︎ कांजीवरम साडी , बनारसी  खण ,
     कांजीवरम साडी , बनारसी  खण ,
    …. पंतांचे नाव घेते , आज आहे दिवाळी सण 

▪︎ अन्यन भावनेने देवाला जावे शरण  ,
     अन्यन भावनेने देवाला जावे शरण  ,
    …. पंतांचे नाव घायला दिवाळीच्या आहे  कारण 

▪︎ गूळ खोबर ,खमंग झालं ,करंजीचे सारण ,
     गूळ खोबर ,खमंग झालं ,करंजीचे सारण ,
     ….... पंतांचे नाव घेते , दिवाळी सणाचे कारण

*लग्नाचा वाढदिवस उखाणे :-* 

▪︎ .....पंतांच्या संसारात नाही , भासले काही उणे ,
     .....पंतांच्या संसारात नाही , भासले काही उणे ,
     सूर जुळले दोघांचे , जीवन झाले सुरेल गाणे 

▪︎ रुसवे – फुगवे , अबोल – दुरावे , कधी कधी होतात  ,
    रुसवे – फुगवे , अबोल – दुरावे , कधी कधी होतात  ,
    समजूत काढायला नेहमी , ……........... पुढे असतात 

▪︎ माणसाकडे असावी माणुसकी , नसावा अहंकार ,
     माणसाकडे असावी माणुसकी , नसावा अहंकार ,
     ...................... पंत मिळाले हाच खरा अलंकार

*पतीच्या वाढदिवस उखाणे :-* 

▪︎ चांदीच्या तबकात , सोन्याची निरंजन तेवते ,
     चांदीच्या तबकात , सोन्याची निरंजन तेवते ,
     ………. पंतांसाठी दीर्घारोग्य , देवाकडे मागते 

▪︎ ओक्षण करते वाढदिवसाला , सोनियाच्या ज्योती ,
    ओक्षण करते वाढदिवसाला , सोनियाच्या ज्योती ,
    ........... पंतांची उत्तोरोत्तर वाढो , जगामध्ये किर्ती 

▪︎वाढदिवशी चरणी तुझिया हेच मागणे प्रभो ,
    वाढदिवशी चरणी तुझिया हेच मागणे प्रभो ,
    …..... पंतांच्या कर्तृत्त्वाला , क्षितिजे नवी लाभो

*डोहाळ जेवणाचे  उखाणे :-* 

▪︎मखमली हिरवळीवर पाखरांचा थवा ,
    मखमली हिरवळीवर पाखरांचा थवा ,
    ... पंतांच्या वंशाला लावीन दीप नवा 

▪︎नयनाच्या आकाशात उमलते शुक्राची चांदणी ,
    नयनाच्या आकाशात उमलते शुक्राची चांदणी ,
    सर्वांच्या आशीर्वादाने बाग फुलवते ... पंतांच्या अंगणी 

▪︎उखाणा घेउन, सुप्तगुणांना मिळतो वाव,
    उखाणा घेउन, सुप्तगुणांना मिळतो वाव,
    डोहाळ जेवणाच्या दीवशी , घेते ..... पंताच नाव

▪︎माझ्या सासर - माहेर , लोक सारी हौशी ,
    माझ्या सासर - माहेर , लोक सारी हौशी ,
     ...... पंतांचे नाव घेते डोहाळाच्या दिवशी 

▪︎बाळाच्या नाजूक गालावर पडते इवलीशी कळी ,
    बाळाच्या नाजूक गालावर पडते इवलीशी कळी ,
     …..... पंतांच्या संसारवेलीवर उमलेल नाजूक कळी 

▪︎मोहरसली माझी माया, लागता नवी चाहूल ,
    मोहरसली माझी माया, लागता नवी चाहूल ,
    ......... पंतांच घेते आता जाड झाले पाऊल 

▪︎ मावळला सूर्य उगवला शशी ,
    मावळला सूर्य उगवला शशी ,
   …. पंतांचे नाव डोहाळ जेवणाच्या दिवशी 

▪︎ पहाटे वेलीवर फुलतात फुले गोमटी  ,
     पहाटे वेलीवर फुलतात फुले गोमटी  ,
      …… पंतांचे नाव भरली माझी ओटी 

▪︎ आनंदाचे कारंजे , मनी उडते  थुई – थुई  ,
    आनंदाचे कारंजे , मनी उडते  थुई – थुई  ,
    ……….... पंतांच्या बाळाची , आता होणार मी आई 

▪︎डोहाळे जेवणाला सजवली पानं फुलांची नौका ,
    डोहाळे जेवणाला सजवली पानं फुलांची नौका ,
    .................. पंतांचा नाव घेते,लक्ष देऊन ऐका 

▪︎ सरस्वतीच्या मंदिरात , साहित्याच्या राशी ,
     सरस्वतीच्या मंदिरात , साहित्याच्या राशी ,
    …..... पंतांचे नाव घेते डोहाळजेवण दिवशी 

▪︎ देवार्यात देवापाशी मंद ज्योत तेवते  ,
     देवार्यात देवापाशी मंद ज्योत तेवते  ,
     …. पंतांचे नाव डोहाळजेवण दिवशी घेते 

▪︎गोप – गोपिकांना करते धुंद , कृष्णची बासरी ,
    गोप – गोपिकांना करते धुंद , कृष्णची बासरी ,
     ….. पंतांची नाव घेते डोहाळजेवण आहे सासरी 

▪︎ पौर्णिमेचा चांदणं हसतेय माझ्या गाली ,
     पौर्णिमेचा चांदणं हसतेय माझ्या गाली ,
    ……. पंतांच्या वासराची चाहूल मला लागली 

▪︎सासूबाई आहेत प्रेमळ , वनसाबाई आहेत होशी ,
    सासूबाई आहेत प्रेमळ , वनसाबाई आहेत होशी ,
   ….......... पंतांचे नाव घेते , डोहाळजेवणाच्या दिवशी 

▪︎ सकाळ होताच पूर्वेला , सूर्यनारायण उगवेल ,
    सकाळ होताच पूर्वेला , सूर्यनारायण उगवेल ,
    ..……. पंतांच्या संसारात  , नवीन कळी उमलेल 

▪︎मखमली हिरवळीवर पाखरांचा थवा ,
    मखमली हिरवळीवर पाखरांचा थवा ,
    ... पंतांच्या संसारात लावीन दीप नवा 

▪︎ बाळाच्या हसऱ्या प्रवेशाने भरले घर ,
     बाळाच्या हसऱ्या प्रवेशाने भरले घर ,
      .. पंतांच्या संसारात पडली नवी भर

*बारस्याचे उखाणे :-* 

▪︎बेलबाळ्या , घोसबाळ्या , लावले माझे कान ,
    बेलबाळ्या , घोसबाळ्या , लावले माझे कान ,
     ......... पंतांचे बाळाचे नाव ठेवले किती छान 

▪︎फुलांच्या सोडल्या माळ , जागोजागी लावले आरसे ,
    फुलांच्या सोडल्या माळ , जागोजागी लावले आरसे ,
     .................... पंतांच्या बाळाचे आज आहे बारसे, 

▪︎ हिरव्या - हिरव्या शेतात पिकली मोत्याची कणसं ,
     हिरव्या - हिरव्या शेतात पिकली मोत्याची कणसं ,
      ......….....…… पंतांचे नाव घेते आज आहे बारस 

▪︎ हिरवं - हिरवं लिंबू गारस ,
     हिरवं - हिरवं लिंबू गारस ,
     ….... पंतांच्या बाळाचा बारस 

▪︎ आईपणाची भाग्य आलं माझ्या पदरी ,
     आईपणाची भाग्य आलं माझ्या पदरी ,
      …........ पंतांचा नाव घेते बारस आहे घरी 

▪︎ बगळ्याची मान उंच , विहारात आकाशी ,
     बगळ्याची मान उंच , विहारात आकाशी ,
     …..... पंतांचे नाव घेते  …....... या दिवशी 

▪︎ सौभाग्याचा लेणं मणी मंगळसूत्र  ,
     सौभाग्याचा लेणं मणी मंगळसूत्र  ,
   …......... पती माझे  .…..... चे पुत्र 

▪︎ शिसवी पाळण्याला केला मोत्याचा साज ,
     शिसवी पाळण्याला केला मोत्याचा साज ,
    …...... पंतांचे नाव घेते ...... चे बारस आज 

▪︎नातवाचा तोंड पाहून सुखावल्या दोंन्ही आज्या ,
    नातवाचा तोंड पाहून सुखावल्या दोंन्ही आज्या ,
    .......... पंतांचा नाव घेते जमल्या मैत्रिणी माझ्या 

▪︎ नीलवर्णी आकाशात चमकतो शशी ,
     नीलवर्णी आकाशात चमकतो शशी ,
     ……... पंतांचे घेते बारश्याच्या दिवशी 

▪︎ दशरथ राजाने , पुत्रासाठी केला नवस ,
     दशरथ राजाने , पुत्रासाठी केला नवस ,
    ………... पंतांच्या  मुलाचा  बारशाचा दिवस 

▪︎सूर्यबिंबाचा कुंकुम तिलक , पृथ्वीच्या भाळी ,
    सूर्यबिंबाचा कुंकुम तिलक , पृथ्वीच्या भाळी ,
     ............. पंतांचे नाव घेते , बारशाच्या वेळी 

▪︎ गुलाबांचा ताटवा, लतांचा कुंज
     गुलाबांचा ताटवा, लतांचा कुंज
    ... पंतांच्या बाळाची आज आहे मुंज 

▪︎गोकुळात आला कृष्ण , सर्वाना झाला हर्ष,
    गोकुळात आला कृष्ण , सर्वाना झाला हर्ष,
    ........ पंतांच्या बाळाला लागले पहिले वर्ष

*संक्रांतीचे  उखाणे :-* 

▪︎निसर्ग निर्मितीच्या वेळी, सूर्यनारायणा झाले माळी,
    निसर्ग निर्मितीच्या वेळी, सूर्यनारायणा झाले माळी,
     .................... पंताचे नाव घेते , संक्रांतीच्या वेळी

▪︎काकवी पासुन, बनवतात गुळ ,
    काकवी पासुन, बनवतात गुळ ,
    ... चे नाव घेऊन वाटते तिळगुळ

▪︎उन्हाळाच्या वेळेला पाणी टाकते केळीला,
    उन्हाळाच्या वेळेला पाणी टाकते केळीला,
     ........ पंताचे नाव घेते संक्रातीच्या वेळेला

▪︎तिळगुळाचा संक्रांतीला जमतो स्वादिष्ट मेळ ,
    तिळगुळाचा संक्रांतीला जमतो स्वादिष्ट मेळ ,
     …...... पंतांचे नाव घ्यायची , हीच तर खरी वेळ 

▪︎ सोसाट्याच्या वाऱ्याने सगळीकडे उडते धूळ ,
    सोसाट्याच्या वाऱ्याने सगळीकडे उडते धूळ ,
   …. पंतांचे नाव घेऊन संक्रांतीला वाटते तिळगुळ 

▪︎ गोकुळ सारखं सासर ,सारे कसे होशी ,
     गोकुळ सारखं सासर ,सारे कसे होशी ,
   …. पंतांचे नाव घेते , तीळ – संक्रांतीच्या दिवशी 

▪︎तिळगुळाच्या देवघेवीं दृढ प्रेमाचा जुळत नातं ,
    तिळगुळाच्या देवघेवीं दृढ प्रेमाचा जुळत नातं ,
     ………. पंतांचा नाव आज आहे मकर संक्रांत

▪︎ जास्वंदीच्या फुलांचा हार , शोभतो गणरायांच्या गळ्यात ,
  जास्वंदीच्या फुलांचा हार , शोभतो गणरायांच्या गळ्यात ,
..................... पंताचेनाव घेते , सुवासिनिच्या मेळ्यात

*मुलांनी घेणे उखाणे :-* 

▪︎ लग्नात लागतात हार आणि तुरे,
   लग्नात लागतात हार आणि तुरे,
   ..... च नाव घेतो आग्रह आता पुरे 

▪︎ पाण्यात कळशी बुडावाल्यावर पाण्याचा  
   आवाज येतो बुडबुड,
   पाण्यात कळशी बुडावाल्यावर पाण्याचा
   आवाज येतो बुडबुड,
   ..... च नांव घेतो करू नका आता लुडबुड 

▪︎ कोकणात जाताना लागतात , अळन- वळन ,
   कोकणात जाताना लागतात , अळन -वळन ,
   माझा छंद आहे ........................... छळन ,

▪︎ गर गर गोल , फिरतो भवरा ,
     गर गर गोल , फिरतो भवरा ,
     .... च नाव घेतो मी तिचा नवरा 

▪︎ मसाल्याची सुपारी चांदीच्या वाटीत ,
   मसाल्याची सुपारी चांदीच्या वाटीत ,
   .............. ला ठेवीन माझ्या मुठीत

▪︎ भल्या मोठ्या समुद्रात, छोटीशी होडी,
   भल्या मोठ्या समुद्रात, छोटीशी होडी,
   .......... ची आणी माझी शोभते जोडी

▪︎शेल्याशेल्याची बांधली गाठ,
    शेल्याशेल्याची बांधली गाठ,
    ...... च नाव झाल मला पाठ

▪︎रोज दिवस नवा व अनुभवही नवा,
    रोज दिवस नवा व अनुभवही नवा,
    .... च नाव घेतो आशीर्वाद तुमचा हवा 

▪︎उखाणा आठवत नाही, आता काय करू,
    उखाणा आठवत नाही, आता काय करू,
    ................. च नाव घेतो नका घाई करू 

▪︎ अलिबागचे कलिंगड,अलिबागचे नारळ ,
     अलिबागचे कलिंगड, अलिबागचे नारळ ,
     ............ चे नाव घेतो साधे आणि सरळ 

▪︎ मंगल झाली प्रभात , विहंग उडाले गात ,
     मंगल झाली प्रभात , विहंग उडाले गात ,
      ..................….. च्या हाती दिला हात 

▪︎ प्रभात समय , सुखावतो गाता भूपाळी  ,
     प्रभात समय , सुखावतो गाता भूपाळी  ,
    ……...… चे नाव घेतो मेहंळदीच्या वेळी 

▪︎ मेघवर्णी आकाशात , लकाकते चपला ,
     मेघवर्णी आकाशात , लकाकते चपला ,
      …..… ला ……. आशीर्वाद द्या आपला 

▪︎ दासांचा दासबोध अनुभवाचा साठा
     दासांचा दासबोध अनुभवाचा साठा
       .... चे नाव घेतो तुमचा मान मोठा ! 

▪︎शंकराला वाहील बेल आणि पान ,
    शंकराला वाहील बेल आणि पान ,
    ... चा नाव घेतो, ऐका देऊन कान 

▪︎मंदिरात वाहतो फुल आणि पान ,
    मंदिरात वाहतो फुल आणि पान ,
    .... च नाव घेतो , ठेऊन सर्वांचं मान 

▪︎ आशीवार्दाची फुले वेचतो वाकून
     आशीवार्दाची फुले वेचतो वाकून
    ... च नाव घेतो तुमचा मान राखून 

▪︎सर्वांच्या आशीर्वादाची शाल घेतो पांघरून ,
    सर्वांच्या आशीर्वादाची शाल घेतो पांघरून ,
    ................. च्या बरोबर मन गेलं गांगरून 

▪︎ द्राक्षाच्या वेलीला त्रिकोणी पान
     द्राक्षाच्या वेलीला त्रिकोणी पान
     .... च नाव घेतो राखते तुमचा मान 

▪︎ फुटता तांबडं पूर्वेला , कानी येते भूपाळी ,
     फुटता तांबडं पूर्वेला , कानी येते भूपाळी ,
      ……...…... चे नाव घेतो हळदीच्या वेळी 

▪︎ मांडवाचये दारी केळीच्या तोरण ,
     मांडवाचये दारी केळीच्या तोरण ,
     …. चे नाव घेतो हळदीच्या कारण 

▪︎पिवळं सोन , पांढरी शुभ्र चांदी,
    पिवळं सोन , पांढरी शुभ्र चांदी,
    ....... ने काढली , माझ्या नावाची मेहंदी 

▪︎ साजूक तुपात नाजूक चमचा ,
     साजूक तुपात नाजूक चमचा ,
    … चे नाव घेतो आशीर्वाद हवा तुमचा 

▪︎ मिठाने वाढते , स्वयंपाकाची लज्जत ,
     मिठाने वाढते , स्वयंपाकाची लज्जत ,
     ……...... चे नाव घेतो सुरु करा पंगत 

▪︎स्वप्न सत्य झाले, नाही ठरला भास,
    स्वप्न सत्य झाले, नाही ठरला भास,
    .......ला भरवतो गुलाबजांचा घास 

▪︎काचेच्या ग्लासात गुलाबी सरबत ,
    काचेच्या ग्लासात गुलाबी सरबत ,
     ........ शिवाय मला नाही करमत 

▪︎ दही  , चक्का , आवडतो मला खूप  ,
     दही  , चक्का , आवडतो मला खूप  ,
     ….... चे नाव घेतो मनापासून मी खूप 

▪︎ गूळ खोबर ,खमंग झालं ,करंजीचे सारण ,
     गूळ खोबर ,खमंग झालं ,करंजीचे सारण ,
    ..... चे नाव घेतो , दिवाळी सणाचे कारण 

▪︎लग्नाच्या पंगतीत उखाणा घेतो खास ,
    लग्नाच्या पंगतीत उखाणा घेतो खास ,
    ….…. चे नाव घेतो तुमच्यासाठी खास. 

▪︎ एक होती चिऊ ,एक होती काऊ ,
     एक होती चिऊ ,एक होती काऊ ,
    ...... नाव घेतो आता काय काय खाऊ 

▪︎ केसर दुधात घातलं काजू, बदाम , जायफळ ,
     केसर दुधात घातलं काजू, बदाम , जायफळ ,
     ....... चा नाव घेतो , वेळ न घालवता वायफळ 

▪︎मोदकाच्या प्रसादाला असते अवीट गोडी,
    मोदकाच्या प्रसादाला असते अवीट गोडी,
    .. च नाव घेते बाप्पा सुखी ठेव आमची जोडी 

▪︎पानात पान मसाल्याचे पान ,
    पानात पान मसाल्याचे पान ,
     ....... च नाव घेऊन राखतो तुमचा मान 

▪︎वसंतातील डाळ पन्ह , देती थंडावा ,
    वसंतातील डाळ पन्ह , देती थंडावा ,
    .... च नाव घेतो आशीर्वाद सर्वांचा असावा 

▪︎डाळिंबाचे झाड , पानोपानी दाटले ,
    डाळिंबाचे झाड , पानोपानी दाटले ,
    ..... चा नाव घेताना , आनंदी मला वाटले 

▪︎ चिवड्यात घालतात खोबऱ्याचे काप ,
     चिवड्यात घालतात खोबऱ्याचे काप ,
      ……….……... समवेत ओलांडते माप 

▪︎नवे नवे जोडपे , आशीर्वादासाठी वाकले,
    नवे नवे जोडपे , आशीर्वादासाठी वाकले,
    .... सोबत , मी घरी पहिले पाऊल टाकले  

▪︎वळिवाच्या पावसाने  , गंधित होते माती  ,
    वळिवाच्या पावसाने  , गंधित होते माती  ,
    ....... च नाव घेऊन नवीन जोडली नाती 

▪︎वाऱ्यावरती हलके हलके काली उमलली मस्त,
    वाऱ्यावरती हलके हलके काली उमलली मस्त,
    ............. च नाव घ्यायला कारण लाभलं मस्त 

▪︎ सागराच्या लाटांत डुलते नौका ,
     सागराच्या लाटांत डुलते नौका ,
     ..... चे नाव घेतो सर्वानी ऐका 

▪︎ आंब्यात आंबा हापुस आंबा,
     आंब्यात आंबा हापुस आंबा,
      .... चे नाव घेतो , तुम्ही थोड थांबा 

▪︎ मातीच्या चुली घालतात घरोघर ,
     मातीच्या चुली घालतात घरोघर ,
    .. झालीस माझी आता चल बरोबर 

▪︎ अलिबागचे कलिंगड ,गोव्याचे काजू ,
     अलिबागचे कलिंगड , गोव्याचे काजू ,
      .... चे नाव घ्यायला मी कशाला लाजू 

▪︎ आम्रवृक्षाच्या छायेत कोकिळा करते कुंजन ,
     आम्रवृक्षाच्या छायेत कोकिळा करते कुंजन ,
      ................. सोबत करतो मी लक्ष्मीपूजन 

▪︎ अलिबागच्या समुद्रावर मऊ मऊ वाळू ,
     अलिबागच्या समुद्रावर मऊ मऊ वाळू ,
     ............. ना घेतो चल सारिपाठ खेळू 

▪︎ लग्नाचा वाढदिवस करू साजरा ,
     लग्नाचा वाढदिवस करू साजरा ,
     ..... तुला आणला मोगार्‍याचा गजरा